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अध्ययन लेख 6

हमारा पिता यहोवा हमसे बहुत प्यार करता है

हमारा पिता यहोवा हमसे बहुत प्यार करता है

“तुम इस तरह प्रार्थना करना: ‘हे हमारे पिता।’”—मत्ती 6:9.

गीत 135 यहोवा की प्यार-भरी गुज़ारिश: “मेरे बेटे, बुद्धिमान बन”

लेख की एक झलक *

1. पुराने ज़माने में फारस के राजा से मिलने के लिए क्या ज़रूरी था?

मान लीजिए कि आप करीब 2,500 साल पहले फारस के साम्राज्य में जी रहे हैं। आप उस देश के राजा से किसी बारे में बात करना चाहते हैं। उससे मिलने के लिए आप शूशन नाम के शहर जाते हैं जहाँ उसका राज-महल है। लेकिन मुश्‍किल यह है कि आप बगैर उसकी इजाज़त के उससे मिलने नहीं जा सकते। अगर आपने ऐसा किया, तो आपको मौत की सज़ा मिल सकती है।—एस्ते. 4:11.

2. यहोवा से बात करने के बारे में हम कैसा महसूस कर सकते हैं?

2 हम इस बात से खुश हो सकते हैं कि यहोवा उस फारसी राजा जैसा नहीं है। यहोवा दुनिया के किसी भी सम्राट से कहीं ज़्यादा महान है, फिर भी उसने हमें यह छूट दी है कि हम जब चाहे उससे बात कर सकते हैं। वह चाहता है कि हम बेझिझक उसके पास आएँ। हालाँकि यहोवा महान सिरजनहार, सर्वशक्‍तिमान परमेश्‍वर और सारे जहान का मालिक है, फिर भी हम उसे “पिता” पुकार सकते हैं। (मत्ती 6:9) यहोवा चाहता है कि हम उसे अपना पिता जानकर उसके करीब महसूस करें। यह हमारे लिए कितनी खुशी की बात है!

3. (क) हम क्यों यहोवा को अपना “पिता” कह सकते हैं? (ख) इस लेख में क्या बताया जाएगा?

3 यहोवा को अपना “पिता” कहना बिलकुल सही है क्योंकि उसी ने हमें जीवन दिया है। (भज. 36:9) जब हम उसे अपना पिता कहते हैं, तो यह हमारी ज़िम्मेदारी बनती है कि हम उसकी आज्ञा मानें। अगर हम उसकी बात मानें, तो हमें कई आशीषें मिलेंगी। (इब्रा. 12:9) इनमें से एक आशीष है हमेशा की ज़िंदगी। हममें से कुछ लोगों को यह आशीष स्वर्ग में मिलेगी और बाकी लोगों को धरती पर। यहोवा की बात मानने से आज भी हमें आशीषें मिलती हैं। इस लेख में बताया जाएगा कि आज यहोवा कैसे एक पिता की तरह हमारे साथ पेश आता है और हम क्यों यकीन रख सकते हैं कि भविष्य में भी वह हमें कभी नहीं छोड़ेगा। मगर पहले हम देखेंगे कि हम क्यों भरोसा रख सकते हैं कि हमारा पिता यहोवा हमसे बहुत प्यार करता है और हमारा खयाल रखता है।

हमारा पिता यहोवा हमसे प्यार करता है, हमारा खयाल रखता है

यहोवा हमारे करीब रहना चाहता है, ठीक जैसे एक अच्छा पिता अपने बच्चों के करीब रहना चाहता है (पैराग्राफ 4 देखें)

4. यहोवा को अपना पिता मानना कुछ लोगों को क्यों मुश्‍किल लगता है?

4 क्या परमेश्‍वर को अपना पिता मानना आपको मुश्‍किल लगता है? कुछ लोग सोचते हैं कि यहोवा तो बहुत महान है, हम उसके आगे कुछ भी नहीं हैं। उन्हें शक होता है कि क्या यहोवा के लिए वे कोई मायने रखते हैं। लेकिन हमारा पिता यहोवा नहीं चाहता कि हम ऐसा सोचें। उसने हमें जीवन दिया है और चाहता है कि हम उसके साथ एक अच्छा रिश्‍ता कायम करें। यही बात प्रेषित पौलुस ने एथेन्स के लोगों को बतायी। इसके बाद उसने उनसे कहा, “वह हममें से किसी से भी दूर नहीं है।” (प्रेषि. 17:24-29) परमेश्‍वर चाहता है कि हम में से हर कोई उससे बेझिझक बात करे, ठीक जैसे एक बच्चा अपने पिता से बेझिझक बात करता है।

5. एक बहन के अनुभव से हम क्या सीखते हैं?

5 कुछ ऐसे भी लोग हैं जिन्हें बचपन में अपने पिता का प्यार नहीं मिला। इसलिए उन्हें यहोवा को अपना पिता मानना मुश्‍किल लगता है। एक बहन कहती है, “मेरे पिता ने मेरे साथ बहुत बुरा सलूक किया था। इसलिए जब मैं बाइबल सीखने लगी, तो शुरू में मुझे यहोवा को एक पिता मानना और उसके करीब महसूस करना मुश्‍किल लगा। लेकिन जब मैंने यहोवा को जाना, तो मेरी सोच बदल गयी।” हो सकता है, आपको भी बचपन में अपने पिता का प्यार न मिला हो। फिर भी आप यकीन रख सकते हैं कि आप कुछ समय बाद महसूस कर पाएँगे कि यहोवा आपसे बेहद प्यार करनेवाला एक पिता है।

6. मत्ती 11:27 के मुताबिक यहोवा ने यह समझने में कैसे हमारी मदद की है कि वह हमारा पिता है?

6 यहोवा यह समझने में हमारी मदद करता है कि हम उसे अपना पिता मानें। यही वजह है कि उसने बाइबल में यीशु की शिक्षाओं और उसके कामों के बारे में लिखवाया है। (मत्ती 11:27 पढ़िए।) यीशु ने अपने पिता के जैसे गुण इतनी अच्छी तरह दिखाए कि वह कह सका, “जिसने मुझे देखा है उसने पिता को भी देखा है।” (यूह. 14:9) यीशु ने कई बार बताया कि यहोवा एक पिता के नाते हमारे लिए क्या-क्या करता है। अगर खुशखबरी की चार किताबों की ही बात करें, तो उनमें यहोवा को करीब 165 बार पिता कहा गया है। यीशु ने इतनी बार यहोवा का ज़िक्र एक पिता के तौर पर क्यों किया? एक वजह है, वह लोगों को यकीन दिलाना चाहता था कि यहोवा उनका पिता है जो उनसे प्यार करता है।—यूह. 17:25, 26.

7. यहोवा ने अपने बेटे के साथ जो व्यवहार किया, उससे हमें यहोवा के बारे में क्या पता चलता है?

7 गौर कीजिए कि यहोवा ने अपने बेटे यीशु के साथ कैसा व्यवहार किया और उससे हमें यहोवा के बारे में क्या पता चलता है। यहोवा ने हमेशा यीशु की प्रार्थना सुनी और उसकी प्रार्थनाओं का जवाब भी दिया। (यूह. 11:41, 42) यीशु ने मुश्‍किलों के दौरान हमेशा महसूस किया कि उसका पिता उसके साथ है, वह उससे प्यार करता है।—लूका 22:42, 43.

8. यहोवा ने किन तरीकों से यीशु की ज़रूरतें पूरी कीं?

8 एक बार यीशु ने कहा था, “मैं पिता की वजह से जीवित हूँ।” (यूह. 6:57) इसका मतलब यह है कि यीशु मानता था कि उसके पिता ने ही उसे जीवन दिया है और उसे वह सबकुछ देता है जो उसके ज़िंदा रहने के लिए ज़रूरी है। यीशु को अपने पिता पर पूरा भरोसा था कि वह उसकी खाने-पहनने की ज़रूरतें पूरी करेगा और यहोवा ने ऐसा ही किया। इससे भी खास बात, यहोवा ने वफादार रहने में उसकी मदद की।—मत्ती 4:4.

9. यहोवा ने कैसे एक पिता के नाते यीशु का खयाल रखा?

9 एक पिता के नाते यहोवा ने अपने बेटे यीशु को भरोसा दिलाया कि वह उसके साथ है। (मत्ती 26:53; यूह. 8:16) यह सच है कि यहोवा ने उसे हर मुसीबत से नहीं बचाया, मगर तकलीफें सहने में उसकी मदद ज़रूर की। यीशु जानता था कि उस पर चाहे जो भी तकलीफ आए, वह थोड़े समय के लिए है। (इब्रा. 12:2) तो जैसा हमने देखा, यहोवा ने यीशु की प्रार्थनाएँ सुनीं, उसकी ज़रूरतें पूरी कीं, उसे सिखाया और उसकी मदद की। (यूह. 5:20; 8:28) इन सभी तरीकों से उसने यीशु का खयाल रखा। और इन्हीं तरीकों से वह हमारा भी खयाल रखता है। आइए देखें वह यह कैसे करता है।

हमारा पिता यहोवा कैसे हमारा खयाल रखता है?

अपने बच्चों से प्यार करनेवाला पिता (1) उनकी बात सुनता है, (2) ज़रूरतें पूरी करता है, (3) उन्हें सिखाता है और (4) मुसीबत में मदद करता है। हमारा पिता यहोवा भी इन्हीं तरीकों से हमारा खयाल रखता है (पैराग्राफ 10-15 देखें) *

10. भजन 66:19, 20 के मुताबिक यहोवा हमसे प्यार करने की वजह से क्या करता है?

10 यहोवा हमारी प्रार्थनाएँ सुनता है।  (भजन 66:19, 20 पढ़िए।) यहोवा नहीं चाहता कि हम कभी-कभार ही उससे प्रार्थना करें, बल्कि हमें बढ़ावा देता है कि हम उससे ज़्यादा-से-ज़्यादा बार प्रार्थना करें। (1 थिस्स. 5:17) हम किसी भी समय पर और किसी भी जगह रहकर अपने परमेश्‍वर से आदर के साथ प्रार्थना कर सकते हैं। वह हमारी बात सुनने के लिए हमेशा तैयार रहता है और ध्यान से सुनता है। इसलिए हम उसके और करीब महसूस करते हैं। भजन के एक रचयिता ने कहा था, “मैं यहोवा से प्यार करता हूँ, क्योंकि वह मेरी आवाज़ सुनता है।”—भज. 116:1.

11. यहोवा हमारी प्रार्थनाएँ सुनकर क्या करता है?

11 हमारा पिता यहोवा न सिर्फ हमारी प्रार्थनाएँ सुनता है, बल्कि उनका जवाब भी देता है। इसी बात का यकीन दिलाते हुए प्रेषित यूहन्‍ना ने कहा, “हम उसकी मरज़ी के मुताबिक चाहे जो भी माँगें वह हमारी सुनता है।” (1 यूह. 5:14, 15) यहोवा शायद हमारी प्रार्थना का ठीक वही जवाब न दे जो हम चाहते हैं। वह जानता है कि हमारी भलाई किसमें है, इसलिए कभी-कभी हम जो माँगते हैं, वह नहीं देता या फिर चाहता है कि हम उसके लिए थोड़ा इंतज़ार करें।—2 कुरिं. 12:7-9.

12-13. हमारा पिता यहोवा किन तरीकों से हमारी ज़रूरतें पूरी करता है?

12 यहोवा हमारी ज़रूरतों का खयाल रखता है।  उसने सभी पिताओं को जो ज़िम्मेदारी दी है, उसे खुद भी निभाता है। (1 तीमु. 5:8) वह अपने बच्चों के खाने-पहनने की ज़रूरतों का खयाल रखता है। वह नहीं चाहता कि हम खाने-पहनने या घर के बारे में चिंता करें। (मत्ती 6:32, 33; 7:11) एक अच्छे पिता के नाते उसने हमारे भविष्य के लिए भी इंतज़ाम किया है ताकि आगे चलकर हमारी सभी ज़रूरतें पूरी हों।

13 सबसे खास बात यह है कि यहोवा ने ऐसे इंतज़ाम किए हैं जिनकी वजह से हम उसके साथ एक अच्छा रिश्‍ता बनाए रख पाते हैं। उसने हमें अपना वचन बाइबल दिया है। इसमें यहोवा ने बताया है कि वह कौन है, उसका मकसद क्या है, उसने हमें क्यों बनाया है और आगे चलकर क्या होगा। जब हमें माता-पिता या किसी भाई या बहन के ज़रिए सच्चाई मिली, तो यहोवा ने उनके ज़रिए हमारी मदद की। वह आज भी प्राचीनों और दूसरे अनुभवी भाई-बहनों के ज़रिए हमारी मदद करता है। यहोवा ने सभाओं का भी इंतज़ाम किया है, जहाँ वह हमें सिखाता है। सभाओं में हम अपने भाई-बहनों के साथ मिलकर यहोवा से सीख रहे होते हैं। तो जैसे हमने देखा, यहोवा एक पिता के नाते कई तरीकों से हममें से हरेक की ज़रूरतों का खयाल रखता है।—भज. 32:8.

14. (क) यहोवा क्यों हमारी सोच सुधारता है? (ख) वह किन तरीकों से ऐसा करता है?

14 यहोवा हमें सिखाता है।  यीशु परिपूर्ण था, मगर हम अपरिपूर्ण हैं। जब भी ज़रूरत पड़े, यहोवा एक पिता के नाते हमारी सोच सुधारता है। यह भी हमें सिखाने का एक तरीका है। उसके वचन में लिखा है, “यहोवा जिससे प्यार करता है उसे सुधारता भी है।” (इब्रा. 12:6, 7) यहोवा कई तरीकों से हमारी सोच सुधारता है। जैसे, अपने वचन बाइबल या सभाओं के ज़रिए। हो सकता है हम बाइबल में कोई ऐसी बात पढ़ें या सभाओं में कुछ ऐसी बात सुनें, जिससे हमें एहसास हो कि हमें अपनी सोच या तौर-तरीके बदलने हैं। या फिर ज़रूरत पड़ने पर प्राचीन हमारी सोच सुधारते हैं। यहोवा इनमें से किसी भी तरीके से हमें सुधार सकता है और यह सब इसलिए करता है क्योंकि वह हमसे प्यार करता है।—यिर्म. 30:11.

15. यहोवा कैसे मुसीबतों में हमारी मदद करता है?

15 यहोवा मुसीबतों में हमारी मदद करता है।  जो पिता अपने बच्चों से प्यार करता है, वह मुसीबत के समय उनका हाथ थाम लेता है। ठीक उसी तरह, हमारा पिता यहोवा भी मुश्‍किलें सहने में हमारी मदद करता है। वह अपनी पवित्र शक्‍ति देकर हमें ताकत देता है ताकि मुश्‍किलों की वजह से हम उससे दूर न चले जाएँ। (लूका 11:13) इतना ही नहीं, जब हम निराश होते हैं, तो यहोवा हमें सँभालता है। उसने हमें एक अच्छे भविष्य की आशा दी है। इसी आशा की वजह से हम मुश्‍किलें सह पाते हैं। यह बात गौर करने लायक है कि हमें चाहे कितने ही गहरे ज़ख्म क्यों न लगें, यहोवा उन्हें भर सकता है। हम चाहे जो भी तकलीफ सह रहे हों, वह कुछ समय के लिए है, मगर यहोवा से मिलनेवाली आशीषें हमेशा के लिए रहेंगी।—2 कुरिं. 4:16-18.

हमारा पिता यहोवा हमें कभी नहीं छोड़ेगा

16. जब आदम ने अपने पिता यहोवा की आज्ञा तोड़ दी, तो क्या हुआ?

16 आदम के पाप की वजह से जब समस्याएँ उठीं, तो यहोवा ने उनका बहुत बढ़िया हल निकाला। इससे पता चलता है कि यहोवा हमसे बहुत प्यार करता है। जब आदम ने अपने पिता यहोवा की आज्ञा तोड़ दी, तो उसने यहोवा के खुशहाल परिवार से नाता तोड़ लिया। उसकी आनेवाली संतान को भी उस परिवार का हिस्सा होने का मौका नहीं मिला। (रोमि. 5:12; 7:14) मगर यहोवा ने आदम की संतान को दोबारा वह आशीष दिलाने के लिए कुछ कदम उठाया।

17. आदम के पाप करने के फौरन बाद यहोवा ने क्या किया?

17 यहोवा ने आदम को तो सज़ा दी, मगर उसकी आनेवाली संतान को उसने आशीष देने का वादा किया। उसने फौरन यह वादा किया कि आदम की संतान में से जो लोग यहोवा की आज्ञा मानेंगे, उन्हें दोबारा उसके परिवार का हिस्सा होने का मौका मिलेगा। (उत्प. 3:15; रोमि. 8:20, 21) यहोवा ने यह सब मुमकिन करने के लिए अपने प्यारे बेटे यीशु के फिरौती बलिदान का इंतज़ाम किया। हमारी खातिर अपने बेटे को कुरबान करके यहोवा ने साबित कर दिया कि वह हमसे कितना प्यार करता है।—यूह. 3:16.

अगर हम अपने पिता यहोवा से दूर चले गए हैं मगर पश्‍चाताप कर रहे हैं, तो वह हमें दोबारा अपनाने के लिए तैयार है (पैराग्राफ 18 देखें)

18. अगर हम यहोवा से दूर चले गए हैं, तो भी यहोवा क्यों हमें दोबारा अपना लेगा?

18 हालाँकि हम पापी इंसान हैं, फिर भी यहोवा हमें अपने परिवार में अपनाना चाहता है। वह हमसे खीज नहीं उठता बल्कि हमारी मदद करना चाहता है। भले ही हम उसे निराश कर दें या कुछ समय के लिए उससे दूर चले जाएँ, मगर यहोवा यह आस लगाए रहता है कि हम उसके पास लौट आएँगे। यीशु ने उड़ाऊ बेटे की कहानी बताकर समझाया कि एक पिता के नाते यहोवा के दिल में हमारे लिए कितना गहरा प्यार है। (लूका 15:11-32) उस कहानी में पिता ने कभी यह उम्मीद नहीं छोड़ी कि उसका बेटा एक दिन ज़रूर उसके पास लौट आएगा। और जब बेटा वाकई लौट आया, तो पिता ने फौरन उसे गले लगा लिया। हो सकता है हम यहोवा से दूर चले गए हों। लेकिन अगर हम अपने किए पर पछता रहे हैं, तो हम यकीन रख सकते हैं कि हमारा पिता यहोवा भी हमें दोबारा अपनाने के लिए बाहें फैलाए हुए तैयार खड़ा है।

19. आदम ने जो भी नुकसान किया है, उसकी यहोवा कैसे भरपाई करेगा?

19 आदम ने इंसानों का जितना भी नुकसान किया है, उसकी यहोवा भरपाई कर देगा। आदम के पाप करने के बाद यहोवा ने फैसला किया कि वह इंसानों में से 1,44,000 जनों को चुनेगा ताकि वे यीशु के साथ मिलकर स्वर्ग में राजाओं और याजकों के नाते काम करें। यीशु और उसके ये साथी राजा नयी दुनिया में वफादार इंसानों को परिपूर्ण बनने में मदद करेंगे। फिर उनकी वफादारी की अंतिम परीक्षा होगी। जो लोग उसमें खरे उतरेंगे, उन्हें परमेश्‍वर हमेशा की ज़िंदगी देगा। तब जाकर धरती यहोवा के परिपूर्ण बेटों और बेटियों से आबाद होगी जिसे देखकर यहोवा को बेहद खुशी होगी। वह क्या ही अनोखा समय होगा!

20. (क) यहोवा ने कैसे साबित कर दिखाया है कि वह हमसे बहुत प्यार करता है? (ख) अगले लेख में क्या बताया जाएगा?

20 यहोवा ने साबित कर दिखाया है कि वह हमसे बहुत प्यार करता है। उससे अच्छा पिता और कोई नहीं हो सकता। वह हमारी प्रार्थनाएँ सुनता है, हमारी खाने-पीने की ज़रूरतें पूरी करता है और उसके करीब रहने में हमारी मदद करता है। वह हमें सिखाता है और मुश्‍किलों में हमारा साथ देता है। वह भविष्य में भी हमारी खातिर बहुत कुछ करनेवाला है। यह कितनी खुशी की बात है कि हमारा पिता हमसे प्यार करता है और हमारा खयाल रखता है। अगले लेख में बताया जाएगा कि उसके बच्चों के नाते हम कैसे उसके प्यार की कदर कर सकते हैं।

गीत 108 परमेश्‍वर का सच्चा प्यार

^ पैरा. 5 यहोवा के बारे में ज़्यादातर हमारे मन में यही खयाल आता है कि वह हमारा सिरजनहार है और सारे जहान का मालिक है। लेकिन हमें यह भी याद रखना है कि वह हमारा पिता है जो हमसे बहुत प्यार करता है। ऐसा कहने के कुछ कारण इस लेख में बताए जाएँगे। हम यह भी जानेंगे कि हम क्यों पक्का यकीन रख सकते हैं कि यहोवा हमें कभी नहीं छोड़ेगा।

^ पैरा. 59 तसवीर के बारे में: चारों दृश्‍यों में एक पिता को अपने बच्चे के साथ दिखाया गया है: एक पिता अपने बेटे की बात ध्यान से सुन रहा है, एक पिता अपनी बेटी की ज़रूरतें पूरी कर रहा है, एक पिता अपने बेटे को कुछ सिखा रहा है और एक पिता अपने बेटे की हिम्मत बँधा रहा है। चारों दृश्‍यों के पीछे दिखाया गया हाथ हमें याद दिलाता है कि यहोवा भी इन्हीं तरीकों से हमारा खयाल रखता है।