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धरती पर हमेशा की ज़िंदगी—क्या यीशु ने इस आशा के बारे में सिखाया?

धरती पर हमेशा की ज़िंदगी—क्या यीशु ने इस आशा के बारे में सिखाया?

धरती पर हमेशा की ज़िंदगी—क्या यीशु ने इस आशा के बारे में सिखाया?

‘परमेश्‍वर उनकी आँखों से हर आँसू पोंछ देगा, और मौत न रहेगी।’—प्रका. 21:4.

1, 2. हम कैसे जानते हैं कि पहली सदी के कई यहूदी धरती पर हमेशा की ज़िंदगी पाने की आशा रखते थे?

 एक बार यीशु के पास एक जवान आदमी आया, जो बहुत अमीर और इज़्ज़तदार था। उसने यीशु के सामने घुटनों के बल गिरकर पूछा: “अच्छे गुरु, हमेशा की ज़िंदगी का वारिस बनने के लिए मैं क्या काम करूँ?” (मर. 10:17) वह जवान कहाँ पर ज़िंदगी पाने की बात कर रहा था? स्वर्ग में या धरती पर? जैसा कि हमने पिछले लेख में चर्चा की, परमेश्‍वर ने सदियों पहले यहूदियों को यह आशा दी थी कि वफादार लोगों को धरती पर मरे हुओं में से जी उठाया जाएगा और हमेशा की ज़िंदगी दी जाएगी। यीशु के ज़माने के बहुत-से यहूदियों को भी यही आशा थी।

2 यीशु के दोस्त लाज़र की मौत पर उसकी बहन मारथा ने कहा: “मैं जानती हूँ कि वह आखिरी दिन मरे हुओं में से जी उठेगा।” शायद मारथा को धरती पर पुनरुत्थान की आशा थी। (यूह. 11:24) यह सच है कि उस समय के सदूकी पुनरुत्थान पर विश्‍वास नहीं करते थे। (मर. 12:18) लेकिन ध्यान दीजिए कि प्रोफेसर जॉर्ज फुट मूर ने अपनी किताब मसीही युग की पहली सदियों में यहूदी धर्म (अँग्रेज़ी) में क्या लिखा: ‘ईसा पूर्व दूसरी या पहली सदी के लेखों से पता चलता है कि कई लोग मानते थे कि एक समय आएगा जब जितने मर चुके हैं उन्हें धरती पर ज़िंदा किया जाएगा।’ इन बातों से साफ ज़ाहिर है कि जो जवान यीशु के पास आया था, वह धरती पर हमेशा की ज़िंदगी पाना चाहता था।

3. इस लेख में किन सवालों पर चर्चा की जाएगी?

3 आज कई ईसाई धर्म और बाइबल के विद्वान कहते हैं कि यीशु ने यह कभी नहीं सिखाया कि इंसान धरती पर हमेशा के लिए जीएँगे। ज़्यादातर लोग यही आस लगाते हैं कि मरने के बाद वे आत्मिक लोक में ज़िंदा रहेंगे। इसलिए जब वे मसीही यूनानी शास्त्र में शब्द, “हमेशा की ज़िंदगी” पढ़ते हैं, तो उन्हें लगता है कि वहाँ स्वर्ग में मिलनेवाली ज़िंदगी की बात की गयी है। लेकिन क्या उनका मानना सही है? जब यीशु ने हमेशा की ज़िंदगी के बारे में बताया, तो उसका क्या मतलब था? उसके चेले क्या विश्‍वास करते थे? क्या मसीही यूनानी शास्त्र में धरती पर हमेशा की ज़िंदगी की आशा दी गयी है?

‘सबकुछ नया किए जाने’ पर हमेशा की ज़िंदगी

4. जब “सबकुछ नया किया जाएगा,” तब क्या होगा?

4 बाइबल सिखाती है कि अभिषिक्‍त मसीही स्वर्ग में पुनरुत्थान पाएँगे और वहाँ से धरती पर शासन करेंगे। (लूका 12:32; प्रका. 5:9, 10; 14:1-3) लेकिन हमेशा की ज़िंदगी के बारे में बताते वक्‍त यीशु ने सिर्फ इसी समूह का ज़िक्र नहीं किया। गौर कीजिए कि जब उस अमीर जवान ने यीशु के पीछे हो लेने का न्यौता स्वीकार नहीं किया तो यीशु ने अपने चेलों से क्या कहा। (मत्ती 19:28, 29 पढ़िए।) यीशु ने अपने प्रेषितों को बताया कि वे राजा बनकर शासन करेंगे और “इसराएल के बारह गोत्रों,” यानी संगी राजाओं को छोड़ बाकी सभी लोगों का न्याय करेंगे। (1 कुरिं. 6:2) यीशु ने यह भी कहा कि “जिस किसी ने” उसके पीछे चलना स्वीकार किया है, वह ‘हमेशा की ज़िंदगी का वारिस होगा।’ यह सब उस समय होगा, जब “सबकुछ नया किया जाएगा।”

5. “सबकुछ नया किया जाएगा,” इसका क्या मतलब है?

5 यीशु के कहने का क्या मतलब था कि “सबकुछ नया किया जाएगा”? शायद यीशु उस आशा की तरफ इशारा कर रहा था, जिसकी आस यहूदी सदियों से लगाए हुए थे। ईज़ी-टू-रीड वर्शन में यीशु के शब्दों का अनुवाद ‘नया युग’ किया गया है। उसके कहने का यह मतलब नहीं था कि फिर से नयी सृष्टि की जाएगी, बल्कि उसका मतलब था कि धरती के हालात को वैसा ही बनाया जाएगा जैसे आदम और हव्वा के पाप करने से पहले अदन के बाग में थे। इस तरह “नया आकाश और नई पृथ्वी उत्पन्‍न” करने का परमेश्‍वर का वादा पूरा होगा।—यशा. 65:17.

6. भेड़ों और बकरियों की मिसाल हमेशा की ज़िंदगी की आशा के बारे में क्या सिखाती है?

6 जब यीशु दुनिया की व्यवस्था के आखिरी वक्‍त के बारे में बता रहा था, तब भी उसने हमेशा की ज़िंदगी का ज़िक्र किया। (मत्ती 24:1-3) उसने कहा, “जब इंसान का बेटा अपनी पूरी महिमा के साथ आएगा और सब स्वर्गदूत उसके साथ होंगे, तब वह अपनी शानदार राजगद्दी पर बैठेगा। और सब राष्ट्रों के लोग उसके सामने इकट्ठे किए जाएँगे। तब वह लोगों को एक-दूसरे से अलग करेगा, ठीक जैसे एक चरवाहा भेड़ों को बकरियों से अलग करता है।” बुरे लोग “हमेशा के लिए नाश हो जाएँगे, मगर नेक जन हमेशा की ज़िंदगी पाएँगे।” “नेक जन” वे लोग हैं जो मसीह के अभिषिक्‍त “भाइयों” का वफादारी से साथ निभाते हैं। (मत्ती 25:31-34, 40, 41, 45, 46) क्योंकि अभिषिक्‍त जनों को स्वर्ग के राज में हुकूमत करने के लिए चुना गया है, इसलिए “नेक जन” ज़रूर उस राज की प्रजा होंगे और वे धरती पर जीएँगे। बाइबल में भविष्यवाणी की गयी है कि यहोवा के राजा की प्रजा समुद्र से समुद्र तक और पृथ्वी की छोर तक फैली होगी। (भज. 72:8) यह प्रजा धरती पर हमेशा की ज़िंदगी का लुत्फ उठाएगी।

यूहन्‍ना की खुशखबरी की किताब क्या बताती है?

7, 8. यीशु ने नीकुदेमुस को किन दो आशाओं के बारे में बताया?

7 यीशु ने ऊपर बताए मौकों पर “हमेशा की ज़िंदगी” का जो ज़िक्र किया, वह मत्ती, मरकुस और लूका की खुशखबरी की किताबों में दर्ज़ है। यूहन्‍ना की खुशखबरी की किताब में यीशु ने हमेशा तक जीने के बारे में 17 बार कहा। आइए कुछ वाकयों की गहराई से जाँच करें और देखें कि यीशु ने धरती पर हमेशा की ज़िंदगी के बारे में क्या कहा।

8 यूहन्‍ना के मुताबिक, यीशु ने हमेशा की ज़िंदगी के बारे में सबसे पहले नीकुदेमुस नाम के एक फरीसी से बात की। यीशु ने उससे कहा: “जब तक कोई पानी और पवित्र शक्‍ति से पैदा न हो, तब तक वह परमेश्‍वर के राज में दाखिल नहीं हो सकता।” जी हाँ, स्वर्ग के राज में दाखिल होनेवालों को “दोबारा पैदा” होना होगा। (यूह. 3:3-5) लेकिन इसके बाद यीशु ने एक और आशा के बारे में बताया, जो दुनिया के सभी लोगों के लिए है। (यूहन्‍ना 3:16 पढ़िए।) इससे पता चलता है कि यीशु दो आशाओं के बारे में बात कर रहा था। पहली कि अभिषिक्‍त चेलों को स्वर्ग में हमेशा की ज़िंदगी मिलेगी और दूसरी, बाकी लोगों को धरती पर अनंत जीवन मिलेगा।

9. यीशु ने एक सामरी स्त्री को किस आशा के बारे में बताया?

9 यरूशलेम में नीकुदेमुस से बात करने के बाद यीशु उत्तर दिशा में गलील गया। रास्ते में वह सामरिया के सूखार शहर के पास याकूब के कुएँ पर रुका, जहाँ उसकी मुलाकात एक सामरी स्त्री से हुई। यीशु ने उससे कहा: “जो कोई वह पानी पीता है, जो मैं उसे दूँगा वह फिर कभी-भी प्यासा नहीं होगा। मगर जो पानी मैं उसे दूँगा वह उसके अंदर पानी का एक सोता बन जाएगा और हमेशा की ज़िंदगी देने के लिए उमड़ता रहेगा।” (यूह. 4:5, 6, 14) यह पानी परमेश्‍वर के उन इंतज़ामों को दर्शाता है, जिनसे सारी मानवजाति को हमेशा की ज़िंदगी मिलेगी। प्रकाशितवाक्य की किताब में खुद परमेश्‍वर यह कहता है: “जो कोई प्यासा होगा उसे मैं जीवन देनेवाले पानी के सोते से मुफ्त पानी पिलाऊँगा।” (प्रका. 21:5, 6; 22:17) इसलिए जब यीशु ने सामरी स्त्री से हमेशा की ज़िंदगी के बारे में कहा, तो उसका मतलब यह नहीं था कि ऐसी ज़िंदगी सिर्फ राज के अभिषिक्‍त वारिसों को मिलेगी। उसके मुताबिक यह आशीष धरती पर जीने की आशा रखनेवाली मानवजाति को भी मिलेगी।

10. एक आदमी को चंगा करने के बाद, यीशु ने अपने विरोधियों को हमेशा की ज़िंदगी के बारे में क्या बताया?

10 अगले साल, यीशु दोबारा यरूशलेम आया। वहाँ बेतहसदा के कुंड पर उसने एक बीमार आदमी को चंगा किया। इस पर जब कुछ यहूदी उसकी निंदा करने लगे, तो यीशु ने कहा कि “बेटा अपनी पहल पर कुछ भी नहीं कर सकता, मगर सिर्फ वही करता है जो पिता को करते हुए देखता है।” फिर यह बताने के बाद कि पिता ने “न्याय करने की सारी ज़िम्मेदारी बेटे को सौंप दी है,” यीशु ने कहा: “जो मेरे वचन सुनता है और मेरे भेजनेवाले का यकीन करता है, वह हमेशा की ज़िंदगी पाता है।” उसने यह भी कहा: “वह वक्‍त आ रहा है जब वे सभी जो स्मारक कब्रों में हैं [इंसान के बेटे] की आवाज़ सुनेंगे और बाहर निकल आएँगे। जिन्होंने अच्छे काम किए हैं उनका जी उठना जीवन पाने के लिए होगा और जो दुष्ट कामों में लगे रहे, उनका जी उठना सज़ा पाने के लिए होगा।” (यूह. 5:1-9, 19, 22, 24-29) दरअसल यीशु, निंदा करनेवालों से कह रहा था कि मैं ही वह बेटा हूँ जिसे यहोवा ने यहूदियों की आशा पूरी करने के लिए ठहराया है। दूसरे शब्दों में कहें तो मरे हुओं को जी उठाने और उन्हें धरती पर अनंत जीवन देने की ज़िम्मेदारी यीशु को दी गयी है।

11. हम कैसे जानते हैं कि यूहन्‍ना 6:48-51 में यीशु ने जो कहा, उसमें धरती पर सदा तक जीने की आशा भी शामिल है?

11 गलील में हज़ारों लोग इस मंशा से यीशु के पीछे-पीछे चलने लगे कि वह उन्हें चमत्कार करके रोटी देगा। लेकिन यीशु ने उन्हें एक दूसरी तरह की रोटी के बारे में बताया, वह थी “जीवन देनेवाली रोटी।” (यूहन्‍ना 6:40, 48-51 पढ़िए।) उसने कहा, “जो रोटी मैं दूँगा वह मेरा शरीर है।” उसने अपना जीवन उन लोगों के लिए तो दिया ही जो स्वर्ग में उसके साथ राज करेंगे, साथ ही “दुनिया के जीवन की खातिर” भी दिया यानी उन लोगों की खातिर जो छुटकारा पाने के योग्य हैं। और “अगर कोई इस रोटी में से खाता है,” यानी यह विश्‍वास करता है कि यीशु के बलिदान से ही उसे छुटकारा मिल सकता है, तो उसे अनंत जीवन की आशा मिलती है। जी हाँ, ‘हमेशा तक जीने’ में मसीहा के राज में धरती पर जीने की आशा शामिल है, जिसकी आस यहूदी सदियों से लगाए हुए थे।

12. जब यीशु ने अपने विरोधियों से कहा कि ‘वह अपनी भेड़ों को हमेशा की ज़िंदगी देगा,’ तो वह किस आशा की बात कर रहा था?

12 बाद में जब यरूशलेम में मंदिर के समर्पण का त्योहार चल रहा था, तब यीशु ने अपने विरोधियों से कहा: “तुम यकीन नहीं करते क्योंकि तुम में से एक भी मेरी भेड़ नहीं। मेरी भेड़ें मेरी आवाज़ सुनती हैं और मैं उन्हें जानता हूँ और वे मेरे पीछे-पीछे चलती हैं। मैं उन्हें हमेशा की ज़िंदगी देता हूँ।” (यूह. 10:26-28) क्या यीशु सिर्फ स्वर्ग में हमेशा की ज़िंदगी की बात कर रहा था? या वह फिरदौस में मिलनेवाले जीवन की भी बात कर रहा था? यह सच है कि कुछ समय पहले यीशु ने अपने चेलों को दिलासा देते हुए कहा था: “हे छोटे झुंड, मत डर, क्योंकि तुम्हारे पिता ने तुम्हें राज देना मंज़ूर किया है।” (लूका 12:32) लेकिन अब इस त्योहार के वक्‍त उसने कहा: “मेरी दूसरी भेड़ें भी हैं जो इस भेड़शाला की नहीं, मुझे उन्हें भी लाना है।” (यूह. 10:16) इसलिए जब यीशु ने अपने विरोधियों से हमेशा की ज़िंदगी की बात कही, तो वह “छोटे झुंड” और ‘दूसरी भेड़,’ दोनों की आशाओं के बारे में कह रहा था। “छोटे झुंड” को स्वर्ग में जीवन मिलना था और लाखों ‘दूसरी भेड़ों’ को धरती पर हमेशा की ज़िंदगी।

वह आशा जिसके बारे में समझाने की ज़रूरत नहीं थी

13. यीशु के कहने का क्या मतलब था कि “तू मेरे साथ फिरदौस में होगा”?

13 जब यीशु यातना की सूली पर था, तब उसने एक अपराधी से जो कहा उससे पुख्ता हो गया कि मानवजाति के पास क्या आशा है। उस अपराधी ने यीशु से गुज़ारिश की: “यीशु, जब तू अपने राज में आए, तो मुझे याद करना।” यीशु ने उससे वादा किया: “मैं आज तुझसे सच कहता हूँ, तू मेरे साथ फिरदौस में होगा।” (लूका 23:42, 43) ऐसा मालूम होता है कि वह अपराधी एक यहूदी था, इसलिए उसे फिरदौस के बारे में समझाने की ज़रूरत नहीं थी। उसे अच्छी तरह मालूम था कि आनेवाले समय में धरती पर लोगों को हमेशा की ज़िंदगी दी जाएगी।

14. (क) किस बात से पता चलता है कि प्रेषित, स्वर्ग की आशा के बारे में समझ नहीं पाए? (ख) यीशु के चेलों को स्वर्ग की आशा के बारे में साफ समझ कब मिली?

14 लेकिन जब यीशु ने अपने प्रेषितों से स्वर्ग की आशा का ज़िक्र किया और कहा कि वह स्वर्ग जाकर उनके लिए जगह तैयार करेगा, तो वे उसका मतलब समझ नहीं पाए। (यूहन्‍ना 14:2-5 पढ़िए।) इसलिए बाद में यीशु ने उनसे कहा: “मुझे तुमसे और भी बहुत-सी बातें कहनी हैं, मगर इस वक्‍त तुम इन्हें समझ नहीं सकते। लेकिन जब वह मददगार आएगा, यानी सच्चाई की पवित्र शक्‍ति, तो वह सच्चाई की पूरी समझ पाने में तुम्हारी मदद करेगा।” (यूह. 16:12, 13) ईसवी सन्‌ 33 में पिन्तेकुस्त के दिन जब चेलों का पवित्र शक्‍ति से अभिषेक हुआ, तब जाकर उन्हें समझ आया कि वे स्वर्ग में यीशु के साथ राज करेंगे। (1 कुरिं. 15:49; कुलु. 1:5; 1 पत. 1:3, 4) स्वर्ग में जीने की आशा चेलों के लिए एक नयी बात थी और यह आशा मसीही यूनानी शास्त्र की चिट्ठियों का मुख्य विषय बनी। लेकिन क्या इन चिट्ठियों में धरती पर हमेशा की ज़िंदगी के बारे में बताया गया है?

परमेश्‍वर की प्रेरणा से लिखी चिट्ठियाँ क्या बताती हैं?

15, 16. इब्रानियों के नाम लिखी चिट्ठी और पतरस के शब्द कैसे धरती पर हमेशा की ज़िंदगी की तरफ इशारा करते हैं?

15 प्रेषित पौलुस ने इब्रानियों को लिखी अपनी चिट्ठी में संगी विश्‍वासियों को ‘पवित्र भाइयों’ कहा “जो स्वर्ग के बुलावे में हिस्सेदार” हैं। लेकिन उसने यह भी कहा कि परमेश्‍वर ने ‘आनेवाली दुनिया को’ यीशु के अधीन किया है। (इब्रा. 2:3, 5; 3:1) मसीही यूनानी शास्त्र में जिस मूल शब्द का अनुवाद “दुनिया” किया गया है, उसका मतलब इंसानों से आबाद धरती है। इसलिए ‘आनेवाली दुनिया’ भविष्य में धरती पर वह व्यवस्था है जो यीशु मसीह की हुकूमत के अधीन होगी। उस वक्‍त यीशु, परमेश्‍वर का यह वादा पूरा करेगा: “धर्मी लोग पृथ्वी के अधिकारी होंगे, और उस में सदा बसे रहेंगे।”—भज. 37:29.

16 प्रेषित पतरस ने भी प्रेरणा पाकर इंसानों के भविष्य के बारे में लिखा: “आज के आकाश और पृथ्वी को आग से भस्म किए जाने के लिए रखा गया है और उन्हें न्याय के दिन तक यानी भक्‍तिहीन लोगों के नाश किए जाने के दिन तक ऐसे ही रखा जाएगा।” (2 पत. 3:7) आज की सरकारों और दुष्ट इंसानी समाज का खात्मा होने पर क्या होगा? (2 पतरस 3:13 पढ़िए।) ‘नया आकाश’ यानी परमेश्‍वर का मसीहाई राज और “नयी पृथ्वी” यानी परमेश्‍वर की उपासना करनेवाले नेक इंसानों का समाज उनकी जगह लेगा।

17. प्रकाशितवाक्य 21:1-4 में मानवजाति की आशा के बारे में क्या ब्यौरा दिया गया है?

17 बाइबल की आखिरी किताब में एक दर्शन दिया गया है कि कैसे इंसानों को सिद्ध किया जाएगा। इस दर्शन को पढ़कर हमारे अंदर सिहरन-सी दौड़ जाती है। (प्रकाशितवाक्य 21:1-4 पढ़िए।) जब से आदम ने सिद्धता खोयी, तब से परमेश्‍वर के वादों पर विश्‍वास करनेवालों की आशा रही है कि उन्हें सिद्ध किया जाएगा। फिरदौस में नेक लोग कभी बूढ़े नहीं होंगे और हमेशा के लिए जीएँगे। इस आशा का ठोस सबूत हमें इब्रानी शास्त्र और मसीही यूनानी शास्त्र दोनों में मिलता है और यह आशा आज भी यहोवा के वफादार सेवकों को हिम्मत देती है।—प्रका. 22:1, 2.

क्या आप समझा सकते हैं?

• “सबकुछ नया किया जाएगा,” यीशु के इन शब्दों का क्या मतलब है?

• यीशु ने नीकुदेमुस से किस बारे में बात की?

• यीशु ने सूली पर लटकाए अपराधी से क्या वादा किया?

• इब्रानियों को लिखी पौलुस की चिट्ठी और पतरस के शब्द कैसे धरती पर हमेशा की ज़िंदगी की तरफ इशारा करते हैं?

[अध्ययन के लिए सवाल]

[पेज 8 पर तसवीर]

भेड़ समान लोगों को धरती पर हमेशा की ज़िंदगी मिलेगी

[पेज 10 पर तसवीरें]

यीशु ने हमेशा की ज़िंदगी के बारे में दूसरों को बताया