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पहरेदार के साथ सेवा करना

पहरेदार के साथ सेवा करना

पहरेदार के साथ सेवा करना

“हे प्रभु मैं दिन भर [बुर्ज पर] खड़ा पहरा देता रहा और मैं ने पूरी रातें पहरे पर काटा।”—यशायाह 21:8.

1. यहोवा का मकसद क्या है और वह किन वादों के पूरा होने के बारे में खुद यकीन दिलाता है?

 यहोवा का मकसद हमेशा पूरा होता है और उसे पूरा होने से कोई रोक नहीं सकता। उसका यही मकसद है कि सारे विश्‍व में उसका नाम बुलंद हो और सारी धरती को एक खूबसूरत बगीचे में बदलकर उस पर अपना शानदार राज शुरू करे। (मत्ती 6:9, 10) परमेश्‍वर का सबसे बड़ा दुश्‍मन, शैतान चाहे एड़ी चोटी का भी ज़ोर लगा ले, तो भी वह उसके मकसद को पूरा होने से नहीं रोक सकता। यहोवा वादा करता है कि उसके राज्य के अधीन सभी इंसानों पर आशीषों की बौछार होगी। तब वह ‘मृत्यु को सदा के लिये नाश करेगा और सभों के मुख पर से आंसू पोंछ डालेगा।’ सारी मनुष्यजाति एक होगी और वे हमेशा-हमेशा तक जीएँगे। हर कहीं खुशियों का आलम होगा, लोगों के बीच अमन-चैन होगा, किसी को किसी चीज़ की कमी नहीं होगी। (यशायाह 25:8; 65:17-25) खुद यहोवा हमें यकीन दिलाता है कि उसके वादे ज़रूर पूरे होंगे!

2. किन लोगों ने यहोवा के मकसद के पूरा होने की गवाही दी है?

2 लोगों को अपने मकसद और वादों का यकीन दिलाने के लिए यहोवा कुछ इंसानों का भी इस्तेमाल करता है। वे भी इसकी गवाही देते हैं कि उसके वादे ज़रूर पूरे होंगे। यीशु मसीह के आने से पहले ऐसे कई गवाह थे, जो हर विरोध के बावजूद गवाही देते रहे। बाइबल इन्हें “गवाहों का बड़ा बादल” कहती है, जिनमें सबसे पहला गवाह था हाबिल। इन सभी गवाहों ने आज के वफादार मसीहियों के लिए एक बहुत ही अच्छी मिसाल कायम की है। खुद यीशु मसीह ने भी हमारे लिए सबसे बेहतरीन मिसाल छोड़ी है, क्योंकि वह भी एक साहसी गवाह था। (इब्रानियों 11:1-12:2) ज़रा याद कीजिए कि जब यीशु को पुन्तियुस पीलातुस के सामने आखिरी बार लाया गया तब उसने कितनी हिम्मत के साथ यूँ गवाही दी: “मैं ने इसलिये जन्म लिया, और इसलिये जगत में आया हूं कि सत्य पर गवाही दूं।” (यूहन्‍ना 18:37) यीशु के बाद, सा.यु. 33 से लेकर सन्‌ 2000 तक, यानी आज तक मसीहियों ने यीशु की उस शानदार मिसाल पर चलते हुए पूरी हिम्मत और जोश के साथ परमेश्‍वर के मकसद की गवाही दी है और उसके “बड़े बड़े कामों” का ऐलान किया है।—प्रेरितों 2:11.

झूठे धर्मों की शुरुआत—शैतान की एक चाल

3. यहोवा और उसके मकसद की गवाही देनेवालों का विरोध करने के लिए शैतान ने क्या किया है?

3 लेकिन इन गवाहों को झूठा साबित करने के लिए, परमेश्‍वर का सबसे बड़ा दुश्‍मन और “झूठ का पिता” शैतान हज़ारों सालों से धूर्त चाल चल रहा है। यह “बड़ा अजगर” और “पुराना सांप” ‘सारे संसार को भरमा रहा’ है। खासकर इन अंतिम दिनों में, उसने ‘परमेश्‍वर की आज्ञा माननेवाले’ गवाहों के खिलाफ एक जंग छेड़ रखी है और वह हार मानने के लिए बिलकुल भी तैयार नहीं है।—यूहन्‍ना 8:44; प्रकाशितवाक्य 12:9, 17.

4. बड़े बाबुल की शुरुआत कैसे हुई?

4 आज से करीब 4,000 साल पहले, यानी नूह के दिनों में हुए जलप्रलय के कुछ समय बाद शैतान ने परमेश्‍वर के मकसद पर पानी फेरने की फिर एक कोशिश की। इस बार उसने निम्रोद का इस्तेमाल किया जो यहोवा के खिलाफ था और एक “पराक्रमी शिकारी खेलनेवाला” था। (उत्पत्ति 10:9, 10) निम्रोद ने उस समय के सबसे बड़े शहर, बाबुल का निर्माण किया। यह शहर आगे चलकर झूठे धर्म का अड्डा बन गया और यहीं से शैतान ने झूठी उपासना शुरू करवायी। जब बाबुल के लोगों ने गुम्मट बनाना शुरू किया तो यहोवा ने उनकी भाषा में गड़बड़ी पैदा कर दी। इसलिए अलग-अलग भाषा बोलनेवाले लोग दुनिया की अलग-अलग जगहों में जाकर बस गए। मगर बाबुल से निकलते वक्‍त वे वहाँ का झूठा धर्म और रीति-रिवाज़ भी साथ ले गए। इस तरह आज दुनिया भर में फैले झूठे धर्म दरअसल बाबुल से ही निकले हैं। इसलिए प्रकाशितवाक्य की किताब में दुनिया के सभी झूठे धर्मों को बड़ा बाबुल कहा गया। और इस किताब में यह भी बताया गया है कि बहुत जल्द बड़े बाबुल का विनाश होनेवाला है।—प्रकाशितवाक्य 17:5; 18:21.

गवाहों की एक जाति

5. यहोवा ने किस जाति को अपना साक्षी चुना, मगर फिर उसे बाबुल का गुलाम क्यों होने दिया?

5 निम्रोद के समय से करीब 500 साल बाद, यहोवा ने वफादार इब्राहीम के वंश से इस्राएल की जाति उत्पन्‍न की, जो उसके साक्षी बने। (यशायाह 43:10, 12) इस जाति के कई लोगों ने वफादारी से यहोवा की गवाही दी। लेकिन सदियों के गुज़रते, बहुत-से इस्राएलियों ने अपने पड़ोसी देशों के झूठे धर्मों को अपना लिया। इस तरह खुद परमेश्‍वर के साक्षियों ने ही परमेश्‍वर से मुँह मोड़ लिया और झूठे देवताओं की बंदगी करने लगे। इसलिए, सा.यु.पू. 607 में बाबुल के राजा नबूकदनेस्सर ने यरूशलेम और उसके मंदिर का नाश किया और ज़्यादातर यहूदियों को गुलाम बनाकर बाबुल ले गया।

6. परमेश्‍वर के पहरुए ने कौन-सी खुशखबर दी और यह कब पूरी हुई?

6 झूठे धर्मों के लिए यह कितनी बड़ी जीत थी! लेकिन यहूदियों पर बाबुल की हुकूमत ज़्यादा दिनों तक टिकनेवाली नहीं थी। यहोवा ने कहा: “जाकर एक पहरुआ खड़ा कर दे, और वह जो कुछ देखे उसे बताए।” इस पहरुए ने क्या देखा और कौन-सी खबर दी? उसने कहा: “गिर पड़ा, बाबुल गिर पड़ा; और उसके देवताओं के सब खुदी हुई मूरतें भूमि पर चकनाचूर कर डाली गई हैं।” (यशायाह 21:6, 9) यह भविष्यवाणी ठीक 200 साल बाद, यानी सा.यु.पू. 539 में पूरी हुई, जब शक्‍तिशाली बाबुल साम्राज्य गिर गया। इसके कुछ ही समय बाद परमेश्‍वर की गवाही देनेवाले यहूदी अपने देश लौट आए।

7. (क) यहोवा ने जो सज़ा दी उससे यहूदियों ने कौन-सा सबक सीखा? (ख) बाबुल से लौटे यहूदी किन फंदों में पड़ गए और इसका नतीजा क्या हुआ?

7 बाबुल से लौटे इन यहूदियों ने बहुत बड़ा सबक सीखा था। उन्होंने फिर कभी मूर्तिपूजा और जादू-टोना जैसे झूठे धर्मों के रिवाजों की तरफ मुड़कर भी नहीं देखा। लेकिन अफसोस की बात है कि समय के गुज़रते वे दूसरे फंदों में फंस गए। कुछ लोग यूनानी तत्त्वज्ञान के चक्कर में पड़ गए, तो कुछ परमेश्‍वर के वचन के बजाय बाप-दादाओं की परंपराओं को ज़्यादा अहमियत देने लगे। कई ऐसे भी थे जिनकी रगों में देश-भक्‍ति का खून दौड़ने लगा। (मरकुस 7:13; प्रेरितों 5:37) यीशु के पैदा होने तक यहूदी एक बार फिर सच्ची उपासना से कोसों दूर जा चुके थे। जब यीशु ने उन्हें सुसमाचार सुनाया, तो चंद यहूदियों को छोड़ पूरी जाति ने उसे ठुकरा दिया। इसलिए परमेश्‍वर ने भी पूरी इस्राएल जाति को ठुकरा दिया। (यूहन्‍ना 1:9-12; प्रेरितों 2:36) तब से यह जाति परमेश्‍वर का गवाह नहीं रही। और सा.यु. 70 में रोमी सेना ने यरूशलेम और उसके मंदिर को एक बार फिर तहस-नहस कर डाला।—मत्ती 21:43.

8. यहोवा के मकसद की गवाही अब कौन देने लगा और इन साक्षियों को पौलुस ने जो चेतावनी दी वह क्यों ज़रूरी थी?

8 अब से नयी मसीही कलीसिया परमेश्‍वर की गवाही देने लगी। इसे ‘परमेश्‍वर का इस्राएल’ भी कहा जाने लगा। (गलतियों 6:16) मगर जल्द ही शैतान ने इस आत्मिक जाति को भी भ्रष्ट करने की तरकीब ढूँढ़ निकाली। पहली सदी के आखिर तक उसने कलीसियाओं में फूट डाल दी। (प्रकाशितवाक्य 2:6, 14, 20) इस फंदे से बचने के लिए पौलुस ने उन्हें खबरदार किया: “चौकस रहो कि कोई तुम्हें उस तत्व-ज्ञान और व्यर्थ धोखे के द्वारा अहेर न कर ले, जो मनुष्यों के परम्पराई मत और संसार की आदि शिक्षा के अनुसार है, पर मसीह के अनुसार नहीं।”—कुलुस्सियों 2:8.

9. जैसे पौलुस ने कहा था, धर्मद्रोही ईसाईजगत की शुरुआत कैसे हुई?

9 लेकिन, समय के गुज़रते मसीही होने का दावा करनेवाले कुछ लोगों ने यूनानी तत्वज्ञान और बड़े बाबुल से निकली झूठी धार्मिक शिक्षाओं को अपना लिया। इतना ही नहीं, कुछ लोगों ने तो ये भी मानने से इंकार कर दिया कि बाइबल परमेश्‍वर का वचन है और परमेश्‍वर ने ही यह तमाम जहाँ बनाया है। वे बाइबल को बस इतिहास की एक किताब समझने लगे और यह मानने लगे कि इंसान जानवरों से निकला है। इस तरह सच्ची मसीहियत दूषित हो गई। लेकिन पौलुस ने पहले से ही बता रखा था कि ऐसा होगा: “मैं जानता हूं, कि मेरे जाने के बाद फाड़नेवाले भेड़िए तुम में आएंगे, जो झुंड को न छोड़ेंगे। तुम्हारे ही बीच में से भी ऐसे ऐसे मनुष्य उठेंगे, जो चेलों को अपने पीछे खींच लेने को टेढ़ी मेढ़ी बातें कहेंगे।” (प्रेरितों 20:29, 30) इस तरह लोग सच्चे धर्म से पथभ्रष्ट हो गए और दुनिया भर में धर्मद्रोही ईसाईजगत की शुरुआत हुई।

10. किन बातों से पता चलता है कि कुछ लोग झूठी शिक्षाओं के रंग में नहीं रंगे?

10 इसलिए, सच्चे मसीहियों को ‘उस विश्‍वास के लिए यत्नपूर्वक संघर्ष करते रहना था, जो पवित्र लोगों को एक ही बार सदा के लिए सौंपा गया था।’ (यहूदा 3, NHT) लेकिन क्या शैतान सच्चे धर्म को हमेशा-हमेशा के लिए मिटा देने में कामयाब हुआ? क्या वक्‍त के साथ-साथ सच्चा धर्म पथभ्रष्ट ईसाईजगत के रंग में रंग गया? जब शैतान को नाश किए जाने का वक्‍त आया, तो क्या उसने यहोवा के वादों और मकसदों के बारे में दी जानेवाली गवाही को हमेशा-हमेशा के लिए बंद कर दिया था? नहीं। ऐसा नहीं हुआ, क्योंकि 19वीं सदी के आखिर में पॆंसिल्वेनिया, अमरीका के पिट्‌सबर्ग में बाइबल के कुछ विद्यार्थी गहराई से बाइबल की जाँच करने लगे। इन्हीं विद्यार्थियों से आज यहोवा के गवाहों की शुरुआत हुई। इन्होंने बाइबल से सबूत पेश करते हुए बताया कि जल्द ही इस बुरे संसार के अंत का समय शुरू होगा। और उनकी यह बात 1914 में सच साबित हुई, जब पहला विश्‍व-युद्ध छिड़ गया और दुनिया के “अन्त” का समय शुरू हो गया। (मत्ती 24:3, 7) सन्‌ 1914 से यह बिलकुल साफ ज़ाहिर होने लगा कि शैतान और उसके पिशाचों को स्वर्ग से खदेड़ दिया गया है। आज इस 20वीं सदी में चारों तरफ जो हाहाकार मचा हुआ है, वही इसका जीता-जागता सबूत है। साथ ही, इन घटनाओं से यह भी साबित होता है कि 1914 में यीशु मसीह की उपस्थिति हो गयी थी और अब वह स्वर्ग में राजा बन गया है।—मत्ती, अध्याय 24 और 25; मरकुस, अध्याय 13; लूका, अध्याय 21; प्रकाशितवाक्य 12:10, 12.

11. शैतान ने बाइबल विद्यार्थियों को जड़ से उखाड़ फेंकने के लिए कौन-सी कोशिश की, मगर वह कैसे नाकाम रही?

11 सन्‌ 1918 तक बाइबल के विद्यार्थी दुनिया के कई देशों में परमेश्‍वर के मकसद की गवाही देने लगे थे। लेकिन उस साल जून में, शैतान ने इन विद्यार्थियों को भी जड़ से उखाड़ फेंकने की कोशिश की। उसने उनके निगम, वॉच टावर बाइबल एण्ड ट्रैक्ट सोसाइटी को मिटाने की कोशिश की। साथ ही, इस संस्था को चलानेवाले भाइयों पर देशद्रोह का इल्ज़ाम लगाकर उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया, ठीक जैसे पहली सदी में यीशु मसीह के साथ किया गया था। (लूका 23:2) लेकिन 1919 में इन भाइयों को रिहा कर दिया गया। इस तरह वे फिर एक बार परमेश्‍वर की गवाही देने के काम में जुट गए। बाद में उन्हें पूरी तरह निर्दोष घोषित किया गया।

‘पहरुए’ की कड़ी नज़र

12. आज का पहरुआ कौन है और वह किस तरह अपनी ज़िम्मेदारी निभा रहा है?

12 इस तरह, जब “अन्त समय” शुरू हुआ, तो यहोवा की ओर से गवाही देने के लिए पहरुआ फिर से तैयार खड़ा था। परमेश्‍वर ने इस पहरुए को इसलिए ठहराया है ताकि वह दुनिया भर में होनेवाली घटनाओं पर नज़र रखे और लोगों को यहोवा के वादों और मकसद के पूरा होने की खबर बराबर देता रहे। (दानिय्येल 12:4; 2 तीमुथियुस 3:1) अभिषिक्‍त मसीहियों से बना यह पहरुआ, या परमेश्‍वर का इस्राएल आज तक पहरा दे रहा है, ठीक उसी तरह जैसे यशायाह ने भविष्यवाणी की थी: ‘उसने बहुत ही ध्यान देकर सुना। और उस ने सिंह के से शब्द से पुकारा, हे प्रभु मैं दिन भर बुर्ज पर खड़ा पहरा देता रहा और मैं ने पूरी रातें पहरे पर काटीं।’ (यशायाह 21:7, 8) यह पहरुआ पूरी ईमानदारी के साथ अपनी ज़िम्मेदारी निभा रहा है!

13. (क) यहोवा के पहरुए ने कौन-सी खबर दी? (ख) हम क्यों कह सकते हैं कि बड़ा बाबुल गिर चुका है?

13 इस अंत के समय में पहरुए ने क्या देखा? यशायाह के दिन के पहरुए की तरह ही, आज के इस पहरुए ने बताया: “गिर पड़ा, बाबुल गिर पड़ा; और उसके देवताओं के सब खुदी हुई मूरतें भूमि पर चकनाचूर कर डाली गई हैं।” (यशायाह 21:9) इस बार पहरुआ जिस बाबुल के गिरने की खबर दे रहा है वह बड़ा बाबुल या दुनिया के सभी झूठे धर्म हैं। इन धर्मों की लोगों पर से पकड़ ढीली होती जा रही है और अब जल्द ही इन सभी का नाश होगा। यह खबर वह प्रथम विश्‍व-युद्ध के बाद से देता आया है। (यिर्मयाह 50:1-3; प्रकाशितवाक्य 14:8) बड़े बाबुल का सबसे बड़ा भाग है, झूठा मसीही धर्म यानी ईसाईजगत। और इसमें ताज्जुब की बात भी नहीं, क्योंकि 1914 के ‘महायुद्ध’ की शुरुआत ईसाईजगत के देशों ने ही की थी और लड़ाई में दोनों तरफ ईसाईजगत के ही देश थे। दोनों तरफ के पादरियों ने, होनहार जवानों को युद्ध में जाने के लिए उकसाकर एक बहुत ही घिनौना काम किया। लेकिन प्रथम विश्‍व-युद्ध के बाद से बड़े बाबुल के गिरने के लक्षण दिखाई देने लगे। हम यह कैसे कह सकते हैं? जैसे सा.यु.पू. छठी सदी में बाबुल गिर पड़ा और उसके बाद इस्राएलियों को गुलामी से रिहा किया गया, उसी तरह 1919 में बाइबल के विद्यार्थी बड़े बाबुल यानी झूठे धर्मों से बाहर निकलने लगे, जिससे ज़ाहिर हुआ कि बड़ा बाबुल गिर पड़ा है। हालाँकि तब बाइबल विद्यार्थियों का काम कुछ समय के लिए ठंडा पड़ा गया था, मगर 1919 के बाद से वे पूरी सरगर्मी और जोश के साथ गवाही देने के काम में फिर से लग गए। और यह काम दुनिया भर में बड़े पैमाने पर शुरू किया गया। इन बाइबल विद्यार्थियों को अब यहोवा के साक्षी कहा जाता है और वे आज भी दुनिया भर में परमेश्‍वर के मकसद की गवाही देने का काम कर रहे हैं।—मत्ती 24:14.

14. यहोवा के पहरुए ने खासकर किस पत्रिका का इस्तेमाल किया है और इस पर यहोवा ने किस तरह आशीष दी है?

14 यह पहरुआ पूरी ईमानदारी और जोश के साथ अपना फर्ज़ निभा रहा है। पहरुए वर्ग के लोग दिल से चाहते हैं कि वे हमेशा सही काम करें। इसीलिए बाइबल विद्यार्थियों ने जुलाई 1879 में इस पत्रिका को छापना शुरू किया, और उस समय इस पत्रिका का नाम था ज़ायन्स वॉच टावर एण्ड हॆराल्ड ऑफ क्राइस्ट्‌स प्रॆज़ॆंस। सन्‌ 1879 से लेकर 1938 के दिसंबर 15 तक छपी हर पत्रिका के कवर पर ये शब्द लिखे होते थे: “‘हे पहरुए, रात की क्या खबर है?’—यशायाह 21:11.” * यह पत्रिका लगातार 120 सालों से दुनिया में होनेवाली घटनाओं पर नज़र रखती है और लोगों को खबर देती है कि कैसे ये घटनाएँ परमेश्‍वर के मकसद को पूरा करती हैं। (2 तीमुथियुस 3:1-5, 13) इस पत्रिका के द्वारा परमेश्‍वर का पहरुआ वर्ग और उसके साथी, यानी ‘अन्य भेड़ें’ सारी दुनिया को पूरे जोश के साथ यह खबर दे रहे हैं कि बहुत जल्द यहोवा अपने मसीही राज्य के ज़रिए साबित करेगा कि वही सारे जहाँ का महाराजा और मालिक है। (यूहन्‍ना 10:16, NW) क्या परमेश्‍वर की गवाही देनेवाली इस पत्रिका पर परमेश्‍वर ने आशीष दी है? ज़रा इस हकीकत पर गौर कीजिए। पहली बार, 1879 में इसकी सिर्फ 6,000 कापियाँ छापी गयी थीं। लेकिन आज इसकी 2,20,00,000 कापियाँ छापी जा रही हैं और वह भी 132 भाषाओं में! इनमें से 121 भाषाओं में तो यह महीने में दो बार निकलती है। आखिर जो पत्रिका सच्चे परमेश्‍वर, यहोवा के नाम को बुलंद करती है और उसके मकसद की गवाही देती है, उसके बारे में यही तो उम्मीद की जा सकती है!

एक के बाद एक सुधार

15. सन्‌ 1914 से पहले ही, किस तरह उपासना को शुद्ध किया जाने लगा?

15 ईसाईजगत में सिखाया जाता था कि छोटे बच्चों का बपतिस्मा किया जाना चाहिए, इंसान के अंदर एक आत्मा होती है, परगेटरी नाम की जगह होती है जहाँ आत्मा को शुद्ध किया जाता है, नरक में लोगों को आग में तड़पाया जाता है, पिता, पुत्र और पवित्र-आत्मा मिलकर एक ही परमेश्‍वर हैं, वगैरह-वगैरह। लेकिन बाइबल विद्यार्थियों ने अपनी शुरुआत से ही इन गलत शिक्षाओं को एक-के-बाद-एक त्यागना शुरू कर दिया, क्योंकि उन्होंने पाया कि ये शिक्षाएँ बाइबल की नहीं थीं। इन सभी को त्यागने के लिए उन्हें 40 साल लगे, और 1914 में जाकर उन्होंने इस सभी गलत शिक्षाओं से निजात पायी। लेकिन वे अब भी कुछ गलत शिक्षाओं को मानते थे, जिनसे उन्हें छुटकारा पाना था। मिसाल के तौर पर, 1920 के दशक में वे एक ब्रूच पहना करते थे, जिस पर क्रूस और मुकुट (cross-and-crown) की नक्काशी होती थी। इसके अलावा वे क्रिसमस और झूठे धर्मों से आए दूसरे त्योहार भी मनाया करते थे। लेकिन फिर उन्हें एहसास हुआ कि यह सब एक प्रकार की मूर्तिपूजा है और परमेश्‍वर की उपासना तभी शुद्ध मानी जा सकती है जब वह हर तरह की मूर्तिपूजा से दूर हो। उन्हें वही काम करने थे और उन्हीं बातों पर विश्‍वास करना था जो बाइबल के मुताबिक सही हों। उन्होंने जाना कि एक मसीही का विश्‍वास और उसकी पूरी ज़िंदगी सिर्फ परमेश्‍वर के वचन बाइबल के मुताबिक ही होना चाहिए। (यशायाह 8:19, 20; रोमियों 15:4) बाइबल में लिखी बातों के अलावा कुछ और विश्‍वास करना या बाइबल की शिक्षाओं में कुछ और जोड़ना एक बहुत ही बड़ा पाप है।—व्यवस्थाविवरण 4:2; प्रकाशितवाक्य 22:18, 19.

16, 17. (क) यशायाह 19:19, 20 के बारे में कई सालों तक पहरुआ वर्ग किन गलत शिक्षाओं को मानता रहा? (ख) “मिस्र” की “वेदी” और “खंभे” का असल में मतलब क्या है?

16 ऐसा करना कितना गंभीर है, इसे समझने के लिए आइए एक मिसाल देखें। सन्‌ 1886 में सी.टी. रसल ने एक पुस्तक छापी, जिसका नाम था द डिवाइन प्लान ऑफ दि एजॆज़। इस पुस्तक में एक चार्ट था जिसमें मिस्र के ग्रेट पिरामिड के आधार पर मनुष्यजाति के युगों के बारे में समझ दी गयी थी। उस किताब में बताया गया था कि यशायाह 19:19, 20 में जिस खंभे का ज़िक्र है, वह मिस्र के फिरौन खुफू का ग्रेट पिरामिड है। वह आयत कहती है: “उस समय मिस्र देश के बीच में यहोवा के लिये एक वेदी होगी, और उसके सिवाने के पास यहोवा के लिये एक खंभा खड़ा होगा। वह मिस्र देश में सेनाओं के यहोवा के लिये चिन्ह और साक्षी ठहरेगा।” इस पिरामिड को बाइबल के साथ जोड़कर क्या मतलब निकाला गया? इस ग्रेट पिरामिड में कई गलियारे हैं। सो यह समझाया गया था कि कुछ गलियारों की लंबाई से हम पता लगा सकते हैं कि मत्ती 24:21 में बताया गया “भारी क्लेश” कब शुरू होगा। इस वज़ह से कुछ बाइबल विद्यार्थी इस पिरामिड की लंबाई-चौड़ाई-ऊँचाई वगैरह को लेकर कई अटकलें लगाने लगे। यहाँ तक कि, उन्होंने इसकी लंबाई-चौड़ाई के आधार पर यह भी पता लगाने की कोशिश की कि वे किस दिन स्वर्ग जाएँगे!

17 इस ग्रेट पिरामिड के लिए बाइबल विद्यार्थियों के दिल में कई दशकों तक बहुत ही श्रद्धा थी। लेकिन 1928 के नवंबर 15 और दिसंबर 1 की प्रहरीदुर्ग ने साफ-साफ समझाया कि यहोवा को बाइबल में दिए गए अपने मकसद को समझाने के लिए किसी पिरमिड की ज़रूरत नहीं है, वह भी ऐसे पिरामिड की जिसे मिस्र के मूर्तिपूजक राजाओं ने बनवाया था, जिस पर भाग्य बतानेवाले नक्षत्र चिन्ह थे और जिनका संबंध पिशाचों से है। उन लेखों में समझाया गया कि यशायाह 19:19, 20 में बताया गया खंभा और वेदी सचमुच के नहीं बल्कि लाक्षणिक हैं, जैसे प्रकाशितवाक्य 11:8 के मुताबिक “मिस्र” का लाक्षणिक मतलब है शैतान के वश में पड़ा संसार। “यहोवा के लिये एक वेदी” का मतलब है, इस पृथ्वी पर अभिषिक्‍त मसीहियों द्वारा की गयी सेवा और उनके बलिदान। (रोमियों 12:1; इब्रानियों 13:15, 16) मिस्र के “सिवाने के पास” का खंभा अभिषिक्‍त मसीहियों का झुंड है, जो “सत्य का खंभा, और नेव है।” यह “मिस्र” में खड़ा है यानी अभिषिक्‍त मसीही इस दुनिया में साक्षी दे रहे हैं और वे जल्द ही इसे छोड़ जाएँगे।—1 तीमुथियुस 3:15.

18. (क) यहोवा ने किस तरह उन बाइबल विद्यार्थियों की समझ बढ़ायी है जो दिल से सच्चाई की तलाश करते हैं? (ख) अगर किसी मसीही को बाइबल की किसी नई जानकारी को समझने में मुश्‍किल हो, तो उसके लिए कैसा नज़रिया अपनाना अक्लमंदी होगी?

18 जैसे-जैसे साल गुज़रते गए यहोवा ने हमें बाइबल की शिक्षाओं और भविष्यवाणियों का मतलब और भी अच्छी समझाया है, और वह आज भी हमें नयी-नयी समझ दे रहा है। (नीतिवचन 4:18) पिछले कुछ सालों में हमने कई विषयों पर गहरी समझ हासिल की है। मसलन, हमें बताया गया कि उस पीढ़ी का मतलब क्या है जो अंत आने से पहले जाती न रहेगी, भेड़ों और बकरियों का दृष्टांत कब पूरा होगा, घृणित वस्तु क्या है और वह पवित्र स्थान में कब खड़ी होगी। साथ ही दूसरे विषयों पर भी हमारी समझ बढ़ायी गई, जैसे नयी वाचा, यीशु का रूपांतरण और यहेजकेल की पुस्तक में दिए गए मंदिर का दर्शन। हाँ, कभी-कभी ऐसी नई जानकारी को अच्छी तरह समझना शायद मुश्‍किल लगे। लेकिन धीरज रखिए, क्योंकि वक्‍त के साथ-साथ हम यह समझ जाएँगे कि क्यों ऐसा कहा गया था। अगर कोई मसीही ऐसी नयी जानकारी को समझ नहीं पाता, तो उसे नम्र होकर भविष्यवक्‍ता मीका का नज़रिया अपनाना चाहिए, जिसने कहा: “मैं अपने उद्धारकर्त्ता परमेश्‍वर की बाट जोहता रहूंगा।”—मीका 7:7.

19. किस तरह बचे हुए अभिषिक्‍तों ने और उनके साथ अन्य भेड़ों ने इन अंतिम दिनों में सिंह की तरह हिम्मत दिखाई है?

19 ज़रा याद कीजिए कि पहरुए ने “सिंह के से शब्द से पुकारा, हे प्रभु मैं दिन भर खड़ा पहरा देता रहा और मैं ने पूरी रातें पहरे पर काटा।” (यशायाह 21:8) आज के पहरुए, यानी अभिषिक्‍त शेषवर्ग ने वाकई सिंह की तरह हिम्मत दिखाते हुए सभी झूठे धर्मों का पर्दाफाश किया है और लोगों को उसकी जंज़ीरों से छुड़ाकर उन्हें आज़ाद किया है। (प्रकाशितवाक्य 18:2-5) यह शेषवर्ग आज “विश्‍वासयोग्य और बुद्धिमान दास” की हैसियत से काम कर रहा है। कैसे? सभी लोगों को “समय पर . . . भोजन” देकर, यानी कई भाषाओं में बाइबल और उसे समझानेवाली पत्रिकाएँ और साहित्य देकर। (मत्ती 24:45) साथ ही, वह “हर एक जाति, और कुल, और लोग और भाषा में से एक . . . बड़ी भीड़” को इकट्ठा करने में भी सबसे आगे है। बड़ी भीड़ के लोगों को भी यीशु की छुड़ौती बलिदान की बिनाह पर शुद्ध किया जा रहा है। वे भी “दिन रात” परमेश्‍वर की सेवा करके साबित कर रहे हैं कि वे सिंह जैसे साहसी हैं। (प्रकाशितवाक्य 7:9, 14, 15) पिछले साल, यहोवा के अभिषिक्‍त साक्षियों के छोटे झुंड ने और उनके साथी बड़ी भीड़ ने जो सेवा की, उसका क्या फल निकला? इसका जवाब हमारा अगला लेख देगा।

[फुटनोट]

^ जनवरी 1, 1939 से इसके कवर पर यह लिखा जाने लगा: “‘वे जान लेंगे कि मैं यहोवा हूं।’—यहेजकेल 35:15.”

क्या आपको याद है?

• सालों से यहोवा ने किन लोगों को अपना गवाह ठहराया है?

• बड़े बाबुल की शुरुआत कैसे हुई?

• यहोवा ने सा.यु.पू. 607 और फिर सा.यु. 70 में यरूशलेम को क्यों नाश होने दिया जबकि यह उसके साक्षियों के देश की राजधानी थी?

• यहोवा के पहरुए वर्ग और उसके साथियों ने किस तरह का जोश दिखाया है?

[अध्ययन के लिए सवाल]

[पेज 7 पर तसवीर]

‘हे प्रभु मैं दिन भर बुर्ज पर खड़ा पहरा देता रहा’

[पेज 10 पर तसवीरें]

यहोवा का पहरुआ वर्ग पूरी निष्ठा से अपनी ज़िम्मेदारी निभा रहा है