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पवित्र शास्त्र क्या कहता है?

लुभाया जाना

लुभाया जाना

जब किसी का मन उसे लुभाता है और वह मन के बहकावे में आ जाता है, तो उसे बुरे अंजाम भुगतने पड़ते हैं। जैसे, शादीशुदा ज़िंदगी तबाह होना, बीमारी का शिकार होना या विवेक का कचोटना। हम ऐसा क्या कर सकते हैं, ताकि मन के बहकावे में न आएँ?

लुभाए जाने का मतलब क्या है?

लुभाए जाने का मतलब है, कोई गलत काम करने की इच्छा होना। ज़रा इस बारे में सोचिए। आप बाज़ार गए हैं और वहाँ आपको एक चीज़ बहुत पसंद आ जाती है। आपका मन करता है कि आप इसे चुरा लें और आपको लगता है कि आप पकड़े भी नहीं जाएँगे। लेकिन आपका विवेक कहता है कि नहीं, यह सही नहीं है। आप फौरन मन से वह खयाल निकाल देते हैं और आगे बढ़ जाते हैं। इस मामले में आप लुभाए तो गए, लेकिन आपने गलत काम नहीं किया, आप जीत गए!

पवित्र शास्त्र क्या कहता है?

 

लुभाए जाने का मतलब यह नहीं कि आप बुरे हैं। पवित्र शास्त्र बाइबल में लिखा है कि हर किसी पर परीक्षा आती है। (1 कुरिंथियों 10:13) जो बात मायने रखती है, वह यह कि लुभाए जाने पर आप क्या करते हैं। कुछ लोग बुरे खयाल मन में पनपने देते हैं और एक-न-एक दिन गलत काम कर बैठते हैं। वहीं कुछ लोग उसे तुरंत मन से निकाल देते हैं।

“हर किसी की इच्छा उसे खींचती और लुभाती है, जिससे वह परीक्षा में पड़ता है।”​याकूब 1:14.

लुभाए जाने पर गलत खयाल फौरन मन से निकालना बुद्धिमानी क्यों होगी?

पवित्र शास्त्र में बताया गया है कि किस तरह एक इंसान गलत काम कर बैठता है। याकूब 1:15 में लिखा है, “[बुरी] इच्छा गर्भवती होती है और पाप को जन्म देती है।” इसका मतलब है कि बुरी इच्छाओं के बारे में सोचते रहने से हमारे अंदर गलत काम करने की इच्छा बढ़ जाती है। यह इच्छा इतनी ज़बरदस्त हो सकती है कि हमारा गलत काम करना तय है, ठीक जैसे एक गर्भवती स्त्री को बच्चा होना तय है। लेकिन हम बुरी इच्छाओं के गुलाम होने से बच सकते हैं, हम इन्हें काबू में कर सकते हैं।

पवित्र शास्त्र से कैसे मदद मिल सकती है?

 

जिस तरह हमारे मन में बुरी इच्छाएँ पनप सकती हैं, उसी तरह ये मन से निकाली भी जा सकती हैं। कैसे? अगर हम अपना मन किसी और बात पर लगाएँ, जैसे किसी काम पर, किसी दोस्त से बातचीत करने पर या कुछ अच्छा सोचने पर, तो बुरी इच्छाएँ मन से निकल सकती हैं। (फिलिप्पियों 4:8) गलत कामों से होनेवाले अंजामों के बारे में सोचने से भी मदद मिल सकती है। जैसे सोचिए कि वह काम करने से आपको कितना दुख हो सकता है, आपकी सेहत पर या परमेश्वर के साथ आपके रिश्ते पर कैसे बुरा असर हो सकता है। (व्यवस्थाविवरण 32:29) प्रार्थना करने से भी मदद मिलती है। यीशु मसीह ने कहा था, “प्रार्थना करते रहो ताकि तुम परीक्षा में न पड़ो।”​—मत्ती 26:41.

“एक इंसान जो बोता है, वही काटेगा भी।”​गलातियों 6:7.

आप लुभाए जानेवाले हालात का सामना कैसे कर सकते हैं?

हकीकत

 

यह देखने की कोशिश कीजिए कि लुभाया जाना असल में क्या है। यह एक फंदा है या किसी को फँसाने के लिए मानो चारा डाला गया है। नासमझ या नादान लोग इससे मुसीबत में पड़ जाते हैं। (याकूब 1:14, फुटनोट) यह खासकर अनैतिक काम करने के मामले में सच होता है, जिसके अंजाम बहुत बुरे हो सकते हैं।​—नीतिवचन 7:22, 23.

पवित्र शास्त्र से कैसे मदद मिल सकती है?

 

यीशु मसीह ने कहा, “अगर तेरी दायीं आँख तुझसे पाप करवा रही है, तो उसे नोंचकर निकाल दे और दूर फेंक दे।” (मत्ती 5:29) यीशु यह नहीं कह रहा था कि हम सच में अपनी आँख नोंचकर फेंक दें। असल में वह यह कहना चाहता था कि अगर हम ईश्वर को खुश करना चाहते हैं और हमेशा की ज़िंदगी पाना चाहते हैं, तो हमें शरीर के उन अंगों को मानो मार डालना होगा, जो हमसे बुरे काम करवाते हैं। (कुलुस्सियों 3:5) इसका मतलब है कि जब हमें किसी बात के लिए लुभाया जाए, तो हमें तुरंत उससे अपना मुँह फेरना होगा। परमेश्वर के एक सेवक ने प्रार्थना की, “मेरी आँखों को बेकार की चीज़ों से फेर दे।”​—भजन 119:37.

यह सच है कि खुद पर काबू पाना आसान नहीं। शास्त्र कहता है कि “शरीर कमज़ोर है।” (मत्ती 26:41) इसका मतलब है कि गलतियाँ तो हमसे होंगी, लेकिन अगर हमें उनका अफसोस हो और हम वह गलती करने की आदत न बनाएँ, तो परमेश्वर यहोवा हमें माफ कर देगा। शास्त्र में लिखा है कि वह “दयालु और करुणा” करनेवाला परमेश्वर है। (भजन 103:8) यह जानकर हमें कितनी तसल्ली मिलती है!

“हे याह, अगर तू हमारे गुनाहों पर ही नज़र रखता, तो हे यहोवा, तेरे सामने कौन खड़ा रह सकता?”​भजन 130:3.