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मैं इंटरनॆट के खतरों से कैसे बचूँ?

मैं इंटरनॆट के खतरों से कैसे बचूँ?

युवा लोग पूछते है  . . .

मैं इंटरनॆट के खतरों से कैसे बचूँ?

कल्पना कीजिए कि आप दुनिया की सबसे बड़ी लाइब्रेरी में खड़े हैं। आपके आगे-पीछे किताबें ही किताबें, दाएँ-बाएँ अखबार ही अखबार, चारों तरफ बुकलेट और तस्वीरें रखी हैं। इसके अलावा लगभग हर विषय पर ऑडियो और वीडियो कैसॆट भी मौजूद हैं। आप जो जानकारी पाना चाहते हैं, चाहे वह नई हो या पुरानी वह आपके सामने है।

आज वाकई आप एक ऐसी लाइब्रेरी में दाखिल हो सकते हैं। मगर कैसे? इंटरनॆट के ज़रिए। कंप्यूटर पर एक व्यक्‍ति बड़े आराम से इंटरनॆट के ज़रिए किसी भी जानकारी की अदला-बदली दुनिया के दूसरे कंप्यूटरों के साथ कर सकता है। * इंटरनॆट इस्तेमाल करनेवाले लोग इसके ज़रिए कुछ भी खरीद सकते हैं, बेच सकते है, बैंकों से लेन-देन कर सकते हैं, दूसरों से बातचीत कर सकते हैं, सबसे नए गाने और संगीत सुन सकते हैं। और कमाल की बात तो यह है कि ये सब कुछ आप अपने घर की चार-दीवारी के अंदर कर सकते हैं।

कुछ विशेषज्ञों ने जब यह भविष्यवाणी की कि इस साल के अंत तक लगभग 32 करोड़ से भी ज़्यादा लोग इंटरनॆट इस्तेमाल कर रहे होंगे तो इसमें कोई ताज्जुब की बात नहीं थी। क्योंकि दुनिया में अधिकतर जगहों पर इंटरनॆट इस्तेमाल करना आम बात हो गई है। स्कूल और लाइब्रेरियों में बड़े ज़ोर-शोर से इसके इस्तेमाल को बढ़ावा देने की वज़ह से, आज लाखों नौजवान इसे इस्तेमाल कर रहे हैं। अमरीका में तकरीबन 65 प्रतिशत जवान जिनकी उम्र 12 से 19 के बीच है, इसका इस्तेमाल कर रहे हैं या इसे इस्तेमाल करने के लिए अपना नाम दे चुके हैं।

अगर इंटरनॆट का सही इस्तेमाल किया जाए तो यह हमारे लिए काफी फायदेमंद हो सकता है। उदाहरण के लिए इसके ज़रिए हम मौसम, देश-विदेश और दूसरे विषयों पर भरपूर जानकारी हासिल कर सकते हैं। साथ ही इससे आप किताबें खरीद सकते हैं, कारों की पुरज़े खरीद सकते हैं, और दूसरी ढेर सारी चीज़ें खरीद सकते हैं। यह स्कूल में दिए गए प्रॉजॆक्ट्‌स पर काम करने में भी बहुत जानकारी दे सकता है।

लेकिन खबरदार! इंटरनॆट हमें फायदे के साथ-साथ नुकसान भी पहुँचा सकता है। यह एक ऐसी लाइब्रेरी है जहाँ हम पर नज़र रखनेवाला कोई नहीं। और हम बड़ी आसानी से किसी भी विषय पर खोज कर सकते हैं। यही इंटरनॆट का सबसे बड़ा खतरा है। क्यों? क्योंकि इंटरनॆट से आप बड़ी आसानी से ऐसे वॆब साइट में जा सकते है जहाँ मिलनेवाली जानकारी आपको नैतिक रूप से भ्रष्ट करके आध्यात्मिक रूप से बर्बाद कर देगी। इसलिए इंटरनॆट इस्तेमाल करनेवाले जवान मसीही इस खतरे का शिकार हो सकते हैं। बेशक, इंसानों में सब कुछ जानने की स्वाभाविक इच्छा होती है। मगर इसी गुण का शैतान बरसों से फायदा उठाता चला आया है। हव्वा की जानने की इच्छा का भी शैतान ने फायदा उठाया था और ‘अपनी चतुराई से उसे बहकाया’ था।—2 कुरिन्थियों 11:3.

अगर एक मसीही जवान सच्चाई पर दृढ़ नहीं रहेगा तो हव्वा की तरह बड़ी आसानी से जानकारी पाने की इच्छा के कारण बुराई के जाल में फँस जाएगा। बैटर होम्स एण्ड गार्डन्स किताब का एक लेख कहता है: “इंटरनॆट एक ऐसी मज़ेदार चीज़ है जिसके ज़रिए लोग अपनी नई-नई चीज़ों को बेचने के लिए विज्ञापन देते हैं। मगर इसका इस्तेमाल लैंगिक संबंध रखनेवाले भी करते हैं और वे खासकर अपना निशाना बच्चों को बनाते हैं। कुछ लोग इसका इस्तेमाल दूसरों को धोखा देने के लिए करते हैं, और कुछ दूसरों पर अपने विचार थोपने के लिए, इसी तरह के कुछ और बेहूदा लोग भी इसका इस्तेमाल करते हैं।”

एक नौजवान, हावियेर * कहता है, “कुछ वॆब साइट्‌स तो आपको हिलाकर रख देंगे। और ऐसे वॆब साइट्‌स अचानक से मॉनिटर पर आ जाते हैं।” वह आगे कहता है, “ये वॆब साइट्‌स आपको फँसाने की कोशिश करते हैं। और इस तरह वे आप से पैसा हथियाना चाहते हैं।” जॉन नाम का एक जवान मसीही यह बात कबूल करते हुए कहता है, “एक बार जब आप गंदी जानकारी को देखना शुरू कर देते हैं तो रुकने का नाम ही नहीं लेंगे। यह एक नशे की तरह है। एक बार देखने से ही इसकी लत पड़ जाती है और इसे छोड़ना कोई आसान बात नहीं।” कुछ जवान मसीही ऐसे गंदे वॆब साइटों को बार-बार देखने से बड़ी मुसीबतों में फँस चुके हैं। और कुछ परमेश्‍वर यहोवा से भी दूर हो गए हैं। तो फिर हम इंटरनॆट के खतरे से कैसे बच सकते हैं?

‘व्यर्थ वस्तुओं को नज़रअंदाज़ करना’

कभी-कभी वॆब साइट के अड्रेस से ही पता चल जाता है कि वह साइट गंदी जानकारी से भरी है या उसमें ऐसी जानकारी है जिसे एक मसीही के लिए पढ़ना सही नहीं है। * नीतिवचन 22:3 हमें यह चेतावनी देता है, “चतुर मनुष्य विपत्ति को आते देखकर छिप जाता है; परन्तु भोले लोग आगे बढ़कर दण्ड भोगते हैं।”

लेकिन अकसर समस्या यह होती है कि लोग गलती से गंदे वॆब साइटों में पहुँच जाते है। कभी-कभी होम पेज में आपको ललचाने के मकसद से ऐसी तस्वीरें होती हैं जो आपको गंदे वॆब साइट में जाने के लिए प्रेरित करती हैं, और इस तरह आप तस्वीरों की वज़ह से उस साइट पर बार-बार जाने के लिए ललचाएँगे! *

केविन कहता है, “मेरे दोस्त के पास समय ही समय था। साथ में वह सब कुछ जानने की इच्छा रखता था। इसलिए वह अपना सारा समय ऐसी साइट पर बिताने लगा जो अश्‍लील जानकारी से भरी हुई थी। यहाँ तक की यह उसकी आदत बन गई।” मगर शुक्र है कि इस नौजवान मसीही ने कलीसिया के एक प्राचीन से मदद माँगी जिससे वह इस आदत को छोड़ सका।

इन सब खतरों को जानने के बाद आप क्या सोचते हैं कि अगर आप कभी ऐसे वॆब साइट में गलती से पहुँच गए तब आप क्या करेंगे? एक मसीही को क्या करना चाहिए, यह पूछने की ज़रूरत ही नहीं। क्योंकि हर मसीही को मालूम है कि अगर ऐसा होता है तो उसे तुरंत उस साइट से निकलना चाहिए। हो सके तो इंटरनॆट के ब्राउज़र को भी बन्द कर देना चाहिए। भजनहार की तरह बनिए जिसने यहोवा से प्रार्थना की: “मेरी आँखों को व्यर्थ वस्तुओं की ओर से फेर दे।” (भजन 119:37; अय्यूब 31:1 से तुलना कीजिए।) याद रखिए चाहे कोई इंसान आपको देख रहा हो या नहीं, एक है जो हम सबको देख रहा है और वह है हमारा परमेश्‍वर यहोवा। इसलिए बाइबल हमें याद दिलाती है कि “जिसको हमें लेखा देना है, उसकी आँखों के सामने सब वस्तुएँ खुली और बेपरदा हैं।”—इब्रानियों 4:13, हिंदी रिवाइस्ड वर्शन।

अपने इस फैसले पर बने रहने के लिए कि आप गंदे साइट में नहीं जाएँगे अपने माता-पिता या कलीसिया के अनुभवी मसीहियों से बात कीजिए। क्योंकि सोचिए अगर आप किसी दलदल में फँस जाते हैं तो क्या पूरे धस जाने के बाद मदद के लिए पुकारेंगे? हरगिज़ नहीं!

ऑन-लाइन पर मिलने-जुलने के बारे में क्या?

इंटरनॆट का दूसरा साधन है चैट। चैट के ज़रिए दुनिया-भर में इंटरनॆट इस्तेमाल करनेवाले एक ही समय में एक दूसरे के साथ बातचीत कर सकते हैं। व्यापारी इसे अपनी मीटिंग के लिए और ग्राहकों को सुविधा देने के लिए इस्तेमाल करते हैं। कुछ चैट रूम में लोग एक-दूसरे को गाड़ी ठीक करने या कंप्यूटर प्रोग्रैमिंग जैसे विषयों की जानकारी देते हैं। और तो और कुछ चैट रूम के ज़रिए एक इंसान टेलीफोन में पैसा ज़ाया किए बगैर दूररहनेवाले दोस्तों और परिवार के सदस्यों से बात कर सकता है। तो हम साफ देख सकते हैं कि इससे कितने फायदे हैं। लेकिन क्या इसमें भी खतरे हैं?

हमें सार्वजनिक चैट रूम से बचकर रहने की ज़रूरत है क्योंकि इसके कुछ खतरे हो सकते हैं। लेखिका लिआ रोज़न कहती है, “जो नौजवान टॆक्नॉलजी के बारे में काफी कुछ जानते हैं, वे अपने देश या दुनिया में किसी से भी ऑन-लाइन पर बात करने में घंटो बिता देते हैं। अफसोस की बात है कि जिन अजनबियों के संग नौजवान ऑन-लाइन पर बात करते हैं, उनमें से कुछ ऐसे लोग हैं जो लैंगिक संबंध के लिए खासकर बच्चों के साथ मिलने का समय तय करते है।” पॉप्यूलर मकैनिक्स के एक लेख में यह चेतावनी दी गई थी कि चैट रूम इस्तेमाल करते वक्‍त “आप लोगों को खासकर सावधानी बरतने की ज़रूरत है।” किसी अजनबी को अपना नाम या पता बताना खतरे से खाली नहीं! अगर आप सोचते हैं कि यह खतरनाक हो सकता है तो खुद को ऐसे खतरे में मत डालिए।

एक ऐसा खतरा भी है जिस पर हम ज़्यादा ध्यान नहीं देते। वह है ऑन-लाइन पर ऐसे अजनबियों से दोस्ती करना जो बाइबल के सिद्धांतों को नहीं मानते। * अध्ययन से पता लगा है कि चैट रूम में जवान लोग ज़्यादातर लैंगिक बातें करते हैं। इस बारे में बाइबल 1 कुरिन्थियों 15:33 में हमें यह सलाह देती है, “धोखा न खाना, बुरी संगति अच्छे चरित्र को बिगाड़ देती है।” बेशक, कंप्यूटर द्वारा बुरी संगति रखना बहुत खतरनाक है। ऐसी स्थिति में क्या परमेश्‍वर का भय रखनेवाले जवानों को लापरवाह होना चाहिए?

सुरक्षा

खतरों की वज़ह से हमें इंटरनॆट का इस्तेमाल बड़ी सावधानी से करना चाहिए। उदाहरण के लिए कुछ परिवार सावधानी बरतने के लिए अपना कंप्यूटर बैठक यानी खुली जगह में रखते हैं। कुछ घरों में बड़े-बुज़ुर्ग या माता-पिता एक नियम बना लेते हैं कि इंटरनॆट का इस्तेमाल सिर्फ तभी किया जाएगा जब दूसरे लोग भी घर पर होंगे। अगर आपके माता-पिता ऐसी पाबंदी लगाते हैं तो उन्हें सहयोग दीजिए। (नीतिवचन 1:8) आपके माता-पिता ने ऐसी पाबंदी इसलिए लगाई है क्योंकि वे आपसे प्यार करते हैं।

अगर आपको स्कूल के कुछ कामों के लिए इंटरनॆट का इस्तेमाल करना ज़रूरी है तो क्यों न ऑन-लाइन में बिताए गए समय पर भी ध्यान दें? इसके लिए आप पहले से समय निश्‍चित कर सकते हैं कि आप इसमें कितना समय बिताएँगे। और हो सके तो याद दिलाने के लिए अलार्म घड़ी भी इस्तेमाल करें। टॉम सुझाव देता है: “पहले से ही पक्का कर लीजिए कि आप कितना समय बिताएँगे और किस विषय पर खोज करेंगे, आपने जितना समय पक्का किया है बस उतना ही समय बिताइए चाहे दूसरे विषय कितने ही दिलचस्प क्यों न हों।”

जब इलॆक्ट्रॉनिक मेल या ई-मेल की बात आती है तो इसमें भी सावधानी बरतने की ज़रूरत है। मसीही नौजवान इस बात का ध्यान रखते हैं कि वे ज़्यादा ई-मेल न पढ़े। क्योंकि इनकी जानकारी ज़्यादातर झूठी और बेबुनियाद होती है। हद से ज़्यादा ई-मेल पढ़ने में समय बर्बाद करने से अच्छा होगा कि आप वह समय स्कूल के कामों, और आध्यात्मिक कामों में लगाएँ।

राजा सुलैमान ने कहा, “बहुत पुस्तकों की रचना का अन्त नहीं होता, और बहुत पढ़ना देह को थका देता है।” (सभोपदेशक 12:12) यह बात इंटरनॆट के लिए भी सच हैं। ज़्यादा से ज़्यादा जानकारी पाने के पीछे इतना मत भागिए कि बाइबल अध्ययन और मसीही सेवकाई के लिए आपको समय ही न मिले। (मत्ती 24:14; यूहन्‍ना 17:3; इफिसियों 5:15, 16) कंप्यूटर के ज़रिए संचार करना अपने आप में गलत नहीं है, मगर याद रखिए कि यह हमारे भाई-बहनों से आमने-सामने बैठकर बातचीत करने की जगह कभी नहीं ले सकता। आखिर में, अगर इंटरनॆट इस्तेमाल करना आपके लिए ज़रूरी है तो अकलमंदी इसी में है कि आप पहले से यह ठान कर चलें कि आप इसे सोच-समझकर इस्तेमाल करेंगे। खतरनाक वॆब साइटों से दूर रहेंगे और हद से ज़्यादा अपना समय ऑन-लाइन में नहीं बिताएँगे। कभी भी इंटरनॆट का गुलाम मत बनिए। “अपने मन की रक्षा” कीजिए।—नीतिवचन 4:23.

[फुटनोट]

^ अगस्त 8, 1997 की सजग होइए! में, “इंटरनॆट—क्या यह आपके लिए है?” नामक लेख की श्रंखला देखिए।

^ कुछ नाम बदल दिए गए हैं।

^ वॆब साइट का अड्रेस अँग्रेज़ी अक्षरों से बना होता है और इसी से आप दूसरे वॆब साइटों में जा सकते हैं। कभी-कभी इन अड्रेसों में कुछ ऐसे शब्द भी होते हैं, जिनसे पता चल जाता है कि इस साइट का मकसद क्या है।

^ होम पेज, एक इलॆक्ट्रॉनिक-दुकान की खिड़की की तरह है। होम पेज में यह जानकारी दी जाती है कि इस साइट में क्या-क्या है, इसे किसने बनाया है वगैरह, वगैरह।

^ आध्यात्मिक बातचीत करने के मकसद से कुछ मसीहियों ने सार्वजनिक चैट रूम की स्थापना की है। मगर इसमें ऐसे लोगों के आने का खतरा रहता है जो बाइबल के मुताबिक नहीं जीते। और कभी-कभी तो हमारी बातचीत में बेईमान और धर्मत्यागी लोग भी शामिल हो जाते हैं। ये लोग बड़ी चालाकी से दूसरों को अपनी बातों में फँसा लेते हैं।

[पेज 20 पर बड़े अक्षरों में लेख की खास बात]

“कुछ वॆब साइट्‌स तो आपको हिलाकर रख देंगे। ऐसे वॆब साइट्‌स अचानक से मॉनिटर पर आ जाते हैं।”

[पेज 21 पर तसवीर]

कुछ परिवार अपना कंप्यूटर खुली जगह में रखते हैं