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ज़िंदगी सँवार देती है बाइबल

ज़िंदगी सँवार देती है बाइबल

ज़िंदगी सँवार देती है बाइबल

किस बात ने एक जुआरी और चोर को अपनी लत छोड़ने और अपने जीने का तरीका बदलने के लिए उभारा? आइए उसी की ज़ुबानी सुनें।

“मैं घुड़दौड़ के घोड़ों के पीछे दीवाना था।”—रिचर्ड स्ट्यूवर्ट

जन्म: 1965

देश: जमैका

उसका अतीत: जुआरी और अपराधी

मेरा बीता कल: मेरी परवरिश जमैका की राजधानी किंग्सटन के एक गरीब और घनी आबादीवाले इलाके में हुई। यहाँ बेरोज़गारी बहुत ज़्यादा थी और आए-दिन जुर्म की खबरें सुनने को मिलती थीं। गुंडों के आतंक से लोग डर-डर के जी रहे थे। ऐसा एक भी दिन नहीं जाता था, जब मुझे गोलियाँ चलने की आवाज़ न सुनायी दे।

मेरी माँ बहुत मेहनती थी। मेरा एक छोटा भाई और एक छोटी बहन थी। हम तीनों के लिए माँ ने अपना सबकुछ दे दिया। वह चाहती थी कि हम अच्छी शिक्षा हासिल करें। लेकिन मुझे स्कूल जाना बिलकुल पसंद नहीं था। मैं रेस के घोड़ों के पीछे दीवाना था। मैं स्कूल न जाकर घुड़दौड़ के मैदान में चला जाता था। मैं घुड़सवारी भी करता था।

जल्द ही मैं घोड़ों पर बाज़ी लगाने लगा और मुझ पर इसका जुनून सवार हो गया। मैं एक बदचलन ज़िंदगी जीने लगा और मैंने कई औरतों के साथ नाजायज़ संबंध रखे। मैं गाँजा पीता था और ऐश की ज़िंदगी जीने के लिए चोरी-डकैती करता था। मैं अपने पास बहुत-सी बंदूकें रखता था। लेकिन शुक्र है कि इतनी डकैतियाँ डालने पर भी मेरे हाथों किसी की जान नहीं गयी।

आखिरकार मैं पुलिस के हत्थे चढ़ गया और मेरे अपराधों के लिए मुझे जेल की सज़ा हो गयी। जेल से छूटने के बाद भी मैं अपनी हरकतों से बाज़ नहीं आया और अपराध की ज़िंदगी जीता रहा। सच कहूँ तो मेरी ज़िंदगी पहले से भी बदतर हो गयी। हालाँकि मैं शक्ल से बड़ा भोला-भाला और मासूम दिखता था, लेकिन मैं बड़ा ज़िद्दी, चिड़चिड़ा और कठोर था। मैं बहुत खुदगर्ज़ था।

बाइबल ने किस तरह मेरी ज़िंदगी सँवार दी: इस दौरान मेरी माँ, यहोवा के साक्षियों के साथ बाइबल अध्ययन करने लगी और वह यहोवा की साक्षी बन गयी। मैंने उसकी शख्सियत में कई अच्छे बदलाव देखे और मैं जानना चाहता था कि वह कैसे इतनी बदल गयी। इसलिए मैंने यहोवा के साक्षियों के साथ बाइबल पर चर्चा करना शुरू कर दिया।

मैंने पाया कि यहोवा के साक्षियों की शिक्षाएँ दूसरे धर्मों की शिक्षाओं से बिलकुल अलग हैं और साक्षी जो कुछ सिखाते हैं वह सब बाइबल से होता है। मेरी नज़रों में यही एक ऐसा समूह था जो पहली सदी के मसीहियों की तरह घर-घर जाकर प्रचार करता था। (मत्ती 28:19; प्रेषितों 20:20) जब मैंने यहोवा के साक्षियों के बीच सच्चा प्यार देखा तो मुझे यकीन हो गया कि यही सच्चा धर्म है।—यूहन्‍ना 13:35.

बाइबल की शिक्षाओं ने मुझ पर ज़बरदस्त असर किया, मुझे एहसास हुआ कि मुझे कुछ बड़े बदलाव करने होंगे। मैंने जाना कि यहोवा परमेश्‍वर व्यभिचार से नफरत करता है और अगर मैं उसे खुश करना चाहता हूँ तो मुझे ऐसी सभी आदतें छोड़नी होंगी जिनसे मेरा शरीर दूषित होता है। (2 कुरिंथियों 7:1; इब्रानियों 13:4) जब मैंने सीखा कि यहोवा में भी भावनाएँ हैं और मेरे कामों से या तो उसे ठेस पहुँच सकती है या वह खुश हो सकता है, तो यह बात मेरे दिल को छू गयी। (नीतिवचन 27:11) इसलिए मैंने ठान लिया कि मैं गाँजा पीना छोड़ दूँगा, अब कभी बंदूकें नहीं उठाऊँगा और खुद को सुधारने की कोशिश करूँगा। मेरे लिए सबसे मुश्‍किल था अनैतिक ज़िंदगी और जुएबाज़ी छोड़ना।

शुरू-शुरू में, मैं नहीं चाहता था कि मेरे दोस्तों को इस बात की भनक लगे कि मैं यहोवा के साक्षियों के साथ बाइबल अध्ययन कर रहा हूँ। लेकिन मत्ती 10:33 पढ़ने के बाद मेरी ज़िंदगी में एक नया मोड़ आया। वहाँ यीशु के ये शब्द दर्ज़ हैं: “जो कोई लोगों के सामने मुझसे इनकार करता है, मैं भी अपने पिता के सामने जो स्वर्ग में है, उससे इनकार कर दूँगा।” इस बात ने मुझे उभारा कि मैं अपने दोस्तों को बताऊँ कि मैं साक्षियों के साथ अध्ययन कर रहा हूँ। उन्हें यह सुनकर बड़ा झटका लगा। उन्हें विश्‍वास नहीं हो रहा था कि मेरे जैसा इंसान भी कभी एक मसीही बनना चाहेगा। लेकिन मैंने उनसे कह दिया कि मैं अपनी बीती ज़िंदगी को पीछे छोड़ देना चाहता हूँ।

मुझे क्या फायदा हुआ: जब मेरी माँ ने देखा कि मैं बाइबल सिद्धांतों के मुताबिक जीने लगा हूँ, तो उसकी खुशी का ठिकाना नहीं रहा। अब उसे यह चिंता नहीं सताती कि उसका बेटा कुछ गलत काम कर रहा होगा। हम दोनों ही यहोवा से बहुत प्यार करते हैं और अकसर इसी बारे में बात करते हैं। कभी-कभी जब मैं पीछे मुड़कर देखता हूँ कि पहले मैं कैसी ज़िंदगी जीता था, तो मुझे यकीन नहीं होता कि परमेश्‍वर की मदद से मैं अपने अंदर इतने बदलाव ला पाया। अब अनैतिक और पैसों के पीछे पागल ज़िंदगी जीने के लिए मेरा मन नहीं ललचाता।

अगर मैंने बाइबल का संदेश नहीं सुना होता, तो या तो मैं जेल में सड़ रहा होता या मर चुका होता। लेकिन आज मेरे पास एक प्यारा परिवार है। मेरी पत्नी हर कदम पर मेरा साथ देती है और मेरी बेटी मेरा कहना मानती है, उनके साथ मिलकर यहोवा परमेश्‍वर की सेवा करने से मुझे बहुत खुशी मिलती है। मैं यहोवा का शुक्रगुज़ार हूँ कि उसने मुझे इस प्यार-भरी मसीही बिरादरी का हिस्सा होना का मौका दिया। मैं एहसानमंद हूँ कि मुझे बाइबल सच्चाई सिखाने में किसी ने इतनी मेहनत की। इसलिए अब मैं दूसरों को बाइबल की बातें बताने के मौकों को अनमोल समझता हूँ। मैं तहेदिल से यहोवा परमेश्‍वर का धन्यवाद देता हूँ कि उसने अटल-कृपा दिखाकर मुझे अपनी तरफ खींचा। (w11-E 11/01)

[पेज 15 पर बड़े अक्षरों में लेख की खास बात]

“मैंने सीखा कि यहोवा में भी भावनाएँ हैं और मेरे कामों से या तो उसे ठेस पहुँच सकती है या वह खुश हो सकता है”

[पेज 15 पर तसवीर]

अपनी पत्नी और बेटी के साथ

[पेज 15 पर तसवीर]

मैंने अपनी माँ की शख्सियत में कई अच्छे बदलाव देखे