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यहोवा आपको सँभालेगा

यहोवा आपको सँभालेगा

“जब वह [रोग] के मारे [बिस्तर] पर पड़ा हो, तब यहोवा उसे सम्भालेगा।”भज. 41:3.

गीत: 23, 138

1, 2. (क) बीते समय में परमेश्वर ने क्या किया? (ख) आज जो लोग बीमार हैं उनमें से कुछ लोग शायद क्या सोचें?

अगर आप कभी बहुत बीमार हुए हैं, तो शायद आपके मन में खयाल आया हो, ‘पता नहीं मैं ठीक हो पाऊँगा या नहीं।’ या हो सकता है आपके परिवार का कोई सदस्य या आपका दोस्त बीमार हो और आप शायद सोचें, ‘पता नहीं वह ठीक होगा या नहीं।’ जब कोई बीमार होता है, तो अच्छी सेहत की उम्मीद करना लाज़िमी है। बाइबल में भी हम ऐसे लोगों के बारे में पढ़ते हैं जो अपनी बीमारी से ठीक होना चाहते थे। जैसे, अहाब और ईज़ेबेल के बेटे राजा अहज्याह को जब बहुत चोट लगी थी तो उसने कहा कि क्या मैं इससे ठीक हो पाऊँगा। बाद में, जब सीरिया यानी अराम का राजा बेन्हदद बीमार पड़ा, तब उसने भी पुछवाया कि क्या वह ठीक होगा।2 राजा 1:2; 8:7, 8.

2 बाइबल यह भी बताती है कि बीते समय में, कई मौकों पर यहोवा ने चमत्कार करके लोगों को ठीक कर दिया। यहाँ तक कि यहोवा ने अपने भविष्यवक्ताओं के ज़रिए कुछ लोगों को दोबारा ज़िंदा किया। (1 राजा 17:17-24; 2 राजा 4:17-20, 32-35) आज जो लोग बीमार हैं, वे शायद सोचें, ‘काश, परमेश्वर मेरे लिए भी ऐसा कुछ करे कि मैं ठीक हो जाऊँ।’

3-5. (क) यहोवा और यीशु के पास क्या करने की ताकत है? (ख) हम किन सवालों पर चर्चा करेंगे?

3 यहोवा के पास ऐसी ताकत है कि वह लोगों की सेहत अच्छी भी कर सकता है और बिगाड़ भी सकता है। बाइबल इस बात के सबूत देती है। उसने कुछ लोगों को सज़ा देने के लिए उन्हें बीमार कर दिया, जैसे, अब्राहम के दिनों में फिरौन को और बाद में मूसा की बहन मरियम को। (उत्प. 12:17; गिन. 12:9, 10; 2 शमू. 24:15) परमेश्वर ने इसराएलियों को चेतावनी दी थी कि अगर वे उसके वफादार नहीं रहेंगे तो वह उन्हें हर तरह के ‘रोग या दण्ड’ से पीड़ित करेगा। (व्यव. 28:58-61) वहीं दूसरी तरफ, यहोवा बीमारी दूर भी कर सकता है या बीमारी लगने से बचा भी सकता है। (निर्ग. 23:25; व्यव. 7:15) कुछ लोगों के साथ उसने ऐसा किया भी। उदाहरण के लिए, जब अय्यूब बहुत बीमार था और मर जाना चाहता था, तब परमेश्वर ने उसे ठीक किया।अय्यू. 2:7; 3:11-13; 42:10, 16.

4 वाकई, यहोवा के पास ऐसी ताकत है कि वह उन लोगों को ठीक कर सकता है, जो बीमारी से जूझ रहे हैं। यही बात उसके बेटे के बारे में भी सच है। जब यीशु धरती पर था, तो उसने ऐसे लोगों को ठीक किया जिन्हें कोढ़ या मिरगी जैसी बीमारियाँ थीं, या जो देख नहीं सकते थे या लकवे के मारे हुए थे। (मत्ती 4:23, 24 पढ़िए; यूह. 9:1-7) यह जानकर हमारा कितना हौसला बढ़ता है कि यीशु ने जो चमत्कार किए, वे इस बात की झलक थे कि नयी दुनिया में वह यह सब कितने बड़े पैमाने पर करेगा! उस वक्‍त “कोई निवासी न कहेगा कि मैं रोगी हूँ।”यशा. 33:24.

5 जब हम बहुत बीमार होते हैं, तो क्या यह उम्मीद करना सही होगा कि यहोवा या यीशु चमत्कार करके हमें ठीक कर दें? और अपने लिए इलाज चुनते वक्‍त, हमें किन बातों का ध्यान रखना चाहिए?

बीमारी के दौरान यहोवा पर भरोसा रखिए

6. पहली सदी में मसीही जो चमत्कार करते थे, उस बारे में बाइबल क्या बताती है?

6 पहली सदी में, यहोवा ने पवित्र शक्‍ति से मसीहियों का अभिषेक किया और उनमें से कुछ मसीहियों को चमत्कार करने की शक्‍ति दी। (प्रेषि. 3:2-7; 9:36-42) जैसे, वे लोगों को चंगा कर सकते थे, अलग-अलग भाषाएँ बोल सकते थे या भविष्यवाणी कर सकते थे। (1 कुरिं. 12:4-11) लेकिन आगे चलकर ये चमत्कार करने की शक्‍ति खत्म हो गयी, ठीक जैसे बाइबल में कहा गया था। (1 कुरिं. 13:8) इसलिए आज यह उम्मीद करना सही नहीं होगा कि परमेश्वर चमत्कार करके हमें या हमारे अपनों को ठीक कर दे।

7. भजन 41:3 से हमें कैसे हिम्मत मिलती है?

7 अगर आप बीमार हैं, तो आप इस बात का ज़रूर यकीन रख सकते हैं कि यहोवा आपको दिलासा देगा और आपको सँभालेगा, जैसे उसने बीते समय में अपने सेवकों को सँभाला। राजा दाविद ने लिखा, “क्या ही धन्य है वह, जो कंगाल की सुधि रखता है! विपत्ति के दिन यहोवा उसको बचाएगा। यहोवा उसकी रक्षा करके उसको जीवित रखेगा।” (भज. 41:1, 2) हम जानते हैं कि दाविद के दिनों में जिस व्यक्‍ति ने किसी कंगाल या दीन-दुखियारे की मदद की, वह हमेशा जीवित नहीं रहा। इसलिए दाविद का यह मतलब बिलकुल नहीं था कि इस तरह मदद करनेवाले लोग चमत्कार से जीवित रहेंगे और हमेशा की ज़िंदगी पाएँगे। तो फिर उसके कहने का क्या मतलब हो सकता है? यही कि परमेश्वर अच्छे और वफादार लोगों की मदद करेगा। कैसे? दाविद समझाता है, “जब वह [रोग] के मारे [बिस्तर] पर पड़ा हो, तब यहोवा उसे सम्भालेगा; तू रोग में उसके पूरे बिछौने को उलटकर ठीक करेगा।” (भज. 41:3) जी हाँ, जो व्यक्‍ति किसी दीन-दुखियारे की मदद करता है, उसका यह काम और उसकी वफादारी परमेश्वर कभी नहीं भूलता। इसलिए, अगर वह बीमार हो जाता है, तो परमेश्वर उसे बुद्धि और ताकत दे सकता है। साथ ही, परमेश्वर ने इंसान का शरीर इस तरह बनाया है कि यह खुद को ठीक कर सकता है।

8. भजन 41:4 के मुताबिक, जब दाविद बहुत बीमार था, तब उसने यहोवा से क्या गुज़ारिश की?

8 भजन 41 में, दाविद उस समय के बारे में भी बताता है जब वह बहुत बीमार हो गया था। इससे वह काफी कमज़ोर हो गया था और चिंता करने लगा था। ऐसा लगता है कि यह उसी समय की बात थी, जब उसका बेटा अबशालोम उसकी राजगद्दी हड़पने की कोशिश कर रहा था। दाविद इतना बीमार था कि वह अबशालोम को रोक नहीं सका। दाविद जानता था कि उसने बतशेबा के साथ जो पाप किया था, उसी वजह से उसके परिवार में ये समस्याएँ उठी हैं। (2 शमू. 12:7-14) उसने क्या किया? उसने गुज़ारिश की, “हे यहोवा, मुझ पर अनुग्रह कर; मुझ को चंगा कर, क्योंकि मैं ने तो तेरे विरुद्ध पाप किया है!” (भज. 41:4) दाविद जानता था कि यहोवा ने उसका पाप माफ कर दिया है और उसने बीमारी के वक्‍त यहोवा पर भरोसा रखा कि वह उसकी मदद करेगा। लेकिन क्या दाविद ने यह उम्मीद की कि यहोवा कोई चमत्कार करके उसे ठीक कर देगा?

9. (क) यहोवा ने राजा हिजकिय्याह के लिए क्या किया? (ख) दाविद ने यहोवा से क्या उम्मीद की?

9 हाँ यह सच है, कभी-कभी यहोवा चमत्कार करके लोगों को ठीक कर देता है। जैसे, जब राजा हिजकिय्याह बहुत बीमार हो गया था और मरने पर था, तब यहोवा ने उसे ठीक कर दिया। उसके बाद, वह 15 साल और जीया। (2 राजा 20:1-6) लेकिन वहीं दाविद ने यह उम्मीद नहीं की थी कि यहोवा चमत्कार करके उसे ठीक कर दे। वह बस यह उम्मीद कर रहा था कि परमेश्वर उसकी उसी तरह मदद करे जिस तरह वह ऐसे व्यक्‍ति की मदद करेगा जो “कंगाल की सुधि रखता है!” दाविद का यहोवा के साथ अच्छा रिश्ता था, इसलिए वह यह गुज़ारिश कर सका कि बीमारी के वक्‍त यहोवा उसे दिलासा दे और उसकी देखभाल करे। उसने यह भी दुआ की कि उसके शरीर में खुद को ठीक करने की जो काबिलीयत है, उससे वह ठीक हो जाए। हम भी यहोवा से ऐसी ही मदद माँग सकते हैं।भज. 103:3.

10. त्रुफिमुस और इपफ्रुदीतुस को क्या हुआ था और इससे हम क्या सीखते हैं?

10 पहली सदी में, हालाँकि प्रेषित पौलुस और दूसरे मसीही बीमार लोगों को ठीक कर सकते थे, फिर भी सभी मसीहियों को चमत्कार के ज़रिए ठीक नहीं किया गया। (प्रेषितों 14:8-10 पढ़िए।) प्रेषित पौलुस ने पुबलियुस के पिता को ठीक किया, जो बुखार और पेचिश से बेहाल था। पौलुस ने “प्रार्थना की, अपने हाथ उस पर रखे और उसे चंगा किया।” (प्रेषि. 28:8) लेकिन पौलुस जिन्हें जानता था उनमें से हर किसी को उसने ठीक नहीं किया। उसका एक दोस्त त्रुफिमुस उसके साथ एक मिशनरी दौरे पर गया था। (प्रेषि. 20:3-5, 22; 21:29) लेकिन जब वह बीमार हो गया, तो पौलुस ने उसे ठीक नहीं किया। बीमार होने की वजह से वह पौलुस के साथ आगे दौरे पर नहीं जा पाया। वह ठीक होने के लिए मीलेतुस में ही रुक गया। (2 तीमु. 4:20) पौलुस का एक और दोस्त इपफ्रुदीतुस इतना बीमार हो गया कि वह मरने पर था। लेकिन बाइबल यह नहीं बताती कि पौलुस ने चमत्कार करके उसे ठीक किया।फिलि. 2:25-27, 30.

कैसी सलाह कबूल करें?

11, 12. (क) लूका के बारे में हम क्या जानते हैं? (ख) उसने कैसे पौलुस की मदद की होगी?

11 लूका एक डॉक्टर था और वह पौलुस के साथ सफर करता था। (प्रेषि. 16:10-12; 20:5, 6; कुलु. 4:14) जब पौलुस और दूसरे मसीही मिशनरी दौरा करते वक्‍त बीमार पड़े होंगे, तो ज़रूर लूका ने उनकी मदद की होगी। (गला. 4:13) जैसे यीशु ने कहा था, “जो सेहतमंद हैं, उन्हें वैद्य की ज़रूरत नहीं होती, मगर बीमारों को होती है।”लूका 5:31.

12 लूका कोई ऐसा आदमी नहीं था, जिसे बस सेहत के मामले में सलाह देना आता था। वह सचमुच एक डॉक्टर था। बाइबल यह नहीं बताती कि लूका ने कहाँ और कब डॉक्टरी की पढ़ाई की थी। लेकिन बाइबल यह ज़रूर बताती है कि पौलुस ने लूका की तरफ से कुलुस्से के भाइयों को नमस्कार भेजा था। इसलिए यह कहना सही लगता है कि लूका ने कुलुस्से के पास लौदीकिया शहर के एक मेडिकल स्कूल में डॉक्टर की पढ़ाई की होगी। जब लूका ने अपने नाम की खुशखबरी की किताब और प्रेषितों की किताब लिखी, तो उसने ऐसे शब्द इस्तेमाल किए, जो मेडिकल क्षेत्र में इस्तेमाल होते हैं। यही नहीं, डॉक्टर होने की वजह से लूका ने ऐसी कई घटनाओं का ज़िक्र किया, जिनमें यीशु ने बीमार लोगों को ठीक किया था।

13. सेहत के बारे में सलाह देने या सलाह कबूल करने के मामले में हमें क्या याद रखना चाहिए?

13 आज हमारे कोई भी भाई चमत्कार नहीं कर सकते और न ही वे हमारी बीमारी दूर कर सकते हैं। लेकिन वे हमारी मदद करना चाहते हैं। इसलिए कुछ भाई-बहन शायद हमारे बिना माँगे ही हमें सलाह दें। हाँ यह बात सही है कि कुछ सलाहों से नुकसान नहीं होता। जैसे, पौलुस ने तीमुथियुस को थोड़ी दाख-मदिरा पीने की सलाह दी थी। तीमुथियुस को पेट की समस्या थी क्योंकि उसने शायद दूषित पानी पी लिया था। * (फुटनोट देखिए।) (1 तीमुथियुस 5:23 पढ़िए।) लेकिन सलाह लेने-देने के मामले में हमें सावधान रहना चाहिए। एक भाई शायद ज़ोर देकर कहे कि हम फलाँ किस्म की दवाई या जड़ी-बूटी लें, या हम फलाँ खाना खाएँ या उसका परहेज़ करें, जबकि उससे शायद इतना असर न हो या हो सकता है उलटा उससे नुकसान ही हो। वह शायद कहे, ‘मेरे एक रिश्तेदार को यही बीमारी थी और उन्होंने ऐसा ही किया और वे ठीक हो गए।’ लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि इससे हमें भी फायदा होगा। हमें याद रखना चाहिए कि भले ही कोई दवा बहुत-से लोग ले रहे हों, फिर भी उससे काफी नुकसान हो सकता है।नीतिवचन 27:12 पढ़िए।

समझ-बूझ से काम लें

14, 15. (क) हमें कैसे लोगों से सावधान रहना चाहिए? (ख) हम नीतिवचन 14:15 से क्या सीख सकते हैं?

14 हम सभी सेहतमंद रहना चाहते हैं, ताकि हम ज़िंदगी का मज़ा ले सकें और जी-जान से यहोवा की सेवा कर सकें। लेकिन असिद्ध होने की वजह से हम हर तरह की बीमारी से नहीं बच सकते। किसी-न-किसी बीमारी से हम सब गुज़रते हैं। हमें जो बीमारी होती है, उसके शायद कई इलाज हों और हमें यह तय करने का हक है कि हम कौन-सा इलाज चुनेंगे। अफसोस, इस लालची दुनिया में ऐसे भी लोग हैं जो दूसरों की बीमारी का नाजायज़ फायदा उठाकर अपनी जेब भरते हैं। कुछ लोग शायद कहें कि उन्होंने ऐसा इलाज ढूँढ़ निकाला है, जो हमारी बीमारी ठीक कर सकता है। हो सकता है वे दावा करें कि इस इलाज से कई लोग ठीक हुए हैं। दूसरी कुछ कंपनियाँ या लोग बड़ा मुनाफा कमाने के लिए ऐसी चीज़ें इस्तेमाल करने पर ज़ोर देते हैं, जो ऊँचे दामों पर मिलती हैं। अगर हम बीमार हैं, तो हम शायद कोई भी इलाज करवाने को तैयार हो जाएँ, ताकि हमारी बीमारी ठीक हो जाए और हम ज़्यादा दिनों तक जीएँ। लेकिन हमें परमेश्वर के वचन में दी यह सलाह कभी नहीं भूलनी चाहिए, “भोला तो हर एक बात को सच मानता है, परन्तु चतुर [यानी, होशियार] मनुष्य समझ बूझकर चलता है।”नीति. 14:15.

15 अगर हम होशियार हैं, तो हम किसी बात पर यकीन करने में सावधान रहेंगे, खासकर उस व्यक्‍ति की सलाह पर, जिसने उस बारे में अच्छी शिक्षा हासिल नहीं की। हम शायद खुद से पूछें, ‘यह व्यक्‍ति कहता है, यह विटामिन, या जड़ी-बूटी लेने से या फलाँ खाना खाने से बहुत से लोगों को फायदा हुआ है, लेकिन क्या मैं पक्के तौर पर जानता हूँ कि उन्हें फायदा हुआ है? भले ही दूसरों को फायदा हुआ हो, लेकिन मैं कैसे मान लूँ कि इससे मुझे भी फायदा होगा? क्यों न मैं थोड़ी और खोजबीन करूँ और उन लोगों से बात करूँ जिन्होंने इस बीमारी के बारे में अच्छी शिक्षा हासिल की है?’व्यव. 17:6.

16. जब हम अपनी सेहत से जुड़े फैसले लेते हैं, तो हमें क्या ध्यान रखना चाहिए?

16 परमेश्वर का वचन हमें सलाह देता है कि इस “मौजूदा दुनिया की व्यवस्था में” हम “स्वस्थ मन” रखें यानी समझ-बूझ से काम लें। (तीतु. 2:12) ऐसा करना तब ज़रूरी होता है जब हम यह तय कर रहे होते हैं कि हम किस तरह की जाँच या इलाज करवाएँगे। और उस वक्‍त यह और भी ज़रूरी हो जाता है जब कोई जाँच या इलाज एकदम अलग लग रहा हो। हम जिस व्यक्‍ति से सलाह-मशविरा करते हैं, क्या वह अच्छे-से समझा सकता है कि यह जाँच या इलाज कैसे होगा? वह जो तरीका समझाता है क्या वह एकदम अजीब लगता है? क्या इस बात से बहुत-से डॉक्टर सहमत हैं कि इस जाँच या इलाज से लोग ठीक हो सकते हैं? (नीति. 22:29) शायद हमसे कोई कहे कि इस बीमारी का एक नया इलाज किसी दूर-दराज़ इलाके में ढूँढ़ निकाला गया है और डॉक्टर अभी इस बारे में नहीं जानते। लेकिन क्या ऐसे सबूत हैं जिनसे पता चलता है कि वाकई ऐसा कोई इलाज है? कुछ लोग शायद ऐसा इलाज करवाने के लिए कहें जिसमें ऐसी चीज़ें शामिल हैं जो किसी को पता नहीं, या जिसके पीछे कोई शक्‍ति काम कर रही है। ऐसा इलाज बहुत खतरनाक हो सकता है। याद रखिए, परमेश्वर हमें खबरदार करता है कि हम अलौकिक शक्‍तियों या जादू-टोने का इस्तेमाल न करें।लैव्य. 19:26; व्यव. 18:10-12.

“सलामत रहो!”

17. हममें कौन-सी चाहत का होना लाज़िमी है?

17 पहली सदी में शासी निकाय ने मंडलियों को एक खत भेजा। उस खत में उन्होंने भाइयों को बताया कि उन्हें कुछ कामों से बचकर रहना चाहिए। खत के आखिर में शासी निकाय ने लिखा, “अगर तुम इन बातों से दूर रहने में हर वक्‍त सावधान रहो, तो तुम्हारा भला होगा। सलामत रहो!” (प्रेषि. 15:29) हालाँकि आखिरी कुछ शब्द अलविदा कहने का एक दूसरा तरीका था, लेकिन ये शब्द हमें याद दिलाते हैं कि अच्छी सेहत की चाहत रखना लाज़िमी है, ताकि हम यहोवा की सेवा कर सकें।

हम सभी सेहतमंद रहना चाहते हैं, ताकि हम जी-जान से यहोवा की सेवा कर सकें (पैराग्राफ 17 देखिए)

18, 19. हम किस बात की आस लगा सकते हैं?

18 जब तक हम इस दुनिया में जी रहे हैं और हम असिद्ध हैं तब तक हमें बीमारियों से तो जूझना ही पड़ेगा। और बीमार होने पर हम यह उम्मीद नहीं कर सकते कि यहोवा चमत्कार करके हमें ठीक कर देगा। लेकिन हम उस शानदार भविष्य की आस ज़रूर लगा सकते हैं जब यहोवा हमें पूरी तरह ठीक कर देगा। प्रकाशितवाक्य 22:1, 2 के मुताबिक, प्रेषित यूहन्ना ने दर्शन में “जीवन देनेवाले पानी की नदी” और ‘जीवन देनेवाले ऐसे पेड़’ देखे, जिनकी पत्तियों से “राष्ट्रों के लोगों के रोग दूर” हो जाएँगे। यहाँ जड़ी-बूटियों से बनी किसी दवा की बात नहीं की गयी है, जो हम ठीक होने के लिए अभी या नयी दुनिया में ले सकते हैं। इसके बजाय, ये उन सभी इंतज़ामों को दर्शाते हैं जो यहोवा और यीशु करेंगे ताकि आज्ञा माननेवाले लोगों को हमेशा की ज़िंदगी मिल सके।यशा. 35:5, 6.

19 उस शानदार भविष्य को देखने के लिए हमारी आँखें तरस रही हैं। लेकिन तब तक हम यकीन रख सकते हैं कि यहोवा अपने हर सेवक से प्यार करता है। वह समझता है कि जब हम बीमार होते हैं, तो हमें कैसा महसूस होता है। दाविद की तरह, हमें यकीन है कि अगर हम बीमार हो जाते हैं, तो यहोवा हमें अकेला नहीं छोड़ेगा। वह हमेशा उनकी देखभाल करेगा, जो उसके वफादार रहते हैं।भज. 41:12.

^ पैरा. 13 फुटनोट: दाख-मदिरा की शुरूआत और उसका प्राचीन इतिहास (अँग्रेज़ी) किताब कहती है, ‘प्रयोग करने से पता चला है कि टाइफाइड और दूसरे खतरनाक रोगाणुओं को दाख-मदिरा में मिलाने पर वे बहुत जल्दी मर जाते हैं।’