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जीवन की शानदार रचनाओं की नकल करना

जीवन की शानदार रचनाओं की नकल करना

जीवन की शानदार रचनाओं की नकल करना

नन्हें बच्चों का धड़ाम से गिर पड़ना और सिर पर चोट लग जाना। बड़े बच्चों का पेड़ या साइकिल से गिर पड़ना। खेल के मैदान में खिलाड़ियों का खतरनाक तरीके से एक-दूसरे से टकरा जाना। ड्राइवरों के साथ दुर्घटनाएँ होना। इस तरह गिरने, टकराने और चोट लगने पर भी हमें अकसर ज़्यादा नुकसान नहीं पहुँचता और हम अपने आप ठीक हो जाते हैं। हमारे शरीर में अलग-अलग तकलीफों को सहने और चुस्ती-फुर्ती प्रदान करने की काबिलीयत है, मगर यह बात कभी-कभी हम भूल जाते हैं। वैज्ञानिकों द्वारा हमारे शरीर की हड्डियों से लेकर त्वचा तक की जाँच करने पर, अब उन्हें एहसास होने लगा है कि हमारे शरीर की रचना वाकई शानदार है।

हम कुदरत में ऐसी बहुत-सी चीज़ें देखते हैं जिनमें ताकत और मज़बूती के साथ-साथ बहुत कम वज़न होता है। एक नन्हा-सा पौधा जब बढ़ रहा होता है तो वह बहुत ही नाज़ुक होता है। मगर फिर भी उसमें इतनी ताकत होती है कि वह पत्थरों में दरार पैदा कर देता है। यही नन्हा-सा पौधा जब एक बड़ा पेड़ बन जाता है तो वह इतना मज़बूत हो जाता है कि बिजली के खम्भे और घरों को उखाड़ देनेवाले तूफान भी उसका कुछ नहीं बिगाड़ पाते। अब कठफोड़े की ही बात लीजिए। वह इतनी तेज़ी से और ज़ोर से पेड़ के तने पर छेद करता है लेकिन फिर भी उसका सिर सही सलामत रहता है। अगर कोई और ऐसा करने की कोशिश करेगा तो उसके सिर का भुरता बन जाएगा। मगर इन पक्षियों के लिए यह काम मानों बाएँ हाथ का खेल है। मगरमच्छ और घड़ियाल की खाल की वज़ह से उन पर तीर, भाले और गोलियों से किए गए हमले का कोई असर नहीं होता। (अय्यूब 41:1, 26 से तुलना कीजिए।) हज़ारों सालों से इंसान कुदरत में पाई जानेवाली चीज़ों के लिए इज़्ज़त दिखाता आया है और इन्हें देखकर सोच में भी पड़ जाता है।

पिछले 40 सालों में टॆक्नॉलजी के क्षेत्र में बहुत तरक्की हुई है। इसी वज़ह से वैज्ञानिकों को ऐसे नए-नए यंत्र मिल सके हैं, जिनसे वे इन रचनाओं के राज़ जान सके हैं। ये राज़ अधिकतर कोशिकाओं की बहुत गहराई में छिपे होते हैं। इन कोशिकाओं की रचना को और पेचीदगी को देखकर कोई भी इंसान चकरा सकता है। विज्ञान का सिर्फ यह मकसद नहीं है कि वह कुदरत में इन अद्‌भुत चीज़ों का राज़ जाने बल्कि उसका मकसद है कि इनकी नकल करके नई-नई चीज़ें बनाएँ। इस तरह की खोजबीनों से वैज्ञानिकों को बहुत उम्मीद नज़र आती है। इसलिए विज्ञान के क्षेत्र में एक नया भाग बनाया गया है जिसे बायोमिमेटिक्स विज्ञान नाम दिया गया है। बायोमिमेटिक्स शब्द को यूनानी भाषा से लिया गया है। यूनानी शब्द बायोस का मतलब है “जीवन” और मिमेसिस का मतलब है “नकल उतारना।”

बायोमिमेटिक्स एक बेहतर ज़िंदगी का वादा

बायोमिमेटिक्स: डिज़ाइन एण्ड प्रोसॆसिंग ऑफ मटिरियल्स नामक किताब बताती है: “जीव-जंतु और पेड़-पौधे कैसे बने [और] ये कैसे काम करते हैं, इन पर जो अध्ययन किए जाते हैं उसे बायोमिमेटिक्स (बायोमिमेटिक्स विज्ञान) कहते हैं।” यही किताब आगे बताती है कि इन अध्ययनों से ‘नए-नए आइडिए मिलते हैं और जब इनकी मदद से चीज़ें बनाई जाती हैं तो वे कुदरत में पाई जानेवाली रचनाओं से मेल खाती हैं।’

स्टीवन वेनराइट एक वैज्ञानिक है, वह कहता है कि “आणविक जीवविज्ञान की जगह बायोमिमेटिक्स इक्कीसवीं सदी का सबसे अहम और चुनौतीपूर्ण विज्ञान बन जाएगा।” प्रोफॆसर मेमेट सारीकाया दावा करता है: “हम कुदरत में एक ऐसी क्रांति देखनेवाले हैं जो लौह-युग और औद्योगिक क्रांति के बराबर होगी। जल्द ही ऐसा युग आ जाएगा जिसमें जीवित चीज़ों की नकल करके नई-नई चीज़ें बनाई गई होंगी। अगली सदी में बायोमिमेटिक्स की वज़ह से मेरे खयाल से लोगों की काया पलट हो जाएगी।”

बायोमिमेटिक्स की वज़ह से लोगों का जीवन तो पहले से ही बदलना शुरू हो गया है जैसे कि हम आगे देखेंगे। मगर उससे पहले, आइए अब हम थोड़ी देर के लिए उन हैरान कर देनेवाली चीज़ों पर गौर करें, जिनके बारे में वैज्ञानिक पूरी तरह नहीं जान सके हैं। इसलिए इनका अध्ययन करने में लगे हुए हैं। हम ‘रचना’ शब्द के मतलब के बारे में भी देखेंगे, और यह भी देखेंगे कि हमारी अनोखी दुनिया में ये रचनाएँ क्या मायने रखती हैं।