मत्ती के मुताबिक खुशखबरी 24:1-51
अध्ययन नोट
सच: मत 5:18 का अध्ययन नोट देखें।
इनका एक भी पत्थर दूसरे पत्थर के ऊपर हरगिज़ न बचेगा: यीशु ने जो भविष्यवाणी की थी वह ईसवी सन् 70 में पूरी हुई। रोमी सेना ने यरूशलेम और उसके मंदिर का नाश कर दिया। उसकी शहरपनाह के कुछ हिस्से को छोड़ उसने पूरे शहर को मिट्टी में मिला दिया।
जैतून पहाड़: यह यरूशलेम के पूरब में था। शहर और इस पहाड़ के बीच किदरोन घाटी थी। इस पहाड़ की ऊँचाई से यीशु और उसके चेले “पतरस, याकूब, यूहन्ना और अन्द्रियास” (मर 13:3, 4) शहर और उसके मंदिर को साफ देख सकते थे।
मौजूदगी: यूनानी शब्द पारूसीया का शाब्दिक मतलब है, “साथ-साथ रहना।” इस शब्द के लिए कई अनुवादों में “आने” शब्द इस्तेमाल किया गया है। लेकिन इसका मतलब ‘आना’ नहीं बल्कि मौजूदगी है यानी एक खास दौर। पारूसीया का यही मतलब है, यह बात हमें मत 24:37-39 से पता चलती है जहाँ ‘जलप्रलय से पहले के नूह के दिनों’ की तुलना “इंसान के बेटे की मौजूदगी” से की गयी है। फिल 2:12 में पौलुस ने दो समय के बारे में बताया, एक ‘जब वह उनके साथ था’ और दूसरा ‘जब वह उनसे दूर था’ और पहले समय के लिए उसने यही यूनानी शब्द इस्तेमाल किया।
दुनिया की व्यवस्था: या “ज़माने।” यहाँ यूनानी शब्द आयॉन का मतलब है, किसी दौर के हालात या कुछ खास बातें जो एक दौर या ज़माने को दूसरे दौर या ज़माने से अलग दिखाती हैं।—शब्दावली में “दुनिया की व्यवस्था या व्यवस्थाएँ” देखें।
आखिरी वक्त: इनके यूनानी शब्द सिनटीलीया का मतलब है, “मिलकर अंत होना; एक-साथ अंत होना।” (मत 13:39, 40, 49; 28:20; इब्र 9:26) यहाँ उस दौर की बात की जा रही है जब कई घटनाएँ एक-साथ होंगी और उसके बाद दुनिया का पूरी तरह “अंत” हो जाएगा, जिसके बारे में मत 24:6, 14 में बताया गया है। इन आयतों में “अंत” के लिए एक अलग यूनानी शब्द टीलोस इस्तेमाल हुआ है।—मत 24:6, 14 के अध्ययन नोट और शब्दावली में “दुनिया की व्यवस्था का आखिरी वक्त” देखें।
मसीह: यूनानी में हो ख्रिस्तौस। “मसीह” और “मसीहा” (इब्रानी में मशीआक) दोनों एक-जैसी उपाधियाँ हैं और इनका मतलब है, “अभिषिक्त जन।” यहूदी इतिहासकार जोसीफस ने बताया कि पहली सदी में कुछ ऐसे लोग थे जो भविष्यवक्ता या मुक्तिदाता होने का दावा करते थे। वे वादा करते थे कि वे लोगों को रोमियों के ज़ुल्मों से छुटकारा दिलाएँगे। शायद इनके हिमायती इन्हें लोगों का मसीहा मानते थे।
अंत: या “पूरी तरह अंत।” यहाँ जो यूनानी शब्द (टीलोस) इस्तेमाल हुआ है वह मत 24:3 में “आखिरी वक्त” के यूनानी शब्द (सिनटीलीया) से अलग है।—मत 24:3 का अध्ययन नोट और शब्दावली में “दुनिया की व्यवस्था का आखिरी वक्त” देखें।
राष्ट्र: यूनानी शब्द एथनोस के कई मतलब हैं, जैसे एक देश में रहनेवाले लोग या एक जाति के लोग।—मत 24:14 का अध्ययन नोट देखें।
हमला करेगा: या “के खिलाफ उठ खड़ा होगा; के खिलाफ भड़काया जाएगा।” यहाँ यूनानी शब्द का मतलब है, ‘दुश्मनी की वजह से किसी के खिलाफ कार्रवाई करना।’ इसलिए इसका अनुवाद इस तरह भी किया जा सकता है: “हथियारों से लैस होकर निकल पड़ना” या “युद्ध के लिए जाना।”
प्रसव-पीड़ा की तरह मुसीबतों: इनके यूनानी शब्द का शाब्दिक मतलब है, बच्चे को जन्म देते समय होनेवाली भयंकर पीड़ा। जब एक गर्भवती औरत की प्रसव-पीड़ा शुरू होती है, तो यह दर्द थोड़ी-थोड़ी देर में बार-बार उठता है, बढ़ता ही जाता है और कुछ समय तक रहता है। हालाँकि इस आयत में मुसीबतों और दुख-तकलीफों की बात की गयी है, लेकिन इनके यूनानी शब्द का इस्तेमाल शायद यह समझाने के लिए किया गया है कि मत 24:21 में बताए महा-संकट से पहले जब मुसीबतें और दुख-तकलीफें एक बार शुरू होंगी, तो वे बार-बार आती रहेंगी, बढ़ती जाएँगी और कुछ समय तक रहेंगी।
मेरे नाम की वजह से: बाइबल में शब्द “नाम” का यह मतलब भी हो सकता है: उससे जुड़ा व्यक्ति, उसके बारे में लोगों की राय और वह सब बातें जिन्हें वह व्यक्ति दर्शाता है। (मत 6:9 का अध्ययन नोट देखें।) ‘यीशु के नाम’ का यह भी मतलब है, वह अधिकार और पद जो उसे उसके पिता ने दिया है। (मत 28:18; फिल 2:9, 10; इब्र 1:3, 4) परमेश्वर ने यीशु को राजा ठहराया है। यीशु राजाओं का राजा है और जो कोई उसके सामने झुकेगा और उसके अधीन रहेगा, उसे जीवन मिलेगा। इस आयत में यीशु समझा रहा था कि लोग उसके शिष्यों से उसके नाम की वजह से नफरत करेंगे, यानी उसके अधिकार को ठुकराएँगे।—यूह 15:21 का अध्ययन नोट देखें।
परमेश्वर से दूर चले जाएँगे: या “ठोकर खाएँगे।” मसीही यूनानी शास्त्र में ठोकर के लिए यूनानी शब्द स्कानडेलाइज़ो इस्तेमाल हुआ है और इसका मतलब सचमुच का ठोकर खाकर गिरना नहीं है। बल्कि इसका मतलब है, खुद “पाप कर बैठना” या “किसी से पाप करवाना।” बाइबल में इस यूनानी शब्द के इस्तेमाल को ध्यान में रखते हुए कहा जा सकता है कि पाप का मतलब है, परमेश्वर के नैतिक नियमों को तोड़ना, विश्वास में कमज़ोर पड़ना या झूठी शिक्षाओं को अपनाना। इस आयत में इस शब्द का अनुवाद इस तरह से भी किया जा सकता है: “पाप के फंदे में फँसना; विश्वास से गिरना।” यूनानी शब्द ठोकर का मतलब “किसी बात का बुरा मानना” भी हो सकता है।—मत 13:57; 18:7 के अध्ययन नोट देखें।
दुष्टता: इसके यूनानी शब्द के मतलब में कानून को तुच्छ समझना और उसे तोड़ना शामिल है। इस तरह दुष्टता करनेवाले लोग ऐसा व्यवहार करते हैं मानो कोई कानून है ही नहीं। बाइबल में इस यूनानी शब्द का मतलब है, परमेश्वर के कानून को तुच्छ समझना।—मत 7:23; 2कुर 6:14; 2थि 2:3-7; 1यूह 3:4.
कई लोगों: यहाँ पर दुनिया के “ज़्यादातर लोगों” की बात की जा रही है क्योंकि उन पर ‘झूठे भविष्यवक्ताओं’ और “दुष्टता” का असर है, जैसा मत 24:11, 12 में बताया गया है।
अंत: मत 24:6, 14 के अध्ययन नोट देखें।
धीरज धरेगा: या “धीरज धरता है।” इनकी यूनानी क्रिया (इपोमेनो) का शाब्दिक मतलब है, “में बने (या टिके) रहना।” इसका अकसर मतलब होता है, “भागने के बजाय बने रहना; डटे रहना; लगे रहना; अटल रहना।” (मत 10:22; रोम 12:12; इब्र 10:32; याकू 5:11) इस संदर्भ में इस क्रिया का मतलब है, मसीह का चेला होने के नाते एक व्यक्ति का सही राह पर बने रहना, फिर चाहे इसके लिए उसे कितने भी विरोध या मुश्किलों का सामना क्यों न करना पड़े।—मत 24:9-12.
राज: यानी परमेश्वर का राज। पूरे मसीही यूनानी शास्त्र में “खुशखबरी” (इसी आयत में इस खुशखबरी पर अध्ययन नोट देखें) परमेश्वर के राज से जुड़ी है। यीशु ने इसी के बारे में प्रचार किया और सिखाया।—मत 3:2; 4:23; लूक 4:43 के अध्ययन नोट देखें।
इस खुशखबरी: यूनानी शब्द यूएजेलियोन दो शब्दों से मिलकर बना है। एक है यू जिसका मतलब है, “अच्छा” और दूसरा है एगीलोस जिसका मतलब है, “खबर लानेवाला; ऐलान (या घोषणा) करनेवाला।” (शब्दावली में “खुशखबरी” देखें।) बाइबल के कुछ हिंदी अनुवादों में इसे “सुसमाचार” कहा गया है। इससे संबंधित यूनानी शब्द यूएजेलिस्तेस का मतलब है, “खुशखबरी सुनानेवाला” और इसका अनुवाद “प्रचारक” किया गया है।—प्रेष 21:8; इफ 4:11, फु.; 2ती 4:5, फु.
सारे जगत . . . सब राष्ट्रों: इन शब्दों से पता चलता है कि प्रचार काम कितने बड़े पैमाने पर किया जाएगा। “सारे जगत” के यूनानी शब्द (ओइकूमीने) का आम तौर पर मतलब होता है, पृथ्वी। (लूक 4:5; प्रेष 17:31; रोम 10:18; प्रक 12:9; 16:14) पहली सदी में यह शब्द विशाल रोमी साम्राज्य के लिए भी इस्तेमाल होता था, जहाँ यहूदी अलग-अलग जगहों में रहते थे। (लूक 2:1; प्रेष 24:5) “राष्ट्र” के लिए यूनानी शब्द (एथनोस) का आम तौर पर मतलब होता है, ऐसे लोगों का समूह जिनका एक-दूसरे से खून का रिश्ता है और जो एक भाषा बोलते हैं। ऐसे लोग अकसर एक ही देश में रहते हैं।
प्रचार किया जाएगा: या “सरेआम ऐलान किया जाएगा।”—मत 3:1 का अध्ययन नोट देखें।
ताकि . . . गवाही दी जाए: इन शब्दों से यीशु यकीन दिला रहा था कि सब राष्ट्रों को खुशखबरी सुनायी जाएगी। यूनानी शब्द मार्टिरियॉन (गवाही) और इससे मिलते-जुलते शब्दों का अकसर मतलब होता है कि किसी विषय से जुड़ी सच्ची बातों और घटनाओं को बताना। (प्रेष 1:8 का अध्ययन नोट देखें।) यहाँ पर यीशु भविष्यवाणी कर रहा था कि पूरी दुनिया में इस बात की गवाही दी जाएगी कि परमेश्वर का राज क्या-क्या करेगा और इससे जुड़ी बातें सबको बतायी जाएँगी। यीशु ने बताया था कि पूरी दुनिया में प्रचार काम होना ‘उसकी मौजूदगी की एक बड़ी निशानी होगी।’ (मत्ती 24:3) जब यीशु ने कहा कि सब राष्ट्रों को गवाही दी जाएगी, तो उसके कहने का यह मतलब नहीं था कि सब लोग सच्चा मसीही धर्म अपना लेंगे। वह सिर्फ इतना कह रहा था कि उन्हें राज का संदेश सुनाया जाएगा।
अंत: या “पूरी तरह अंत।”—मत 24:3, 6 के अध्ययन नोट देखें।
वह उजाड़नेवाली घिनौनी चीज़: दानियेल ने भविष्यवाणी की थी कि “घिनौनी चीज़ (या चीज़ें)” उजाड़नेवाली साबित होंगी। (दान 9:27; 11:31; 12:11) यीशु की बातों से पता चलता है कि वह उजाड़नेवाली घिनौनी चीज़ उसके दिनों में नहीं आयी थी बल्कि आगे चलकर आनेवाली थी। उसकी मौत के 33 साल बाद इस भविष्यवाणी की पहली पूर्ति हुई। तब मसीहियों को एक घिनौनी चीज़ पवित्र जगह में खड़ी नज़र आयी। इसी बारे में लूक 21:20 में बताया है, “जब तुम यरूशलेम को फौजों से घिरा हुआ देखो, तो जान लेना कि उसके उजड़ने का समय पास आ गया है।” ईसवी सन् 66 में रोमी सेना ने “पवित्र शहर” यरूशलेम को घेर लिया। इस शहर को यहूदी पवित्र मानते थे और यहीं से कुछ यहूदी, रोम के खिलाफ बगावत भड़का रहे थे। (मत 4:5; 27:53) जब रोमी सेना अपने झंडे लेकर आयी जिन्हें वे पूजते थे, तो मसीही समझ गए कि यही वह “घिनौनी चीज़” है और यह इशारा मिलते ही उन्होंने “पहाड़ों की तरफ भागना शुरू” किया। (मत 24:15, 16; लूक 19:43, 44; 21:20-22) उनके भागने के बाद रोमी सेना ने शहर और करीब-करीब पूरे इसराएल राष्ट्र को तबाह कर दिया। ईसवी सन् 70 में यरूशलेम शहर को खाक में मिला दिया गया और ईसवी सन् 73 में रोमियों ने मसाडा को, जो कि यहूदियों का आखिरी गढ़ था, अपने कब्ज़े में कर लिया। (दान 9:25-27 से तुलना करें।) भविष्यवाणी की पहली पूर्ति में एक-एक बात सच साबित हुई। इससे हमें पक्का यकीन होता है कि इस भविष्यवाणी की हरेक बात बड़े पैमाने पर भी पूरी होगी। इसके आखिर में यीशु “शक्ति और बड़ी महिमा के साथ आकाश के बादलों” पर आएगा। (मत 24:30) यीशु ने कहा था कि दानियेल की भविष्यवाणी आगे चलकर पूरी होगी, पर कुछ लोगों का मानना है कि दानियेल की भविष्यवाणी यीशु के जन्म से पहले ही पूरी हो गयी थी। वे यहूदी परंपरा को सच मानते हुए कहते हैं कि ईसा पूर्व 168 में जब सीरिया के राजा एन्टियोकस IV (इपिफनीस) ने यरूशलेम के मंदिर को दूषित किया, तब यह भविष्यवाणी पूरी हो गयी थी। एन्टियोकस ने यहोवा की उपासना को मिटाने की कोशिश की। उसने तो यहोवा की बड़ी वेदी के ऊपर दूसरी वेदी बनायी और उस पर ओलंपस के देवता ज़्यूस के लिए सूअरों की बलि चढ़ायी। (यूह 10:22 का अध्ययन नोट देखें।) मक्काबियों की पहली किताब (इस बात का कोई सबूत नहीं मिलता कि यह किताब बाइबल का हिस्सा है) में कुछ ऐसे शब्द पाए गए हैं जो दानियेल की किताब से मिलते-जुलते हैं, जैसे इसमें घिनौनी चीज़ों को उजाड़नेवाली कहा गया है। मक्काबियों की पहली किताब (1:54) में बताया है कि दानियेल की भविष्यवाणी ईसा पूर्व 168 में पूरी हुई। लेकिन यह ब्यौरा और यहूदी परंपरा इंसानों की तरफ से हैं, न कि परमेश्वर की प्रेरणा से। यह बात सच है कि एन्टियोकस ने मंदिर को दूषित करके घिनौना काम किया, लेकिन इससे यरूशलेम, उसका मंदिर और यहूदी राष्ट्र उजड़ नहीं गया।
पवित्र जगह: जब यह भविष्यवाणी पहली बार पूरी हुई तो “पवित्र जगह” का मतलब था, यरूशलेम और उसका मंदिर।—मत 4:5 का अध्ययन नोट देखें।
(पढ़नेवाला समझ इस्तेमाल करे): पढ़नेवाले को परमेश्वर के वचन का अध्ययन करते वक्त हमेशा ही समझ इस्तेमाल करनी चाहिए। ऐसा मालूम होता है कि दानियेल की इस भविष्यवाणी की पूर्ति को समझने के लिए पढ़नेवाले को और भी ध्यान देना चाहिए। यीशु अपने सुननेवालों का ध्यान खींच रहा था क्योंकि यह भविष्यवाणी आगे चलकर पूरी होनेवाली थी, न कि उसके दिनों से पहले पूरी हो चुकी थी।—इस आयत में वह उजाड़नेवाली घिनौनी चीज़ पर अध्ययन नोट देखें।
यहूदिया: एक रोमी प्रांत।
पहाड़ों की तरफ: चौथी सदी के इतिहासकार युसेबियस के मुताबिक यहूदिया और यरूशलेम में रहनेवाले मसीही भागकर यरदन नदी के पार पेल्ला शहर चले गए थे। यह शहर दिकापुलिस के पहाड़ी इलाके में था।
घर की छत पर: घरों की छतें सपाट होती थीं और उन पर कई काम होते थे। जैसे, छत पर चीज़ें रखी जाती थीं (यह 2:6), लोग आराम करते थे (2शम 11:2), सोते थे (1शम 9:26) और त्योहार मनाते थे (नहे 8:16-18)। इसलिए कानून के मुताबिक छत पर मुँडेर बनाना ज़रूरी था। (व्य 22:8) आम तौर पर छत पर जाने के लिए घर के बाहर से जीना बनाया जाता था या सीढ़ी लगायी जाती थी और लोग घर के अंदर आए बिना ही छत से उतरकर बाहर जा सकते थे। घरों की ऐसी बनावट से हम समझ पाते हैं कि यीशु अपने चेलों को बिना देर किए कदम उठाने के लिए कह रहा था।
सर्दियों के मौसम में: इस मौसम में ज़ोरदार बारिश, बाढ़ और कड़ाके की ठंड पड़ती थी। ऐसे में सफर करना और खाने और ठहरने की जगह का बंदोबस्त करना मुश्किल हो सकता था।—एज 10:9, 13.
सब्त के दिन: सब्त के नियम की वजह से यहूदिया जैसे इलाकों में कई पाबंदियाँ थीं, इसलिए एक व्यक्ति के लिए लंबा सफर करना या बोझ उठाना मुश्किल हो सकता था। साथ ही, सब्त के दिन शहरों के फाटक भी बंद रहते थे।—प्रेष 1:12 और अति. ख12 देखें।
झूठे मसीह: या “झूठे मसीहा।” यूनानी शब्द स्यूडोख्रिस्तौस सिर्फ इस आयत में और मर 13:22 में आता है जहाँ यही ब्यौरा दर्ज़ है। इसका मतलब है, ऐसा हर इंसान जो मसीह या मसीहा (शा., “अभिषिक्त जन”) होने का दावा करता है।—मत 24:5 का अध्ययन नोट देखें।
देखो!: मत 1:23 का अध्ययन नोट देखें।
इंसान के बेटे: मत 8:20 का अध्ययन नोट देखें।
मौजूदगी: मत 24:3 का अध्ययन नोट देखें।
इंसान के बेटे की निशानी: यहाँ मत 24:3 में बतायी ‘यीशु की मौजूदगी की निशानी’ की बात नहीं की गयी है। इंसान के बेटे की निशानी यीशु के ‘आने’ से जुड़ी है। वह महा-संकट के दौरान एक न्यायी के तौर पर फैसला सुनाने और न्याय करने आएगा।—इस आयत में आता पर अध्ययन नोट देखें।
दुख के मारे छाती पीटेंगी: या “मातम मनाएँगी।” एक इंसान जब बार-बार अपनी छाती पीटता है तो इससे ज़ाहिर होता है कि उसका गम बरदाश्त से बाहर है, या वह बहुत दोषी महसूस कर रहा है या बहुत पछता रहा है।—यश 32:12; नहू 2:7; लूक 23:48.
आकाश के बादलों: बादलों की वजह से चीज़ें साफ नहीं बल्कि धुँधली नज़र आती हैं। (प्रेष 1:9) इसलिए यहाँ मन की आँखों से ‘देखने’ की बात की गयी है।
आता: मत्ती अध्याय 24 और 25 में यह शब्द आठ बार आता है और यह उनमें से पहली बार है। (मत 24:42, 44, 46; 25:10, 19, 27, 31) हर बार ‘आना’ शब्द के लिए यूनानी क्रिया एरखोमाई का एक रूप इस्तेमाल किया गया है। इस आयत में ‘आता’ शब्द का मतलब है, इंसानों पर ध्यान देना। यह तब होगा जब यीशु महा-संकट के दौरान एक न्यायी के तौर पर फैसला सुनाने और न्याय करने आएगा।
देखेंगे: इसकी यूनानी क्रिया का शाब्दिक मतलब है, “कोई चीज़ देखना; निहारना।” मगर यह क्रिया रूपक अलंकार के तौर पर भी इस्तेमाल की जा सकती है। इसलिए इसका मतलब “समझना; जानना” भी हो सकता है।—इफ 1:18.
चारों दिशाओं: शा., “चारों हवाओं।” यह एक मुहावरा है जिसका मतलब है चार दिशाएँ: उत्तर, दक्षिण, पूरब, पश्चिम। इससे पता चलता है कि “सब दिशाओं से; सब जगहों से” चुने हुओं को इकट्ठा किया जाएगा।—यिर्म 49:36; यहे 37:9; दान 8:8.
मिसाल: या “नीति-कथा।”—मत 13:3 का अध्ययन नोट देखें।
आकाश और पृथ्वी मिट जाएँगे: बाइबल की दूसरी आयतों से पता चलता है कि आकाश और पृथ्वी हमेशा रहेंगे। (उत 9:16; भज 104:5; सभ 1:4) इसलिए कहा जा सकता है कि यीशु अतिशयोक्ति अलंकार का इस्तेमाल कर रहा था, जिसका मतलब है कि भले ही नामुमकिन घटना हो जाए यानी आकाश और पृथ्वी मिट जाएँ, मगर यीशु की बात पूरी होकर रहेगी। (मत 5:18 से तुलना करें।) लेकिन लगता है कि यहाँ लाक्षणिक आकाश और पृथ्वी की बात की गयी है, जिन्हें प्रक 21:1 में “पुराना आकाश और पुरानी पृथ्वी” कहा गया है।
मेरे शब्द कभी नहीं मिटेंगे: या “मेरे शब्द किसी भी हाल में नहीं मिटेंगे।” यहाँ यूनानी में क्रिया के साथ दो शब्द इस्तेमाल हुए जिसका मतलब है, “नहीं-नहीं।” यह दिखाता है कि ऐसा हो ही नहीं सकता कि यीशु की कही बात पूरी न हो। इस तरह इस बात पर ज़ोर दिया गया है कि यीशु ने जो कहा वह पूरा होकर ही रहेगा।
नूह के दिन: बाइबल में शब्द “दिन” या “दिनों” कभी-कभी उस दौर को बताने के लिए इस्तेमाल हुए हैं, जब कोई व्यक्ति जीया था। (यश 1:1; यिर्म 1:2, 3; लूक 17:28) यहाँ “नूह के दिन” की तुलना इंसान के बेटे की मौजूदगी से की गयी है। इसी से मिलती-जुलती बात लूक 17:26 में दर्ज़ है, जहाँ “इंसान के बेटे के दिनों” लिखा है। यीशु ने जब नूह के दिन की बात की, तो उसका मतलब सिर्फ वह दिन नहीं था जब जलप्रलय आया था। “नूह के दिन” का मतलब था, ऐसा दौर जो कई सालों तक चला। इसलिए यह कहना सही होगा कि “इंसान के बेटे की मौजूदगी” [या “के दिन”] भी कई सालों तक चलनेवाला दौर है। और ठीक जैसे नूह के दिनों के आखिर में जलप्रलय आया था, वैसे ही “इंसान के बेटे की मौजूदगी” के आखिर में उन सभी का नाश होगा जो उद्धार पाने के लिए मेहनत नहीं करते।—मत 24:3 का अध्ययन नोट देखें।
मौजूदगी: मत 24:3 का अध्ययन नोट देखें।
जलप्रलय: या “बाढ़; प्रलय।” यूनानी शब्द काटाक्लिसमॉस का मतलब है, ऐसी भयंकर बाढ़ जिससे सबकुछ तबाह हो जाता है। बाइबल में यह शब्द नूह के दिनों में आए जलप्रलय के लिए इस्तेमाल हुआ है।—मत 24:39; लूक 17:27; 2पत 2:5.
जहाज़: यूनानी शब्द का अनुवाद “बक्सा” भी किया जा सकता है। यह एक बड़े आयताकार बक्से जैसा जलपोत था और माना जाता है कि इसका निचला हिस्सा सपाट था।
साथ ले लिया जाएगा . . . छोड़ दिया जाएगा: लूक 17:34 का अध्ययन नोट देखें।
जागते रहो: यूनानी शब्द का बुनियादी मतलब है, “जागते रहना।” मगर कई जगहों पर इसका मतलब है, “सावधान रहना; चौकन्ना रहना।” मत्ती ने यह शब्द मत 24:43; 25:13; 26:38, 40, 41 में इस्तेमाल किया। मत 24:44 में लिखी बात से पता चलता है कि इसका नाता ‘तैयार रहने’ से भी है।—मत 26:38 का अध्ययन नोट देखें।
बुद्धिमान: या “सूझ-बूझ से काम लेनेवाला।” यहाँ इस्तेमाल हुए यूनानी शब्द में यह सब शामिल है: अंदरूनी समझ, पहले से सोचना, समझदारी, होशियारी और समझ-बूझ से काम लेना। यही यूनानी शब्द मत 7:24 और 25:2, 4, 8, 9 में आया है। सेप्टुआजेंट में यह शब्द उत 41:33, 39 में यूसुफ के सिलसिले में इस्तेमाल हुआ है।
दास: हालाँकि यीशु ने अपनी मिसाल में एक “दास” की बात की, लेकिन ज़रूरी नहीं कि यह सिर्फ एक व्यक्ति को दर्शाता है। बाइबल में ऐसे कई उदाहरण हैं जहाँ बात तो एक व्यक्ति के बारे में की गयी है, लेकिन असल में वह एक समूह को दर्शाता है। जैसे यहोवा ने इसराएल राष्ट्र से कहा, “तुम मेरे साक्षी [बहुवचन] हो, हाँ, मेरा वह सेवक [एकवचन], जिसे मैंने चुना है।” (यश 43:10) लूक 12:42 में दर्ज़ इसी मिसाल में दास को “विश्वासयोग्य और बुद्धिमान प्रबंधक” कहा गया है।—लूक 12:42 का अध्ययन नोट देखें।
अपने घर के कर्मचारियों: या “अपने घर के सेवकों।”
आने: मत 24:30 का अध्ययन नोट देखें।
वह दुष्ट दास: यीशु यहाँ असल में मत 24:45 में बताए विश्वासयोग्य और बुद्धिमान दास को खबरदार कर रहा था। वह यह भविष्यवाणी नहीं कर रहा था कि एक “दुष्ट दास” होगा और न ही वह “दुष्ट दास” को ठहरा रहा था। इसके बजाय, वह विश्वासयोग्य दास को खबरदार कर रहा था कि अगर वह एक दुष्ट दास के जैसे काम करने लगा, तो उसके साथ क्या होगा। विश्वासघात करनेवाले ऐसे दास को “कड़ी-से-कड़ी सज़ा” दी जाएगी।—मत 24:51; कृपया लूक 12:45 का अध्ययन नोट देखें।
उसे कड़ी-से-कड़ी सज़ा देगा: शा., “उसके दो टुकड़े कर देगा।” इन शब्दों का यह मतलब नहीं कि वाकई उसके दो टुकड़े कर दिए जाएँगे बल्कि इसका मतलब है, उसे सख्त सज़ा दी जाएगी।
कपटियों: मत 6:2 का अध्ययन नोट देखें।
दाँत पीसेगा: मत 8:12 का अध्ययन नोट देखें।
तसवीर और ऑडियो-वीडियो

ये पत्थर यरूशलेम की पश्चिमी दीवार के दक्षिणी हिस्से के पास पड़े हुए हैं। माना जाता है कि ये पत्थर पहली सदी के मंदिर के हैं। इन्हें यूँ ही छोड़ दिया गया है ताकि ये लोगों को याद दिलाते रहें कि रोमी लोगों ने यरूशलेम और उसके मंदिर का नाश किया था।

जैतून पहाड़ (1) चूना-पत्थर की गोलाकार पहाड़ियों की शृंखला है। यह पहाड़ यरूशलेम के पूरब में है और बीच में किदरोन घाटी है। जिस पहाड़ पर मंदिर (2) होता था, उसके ठीक सामने जैतून पहाड़ की सबसे ऊँची चोटी है और उसकी ऊँचाई करीब 2,664 फुट (812 मी.) है। आम तौर पर इसी चोटी को बाइबल में जैतून पहाड़ कहा गया है। इसी चोटी पर यीशु ने अपने चेलों को अपनी मौजूदगी की निशानी बतायी।

यूनानी शब्द ईमाटियोन का अनुवाद “ओढ़ना” या “चोगा” किया गया है। मुमकिन है कि इसका इब्रानी शब्द सिमलाह है। कुछ आयतों में इसका मतलब एक ढीला-ढाला चोगा रहा होगा, लेकिन अकसर इसका मतलब होता है, एक आयताकार कपड़ा। यह आसानी से पहना और उतारा जा सकता था।

वसंत के मौसम में अंजीर के पेड़ की डालियाँ बढ़ती हैं और उन पर नयी पत्तियाँ और पहली फसल के फल लगते हैं। इसराएल में अंजीर के पेड़ में आम तौर पर फरवरी में फल लगते हैं और अप्रैल के आखिर में या मई में नयी पत्तियाँ आती हैं। इससे पता चलता है कि गरमियों का मौसम पास है। (मत 24:32) अंजीर का पेड़ साल में दो बार फलता है। इसकी पहली फसल जून या जुलाई की शुरूआत में पककर तैयार होती है। (यश 28:4; यिर्म 24:2; हो 9:10) जब पेड़ पर नयी छाल आती है, तब दूसरी फसल लगती है और अगस्त से पकनी शुरू हो जाती है। यह मुख्य फसल होती है।

बाइबल के ज़माने में कई तरह की चक्कियाँ होती थीं जिनमें से एक थी, हाथ की चक्की। इसे आम तौर पर दो औरतें चलाती थीं। (लूक 17:35) वे आमने-सामने बैठती थीं और चक्की के ऊपरी पाट पर लगे हत्थे को दोनों एक-एक हाथ से पकड़कर घुमाती थीं। एक औरत अपने दूसरे हाथ से पाट में बने छेद में थोड़ा-थोड़ा करके अनाज डालती रहती थी। चक्की के नीचे एक तश्तरी रखी जाती थी या एक कपड़ा बिछाया जाता था जिस पर पिसा हुआ अनाज गिरता था। दूसरी औरत इस पिसे हुए अनाज को इकट्ठा करती जाती थी। औरतें हर दिन सुबह-सुबह उठकर अनाज पीसती थीं और उसी से दिन में रोटी बनाती थीं।