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क्या परमेश्‍वर को पता था कि आदम और हव्वा पाप करेंगे?

क्या परमेश्‍वर को पता था कि आदम और हव्वा पाप करेंगे?

क्या परमेश्‍वर को पता था कि आदम और हव्वा पाप करेंगे?

बहुत-से लोग सचमुच इस सवाल का जवाब जानना चाहते हैं। जब यह बात उठती है कि परमेश्‍वर ने क्यों दुष्टता को इजाज़त दी, तो फौरन लोग पहले जोड़े के बारे में सोचते हैं, जिन्होंने अदन बाग में पाप किया था। और लोग कहते हैं कि परमेश्‍वर ‘तो सब कुछ जानता है’ इसलिए उसे पहले से मालूम था कि आदम-हव्वा उसकी आज्ञा तोड़ेंगे।

अगर परमेश्‍वर को पहले से मालूम था कि यह सिद्ध जोड़ा पाप करेगा तो इससे क्या ज़ाहिर होगा? यही कि परमेश्‍वर बहुत बुरा है, ढोंगी है, बेरहम है और नाइंसाफी करता है। कुछ लोग उस पर यह ठप्पा लगा सकते हैं कि वह पत्थर-दिल है क्योंकि यह जानते हुए भी कि पहला जोड़ा पाप करके बुरे अंजाम भुगतेगा, उसने उन्हें रोका नहीं। और लोग सोचेंगे कि सदियों से चली आ रही सारी बुराइयों और मुसीबतों के लिए कुछ हद तक परमेश्‍वर ही ज़िम्मेदार है। कुछ लोगों को हमारा सृष्टिकर्ता मूर्ख भी लग सकता है।

बाइबल में परमेश्‍वर यहोवा के बारे में जो बताया गया है, क्या ये बातें उसकी शख्सियत से मेल खाती हैं? जवाब के लिए आइए परमेश्‍वर की सृष्टि और उसकी शख्सियत के बारे में बाइबल से जाँचें।

“वह बहुत ही अच्छा है”

परमेश्‍वर की सृष्टि के बारे में, जिसमें पहला जोड़ा भी शामिल है, उत्पत्ति की किताब कहती है: “परमेश्‍वर ने जो कुछ बनाया था, सब को देखा, तो क्या देखा, कि वह बहुत ही अच्छा है।” (उत्पत्ति 1:31) परमेश्‍वर ने आदम और हव्वा को धरती के परिवेश में रहने के लिए सिद्ध बनाया था। उनकी बनावट में कोई कमी नहीं थी। उन्हें “बहुत ही अच्छा” बनाया गया था और उनसे जैसे चालचलन की माँग की गयी थी, वे उस पर खरे उतरने के बिलकुल काबिल थे। उन्हें ‘परमेश्‍वर के स्वरूप’ में बनाया गया था। (उत्पत्ति 1:27) इसलिए वे कुछ हद तक परमेश्‍वर के गुण ज़ाहिर कर सकते थे जैसे बुद्धि, सच्चा प्यार, न्याय और भलाई। इन गुणों के ज़रिए उन्हें सही फैसले लेने में मदद मिलती, जिससे उन्हें तो फायदा होता ही, साथ ही स्वर्ग में रहनेवाले उनके पिता को भी खुशी मिलती।

परमेश्‍वर ने इन सिद्ध और बुद्धिमान प्राणियों को अपनी मरज़ी का मालिक बनाया था। उन्हें रोबोट की तरह नहीं बनाया था कि बटन दबाते ही वे परमेश्‍वर को खुश करने लगें। ज़रा सोचिए। आपके लिए कौन-सा तोहफा ज़्यादा मायने रखता है? वह जो बेमन से दिया जाता है या फिर वह जो प्यार भरे दिल से दिया जाता है? जवाब हम सब जानते हैं। उसी तरह, अगर आदम और हव्वा दिल से परमेश्‍वर की आज्ञा मानते तो उससे यहोवा के दिल को बेइंतहा खुशी मिलती। खुद चुनाव करने की आज़ादी की वजह से पहला जोड़ा प्यार से उभारे जाकर परमेश्‍वर की आज्ञा मान सकता था।—व्यवस्थाविवरण 30:19, 20.

धर्मी, न्यायी और भला

बाइबल हमें परमेश्‍वर के गुणों के बारे में बताती है। जब हम उन गुणों के बारे में सोचेंगे, तो समझ सकेंगे कि परमेश्‍वर का पाप से कोई नाता नहीं। भजन 33:5 कहता है कि यहोवा “धर्म और न्याय से प्रीति रखता है।” इसलिए याकूब 1:13 बताता है: “न तो बुरी बातों से परमेश्‍वर को परीक्षा में डाला जा सकता है, न ही वह खुद बुरी बातों से किसी की परीक्षा लेता है।” परमेश्‍वर सच्चा है और वह आदम की परवाह करता था इसलिए उसने उसे आगाह किया: “तू बाटिका के सब वृक्षों का फल बिना खटके खा सकता है: पर भले या बुरे के ज्ञान का जो वृक्ष है, उसका फल तू कभी न खाना: क्योंकि जिस दिन तू उसका फल खाए उसी दिन अवश्‍य मर जाएगा।” (उत्पत्ति 2:16, 17) पहले जोड़े को मौत और हमेशा की ज़िंदगी में से किसी एक का चुनाव करना था। अगर परमेश्‍वर पहले से जानता कि आदम-हव्वा पाप करेंगे फिर भी अनजान बनकर उन्हें आगाह करता, तो क्या वह ढोंग नहीं कर रहा होता? अगर नतीजा पहले से निश्‍चित होता तो ‘धर्म और न्याय से प्रीति रखनेवाला’ यहोवा उनके सामने कोई चुनाव रखता ही क्यों?

भलाई का गुण ज़ाहिर करने में यहोवा का जवाब नहीं। (भजन 31:19) यहोवा की भलाई के बारे में यीशु ने कहा: “तुममें ऐसा कौन आदमी है जिसका बेटा अगर उससे रोटी माँगे, तो वह उसे एक पत्थर पकड़ा दे? या अगर वह मछली माँगे, तो उसे एक साँप पकड़ा दे? क्या वह ऐसा करेगा? इसलिए जब तुम दुष्ट होते हुए भी यह जानते हो कि अपने बच्चों को अच्छे तोहफे कैसे देने हैं, तो तुम्हारा पिता जो स्वर्ग में है, वह और भी बढ़कर अपने माँगनेवालों को अच्छी चीज़ें क्यों न देगा!” (मत्ती 7:9-11) परमेश्‍वर अपने सेवकों को “अच्छी चीज़ें” देता है। जिस तरह इंसानों की सृष्टि की गयी और उनके रहने के लिए खूबसूरत बाग, फिरदौस तैयार किया गया, उससे परमेश्‍वर की भलाई का सबूत मिलता है। क्या सारे जहान का भला चाहनेवाला महाराजा इतना क्रूर हो सकता है कि पहले तो वह उन्हें रहने के लिए एक सुंदर घर दे और फिर वह उनसे छीन ले? कतई नहीं। हमारा धर्मी और भला सृष्टिकर्ता, इंसानी बगावत के लिए ज़रा भी कसूरवार नहीं।

“एकमात्र बुद्धिमान”

शास्त्र यह भी दिखाता है कि यहोवा “एकमात्र बुद्धिमान” परमेश्‍वर है। (रोमियों 16:27) परमेश्‍वर के स्वर्गदूत उसकी असीम बुद्धि को कई बार देख चुके थे। जब परमेश्‍वर ने धरती की सृष्टि की तो वे “जयजयकार” कर उठे। (अय्यूब 38:4-7) इसमें दो राय नहीं कि जब अदन बाग तैयार किया जा रहा था, तब इन बुद्धिमान स्वर्गदूतों ने उसकी हर छोटी-से-छोटी सृष्टि को बड़े ध्यान से देखा होगा। इस शानदार विश्‍व और धरती पर इतनी खूबसूरत चीज़ों की सृष्टि करने के बाद, क्या बुद्धिमान परमेश्‍वर ऐसी मूर्खता करता कि वह ऐसे दो इंसान बनाता जो उसकी पूरी सृष्टि का विनाश कर देते? ज़ाहिर है ऐसी तबाही के इंतज़ाम की बात किसी के गले नहीं उतरेगी।

फिर भी, कोई पूछ सकता है कि ‘यह कैसे हो सकता है कि इतने बुद्धिमान परमेश्‍वर को पता ही न हो?’ माना कि यहोवा की असीम बुद्धि का एक पहलू है कि वह “अन्त की बात आदि से” जानने की काबिलीयत रखता है। (यशायाह 46:9, 10) लेकिन इसका यह मतलब नहीं कि वह हरदम अपनी इस काबिलीयत का इस्तेमाल करे, ठीक जैसे उसे अपनी शक्‍ति का हमेशा पूरी तरह इस्तेमाल करने की ज़रूरत नहीं होती। यहोवा बुद्धिमानी दिखाते हुए पहले से जानने की अपनी काबिलीयत का हमेशा इस्तेमाल नहीं करता। वह ऐसा सिर्फ तभी करता है जब हालात माँग करते हैं या इसकी कोई ठोस वजह होती है।

यहोवा में भविष्य जानने की काबिलीयत है, मगर फिर भी वह इसका इस्तेमाल क्यों नहीं करता, इसे समझने के लिए आज के ज़माने की तकनीक का उदाहरण लीजिए। अगर कोई पहले से रिकॉर्ड किया हुआ मैच देख रहा है, तो वह चाहे तो आखिरी पलों का खेल देखकर नतीजा जान सकता है। पर ज़रूरी नहीं कि वह ऐसा करे। ठीक उसी तरह, हमारे सिरजनहार ने पहले से नतीजा न जानने का फैसला किया। इसके बजाय, वह देखना चाहता था कि धरती पर उसके बच्चे कैसे अपनी ज़िंदगी जीएँगे।

जैसा कि पहले भी ज़िक्र किया गया था, यहोवा ने बुद्धि दिखाते हुए पहले जोड़े को रोबोट की तरह नहीं बनाया, जो हू-ब-हू उसी जानकारी के मुताबिक काम करता है जो उसमें डाली जाती है। इसके बजाय उसने प्यार दिखाते हुए उन्हें अपनी मरज़ी का मालिक बनाया। सही चुनाव करके वे अपना प्यार, अपनी एहसानमंदी और आज्ञाकारिता दिखा सकते थे, जिससे ना सिर्फ उन्हें बल्कि स्वर्ग में रहनेवाले उनके पिता यहोवा को भी खुशी होती।—नीतिवचन 27:11; यशायाह 48:18.

शास्त्र दिखाते हैं कि कई मौकों पर परमेश्‍वर ने पहले से जानने की अपनी काबिलीयत का इस्तेमाल नहीं किया। मिसाल के लिए, जब वफादार अब्राहम अपने बेटे की बलि चढ़ानेवाला था, तब परमेश्‍वर उसे कह सका “तू ने जो मुझ से अपने पुत्र, वरन अपने एकलौते पुत्र को भी, नहीं रख छोड़ा; इस से मैं अब जान गया कि तू परमेश्‍वर का भय मानता है।” (उत्पत्ति 22:12) दूसरी तरफ, ऐसे भी मौके थे, जब कुछ बुरे लोगों के व्यवहार से परमेश्‍वर “खेदित” हुआ। अगर वह पहले से ही जानता कि वे क्या करेंगे, तब क्या उसे दुख होता?—भजन 78:40, 41; 1 राजा 11:9, 10.

इसलिए, यह मानना सही होगा कि सबसे बुद्धिमान परमेश्‍वर ने पहले से यह जानने के लिए अपनी काबिलीयत का इस्तेमाल नहीं किया कि हमारे पहले माता-पिता पाप करेंगे। वह इतनी बचकानी हरकत नहीं करेगा कि अपनी काबिलीयत का इस्तेमाल करके पहले से नतीजा जान ले और फिर उन्हें गलत रास्ते पर चलने के लिए छोड़ दे।

“परमेश्‍वर प्यार है”

परमेश्‍वर के दुश्‍मन, शैतान ने अदन बाग में जो बगावत शुरू की उसके बहुत बुरे अंजाम हुए, जिनमें पाप और मौत शामिल है। इसलिए शैतान “हत्यारा” है। उसने यह भी साबित कर दिया कि “वह झूठा है और झूठ का पिता है।” (यूहन्‍ना 8:44) खुद बुरे इरादे रखनेवाला शैतान, यह जताने की पूरी कोशिश करता है कि हमारा प्यारा सिरजनहार बुरा है। इंसान के पापों के लिए वह यहोवा को ज़िम्मेदार ठहराना चाहता है।

अपने प्यार के गुण की वजह से ही यहोवा ने पहले से नहीं जानना चाहा कि आदम-हव्वा पाप करेंगे। परमेश्‍वर का सबसे खास गुण प्यार है। पहला यूहन्‍ना 4:8 कहता है “परमेश्‍वर प्यार है।” प्यार का असर हमेशा अच्छा होता है, बुरा नहीं। प्यार दूसरों में भलाई ढूँढ़ता है। जी हाँ, प्यार की खातिर ही यहोवा परमेश्‍वर चाहता था कि आदम और हव्वा का भला हो।

यह सच है कि परमेश्‍वर के बच्चों, आदम और हव्वा के सामने गलत चुनाव करने का भी रास्ता खुला था। लेकिन हमारे परमेश्‍वर ने अपने परिपूर्ण बच्चों पर पूरा भरोसा किया और उनके इरादों पर शक नहीं किया। उसने उन्हें हर ज़रूरी चीज़ और जानकारी मुहैया करायी। इसलिए बदले में परमेश्‍वर का यह उम्मीद करना सही था कि उसके बच्चे प्यार-भरे दिल से उसकी आज्ञा मानें ना कि बगावत करें। वह जानता था कि आदम-हव्वा के पास वह काबिलीयत थी कि वे उसके वफादार रह सकते थे, जैसे कि आगे जाकर अब्राहम, अय्यूब, दानिय्येल और दूसरे असिद्ध इंसान रहे।

यीशु ने कहा कि “परमेश्‍वर के लिए सबकुछ मुमकिन है।” (मत्ती 19:26) इस बात से हमें कितना दिलासा मिलता है। यहोवा के प्यार, और उसके दूसरे खास गुणों जैसे न्याय, बुद्धि और शक्‍ति से हमें पूरी गारंटी मिलती है कि समय आने पर वह पाप और मौत के सारे बुरे असर को मिटा सकता है और वह ऐसा करेगा भी।—प्रकाशितवाक्य 21:3-5.

ज़ाहिर है कि यहोवा पहले से नहीं जानता था कि पहला जोड़ा पाप करेगा। हालाँकि उसे दुख हुआ कि इंसान ने आज्ञा नहीं मानी जिस वजह से इतनी दुख-तकलीफें आयीं, मगर वह यह जानता था कि बुरे हालात सिर्फ कुछ समय के लिए हैं। उसने धरती और इंसानों के लिए जो मकसद ठहराया है, वह उसे पूरा करके ही रहेगा। क्यों न उस मकसद के बारे में और जानकारी लें, साथ ही यह भी जानें कि उसके पूरा होने से आपको क्या फायदा होगा? * (w11-E 01/01)

[फुटनोट]

^ पृथ्वी के बारे में परमेश्‍वर का मकसद जानने के लिए बाइबल असल में क्या सिखाती है? किताब का अध्याय 3 देखिए। इसे यहोवा के साक्षियों ने प्रकाशित किया है।

[पेज 12 पर बड़े अक्षरों में लेख की खास बात]

यहोवा ने पहले जोड़े को रोबोट की तरह नहीं बनाया जो हू-ब-हू उसी जानकारी के मुताबिक काम करता है जो उसमें डाली जाती है

[पेज 13 पर बड़े अक्षरों में लेख की खास बात]

परमेश्‍वर जानता था कि आदम-हव्वा में उसके वफादार रहने की काबिलीयत थी