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यही है हमारी आध्यात्मिक विरासत

यही है हमारी आध्यात्मिक विरासत

“यहोवा के दासों की यही विरासत है।”—यशा. 54:17, एन. डब्ल्यू.

1. इंसानों के फायदे के लिए यहोवा ने क्या सुरक्षित रखा है?

 यहोवा “जीवित और अनंत परमेश्‍वर” है। उसने अपना संदेश सुरक्षित रखा है, जिससे इंसान हमेशा का जीवन पाएँ। और इसमें कोई शक नहीं कि यह संदेश हमेशा-हमेशा बना रहेगा, क्योंकि “यहोवा का वचन हमेशा-हमेशा तक कायम रहता है।” (1 पत. 1:23-25) हम यहोवा के कितने शुक्रगुज़ार हैं कि उसने यह ज़रूरी जानकारी अपने वचन बाइबल में सुरक्षित रखी है!

2. परमेश्‍वर ने अपने वचन में इंसानों की खातिर क्या सुरक्षित रखा है?

2 अपने वचन में, सबसे पहले तो यहोवा ने अपना नाम जो उसने खुद चुना है, सुरक्षित रखा है ताकि इंसान उस नाम के बारे में जाने। बाइबल पहली बार “यहोवा परमेश्‍वर” का ज़िक्र ‘आकाश और पृथ्वी की उत्पत्ति के वृत्तान्त’ में करती है। (उत्प. 2:4) परमेश्‍वर का नाम उन पत्थर की पटियाओं पर भी कई बार चमत्कारिक शक्‍ति से लिखा गया, जिन पर दस आज्ञाएँ लिखी थीं। मिसाल के लिए, पहली आज्ञा इस तरह शुरू होती है, “मैं तेरा परमेश्‍वर यहोवा हूं।” (निर्ग. 20:1-17) परमेश्‍वर के नाम और उसके वचन को मिटाने के लिए शैतान ने कोई कसर नहीं रख छोड़ी, इसके बावजूद परमेश्‍वर का नाम आज भी वजूद में है। वह इसलिए कि सारे जहान के महाराजा और मालिक यहोवा ने अपना वचन और अपना नाम सुरक्षित रखा है।—प्रेषि. 4:24.

3. आज चारों तरफ झूठी शिक्षाओं का बोलबाला है, लेकिन परमेश्‍वर ने क्या सुरक्षित रखा है?

3 अपने वचन में, यहोवा ने सच्चाई को भी सुरक्षित रखा है। हालाँकि आज चारों तरफ झूठी शिक्षाओं का बोलबाला है, लेकिन हम परमेश्‍वर के कितने एहसानमंद हैं कि उसने हमें आध्यात्मिक रौशनी और सच्चाई दी है। (भजन 43:3, 4  पढ़िए।) जी हाँ, आज हम खुशी-खुशी परमेश्‍वर से मिलनेवाली सच्चाई की रौशनी में चलते हैं जबकि दुनिया के ज़्यादातर लोग अंधकार में चल रहे हैं।—1 यूह 1:6, 7.

हमारी अनमोल विरासत

4, 5. सन्‌ 1931 से हमें क्या खास सम्मान मिला?

4 मसीही होने के नाते हमारे पास अनमोल विरासत है। एक अँग्रेज़ी शब्दकोश कॉलिन्स कोबिल्ड विरासत शब्द की परिभाषा इस तरह देता है, “एक देश की विरासत वहाँ के लोगों में पाए जानेवाले सभी गुण, उनके रीति-रिवाज़ और उनके जीने के तौर-तरीके हैं जो सदियों से, पीढ़ी-दर-पीढ़ी चले आ रहे हैं।” उसी तरह, परमेश्‍वर के वचन का सही ज्ञान और परमेश्‍वर और उसके मकसदों के बारे में सही समझ हमारी आध्यात्मिक विरासत है। इस विरासत में एक खास सम्मान भी शामिल है, यानी परमेश्‍वर के नाम से पहचाने जाना।

सन्‌ 1931 में एक अधिवेशन में यहोवा के साक्षी नाम अपनाकर हमें बेहद खुशी हुई

5 यह सम्मान सन्‌ 1931 में, अमरीका के ओहायो राज्य के कोलम्बस शहर में एक अधिवेशन में हमारी विरासत का हिस्सा बना। अधिवेशन के प्रोग्राम पर जे. डब्ल्यू. (JW) लिखा था। एक बहन ने कहा, “कुछ लोग अनुमान लगा रहे थे कि इन अक्षरों (JW) का मतलब ‘थोड़ा इंतज़ार करो’ (जस्ट वेट) होगा तो कुछ कह रहे थे शायद इसका मतलब ‘बस देखते जाओ’ (जस्ट वॉच) होगा। और कुछेक ने सही अनुमान भी लगाया, ‘यहोवा के साक्षी’ (जेहोवाज़ विटनेसस)। अभी तक हम ‘बाइबल विद्यार्थी’ कहलाते थे, मगर रविवार 26 जुलाई, 1931 में एक प्रस्ताव रखा गया जिस पर वहाँ हाज़िर सभी की सहमति से हमने ‘यहोवा के साक्षी’ नाम अपनाया। बाइबल से लिया गया यह नाम अपनाकर सभी के दिलों में खुशी की लहर दौड़ गयी। (यशायाह 43:12 पढ़िए।) एक भाई याद करता है कि जब वह घोषणा की गयी तो “सभी लोग खुशी से झूम उठे, सभा की वह जगह तालियों की गड़गड़ाहट से गूँज उठी! वह दिन मैं कभी नहीं भूल सकता!” दुनिया में और कोई भी वह नाम नहीं अपनाना चाहता था, मगर हमें यह नाम धारण किए आज अस्सी साल से ऊपर हो गए हैं। सचमुच, यहोवा के साक्षी कहलाए जाना क्या ही बड़े सम्मान की बात है!

6. कौन-सी जानकारी हमारी आध्यात्मिक विरासत का हिस्सा है?

6 बाइबल में दर्ज़ परमेश्‍वर के सेवकों के बारे में सही जानकारी हमारे लिए किसी खज़ाने से कम नहीं। यह जानकारी भी हमारी विरासत का हिस्सा है। मसलन, अब्राहम, इसहाक और याकूब को लीजिए। ज़रूर इन कुलपिताओं के परिवार में इस बात पर चर्चा होती होगी कि वे कैसे यहोवा को खुश कर सकते हैं। हो न हो, इसी वजह से यूसुफ ने लैंगिक अनैतिक काम करने से साफ इनकार कर दिया क्योंकि वह “परमेश्‍वर के विरुध पाप” (हिंदी ईज़ी-टू-रीड वर्शन) नहीं करना चाहता था। (उत्प. 39:7-9) पहली सदी में भी मसीही दस्तूर ज़बानी तौर पर लोगों को बताए जाते थे, या फिर अपनी मिसाल से ये बातें सिखायी जाती थीं। जैसे, प्रेषित पौलुस ने मसीही मंडलियों को प्रभु के संध्या भोज के बारे में जानकारी दी थी। (1 कुरिं. 11:2, 23) यह सारी जानकारी आज बाइबल में मौजूद है ताकि हम सीख सकें कि हम “पवित्र शक्‍ति और सच्चाई” से परमेश्‍वर की उपासना कैसे कर सकते हैं। (यूहन्‍ना 4:23, 24 पढ़िए।) वैसे तो बाइबल पूरी मानवजाति के फायदे के लिए लिखी गयी है, पर हम यहोवा के सेवक इसकी और भी कदर करते हैं।

7. हमारी आध्यात्मिक विरासत में दिल छू लेनेवाला कौन-सा वादा शामिल है?

7 हमारी आध्यात्मिक विरासत में हाल ही में छापे गए साहित्य भी शामिल हैं, जिनमें यह समझाया गया है कि ‘यहोवा हमारी तरफ है,’ वह हमारी हिफाज़त करता है। (भज. 118:7) इसीलिए आज हम सुरक्षित महसूस करते हैं, उस वक्‍त भी जब हम पर ज़ुल्म ढाए जाते हैं। दिन-ब-दिन बढ़ती हमारी आध्यात्मिक विरासत में दिल छू लेनेवाला यह वादा भी है, “जितने हथियार तेरी हानि के लिये बनाए जाएं, उन में से कोई सफल न होगा, और, जितने लोग मुद्दई होकर तुझ पर नालिश करें उन सभों से तू जीत जाएगा। यहोवा के दासों का यही भाग [“विरासत,” एन. डब्ल्यू.] होगा, और वे मेरे ही कारण धर्मी ठहरेंगे, यहोवा की यही वाणी है।” (यशा. 54:17) शैतान का कोई हथियार हमें ऐसा नुकसान नहीं पहुँचा सकता जिसकी भरपाई न की जा सके।

8. हम इस लेख और अगले लेख में क्या देखेंगे?

8 शैतान ने परमेश्‍वर के वचन को नष्ट करने, उसके नाम का वजूद मिटाने और सच्चाई को दबाने में एड़ी-चोटी का ज़ोर लगाया। मगर वह नाकाम रहा, यहोवा ने उसकी सारी कोशिशों पर पानी फेर दिया। इस लेख और अगले लेख में हम देखेंगे कि (1) कैसे यहोवा ने अपना वचन सुरक्षित रखा; (2) कैसे यहोवा ने अपना नाम मिटने से बचाया; और (3) आज हमारे पास जो सच्चाई है कैसे यहोवा उसका स्रोत है और उसे सुरक्षित रखता है।

यहोवा ने अपना वचन सुरक्षित रखा

9-11. कौन-सी मिसालें दिखाती हैं कि बाइबल पर किए गए तरह-तरह के हमलों के बाद भी यह सुरक्षित है?

9 दुश्‍मनों ने परमेश्‍वर के वचन को मिटाने के लाख जतन किए, इसके बावजूद परमेश्‍वर ने उसे सुरक्षित रखा। एनचिक्लोपीडिया काटोलीका (कैथोलिक इनसाइक्लोपीडिया) कहती है, “सन्‌ 1229 में टूलूज़ की धर्मसभा ने आम आदमियों के [उनकी भाषा में बाइबल] पढ़ने पर रोक लगा दी थी। यह इसलिए कि कैथोलिक चर्च ऐल्बीजेनसियन और वॉल्डेनसस पंथ के खिलाफ थे। . . . सन्‌ 1234 में स्पेन के टाराकोन में जेम्स प्रथम की निगरानी में जो सभा रखी गयी, उसमें भी यह ऐलान किया गया कि आम लोग बाइबल नहीं पढ़ सकते। . . . इस सिलसिले में रोम के बिशप ने पहली बार तब रोक लगायी जब सन्‌ 1559 में पोप पॉल चुतर्थ ने मना की गयी किताबों की सूची तैयार की जिसके मुताबिक चर्च की इजाज़त के बिना आम भाषा में अनुवाद की गयी बाइबल छापना या अपने पास रखना मना था।”

10 बाइबल पर इतने सारे हमले होने पर भी यह सुरक्षित है। करीब 1382 में, जॉन विक्लिफ और उसके साथियों ने बाइबल का पहला अँग्रेज़ी अनुवाद तैयार किया। फिर विलियम टिंडेल ने भी बाइबल का अँग्रेज़ी में अनुवाद किया, जिसके लिए उसे 1536 में सूली पर चढ़ा दिया गया। सूली पर लटके हुए उसने चिल्लाकर कहा, “प्रभु, इंग्लैंड के राजा की आँखें खोल दे!” फिर उसका गला कसकर उसे मार डाला गया और जला दिया गया।

11 बाइबल का वजूद मिटाने की लोगों ने जैसे कसम खा ली थी, फिर भी यह आज सुरक्षित है। मसलन, 1535 में माएल्स कवरडेल ने अँग्रेज़ी में बाइबल का अनुवाद किया। कवरडेल ने बाइबल का अनुवाद तैयार करने के लिए टिंडेल का “न्यू टेस्टामेंट” और “ओल्ड टेस्टामेंट” का उत्पत्ति से इतिहास तक का अनुवाद इस्तेमाल किया। उसने बाकी हिस्से लातीनी भाषा की बाइबल से और मार्टिन लूथर की जर्मन भाषा की बाइबल से अनुवाद किए। आज न्यू वर्ल्ड ट्रांस्लेशन ऑफ द होली स्क्रिप्चर्स बाइबल एकदम साफ-साफ समझ में आनेवाला और बिलकुल सही अनुवाद है। यह प्रचार काम में बहुत मददगार साबित हुआ है। हम इस बात से कितने खुश हैं कि शैतान या इंसानों की कोई ताकत यहोवा का वचन मिटा न सकी और न कभी मिटा सकेगी।

यहोवा ने अपना नाम मिटने न दिया

टिंडेल जैसे कुछ लोगों ने परमेश्‍वर के वचन की खातिर अपनी जान दे दी

12. परमेश्‍वर का नाम मिटने न पाए, इस मामले में न्यू वर्ल्ड ट्रांस्लेशन का क्या योगदान रहा है?

12 यहोवा ने इस बात का पूरा ध्यान रखा है कि उसका नाम उसके वचन से मिटने न पाए। इस मामले में न्यू वर्ल्ड ट्रांस्लेशन का बहुत बड़ा योगदान रहा है। इसका अनुवाद करने में भाइयों ने खुद को पूरी तरह लगा दिया। अनुवादकों की समिति ने इस बाइबल के “दो शब्द” में लिखा, “इस अनुवाद की सबसे बड़ी खासियत यह है कि इसमें परमेश्‍वर का नाम उन सभी जगहों पर डाला गया है, जहाँ यह मूल पाठ में था। इसमें परमेश्‍वर का नाम ‘जेहोवा’ [हिंदी में ‘यहोवा’] इस्तेमाल किया गया है। अँग्रेज़ी भाषा में यह उच्चारण बहुत आम है। यह नाम इब्रानी शास्त्र में 6,973 बार और यूनानी शास्त्र में 237 बार इस्तेमाल किया गया है।” आज न्यू वर्ल्ड ट्रांस्लेशन बाइबल का पूरा हिस्सा या इसके कुछ हिस्से करीब 116 भाषाओं में उपलब्ध हैं। और इसकी 17,85,45,862 कॉपियाँ छापी जा चुकी हैं।

13. यह क्यों कहा जा सकता है कि इंसान परमेश्‍वर का नाम शुरूआत से ही जानते हैं?

13 इंसान परमेश्‍वर का नाम शुरूआत से ही जानते हैं। आदम और हव्वा इससे अच्छी तरह वाकिफ थे और जानते थे कि परमेश्‍वर का नाम कैसे बोलना है। जलप्रलय के बाद, जब हाम ने अपने पिता का अनादर किया तो नूह ने कहा, “शेम का परमेश्‍वर यहोवा धन्य है, और [हाम का पुत्र] कनान शेम का दास होवे।” (उत्प. 4:1; 9:26) और परमेश्‍वर ने खुद ऐलान किया: “मैं यहोवा हूं, मेरा नाम यही है; अपनी महिमा मैं दूसरे को न दूंगा।” साथ ही उसने यह भी कहा, “मैं यहोवा हूं और दूसरा कोई नहीं, मुझे छोड़ कोई परमेश्‍वर नहीं।” (यशा. 42:8; 45:5) यहोवा ने इस बात का पूरा ध्यान रखा कि उसका नाम मिटने न पाए और धरती पर सभी लोग उसका नाम जान सकें। हमारे लिए यह कितने बड़े सम्मान की बात है कि हम उसका नाम इस्तेमाल करते हैं और उसके बारे में गवाही देते हैं! ऐसा करके हम दरअसल कह रह होते हैं कि हम “अपने परमेश्‍वर के नाम से झण्डे खड़े करेंगे।”—भज. 20:5.

14. बाइबल के अलावा और कहाँ परमेश्‍वर का नाम पाया गया है?

14 ऐसा नहीं कि परमेश्‍वर का नाम सिर्फ बाइबल में पाया जाता है। ज़रा उस मोआबी शिला पर गौर कीजिए जो मृत सागर से 21 किलोमीटर पूरब में, धीबान (दीबोन) शहर में पायी गयी थी। उस शिला पर इसराएल के राजा ओम्री का ज़िक्र किया गया है, साथ ही इस पर मोआब के राजा मेशा का वह ब्योरा भी है जो उसने इसराएल से किए विद्रोह के बारे में लिखा था। (1 राजा 16:28; 2 राजा 1:1; 3:4, 5) लेकिन मोआबी शिला एक और खास वजह से दिलचस्प है। वह यह कि उस पर परमेश्‍वर का नाम इब्रानी भाषा के चार अक्षरों में पाया जाता है (हिंदी में, ‘य ह व ह’), जिसे टेट्राग्रामटन भी कहा जाता है। इब्रानी भाषा के ये चार अक्षर उन मिट्टी के बरतनों के टुकड़ों पर लिखी चिट्ठियों में भी कई बार मिलते हैं, जो इसराएल के लाकीश शहर में पाए गए थे।

15. सेप्टुआजेंट क्या है और यह कैसे वजूद में आया?

15 परमेश्‍वर का नाम वजूद में बना रहे इस मामले में पुराने ज़माने के बाइबल अनुवादकों का काफी योगदान रहा है। कैसे? ईसा पूर्व 607 से 537 तक बाबुल की बंधुआई में रहने के बाद बहुत-से यहूदी यहूदा और इसराएल देश वापस नहीं आए। ईसा पूर्व तीसरी सदी के आते-आते उनमें से काफी तादाद में यहूदी मिस्र के सिकंदरिया में बस गए। इन यहूदियों को इब्रानी शास्त्र के यूनानी भाषा में अनुवाद की ज़रूरत थी, जो उस समय की अंतर्राष्ट्रीय भाषा थी। इसलिए ईसा पूर्व दूसरी सदी तक इब्रानी शास्त्र का यूनानी भाषा में अनुवाद तैयार हो गया, जिसे सेप्टुआजेंट कहा जाता है। इसकी कुछ कॉपियों में परमेश्‍वर का नाम यहोवा इब्रानी भाषा में पाया जाता है।

16. उदाहरण देकर समझाइए कि सन्‌ 1640 में छपी एक किताब में कैसे परमेश्‍वर का नाम इस्तेमाल किया गया है।

16 परमेश्‍वर का नाम बे साम बुक किताब में भी पाया गया है, जो इंग्लैंड के अमरीकी उपनिवेश में छपी पहली किताब थी। इसका पहला संस्करण 1640 में छपा था, जो दरअसल भजन की किताब का अनुवाद था। यह अनुवाद इब्रानी भाषा से उस समय बोली जानेवाली अँग्रेज़ी भाषा में किया गया था। इसमें परमेश्‍वर का नाम कई जगह आता है। जैसे भजन 1:1, 2 में जहाँ कहा गया है, “धन्य पुरुष” दुष्टों की बतायी सलाह पर नहीं चलता “बल्कि वह इहोवा [यहोवा] की व्यवस्था से खुश रहता है।” परमेश्‍वर के नाम के बारे में ज़्यादा जानकारी के लिए बाइबल असल में क्या सिखाती है? किताब के पेज 195-197 और नयी दुनिया अनुवाद मसीही यूनानी शास्त्र के अतिरिक्‍त लेख 1 और 2 देखिए।

यहोवा सच्चाई को सुरक्षित रखता है

17, 18. (क) शब्द “सच्चाई” का क्या मतलब है? (ख) “खुशखबरी की सच्चाई” में क्या बातें शामिल हैं?

17 हम “सत्य [या सच्चाई] के परमेश्‍वर यहोवा” की खुशी-खुशी सेवा करते हैं। (भज. 31:5, अ न्यू हिंदी ट्रांस्लेशन) अँग्रेज़ी शब्दकोश कॉलिन्स कोबिल्ड कहता है, “किसी बात के बारे में सच्चाई का मतलब है उस बारे में हकीकत, न कि कोई कल्पना या मनगढ़ंत कहानी।” बाइबल में इब्रानी भाषा के जिस शब्द का अनुवाद “सच्चाई” किया गया है वह ऐसी बात को दर्शाता है, जो सच, भरोसेमंद, विश्‍वासयोग्य या हकीकत है। और यूनानी भाषा के जिस शब्द का अनुवाद “सच्चाई” किया गया है उसका मतलब है ऐसी बात जो असल या सही है।

18 यहोवा ने सच्चाई को सुरक्षित रखा है और आज हमारे लिए सच्चाई का ज्ञान बहुतायत में उपलब्ध है। दिन-ब-दिन यह ज्ञान बढ़ता जा रहा है। (2 यूह. 1, 2) आहिस्ते-आहिस्ते सच्चाई के बारे में हमें और भी खुलकर समझ मिल रही है। बाइबल बताती है, “धर्मियों की चाल उस चमकती हुई ज्योति के समान है, जिसका प्रकाश दोपहर तक अधिक अधिक बढ़ता रहता है।” (नीति. 4:18) बेशक, हम यीशु के इन शब्दों से पूरी तरह सहमत हैं जो उसने परमेश्‍वर से प्रार्थना में कहे, “तेरा वचन सच्चा है।” (यूह. 17:17) परमेश्‍वर के वचन में “खुशखबरी की सच्चाई” दर्ज़ है जिसमें सभी मसीही शिक्षाएँ शामिल हैं। (गला. 2:14) इनमें से कुछ सच्चाइयाँ इन बातों के बारे में हैं: यहोवा का नाम, उसकी हुकूमत, यीशु का फिरौती बलिदान, दोबारा जी उठाया जाना और परमेश्‍वर का राज। अब आइए गौर करें कि यहोवा ने कैसे सच्चाई को सुरक्षित रखा है, इसके बावजूद कि शैतान ने उसे दबाने में एड़ी चोटी का ज़ोर लगाया।

सच्चाई को मिटाने का हमला, यहोवा ने किया नाकाम

19, 20. निम्रोद कौन था? उसके दिनों में इंसानों ने क्या योजना बनाई जो सफल न हुई?

19 जलप्रलय के बाद एक कहावत चली, “निम्रोद के समान यहोवा की दृष्टि [“के विरोध”, एन. डब्ल्यू.] में पराक्रमी शिकार खेलनेवाला।” (उत्प. 10:9) निम्रोद ने यहोवा का विरोध किया, इसलिए देखा जाए तो वह शैतान की उपासना कर रहा था। वह उन विरोधियों की तरह था जिनके बारे में यीशु ने कहा, “तुम अपने पिता शैतान से हो और अपने पिता की ख्वाहिशों को पूरा करना चाहते हो। वह . . . सच्चाई में टिका न रहा।”—यूह. 8:44.

20 निम्रोद बाबुल, साथ ही टिग्रिस और फरात नदी के बीच आनेवाले शहरों पर राज करता था। (उत्प. 10:10) शायद उसी के आदेश पर ईसा पूर्व 2269 में बाबुल और उसके गुम्मट का निर्माण काम शुरू किया गया था। यहोवा की मरज़ी थी कि इंसान पूरी धरती पर फैल जाए, लेकिन निर्माण काम करनेवाले इन लोगों ने कहा, “आओ, हम एक नगर और एक गुम्मट बना लें, जिसकी चोटी आकाश से बातें करे, इस प्रकार से हम अपना नाम करें ऐसा न हो कि हम को सारी पृथ्वी पर फैलना पड़े।” मगर उनकी यह योजना सफल नहीं हुई, क्योंकि परमेश्‍वर ने ‘सारी पृथ्वी की भाषा में गड़बड़ी’ कर दी और उस गुम्मट का निर्माण करनेवाले सभी लोगों को पूरी धरती पर फैला दिया। (उत्प. 11:1-4, 8, 9) शैतान एक नया धर्म शुरू करना चाहता था, ताकि सभी इंसान उसकी उपासना करें, मगर उसे मुँह की खानी पड़ी। इंसान की शुरूआत से अब तक सच्ची उपासना कायम रही है और दिन-ब-दिन यहोवा की उपासना करनेवालों की गिनती बढ़ती जा रही है।

21, 22. (क) किस वजह से सच्ची उपासना कभी खतरे में नहीं पड़ी? (ख) हम अगले लेख में किस बारे में चर्चा करेंगे?

21 ऐसा वक्‍त कभी नहीं आया जब झूठी उपासना की वजह से सच्ची उपासना खतरे में पड़ गयी हो। क्यों? क्योंकि हमारे महान उपदेशक यहोवा ने इस बात का ध्यान रखा है कि उसका लिखित वचन सुरक्षित रहे और सभी इंसान उसका नाम जान पाएँ। साथ ही वह आध्यात्मिक सच्चाई का स्रोत है। (यशा. 30:20, 21) जब हम इस सच्चाई के मुताबिक परमेश्‍वर की उपासना करते हैं, तो हमें खुशी मिलती है। लेकिन ऐसा करने के लिए हमें आध्यात्मिक तौर पर जागते रहना होगा, यहोवा पर पूरा भरोसा रखना होगा और उसकी पवित्र शक्‍ति के मार्गदर्शन में चलना होगा।

22 अगले लेख में हम देखेंगे कि झूठी शिक्षाओं की कैसे शुरूआत हुई। और यह भी कि जब इन्हें शास्त्र की कसौटी पर परखा जाता है, तो कैसे इनका परदाफाश हो जाता है। साथ ही हम देखेंगे कि सच्चाई को सुरक्षित रखनेवाले यहोवा ने कैसे हमें सच्ची शिक्षाएँ सिखाकर आशीषों से नवाज़ा है। वाकई, बाइबल की ये शिक्षाएँ हमारे लिए अनमोल विरासत हैं।