लूका के मुताबिक खुशखबरी 22:1-71

22  बिन-खमीर की रोटी का त्योहार जो फसह कहलाता है,+ पास आ रहा था।+  और प्रधान याजक और शास्त्री, यीशु को अपने रास्ते से हटाना चाहते थे+ मगर उन्हें लोगों का डर था, इसलिए वे कोई बढ़िया तरकीब ढूँढ़ रहे थे।+  फिर शैतान, यहूदा में समा गया जो इस्करियोती कहलाता था और जिसकी गिनती उन बारहों में होती थी।+  यहूदा निकलकर प्रधान याजकों और मंदिर के सरदारों के पास गया और उनसे इस बारे में बात की कि वह यीशु को किस तरह पकड़वाए।+  तब वे बहुत खुश हुए और उन्होंने कहा कि वे उसे चाँदी के सिक्के देंगे।+  यहूदा राज़ी हो गया और यीशु को पकड़वाने के लिए ऐसा मौका ढूँढ़ने लगा जब भीड़ उसके आस-पास न हो।  अब बिन-खमीर की रोटी के त्योहार का दिन आया, जब फसह का जानवर चढ़ाया जाना था।+  यीशु ने पतरस और यूहन्‍ना को यह कहकर भेजा, “जाओ और हमारे लिए फसह का खाना खाने की तैयारी करो।”+  उन्होंने पूछा, “तू कहाँ चाहता है कि हम इसकी तैयारी करें?”  10  उसने कहा, “देखो! जब तुम शहर में जाओगे तो तुम्हें एक आदमी पानी का घड़ा उठाए हुए मिलेगा। उसके पीछे-पीछे उस घर में जाना जिसमें वह जाएगा।+ 11  तुम उस घर के मालिक से कहना, ‘गुरु ने पूछा है, “मेहमानों का वह कमरा कहाँ है जहाँ मैं अपने चेलों के साथ फसह का खाना खाऊँ?”’  12  फिर वह तुम्हें ऊपर का एक बड़ा कमरा दिखाएगा जो सजा हुआ होगा। वहाँ इसकी तैयारी करना।”  13  तब वे निकल पड़े और जैसा उसने बताया था ठीक वैसा ही पाया और उन्होंने फसह की तैयारी की। 14  जब वह वक्‍त आया, तो वह अपने प्रेषितों के साथ खाना खाने बैठा।*+ 15  यीशु ने उनसे कहा, “मेरी बड़ी तमन्‍ना थी कि मैं दुख झेलने से पहले तुम्हारे साथ फसह का खाना खाऊँ।  16  क्योंकि मैं तुमसे कहता हूँ कि जब तक इससे जुड़ी हर बात परमेश्‍वर के राज में पूरी न हो जाए, तब तक मैं इसे फिर नहीं खाऊँगा।”  17  फिर एक प्याला लेकर उसने प्रार्थना में धन्यवाद दिया और कहा, “इसे लो और एक-एक करके इसमें से पीओ।  18  इसलिए कि मैं तुमसे कहता हूँ कि मैं यह दाख-मदिरा तब तक दोबारा नहीं पीऊँगा जब तक परमेश्‍वर का राज नहीं आता।”+ 19  फिर उसने एक रोटी ली+ और प्रार्थना में धन्यवाद देकर उसे तोड़ा और यह कहते हुए उन्हें दिया, “यह मेरे शरीर की निशानी है,+ जो तुम्हारी खातिर दिया जाना है।+ मेरी याद में ऐसा ही किया करना।”+ 20  जब वे शाम का खाना खा चुके तो उसने प्याला लेकर भी ऐसा ही किया और कहा, “यह प्याला उस नए करार की निशानी है+ जिसे मेरे खून से पक्का किया जाएगा,+ उस खून से जो तुम्हारी खातिर बहाया जाना है।+ 21  मगर देखो! मुझसे गद्दारी करनेवाले का हाथ मेरे साथ मेज़ पर है।+ 22  इंसान का बेटा तो जा ही रहा है, ठीक जैसे उसके लिए तय किया गया है।+ लेकिन उस आदमी का बहुत बुरा होगा जो इंसान के बेटे के साथ विश्‍वासघात करके उसे पकड़वा देगा!”+ 23  इसलिए वे आपस में बात करने लगे कि आखिर उनमें से वह कौन है जो ऐसा करनेवाला है।+ 24  मगर फिर उनके बीच इस बात पर गरमा-गरम बहस छिड़ गयी कि उनमें सबसे बड़ा किसे समझा जाए।+ 25  मगर उसने उनसे कहा, “दुनिया के राजा लोगों पर हुक्म चलाते हैं और जो अधिकार रखते हैं, वे दानी कहलाते हैं।+ 26  मगर तुम्हें ऐसा नहीं होना है।+ इसके बजाय, जो तुममें सबसे बड़ा है वह सबसे छोटा बने+ और जो अगुवाई करता है, वह सेवक जैसा बने।+ 27  इसलिए कि कौन ज़्यादा बड़ा है, जो खाने के लिए मेज़ से टेक लगाए बैठा है* या जो सेवा कर रहा है? क्या वही नहीं जो मेज़ से टेक लगाए बैठा है?* मगर मैं तुम्हारे बीच सेवक जैसा हूँ।+ 28  मगर तुम वे हो जो मेरी परीक्षाओं+ के दौरान मेरा साथ देते रहे।+ 29  ठीक जैसे मेरे पिता ने मेरे साथ एक करार किया है, वैसे ही मैं भी तुम्हारे साथ राज का एक करार करता हूँ+ 30  ताकि तुम मेरे राज में मेरी मेज़ पर खाओ-पीओ+ और राजगद्दियों पर बैठकर+ इसराएल के 12 गोत्रों का न्याय करो।+ 31  शमौन, शमौन, देख! शैतान ने तुम लोगों को गेहूँ की तरह फटकने की माँग की है।+ 32  मगर मैंने तेरे लिए मिन्‍नत की है कि तू अपना विश्‍वास खो न दे।+ जब तू पश्‍चाताप करके लौट आए, तो अपने भाइयों को मज़बूत करना।”+ 33  तब पतरस ने उससे कहा, “प्रभु, मैं तो तेरे साथ जेल जाने और मरने के लिए भी तैयार हूँ।”+ 34  मगर उसने कहा, “पतरस, मैं तुझसे कहता हूँ, आज जब तक तू मुझे जानने से तीन बार इनकार न करेगा, मुर्गा बाँग न देगा।”+ 35  उसने चेलों से यह भी कहा, “जब मैंने तुम्हें पैसे की थैली, खाने की पोटली और जूतियों के बिना भेजा था,+ तो क्या तुम्हें किसी चीज़ की कमी हुई थी?” उन्होंने कहा, “नहीं!”* 36  फिर उसने उनसे कहा, “मगर अब जिसके पास पैसे की थैली हो वह उसे ले ले और खाने की पोटली भी रख ले। जिसके पास कोई तलवार नहीं, वह अपना चोगा बेचकर एक खरीद ले।  37  मैं तुमसे कहता हूँ, यह ज़रूरी है कि यह बात मुझ पर पूरी हो जो मेरे बारे में लिखी गयी थी: ‘वह अपराधियों में गिना गया।’+ अब यह बात मुझ पर पूरी हो रही है।”+ 38  तब उन्होंने कहा, “प्रभु, देख! यहाँ दो तलवारें हैं।” उसने कहा, “ये काफी हैं।” 39  फिर वह बाहर निकलकर अपने दस्तूर के मुताबिक जैतून पहाड़ पर गया। चेले भी उसके साथ गए।+ 40  वहाँ पहुँचकर उसने उनसे कहा, “प्रार्थना में लगे रहो ताकि तुम परीक्षा में न पड़ो।”+ 41  वह उनसे कुछ दूर* आगे गया और घुटने टेककर यह प्रार्थना करने लगा,  42  “हे पिता, अगर तेरी मरज़ी हो, तो यह प्याला मेरे सामने से हटा दे। मगर मेरी मरज़ी नहीं बल्कि तेरी मरज़ी पूरी हो।”+ 43  तब स्वर्ग से एक दूत उसके सामने प्रकट हुआ और उसकी हिम्मत बँधायी।+ 44  उसका मन दुख और चिंता से ऐसा छलनी हो गया कि वह और ज़्यादा गिड़गिड़ाकर प्रार्थना करता रहा+ और उसका पसीना खून की बूँदें बनकर ज़मीन पर गिर रहा था।  45  जब वह प्रार्थना करके उठा और अपने चेलों के पास गया, तो उसने देखा कि वे सो रहे थे क्योंकि वे दुख के मारे पस्त हो चुके थे।  46  उसने उनसे कहा, “तुम सो क्यों रहे हो? उठो और प्रार्थना करते रहो ताकि तुम परीक्षा में न पड़ो।”+ 47  जब वह बोल ही रहा था, तो देखो! एक भीड़ वहाँ आयी जिसे यहूदा नाम का वह आदमी ला रहा था, जो उन बारहों में से एक था। वह यीशु को चूमने के लिए उसके पास आया।+ 48  मगर यीशु ने उससे कहा, “यहूदा, क्या तू इंसान के बेटे को चूमकर उसे पकड़वा रहा है?”  49  जो उसके साथ थे जब उन्होंने देखा कि क्या होनेवाला है, तो उन्होंने कहा, “प्रभु, क्या हम उन पर तलवार चलाएँ?”  50  यहाँ तक कि उनमें से एक ने महायाजक के दास पर तलवार चलाकर उसका दायाँ कान उड़ा दिया।+ 51  मगर यीशु ने कहा, “बहुत हो चुका।” और यीशु ने उस दास का कान छूकर उसे ठीक किया।  52  तब यीशु ने प्रधान याजकों और मंदिर के सरदारों और मुखियाओं से जो उसे पकड़ने के लिए वहाँ आए थे, कहा, “क्या तुम तलवारें और लाठियाँ लेकर मुझे पकड़ने आए हो, मानो मैं कोई लुटेरा हूँ?+ 53  जब मैं हर दिन तुम्हारे बीच मंदिर में होता था,+ तब तुमने मुझे हाथ नहीं लगाया।+ मगर यह वक्‍त तुम्हारा है और अभी अंधकार का राज चल रहा है।”+ 54  तब उन्होंने उसे गिरफ्तार कर लिया+ और महायाजक के घर ले गए। मगर पतरस कुछ दूरी पर रहते हुए उनका पीछा करता रहा।+ 55  जब वे आँगन के बीच आग जलाकर एक-साथ बैठ गए, तो पतरस भी उनके बीच बैठा हुआ था।+ 56  मगर एक दासी ने उसे आग के सामने बैठे देखा। उसने उसे गौर से देखा और कहा, “यह आदमी भी उसके साथ था।”  57  मगर उसने यह कहते हुए इनकार कर दिया, “मैं उसे नहीं जानता।”+ 58  थोड़ी ही देर बाद किसी और ने उसे देखकर कहा, “तू भी उनमें से एक है।” मगर पतरस ने कहा, “नहीं भई, मैं नहीं हूँ।”+ 59  फिर करीब एक घंटे बाद, एक और आदमी ज़ोर देकर यह कहने लगा, “बेशक यह आदमी भी उसके साथ था क्योंकि यह एक गलीली है!”  60  मगर पतरस ने कहा, “मैं नहीं जानता तू क्या कह रहा है।” वह बोल ही रहा था कि उसी घड़ी एक मुर्गे ने बाँग दी  61  और प्रभु ने मुड़कर सीधे पतरस को देखा और पतरस को प्रभु की यह बात याद आयी, “आज मुर्गे के बाँग देने से पहले, तू तीन बार मुझे जानने से इनकार कर देगा।”+ 62  और वह बाहर जाकर फूट-फूटकर रोने लगा। 63  जिन आदमियों ने यीशु को हिरासत में लिया था, वे उसकी खिल्ली उड़ाने+ और उसे मारने लगे।+ 64  वे उसका मुँह ढककर उससे पूछने लगे, “भविष्यवाणी कर! तुझे किसने मारा?”  65  वे उसके बारे में बहुत-सी निंदा की बातें कहने लगे। 66  जब दिन निकल आया तो लोगों के मुखियाओं की सभा इकट्ठा हुई, जिसमें प्रधान याजक और शास्त्री भी थे।+ वे उसे अपनी महासभा के भवन में ले गए और उससे पूछने लगे,  67  “अगर तू मसीह है, तो हमें बता दे।”+ मगर उसने कहा, “अगर मैं तुम्हें बताऊँ तो भी तुम हरगिज़ यकीन नहीं करोगे।  68  और अगर मैं तुमसे सवाल करूँ, तो तुम मुझे जवाब नहीं दोगे।  69  मगर अब से इंसान का बेटा+ परमेश्‍वर के शक्‍तिशाली दाएँ हाथ बैठा हुआ होगा।”+ 70  यह सुनकर उन सबने कहा, “तो क्या तू परमेश्‍वर का बेटा है?” उसने कहा, “तुम खुद कह रहे हो कि मैं हूँ।”  71  उन्होंने कहा, “अब हमें और गवाही की क्या ज़रूरत है? हमने खुद इसके मुँह से सुन लिया है।”+

कई फुटनोट

या “मेज़ से टेक लगाए बैठा।”
या “जो खाने पर बैठा है।”
या “जो खाने पर बैठा है।”
या “उन्होंने कहा, ‘किसी चीज़ की नहीं!’”
या “पत्थर को जितनी दूर फेंका जा सकता है, करीब उतनी दूर।”

अध्ययन नोट

बिन-खमीर की रोटी का त्योहार जो फसह कहलाता है: देखा जाए तो फसह नीसान 14 को मनाया जाता था, जबकि बिन-खमीर की रोटी का त्योहार नीसान 15 से 21 तक मनाया जाता था। (लैव 23:5, 6; गि 28:16, 17; कृपया अति. ख15 देखें।) लेकिन यीशु के दिनों में ये दोनों त्योहार इस कदर जुड़ गए थे कि पूरे आठ दिनों को एक ही त्योहार माना जाता था। जोसीफस ने “आठ दिन के एक भोज” के बारे में बताया “जिसे बिन-खमीर की रोटी का भोज कहा जाता है।” लूक 22:1-6 में जो घटनाएँ दर्ज़ हैं वे ईसवी सन्‌ 33 में नीसान 12 को हुईं।​—अति. ख12 देखें।

इस्करियोती: मत 10:4 का अध्ययन नोट देखें।

मंदिर के सरदारों: मूल यूनानी पाठ में यहाँ सिर्फ “सरदारों” लिखा है, लेकिन लूक 22:52 में इस शब्द के साथ “मंदिर के” भी लिखा है। ऐसा इसलिए किया गया ताकि यह पता चले कि यहाँ किन सरदारों की बात की गयी है। इसलिए लूक 22:4 में भी “मंदिर के सरदारों” लिखा है। इन अधिकारियों के बारे में सिर्फ लूका ने बताया। (प्रेष 4:1; 5:24, 26) वे मंदिर के पहरेदारों के सरदार थे। यहूदा से हुई बातचीत में सरदारों को शायद इसलिए शामिल किया गया ताकि यीशु को गिरफ्तार करने की योजना कानूनी तौर पर जायज़ लगे।

चाँदी के सिक्के: शा., “चाँदी” जिसे पैसे की तरह इस्तेमाल किया जाता था। मत 26:15 में बताया गया है कि उन्होंने ‘चाँदी के 30 सिक्कों’ की रकम तय की। खुशखबरी की किताबों के लेखकों में से सिर्फ मत्ती ने बताया कि यीशु से गद्दारी करने के लिए कितनी कीमत दी गयी। मुमकिन है कि ये 30 सिक्के चाँदी के शेकेल थे जो सोर में ढाले गए थे। इससे पता चलता है कि प्रधान याजक यीशु को कितना तुच्छ समझते थे क्योंकि कानून के मुताबिक यह एक दास की कीमत होती थी। (निर्ग 21:32) उसी तरह जब जकरयाह ने विश्‍वासघाती इसराएलियों से परमेश्‍वर के लोगों के बीच भविष्यवाणी करने की मज़दूरी माँगी थी, तो उन्होंने उसे “चाँदी के 30 टुकड़े” तौलकर दिए जो दिखाता है कि वे उसे एक दास से ज़्यादा कुछ नहीं समझते थे।—जक 11:12, 13.

अब बिन-खमीर की रोटी के त्योहार का दिन आया: जैसे लूक 22:1 के अध्ययन नोट में बताया गया है, यीशु के दिनों में फसह (नीसान 14) “बिन-खमीर की रोटी के त्योहार” (नीसान 15-21) से इस कदर जुड़ गया था कि पूरे आठ दिनों को कभी-कभी “बिन-खमीर की रोटी का त्योहार” कहा जाता था। (अति. ख15 देखें।) लेकिन यहाँ जिस “दिन” का ज़िक्र है वह नीसान 14 था, क्योंकि आयत कहती है कि उस दिन फसह का जानवर चढ़ाया जाना था। (निर्ग 12:6, 15, 17, 18; लैव 23:5; व्य 16:1-7) आयत 7-13 में फसह के खाने से जुड़ी तैयारियों की बात की गयी है। मुमकिन है कि ये तैयारियाँ नीसान 13 को दोपहर में की गयी थीं और फिर शाम को सूरज ढलने के बाद यानी नीसान 14 शुरू होने के बाद यीशु और उसके चेलों ने फसह का खाना खाया।​—अति. ख12 देखें।

जब वह वक्‍त आया: यानी जब शाम हुई और नीसान 14 शुरू हुआ।​—अति. क7 और ख12 देखें।

एक प्याला लेकर: यीशु के दिनों में फसह के दौरान लोग प्याले में दाख-मदिरा पीते थे। (लूक 22:15) बाइबल में यह नहीं बताया गया है कि मिस्र में जब इसराएलियों ने फसह मनाया तो उन्होंने दाख-मदिरा पी थी। यहोवा ने भी फसह में दाख-मदिरा पीने की कोई आज्ञा नहीं दी थी। इसलिए ज़ाहिर है कि फसह के दौरान प्यालों में दाख-मदिरा देने का दस्तूर बाद में शुरू हुआ। यीशु ने इस दस्तूर को गलत नहीं ठहराया। इसके बजाय, फसह के दिन उसने प्रार्थना में परमेश्‍वर का धन्यवाद करने के बाद अपने प्रेषितों के साथ दाख-मदिरा पी। इसके बाद जब उसने प्रभु के संध्या भोज की शुरूआत की तो उसने एक प्याला दाख-मदिरा उन्हें पीने के लिए दी।​—लूक 22:20.

एक रोटी ली . . . उसे तोड़ा: मत 26:26 का अध्ययन नोट देखें।

निशानी: मत 26:26 का अध्ययन नोट देखें।

शाम का खाना: ज़ाहिर है कि यहाँ फसह के खाने की बात की गयी है, जिसके बाद यीशु ने प्रभु के संध्या भोज की शुरूआत की। यीशु ने उस समय के दस्तूर के मुताबिक फसह मनाया। उसने इस दस्तूर में कोई फेरबदल नहीं की, न ही इसमें कुछ नया जोड़ा। इस तरह उसने मूसा का कानून माना, क्योंकि वह एक यहूदी था। लेकिन जब वह फसह मना चुका, तब उसने एक नए संध्या भोज की शुरूआत की। उसने इस भोज की शुरूआत इसलिए की ताकि फसह के दिन ही उसकी मौत की यादगार मनायी जा सके, जो बहुत जल्द होनेवाली थी।

नए करार . . . जिसे खून से पक्का किया जाएगा: खुशखबरी की किताबों के लेखकों में से सिर्फ लूका ने यह बात दर्ज़ की कि यीशु ने इस मौके पर “नए करार” का ज़िक्र किया। यीशु ने शायद यिर्म 31:31 में लिखी भविष्यवाणी की तरफ इशारा किया। यहोवा और अभिषिक्‍त मसीहियों के बीच नया करार यीशु के बलिदान से लागू हुआ। (इब्र 8:10) यीशु ने “करार” और “खून” शब्दों का वैसे ही इस्तेमाल किया जैसे मूसा ने सीनै पहाड़ पर इस्तेमाल किया था, जब उसने बिचवई बनकर यहोवा और इसराएलियों के बीच कानून का करार लागू करवाया था। (निर्ग 24:8; इब्र 9:19-21) जिस तरह बैलों और बकरों के खून से यहोवा और इसराएल राष्ट्र के बीच कानून का करार पक्का हुआ, उसी तरह यीशु के खून से यहोवा और ‘परमेश्‍वर के इसराएल’ के बीच नया करार पक्का हुआ। यह करार ईसवी सन्‌ 33 के पिन्तेकुस्त के दिन से लागू हुआ।​—इब्र 9:14, 15.

. . . जो तुम्हारी खातिर बहाया जाना है: आयत 19 के बीच (“जो तुम्हारी खातिर . . .”) से आयत 20 के आखिर तक दिए शब्द कुछ हस्तलिपियों में नहीं पाए जाते। लेकिन इन शब्दों का ठोस आधार शुरू की अधिकृत हस्तलिपियों में पाया जाता है।—पुरानी हस्तलिपियों से कैसे पता लगाया जाता है कि यूनानी पाठ में क्या आना चाहिए और क्या नहीं, इस बारे में ज़्यादा जानने के लिए अति. क3 देखें।

मगर देखो! मुझसे गद्दारी करनेवाले का हाथ मेरे साथ . . . है: ज़ाहिर है कि आयत 21-23 में बतायी घटना प्रभु के संध्या भोज की शुरूआत किए जाने के बाद नहीं घटी। मत 26:20-29 और मर 14:17-25 की तुलना यूह 13:21-30 से करने पर पता चलता है कि यीशु ने जब इस भोज की शुरूआत की तब तक यहूदा वहाँ से जा चुका था। यहूदा बेशक उस वक्‍त मौजूद नहीं था, जब यीशु ने अपने चेलों की तारीफ में कहा कि वे ‘उसकी परीक्षाओं के दौरान उसका साथ देते रहे,’ क्योंकि यह बात यहूदा पर लागू नहीं होती। इसके अलावा, ऐसा हो ही नहीं सकता कि यहूदा के साथ ‘राज का करार’ किया गया हो।​—लूक 22:28-30.

जा ही रहा है: कुछ विद्वानों के मुताबिक, ‘मौत होनेवाली है’ इस बारे में खुलकर बताने के बजाय ऐसा लिखा गया है।

दानी: यूनानी शब्द एवरऐटीज़ (शा., “जो [दूसरों का] भला करता है”) एक खिताब या उपाधि की तरह हाकिमों और जाने-माने लोगों को दिया जाता था, खासकर जब उन्होंने समाज के लिए कुछ किया होता था। लेकिन यीशु के चेलों में से ‘जो अगुवाई करते हैं,’ उन्हें दुनिया के अधिकारियों की तरह खुद को “दानी” नहीं समझना था, मानो उन्होंने दूसरों पर बहुत उपकार किए हैं और वे उनके कर्ज़दार हैं।—लूक 22:26.

जो अगुवाई करता है: यहाँ यूनानी शब्द इगेओमे इस्तेमाल हुआ है जो इब्र 13:7, 17, 24 में भी आया है। उन आयतों में यह शब्द मसीही मंडली में निगरानों के काम को समझाने के लिए इस्तेमाल हुआ है।

सेवक: यूनानी में यहाँ क्रिया दीआकोनीयो इस्तेमाल हुई है जो संज्ञा दीआकोनोस (सेवक) से संबंधित है। दीआकोनोस का मतलब होता है, ऐसा व्यक्‍ति जो नम्र होकर दूसरों की सेवा में लगा रहता है। यह शब्द मसीह (रोम 15:8), मसीह के सेवकों जिनमें आदमी-औरत दोनों शामिल हैं (रोम 16:1; 1कुर 3:5-7; कुल 1:23), सहायक सेवकों (फिल 1:1; 1ती 3:8), घर के सेवकों (यूह 2:5, 9) और सरकारी अधिकारियों के लिए इस्तेमाल हुआ है।​—रोम 13:4.

सेवा कर रहा है . . . सेवक: मूल भाषा में यूनानी क्रिया दीआकोनीयो इस आयत में दो बार आयी है।​—लूक 22:26 का अध्ययन नोट देखें।

मैं . . . तुम्हारे साथ राज का एक करार करता हूँ: यूनानी क्रिया दीआटाइथेमे जिसका अनुवाद यहाँ “करार करता हूँ” हुआ है, यूनानी संज्ञा दीआथीके से संबंधित है जिसका मतलब होता है, “करार।” ये क्रिया और संज्ञा प्रेष 3:25; इब्र 8:10 और 10:16 में साथ-साथ इस्तेमाल हुई हैं, जहाँ क्रिया “करना” का शाब्दिक मतलब भी “करार” है। जहाँ तक लूक 22:29 की बात है, यीशु ने यहाँ दो करारों का ज़िक्र किया, एक उसके और उसके पिता के बीच और दूसरा, उसके और उसके अभिषिक्‍त चेलों के बीच, जो राज में उसके साथ शासन करते।

मेरी मेज़ पर खाओ-पीओ: किसी के साथ खाना खाना दिखाता था कि उनके बीच दोस्ती और मधुर रिश्‍ता है। इसलिए राजा की मेज़ पर नियमित तौर पर खाना खाने का सम्मान उसे दिया जाता था, जिस पर राजा खास तौर से मेहरबान होता था और जिसके साथ राजा का नज़दीकी रिश्‍ता होता था। (1रा 2:7) यीशु यहाँ अपने वफादार चेलों से वादा कर रहा था कि उसका उनके साथ ऐसा ही रिश्‍ता होगा।​—लूक 22:28-30; कृपया लूक 13:29; प्रक 19:9 भी देखें।

तुम लोगों को गेहूँ की तरह फटकने: बाइबल के ज़माने में गेहूँ को पहले दाँवा जाता था, फिर हवा में उछाल-उछालकर फटका जाता था। इसके बाद इसे छन्‍ने में अच्छी तरह छाना जाता था। इस तरह गेहूँ के दाने को घास-फूस और भूसी से अलग किया जाता था। (मत 3:12 का अध्ययन नोट देखें।) यीशु जिन परीक्षाओं से गुज़रनेवाला था, उनकी वजह से उसके चेलों का विश्‍वास भी परखा जाता। यीशु ने परीक्षा की इस घड़ी की तुलना गेहूँ के फटकने से की।

पश्‍चाताप करके लौट आए: या “पलटकर लौट आए; फिरे।” मालूम होता है कि यीशु यहाँ उस वक्‍त की बात कर रहा था जब पतरस गलती करने के बाद पश्‍चाताप करके लौट आता। उसकी गलती की सबसे बड़ी वजह होती, खुद पर बहुत ज़्यादा विश्‍वास और इंसान का डर।​—नीत 29:25 से तुलना करें।

मुर्गा: खुशखबरी की चारों किताबों में लिखा है कि मुर्गा बाँग देगा, मगर मरकुस की किताब में एक और बात लिखी है और वह है कि मुर्गा दो बार बाँग देगा। (मत 26:74, 75; मर 14:30, 72; लूक 22:34, 60, 61; यूह 13:38; 18:27) मिशना से पता चलता है कि यीशु के दिनों में यरूशलेम में मुर्गे पाले जाते थे। यह बात दिखाती है कि बाइबल का यह ब्यौरा सही है। मुमकिन है कि मुर्गे ने सुबह-सुबह ही बाँग दी होगी।​—मर 13:35 का अध्ययन नोट देखें।

प्रार्थना में लगे रहो: ऐसा मालूम होता है कि यीशु ने यह बात अपने 11 वफादार प्रेषितों से कही थी और सिर्फ लूका ने प्रार्थना के बारे में यह बात लिखी। (इसके मिलते-जुलते ब्यौरे मत 26:36, 37 से तुलना करें।) यीशु ने दूसरी बार प्रार्थना करने का जो बढ़ावा दिया, वह लूक 22:46 में मिलता है, जिसके मिलते-जुलते ब्यौरे हैं, मत 26:41 और मर 14:38. दूसरी बार यीशु ने यह बात सिर्फ तीन चेलों से कही थी। उस वक्‍त वह बाग में प्रार्थना कर रहा था और अपने साथ उन तीनों को ले गया था। (मत 26:37-39; मर 14:33-35) लूका ने दोनों बार प्रार्थना के बारे में यीशु की बात का ज़िक्र किया। (लूक 22:40, 46) इससे हम समझ पाते हैं कि उसकी खुशखबरी की किताब में प्रार्थना की अहमियत पर ज़ोर दिया गया है। सिर्फ लूका ने कई मौकों पर प्रार्थना का ज़िक्र किया या लिखा कि यीशु ने प्रार्थना की। वे मौके हैं: लूक 3:21; 5:16; 6:12; 9:18, 28; 11:1; 23:46.

यह प्याला मेरे सामने से हटा दे: मर 14:36 का अध्ययन नोट देखें।

एक दूत: खुशखबरी की किताबों के चारों लेखकों में से सिर्फ लूका ने बताया कि स्वर्ग से एक दूत यीशु के सामने प्रकट हुआ और उसकी हिम्मत बँधायी।

उसका पसीना खून की बूँदें बनकर: लूका शायद यह कह रहा था कि मसीह का पसीना खून की बूँदों जैसा दिख रहा था या फिर उसका पसीना ऐसे टपक रहा था जैसे घाव से खून टपकता है। दूसरी तरफ, कुछ लोगों का कहना है कि शायद यीशु की त्वचा से सचमुच खून रिस रहा था और उसमें पसीना मिल गया था। बताया जाता है कि कुछ लोगों के साथ ऐसा हुआ है जो बहुत मानसिक तनाव से गुज़र रहे थे। डायपडीसस एक शारीरिक दशा है, जिसमें नसों के न फटने पर भी उनकी दीवारों से खून या उसके तत्व रिसकर निकलते हैं। हीमाटिड्रोसिस नाम की एक और दशा है जिसमें खून या उसके तत्व से मिला पसीना छूटता है या फिर खून मिला हुआ कुछ द्रव्य निकलता है। ये सारी बातें इसकी संभावनाएँ हैं कि यीशु के साथ क्या हुआ होगा।

. . . ज़मीन पर गिर रहा था: शुरू की कुछ हस्तलिपियों में आयत 43, 44 पायी जाती हैं, जबकि दूसरी हस्तलिपियों में से ये निकाल दी गयी हैं। लेकिन बाइबल के ज़्यादातर अनुवादों में ये आयतें हैं।

उनमें से एक: इसके मिलते-जुलते ब्यौरे यूह 18:10 में लिखा है कि वह शमौन पतरस ही था जिसने महायाजक के दास पर तलवार चलायी और उस दास का नाम मलखुस था।​—यूह 18:10 का अध्ययन नोट देखें।

महायाजक के दास पर तलवार चलाकर: यूह 18:10 का अध्ययन नोट देखें।

उसे ठीक किया: खुशखबरी की किताबों के चारों लेखकों में से सिर्फ लूका ने बताया कि यीशु ने महायाजक के दास का कान ठीक कर दिया।​—मत 26:51; मर 14:47; यूह 18:10.

वक्‍त: शा., “घंटा।” यूनानी शब्द ओरा यहाँ लाक्षणिक तौर पर इस्तेमाल हुआ है और इसका मतलब है, कम समय।

अंधकार का राज: या “अंधकार का अधिकार।” यहाँ ऐसे लोगों के अधिकार की बात की गयी है जो इस मायने में अंधकार में हैं कि उनका परमेश्‍वर के साथ रिश्‍ता नहीं है। (कुल 1:13 से तुलना करें।) प्रेष 26:18 में अंधकार का ज़िक्र “शैतान के अधिकार” के साथ किया गया है। शैतान ने अपने अधिकार का इस्तेमाल करके इंसानों को अंधकार के ऐसे काम करने के लिए भड़काया जिनकी वजह से यीशु को मार डाला गया। उदाहरण के लिए, लूक 22:3 में लिखा है कि “शैतान, यहूदा में समा गया जो इस्करियोती कहलाता था” और फिर यहूदा ने यीशु से गद्दारी की।​—उत 3:15; यूह 13:27-30.

एक मुर्गे ने बाँग दी: मर 14:72 का अध्ययन नोट देखें।

भविष्यवाणी कर!: यहाँ ‘भविष्यवाणी करने’ का मतलब भविष्य बताना नहीं बल्कि परमेश्‍वर की मदद से यह बताना है कि उसे किसने मारा। इस आयत से पता चलता है कि यीशु पर ज़ुल्म करनेवालों ने उसका मुँह ढक दिया था। इस तरह वे यीशु को चुनौती दे रहे थे कि वह बताए कि उसे किसने मारा।​—मत 26:68 का अध्ययन नोट देखें।

मुखियाओं की सभा: या “मुखियाओं का निकाय।” यहाँ इस्तेमाल हुआ यूनानी शब्द प्रेसबाइटेरियॉन दूसरे यूनानी शब्द प्रेसबाइटेरोस (शा., “बुज़ुर्ग”) से संबंधित है, जो बाइबल में खासकर ऐसे लोगों के लिए इस्तेमाल हुआ है जो समाज या देश में अधिकार और ज़िम्मेदारी के पद पर थे। हालाँकि यह शब्द कभी-कभी बड़ी उम्र के लोगों के लिए इस्तेमाल हुआ है (जैसे लूक 15:25 में “बड़ा बेटा” और प्रेष 2:17 में “बुज़ुर्ग”), लेकिन इसका हमेशा यही मतलब नहीं होता। ज़ाहिर है कि यहाँ शब्द “मुखियाओं की सभा” महासभा के लिए इस्तेमाल हुए हैं। महासभा, यरूशलेम में यहूदियों की सबसे बड़ी अदालत थी और प्रधान याजकों, शास्त्रियों और मुखियाओं से मिलकर बनी थी। इन तीन समूहों का ज़िक्र अकसर एक-साथ किया गया है।​—मत 16:21; 27:41; मर 8:31; 11:27; 14:43, 53; 15:1; लूक 9:22; 20:1; कृपया शब्दावली में “मुखिया; बुज़ुर्ग” और इसी आयत में अपनी महासभा के भवन पर अध्ययन नोट देखें।

अपनी महासभा के भवन: या “अपनी महासभा।” महासभा, यरूशलेम में यहूदियों की सबसे बड़ी अदालत होती थी। जिस यूनानी शब्द सिनेड्रियोन का अनुवाद ‘महासभा का भवन’ या “महासभा” किया गया है उसका शाब्दिक मतलब है, “के साथ बैठना।” हालाँकि यह शब्द एक आम सभा के लिए इस्तेमाल होता था, लेकिन इसराएल में इसका मतलब फैसला सुनानेवाला धार्मिक समूह या अदालत भी हो सकता था। इस यूनानी शब्द का मतलब वे लोग भी हो सकता है, जिनसे मिलकर अदालत बनती थी या वह इमारत या जगह जहाँ अदालत लगती थी।​—मत 5:22 का अध्ययन नोट और शब्दावली में “महासभा” देखें; साथ ही महासभा का भवन कहाँ रहा होगा, यह जानने के लिए अति. ख12 देखें।

इंसान का बेटा: मत 8:20 का अध्ययन नोट देखें।

परमेश्‍वर के शक्‍तिशाली दाएँ हाथ: या “परमेश्‍वर की शक्‍ति के दाएँ हाथ।” किसी शासक के दाएँ हाथ होने का मतलब है, दूसरा सबसे बड़ा अधिकारी होना। (भज 110:1; प्रेष 7:55, 56) “शक्‍तिशाली दाएँ हाथ” के यूनानी शब्द, लूक 22:69 के मिलते-जुलते ब्यौरों, मत 26:64 और मर 14:62 में भी आए हैं, जहाँ इसका अनुवाद “शक्‍तिशाली परमेश्‍वर के दाएँ हाथ” किया गया है। इंसान का बेटा “परमेश्‍वर के शक्‍तिशाली दाएँ हाथ” बैठा है, इन शब्दों का मतलब हो सकता है कि यीशु को शक्‍ति या अधिकार दिया जाएगा।​—मर 14:62; कृपया मत 26:64 का अध्ययन नोट देखें।

तसवीर और ऑडियो-वीडियो

ऊपर का कमरा
ऊपर का कमरा

इसराएल के कुछ घर दो मंज़िले होते थे। ऊपर जाने के लिए या तो अंदर सीढ़ी लगी होती थी या लकड़ी का जीना बना होता था, या फिर बाहर सीढ़ी लगी होती थी या पत्थरों का जीना बना होता था। जैसे यहाँ चित्र में दिखाया गया है, शायद इसी तरह के एक बड़े ऊपरी कमरे में यीशु ने अपने चेलों के साथ आखिरी फसह मनाया और प्रभु के संध्या भोज की शुरूआत की। (लूक 22:12, 19, 20) ईसवी सन्‌ 33 में पिन्तेकुस्त के दिन, जब यरूशलेम में करीब 120 चेलों पर पवित्र शक्‍ति उँडेली गयी तब ज़ाहिर है कि वे एक घर के ऊपरी कमरे में इकट्ठा थे।​—प्रेष 1:15; 2:1-4.

महासभा
महासभा

यरूशलेम में यहूदियों की सबसे बड़ी अदालत को महासभा कहा जाता था। यह 71 सदस्यों से मिलकर बनी होती थी। (शब्दावली में “महासभा” देखें।) मिशना के मुताबिक, बैठने की जगह अर्ध-गोलाकार में तीन पंक्‍तियों में सीढ़ीनुमा होती थीं। दो शास्त्री अदालत के फैसले दर्ज़ करने के लिए मौजूद होते थे। चित्र में महासभा की जो बनावट दिखायी गयी है, उसकी कुछ बातें उस इमारत से मिलती-जुलती हैं जिसके खंडहर यरूशलेम में पाए गए हैं। कुछ लोगों का मानना है कि ये खंडहर पहली सदी की धर्म-सभा के भवन के हैं, जहाँ महासभा की अदालत लगती थी।​—अतिरिक्‍त लेख ख12, नक्शा “यरूशलेम और उसके आस-पास का इलाका” देखें।

1. महायाजक

2. महासभा के सदस्य

3. आरोपी

4. शास्त्री