मत्ती के मुताबिक खुशखबरी 13:1-58
कई फुटनोट
अध्ययन नोट
बैठ गया: यहूदी धर्म के शिक्षकों का दस्तूर।—मत 5:1, 2.
किनारे पर: कफरनहूम के पास गलील झील के किनारे एक ऐसी जगह थी, जो घोड़े की नाल के आकार की थी और उसके आस-पास की ज़मीन ऊपर उठी हुई थी। इन बातों की वजह से वहाँ आवाज़ दूर-दूर तक सुनायी देती थी। इसलिए जब यीशु ने नाव पर से बात की तो सामने खड़ी बड़ी भीड़ को उसकी आवाज़ साफ सुनायी दी होगी।
मिसालें: या “नीति-कथाएँ।” यूनानी शब्द पैराबोले का शाब्दिक मतलब है, “के पास (या साथ-साथ) रखना।” इस शब्द का मतलब एक नीति-कथा, नीतिवचन या मिसाल भी हो सकता है। यीशु अकसर किसी बात को समझाने के लिए एक चीज़ को उससे मिलती-जुलती दूसरी चीज़ ‘के पास रखता’ यानी उससे तुलना करता था। (मर 4:30) उसकी मिसालें छोटी होती थीं और अकसर काल्पनिक कहानियाँ होती थीं, जिनसे कोई नैतिक शिक्षा या परमेश्वर के बारे में सच्चाई सीखने को मिलती थी।
देखो!: मत 1:23 का अध्ययन नोट देखें।
ज़मीन . . . मिट्टी के नीचे चट्टान: इसके मिलते-जुलते ब्यौरे लूक 8:6 में लिखा है कि कुछ बीज “चट्टानी ज़मीन” पर गिरे। ऐसी ज़मीन पर गिरे बीजों की जड़ों को ज़रूरी नमी नहीं मिलती थी क्योंकि उनकी जड़ें गहराई तक नहीं पहुँच पाती थीं।
काँटों में: ज़ाहिर है कि यीशु यहाँ कँटीली झाड़ियों की नहीं बल्कि जंगली पौधों की बात कर रहा था, जिन्हें जुते हुए खेत से उठाकर फेंका नहीं गया था। ये पौधे बढ़कर, बोए गए नए बीजों को दबा देते थे।
पवित्र रहस्यों: नयी दुनिया अनुवाद में यूनानी शब्द मिस्टिरिऑन के लिए शब्द “पवित्र रहस्य” इस्तेमाल किए गए हैं और ये इस अनुवाद में करीब 25 बार आते हैं। इस आयत में यह शब्द बहुवचन में है और ये परमेश्वर के मकसद से जुड़ी उन बातों को दर्शाते हैं जिन्हें यहोवा अपने समय पर ज़ाहिर करता है। वह उन्हीं लोगों पर इन्हें ज़ाहिर करता है जिन्हें वह समझ देना चाहता है। (कुल 1:25, 26) जब यहोवा पवित्र रहस्यों को खोलता है, तो वह चाहता है कि ज़्यादा-से-ज़्यादा लोग इन्हें जानें। इसीलिए बाइबल में “पवित्र रहस्य” के साथ इस तरह के शब्द इस्तेमाल हुए हैं: “सुनाया,” “ज़ाहिर किया,” “प्रकट किया गया” और “प्रचार।” (1कुर 2:1; इफ 1:9; 3:3; कुल 1:25, 26; 4:3) ‘परमेश्वर के पवित्र रहस्यों’ में से एक अहम रहस्य वादा किए गए “वंश” या मसीहा की पहचान को लेकर था। आगे चलकर यह खुलासा हुआ कि वह वंश, यीशु मसीह है। (कुल 2:2; उत 3:15) इस पवित्र रहस्य के कई पहलू हैं जैसे, परमेश्वर के मकसद को पूरा करने के लिए यीशु क्या-क्या करेगा। (कुल 4:3) इस आयत में यीशु ने जो कहा, उससे पता चलता है कि ‘पवित्र रहस्य’ स्वर्ग के राज या “परमेश्वर के राज”से जुड़े हुए हैं। इस राज में यीशु राजा के तौर पर स्वर्ग से हुकूमत करेगा। (मर 4:11; लूक 8:10; कृपया मत 3:2 का अध्ययन नोट देखें।) प्राचीन रहस्यमयी धर्मों में यूनानी शब्द मिस्टिरिऑन जिस तरह इस्तेमाल किया जाता था और मसीही यूनानी शास्त्र में यह शब्द जिस तरह इस्तेमाल किया जाता है, यह एक-दूसरे से बिलकुल अलग है। उन धर्मों में प्रजनन के कई देवी-देवताओं की पूजा की जाती थी और पहली सदी में वे धर्म फलने-फूलने लगे। उन धर्मों में सिखाया जाता था कि रहस्यमयी रीति-रिवाज़ों के ज़रिए उनके भक्तों को अमरता मिलेगी, दर्शन मिलेंगे और वे ईश्वरों तक पहुँच पाएँगे। उन धर्मों के रहस्य सच पर आधारित नहीं थे। जो लोग इन धर्मों में हिस्सा लेते थे, वे शपथ खाते थे कि वे रहस्यों को अपने तक रखेंगे और ज़ाहिर नहीं होने देंगे। जबकि मसीही धर्म में ‘पवित्र रहस्यों’ को खुलकर ज़ाहिर किया जाता था। लेकिन जब मूल यूनानी पाठ में शब्द मिस्टिरिऑन का नाता झूठी उपासना से है, तो नयी दुनिया अनुवाद में इस शब्द का अनुवाद सिर्फ “रहस्य” या “रहस्यमय” किया गया है।—मिस्टिरिऑन शब्द का अनुवाद तीन आयतों में “रहस्य” या “रहस्यमय” किया गया है। इन्हें देखने के लिए 2थि 2:7; प्रक 17:5, 7 के अध्ययन नोट देखें।
सच: मत 5:18 का अध्ययन नोट देखें।
ज़माने: या “दुनिया की व्यवस्था।” यूनानी शब्द आयॉन का यह भी मतलब हो सकता है, किसी दौर के हालात या कुछ खास बातें जो उस दौर या ज़माने को दूसरे दौर या ज़माने से अलग दिखाती हैं। यहाँ यह शब्द जीवन की चिंताओं और समस्याओं के साथ इस्तेमाल हुआ है, जो सिर्फ इस मौजूदा दुनिया में ज़िंदगी का हिस्सा हैं।—शब्दावली में “दुनिया की व्यवस्था या व्यवस्थाएँ” देखें।
जंगली पौधे: आम तौर पर माना जाता है कि यह रोएँदार मोचनी घास (लोलियम टेमुलेंटम) है जो घास प्रजाति का पौधा है। यह ज़हरीला पौधा जब बढ़ रहा होता है तो बिलकुल गेहूँ के पौधे जैसा दिखता है।
बीज बोकर चला गया: प्राचीन मध्य पूर्व में दुश्मनों का ऐसा करना आम था।
उनके साथ गेहूँ भी उखाड़ दो: जंगली पौधों की जड़ें गेहूँ के पौधों की जड़ों में उलझ जाती हैं। इसलिए जंगली पौधे उखाड़ने से गेहूँ के पौधे भी उखड़ सकते हैं।
जंगली पौधों को उखाड़कर: जब रोएँदार मोचनी घास का पौधा (मत 13:25 का अध्ययन नोट देखें) बड़ा हो जाता है तो यह गेहूँ के पौधे से अलग दिखता है।
राई के दाने: इसराएल के जंगलों में कई किस्म के राई (सरसों) के पौधे पाए जाते हैं। ज़्यादातर काली सरसों (ब्रैसिका नाइग्रा) उगायी जाती है। इसका बीज काफी छोटा होता है, 1-1.6 मि.मी. (0.039 से 0.063 इंच) व्यास और वज़न 1 मि.ग्रा., लेकिन इसका पौधा बड़ा होकर पेड़ जैसा दिखने लगता है। कुछ किस्म की सरसों के पौधे तो 15 फुट (4.5 मी.) तक लंबे होते हैं।
बीजों में सबसे छोटा: प्राचीन यहूदी लेखों में छोटी-से-छोटी माप बताने के लिए राई का दाना अलंकार के तौर पर इस्तेमाल किया जाता था। हालाँकि आज इससे भी छोटे बीज पाए जाते हैं, लेकिन ज़ाहिर है कि यीशु के दिनों में यही सबसे छोटा बीज था जिसकी गलील में खेती की जाती थी।
खमीर: यानी पुराने आटे की बची हुई लोई। इसे नए आटे में मिला दिया जाता था ताकि वह फूल सके। यीशु यहाँ रोटी बनाने की आम प्रक्रिया की बात कर रहा था। हालाँकि बाइबल में अकसर खमीर को पाप और भ्रष्टता की निशानी बताया गया है (मत 16:6 का अध्ययन नोट देखें), लेकिन हमेशा इसका यही मतलब नहीं होता (लैव 7:11-15)। ज़ाहिर है कि इस आयत में आटे का खमीरा होना किसी अच्छी चीज़ के फैलने या बढ़ने को दर्शाता है।
करीब 10 किलो: इन शब्दों के लिए यूनानी में साटोन शब्द इस्तेमाल हुआ है और इब्रानी में इसका मतलब एक सआ माप है। एक सआ 7.33 ली. के बराबर था।—उत 18:6, फु.; शब्दावली में “सआ” और अति. ख14 देखें।
ताकि यह बात पूरी हो जो भविष्यवक्ता से कहलवायी गयी थी: यहाँ भज 78:2 की बात लिखी है। भज 78 के लेखक (जिसे यहाँ “भविष्यवक्ता” कहा गया है) ने इसमें मिसालों के ज़रिए यह इतिहास बताया कि परमेश्वर इसराएल राष्ट्र के साथ कैसे पेश आया। उसी तरह यीशु ने अपने चेलों और भीड़ को सिखाने के लिए जो मिसालें दीं उनमें बहुत-से अलंकार इस्तेमाल किए।—मत 1:22 का अध्ययन नोट देखें।
शुरूआत से: या शायद, “दुनिया की शुरूआत से।” ज़्यादातर प्राचीन हस्तलिपियों में सिर्फ “शुरूआत से” लिखा गया है। मगर कुछ प्राचीन हस्तलिपियों में “दुनिया” का यूनानी शब्द जोड़कर यह लिखा गया है, “दुनिया की शुरूआत से।”—मत 25:34 के अध्ययन नोट से तुलना करें।
इंसान का बेटा: मत 8:20 का अध्ययन नोट देखें।
दुनिया: यानी दुनिया के लोग।
दुनिया की व्यवस्था: या “ज़माने।”—मत 13:22; 24:3 के अध्ययन नोट और शब्दावली में “दुनिया की व्यवस्था का आखिरी वक्त”; “दुनिया की व्यवस्था या व्यवस्थाएँ” देखें।
आखिरी वक्त: इनका यूनानी शब्द सिनटीलीया आगे दी आयतों में भी इस्तेमाल हुआ है: मत 13:40, 49; 24:3; 28:20; इब्र 9:26.—मत 24:3 का अध्ययन नोट और शब्दावली में “दुनिया की व्यवस्था का आखिरी वक्त” देखें।
दुष्ट काम: मत 24:12 का अध्ययन नोट देखें।
दाँत पीसेंगे: मत 8:12 का अध्ययन नोट देखें।
सबकुछ: हालाँकि एक प्राचीन हस्तलिपि में यूनानी शब्द पैनटा (सब; सबकुछ) इस आयत से हटा दिया गया है, लेकिन कई प्राचीन हस्तलिपियों और उसके बाद की हस्तलिपियों में यह शब्द पाया जाता है।
मोती: बाइबल के ज़माने में बेहतरीन किस्म के मोती लाल सागर, फारस की खाड़ी और हिंद महासागर से निकाले जाते थे। इससे पता चलता है कि यीशु ने क्यों एक ऐसे व्यापारी की बात की, जो बेशकीमती मोती की तलाश में दूर सफर करता है और काफी मेहनत करता है।
बेकार मछलियों: शायद ऐसी मछलियाँ जिनके पंख और छिलके नहीं होते। मूसा के कानून के मुताबिक, इन्हें अशुद्ध माना जाता था और इन्हें खाने की इजाज़त नहीं थी। या शायद यहाँ ऐसी मछलियों की बात की गयी हो जो खाने लायक नहीं थीं।—लैव 11:9-12; व्य 14:9, 10.
इस दुनिया की व्यवस्था के आखिरी वक्त: मत 13:39; 24:3 के अध्ययन नोट और शब्दावली में “दुनिया की व्यवस्था का आखिरी वक्त”; “दुनिया की व्यवस्था या व्यवस्थाएँ” देखें।
लोगों को सिखानेवाला हर उपदेशक: या “ज्ञानी।” यूनानी शब्द ग्रामातेव्स जब यहूदी शिक्षकों के लिए इस्तेमाल हुआ, जिन्हें कानून का अच्छा ज्ञान था, तो उसका अनुवाद “शास्त्री” किया गया है। लेकिन यहाँ यह शब्द यीशु के चेलों के लिए इस्तेमाल हुआ है जिन्हें लोगों को सिखाने का प्रशिक्षण दिया गया था।
अपने इलाके: शा., “अपने पिता की जगह,” यानी नासरत। यीशु का परिवार यहीं का रहनेवाला था।
बढ़ई का बेटा: “बढ़ई” का यूनानी शब्द टीक्टॉन का आम तौर पर मतलब है, किसी भी तरह का कारीगर या कुछ बनानेवाला। लेकिन जब यह शब्द लकड़ी का काम करनेवाले के लिए इस्तेमाल हुआ तो इसका मतलब ऐसा कारीगर हो सकता है जो मकान खड़ा करता है, मेज़-कुर्सी या लकड़ी का कोई दूसरा सामान बनाता है। दूसरी सदी के ईसाई धर्म के समर्थक जस्टिन मार्टर ने लिखा कि यीशु “जब लोगों के बीच था तब वह एक बढ़ई था और हल और जूए बनाता था।” प्राचीन समय की भाषाओं में जो बाइबल अनुवाद किए गए उनसे भी पता चलता है कि शब्द टीक्टॉन का मतलब है, लकड़ी का काम करनेवाला। यीशु “बढ़ई का बेटा” और “बढ़ई,” दोनों कहलाता था। (मर 6:3) ज़ाहिर है कि उसने अपने दत्तक पिता यूसुफ से बढ़ई का काम सीखा होगा। इस तरह का काम एक लड़के को 12-15 साल की उम्र से ही सिखाना शुरू किया जाता था और कई साल तक सिखाया जाता था।
भाई: बाइबल में यूनानी शब्द अदेल्फोस ऐसे लोगों के लिए इस्तेमाल हो सकता है, जो एक ही परमेश्वर की उपासना करते हैं। मगर यहाँ यह शब्द यीशु के भाइयों के लिए इस्तेमाल हुआ है जो यूसुफ और मरियम के बेटे थे। कुछ लोगों का मानना है कि यीशु के जन्म के बाद मरियम कुँवारी रही, इसलिए वे दावा करते हैं कि यहाँ शब्द अदेल्फोस चचेरे, फुफेरे, ममेरे या मौसेरे भाइयों के लिए इस्तेमाल हुआ है। लेकिन ऐसे भाइयों के लिए मसीही यूनानी शास्त्र में एक अलग शब्द इस्तेमाल हुआ है (कुल 4:10 में यूनानी शब्द अनेपसियोस)। इसके अलावा, लूक 21:16 में लूका ने यूनानी शब्द अदेल्फोस और सीगजीनेस का बहुवचन इस्तेमाल किया (जिनका अनुवाद है: “भाई” और “रिश्तेदार”)। इन उदाहरणों से पता चलता है कि मसीही यूनानी शास्त्र में परिवार से जुड़ा रिश्ता बताने के लिए यूँ ही कोई शब्द इस्तेमाल नहीं कर लिया गया।
याकूब: ज़ाहिर है कि यीशु का यह भाई वही याकूब है जिसका ज़िक्र प्रेष 12:17 (अध्ययन नोट देखें) और गल 1:19 में किया गया है और जिसने अपने नाम से बाइबल की एक किताब लिखी।—याकू 1:1.
यहूदा: ज़ाहिर है कि यीशु का यह भाई वही यहूदा है (यूनानी में इयूदस) जिसने अपने नाम से बाइबल की एक किताब लिखी।—यहू 1.
उन्होंने उस पर यकीन नहीं किया: या “उसके कारण ठोकर खाया।” ठोकर के लिए यूनानी शब्द स्कानडेलाइज़ो इस्तेमाल हुआ है और यहाँ इसका मतलब सचमुच का ठोकर खाना नहीं है, बल्कि “बुरा मानना है।” इसका यह भी मतलब हो सकता है कि उन्होंने उस पर यकीन नहीं किया। बाकी आयतों में इस यूनानी शब्द का मतलब पाप करना या किसी से पाप करवाना हो सकता है।—मत 5:29 का अध्ययन नोट देखें।
उसने वहाँ ज़्यादा चमत्कार नहीं किए: ऐसा नहीं कि यीशु के पास शक्ति नहीं थी बल्कि हालात ऐसे थे कि उसे चमत्कार करने की ज़रूरत नहीं पड़ी। नासरत के लोगों में विश्वास की कमी थी, इसलिए यीशु ने वहाँ ज़्यादा शक्तिशाली काम नहीं किए। (मर 6:5 का अध्ययन नोट देखें।) जो लोग संदेश नहीं सुनना चाहते थे, उन पर परमेश्वर की शक्ति ज़ाहिर करना बेकार था।—मत 10:14; लूक 16:29-31 से तुलना करें।
तसवीर और ऑडियो-वीडियो

यीशु के दिनों से अब तक गलील झील के पानी और उसके आस-पास के इलाके में काफी बदलाव आया है। लेकिन शायद इसी जगह पर यीशु ने नाव पर से एक भीड़ को सिखाया था। उसकी आवाज़ पानी की सतह के ऊपर से दूर-दूर तक साफ सुनायी दी होगी।

बाइबल के ज़माने में कई तरह से बीज बोया जाता था। बीज बोनेवाला शायद बीज से भरा एक थैला रखता था, जो उसके कंधे से लटका रहता था और कमर से भी बंधा रहता था। कुछ लोग बीज रखने के लिए अपने ओढ़ने के एक हिस्से को थैले जैसा बना लेते थे। फिर वे अपना हाथ घुमाकर बीज छितराते थे। खेतों के चारों ओर मेड़ होती थी, इसलिए बीज बोनेवाले को यह ध्यान रखना होता था कि बीज अच्छी ज़मीन पर ही गिरें। फिर बीज को जल्द-से-जल्द ढक दिया जाता था ताकि चिड़ियाँ उसे चुग न लें।

गोदाम पूरे इसराएल के अलग-अलग इलाकों में बने थे और इनमें दाँवा हुआ अनाज भरा जाता था। कुछ गोदामों में तेल और दाख-मदिरा भी रखी जाती थी और कुछ में तो कीमती धातु या पत्थर भी रखे जाते थे।

बाइबल के ज़माने में कटाई करनेवाले कभी-कभी अनाज के पौधे बस ज़मीन से उखाड़ लेते थे। लेकिन आम तौर पर वे पौधों को हँसिए से काटते थे। (व्य 16:9; मर 4:29) फसल की कटाई एक सामुदायिक काम होता था, इसलिए कई लोग मिलकर एक खेत की फसल काटते थे। (रूत 2:3; 2रा 4:18) राजा सुलैमान, भविष्यवक्ता होशे और प्रेषित पौलुस जैसे बाइबल के कई लेखकों ने अहम सच्चाइयाँ बताने के लिए इसकी मिसाल दी। (नीत 22:8; हो 8:7; गल 6:7-9) यीशु ने भी इस जाने-पहचाने काम की मिसाल देकर बताया कि उसके चेले और स्वर्गदूत, चेला बनाने के काम में क्या भूमिका निभाएँगे।—मत 13:24-30, 39; यूह 4:35-38.

गलील के किसान कई तरह के बीज बोते थे और उनकी फसल काटते थे। ज़ाहिर है कि इनमें राई (या सरसों) का दाना सबसे छोटा माना जाता था। प्राचीन समय के यहूदी लेखनों में छोटी-से-छोटी माप बताने के लिए राई का दाना अलंकार के तौर पर इस्तेमाल किया जाता था।

मुमकिन है कि यीशु के दिनों में बड़े जाल अलसी के रेशों से बनाए जाते थे। कुछ लेखों के मुताबिक, बड़ा जाल करीब 1,000 फुट (300 मी.) लंबा होता था। उसके निचले किनारे पर कुछ वज़न बँधा होता था और ऊपरी किनारे पर कुछ हलकी चीज़ें ताकि वह पानी में न डूबे। मछुवारे जाल को नाव पर से पानी में डालते थे। कभी-कभी जाल के दो सिरों पर लंबी-लंबी रस्सियाँ बँधी होती थीं जिनसे कई आदमी जाल को धीरे-धीरे किनारे पर खींचते थे। इससे सामने पड़ी हर चीज़ उसमें फँस जाती थी।