लूका के मुताबिक खुशखबरी 23:1-56
कई फुटनोट
अध्ययन नोट
सम्राट: मत 22:17 का अध्ययन नोट देखें।
क्या तू यहूदियों का राजा है?: पीलातुस का यह सवाल खुशखबरी की चारों किताबों में हू-ब-हू दर्ज़ है। (मत 27:11; मर 15:2; लूक 23:3; यूह 18:33) रोमी साम्राज्य में सम्राट की इजाज़त के बिना कोई भी राजा नहीं बन सकता था। इसीलिए शायद पीलातुस ने यीशु के राज करने के अधिकार के बारे में पूछताछ की।
तू खुद कह रहा है: मत 27:11 का अध्ययन नोट देखें।
हेरोदेस: यानी हेरोदेस महान का बेटा हेरोदेस अन्तिपास। अन्तिपास गलील और पेरिया का ज़िला-शासक (तित्रअर्खेस) था। सिर्फ लूका ने बताया कि यीशु को हेरोदेस के सामने लाया गया था।—लूक 3:1; कृपया शब्दावली देखें।
एक शानदार कपड़ा: हेरोदेस अन्तिपास गलील और पेरिया का ज़िला-शासक था और नाम का यहूदी था। मुमकिन है कि उसने यीशु को अपने शाही कपड़ों में से एक सफेद कपड़ा पहनाया होगा क्योंकि यीशु ने खुद को राजा कहा था। पर उसने ऐसा यीशु की खिल्ली उड़ाने के लिए किया और फिर उसे पीलातुस के पास वापस भेज दिया। इस आयत में “कपड़ा” के लिए यूनानी शब्द एस्थेस इस्तेमाल हुआ है जिसका आम तौर पर मतलब निकलता है, एक सुंदर ओढ़ना। स्वर्गदूत भी ऐसे ही कपड़ों में नज़र आते थे। (लूक 24:4; कृपया याकू 2:2, 3 भी देखें।) यूनानी शब्द एस्थेस उस शाही “लिबास” के लिए भी इस्तेमाल हुआ है जो हेरोदेस अग्रिप्पा प्रथम ने पहना था। (प्रेष 12:21) लूक 23:11 में “शानदार” के लिए यूनानी शब्द लामप्रोस इस्तेमाल हुआ है। लामप्रोस जिस शब्द से निकला है, उसका मतलब है “चमकना।” जब किसी कपड़े के लिए लामप्रोस इस्तेमाल होता है तो उसका मतलब है, एक बढ़िया किस्म का कपड़ा और कुछ मौकों पर उसका मतलब निकलता है, चमकनेवाला या सफेद कपड़ा। ऐसा मालूम होता है कि यह कपड़ा उस सुर्ख लाल रंग के कपड़े या बैंजनी ओढ़ने से अलग था, जो बाद में राज्यपाल पीलातुस ने अपने महल में सैनिकों से कहकर यीशु को पहनाया था। (मत 27:27, 28, 31; यूह 19:1, 2, 5; कृपया मत 27:28; मर 15:17 के अध्ययन नोट देखें।) हेरोदेस, पीलातुस और रोमी सैनिकों ने शायद यीशु की खिल्ली उड़ाने के इरादे से ही उसे दो अलग किस्म के कपड़े पहनाए, क्योंकि उसने खुद को यहूदियों का राजा कहा था।—यूह 19:3.
कुछ हस्तलिपियों में यहाँ लिखा है, “हर साल पर्व के दौरान उसे उनके लिए एक आदमी रिहा करना पड़ता था।” लेकिन ये शब्द शुरू की कई अधिकृत हस्तलिपियों में नहीं पाए जाते और ज़ाहिर है कि ये लूका के मूल पाठ में भी नहीं मिलते। दूसरी हस्तलिपियों में ये शब्द आयत 19 के बाद जोड़े गए हैं। ये शब्द मत 27:15 और मर 15:6 में अलग तरीके से दिए गए हैं और इसमें कोई शक नहीं कि मूल पाठ में ये शब्द वहाँ आते हैं। माना जाता है कि नकल-नवीसों ने मत्ती और मरकुस के ब्यौरों के आधार पर लूका में ये शब्द जोड़े थे।
हमारे लिए बरअब्बा को रिहा कर दे: लूक 23:16-25 में बतायी घटना के बारे में खुशखबरी की किताबों के चारों लेखकों ने लिखा। (मत 27:15-23; मर 15:6-15; यूह 18:39, 40) लेकिन मत्ती, मरकुस और यूहन्ना ने यह भी बताया कि त्योहार के वक्त राज्यपाल लोगों के कहने पर एक कैदी को रिहा करता था।—मत 27:15; मर 15:6; यूह 18:39 के अध्ययन नोट देखें।
कुरेने: यह शहर उत्तर अफ्रीका में समुद्री तट के पास बसा था, जो क्रेते द्वीप के दक्षिण-पश्चिम में था। (अति. ख13 देखें।) हो सकता है कि शमौन जिसका जन्म कुरेने में हुआ था, बाद में इसराएल जाकर बस गया।
यातना का काठ: या “मौत का काठ।”—शब्दावली में “काठ”; “यातना का काठ” देखें; लूक 9:23; 14:27 भी देखें, जहाँ ये शब्द लाक्षणिक तौर पर इस्तेमाल हुए हैं।
जब पेड़ हरा है, . . . जब यह सूख जाएगा: मुमकिन है कि यीशु यहाँ यहूदी राष्ट्र की बात कर रहा था। यह एक ऐसे पेड़ की तरह था जो धीरे-धीरे सूख रहा था लेकिन फिर भी थोड़ा-बहुत हरा था क्योंकि यीशु और उस पर विश्वास करनेवाले कुछ यहूदी अब भी इस राष्ट्र में थे। लेकिन जल्द ही यीशु को मार डाला जाता और वफादार यहूदी परमेश्वर के इसराएल का हिस्सा बन जाते जब पवित्र शक्ति से उनका अभिषेक किया जाता। (रोम 2:28, 29; गल 6:16) तब इसराएल राष्ट्र परमेश्वर की नज़र में मर जाता। इस मायने में वह आगे चलकर सूखे हुए पेड़ की तरह हो जाता।—मत 21:43.
अपराधी: यहाँ इस्तेमाल हुए यूनानी शब्द काकूरगोस का शाब्दिक मतलब है, “बुराई या दुष्ट काम करनेवाला।” इसके मिलते-जुलते ब्यौरे मत 27:38, 44 और मर 15:27 में इन अपराधियों को “लुटेरे” कहा गया है। इसके लिए यूनानी शब्द लेस्तेस इस्तेमाल हुआ है और इसका मतलब हो सकता है, मार-पीट करके लूटनेवाला। कभी-कभी यह शब्द क्रांतिकारियों के लिए भी इस्तेमाल होता था। यही शब्द बरअब्बा के सिलसिले में इस्तेमाल हुआ है (यूह 18:40), जिसके बारे में लूक 23:19 में बताया है कि वह “बगावत और कत्ल” के इलज़ाम में जेल में था।
खोपड़ी: इसका यूनानी शब्द क्रेनियन है और इब्रानी में इसका नाम गुलगुता है। (मत 27:33; यूह 19:17 के अध्ययन नोट देखें।) बाइबल के कुछ अँग्रेज़ी अनुवादों में यहाँ “कैलवेरी” शब्द इस्तेमाल हुआ है। यह लातीनी शब्द कैलवेरिया से निकला है जिसका मतलब है, “खोपड़ी।” शब्द कैलवेरिया लातीनी वल्गेट बाइबल में इस्तेमाल हुआ है।
इन्हें माफ कर दे: आस-पास की आयतों में यह नहीं बताया है कि यीशु ने किनके लिए यह बिनती की। शायद यीशु ने भीड़ के लिए ऐसा कहा होगा जिसने उसे मार डालने की माँग की थी पर आगे चलकर उसमें से कुछ लोगों ने पश्चाताप किया। (प्रेष 2:36-38; 3:14, 15) यीशु ने उन रोमी सैनिकों के लिए भी बिनती की होगी जिन्होंने उसे कीलों से काठ पर ठोंका था। वे इस बात से अनजान थे कि यीशु कौन है और न ही उन्हें इस बात का एहसास था कि वे क्या कर रहे हैं। इसके ठीक उलट, यीशु ने अपने पिता से प्रधान याजकों को माफ करने की गुज़ारिश नहीं की होगी। दरअसल वे ही यीशु की मौत के ज़िम्मेदार थे। वे जानते थे कि यीशु कौन है फिर भी उन्होंने उसे मार डालने की साज़िश की। वे यीशु से ईर्ष्या करते थे, इसलिए उन्होंने उसे पीलातुस के हवाले कर दिया। (मत 27:18; मर 15:10; यूह 11:45-53) पर ऐसा नहीं लगता कि यीशु ने उन अपराधियों के लिए बिनती की होगी जो उसके साथ लटकाए गए थे। क्योंकि उसकी मौत में उनका कोई हाथ नहीं था।
. . . कर रहे हैं: कुछ प्राचीन हस्तलिपियों में इस आयत का पहला हिस्सा नहीं पाया जाता, लेकिन शुरू की कुछ अधिकृत हस्तलिपियों में पाया जाता है। इस वजह से नयी दुनिया अनुवाद और दूसरे कई अनुवादों में यह हिस्सा दिया गया है।
खट्टी दाख-मदिरा: मत 27:48 का अध्ययन नोट देखें।
उसके ऊपर यह लिखकर लगा दिया गया: कुछ हस्तलिपियों में और भी शब्द जोड़े गए हैं जिनका अनुवाद इस तरह किया जा सकता है: “जो यूनानी, लातीनी और इब्रानी अक्षरों में लिखा गया था।” लेकिन ये शब्द शुरू की अधिकृत हस्तलिपियों में नहीं पाए जाते। माना जाता है कि नकल-नवीसों ने ये शब्द इसलिए जोड़े ताकि यूह 19:20 से मेल खाएँ।
लटकाए गए: यहाँ यूनानी क्रिया स्टौरोऊ (“काठ पर मार डालना”) नहीं बल्कि क्रेमननिमी (“लटकाना”) इस्तेमाल हुई है। यीशु की मौत का ज़िक्र करते वक्त इस क्रिया के साथ-साथ एपी ज़ाइलो (”काठ या पेड़ पर”) शब्द भी आए हैं। (गल 3:13; कृपया प्रेष 5:30 का अध्ययन नोट देखें।) सेप्टुआजेंट में यह क्रिया अकसर तभी इस्तेमाल होती थी जब किसी को काठ या पेड़ पर लटकाए जाने की बात की जा रही थी।—उत 40:19; व्य 21:22; एस 8:7.
मैं आज तुझसे सच कहता हूँ,: पुराने ज़माने की हस्तलिपियों में शास्त्री कुछ जगहों पर निशान लगाते थे जो शायद विराम-चिन्हों की तरह थे। पर ऐसे निशान कम ही देखने को मिलते थे। इसलिए हमारे ज़माने की बाइबलों में विराम-चिन्ह यूनानी पाठ के व्याकरण और आयतों के संदर्भ को ध्यान में रखकर डाले गए हैं। इस आयत में यूनानी व्याकरण के मुताबिक दो जगहों पर अल्प-विराम लगाए जा सकते हैं और वाक्य में जहाँ अल्प-विराम लगाया जाएगा, उसके मुताबिक दो मतलब निकल सकते हैं। एक है, “मैं तुझसे सच कहता हूँ, आज तू मेरे साथ फिरदौस में होगा” और दूसरा है, “मैं आज तुझसे सच कहता हूँ, तू मेरे साथ फिरदौस में होगा।” लेकिन अलग-अलग अनुवादकों ने यीशु के शब्दों और बाइबल की शिक्षाओं को जिस तरह समझा है, उसी के मुताबिक अल्प-विराम का इस्तेमाल किया है। ‘यूनाइटेड बाइबल सोसाइटीस’ और कुछ विद्वान जैसे वेस्कॉट और हॉर्ट, नेसले और आलान्ड के यूनानी पाठ से पहला मतलब निकलता है, “आज तू मेरे साथ फिरदौस में होगा।” लेकिन नयी दुनिया अनुवाद में इस आयत से दूसरा मतलब निकलता है जो बाइबल की शिक्षाओं और यीशु की बातों से मेल खाता है। यीशु ने कहा था कि उसकी मौत के बाद वह “धरती के गर्भ में” यानी कब्र में तीन दिन रहेगा। (मत 12:40; मर 10:34) दूसरे मौकों पर उसने चेलों से कहा था कि मरने के बाद उसे तीसरे दिन ज़िंदा किया जाएगा। (लूक 9:22; 18:33) इसके अलावा, बाइबल यह भी कहती है कि “जो मौत की नींद सो गए [थे] उनमें वह पहला फल है” जिसे मरे हुओं में से ज़िंदा किया जाता। इसके 40 दिन बाद यीशु स्वर्ग लौट गया। (1कुर 15:20; यूह 20:17; प्रेष 1:1-3, 9; कुल 1:18) तो फिर, यीशु को उसकी मौत के तीसरे दिन ज़िंदा किया गया था, उसी दिन नहीं जिस दिन वह मरा था। तो ज़ाहिर है कि वह उसी दिन अपराधी के साथ फिरदौस में नहीं हो सकता था।
इसी बात को ध्यान में रखते हुए ईसवी सन् पाँचवीं सदी का सीरियाई अनुवाद, क्युरेटोनियन सीरियाई इस आयत का अनुवाद इस तरह करता है: “आमीन, मैं आज तुझसे कहता हूँ कि तू मेरे साथ अदन के बाग में होगा।” (एफ. सी. बर्किट, खुशखबरी की चार किताबों का क्युरेटोनियन अनुवाद, भाग 1, केमब्रिज, 1904) गौर करनेवाली बात है कि कई यूनानी लेखकों और टीकाकारों ने बताया है कि इन शब्दों के अनुवाद को लेकर कई मतभेद थे। मिसाल के लिए, ईसवी सन् चौथी और पाँचवीं सदी में यरूशलेम के रहनेवाले हेसीकियस ने लूक 23:43 के बारे में लिखा, “कुछ लोग इसे इस तरह पढ़ते हैं: ‘आज मैं तुझसे सच कहता हूँ, तू मेरे साथ फिरदौस में होगा।’” (पैट्रोलोजे ग्रेके का यूनानी पाठ, भाग 93, कॉल. 1432-1433.) ग्यारहवीं और बारहवीं सदी के रहनेवाले थियोफिलैक्ट ने लिखा कि कुछ लोगों का मानना है कि इस आयत का मतलब होना चाहिए: ”आज मैं तुझसे सच कहता हूँ, तू मेरे साथ फिरदौस में होगा।” (पैट्रोलोजे ग्रेके, भाग 123, कॉल. 1104) खुशखबरी की रौशनी—अरामी और स्थिर पूर्वी दस्तूरों पर आधारित यीशु की शिक्षाओं पर टिप्पणी नाम की अँग्रेज़ी किताब के पेज 303-304 में जी. एम. लामसा ने बताया कि लूक 23:43 में “आज” शब्द का किस तरह इस्तेमाल किया गया है। वह कहता है, “इस आयत में ‘आज’ शब्द पर ज़ोर दिया गया है, इसलिए यह आयत ऐसे पढ़ी जानी चाहिए, ‘आज मैं तुझसे सच कहता हूँ, तू मेरे साथ फिरदौस में होगा।’ तो वादा ‘आज’ किया गया था, जबकि यह पूरा बाद में होता। यह शैली पूर्वी भाषाओं में अकसर इस्तेमाल की जाती है, इस बात पर ज़ोर देने के लिए कि जो वादा किया गया है, वह ज़रूर पूरा होगा।” इसलिए लूक 23:43 में यूनानी शब्द “आज” शामी (Semitic) भाषा में शायद ज़ोर देने के लिए इस्तेमाल किया गया है। इब्रानी शास्त्र में ऐसी कई आयतें हैं जहाँ वादा करते वक्त और आज्ञा देते वक्त “आज” शब्द इस्तेमाल किया गया है। (व्य 4:26; 6:6; 7:11; 8:1, 19; 30:15; जक 9:12) तो यह साफ पता चलता है कि जब यीशु ने “आज” शब्द का इस्तेमाल किया, तो वह यह नहीं बता रहा था कि अपराधी कब फिरदौस में होगा बल्कि यह बता रहा था कि वह वादा कब कर रहा है।
बाइबल के कई अनुवाद जैसे, अँग्रेज़ी में रॉदरहैम और लामसा की (1993 संस्करण की) बाइबलें, जर्मन में एल. राइनहार्ट और डब्ल्यू. माइकलिस की बाइबलें भी कबूल करती हैं कि इस आयत में उस समय पर ज़ोर दिया गया है जब यह वादा किया गया था, न कि उस समय पर जब वादा पूरा होगा। इन बाइबलों में इस आयत का अनुवाद नयी दुनिया अनुवाद की तरह किया गया है।
फिरदौस: इसका यूनानी शब्द परादीसोस है और इससे मिलते-जुलते शब्द इब्रानी (नहे 2:8; सभ 2:5; श्रेष 4:13 में पारदेस) और फारसी (पाइरीदेज़ा) भाषा में पाए जा सकते हैं। इन तीनों शब्दों से एक खूबसूरत बाग या बगीचे की तसवीर मन में आती है। उत 2:8 में “अदन नाम के इलाके में एक बाग” का ज़िक्र मिलता है। सेप्टुआजेंट के अनुवादकों ने यहाँ इब्रानी शब्द ”बाग” (गान) के लिए यूनानी शब्द परादीसोस इस्तेमाल किया। मसीही यूनानी शास्त्र के कुछ इब्रानी अनुवादों में (जिन्हें अति. ग में J17, 18, 22 कहा जाता है) लूक 23:43 का इस तरह अनुवाद हुआ है: “तू मेरे साथ अदन के बाग में होगा।” लेकिन यीशु ने यह वादा नहीं किया कि वह अपराधी “परमेश्वर के फिरदौस” में होगा जिसका ज़िक्र प्रक 2:7 में मिलता है। क्योंकि इस फिरदौस का वादा उन लोगों से किया गया था “जो जीत हासिल” करते यानी जो यीशु के साथ स्वर्ग में राज करते। (लूक 22:28-30) उस अपराधी ने यीशु मसीह के साथ दुनिया पर जीत हासिल नहीं की थी न ही वह “पानी और पवित्र शक्ति से पैदा” हुआ था। (यूह 3:5; 16:33) जब मसीह हज़ार साल के लिए धरती पर शासन करेगा, तो मुमकिन है कि वह अपराधी उन “बुरे” लोगों में से एक होगा जिन्हें मरे हुओं में से ज़िंदा किया जाएगा।—प्रेष 24:15; प्रक 20:4, 6.
करीब छठा घंटा: यानी दोपहर करीब 12 बजे।—मत 20:3 का अध्ययन नोट देखें।
अंधकार: यह अंधकार इसलिए छा गया क्योंकि परमेश्वर ने चमत्कार किया था। ऐसा अंधकार सूर्यग्रहण की वजह से नहीं हो सकता था, क्योंकि सूर्यग्रहण नए चाँद के वक्त होता है। यह फसह का वक्त था जब पूरा चाँद होता है। इसके अलावा, पूरा सूर्यग्रहण ज़्यादा-से-ज़्यादा आठ मिनट तक हो सकता है, जबकि यह अंधकार तीन घंटे तक रहा। लूका ने अपनी किताब में यह भी लिखा कि “सूरज ने रौशनी देना बंद कर दिया।”—लूक 23:45.
नौवें घंटे: यानी दोपहर करीब 3 बजे।—मत 20:3 का अध्ययन नोट देखें।
मंदिर: मत 27:51 का अध्ययन नोट देखें।
परदा: मत 27:51 का अध्ययन नोट देखें।
मैं अपनी जान तेरे हवाले करता हूँ: यीशु यहाँ भज 31:5 में लिखी बात कह रहा है जिसमें दाविद बिनती करता है कि परमेश्वर उसकी जान या जीवन-शक्ति की हिफाज़त करे। एक तरह से यीशु कह रहा था कि वह अपनी जान यहोवा को सौंप रहा है और भविष्य में उसे दोबारा जीवन मिलेगा या नहीं, वह उसने परमेश्वर पर छोड़ दिया।—शब्दावली में “रुआख; नफ्मा” देखें।
दम तोड़ दिया: यूनानी क्रिया एकनेयो (शा., “साँस छोड़ना”) का अनुवाद “आखिरी साँस ली” भी किया जा सकता है। (मत 27:50 का अध्ययन नोट देखें।) बाइबल साफ बताती है कि जब यीशु की साँस निकल गयी, तो वह तुरंत स्वर्ग नहीं गया। इसके बजाय, उसने दम तोड़ दिया यानी वह मर गया। यीशु ने खुद भविष्यवाणी की थी कि उसे “तीसरे दिन” ज़िंदा किया जाता। (मत 16:21; लूक 9:22) जैसे प्रेष 1:3, 9 में बताया है, यीशु अपनी मौत के 40 दिन बाद स्वर्ग गया।
सेना-अफसर: या रोमी “शतपति” जिसके अधीन करीब 100 सैनिक होते थे। मत्ती और मरकुस में इससे मिलते-जुलते ब्यौरों के मुताबिक सेना-अफसर ने भी कबूल किया कि यीशु “परमेश्वर का बेटा” है।—मत 27:54; मर 15:39.
यूसुफ: मर 15:43 का अध्ययन नोट देखें।
धर्म-सभा का सदस्य: यानी यरूशलेम में यहूदियों की सबसे बड़ी अदालत, महासभा का एक सदस्य।—मत 26:59 का अध्ययन नोट और शब्दावली में “महासभा” देखें।
अरिमतियाह: मत 27:57 का अध्ययन नोट देखें।
कब्र: मत 27:60 का अध्ययन नोट देखें।
तैयारी: मत 27:62 का अध्ययन नोट देखें।
कब्र: या “स्मारक कब्र।”—शब्दावली में “स्मारक कब्र” देखें।
तसवीर और ऑडियो-वीडियो
इस तसवीर में दिखाया गया है कि कैसे एक इंसान की एड़ी में 4.5 इंच (11.5 सें.मी.) लंबी एक लोहे की कील ठोंकी गयी है। यह सचमुच की एड़ी की हड्डी नहीं बल्कि उसका नमूना है। असली हड्डी का टुकड़ा तो 1968 में पुरातत्ववेत्ताओं को उत्तरी यरूशलेम में खुदाई के वक्त मिला था। यह टुकड़ा रोमी लोगों के ज़माने का था। इससे पता चलता है कि लोगों को कीलों से काठ पर ठोंका जाता था। रोमी सैनिकों ने शायद इसी तरह की कीलों से यीशु मसीह को काठ पर ठोंका था। हड्डी का वह टुकड़ा पत्थर के एक बक्से में मिला था जिसमें लाश के सड़ जाने पर उसकी हड्डियाँ रखी जाती थीं। इससे पता चलता है कि किसी को काठ पर लटकाकर मार डालने के बाद कभी-कभी उसे दफनाया जाता था।
यहूदी आम तौर पर गुफाओं या चट्टानों को काटकर बनायी गयी कब्रों में लाश दफनाते थे। राजाओं की कब्रों को छोड़ बाकी सभी कब्रें शहरों से बाहर होती थीं। गौर करने लायक बात यह है कि जो यहूदी कब्रें मिली हैं, वे बहुत सादी हैं। ऐसा इसलिए था क्योंकि सबूत दिखाते हैं कि यहूदी न तो मरे हुओं की पूजा करते थे और न ही अमर आत्मा की शिक्षा को बढ़ावा देते थे।