लूका के मुताबिक खुशखबरी 17:1-37

17  फिर यीशु ने अपने चेलों से कहा, “ऐसा हो नहीं सकता कि विश्‍वास की राह में बाधाएँ न आएँ। मगर उस इंसान के साथ बहुत बुरा होगा जो विश्‍वास की राह में बाधा बनता है।+  ऐसे इंसान के लिए यही अच्छा होगा कि उसके गले में चक्की का पाट लटकाया जाए और उसे समुंदर में फेंक दिया जाए, बजाय इसके कि वह इन छोटों में से किसी एक को भी ठोकर खिलाए।+  खुद पर ध्यान दे। अगर तेरा भाई पाप करता है तो उसे डाँट+ और अगर वह पश्‍चाताप करता है तो उसे माफ कर।+  चाहे वह तेरे खिलाफ दिन में सात बार पाप करे और सातों बार तेरे पास आकर कहे, ‘मैं पछता रहा हूँ,’ तो तुझे उसे माफ करना है।”+  फिर प्रेषितों ने प्रभु से कहा, “हमारा विश्‍वास बढ़ा।”+  तब प्रभु ने कहा, “अगर तुम्हारे अंदर राई के दाने के बराबर भी विश्‍वास है, तो तुम शहतूत के इस पेड़ से कहोगे, ‘यहाँ से उखड़कर समुंदर में जा लग!’ और वह तुम्हारा कहना मानेगा।+  तुममें ऐसा कौन है जिसका दास हल जोतकर या भेड़-बकरियाँ चराकर खेतों से वापस आए, तो वह दास से कहे, ‘फौरन यहाँ आ और खाने के लिए बैठ’?  इसके बजाय क्या वह उससे यह न कहेगा, ‘मेरे शाम के खाने के लिए कुछ तैयार कर और जब तक मैं खा-पी न लूँ तब तक कमर में अंगोछा बाँधकर मेरी सेवा कर, फिर बाद में तू खा-पी लेना’?  क्या वह उस दास का एहसान मानेगा कि उसने वे सारे काम किए जो उसे दिए गए थे? 10  इसी तरह जब तुम वे सारे काम कर लो जो तुम्हें दिए गए हैं, तो कहना, ‘हम निकम्मे दास हैं। हमने बस वही किया है, जो हमें करना चाहिए था।’”+ 11  यीशु यरूशलेम जाते वक्‍त सामरिया और गलील के बीच से होते हुए गया। 12  जब वह एक गाँव में जा रहा था, तो दस कोढ़ियों ने उसे देखा मगर वे दूर खड़े रहे।+ 13  उन्होंने ज़ोर से पुकारा, “हे गुरु यीशु, हम पर दया कर!” 14  उन्हें देखकर यीशु ने कहा, “जाओ और खुद को याजकों को दिखाओ।”+ जब वे जा रहे थे, तो रास्ते में ही वे शुद्ध हो गए।+ 15  उनमें से एक ने देखा कि वह ठीक हो गया है और वह ज़ोर-ज़ोर से परमेश्‍वर का गुणगान करता हुआ वापस आया। 16  वह यीशु के पाँवों पर मुँह के बल गिरा और उसका धन्यवाद करने लगा। और देखो! वह एक सामरी+ था। 17  उसे देखकर यीशु ने कहा, “क्या दसों के दस शुद्ध नहीं हुए थे? तो फिर बाकी नौ कहाँ हैं? 18  दूसरी जाति के इस आदमी को छोड़, क्या एक भी आदमी परमेश्‍वर की महिमा करने वापस नहीं आया?” 19  उसने उस आदमी से कहा, “उठ और अपने रास्ते चला जा। तेरे विश्‍वास ने तुझे ठीक किया है।”*+ 20  जब फरीसियों ने उससे पूछा कि परमेश्‍वर का राज कब आ रहा है,+ तो उसने जवाब दिया, “परमेश्‍वर का राज ऐसे अनोखे तरीके से नहीं आ रहा कि उसे साफ-साफ देखा जा सके 21  और लोग कहें, ‘वह यहाँ है!’ या ‘वहाँ है!’ इसलिए कि देखो! परमेश्‍वर का राज तुम्हारे ही बीच है।”+ 22  फिर उसने चेलों से कहा, “वह वक्‍त आएगा जब तुम इंसान के बेटे के दिनों में से एक दिन देखना चाहोगे, मगर न देख सकोगे।+ 23  लोग तुमसे कहेंगे, ‘देखो वह वहाँ है!’ या ‘यहाँ है!’ पर तुम बाहर मत जाना, न उनके पीछे भागना।+ 24  इसलिए कि जैसे बिजली आकाश के एक छोर से चमकती हुई दूसरे छोर तक दिखायी देती है, वैसे ही इंसान का बेटा+ अपने दिन में होगा।+ 25  मगर इससे पहले उसे बहुत-सी दुख-तकलीफें सहनी होंगी और यह पीढ़ी उसे ठुकरा देगी।+ 26  और ठीक जैसा नूह के दिनों में हुआ था,+ वैसा ही इंसान के बेटे के दिनों में होगा।+ 27  जिस दिन तक नूह जहाज़ के अंदर+ नहीं गया और जलप्रलय ने आकर सबको नाश+ नहीं कर दिया, उस दिन तक लोग खा-पी रहे थे और शादी-ब्याह कर रहे थे। 28  इसी तरह लूत के दिनों में+ भी लोग खा-पी रहे थे, खरीद रहे थे, बेच रहे थे, बीज बो रहे थे और घर बना रहे थे। 29  लेकिन जिस दिन लूत सदोम से बाहर आया, उस दिन आकाश से आग और गंधक बरसी और सब नाश हो गए।+ 30  जिस दिन इंसान का बेटा प्रकट होगा,+ उस दिन भी ऐसा ही होगा। 31  उस दिन जो इंसान घर की छत पर हो मगर उसका सामान घर के अंदर हो, वह उन्हें लेने के लिए नीचे न उतरे। उसी तरह जो आदमी खेत में हो, वह भी उन चीज़ों को लेने वापस न लौटे जो पीछे छूट गयी हैं।+ 32  लूत की पत्नी+ को याद रखो। 33  जो कोई अपनी जान बचाने की कोशिश करता है वह उसे खोएगा, लेकिन जो कोई उसे गँवाता है वह उसे बचाएगा।+ 34  मैं तुमसे कहता हूँ, उस रात दो आदमी एक पलंग पर होंगे। एक को साथ ले लिया जाएगा, मगर दूसरे को छोड़ दिया जाएगा।+ 35  दो औरतें एक ही चक्की से पीस रही होंगी। एक को साथ ले लिया जाएगा और दूसरी को छोड़ दिया जाएगा।” 36  — 37  तब उन्होंने उससे पूछा, “कहाँ प्रभु?” उसने कहा, “जहाँ लाश है, वहीं उकाब जमा होंगे।”+

कई फुटनोट

या “तुझे बचा लिया है।”

अध्ययन नोट

विश्‍वास की राह में बाधाएँ: या “ठोकर खिलाने की वजह।” माना जाता है कि शुरू में इनके यूनानी शब्द स्कानडेलॉन का मतलब था, एक फंदा। कुछ लोगों का मानना है कि इस फंदे में एक छड़ी लगी होती थी जिसमें चारा लगाया जाता था। इसलिए यह शब्द ऐसी बाधा के लिए इस्तेमाल होने लगा जिससे कोई ठोकर खाकर गिर सकता था। लाक्षणिक तौर पर इसका मतलब है, ऐसा कोई काम या ऐसे हालात जिनमें फँसकर एक इंसान गलत रास्ता अपना सकता है, या नैतिक तौर पर ठोकर खा सकता है, या पाप कर सकता है। इसी शब्द से जुड़ी यूनानी क्रिया स्कानडेलाइज़ो का अनुवाद लूक 17:2 में “ठोकर खिलाए” किया गया है। इस क्रिया का अनुवाद यह भी किया जा सकता है: “फंदा बने; पाप में पड़ने की वजह बने।”

77 बार: शा., “सात बार के सत्तर गुने तक।” इनके यूनानी शब्दों का मतलब या तो “70 और 7” (77 बार) हो सकता है, या “70 गुना 7” (490 बार)। यही यूनानी शब्द सेप्टुआजेंट में उत 4:24 में आए हैं और वहाँ भी इनके इब्रानी शब्द का अनुवाद “77 गुना” किया गया है। इससे पता चलता है कि यहाँ “77 बार” कहना सही है। इन शब्दों को जैसे भी समझा जाए, दो बार 7 के आने का मतलब है “सदा” या “असीमित।” जब यीशु ने पतरस से कहा कि वह 7 बार नहीं बल्कि 77 बार माफ करे, तो वह अपने चेलों को सिखा रहा था कि वे माफ करने के मामले में कोई हद न ठहराएँ। लेकिन बैबिलोनी तलमूद (योमा 86) में कहा गया है, “अगर कोई पहली बार, दूसरी बार या तीसरी बार गलती करे तो उसे माफ कर दिया जाए, लेकिन चौथी बार माफ न किया जाए।”

दिन में सात बार: इन शब्दों से पतरस को यीशु की वह बात याद आयी होगी जो उसने पहले कही थी। उस मौके पर पतरस ने यीशु से पूछा था कि एक व्यक्‍ति को अपने भाई को कितनी बार माफ करना चाहिए। यीशु ने जवाब दिया, “77 बार।” (मत 18:22 का अध्ययन नोट देखें।) यीशु ने पहले और इस आयत में जो बात कही, उसे शब्द-ब-शब्द नहीं लिया जाना चाहिए। यहाँ “सात बार” का मतलब है, अनगिनत बार। (भज 119:164 से तुलना करें, जहाँ “दिन में सात बार” शब्दों का मतलब है, बार-बार, लगातार, हमेशा।) हो सकता है कि एक मसीही अपने भाई के खिलाफ एक ही दिन में सात बार पाप करे। हर बार जब उसे डाँटा जाता है और वह पश्‍चाताप करता है, तो उसे माफ किया जाना चाहिए। जितनी बार वह पश्‍चाताप करता है उतनी बार उसे माफ किया जाना चाहिए, इसकी कोई सीमा नहीं होनी चाहिए।​—लूक 17:3.

राई के दाने: इसराएल के जंगलों में कई किस्म के राई (सरसों) के पौधे पाए जाते हैं। ज़्यादातर काली सरसों (ब्रैसिका नाइग्रा) उगायी जाती है। इसका बीज काफी छोटा होता है, 1-1.6 मि.मी. (0.039 से 0.063 इंच) व्यास और वज़न 1 मि.ग्रा., लेकिन इसका पौधा बड़ा होकर पेड़ जैसा दिखने लगता है। कुछ किस्म की सरसों के पौधे तो 15 फुट (4.5 मी.) तक लंबे होते हैं। इसे मत 13:32 और मर 4:31 में “बीजों में सबसे छोटा” कहा गया है। प्राचीन यहूदी लेखों में छोटी-से-छोटी माप बताने के लिए राई का दाना अलंकार के तौर पर इस्तेमाल किया जाता था। हालाँकि आज इससे भी छोटे बीज पाए जाते हैं, लेकिन ज़ाहिर है कि यीशु के दिनों में यही सबसे छोटा बीज था जिसकी इसराएल में खेती की जाती थी।

राई के दाने के बराबर: लूक 13:19 का अध्ययन नोट देखें।

शहतूत के इस पेड़: या “काले शहतूत के इस पेड़।” इस पेड़ का ज़िक्र बाइबल में सिर्फ एक बार आया है। इसका यूनानी शब्द आम तौर पर शहतूत के पेड़ के लिए इस्तेमाल होता था। इसराएल में काले शहतूत के पेड़ (मोरस निग्रा) उगाना आम है। यह एक मज़बूत पेड़ होता है जो करीब 20 फुट (6 मी.) तक बढ़ता है। इसके पत्ते बड़े और दिल के आकार के होते हैं। इसके फल गहरे लाल या काले रंग के होते हैं और ब्लैकबेरी जैसे दिखते हैं। इस पेड़ की जड़ें ज़मीन में दूर-दूर तक फैली होती हैं, इसलिए इसे उखाड़ने में बहुत मेहनत लगती है।

कमर कसकर तैयार रहो: शा., “कमर को लपेटना।” एक यूनानी मुहावरा जो आम तौर पर ऐसे हालात में इस्तेमाल होता है जब लोग कोई मेहनत का काम करने, दौड़ने या कुछ और करने के लिए अपने लंबे कपड़े के छोर को उठाकर कमरबंध से कस लेते थे। इसका मतलब है, काम के लिए हमेशा तैयार रहना। इसी से मिलते-जुलते शब्द इब्रानी शास्त्र में कई बार आए हैं। (उदाहरण के लिए: निर्ग 12:11, फु.; 1रा 18:46; 2रा 3:21, फु.; 4:29; नीत 31:17; यिर्म 1:17, फु.) इस संदर्भ में क्रिया का जो रूप इस्तेमाल हुआ है, उससे पता चलता है कि परमेश्‍वर के सेवकों को उपासना से जुड़े कामों के लिए हमेशा तैयार रहना है। लूक 12:37 में इसी यूनानी क्रिया का अनुवाद “सेवा करने के लिए अपनी कमर कसेगा” किया गया है। पहला पत 1:13 में “कड़ी मेहनत करने के लिए अपने दिमाग की सारी शक्‍ति बटोर लो” शब्दों का शाब्दिक मतलब है, “अपने दिमाग की कमर कस लो।”

वह खुद उनकी सेवा करने के लिए अपनी कमर कसेगा: लूक 12:35; 17:8 के अध्ययन नोट देखें।

कमर में अंगोछा बाँधकर: इनके यूनानी शब्द पैरिज़ोन-नाइमाइ का शाब्दिक मतलब है, “कस लो” यानी अंगोछा बाँधकर या कमरबंद से कपड़े कसकर सेवा करने के लिए तैयार होना। इस संदर्भ में इस यूनानी शब्द का अनुवाद ऐसे भी किया जा सकता है: “कपड़े पहनकर सेवा के लिए तैयार हो जा।” यही यूनानी शब्द लूक 12:35, 37 और इफ 6:14 में भी आया है।​—लूक 12:35, 37 के अध्ययन नोट देखें।

निकम्मे: शा., “बेकार; नाकारा।” यीशु यह नहीं कह रहा था कि दासों यानी उसके चेलों को अपने आपको बेकार या नाकारा समझना चाहिए। इसके बजाय, संदर्भ दिखाता है कि शब्द “निकम्मे” से यह समझ मिलती है कि चेलों को मर्यादा में रहना चाहिए, उन्हें यह नहीं सोचना चाहिए कि वे खास सम्मान या तारीफ के लायक हैं। कुछ विद्वानों का मानना है कि यह शब्द अतिशयोक्‍ति अलंकार के तौर पर इस्तेमाल हुआ है और इसका मतलब है, “हम बस दास हैं, हम इस लायक नहीं कि हम पर खास ध्यान दिया जाए।”

यरूशलेम जाते वक्‍त सामरिया और गलील के बीच से होते हुए: यीशु को यरूशलेम जाना था, लेकिन पहले वह एप्रैम शहर से उत्तर की तरफ गया। वह सामरिया और गलील (शायद इसके दक्षिणी भाग) से होते हुए पेरिया गया। इसी सफर के दौरान जब वह सामरिया या गलील के किसी गाँव में घुस रहा था, तब उसे दस कोढ़ी मिले। (लूक 17:12) अपनी मौत से पहले यह आखिरी बार था जब यीशु गलील गया।​—यूह 11:54; अति. क7 देखें।

दस कोढ़ियों: ज़ाहिर है कि बाइबल के ज़माने में कोढ़ी लोग एक-साथ इकट्ठा होते थे या साथ रहते थे। इस तरह वे एक-दूसरे की मदद कर पाते थे। (2रा 7:3-5) परमेश्‍वर के कानून में यह नियम था कि कोढ़ी लोग बस्ती से दूर अलग रहें। इसके अलावा, उन्हें लोगों को खबरदार करने के लिए ज़ोर-ज़ोर से कहना होता था, “मैं अशुद्ध हूँ, अशुद्ध!” (लैव 13:45, 46) इसी नियम को ध्यान में रखते हुए दस कोढ़ी यीशु से दूर खड़े रहे।​—मत्ती 8:2 का अध्ययन नोट और शब्दावली में “कोढ़; कोढ़ी” देखें।

एक कोढ़ी: एक गंभीर चर्मरोग से पीड़ित व्यक्‍ति। बाइबल में जिस कोढ़ का ज़िक्र मिलता है वह आज के कोढ़ जैसा नहीं था। जब किसी को कोढ़ हो जाता था तो उसे समाज से निकाल दिया जाता था। ठीक होने के बाद ही वह वापस आ सकता था।​—लैव 13:2, फु., 45, 46; शब्दावली में “कोढ़; कोढ़ी” देखें।

खुद को याजकों को दिखाओ: यीशु मसीह जब धरती पर था तो वह मूसा के कानून के अधीन था और जानता था कि हारून के वंशजों को याजक ठहराया गया है। इसलिए वह जिन कोढ़ियों को ठीक करता था, उनसे कहता था कि वे जाकर याजक को दिखाएँ। (मत 8:4; मर 1:44) कानून के मुताबिक, एक याजक को कोढ़ी की जाँच करके बताना होता था कि वह ठीक हो गया है। इसके लिए ठीक हुए कोढ़ी को मंदिर जाना होता था और अपने साथ भेंट ले जानी होती थी जिसमें दो शुद्ध चिड़ियाँ, देवदार की लकड़ी, सुर्ख लाल कपड़ा और मरुआ शामिल था।​—लैव 14:2-32.

वे शुद्ध हो गए: यीशु ने दस कोढ़ियों को ठीक किया, इस बारे में सिर्फ लूका ने बताया।

ऐसे अनोखे तरीके से . . . कि उसे साफ-साफ देखा जा सके: इनका यूनानी शब्द मसीही यूनानी शास्त्र में सिर्फ यहाँ आया है। यह शब्द एक क्रिया से निकला है जिसका मतलब है, “करीब से देखना; गौर करना।” कुछ विद्वानों के मुताबिक, चिकित्सा-क्षेत्र के लेखक जब किसी बीमारी के लक्षणों पर नज़र रखने के बारे में लिखते थे तो वे यही यूनानी शब्द इस्तेमाल करते थे। यह शब्द इस आयत में जिस तरह इस्तेमाल हुआ है, उससे पता चलता है कि परमेश्‍वर का राज ऐसे नहीं आ रहा है कि सबको साफ दिखायी दे।

तुम्हारे ही बीच है: मूल यूनानी पाठ में सर्वनाम “तुम्हारे” बहुवचन में है और ज़ाहिर है कि यह फरीसियों के लिए इस्तेमाल हुआ है, जिनसे यीशु बात कर रहा था। (लूक 17:20; कृपया मत 23:13 से तुलना करें।) यीशु परमेश्‍वर का शाही प्रतिनिधि था, यानी राजा बनने के लिए उसका अभिषेक परमेश्‍वर ने किया था। इसलिए यह कहा जा सकता था कि “राज” उनके बीच है। यीशु न सिर्फ अभिषिक्‍त राजा के नाते उनके बीच मौजूद था बल्कि उसके पास ऐसे काम करने का अधिकार भी था, जो काम वह राज-अधिकार पाने के बाद बड़े पैमाने पर करेगा। साथ ही, उसे उन लोगों को तैयार करने का अधिकार भी मिला था, जो उसके साथ राज करेंगे।​—लूक 22:29-30.

जैसे बिजली . . . चमकती हुई: राजा के तौर पर यीशु की मौजूदगी इस मायने में बिजली की तरह होती कि इसके सबूत उन सबको साफ दिखायी देते जो इसे देखने के लिए चौकस रहते।

वैसे ही इंसान का बेटा अपने दिन में होगा: या शायद, “वैसे ही इंसान का बेटा होगा।” कुछ प्राचीन हस्तलिपियों में यही शब्द दर्ज़ हैं, जबकि दूसरी प्राचीन हस्तलिपियों में वह लिखा है जो नयी दुनिया अनुवाद में है। बाइबल के बहुत-से अनुवादों में भी कुछ इसी तरह लिखा है: “वैसे ही इंसान का बेटा अपने दिन में होगा।”

मौजूदगी: यूनानी शब्द पारूसीया का शाब्दिक मतलब है, “साथ-साथ रहना।” इस शब्द के लिए कई अनुवादों में “आने” शब्द इस्तेमाल किया गया है। लेकिन इसका मतलब ‘आना’ नहीं बल्कि मौजूदगी है यानी एक खास दौर। पारूसीया का यही मतलब है, यह बात हमें मत 24:37-39 से पता चलती है जहाँ ‘जलप्रलय से पहले के नूह के दिनों’ की तुलना “इंसान के बेटे की मौजूदगी” से की गयी है। फिल 2:12 में पौलुस ने दो समय के बारे में बताया, एक ‘जब वह उनके साथ था’ और दूसरा ‘जब वह उनसे दूर था’ और पहले समय के लिए उसने यही यूनानी शब्द इस्तेमाल किया।

नूह के दिनों: बाइबल में शब्द “के दिनों” कभी-कभी उस दौर को बताने के लिए इस्तेमाल हुए हैं, जब कोई व्यक्‍ति जीया था। (यश 1:1; यिर्म 1:2, 3; लूक 17:28) यहाँ “नूह के दिनों” की तुलना इंसान के बेटे के दिनों से की गयी है। इसी से मिलती-जुलती बात मत 24:37 में दर्ज़ है, जहाँ “इंसान के बेटे की मौजूदगी” लिखा है। यीशु ने जब नूह के दिनों की बात की, तो उसका मतलब सिर्फ जलप्रलय नहीं था जो उस दौर के आखिर में आया था। हाँ, उसने यह ज़रूर ज़ाहिर किया कि उसके “दिनों” या “मौजूदगी” का अंत भी कुछ इसी तरह होगा। “नूह के दिनों” का मतलब था, ऐसा दौर जो कई सालों तक चला। इसलिए यह कहना सही होगा कि ‘इंसान के बेटे के दिन [या “की मौजूदगी”]’ भी कई सालों का दौर है, जिसके आखिर में उन सभी का नाश होगा जो उद्धार पाने के लिए मेहनत नहीं करते।​—मत 24:3 का अध्ययन नोट देखें।

जहाज़: मत 24:38 का अध्ययन नोट देखें।

जलप्रलय: या “बाढ़; प्रलय।” यूनानी शब्द कैटाक्लिसमॉस का मतलब है, ऐसी भयंकर बाढ़ जिससे सबकुछ तबाह हो जाता है। बाइबल में यह शब्द नूह के दिनों में आए जलप्रलय के लिए इस्तेमाल हुआ है।​—उत्प 6:17, सेप्टुआजेंट; मत 24:38, 39; 2पत 2:5.

जहाज़: यूनानी शब्द का अनुवाद “बक्सा” भी किया जा सकता है। यह एक बड़े आयताकार बक्से जैसा जलपोत था और माना जाता है कि इसका निचला हिस्सा सपाट था।

घर की छत पर: इसराएलियों के घरों की छतें सपाट होती थीं और उन पर कई काम होते थे। जैसे, छत पर चीज़ें रखी जाती थीं (यह 2:6), लोग आराम करते थे (2शम 11:2), सोते थे (1शम 9:26) और त्योहार मनाते थे (नहे 8:16-18)। इसलिए कानून के मुताबिक छत पर मुँडेर बनाना ज़रूरी था। (व्य 22:8) आम तौर पर छत पर जाने के लिए घर के बाहर से जीना बनाया जाता था या सीढ़ी लगायी जाती थी और लोग घर के अंदर आए बिना ही छत से उतरकर बाहर जा सकते थे। इसलिए इस आयत से पता चलता है कि एक व्यक्‍ति कैसे यीशु की चेतावनी मान सकता था और उसका ऐसा करना कितनी ज़रूरी था।

जान: शब्दावली में “जीवन” देखें।

साथ ले लिया जाएगा: इनका यूनानी शब्द अलग-अलग संदर्भों में अलग-अलग मतलब देने के लिए इस्तेमाल हुआ है और अकसर सकारात्मक रूप में। इसके कुछ उदाहरण हैं: मत 1:20, फु. (“अपने घर लाने”); मत 17:1 (“अपने साथ लिया”) और यूह 14:3 (“अपने घर ले जाऊँगा”)। ज़ाहिर है कि इस संदर्भ में इस यूनानी शब्द का मतलब है, “प्रभु” के साथ अच्छा रिश्‍ता होना और बचाया जाना। (लूक 17:37) इसकी तुलना जलप्रलय के समय नूह को जहाज़ में ले जाने और लूत को हाथ पकड़कर सदोम से बाहर ले जाने से भी की जा सकती है। (लूक 17:26-29) तो फिर छोड़ दिया जाएगा, इन शब्दों का मतलब है: नाश के लायक ठहराया जाना।

कुछ प्राचीन हस्तलिपियों में यहाँ यह लिखा है: “दो आदमी खेत में होंगे, एक को साथ ले लिया जाएगा और दूसरे को छोड़ दिया जाएगा।” लेकिन यह वाक्य सबसे पुरानी और भरोसेमंद हस्तलिपियों में नहीं पाया जाता। इससे ज़ाहिर है कि यह लूका के मूल पाठ का हिस्सा नहीं है। लेकिन इससे मिलता-जुलता वाक्य मत 24:40 में दर्ज़ है जो परमेश्‍वर की प्रेरणा से लिखे शास्त्र का हिस्सा है। कुछ विद्वानों का मानना है कि किसी नकल-नवीस ने मत्ती का यह वाक्य लूका की इस आयत में लिख दिया।​—अति. क3 देखें।

तसवीर और ऑडियो-वीडियो

चक्की का निचला और ऊपरी पाट
चक्की का निचला और ऊपरी पाट

यहाँ तसवीर में दिखायी बड़ी चक्की को गधे जैसे पालतू जानवर के ज़रिए घुमाया जाता था। यह चक्की अनाज पीसने या जैतून का तेल निकालने के काम आती थी। इसके ऊपरी पाट का व्यास करीब 5 फुट (1.5 मी.) होता था और निचला पाट उससे भी बड़ा होता था।

काले शहतूत का पेड़
काले शहतूत का पेड़

इस पेड़ (मोरस निग्रा ) का ज़िक्र बाइबल में सिर्फ एक बार आया है और वह भी तब, जब यीशु प्रेषितों से उनके विश्‍वास के बारे में बात कर रहा था। (लूक 17:5, 6) इस पेड़ के लिए जो यूनानी शब्द इस्तेमाल हुआ है, वह आम तौर पर शहतूत के पेड़ के लिए इस्तेमाल होता था। इसराएल में काले शहतूत के पेड़ उगाना आम है। यह एक मज़बूत पेड़ होता है जो करीब 20 फुट (6 मी.) तक बढ़ता है। इसके पत्ते बड़े और दिल के आकार के होते हैं। इसके फल गहरे लाल या काले रंग के होते हैं और ब्लैकबेरी जैसे दिखते हैं।