मत्ती के मुताबिक खुशखबरी 10:1-42
कई फुटनोट
अध्ययन नोट
प्रेषितों: या “भेजे हुए।” यूनानी शब्द अपोस्टोलोस यूनानी क्रिया अपोस्टैलो से निकला है जिसका मतलब है, “भेजना (या बाहर भेजना)।” (मत 10:5; लूक 11:49; 14:32) ‘प्रेषित’ का बुनियादी मतलब यूह 13:16 में कही यीशु की बात से साफ पता चलता है, जहाँ लिखा है: “भेजा हुआ।”
शमौन जो पतरस कहलाता है: बाइबल में पतरस के पाँच नाम दिए हैं: (1) “शिमौन”; (2) “शमौन” (शिमौन और शमौन, दोनों एक ही इब्रानी क्रिया से निकले हैं जिसका मतलब है, “सुनना; कान लगाना”); (3) “पतरस” (यूनानी नाम जिसका मतलब है, “चट्टान का टुकड़ा” और शास्त्र में यह नाम सिर्फ उसी का है); (4) “कैफा” जो पतरस का अरामी भाषा में अनुवाद है (शायद यह इब्रानी शब्द केफिम [चट्टानों] से जुड़ा है जो अय 30:6; यिर्म 4:29 में इस्तेमाल हुआ है) और (5) “शमौन पतरस” जो दो नामों से मिलकर बना है।—प्रेष 15:14; यूह 1:42; मत 16:16.
कर-वसूलनेवाले: कई यहूदी, रोमी अधिकारियों के लिए कर वसूलते थे। इन यहूदियों से नफरत की जाती थी क्योंकि वे ऐसी विदेशी सरकार का साथ दे रहे थे जिसे लोग पसंद नहीं करते थे। इसके अलावा, ये यहूदी कर के लिए तय की गयी रकम से ज़्यादा वसूल करते थे। यहूदी लोग कर-वसूलनेवालों को पापी और वेश्याओं के जैसा तुच्छ मानते थे और उनसे दूर ही रहते थे।—मत 11:19; 21:32.
हलफई का बेटा याकूब: ज़ाहिर है कि यह याकूब वही चेला है जिसे मर 15:40 में ‘छोटा याकूब’ कहा गया है। आम तौर पर माना जाता है कि हलफई ही क्लोपास था (यूह 19:25), यानी उस औरत का पति जिसे “दूसरी मरियम” कहा गया है (मत 27:56; 28:1; मर 15:40; 16:1; लूक 24:10)। ज़ाहिर है कि यहाँ बताया गया हलफई, लेवी के पिता हलफई से अलग था जिसका ज़िक्र मर 2:14 में किया गया है।
बरतुलमै: मतलब, “तुलमै का बेटा।” माना जाता है कि यही नतनएल है जिसका ज़िक्र यूहन्ना ने किया। (यूह 1:45, 46) खुशखबरी की किताबों की आपस में तुलना करने से पता चलता है कि मत्ती और लूका ने जिस तरह बरतुलमै और फिलिप्पुस का साथ-साथ ज़िक्र किया, उसी तरह यूहन्ना ने नतनएल और फिलिप्पुस का साथ-साथ ज़िक्र किया।—मत 10:3; लूक 6:14.
कर-वसूलनेवाला: इस खुशखबरी की किताब का लेखक मत्ती पहले कर-वसूलनेवाला था, इसलिए उसने कई बार संख्याओं और पैसों का ज़िक्र किया। (मत 17:27; 26:15; 27:3) यहाँ तक कि उसने उन संख्याओं को स्पष्ट भी किया। उसने यीशु की वंशावली को तीन भागों में बाँटा और हर भाग में 14 पीढ़ियाँ बतायीं। (मत 1:1-17) उसने प्रभु की प्रार्थना की सात बिनतियाँ लिखीं (मत 6:9-13), मत 13 में सात मिसालें बतायीं और मत 23:13-36 में सात बार धर्म गुरुओं को धिक्कारे जाने के बारे में बताया। शब्द ‘कर-वसूलनेवाले’ के लिए मत 5:46 का अध्ययन नोट देखें।
मत्ती: लेवी भी कहलाता था।—लूक 5:2.
हलफई का बेटा याकूब: मर 3:18 का अध्ययन नोट देखें।
तद्दी: लूक 6:16 और प्रेष 1:13 में जब प्रेषितों के नाम बताए गए तो उसमें तद्दी नाम नहीं है। इसके बजाय उसमें लिखा है, “याकूब का बेटा यहूदा।” इससे पता चलता है कि इस प्रेषित का दूसरा नाम तद्दी है जिसके बारे में यूहन्ना ने इस तरह लिखा: “यहूदा (इस्करियोती नहीं)।” (यूह 14:22) लोग प्रेषित यहूदा को गद्दार यहूदा इस्करियोती समझने की गलती न करें, इसलिए शायद कुछ आयतों में उसे तद्दी कहा गया है।
जोशीला: शा., “कनानानी।” प्रेषित शमौन के नाम के साथ यह उपाधि इसलिए जोड़ी गयी ताकि इसके और प्रेषित शमौन पतरस के बीच फर्क किया जा सके। (मर 3:18) माना जाता है कि यह उपाधि या तो इब्रानी या अरामी शब्द से निकली है जिसका मतलब है, “जोशीला व्यक्ति; उत्साही व्यक्ति।” लूका ने भी इसी शमौन को “जोशीला” कहा और इसके लिए उसने यूनानी शब्द ज़ीलोटेस इस्तेमाल किया जिसका मतलब भी “जोशीला व्यक्ति; उत्साही व्यक्ति” है। (लूक 6:15; प्रेष 1:13) हालाँकि यह हो सकता है कि एक वक्त पर शमौन कट्टरपंथी यहूदियों के गुट (ज़ीलोट्स) का हिस्सा रहा हो, जो रोमियों का विरोध करता था, मगर यह भी हो सकता है कि उसे यह उपाधि परमेश्वर की सेवा में जोश और उत्साह दिखाने की वजह से दी गयी हो।
इस्करियोती: शायद इसका मतलब है, “करियोत का रहनेवाला।” यहूदा का पिता शमौन भी “इस्करियोती” कहलाता था। (यूह 6:71) आम तौर पर विद्वानों का मानना है कि इस शब्द से पता चलता है कि शमौन और यहूदा, यहूदिया प्रदेश के करियोत-हेसरोन नगर से थे। (यह 15:25) अगर यह सच है तो 12 प्रेषितों में से सिर्फ यहूदा ही यहूदिया से था, बाकी प्रेषित गलील से थे।
प्रचार करने लगा: इनके यूनानी शब्द का बुनियादी मतलब है, “लोगों को सरेआम संदेश सुनाना।” इससे संदेश सुनाने का तरीका पता चलता है और वह है: सरेआम सब लोगों को संदेश सुनाना, न कि एक समूह को उपदेश देना।
स्वर्ग का राज पास आ गया है: दुनिया की एक नयी सरकार यानी परमेश्वर का राज ही यीशु की प्रचार सेवा का मुख्य विषय था। (मत 10:7; मर 1:15) यूहन्ना बपतिस्मा देनेवाले ने यीशु के बपतिस्मे के करीब छ: महीने पहले यही संदेश सुनाना शुरू किया था। (मत 3:1, 2) लेकिन अब यीशु उनके बीच था जिसे उस राज का राजा होने के लिए अभिषिक्त किया गया था। इसलिए वह और भी दमदार तरीके से ऐलान कर पाया कि राज “पास आ गया है।” बाइबल में कहीं नहीं बताया गया है कि यीशु की मौत के बाद भी उसके चेले यह संदेश सुनाते रहे कि राज “पास आ गया है।”
प्रचार करना: यानी सरेआम सब लोगों को संदेश सुनाना।—मत 3:1 का अध्ययन नोट देखें।
स्वर्ग का राज पास आ गया है: मत 4:17 का अध्ययन नोट देखें।
एक कोढ़ी: एक गंभीर चर्मरोग से पीड़ित व्यक्ति। बाइबल में जिस कोढ़ का ज़िक्र मिलता है वह आज के कोढ़ जैसा नहीं था। जब किसी को कोढ़ हो जाता था तो उसे समाज से निकाल दिया जाता था। ठीक होने के बाद ही वह वापस आ सकता था।—लैव 13:2, फु., 45, 46; शब्दावली में “कोढ़; कोढ़ी” देखें।
कोढ़ियों: मत 8:2 का अध्ययन नोट और शब्दावली में “कोढ़; कोढ़ी” देखें।
नमस्कार करो: आम तौर पर यहूदी यह कहकर नमस्कार करते थे, “तुझे शांति मिले।”—न्या 19:20, फु.; मत 10:13; लूक 10:5.
अपने पैरों की धूल झाड़ देना: चेलों का ऐसा करना दिखाता कि परमेश्वर उस घर के लोगों का जो न्याय करता उसके लिए वे ज़िम्मेदार नहीं होते। ये शब्द मर 6:11 और लूक 9:5 में भी पाए जाते हैं। इन शब्दों के साथ-साथ मरकुस ने यह भी लिखा, “ताकि उन्हें गवाही मिले” और लूका ने लिखा, “ताकि उनके खिलाफ गवाही हो।” पौलुस और बरनबास जब पिसिदिया इलाके के अंताकिया शहर में थे तो उन्होंने भी यह हिदायत मानी। (प्रेष 13:51) पौलुस जब कुरिंथ में था तो उसने कुछ इससे मिलता-जुलता ही किया। उसने अपने कपड़े झाड़े और वहाँ के लोगों से कहा, “तुम्हारा खून तुम्हारे ही सिर पड़े। मैं निर्दोष हूँ।” (प्रेष 18:6) पैरों की धूल झाड़ना, इस तरह के व्यवहार से चेले शायद वाकिफ थे। धर्मी होने का दम भरनेवाले यहूदी जब गैर-यहूदियों के देश से सफर करके आते थे, तो अपने इलाकों में घुसने से पहले पैरों की धूल झाड़ देते थे क्योंकि वे सोचते थे कि उस देश की मिट्टी अशुद्ध है। लेकिन ज़ाहिर है कि जब यीशु ने अपने चेलों को यह हिदायत दी तो उसके मन में यह बात नहीं थी।
सच: यूनानी शब्द आमीन, इब्रानी शब्द आमेन से लिया गया है जिसका मतलब है, “ऐसा ही हो” या “ज़रूर।” यीशु अकसर कोई बात, वादा या भविष्यवाणी करने से पहले इस शब्द का इस्तेमाल करता था ताकि वह जो कह रहा है उस पर लोगों को भरोसा हो। यीशु ने जिस तरह “सच” यानी आमीन शब्द का इस्तेमाल किया, वैसा दूसरी धार्मिक किताबों में नहीं हुआ है। जहाँ यह शब्द साथ-साथ आया है (आमीन-आमीन), वहाँ उस शब्द का अनुवाद “सच-सच” किया गया है, जैसे हम यूहन्ना की खुशखबरी की किताब में कई बार देख सकते हैं।—यूह 1:51.
सच: मत 5:18 का अध्ययन नोट देखें।
देख!: इसका यूनानी शब्द आइडू है और इसका इस्तेमाल अकसर आगे की बात पर ध्यान खींचने के लिए किया गया है ताकि पढ़नेवाला बतायी जा रही घटना की कल्पना कर सके या उसकी बारीकी पर ध्यान दे सके। यह शब्द किसी बात पर ज़ोर देने के लिए या कोई नयी या हैरानी की बात बताने से पहले भी इस्तेमाल किया गया है। मसीही यूनानी शास्त्र में यह शब्द सबसे ज़्यादा बार मत्ती, लूका और प्रकाशितवाक्य की किताबों में आया है। इसी से मिलता-जुलता शब्द इब्रानी शास्त्र में भी अकसर इस्तेमाल हुआ है।
देखो!: मत 1:23 का अध्ययन नोट देखें।
साँपों की तरह सतर्क: यहाँ सतर्क रहने का मतलब है: दूर की सोचना, समझ से काम लेना, होशियार रहना। जानवरों पर अध्ययन करनेवालों ने गौर किया है कि ज़्यादातर साँप खतरा देखते ही हमला करने के बजाय भागने की कोशिश करते हैं। यीशु अपने चेलों से कह रहा था कि साँपों की तरह वे भी विरोधियों से खबरदार रहें और प्रचार करते वक्त सतर्क रहें ताकि खतरों से बच सकें।
सबसे बड़ी अदालत: यानी यरूशलेम की महासभा। यह महासभा, महायाजक और 70 दूसरे सदस्यों से बनी होती थी जिनमें मुखिया और शास्त्री होते थे। महासभा जो फैसला सुनाती थी उसे यहूदी लोग आखिरी फैसला मानते थे।—शब्दावली में “महासभा” देखें।
महासभा: यरूशलेम में यहूदियों की सबसे बड़ी अदालत। “महासभा” के यूनानी शब्द सिनेड्रियोन का शाब्दिक मतलब है, “के साथ बैठना।” हालाँकि यह शब्द एक आम सभा के लिए भी इस्तेमाल होता था, लेकिन इसराएल में इसका मतलब फैसला सुनानेवाला धार्मिक समूह या अदालत भी हो सकता था।—मत 5:22 का अध्ययन नोट और शब्दावली देखें; साथ ही महासभा का भवन कहाँ रहा होगा, यह जानने के लिए अति. ख12 देखें।
निचली अदालतों: मसीही यूनानी शास्त्र में अकसर शब्द सिनेड्रियोन यरूशलेम में यहूदियों की सबसे बड़ी अदालत यानी महासभा के लिए इस्तेमाल हुआ है। (शब्दावली में “महासभा” और मत 5:22; 26:59 के अध्ययन नोट देखें।) लेकिन यह शब्द एक आम सभा के लिए भी इस्तेमाल होता था। इस आयत में शब्द सिनेड्रियोन का बहुवचन इस्तेमाल हुआ है और इसका अनुवाद “निचली अदालतों” किया गया है। ये अदालतें अकसर सभा-घरों में लगती थीं और इन्हें कोड़े लगवाने और समाज से बहिष्कार करने की सज़ा सुनाने का अधिकार था।—मत 23:34; मर 13:9; लूक 21:12; यूह 9:22; 12:42; 16:2.
धीरज धरेगा: या “धीरज धरता है।” इनकी यूनानी क्रिया (हाइपोमेनो) का शाब्दिक मतलब है, “में बने (या टिके) रहना।” इसका अकसर मतलब होता है, “भागने के बजाय बने रहना; डटे रहना; लगे रहना; अटल रहना।” (मत 10:22; रोम 12:12; इब्र 10:32; याकू 5:11) इस संदर्भ में इस क्रिया का मतलब है, मसीह का चेला होने के नाते एक व्यक्ति का सही राह पर बने रहना, फिर चाहे इसके लिए उसे कितने भी विरोध या मुश्किलों का सामना क्यों न करना पड़े।—मत 24:9-12.
धीरज धरेगा: या “धरता है।”—मत 24:13 का अध्ययन नोट देखें।
इंसान के बेटे: ये शब्द खुशखबरी की किताबों में करीब 80 बार आते हैं। यीशु ने ये शब्द खुद के लिए इस्तेमाल किए। ज़ाहिर है उसने ऐसा इसलिए किया ताकि साबित हो सके कि वह वाकई एक इंसान है और औरत से जन्मा है और आदम के बराबर है। इसलिए उसके पास इंसानों को पाप और मौत से छुड़ाने का अधिकार है। (रोम 5:12, 14, 15) इन शब्दों से यह भी पता चलता है कि यीशु ही मसीहा या मसीह है।—दान 7:13, 14; शब्दावली में “इंसान का बेटा” देखें।
इंसान का बेटा: मत 8:20 का अध्ययन नोट देखें।
बाल-ज़बूल: यह नाम शायद बाल-जबूब नाम का ही दूसरा रूप है, जिसका मतलब है “मक्खियों का मालिक।” इस बाल देवता की पूजा एक्रोन के पलिश्ती लोग करते थे। (2रा 1:3) कुछ यूनानी हस्तलिपियों में यह दूसरे तरीके से लिखा गया है, बील-ज़ीबाउल या बी-ज़ीबाउल जिनका शायद मतलब है, “ऊँचे निवास का मालिक।” या अगर परसर्ग ज़ीबाउल इब्रानी शब्द ज़ीवेल (मल) से लिया गया है, जो शब्द बाइबल में नहीं है, तो इन नामों का मतलब “मल का मालिक” हो सकता है। मत 12:24 के मुताबिक, यह नाम शैतान को दिया गया है जो दुष्ट स्वर्गदूतों का राजा या शासक है।
उजाले में: यानी सबके सामने या सरेआम।
घर की छतों पर चढ़कर ऐलान करो: एक मुहावरा, जिसका मतलब है “सरेआम ऐलान करना।” बाइबल के ज़माने में घरों की छतें सपाट होती थीं जहाँ से ऐलान किया जा सकता था। इसके अलावा वहाँ किए जानेवाले कुछ कामों का सबको पता चल जाता था।—2शम 16:22.
गेहन्ना: यह इब्रानी शब्दों गेह हिन्नोम से निकला है जिनका मतलब है, “हिन्नोम घाटी।” यह घाटी प्राचीन यरूशलेम के पश्चिम और दक्षिण में थी। (अति. ख12, “यरूशलेम और उसके आस-पास का इलाका” नक्शा देखें।) यीशु के दिनों तक यह घाटी कूड़ा-करकट जलाने की जगह बन गयी थी। इसलिए हमेशा का विनाश बताने के लिए “गेहन्ना” शब्द एकदम सही था।—शब्दावली देखें।
जीवन: यानी वह जीवन, जो एक इंसान को भविष्य में ज़िंदा करके दिया जाएगा। इब्रानी शब्द नेफेश और यूनानी शब्द साइखी का मतलब है: (1) लोग, (2) जीव-जंतु या (3) इंसान और जीव-जंतुओं का जीवन। (उत 1:20; 2:7; गि 31:28; 1पत 3:20) यूनानी शब्द साइखी का मतलब “इंसान का जीवन” है, इसके उदाहरण आगे दी आयतों में पाए जा सकते हैं: मत 6:25; 10:39; 16:25, 26; मर 8:35-37; लूक 12:20; यूह 10:11, 15; 12:25; 13:37, 38; 15:13; प्रेष 20:10. ऐसी आयतों से हमें यहाँ कही यीशु की बात की सही समझ मिलती है।—शब्दावली देखें।
जो जीवन और शरीर दोनों को . . . मिटा सकता है: सिर्फ परमेश्वर एक इंसान का “जीवन” (यहाँ इसका मतलब है, जीवन पाने की उम्मीद) मिटा सकता है या उसे दोबारा ज़िंदा करके हमेशा की ज़िंदगी दे सकता है।
गेहन्ना: यानी हमेशा का विनाश।—मत 5:22 का अध्ययन नोट और शब्दावली देखें।
एक पैसे में: शा., “एक असारियन” यानी 45 मिनट की मज़दूरी। (अति. ख14 देखें।) जब यीशु गलील के तीसरे दौरे पर था तो उसने कहा कि दो गौरैयों की कीमत एक असारियन है। एक दूसरे मौके पर, शायद एक साल बाद यहूदिया में प्रचार करते वक्त, यीशु ने कहा कि पाँच गौरैयों की कीमत दो असारियन है। (लूक 12:6) मतलब, व्यापारी पाँचवीं गौरैया मुफ्त में ही दे देते थे। इससे पता चलता है कि गौरैया बहुत मामूली-सी चिड़िया मानी जाती थी।
चिड़ियाँ: यूनानी शब्द स्ट्रूथियोन अल्पार्थक संज्ञा है जिसका मतलब है, कोई भी छोटी चिड़िया। मगर यह शब्द अकसर गौरैया के लिए इस्तेमाल होता था, जो भोजन के लिए सबसे सस्ती चिड़िया होती थी।
तुम्हारे सिर का एक-एक बाल तक गिना हुआ है: कहा जाता है कि एक इंसान के सिर पर औसतन 1,00,000 से भी ज़्यादा बाल होते हैं। यहोवा का इतनी बारीक जानकारी रखना हमें भरोसा दिलाता है कि उसे मसीह के हर चेले में गहरी दिलचस्पी है।
यातना का काठ: या “मौत का काठ।” यूनानी शब्द स्टौरोस यहाँ पहली बार आया है। प्राचीन यूनानी भाषा में इस शब्द का खास तौर से मतलब है, सीधा काठ या खंभा। यह शब्द लाक्षणिक तौर पर इस्तेमाल हुआ है और कभी-कभी उसका मतलब है, यीशु का चेला होने की वजह से यातना, दुख-तकलीफें, शर्मिंदगी, यहाँ तक कि मौत सहना।—शब्दावली देखें।
उठाना चाहता: यहाँ शब्द ‘उठाना’ लाक्षणिक तौर पर इस्तेमाल किया गया है, जिसका मतलब है यीशु का चेला बनने की ज़िम्मेदारी लेना और उसके नतीजों के लिए तैयार रहना।
जान: शब्दावली में “जीवन” देखें।
के नाम से: “नाम” के यूनानी शब्द (ओनोमा) का मतलब एक व्यक्ति का सिर्फ नाम नहीं है। इस संदर्भ में “के नाम से” का मतलब है, पिता और बेटे के अधिकार और ओहदे को मानना और पवित्र शक्ति की भूमिका को समझना। ऐसा तब होता है जब एक व्यक्ति परमेश्वर के साथ रिश्ता बनाता है।—मत 10:41 के अध्ययन नोट से तुलना करें।
कि वह भविष्यवक्ता है: शा., “भविष्यवक्ता के नाम से।” “के नाम से” एक यूनानी मुहावरा है जिसका इस आयत में मतलब है, एक भविष्यवक्ता के ओहदे और काम का आदर करना।—मत 28:19 के अध्ययन नोट से तुलना करें।
इनाम . . . जो एक भविष्यवक्ता को मिलता है: जो लोग सच्चे भविष्यवक्ताओं को अपनाते और उनका साथ देते हैं, उन्हें परमेश्वर भरपूर आशीषें देगा। पहला रा 17 में दी एक विधवा की घटना इस बात की बढ़िया मिसाल है।
तसवीर और ऑडियो-वीडियो

प्राचीन समय के इब्री लोग आम तौर पर अपने पास लाठी या डंडा रखते थे। यह कई तरह से काम में आता था, जैसे सहारे के लिए (निर्ग 12:11; जक 8:4; इब्र 11:21), बचाव या लड़ने के लिए (2शमू 23:21), दाँवने के लिए (यश 28:27) और जैतून के पेड़ झाड़ने के लिए ताकि फल गिर सकें (व्य 24:20; यश 24:13)। खाने की पोटली एक थैला होता था, जो आम तौर पर चमड़े का होता था। मुसाफिर, चरवाहे, किसान और दूसरे लोग इसे अपने कंधे पर टाँग लेते थे। इसमें खाना, कपड़े और दूसरी चीज़ें रखी जाती थीं। यीशु ने जब अपने प्रेषितों को प्रचार के लिए भेजा, तो उसने उन्हें लाठी और खाने की पोटली के बारे में भी हिदायतें दीं। प्रेषितों के पास जो चीज़ें थीं बस वही लेकर उन्हें जाना था और यहोवा उनका खयाल रखता। अगर वे कुछ और लेने की कोशिश करते तो प्रचार से उनका ध्यान भटक सकता था।—यीशु की हिदायतों का क्या मतलब था, यह जानने के लिए लूक 9:3 और 10:4 के अध्ययन नोट देखें।

भेड़िए आम तौर पर रात को शिकार करते हैं। (हब 1:8) वे किसी से डरते नहीं, साथ ही बहुत खूँखार और लालची होते हैं। अकसर वे जितना खा सकते या उठाकर ले जा सकते, उससे ज़्यादा भेड़ों को मार डालते हैं। बाइबल के ज़माने में जानवरों, उनके स्वभाव और उनकी आदतों के बारे में अकसर लाक्षणिक तौर पर बात की जाती थी। अच्छे गुण या बुरे गुण बताने के लिए उनकी मिसाल दी जाती थी। जैसे, याकूब ने अपनी मौत से पहले जो भविष्यवाणी की, उसमें उसने बिन्यामीन के गोत्र के बारे में कहा कि वह भेड़िए (कैनिस लूपस ) की तरह निडर होकर लड़ेगा। (उत 49:27) लेकिन ज़्यादातर आयतों में भेड़िए का ज़िक्र बुरे गुण बताने के लिए किया गया है, जैसे लालच, क्रूरता और चालाकी। जिन लोगों की तुलना भेड़ियों से की गयी है, उनमें कुछ थे: झूठे भविष्यवक्ता (मत 7:15), मसीहियों के प्रचार का कड़ा विरोध करनेवाले (मत 10:16; लूक 10:3) और मंडली के अंदर से ही उठ खड़े होनेवाले झूठे शिक्षक जो मसीहियों के लिए खतरा थे (प्रेष 20:29, 30)। चरवाहे अच्छी तरह जानते थे कि भेड़िए उनकी भेड़ों के लिए बहुत बड़ा खतरा हैं। एक बार यीशु ने कहा कि “मज़दूरी पर रखा गया आदमी” जब “भेड़िए को आते देखता है, तो भेड़ों को छोड़कर भाग जाता है।” मगर यीशु उस आदमी की तरह नहीं है जिसे “भेड़ों की परवाह नहीं होती।” इसके बजाय “वह अच्छा चरवाहा” है जो “भेड़ों की खातिर अपनी जान दे देता है।”—यूह 10:11-13.

सबसे खतरनाक कोड़े को फ्लैगेलम कहा जाता था। इसमें एक हत्था होता था जिसमें कई रस्सियाँ या गुथी हुई चमड़े की पट्टियाँ लगी होती थीं। इन पट्टियों में नुकीली हड्डियाँ या धातु के टुकड़े लगाए जाते थे ताकि इनकी मार और भी दर्दनाक हो।

घर की छत पर परिवार के लोग बहुत-से काम करते थे। एक पिता अपने परिवार को यहोवा के बारे में सिखाने के लिए शायद छत पर बुलाता था। उदाहरण के लिए, बटोरने के त्योहार के दौरान छतों पर छप्पर डाला जाता था। (लैव 23:41, 42; व्य 16:13-15) छतों पर अलसी और दूसरी चीज़ें सुखायी जाती थीं। (यह 2:6) कभी-कभी लोग छत पर सोते भी थे। (1शम 9:25, 26) छत पर किया जानेवाला कोई भी काम आसानी से दूसरों को दिखायी देता था। (2शम 16:22) छत पर से की गयी कोई भी घोषणा फौरन पड़ोसियों और गली से गुज़रनेवाले लोगों को सुनायी देती थी।

हिन्नोम घाटी को यूनानी में गेहन्ना कहा जाता था। यह प्राचीन यरूशलेम के दक्षिण-पश्चिम में एक तंग घाटी है। यीशु के दिनों में यह घाटी कूड़ा-करकट जलाने की जगह थी। इसलिए हमेशा का विनाश बताने के लिए “गेहन्ना” शब्द एकदम सही था।

गौरैया खाने के लिए बिकनेवाली चिड़ियों में से सबसे सस्ती थी। एक आदमी की 45 मिनट की मज़दूरी से दो गौरैया खरीदी जा सकती थीं। शब्द “चिड़ियाँ” के लिए यूनानी में जो शब्द इस्तेमाल हुआ है, उसका मतलब कई तरह की छोटी-छोटी चिड़ियाँ हो सकता है। इनमें से दो हैं, घरेलू गौरैया (पास्सेर डोमेस्टिकस बिब्लिकस) और स्पेनी गौरैया (पास्सेर हिस्पैनियोलैंसिस), जो आज भी इसराएल देश में काफी देखने को मिलती हैं।