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अध्याय 17

यीशु नीकुदेमुस को रात को सिखाता है

यीशु नीकुदेमुस को रात को सिखाता है

यूहन्‍ना 2:23–3:21

  • यीशु नीकुदेमुस से बात करता है

  • ‘दोबारा पैदा होने’ का मतलब क्या है?

यह ईसवी सन्‌ 30 है। यीशु फसह मनाने यरूशलेम आया हुआ है और वह बहुत-से चमत्कार कर रहा है। यह देखकर कई लोग उस पर विश्‍वास करते हैं। नीकुदेमुस नाम के फरीसी ने यीशु के बारे में काफी चर्चे सुने हैं। वह यहूदी महा-सभा का एक सदस्य है। वह जानना चाहता है कि यीशु आखिर कौन है, इसलिए वह उससे मिलने जाता है। मगर वह उससे मिलने रात को जाता है, क्योंकि उसे डर है कि दूसरे धर्म-गुरु उसे देख लेंगे, तो क्या सोचेंगे।

नीकुदेमुस यीशु से कहता है, ‘हम जानते हैं कि तू परमेश्‍वर की तरफ से आया शिक्षक है। तू जो चमत्कार करता है, वह कोई भी इंसान तब तक नहीं कर सकता, जब तक कि परमेश्‍वर उसके साथ न हो।’ यीशु उससे कहता है कि एक इंसान को परमेश्‍वर के राज में जाने के लिए ‘दोबारा पैदा होना’ ज़रूरी है।​—यूहन्‍ना 3:2, 3.

एक इंसान दोबारा कैसे पैदा हो सकता है? नीकुदेमुस भी यही बात यीशु से पूछता है, ‘क्या एक इंसान अपनी माँ के गर्भ में वापस जा सकता है और दोबारा पैदा हो सकता है?’​—यूहन्‍ना 3:4.

यीशु उसे दोबारा पैदा होने का मतलब समझाता है। “जब तक कोई पानी और पवित्र शक्‍ति से पैदा न हो, तब तक वह परमेश्‍वर के राज में दाखिल नहीं हो सकता।” (यूहन्‍ना 3:5) जब यीशु का बपतिस्मा हुआ था, तब पवित्र-शक्‍ति उस पर आयी थी। इस तरह वह पानी और पवित्र-शक्‍ति से दोबारा पैदा हुआ था। उस वक्‍त स्वर्ग से आवाज़ आयी थी: “यह मेरा प्यारा बेटा है। मैंने इसे मंज़ूर किया है।” (मत्ती 3:16, 17) यह बात कहकर यहोवा ने मानो ऐलान किया कि अब यीशु एक खास मायने में उसका बेटा है और उसके लिए स्वर्ग के राज में दाखिल होने का रास्ता खुल गया है। ईसवी सन्‌ 33 के पिन्तेकुस्त के दिन कुछ और लोगों पर भी पवित्र-शक्‍ति उँडेली जाएगी। तब वे भी पवित्र शक्‍ति से अभिषिक्‍त बेटे बन जाएँगे और इस तरह वे भी दोबारा पैदा होंगे।​—प्रेषितों 2:1-4.

यीशु राज के बारे में जो बता रहा है उसे समझना नीकुदेमुस के लिए बहुत मुश्‍किल है। इसलिए यीशु उसे बीते समय की एक घटना की मिसाल बताता है। “जैसे मूसा ने वीराने में उस साँप को ऊँचे पर चढ़ाया, उसी तरह ज़रूरी है कि इंसान के बेटे को भी ऊँचे पर चढ़ाया जाए ताकि हर कोई जो उस पर यकीन करे वह हमेशा की ज़िंदगी पाए।” (यूहन्‍ना 3:14, 15) इस तरह वह समझाता है कि यीशु पर विश्‍वास करना क्यों ज़रूरी है।

सदियों पहले जब इसराएलियों को ज़हरीले साँपों ने डस लिया था, तो उन्हें अपनी जान बचाने के लिए मूसा के बनाए ताँबे के साँप को देखना था। (गिनती 21:9) उसी तरह इंसान अगर पाप और मौत से छुटकारा पाना चाहते हैं और हमेशा की ज़िंदगी पाना चाहते हैं, तो उन्हें परमेश्‍वर के बेटे पर विश्‍वास करना होगा। इसके बाद यीशु नीकुदेमुस को समझाता है कि यहोवा ने हम इंसानों से प्यार करने की वजह से ही उसे भेजा है। वह कहता है, “परमेश्‍वर ने दुनिया से इतना प्यार किया कि उसने अपना इकलौता बेटा दे दिया ताकि जो कोई उस पर विश्‍वास करे, वह नाश न किया जाए बल्कि हमेशा की ज़िंदगी पाए।” (यूहन्‍ना 3:16) यीशु को सेवा शुरू किए करीब छः महीने हुए हैं और वह अभी से साफ बता रहा है कि उसी के ज़रिए इंसानों का उद्धार होगा।

यीशु नीकुदेमुस से कहता है, “परमेश्‍वर ने अपने बेटे को दुनिया में इसलिए नहीं भेजा कि वह दुनिया को सज़ा सुनाए” यानी यीशु यह सज़ा सुनाने के लिए नहीं आया है कि सभी इंसान नाश के लायक हैं। मगर यीशु को इसलिए भेजा गया है कि “दुनिया उसके ज़रिए उद्धार पाए।”​—यूहन्‍ना 3:17.

नीकुदेमुस दिन की रौशनी में नहीं बल्कि रात के अँधेरे में यीशु से मिलने आया है, क्योंकि उसे डर है कि कोई उसे देख न ले। पर अब गौर कीजिए कि यीशु अपनी बात खत्म करते समय कैसे रौशनी का ज़िक्र करता है। “न्याय इस आधार पर किया जाता है: रौशनी [यानी यीशु जो अपने जीने के तरीके और अपनी शिक्षाओं से रौशनी चमका रहा है] दुनिया में आयी, मगर लोगों ने रौशनी के बजाय अंधकार से प्यार किया क्योंकि उनके काम दुष्ट थे। जो बुरे कामों में लगा रहता है, वह रौशनी से नफरत करता है और रौशनी में नहीं आता ताकि उसके बुरे कामों का परदाफाश न हो जाए। मगर जो सही काम करता है वह रौशनी में आता है ताकि साबित हो कि उसने ये काम परमेश्‍वर की मरज़ी के मुताबिक किए हैं।”​—यूहन्‍ना 3:19-21.

यीशु ने नीकुदेमुस को समझाया है कि परमेश्‍वर का मकसद पूरा करने के लिए यीशु क्या करेगा और उस पर विश्‍वास करना क्यों ज़रूरी है। मगर अब फैसला नीकुदेमुस के हाथ में है कि वह इन बातों पर गहराई से सोचेगा या नहीं और यीशु पर विश्‍वास करेगा या नहीं।