प्रेषितों के काम 20:1-38

20  जब हुल्लड़ थम गया, तो पौलुस ने चेलों को बुलवाया और उनका हौसला बढ़ाने के बाद उन्हें अलविदा कहा और मकिदुनिया के सफर पर निकल पड़ा।   उन इलाकों का दौरा करते वक्‍त उसने बहुत-सी बातें कहकर वहाँ के चेलों का हौसला बढ़ाया और फिर वह यूनान आया।   वहाँ तीन महीने रहने के बाद, जब वह जहाज़ पर सीरिया के लिए रवाना होने पर था, तो यहूदियों ने उसके खिलाफ साज़िश रची,+ इसलिए उसने मकिदुनिया से होते हुए लौटने का फैसला किया।   उसके साथ ये सभी लोग गए: बिरीया के रहनेवाले पुररुस का बेटा सोपत्रुस, थिस्सलुनीके के रहनेवालों में से अरिस्तरखुस+ और सिकुंदुस और दिरबे का रहनेवाला गयुस और तीमुथियुस+ और एशिया प्रांत से तुखिकुस+ और त्रुफिमुस।+  ये लोग आगे निकल गए और त्रोआस शहर में हमारा इंतज़ार करने लगे।   मगर हम बिन-खमीर की रोटी के त्योहार+ के दिनों के बाद फिलिप्पी से समुद्री यात्रा पर निकले और पाँच दिन के अंदर उनके पास त्रोआस पहुँच गए। हमने वहाँ सात दिन बिताए।  हफ्ते के पहले दिन जब हम खाना खाने के लिए इकट्ठा हुए, तो पौलुस जमा हुए लोगों को उपदेश देने लगा। वह अगले दिन वहाँ से निकलनेवाला था इसलिए वह आधी रात तक भाषण देता रहा।   ऊपर के जिस कमरे में हम इकट्ठा थे वहाँ बहुत-से दीए जल रहे थे।   युतुखुस नाम का एक जवान, खिड़की पर बैठा हुआ था। जब पौलुस देर तक बातें करता रहा, तो वह लड़का गहरी नींद सो गया और तीसरी मंज़िल से नीचे गिर पड़ा। जब उसे उठाया गया तो वह मर चुका था।  10  मगर पौलुस सीढ़ियाँ उतरकर नीचे गया और झुककर उससे लिपट गया+ और भाइयों से कहा, “शांत हो जाओ क्योंकि यह अब ज़िंदा हो गया है।”+ 11  इसके बाद वह ऊपर गया और खाना खाने लगा* और तब तक उनसे बातें करता रहा जब तक कि दिन न निकल गया और फिर उसने उनसे विदा ली।  12  और वे उस लड़के को ले गए और उसे ज़िंदा पाकर उन्हें इतना दिलासा मिला कि उसका बयान नहीं किया जा सकता। 13  इसके बाद हम जहाज़ पर चढ़कर अस्सुस के लिए रवाना हो गए। मगर पौलुस पैदल चलकर वहाँ आया। अस्सुस में हमें पौलुस को अपने साथ जहाज़ पर लेना था, जैसा उसने हमसे कहा था।  14  जब पौलुस अस्सुस पहुँचा, तो हमने उसे अपने साथ जहाज़ पर चढ़ाया और मितुलेने गए।  15  अगले दिन हम वहाँ से जहाज़ पर निकले और खियुस के पास पहुँचे। फिर दूसरे दिन जहाज़ सामुस में रुका और अगले दिन हम मीलेतुस पहुँचे।  16  पौलुस ने तय किया था कि वह इफिसुस+ में रुके बिना आगे बढ़ जाएगा ताकि उसे एशिया प्रांत में और वक्‍त न बिताना पड़े। वह इसलिए जल्दी कर रहा था कि हो सके तो पिन्तेकुस्त के त्योहार के दिन तक यरूशलेम+ पहुँच जाए। 17  मगर उसने मीलेतुस से इफिसुस में संदेश भेजा और वहाँ की मंडली के प्राचीनों को बुलवाया।  18  जब वे उसके पास आए तो उसने उनसे कहा, “तुम अच्छी तरह जानते हो कि जिस दिन से मैंने एशिया प्रांत में कदम रखा उस दिन से मैंने तुम्हारे बीच किस तरह जीवन बिताया।+ 19  मैं प्रभु का दास बनकर पूरी नम्रता से+ उसकी सेवा करता रहा और यहूदियों की साज़िशों की वजह से मैंने बहुत आँसू बहाए और कई परीक्षाओं का सामना किया।  20  इस दौरान मैं तुम्हें ऐसी कोई भी बात बताने से पीछे नहीं हटा जो तुम्हारे फायदे* की थी, न ही तुम्हें सरेआम और घर-घर जाकर+ सिखाने+ से रुका।  21  मगर मैंने यहूदी और यूनानी, दोनों को परमेश्‍वर के सामने पश्‍चाताप करने+ और हमारे प्रभु यीशु पर विश्‍वास करने के बारे में अच्छी तरह गवाही दी।+ 22  और अब देखो, मैं पवित्र शक्‍ति के मार्गदर्शन के मुताबिक यरूशलेम जाने के लिए मजबूर हूँ, हालाँकि मैं नहीं जानता कि वहाँ मुझ पर क्या-क्या बीतेगी।  23  मैं सिर्फ इतना जानता हूँ कि हर शहर में पवित्र शक्‍ति ने बार-बार मुझ पर ज़ाहिर किया कि कैद और मुसीबतें मेरी राह तक रहे हैं।+ 24  फिर भी मैं अपनी जान को ज़रा भी कीमती नहीं समझता। बस इतना चाहता हूँ कि मैं किसी तरह अपनी दौड़ और अपनी सेवा पूरी कर सकूँ।+ यह सेवा मुझे प्रभु यीशु ने सौंपी थी कि मैं परमेश्‍वर की महा-कृपा की खुशखबरी के बारे में अच्छी गवाही दूँ। 25  अब देखो! मैं जानता हूँ कि तुम सब जिनके बीच मैंने राज का प्रचार किया, मेरा मुँह फिर कभी नहीं देखोगे।  26  इसलिए आज के दिन तुम इस बात के गवाह हो कि मैं सब लोगों के खून से निर्दोष हूँ।+ 27  क्योंकि मैं परमेश्‍वर की मरज़ी* के बारे में तुम्हें सारी बातें बताने से पीछे नहीं हटा।+ 28  तुम अपनी और पूरे झुंड की चौकसी करो+ जिसके बीच पवित्र शक्‍ति ने तुम्हें निगरानी करनेवाले ठहराया है+ ताकि तुम चरवाहों की तरह परमेश्‍वर की मंडली की देखभाल करो+ जिसे उसने अपने बेटे के खून से खरीदा है।+ 29  मैं जानता हूँ कि मेरे जाने के बाद अत्याचारी भेड़िए तुम्हारे बीच घुस आएँगे+ और झुंड के साथ कोमलता से पेश नहीं आएँगे  30  और तुम्हारे ही बीच में से ऐसे आदमी उठ खड़े होंगे जो चेलों को अपने पीछे खींच लेने के लिए टेढ़ी-मेढ़ी बातें कहेंगे।+ 31  इसलिए जागते रहो और याद रखो कि तीन साल तक,+ मैं रात-दिन आँसू बहा-बहाकर तुममें से हरेक को समझाता रहा।  32  और अब मैं तुम्हें परमेश्‍वर और उसकी महा-कृपा के वचन के हवाले सौंपता हूँ। यह वचन तुम्हें मज़बूत कर सकता है और सब पवित्र जनों के बीच विरासत दिला सकता है।+ 33  मैंने किसी की चाँदी या सोने या कपड़े का लालच नहीं किया।+ 34  तुम खुद यह बात जानते हो कि मेरे इन्हीं हाथों ने न सिर्फ मेरी बल्कि मेरे साथियों की ज़रूरतों को भी पूरा किया है।+ 35  मैंने सब बातों में तुम्हें दिखाया है कि तुम भी इसी तरह मेहनत करते हुए+ उन लोगों की मदद करो जो कमज़ोर हैं और प्रभु यीशु के ये शब्द हमेशा याद रखो जो उसने खुद कहे थे: ‘लेने से ज़्यादा खुशी देने में है।’”+ 36  यह सब कहने के बाद पौलुस ने उन सबके साथ घुटने टेके और प्रार्थना की।  37  तब वे सब फूट-फूटकर रोने लगे और पौलुस के गले लगकर उसे प्यार से चूमने लगे।  38  वे खासकर पौलुस की इस बात से दुखी हो गए थे कि वे फिर कभी उसका मुँह नहीं देख पाएँगे।+ इसके बाद वे उसे जहाज़ तक छोड़ने गए।

कई फुटनोट

शा., “रोटी तोड़ी।”
या “तुम्हारे भले के लिए।”
या “के मकसद।”

अध्ययन नोट

तसवीर और ऑडियो-वीडियो

भेड़िया
भेड़िया

भेड़िए आम तौर पर रात को शिकार करते हैं। (हब 1:8) वे किसी से डरते नहीं, साथ ही बहुत खूँखार और लालची होते हैं। अकसर वे जितना खा सकते या उठाकर ले जा सकते, उससे ज़्यादा भेड़ों को मार डालते हैं। बाइबल के ज़माने में जानवरों, उनके स्वभाव और उनकी आदतों के बारे में अकसर लाक्षणिक तौर पर बात की जाती थी। अच्छे गुण या बुरे गुण बताने के लिए उनकी मिसाल दी जाती थी। जैसे, याकूब ने अपनी मौत से पहले जो भविष्यवाणी की, उसमें उसने बिन्यामीन के गोत्र के बारे में कहा कि वह भेड़िए (कैनिस लूपस ) की तरह निडर होकर लड़ेगा। (उत 49:27) लेकिन ज़्यादातर आयतों में भेड़िए का ज़िक्र बुरे गुण बताने के लिए किया गया है, जैसे लालच, क्रूरता और चालाकी। जिन लोगों की तुलना भेड़ियों से की गयी है, उनमें कुछ थे: झूठे भविष्यवक्‍ता (मत 7:15), मसीहियों के प्रचार का कड़ा विरोध करनेवाले (मत 10:16; लूक 10:3) और मंडली के अंदर से ही उठ खड़े होनेवाले झूठे शिक्षक जो मसीहियों के लिए खतरा थे (प्रेष 20:29, 30)। चरवाहे अच्छी तरह जानते थे कि भेड़िए उनकी भेड़ों के लिए बहुत बड़ा खतरा हैं। एक बार यीशु ने कहा कि “मज़दूरी पर रखा गया आदमी” जब “भेड़िए को आते देखता है, तो भेड़ों को छोड़कर भाग जाता है।” मगर यीशु उस आदमी की तरह नहीं है जिसे “भेड़ों की परवाह नहीं होती।” इसके बजाय “वह अच्छा चरवाहा” है जो “भेड़ों की खातिर अपनी जान दे देता है।”​—यूह 10:11-13.