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बलिदान जिनसे परमेश्‍वर खुश हुआ

बलिदान जिनसे परमेश्‍वर खुश हुआ

बलिदान जिनसे परमेश्‍वर खुश हुआ

“हर एक महायाजक भेंट, और बलिदान चढ़ाने के लिये ठहराया जाता है।”इब्रानियों 8:3.

1. इंसान को परमेश्‍वर के लिए बलि चढ़ाने की ज़रूरत क्यों महसूस होती है?

 “इंसान के लिए बलि चढ़ाना उतना ही ‘स्वाभाविक’ है जितना कि ईश्‍वर से प्रार्थना करना।” बाइबल इतिहासकार, अलफ्रॆड इडरशाइम ने यूँ लिखा। इंसान पापी है और इसलिए खुद को दोषी महसूस करता है और परमेश्‍वर से दूर चला गया है। सो, इनसे राहत पाने के लिए ही उसे परमेश्‍वर के लिए बलि चढ़ाने की ज़रूरत महसूस होती है।—रोमियों 5:12.

2. उत्पत्ति में किन-किन लोगों द्वारा बलि चढ़ाने का ज़िक्र है?

2 बलि चढ़ाने का पहला ज़िक्र बाइबल की पहली पुस्तक, उत्पत्ति में है। उसमें लिखा है: “कुछ दिनों के पश्‍चात्‌ कैन यहोवा के पास भूमि की उपज में से कुछ भेंट ले आया। और हाबिल भी अपनी भेड़-बकरियों के कई एक पहिलौठे बच्चे भेंट चढ़ाने ले आया और उनकी चर्बी भेंट चढ़ाई।” (उत्पत्ति 4:3, 4) अगला ज़िक्र नूह का है, जिसने जलप्रलय से बचाए जाने के बाद यहोवा के लिए ‘वेदी पर होमबलि चढ़ायी।’ (उत्पत्ति 8:20) फिर परमेश्‍वर के वफादार सेवक और दोस्त इब्राहीम ने भी कई बार परमेश्‍वर के लिए बलि चढ़ायी। यहोवा के वादों और आशीषों का एहसान दिखाने के लिए उसने “वेदी बनाई: और यहोवा से प्रार्थना की।” (उत्पत्ति 12:8; 13:3, 4, 18) बाद में, यहोवा ने इब्राहीम से अपने बेटे इसहाक को होमबलि करके चढ़ाने के लिए कहा, जो उसके विश्‍वास की सबसे बड़ी परीक्षा थी। (उत्पत्ति 22:1-14) बाइबल में दी गयी इन घटनाओं से हमें बलिदान के विषय पर काफी जानकारी मिलती है।

3. बलिदान क्यों चढ़ाए जाते थे?

3 बाइबल की ऐसी घटनाओं से ज़ाहिर होता है कि बलि चढ़ाना यहोवा परमेश्‍वर की उपासना का एक भाग था। इस बारे में एक किताब कहती है कि ‘बलि इसलिए चढ़ायी जाती है ताकि व्यक्‍ति परमेश्‍वर के साथ एक अच्छा रिश्‍ता बना सके, उसे कायम रख सके और अगर रिश्‍ता टूट जाए, तो उसे फिर से बहाल कर सके।’ लेकिन ये सवाल उठते हैं: परमेश्‍वर की उपासना में बलिदान की क्या अहमियत है? परमेश्‍वर को किस तरह के बलिदान पसंद है? और पुराने ज़माने में चढ़ाए जानेवाले बलिदान हमारे लिए क्या मतलब रखते हैं?

बलिदान चढ़ाने की ज़रूरत क्यों है?

4. जब आदम और हव्वा ने पाप किया, तो उसका अंजाम क्या हुआ?

4 पहले मनुष्य आदम ने जानबूझकर पाप किया था। उसने अच्छे-बुरे के ज्ञान के पेड़ का फल खाकर परमेश्‍वर की आज्ञा तोड़ी। इसकी सज़ा थी मौत, क्योंकि परमेश्‍वर ने पहले ही साफ-साफ बता दिया था: “जिस दिन तू उसका फल खाए उसी दिन अवश्‍य मर जाएगा।” (उत्पत्ति 2:17) और ऐसा ही हुआ। आदम और हव्वा को आखिर में पाप की मज़दूरी मिली यानी वे मर गए।—उत्पत्ति 3:19; 5:3-5.

5. मनुष्यजाति को छुटकारा दिलाने के लिए यहोवा ने क्यों कदम उठाया और उसने क्या किया?

5 मगर, आदम की संतान के बारे में क्या? आदम की वज़ह से उसकी संतान यानी मनुष्यजाति पापी और असिद्ध है और परमेश्‍वर से दूर चली गयी है और वे भी मरते हैं। (रोमियों 5:14) उन्हें पाप और मृत्यु की दलदल से बाहर निकलने की कोई आशा नहीं थी। मगर यहोवा परमेश्‍वर ने उन्हें यूँ ही नहीं छोड़ दिया। वह न्यायी और प्रेमी परमेश्‍वर है। (1 यूहन्‍ना 4:8, 16) इसलिए उसने अपने और मनुष्यजाति के बीच आयी दरार को मिटाने के लिए खुद कदम उठाया और छुड़ौती का प्रबंध किया। इसके बारे में बाइबल कहती है, “पाप की मजदूरी तो मृत्यु है, परन्तु परमेश्‍वर का बरदान हमारे प्रभु मसीह यीशु में अनन्त जीवन है।”—रोमियों 6:23.

6. आदम के पाप से हुए नुकसान को भरने के लिए यहोवा ने क्या प्रबंध किया?

6 यहोवा ने यह छुड़ौती कैसे दी? उसने अपने बेटे यीशु का बलिदान दिया। यह आदम के पाप का प्रायश्‍चित है। इब्रानी भाषा में “प्रायश्‍चित” का शब्द कफर है जिसका मतलब “कीमत चुकाना” या “भरपाई करना” भी हो सकता है। * सो बलिदान का यह प्रबंध मानो पाप की ‘कीमत चुकाता’ और उसके नुकसान को ‘भरता’ है। और इस प्रबंध का फायदा सिर्फ उन्हीं लोगों को होता है जो इस बलिदान में विश्‍वास करते हैं।—रोमियों 8:21.

7. (क) शैतान को सुनायी गयी सज़ा में मनुष्यजाति के लिए कौन-सी आशा थी? (ख) इंसानों को पाप और मृत्यु से छुड़ाने के लिए वंश को कौन-सी कीमत चुकानी थी?

7 आदम और हव्वा के पाप करने के तुरंत बाद ही यहोवा ने मनुष्यजाति को पाप और मृत्यु से छुटकारा पाने की आशा दी। साँप अर्थात्‌ शैतान को सज़ा सुनाते हुए यहोवा ने कहा: “मैं तेरे और इस स्त्री के बीच में, और तेरे वंश और इसके वंश के बीच में बैर उत्पन्‍न करुंगा, वह तेरे सिर को कुचल डालेगा, और तू उसकी एड़ी को डसेगा।” (उत्पत्ति 3:15) इस भविष्यवाणी से मनुष्यजाति को आशा मिली कि जो वंश पर विश्‍वास करेगा, उसे पाप और मृत्यु से छुड़ाया जाएगा। मगर, छुटकारा दिलाने के लिए वंश को भारी कीमत भी चुकानी पड़ेगी। शैतान का नाश करने से पहले वंश की एड़ी डसी जाएगी यानी उसे कुछ समय के लिए ही सही, मगर मरना होगा।

8. (क) यहोवा कैन से क्यों खुश नहीं था? (ख) यहोवा ने हाबिल का बलिदान क्यों कबूल किया?

8 बेशक आदम और हव्वा ने यह जानने की बहुत कोशिश की होगी कि वह वंश कौन होगा। जब हव्वा ने अपने पहले बेटे कैन को जन्म दिया, तब उसने कहा: “मैं ने यहोवा की सहायता से एक पुरुष पाया है।” (उत्पत्ति 4:1) क्या उसने यह सोचा कि उसका बेटा ही वह “वंश” होगा? यह तो हम नहीं कह सकते, मगर हम इतना ज़रूर जानते हैं कि यहोवा न तो कैन से और ना ही उसकी भेंट से खुश था क्योंकि उसमें विश्‍वास की कमी थी। लेकिन उसके भाई हाबिल ने परमेश्‍वर के वादे पर पूरा भरोसा किया और इस वज़ह से उसने अपनी भेड़ों में से कुछ पहलौठों को यहोवा के लिए बलि चढ़ायी। इस बारे में हम पढ़ते हैं: “विश्‍वास ही से हाबील ने कैन से उत्तम बलिदान परमेश्‍वर के लिये चढ़ाया; और उसी के द्वारा उसके धर्मी होने की गवाही भी दी गई।”—इब्रानियों 11:4.

9. (क) हाबिल ने किस बात पर पूरा विश्‍वास किया और उसने इस विश्‍वास को कैसे दिखाया? (ख) हाबिल के बलिदान से क्या पता चला?

9 कैन तो जानता था कि परमेश्‍वर है, मगर उसे उस पर विश्‍वास नहीं था। मगर हाबिल को परमेश्‍वर में गहरा विश्‍वास था। हाबिल नहीं जानता था कि वंश के बारे में यहोवा का वादा कैसे पूरा होगा। मगर उसे परमेश्‍वर के वादे पर पूरा भरोसा था कि परमेश्‍वर इसी वंश के द्वारा सभी वफादार इंसानों को छुटकारा देगा। उस वादे में परमेश्‍वर ने कहा था कि वंश की एड़ी डसी जाएगी। इन शब्दों पर विचार करने पर हाबिल इस नतीजे पर पहुँचा होगा कि लहू का बहाया जाना ज़रूरी है, जिसके लिए उसे एक जानवर की बलि चढ़ानी होगी। सो, उसने ऐसा ही किया और इसके द्वारा दिखाया कि उसे परमेश्‍वर के वादे के पूरा होने का बेसब्री से इंतज़ार है। उसके विश्‍वास और बलिदान से यहोवा खुश हुआ। इतना ही नहीं, इससे यह भी पता चला कि बलिदान के ज़रिए ही पापी और असिद्ध इंसान परमेश्‍वर के साथ अपने टूटे रिश्‍ते को फिर से जोड़ सकता है।—उत्पत्ति 4:4; इब्रानियों 11:1, 6.

10. जब यहोवा ने इब्राहीम से इसहाक का बलिदान देने के लिए कहा, उससे क्या पता चला?

10 यहोवा ने इब्राहीम से जो कहा, उससे भी हमें यह पता चलता है कि परमेश्‍वर के साथ रिश्‍ता जोड़ने के लिए बलिदान की ज़रूरत है। यहोवा ने इब्राहीम से अपने बेटे इसहाक को होमबलि करके चढ़ाने के लिए कहा था। हालाँकि परमेश्‍वर ने उसे अपने बेटे को बलि चढ़ाने से रोक लिया, मगर इस घटना से उसने यह दिखाया कि वह आगे जाकर क्या करनेवाला था। वह सबसे बड़ी कुरबानी, यानी अपने एकलौते बेटे की बलि देनेवाला था, ताकि अपने और पापी, असिद्ध इंसान के बीच आयी दरार को मिटाया जाए। (यूहन्‍ना 3:16) मूसा की कानून-व्यवस्था में दिए गए नियमों से भी हम बलिदान चढ़ाए जाने के बारे में बहुत कुछ सीख सकते हैं। इनके ज़रिए यहोवा ने इस्राएलियों को यह दिखाया कि अपने पापों की माफी और छुटकारा पाने के लिए उन्हें क्या करना होगा। आइए देखें हम इनसे क्या सीख सकते हैं?

यहोवा किस तरह के बलिदान स्वीकार करता है?

11. इस्राएली महायाजक कौन-से दो किस्म के अर्पण चढ़ाता था और किस मकसद से?

11 इब्रानियों 8:3 में प्रेरित पौलुस के शब्दों पर ध्यान दीजिए। “हर एक महायाजक भेंट, और बलिदान चढ़ाने के लिये ठहराया जाता है।” (तिरछे टाइप हमारे।) मूसा की कानून-व्यवस्था के मुताबिक इस्राएली महायाजक “भेंट” भी चढ़ाते थे, और “बलिदान” या “पाप बलि” भी। (इब्रानियों 5:1) भेंट तब दी जाती है जब कोई किसी से प्यार ज़ाहिर करना चाहता है, उसकी कदर करता है, उससे अच्छा रिश्‍ता रखना चाहता है या उसे खुश करना चाहता है। (उत्पत्ति 32:20; नीतिवचन 18:16) उसी तरह इस्राएली, परमेश्‍वर को प्यार दिखाने और उससे अच्छा रिश्‍ता कायम करने के लिए “भेंट” चढ़ाते थे। * मगर जब कोई इस्राएली कानून-व्यवस्था के नियम तोड़ता और इस तरह पाप करता, तो उसके प्रायश्‍चित्त के लिए उसे “पाप बलि” चढ़ानी पड़ती थी। कानून-व्यवस्था में कौन-कौन-से बलिदान चढ़ाने की आज्ञा दी गयी थी, इसके बारे में उत्पत्ति से व्यवस्थाविवरण की किताबों में, खासकर निर्गमन, लैव्यव्यवस्था, और गिनती में बारीकी से बताया गया है। हालाँकि इन सभी बारीकियों को याद रखना हमारे लिए थोड़ा मुश्‍किल होगा, मगर यह ज़रूरी है कि हम उन पर गौर करें।

12. बाइबल में कहाँ-कहाँ पर बलिदानों के बारे में अच्छी तरह समझाया गया है?

12 लैव्यव्यवस्था के 1 से 7 अध्यायों में पाँच खास बलिदानों के बारे में अच्छी तरह समझाया गया है। वो हैं होमबलि, अन्‍नबलि, मेलबलि, पापबलि, और दोषबलि। इनमें से कुछ बलिदानों को साथ-साथ चढ़ाया जाता था। इन 7 अध्यायों में दो बार इन बलिदानों का विवरण दिया गया है। पहला, लैव्यव्यवस्था 1:2 से 6:7 में है, जहाँ बताया गया है कि वेदी पर क्या-क्या बलि चढ़ाए जाने हैं। दूसरा, 6:8 से 7:36 में है, जहाँ बताया गया है कि बलि का कौन-सा भाग याजकों को और कौन-सा भाग भेंट चढ़ानेवाले को दिया जाना है। और गिनती के 28 और 29 अध्यायों में समझाया गया है कि कौन-कौन-से बलिदान कब-कब चढ़ाए जाने चाहिए, जैसे हर रोज़, हर हफ्ते, हर महीने, और हर साल के त्योहारों में।

13. कौन-कौन-से बलिदान “भेंट” के तौर पर चढ़ाए जाते थे?

13 परमेश्‍वर को प्यार दिखाने और उसके साथ अच्छा रिश्‍ता कायम रखने के लिए जो बलिदान “भेंट” के तौर पर चढ़ाए जाते थे, वे थे होमबलि, अन्‍नबलि और मेलबलि। होमबलि की यह खासियत थी कि जानवर को मारने के बाद उसका लहू वेदी के चारों तरफ छिड़का जाता था, और फिर उसे पूरा-का-पूरा होम किया जाता था। उसका सुखदायक सुगंध स्वर्ग की तरफ परमेश्‍वर की ओर उठता था। इसीलिए “होमबलि” को इब्रानी में “ऊपर उठनेवाला बलिदान” भी कहा जाता है। याजक पूरे पशु को ‘वेदी पर जलाते थे, कि वह होमबलि यहोवा के लिये सुखदायक सुगन्धवाला हवन ठहरे।’—लैव्यव्यवस्था 1:3, 4, 9; उत्पत्ति 8:21.

14. अन्‍नबलि कैसे चढ़ायी जाती थी?

14 अन्‍नबलि भी भेंट के तौर पर चढ़ायी जाती थी। इसका ब्योरा लैव्यव्यवस्था के दूसरे अध्याय में दिया गया है। इसमें तेल और खुशबूदार लोबान मिला हुआ मैदा होता था। याजकों को ‘अन्‍नबलि के तेल मिले हुए मैदे में से इस तरह अपनी मुट्ठी भरकर निकालना था कि सब लोबान उस में आ जाए; और उन्हें स्मरण दिलानेवाले भाग के लिये वेदी पर जलाना था, कि यह यहोवा के लिये सुखदायक सुगन्धित हवन ठहरे।’ (लैव्यव्यवस्था 2:2) पवित्र सुगंधित धूप में लोबान मिलाया जाता था और उसे निवास-स्थान और मंदिर में धूप की वेदी पर जलाया जाता था। (निर्गमन 30:34-36) शायद इसी को मन में रखते हुए राजा दाऊद ने कहा: “मेरी प्रार्थना तेरे साम्हने सुगन्ध धूप, और मेरा हाथ फैलाना, संध्याकाल का अन्‍नबलि ठहरे!”—भजन 141:2.

15. मेलबलि क्यों चढ़ाया जाता था?

15 आखिरी भेंट, यानी मेलबलि का ब्योरा लैव्यव्यवस्था के तीसरे अध्याय में दिया गया है। स्टडीज़ इन द मोज़ाइक इंस्टिट्यूशन्स, इस किताब के मुताबिक “बाइबल में मेल का मतलब है परमेश्‍वर के साथ एक अच्छा रिश्‍ता, सुख, और खुशी।” “मेलबलि” के लिए इस्तेमाल किए गए इब्रानी शब्द से पता चलता है कि मेलबलि को परमेश्‍वर के साथ मेल करने के लिए नहीं चढ़ाया जाता था। बल्कि इससे पता चलता है कि मेलबलि चढ़ानेवाले व्यक्‍ति का परमेश्‍वर के साथ पहले से ही मेल है और उसके और परमेश्‍वर के बीच अच्छा रिश्‍ता मौजूद है। इन सब के प्रति और परमेश्‍वर की आशीषों के प्रति एहसान दिखाने के लिए मेलबलि चढ़ायी जाती थी। मेलबलि में पशु का लहू और उसकी चर्बी परमेश्‍वर को अर्पण की जाती थी, और उसका बचा हुआ भाग याजक और बलि चढ़ानेवाला व्यक्‍ति खाते थे। (लैव्यव्यवस्था 3:17; 7:16-21; 19:5-8) यह ऐसा था मानो बलि चढ़ानेवाला व्यक्‍ति, याजक और यहोवा एक ही मेज पर साथ बैठकर भोजन कर रहे हैं, और उनके बीच मेल और अच्छा रिश्‍ता है।

16. (क) पापबलि और दोषबलि क्यों चढ़ाए जाते थे? (ख) होमबलि किस तरह पापबलि और दोषबलि से अलग है?

16 जब कोई इस्राएली जाने-अनजाने में कोई पाप करता या कानून-व्यवस्था के नियमों को तोड़ता, तो वह अपने पापों की माफी माँगने और उनका प्रायश्‍चित करने के लिए पापबलि और दोषबलि चढ़ाता था। इनमें भी वेदी पर बलिदान होम किए जाते थे। मगर इन दोनों अर्पणों में और होमबलि में एक खास फर्क है। होमबलि परमेश्‍वर के लिए ‘भेंट’ थी, जिसे परमेश्‍वर के साथ अच्छा रिश्‍ता कायम रखने के लिए चढ़ाया जाता था, इसलिए पूरा-का-पूरा जानवर होम किया जाता था। जबकि पापबलि और दोषबलि में पूरा-का-पूरा जानवर नहीं, बल्कि उसकी सिर्फ चरबी और कुछ खास अंग ही अर्पण किए जाते थे। जानवर का बाकी का भाग या तो छावनी के बाहर नष्ट कर दिया जाता था या कुछ मामलों में याजक इसे खाते थे। अकसर होमबलि चढ़ाने से पहले पापबलि या दोषबलि चढ़ाया जाता था। यह दिखाता है कि पापों की माफी पाने के बाद ही व्यक्‍ति परमेश्‍वर के लिए भेंट चढ़ा सकता है।—लैव्यव्यवस्था 8:14, 18; 9:2, 3; 16:3, 5.

17, 18. पापबलि किस मकसद से चढ़ाया जाता था और दोषबलि किस लिए चढ़ाया जाता था?

17 पापबलि सिर्फ तब चढ़ाया जाता था जब कोई इस्राएली किसी कमज़ोरी या असिद्धता की वज़ह से अनजाने में कानून-व्यवस्था के खिलाफ कोई पाप करता। “यदि कोई मनुष्य उन कामों में से जिनको यहोवा ने मना किया है . . . भूल से करके पापी हो जाए,” तब उसे अपनी हैसियत के हिसाब से पापबलि चढ़ानी थी। (लैव्यव्यवस्था 4:2, 3, 22, 27) लेकिन, जो पापी पश्‍चाताप नहीं करता, उसे मार दिया जाता था और उसके लिए कोई भी बलिदान का प्रबंध नहीं होता था।—निर्गमन 21:12-15; लैव्यव्यवस्था 17:10; 20:2, 6, 10; गिनती 15:30; इब्रानियों 2:2.

18 दोषबलि क्या है और इसे क्यों चढ़ाया जाता था, इसके बारे में लैव्यव्यवस्था के पाँचवें और छठे अध्यायों में साफ-साफ बताया गया है। अगर एक व्यक्‍ति अनजाने में पाप कर बैठता है, और इस तरह किसी दूसरे व्यक्‍ति का या यहोवा का हक मारता, तो उसे अपनी गलती को सुधारना था और नुकसान की भरपाई भी करनी थी। दोषबलि कई तरह के पापों के लिए चढ़ाया जाता था, जैसे उन पापों के लिए जिनसे दूसरों को नुकसान न हो (5:2-6), “यहोवा की पवित्र की हुई वस्तुओं” के खिलाफ किए गए पापों के लिए (5:14-16), और कुछ ऐसे पापों के लिए, जो कुछ हद तक अनजाने में किए गए हों, मगर शरीर की लालसा या अपनी कमज़ोरी की वज़ह से किए गए हों (6:1-3)। दोषबलि चढ़ानेवाले व्यक्‍ति से यह माँग की गयी थी कि वह अपने पापों को कबूल करने के अलावा अपनी गलती सुधारे और जो भी नुकसान उसने किया है, उसकी भरपाई करे और तभी यहोवा के लिए दोषबलि चढ़ाए।—लैव्यव्यवस्था 6:4-7.

कुछ बेहतर की आस में

19. कानून-व्यवस्था और बलिदानों के प्रबंध होने के बावजूद, इस्राएली परमेश्‍वर को खुश क्यों नहीं कर पाए?

19 मूसा की कानून-व्यवस्था में ढेर सारे बलिदानों और भेंटों का विवरण दिया गया है। इन्हें इस्राएलियों को इसलिए दिया गया था कि वे वादा किए गए वंश के आने तक परमेश्‍वर के साथ अपना रिश्‍ता कायम रख सके और उन्हें उसकी आशीष मिलती रहे। प्रेरित पौलुस, जो जन्म से यहूदी था, ऐसा कहता है: “व्यवस्था मसीह तक पहुंचाने को हमारा शिक्षक हुई है, कि हम विश्‍वास से धर्मी ठहरें।” (गलतियों 3:24) मगर अफसोस की बात है कि एक जाति के तौर पर इस्राएल ने उस शिक्षा को नहीं माना। नतीजा यह हुआ कि उनके सभी बलिदान यहोवा की नज़रों में तुच्छ हो गए। यहोवा ने कहा: “तुम्हारे बहुत से मेलबलि मेरे किस काम के हैं? मैं तो मेढ़ों के होमबलियों से और पाले हुए पशुओं की चर्बी से अघा गया हूं; मैं बछड़ों वा भेड़ के बच्चों वा बकरों के लोहू से प्रसन्‍न नहीं होता।”—यशायाह 1:11, 12.

20. सामान्य युग 70 में कानून-व्यवस्था और उसके बलिदानों के प्रबंध का क्या हुआ?

20 नतीजा यह हुआ कि सामान्य युग 70 में, यहूदी रीति-व्यवस्था, उसका मंदिर और याजकवर्ग सब का नाश हुआ। उसके बाद, कानून-व्यवस्था के मुताबिक बलिदान चढ़ाने का रिवाज़ खत्म हो गया। मगर क्या इसका मतलब यह है कि परमेश्‍वर के आज के उपासकों के लिए व्यवस्था का सबसे ज़रूरी भाग यानी बलिदान का कोई अर्थ नहीं रहा? इसके बारे में हम अगले लेख में अच्छी तरह समझेंगे।

[फुटनोट]

^ वॉच टावर बाइबल एण्ड ट्रैक्ट सोसाइटी द्वारा प्रकाशित किताब इंसाइट ऑन द स्क्रिपचर्स कहती है: “बाइबल के मुताबिक ‘प्रायश्‍चित’ करने के लिए बराबर का दाम देना ज़रूरी है। आदम ने पाप करके सिद्ध जीवन खो दिया था। सो, पाप के प्रायश्‍चित के लिए एक और सिद्ध जीवन का बलिदान चढ़ाना ज़रूरी था।”

^ अकसर इब्रानी शब्द कुरबान का अनुवाद ‘बलि’ किया जाता है। मरकुस समझाता है कि “कुर्बान” का मतलब है ‘परमेश्‍वर को अर्पित।’—मरकुस 7:11, NHT.

क्या आप समझा सकते हैं?

• पुराने ज़माने में यहोवा के सेवकों ने उसे बलिदान क्यों चढ़ाया?

• बलिदान चढ़ाने की ज़रूरत क्यों थी?

• कानून-व्यवस्था के मुताबिक कौन-कौन-से खास बलिदान चढ़ाए जाते थे, और उनका मकसद क्या था?

• पौलुस के मुताबिक, कानून-व्यवस्था और उसके बलिदानों के प्रबंध से कौन-सा खास मकसद पूरा हुआ?

[अध्ययन के लिए सवाल]

[पेज 14 पर तसवीर]

यहोवा ने हाबिल के बलिदान को इसलिए कबूल किया क्योंकि उसके बलिदान ने दिखाया कि उसे परमेश्‍वर के वादे पर पूरा-पूरा विश्‍वास है

[पेज 15 पर तसवीर]

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