मत्ती के मुताबिक खुशखबरी 24:1-51

24  जब यीशु मंदिर से बाहर जा रहा था, तो चेले उसके पास आए और उसे मंदिर की इमारतें दिखाने लगे।  तब यीशु ने उनसे कहा, “तुम ये सब देखकर ताज्जुब कर रहे हो? मैं तुमसे सच कहता हूँ कि इनका एक भी पत्थर दूसरे पत्थर के ऊपर हरगिज़ न बचेगा जो ढाया न जाए।”+  जब वह जैतून पहाड़+ पर बैठा था, तब चेले अकेले में उसके पास आकर पूछने लगे, “हमें बता, ये सब बातें कब होंगी और तेरी मौजूदगी+ की और दुनिया की व्यवस्था के आखिरी वक्‍त की क्या निशानी होगी?”+  यीशु ने उन्हें यह जवाब दिया, “खबरदार रहो कि कोई तुम्हें गुमराह न करे।+  इसलिए कि बहुत-से लोग आएँगे और मेरा नाम लेकर दावा करेंगे, ‘मैं ही मसीह हूँ’ और बहुतों को गुमराह करेंगे।+  तुम युद्धों का शोरगुल और युद्धों की खबरें सुनोगे, देखो घबरा न जाना। क्योंकि इन सबका होना ज़रूरी है मगर तभी अंत न होगा।+  क्योंकि एक राष्ट्र दूसरे राष्ट्र पर और एक राज्य दूसरे राज्य पर हमला करेगा।+ एक-के-बाद-एक कई जगह अकाल पड़ेंगे+ और भूकंप होंगे।+  ये सारी बातें प्रसव-पीड़ा की तरह मुसीबतों की सिर्फ शुरूआत होंगी।  तब लोग तुम पर ज़ुल्म करने के लिए तुम्हें पकड़वाएँगे+ और तुम्हें मार डालेंगे+ और मेरे नाम की वजह से सब राष्ट्रों के लोग तुमसे नफरत करेंगे।+ 10  इतना ही नहीं, बहुत-से लोग परमेश्‍वर से दूर चले जाएँगे* और एक-दूसरे के साथ विश्‍वासघात करेंगे और एक-दूसरे से नफरत करेंगे। 11  कई झूठे भविष्यवक्‍ता उठ खड़े होंगे और बहुतों को गुमराह करेंगे।+ 12  और दुष्टता के बढ़ने से कई लोगों का प्यार ठंडा हो जाएगा।+ 13  मगर जो अंत तक धीरज धरेगा, वही उद्धार पाएगा।+ 14  और राज की इस खुशखबरी का सारे जगत में प्रचार किया जाएगा ताकि सब राष्ट्रों को गवाही दी जाए+ और इसके बाद अंत आ जाएगा। 15  इसलिए जब तुम्हें वह उजाड़नेवाली घिनौनी चीज़, जिसके बारे में भविष्यवक्‍ता दानियेल ने बताया था, पवित्र जगह में खड़ी नज़र आए+ (पढ़नेवाला समझ इस्तेमाल करे), 16  तब जो यहूदिया में हों वे पहाड़ों की तरफ भागना शुरू कर दें।+ 17  जो आदमी घर की छत पर हो वह अपने घर से सामान लेने के लिए नीचे न उतरे। 18  और जो आदमी खेत में हो वह अपना चोगा लेने न लौटे।+ 19  जो गर्भवती होंगी और जो बच्चे को दूध पिलाती होंगी, उनके लिए वे दिन क्या ही भयानक होंगे!+ 20  प्रार्थना करते रहो कि तुम्हें न तो सर्दियों के मौसम में भागना पड़े, न ही सब्त के दिन। 21  इसलिए कि तब ऐसा महा-संकट होगा+ जैसा दुनिया की शुरूआत से न अब तक हुआ और न फिर कभी होगा।+ 22  दरअसल अगर उन दिनों को घटाया न जाए, तो कोई भी नहीं बच पाएगा। मगर चुने हुओं की खातिर वे दिन घटाए जाएँगे।+ 23  उन दिनों अगर कोई तुमसे कहे, ‘देखो! मसीह यहाँ है,’+ या ‘वहाँ है!’ तो यकीन न करना।+ 24  क्योंकि झूठे मसीह और झूठे भविष्यवक्‍ता+ उठ खड़े होंगे और बड़े-बड़े चमत्कार और अजूबे दिखाएँगे ताकि हो सके तो चुने हुओं को भी गुमराह कर दें।+ 25  देखो! मैं तुम्हें पहले से खबरदार कर रहा हूँ। 26  इसलिए अगर लोग तुमसे कहें, ‘देखो! वह वीराने में है,’ तो बाहर न जाना। ‘देखो! वह अंदरवाले कमरों में है,’ तो यकीन न करना।+ 27  इसलिए कि जैसे बिजली पूरब से निकलकर पश्‍चिम तक चमकती दिखायी देती है, वैसे ही इंसान के बेटे की मौजूदगी भी होगी।+ 28  जहाँ लाश है, वहीं उकाब जमा होंगे।+ 29  उन दिनों के संकट के फौरन बाद सूरज अँधियारा हो जाएगा,+ चाँद अपनी रौशनी नहीं देगा, आकाश से तारे गिर पड़ेंगे और आकाश की शक्‍तियाँ हिलायी जाएँगी।+ 30  तब इंसान के बेटे की निशानी आकाश में दिखायी देगी और धरती की सारी जातियाँ दुख के मारे छाती पीटेंगी+ और वे इंसान के बेटे को शक्‍ति और बड़ी महिमा* के साथ आकाश के बादलों पर आता देखेंगे।+ 31  और वह तुरही की बड़ी आवाज़ के साथ अपने स्वर्गदूतों को भेजेगा और वे उसके चुने हुओं को आकाश के एक छोर से लेकर दूसरे छोर तक, चारों दिशाओं से इकट्ठा करेंगे।+ 32  अब अंजीर के पेड़ की मिसाल से यह बात सीखो: जैसे ही उसकी नयी डाली नरम हो जाती है और उस पर पत्तियाँ आने लगती हैं, तुम जान लेते हो कि गरमियों का मौसम पास है।+ 33  उसी तरह, जब तुम ये सब बातें होती देखो, तो जान लेना कि इंसान का बेटा पास है बल्कि दरवाज़े पर ही है।+ 34  मैं तुमसे सच कहता हूँ, जब तक ये सारी बातें पूरी न हो जाएँ, तब तक यह पीढ़ी हरगिज़ नहीं मिटेगी। 35  आकाश और पृथ्वी मिट जाएँगे, मगर मेरे शब्द कभी नहीं मिटेंगे।+ 36  उस दिन और उस घड़ी के बारे में कोई नहीं जानता,+ न स्वर्ग के दूत, न बेटा बल्कि सिर्फ पिता जानता है।+ 37  ठीक जैसे नूह के दिन थे,+ इंसान के बेटे की मौजूदगी भी वैसी ही होगी।+ 38  इसलिए कि जैसे जलप्रलय से पहले के दिनों में, जिस दिन तक नूह जहाज़ के अंदर न गया, उस दिन तक लोग खा-पी रहे थे और शादी-ब्याह कर रहे थे+ 39  और जब तक जलप्रलय आकर उन सबको बहा न ले गया, तब तक उन्होंने कोई ध्यान न दिया।+ इंसान के बेटे की मौजूदगी भी ऐसी ही होगी। 40  तब दो आदमी खेत में होंगे, एक को साथ ले लिया जाएगा और दूसरे को छोड़ दिया जाएगा। 41  दो औरतें हाथ से चक्की पीस रही होंगी, एक को साथ ले लिया जाएगा और दूसरी को छोड़ दिया जाएगा।+ 42  इसलिए जागते रहो क्योंकि तुम नहीं जानते कि तुम्हारा प्रभु किस दिन आ रहा है।+ 43  लेकिन एक बात जान लो कि अगर घर के मालिक को पता होता कि चोर किस पहर* आनेवाला है,+ तो वह जागता रहता और अपने घर में सेंध नहीं लगने देता।+ 44  इस वजह से तुम भी तैयार रहो+ क्योंकि जिस घड़ी तुमने सोचा भी न होगा, उस घड़ी इंसान का बेटा आ रहा है। 45  तो असल में वह विश्‍वासयोग्य और बुद्धिमान दास कौन है, जिसे उसके मालिक ने अपने घर के कर्मचारियों के ऊपर ठहराया है कि उन्हें सही वक्‍त पर खाना दे?+ 46  सुखी होगा वह दास अगर उसका मालिक आने पर उसे ऐसा ही करता पाए!+ 47  मैं तुमसे सच कहता हूँ, वह उसे अपनी सारी संपत्ति पर अधिकार देगा। 48  लेकिन अगर कभी वह दुष्ट दास अपने दिल में कहने लगे, ‘मेरा मालिक देर कर रहा है’+ 49  और अपने संगी दासों को पीटने लगे और बदनाम शराबियों के साथ खाने-पीने लगे, 50  तो उस दास का मालिक ऐसे दिन आएगा जिस दिन की उसने उम्मीद भी न की होगी और उस घड़ी आएगा जिसकी उसे खबर भी न होगी।+ 51  और वह उसे कड़ी-से-कड़ी सज़ा देगा और उस जगह फेंक देगा जहाँ कपटियों को फेंका जाता है। वहाँ वह रोएगा और दाँत पीसेगा।+

कई फुटनोट

या “ठोकर खाएँगे।”
या शायद, “बड़ी शक्‍ति और महिमा।”
या “रात में किस वक्‍त।”

अध्ययन नोट

सच: यूनानी शब्द आमीन, इब्रानी शब्द आमेन से लिया गया है जिसका मतलब है, “ऐसा ही हो” या “ज़रूर।” यीशु अकसर कोई बात, वादा या भविष्यवाणी करने से पहले इस शब्द का इस्तेमाल करता था ताकि वह जो कह रहा है उस पर लोगों को भरोसा हो। यीशु ने जिस तरह “सच” यानी आमीन शब्द का इस्तेमाल किया, वैसा दूसरी धार्मिक किताबों में नहीं हुआ है। जहाँ यह शब्द साथ-साथ आया है (आमीन-आमीन), वहाँ उस शब्द का अनुवाद “सच-सच” किया गया है, जैसे हम यूहन्‍ना की खुशखबरी की किताब में कई बार देख सकते हैं।​—यूह 1:51.

सच: मत 5:18 का अध्ययन नोट देखें।

इनका एक भी पत्थर दूसरे पत्थर के ऊपर हरगिज़ न बचेगा: यीशु ने जो भविष्यवाणी की थी वह ईसवी सन्‌ 70 में पूरी हुई। रोमी सेना ने यरूशलेम और उसके मंदिर का नाश कर दिया। उसकी शहरपनाह के कुछ हिस्से को छोड़ उसने पूरे शहर को मिट्टी में मिला दिया।

अंत: या “पूरी तरह अंत।” यहाँ जो यूनानी शब्द (टीलोस) इस्तेमाल हुआ है वह मत 24:3 में “आखिरी वक्‍त” के यूनानी शब्द (सिनटीलीया) से अलग है।​—मत 24:3 का अध्ययन नोट और शब्दावली में “दुनिया की व्यवस्था का आखिरी वक्‍त” देखें।

अंत: या “पूरी तरह अंत।”​—मत 24:3, 6 के अध्ययन नोट देखें।

जैतून पहाड़: यह यरूशलेम के पूरब में था। शहर और इस पहाड़ के बीच किदरोन घाटी थी। इस पहाड़ की ऊँचाई से यीशु और उसके चेले “पतरस, याकूब, यूहन्‍ना और अन्द्रियास” (मर 13:3, 4) शहर और उसके मंदिर को साफ देख सकते थे।

मौजूदगी: यूनानी शब्द पारूसीया का शाब्दिक मतलब है, “साथ-साथ रहना।” इस शब्द के लिए कई अनुवादों में “आने” शब्द इस्तेमाल किया गया है। लेकिन इसका मतलब ‘आना’ नहीं बल्कि मौजूदगी है यानी एक खास दौर। पारूसीया का यही मतलब है, यह बात हमें मत 24:37-39 से पता चलती है जहाँ ‘जलप्रलय से पहले के नूह के दिनों’ की तुलना “इंसान के बेटे की मौजूदगी” से की गयी है। फिल 2:12 में पौलुस ने दो समय के बारे में बताया, एक ‘जब वह उनके साथ था’ और दूसरा ‘जब वह उनसे दूर था’ और पहले समय के लिए उसने यही यूनानी शब्द इस्तेमाल किया।

दुनिया की व्यवस्था: या “ज़माने।” यहाँ यूनानी शब्द आयॉन का मतलब है, किसी दौर के हालात या कुछ खास बातें जो एक दौर या ज़माने को दूसरे दौर या ज़माने से अलग दिखाती हैं।​—शब्दावली में “दुनिया की व्यवस्था या व्यवस्थाएँ” देखें।

आखिरी वक्‍त: इनके यूनानी शब्द सिनटीलीया का मतलब है, “मिलकर अंत होना; एक-साथ अंत होना।” (मत 13:39, 40, 49; 28:20; इब्र 9:26) यहाँ उस दौर की बात की जा रही है जब कई घटनाएँ एक-साथ होंगी और उसके बाद दुनिया का पूरी तरह “अंत” हो जाएगा, जिसके बारे में मत 24:6, 14 में बताया गया है। इन आयतों में “अंत” के लिए एक अलग यूनानी शब्द टीलोस इस्तेमाल हुआ है।​—मत 24:6, 14 के अध्ययन नोट और शब्दावली में “दुनिया की व्यवस्था का आखिरी वक्‍त” देखें।

मसीह: यूनानी में हो ख्रिस्तौस। “मसीह” और “मसीहा” (इब्रानी में मशीआक) दोनों एक-जैसी उपाधियाँ हैं और इनका मतलब है, “अभिषिक्‍त जन।” यहूदी इतिहासकार जोसीफस ने बताया कि पहली सदी में कुछ ऐसे लोग थे जो भविष्यवक्‍ता या मुक्‍तिदाता होने का दावा करते थे। वे वादा करते थे कि वे लोगों को रोमियों के ज़ुल्मों से छुटकारा दिलाएँगे। शायद इनके हिमायती इन्हें लोगों का मसीहा मानते थे।

आखिरी वक्‍त: इनके यूनानी शब्द सिनटीलीया का मतलब है, “मिलकर अंत होना; एक-साथ अंत होना।” (मत 13:39, 40, 49; 28:20; इब्र 9:26) यहाँ उस दौर की बात की जा रही है जब कई घटनाएँ एक-साथ होंगी और उसके बाद दुनिया का पूरी तरह “अंत” हो जाएगा, जिसके बारे में मत 24:6, 14 में बताया गया है। इन आयतों में “अंत” के लिए एक अलग यूनानी शब्द टीलोस इस्तेमाल हुआ है।​—मत 24:6, 14 के अध्ययन नोट और शब्दावली में “दुनिया की व्यवस्था का आखिरी वक्‍त” देखें।

अंत: या “पूरी तरह अंत।” यहाँ जो यूनानी शब्द (टीलोस) इस्तेमाल हुआ है वह मत 24:3 में “आखिरी वक्‍त” के यूनानी शब्द (सिनटीलीया) से अलग है।​—मत 24:3 का अध्ययन नोट और शब्दावली में “दुनिया की व्यवस्था का आखिरी वक्‍त” देखें।

सारे जगत . . . सब राष्ट्रों: इन शब्दों से पता चलता है कि प्रचार काम कितने बड़े पैमाने पर किया जाएगा। “सारे जगत” के यूनानी शब्द (ओइकूमीने) का आम तौर पर मतलब होता है, पृथ्वी। (लूक 4:5; प्रेष 17:31; रोम 10:18; प्रक 12:9; 16:14) पहली सदी में यह शब्द विशाल रोमी साम्राज्य के लिए भी इस्तेमाल होता था, जहाँ यहूदी अलग-अलग जगहों में रहते थे। (लूक 2:1; प्रेष 24:5) “राष्ट्र” के लिए यूनानी शब्द (ईथनोस) का आम तौर पर मतलब होता है, ऐसे लोगों का समूह जिनका एक-दूसरे से खून का रिश्‍ता है और जो एक भाषा बोलते हैं। ऐसे लोग अकसर एक ही देश में रहते हैं।

राष्ट्र: यूनानी शब्द ईथनोस के कई मतलब हैं, जैसे एक देश में रहनेवाले लोग या एक जाति के लोग।​—मत 24:14 का अध्ययन नोट देखें।

हमला करेगा: या “के खिलाफ उठ खड़ा होगा; के खिलाफ भड़काया जाएगा।” यहाँ यूनानी शब्द का मतलब है, ‘दुश्‍मनी की वजह से किसी के खिलाफ कार्रवाई करना।’ इसलिए इसका अनुवाद इस तरह भी किया जा सकता है: “हथियारों से लैस होकर निकल पड़ना” या “युद्ध के लिए जाना।”

प्रसव-पीड़ा की तरह मुसीबतों: इनके यूनानी शब्द का शाब्दिक मतलब है, बच्चे को जन्म देते समय होनेवाली भयंकर पीड़ा। जब एक गर्भवती औरत की प्रसव-पीड़ा शुरू होती है, तो यह दर्द थोड़ी-थोड़ी देर में बार-बार उठता है, बढ़ता ही जाता है और कुछ समय तक रहता है। हालाँकि इस आयत में मुसीबतों और दुख-तकलीफों की बात की गयी है, लेकिन इनके यूनानी शब्द का इस्तेमाल शायद यह समझाने के लिए किया गया है कि मत 24:21 में बताए महा-संकट से पहले जब मुसीबतें और दुख-तकलीफें एक बार शुरू होंगी, तो वे बार-बार आती रहेंगी, बढ़ती जाएँगी और कुछ समय तक रहेंगी।

दुष्टता: इसके यूनानी शब्द के मतलब में कानून को तुच्छ समझना और उसे तोड़ना शामिल है। इस तरह दुष्टता करनेवाले लोग ऐसा व्यवहार करते हैं मानो कोई कानून है ही नहीं। बाइबल में इस यूनानी शब्द का मतलब है, परमेश्‍वर के कानून को तुच्छ समझना।​—मत 7:23; 2कुर 6:14; 2थि 2:3-7; 1यूह 3:4.

कई लोगों: यहाँ पर दुनिया के “ज़्यादातर लोगों” की बात की जा रही है क्योंकि उन पर ‘झूठे भविष्यवक्‍ताओं’ और “दुष्टता” का असर है, जैसा मत 24:11, 12 में बताया गया है।

अंत: या “पूरी तरह अंत।” यहाँ जो यूनानी शब्द (टीलोस) इस्तेमाल हुआ है वह मत 24:3 में “आखिरी वक्‍त” के यूनानी शब्द (सिनटीलीया) से अलग है।​—मत 24:3 का अध्ययन नोट और शब्दावली में “दुनिया की व्यवस्था का आखिरी वक्‍त” देखें।

अंत: या “पूरी तरह अंत।”​—मत 24:3, 6 के अध्ययन नोट देखें।

धीरज धरेगा: या “धीरज धरता है।” इनकी यूनानी क्रिया (हाइपोमेनो) का शाब्दिक मतलब है, “में बने (या टिके) रहना।” इसका अकसर मतलब होता है, “भागने के बजाय बने रहना; डटे रहना; लगे रहना; अटल रहना।” (मत 10:22; रोम 12:12; इब्र 10:32; याकू 5:11) इस संदर्भ में इस क्रिया का मतलब है, मसीह का चेला होने के नाते एक व्यक्‍ति का सही राह पर बने रहना, फिर चाहे इसके लिए उसे कितने भी विरोध या मुश्‍किलों का सामना क्यों न करना पड़े।​—मत 24:9-12.

अंत: मत 24:6, 14 के अध्ययन नोट देखें।

राज: यूनानी शब्द बसिलीया पहली बार इसी आयत में आता है। इसका मतलब सिर्फ एक राज नहीं बल्कि राजा का शासन-क्षेत्र और उसकी प्रजा भी है। शब्द बसिलीया मसीही यूनानी शास्त्र में 162 बार आया है। इनमें से 55 बार मत्ती की किताब में आया है और ज़्यादातर यह परमेश्‍वर के राज के लिए इस्तेमाल हुआ है, जो स्वर्ग में है। मत्ती ने “राज” शब्द इतनी बार इस्तेमाल किया कि उसकी किताब को राज की खुशखबरी की किताब कहा जा सकता है।​—शब्दावली में “परमेश्‍वर का राज” देखें।

खुशखबरी: यहाँ यूनानी शब्द इयूएजीलियोन पहली बार आया है, जिसे बाइबल के कई हिंदी अनुवादों में “सुसमाचार” लिखा गया है। इससे संबंधित यूनानी शब्द इयूएजीलिसतीस का अनुवाद “प्रचारक” किया गया है जिसका मतलब है, “खुशखबरी सुनानेवाला।”​—प्रेष 21:8; इफ 4:11, फु.; 2ती 4:5, फु.

प्रचार करने लगा: इनके यूनानी शब्द का बुनियादी मतलब है, “लोगों को सरेआम संदेश सुनाना।” इससे संदेश सुनाने का तरीका पता चलता है और वह है: सरेआम सब लोगों को संदेश सुनाना, न कि एक समूह को उपदेश देना।

आखिरी वक्‍त: इनके यूनानी शब्द सिनटीलीया का मतलब है, “मिलकर अंत होना; एक-साथ अंत होना।” (मत 13:39, 40, 49; 28:20; इब्र 9:26) यहाँ उस दौर की बात की जा रही है जब कई घटनाएँ एक-साथ होंगी और उसके बाद दुनिया का पूरी तरह “अंत” हो जाएगा, जिसके बारे में मत 24:6, 14 में बताया गया है। इन आयतों में “अंत” के लिए एक अलग यूनानी शब्द टीलोस इस्तेमाल हुआ है।​—मत 24:6, 14 के अध्ययन नोट और शब्दावली में “दुनिया की व्यवस्था का आखिरी वक्‍त” देखें।

अंत: या “पूरी तरह अंत।” यहाँ जो यूनानी शब्द (टीलोस) इस्तेमाल हुआ है वह मत 24:3 में “आखिरी वक्‍त” के यूनानी शब्द (सिनटीलीया) से अलग है।​—मत 24:3 का अध्ययन नोट और शब्दावली में “दुनिया की व्यवस्था का आखिरी वक्‍त” देखें।

राज: यानी परमेश्‍वर का राज। पूरे मसीही यूनानी शास्त्र में “खुशखबरी” (इसी आयत में इस खुशखबरी पर अध्ययन नोट देखें) परमेश्‍वर के राज से जुड़ी है। यीशु ने इसी के बारे में प्रचार किया और सिखाया।​—मत 3:2; 4:23; लूक 4:43 के अध्ययन नोट देखें।

इस खुशखबरी: यूनानी शब्द इयूएजीलियोन दो शब्दों से मिलकर बना है। एक है इयू जिसका मतलब है, “अच्छा” और दूसरा है एजीलोस जिसका मतलब है, “खबर लानेवाला; ऐलान (या घोषणा) करनेवाला।” (शब्दावली में “खुशखबरी” देखें।) बाइबल के कुछ हिंदी अनुवादों में इसे “सुसमाचार” कहा गया है। इससे संबंधित यूनानी शब्द इयूएजीलिसतीस का मतलब है, “खुशखबरी सुनानेवाला” और इसका अनुवाद “प्रचारक” किया गया है।​—प्रेष 21:8; इफ 4:11, फु.; 2ती 4:5, फु.

सारे जगत . . . सब राष्ट्रों: इन शब्दों से पता चलता है कि प्रचार काम कितने बड़े पैमाने पर किया जाएगा। “सारे जगत” के यूनानी शब्द (ओइकूमीने) का आम तौर पर मतलब होता है, पृथ्वी। (लूक 4:5; प्रेष 17:31; रोम 10:18; प्रक 12:9; 16:14) पहली सदी में यह शब्द विशाल रोमी साम्राज्य के लिए भी इस्तेमाल होता था, जहाँ यहूदी अलग-अलग जगहों में रहते थे। (लूक 2:1; प्रेष 24:5) “राष्ट्र” के लिए यूनानी शब्द (ईथनोस) का आम तौर पर मतलब होता है, ऐसे लोगों का समूह जिनका एक-दूसरे से खून का रिश्‍ता है और जो एक भाषा बोलते हैं। ऐसे लोग अकसर एक ही देश में रहते हैं।

प्रचार किया जाएगा: या “सरेआम ऐलान किया जाएगा।”​—मत 3:1 का अध्ययन नोट देखें।

अंत: या “पूरी तरह अंत।”​—मत 24:3, 6 के अध्ययन नोट देखें।

पवित्र शहर यरूशलेम: यरूशलेम को अकसर पवित्र इसलिए कहा गया है क्योंकि यहीं पर यहोवा का मंदिर था।​—नहे 11:1; यश 52:1.

पवित्र जगह: जब यह भविष्यवाणी पहली बार पूरी हुई तो “पवित्र जगह” का मतलब था, यरूशलेम और उसका मंदिर।​—मत 4:5 का अध्ययन नोट देखें।

यहूदिया: एक रोमी प्रांत।

पहाड़ों की तरफ: चौथी सदी के इतिहासकार युसेबियस के मुताबिक यहूदिया और यरूशलेम में रहनेवाले मसीही भागकर यरदन नदी के पार पेल्ला शहर चले गए थे। यह शहर दिकापुलिस के पहाड़ी इलाके में था।

घर की छत पर: इसराएलियों के घरों की छतें सपाट होती थीं और उन पर कई काम होते थे। जैसे, छत पर चीज़ें रखी जाती थीं (यह 2:6), लोग आराम करते थे (2शम 11:2), सोते थे (1शम 9:26) और त्योहार मनाते थे (नहे 8:16-18)। इसलिए कानून के मुताबिक छत पर मुँडेर बनाना ज़रूरी था। (व्य 22:8) आम तौर पर छत पर जाने के लिए घर के बाहर से जीना बनाया जाता था या सीढ़ी लगायी जाती थी और लोग घर के अंदर आए बिना ही छत से उतरकर बाहर जा सकते थे। तो जब यीशु ने आयत में लिखी बात कही तो उसका मतलब था कि उन्हें फौरन कदम उठाना था।

सर्दियों के मौसम में: इस मौसम में ज़ोरदार बारिश, बाढ़ और कड़ाके की ठंड पड़ती थी। ऐसे में सफर करना और खाने और ठहरने की जगह का बंदोबस्त करना मुश्‍किल हो सकता था।​—एज 10:9, 13.

सब्त के दिन: सब्त के नियम की वजह से यहूदिया जैसे इलाकों में कई पाबंदियाँ थीं, इसलिए एक व्यक्‍ति के लिए लंबा सफर करना या बोझ उठाना मुश्‍किल हो सकता था। साथ ही, सब्त के दिन शहरों के फाटक भी बंद रहते थे।​—प्रेष 1:12 और अति. ख12 देखें।

मसीह: यूनानी में हो ख्रिस्तौस। “मसीह” और “मसीहा” (इब्रानी में मशीआक) दोनों एक-जैसी उपाधियाँ हैं और इनका मतलब है, “अभिषिक्‍त जन।” यहूदी इतिहासकार जोसीफस ने बताया कि पहली सदी में कुछ ऐसे लोग थे जो भविष्यवक्‍ता या मुक्‍तिदाता होने का दावा करते थे। वे वादा करते थे कि वे लोगों को रोमियों के ज़ुल्मों से छुटकारा दिलाएँगे। शायद इनके हिमायती इन्हें लोगों का मसीहा मानते थे।

झूठे मसीह: या “झूठे मसीहा।” यूनानी शब्द स्यूडोख्रिस्तौस सिर्फ इस आयत में और मर 13:22 में आता है जहाँ यही ब्यौरा दर्ज़ है। इसका मतलब है, ऐसा हर इंसान जो मसीह या मसीहा (शा., “अभिषिक्‍त जन”) होने का दावा करता है।​—मत 24:5 का अध्ययन नोट देखें।

देख!: इसका यूनानी शब्द आइडू है और इसका इस्तेमाल अकसर आगे की बात पर ध्यान खींचने के लिए किया गया है ताकि पढ़नेवाला बतायी जा रही घटना की कल्पना कर सके या उसकी बारीकी पर ध्यान दे सके। यह शब्द किसी बात पर ज़ोर देने के लिए या कोई नयी या हैरानी की बात बताने से पहले भी इस्तेमाल किया गया है। मसीही यूनानी शास्त्र में यह शब्द सबसे ज़्यादा बार मत्ती, लूका और प्रकाशितवाक्य की किताबों में आया है। इसी से मिलता-जुलता शब्द इब्रानी शास्त्र में भी अकसर इस्तेमाल हुआ है।

देखो!: मत 1:23 का अध्ययन नोट देखें।

इंसान के बेटे: ये शब्द खुशखबरी की किताबों में करीब 80 बार आते हैं। यीशु ने ये शब्द खुद के लिए इस्तेमाल किए। ज़ाहिर है उसने ऐसा इसलिए किया ताकि साबित हो सके कि वह वाकई एक इंसान है और औरत से जन्मा है और आदम के बराबर है। इसलिए उसके पास इंसानों को पाप और मौत से छुड़ाने का अधिकार है। (रोम 5:12, 14, 15) इन शब्दों से यह भी पता चलता है कि यीशु ही मसीहा या मसीह है।​—दान 7:13, 14; शब्दावली में “इंसान का बेटा” देखें।

मौजूदगी: यूनानी शब्द पारूसीया का शाब्दिक मतलब है, “साथ-साथ रहना।” इस शब्द के लिए कई अनुवादों में “आने” शब्द इस्तेमाल किया गया है। लेकिन इसका मतलब ‘आना’ नहीं बल्कि मौजूदगी है यानी एक खास दौर। पारूसीया का यही मतलब है, यह बात हमें मत 24:37-39 से पता चलती है जहाँ ‘जलप्रलय से पहले के नूह के दिनों’ की तुलना “इंसान के बेटे की मौजूदगी” से की गयी है। फिल 2:12 में पौलुस ने दो समय के बारे में बताया, एक ‘जब वह उनके साथ था’ और दूसरा ‘जब वह उनसे दूर था’ और पहले समय के लिए उसने यही यूनानी शब्द इस्तेमाल किया।

इंसान के बेटे: मत 8:20 का अध्ययन नोट देखें।

मौजूदगी: मत 24:3 का अध्ययन नोट देखें।

दुख के मारे छाती पीटेंगी: या “मातम मनाएँगी।” एक इंसान जब बार-बार अपनी छाती पीटता है तो इससे ज़ाहिर होता है कि उसका गम बरदाश्‍त से बाहर है, या वह बहुत दोषी महसूस कर रहा है या बहुत पछता रहा है।​—यश 32:12; नहू 2:7; लूक 23:48.

आकाश के बादलों: बादलों की वजह से चीज़ें साफ नहीं बल्कि धुँधली नज़र आती हैं। (प्रेष 1:9) इसलिए यहाँ मन की आँखों से ‘देखने’ की बात की गयी है।

देखेंगे: इसकी यूनानी क्रिया का शाब्दिक मतलब है, “कोई चीज़ देखना; निहारना।” मगर यह क्रिया रूपक अलंकार के तौर पर भी इस्तेमाल की जा सकती है। इसलिए इसका मतलब “समझना; जानना” भी हो सकता है।​—इफ 1:18.

चारों दिशाओं: शा., “चारों हवाओं।” यह एक मुहावरा है जिसका मतलब है चार दिशाएँ: उत्तर, दक्षिण, पूरब, पश्‍चिम। इससे पता चलता है कि “सब दिशाओं से; सब जगहों से” चुने हुओं को इकट्ठा किया जाएगा।​—यिर्म 49:36; यहे 37:9; दान 8:8.

मिसालें: या “नीति-कथाएँ।” यूनानी शब्द पैराबोले का शाब्दिक मतलब है, “के पास (या साथ-साथ) रखना।” इस शब्द का मतलब एक नीति-कथा, नीतिवचन या मिसाल भी हो सकता है। यीशु अकसर किसी बात को समझाने के लिए एक चीज़ को उससे मिलती-जुलती दूसरी चीज़ ‘के पास रखता’ यानी उससे तुलना करता था। (मर 4:30) उसकी मिसालें छोटी होती थीं और अकसर काल्पनिक कहानियाँ होती थीं, जिनसे कोई नैतिक शिक्षा या परमेश्‍वर के बारे में सच्चाई सीखने को मिलती थी।

मिसाल: या “नीति-कथा।”​—मत 13:3 का अध्ययन नोट देखें।

आकाश और पृथ्वी मिट जाएँगे: बाइबल की दूसरी आयतों से पता चलता है कि आकाश और पृथ्वी हमेशा रहेंगे। (उत 9:16; भज 104:5; सभ 1:4) इसलिए कहा जा सकता है कि यीशु अतिशयोक्‍ति अलंकार का इस्तेमाल कर रहा था, जिसका मतलब है कि भले ही नामुमकिन घटना हो जाए यानी आकाश और पृथ्वी मिट जाएँ, मगर यीशु की बात पूरी होकर रहेगी। (मत 5:18 से तुलना करें।) लेकिन लगता है कि यहाँ लाक्षणिक आकाश और पृथ्वी की बात की गयी है, जिन्हें प्रक 21:1 में “पुराना आकाश और पुरानी पृथ्वी” कहा गया है।

मेरे शब्द कभी नहीं मिटेंगे: या “मेरे शब्द किसी भी हाल में नहीं मिटेंगे।” यहाँ यूनानी में क्रिया के साथ दो ऐसे शब्द इस्तेमाल हुए जिनका मतलब है, “नहीं।” यह दिखाता है कि यीशु की कही बात पूरी न हो, यह कभी सोचा भी नहीं जा सकता। इस तरह इस बात पर ज़ोर दिया गया है कि यीशु ने जो कहा वह पूरा होकर ही रहेगा।

मौजूदगी: यूनानी शब्द पारूसीया का शाब्दिक मतलब है, “साथ-साथ रहना।” इस शब्द के लिए कई अनुवादों में “आने” शब्द इस्तेमाल किया गया है। लेकिन इसका मतलब ‘आना’ नहीं बल्कि मौजूदगी है यानी एक खास दौर। पारूसीया का यही मतलब है, यह बात हमें मत 24:37-39 से पता चलती है जहाँ ‘जलप्रलय से पहले के नूह के दिनों’ की तुलना “इंसान के बेटे की मौजूदगी” से की गयी है। फिल 2:12 में पौलुस ने दो समय के बारे में बताया, एक ‘जब वह उनके साथ था’ और दूसरा ‘जब वह उनसे दूर था’ और पहले समय के लिए उसने यही यूनानी शब्द इस्तेमाल किया।

मौजूदगी: मत 24:3 का अध्ययन नोट देखें।

जलप्रलय: या “बाढ़; प्रलय।” यूनानी शब्द कैटाक्लिसमॉस का मतलब है, ऐसी भयंकर बाढ़ जिससे सबकुछ तबाह हो जाता है। बाइबल में यह शब्द नूह के दिनों में आए जलप्रलय के लिए इस्तेमाल हुआ है।​—मत 24:39; लूक 17:27; 2पत 2:5.

जहाज़: यूनानी शब्द का अनुवाद “बक्सा” भी किया जा सकता है। यह एक बड़े आयताकार बक्से जैसा जलपोत था और माना जाता है कि इसका निचला हिस्सा सपाट था।

जागते रहो: यीशु ने ज़ोर देकर कहा कि उसके चेलों को लाक्षणिक तौर पर जागते रहना है क्योंकि वे नहीं जानते कि वह किस दिन या किस घड़ी आएगा। (मत 24:42; 25:13 के अध्ययन नोट देखें) उसने यह बात यहाँ और मत 26:41 में दोहरायी जहाँ उसने बताया कि जागते रहने के लिए प्रार्थना करते रहना चाहिए। जागते रहने का बढ़ावा मसीही यूनानी शास्त्र में कई बार दिया गया है, जो दिखाता है कि सच्चे मसीहियों के लिए ऐसा करना बहुत ज़रूरी है।​—1कुर 16:13; कुल 4:2; 1थि 5:6; 1पत 5:8; प्रक 16:15.

जागते रहो: यूनानी शब्द का बुनियादी मतलब है, “जागते रहना।” मगर कई जगहों पर इसका मतलब है, “सावधान रहना; चौकन्‍ना रहना।” मत्ती ने यह शब्द मत 24:43; 25:13; 26:38, 40, 41 में इस्तेमाल किया। मत 24:44 में लिखी बात से पता चलता है कि इसका नाता ‘तैयार रहने’ से भी है।​—मत 26:38 का अध्ययन नोट देखें।

बुद्धिमान: या “सूझ-बूझ से काम लेनेवाला।” यहाँ इस्तेमाल हुए यूनानी शब्द में यह सब शामिल है: अंदरूनी समझ, पहले से सोचना, समझदारी, होशियारी और समझ-बूझ से काम लेना। यही यूनानी शब्द मत 7:24 और 25:2, 4, 8, 9 में आया है। सेप्टुआजेंट में यह शब्द उत 41:33, 39 में यूसुफ के सिलसिले में इस्तेमाल हुआ है।

अपने घर के कर्मचारियों: या “अपने घर के सेवकों।”

कपटी: यूनानी शब्द हिपोक्रिटस पहले यूनान के (और बाद में रोम के) रंगमंच के अभिनेताओं के लिए इस्तेमाल होता था। ये अभिनेता ऐसे बड़े-बड़े मुखौटे पहनते थे जिनसे उनकी आवाज़ दूर तक सुनायी दे। आगे चलकर यह शब्द उन लोगों के लिए इस्तेमाल होने लगा जो अपने असली इरादे या अपनी शख्सियत छिपाने के इरादे से ढोंग या दिखावा करते हैं। यहाँ यीशु ने यहूदी धर्म गुरुओं को “कपटी” या ‘पाखंडी’ कहा।​—मत 6:5, 16.

दाँत पीसेंगे: या “दाँत किटकिटाएँगे।” एक इंसान शायद चिंता, निराशा या गुस्से की वजह से ऐसा करे। साथ ही, वह शायद कड़वी बातें भी कहे या हिंसा करे।

उसे कड़ी-से-कड़ी सज़ा देगा: शा., “उसके दो टुकड़े कर देगा।” इन शब्दों का यह मतलब नहीं कि वाकई उसके दो टुकड़े कर दिए जाएँगे बल्कि इसका मतलब है, उसे सख्त सज़ा दी जाएगी।

कपटियों: मत 6:2 का अध्ययन नोट देखें।

दाँत पीसेगा: मत 8:12 का अध्ययन नोट देखें।

तसवीर और ऑडियो-वीडियो

जिस पहाड़ पर मंदिर था वहाँ के पत्थर
जिस पहाड़ पर मंदिर था वहाँ के पत्थर

ये पत्थर यरूशलेम की पश्‍चिमी दीवार के दक्षिणी हिस्से के पास पड़े हुए हैं। माना जाता है कि ये पत्थर पहली सदी के मंदिर के हैं। इन्हें यूँ ही छोड़ दिया गया है ताकि ये लोगों को याद दिलाते रहें कि रोमी लोगों ने यरूशलेम और उसके मंदिर का नाश किया था।

जैतून पहाड़
जैतून पहाड़

जैतून पहाड़ (1) चूना-पत्थर की गोलाकार पहाड़ियों की शृंखला है। यह पहाड़ यरूशलेम के पूरब में है और बीच में किदरोन घाटी है। जिस पहाड़ पर मंदिर (2) होता था, उसके ठीक सामने जैतून पहाड़ की सबसे ऊँची चोटी है और उसकी ऊँचाई करीब 2,664 फुट (812 मी.) है। आम तौर पर इसी चोटी को बाइबल में जैतून पहाड़ कहा गया है। इसी चोटी पर यीशु ने अपने चेलों को अपनी मौजूदगी की निशानी बतायी।

ओढ़ना या चोगा
ओढ़ना या चोगा

यूनानी शब्द ईमाटियोन का अनुवाद “ओढ़ना” या “चोगा” किया गया है। मुमकिन है कि इसका इब्रानी शब्द सिमलाह है। कुछ आयतों में इसका मतलब एक ढीला-ढाला चोगा रहा होगा, लेकिन अकसर इसका मतलब होता है, एक आयताकार कपड़ा। यह आसानी से पहना और उतारा जा सकता था।

अंजीर का पेड़
अंजीर का पेड़

वसंत के मौसम में अंजीर के पेड़ की डालियाँ बढ़ती हैं और उन पर नयी पत्तियाँ और पहली फसल के फल लगते हैं। इसराएल में अंजीर के पेड़ में आम तौर पर फरवरी में फल लगते हैं और अप्रैल के आखिर में या मई में नयी पत्तियाँ आती हैं। इससे पता चलता है कि गरमियों का मौसम पास है। (मत 24:32) अंजीर का पेड़ साल में दो बार फलता है। इसकी पहली फसल जून या जुलाई की शुरूआत में पककर तैयार होती है। (यश 28:4; यिर्म 24:2; हो 9:10) जब पेड़ पर नयी छाल आती है, तब दूसरी फसल लगती है और अगस्त से पकनी शुरू हो जाती है। यह मुख्य फसल होती है।

हाथ की चक्की
हाथ की चक्की

बाइबल के ज़माने में कई तरह की चक्कियाँ होती थीं जिनमें से एक थी, हाथ की चक्की। इसे आम तौर पर दो औरतें चलाती थीं। (लूक 17:35) वे आमने-सामने बैठती थीं और चक्की के ऊपरी पाट पर लगे हत्थे को दोनों एक-एक हाथ से पकड़कर घुमाती थीं। एक औरत अपने दूसरे हाथ से पाट में बने छेद में थोड़ा-थोड़ा करके अनाज डालती रहती थी। चक्की के नीचे एक तश्‍तरी रखी जाती थी या एक कपड़ा बिछाया जाता था जिस पर पिसा हुआ अनाज गिरता था। दूसरी औरत इस पिसे हुए अनाज को इकट्ठा करती जाती थी। औरतें हर दिन सुबह-सुबह उठकर अनाज पीसती थीं और उसी से दिन में रोटी बनाती थीं।