यशायाह 54:1-17
54 यहोवा कहता है,
“हे बाँझ औरत, तू जिसने किसी को जन्म नहीं दिया,+ जयजयकार कर!
तू जिसे बच्चा जनने की पीड़ा नहीं हुई,+ मगन हो और खुशी के मारे चिल्ला!+
क्योंकि छोड़ी हुई औरत के लड़के,*उस औरत के लड़कों से ज़्यादा हैं, जिसका पति* उसके साथ है।+
2 अपने तंबू को बड़ा कर,+अपने आलीशान डेरे का कपड़ा फैला।
कोई कसर मत छोड़, तंबू की रस्सियों को लंबा करऔर उसकी खूँटियों को मज़बूत कर,+
3 क्योंकि तू दाएँ-बाएँ दोनों तरफ फैलेगी।
तेरे बच्चे राष्ट्रों पर कब्ज़ा करेंगे,उजाड़ और सुनसान शहरों को फिर से बसाएँगे।+
4 डर मत,+ तुझे शर्मिंदा नहीं होना पड़ेगा,+न खुद को नीचा समझ क्योंकि तुझे निराश नहीं होना पड़ेगा।
तूने अपनी जवानी में जो शर्मिंदगी झेली उसे तू भूल जाएगी,अपने विधवा होने का कलंक तुझे याद न रहेगा।”
5 “तेरा महान रचनाकार+ ही तेरा पति* है,+सेनाओं का परमेश्वर यहोवा उसका नाम है,इसराएल का पवित्र परमेश्वर तेरा छुड़ानेवाला है,+
उसे पूरी धरती का परमेश्वर कहा जाएगा।+
6 यहोवा ने तुझे ऐसे बुलाया मानो तू छोड़ी हुई औरत हो, मन से दुखी हो,+जिसकी शादी जवानी में हुई हो और बाद में जिसके पति ने उसे ठुकरा दिया हो।”यह बात तेरे परमेश्वर ने कही है।
7 “पल-भर के लिए मैंने तुझे छोड़ दिया था,लेकिन अब बड़ी दया करके तुझे वापस ले आऊँगा।+
8 क्रोध में आकर कुछ वक्त के लिए तुझसे अपना चेहरा छिपा लिया था,+लेकिन अब मैं तुझ पर दया करूँगा क्योंकि मेरा प्यार सदा कायम रहता है।”+यह बात यहोवा ने कही है जो तेरा छुड़ानेवाला है।+
9 “मेरे लिए यह वैसा है जैसा नूह के दिनों में था।+
जिस तरह मैंने शपथ खायी थी कि पृथ्वी जलप्रलय से फिर कभी न डूबेगी,+उसी तरह मैं शपथ खाता हूँ कि मैं तुझ पर फिर कभी नहीं भड़कूँगा, न तुझे फटकारूँगा।+
10 चाहे पहाड़ मिट जाएँ, पहाड़ियाँ डगमगा जाएँ,मगर मेरा अटल प्यार तेरे लिए नहीं मिटेगा,+शांति का मेरा करार कभी नहीं डगमगाएगा।”+यह बात यहोवा ने कही है, जो तुझ पर दया करता है।+
11 “हे दुखियारी,+ तू जो आँधी-तूफान से उछाली गयी,तू जिसे दिलासा नहीं मिला,+मैं तेरे पत्थरों को मज़बूत गारे से बिठाऊँगा,नीलम से तेरी नींव डालूँगा।+
12 मैं तेरी शहरपनाह की मुँडेर को माणिकों सेऔर तेरे फाटकों को चमचमाते पत्थरों से बनाऊँगा,कीमती पत्थरों से तेरी सरहद खड़ी करूँगा।
13 तेरे सारे बेटे* यहोवा के सिखाए हुए होंगे+और उन्हें भरपूर शांति मिलेगी।+
14 नेकी के दम पर तुझे मज़बूती से कायम किया जाएगा।+
तुझे अत्याचार से बचाया जाएगा,+तुझे किसी बात का डर नहीं होगा, न ही तू खौफ खाएगी,डर तेरे पास भी नहीं फटकेगा।+
15 अगर तुझ पर हमला हो,तो वह मेरे आदेश पर नहीं होगा।
जो कोई तुझसे लड़ेगा, उसे हार का मुँह देखना पड़ेगा।”+
16 “देख मैं ही उस लोहार का बनानेवाला हूँ,जो फूँक मारकर कोयले सुलगाता है और उस पर हथियार बनाता है।
मैं ही उस आदमी का रचनेवाला हूँ,जो खूँखार है और तबाही मचाता है।+
17 इसलिए तुम्हारे खिलाफ उठनेवाला कोई भी हथियार कामयाब नहीं होगा,+तुम पर दोष लगानेवाली हर ज़बान झूठी साबित होगी।
यही यहोवा के सेवकों की विरासत हैऔर मैं उन्हें नेक ठहराता हूँ।” यह ऐलान यहोवा ने किया है।+