यूहन्‍ना के मुताबिक खुशखबरी 13:1-38

13  फसह के त्योहार से पहले यीशु जानता था कि वह घड़ी आ गयी है+ जब वह इस दुनिया को छोड़कर पिता के पास चला जाएगा।+ इसलिए दुनिया में जो उसके अपने थे और जिनसे वह प्यार करता था, उनसे आखिर तक प्यार करता रहा।+  शाम का खाना चल रहा था और शैतान, शमौन के बेटे यहूदा इस्करियोती के दिल में यह बात डाल चुका था+ कि वह यीशु को पकड़वाए।+  यीशु यह जानते हुए कि पिता ने सबकुछ उसके* हाथ में सौंप दिया है और वह परमेश्‍वर की तरफ से आया है और परमेश्‍वर के पास जा रहा है,+  खाने की मेज़ से उठा। उसने अपना चोगा उतारकर अलग रख दिया और तौलिया लेकर कमर में बाँधा।*+  इसके बाद उसने एक बरतन में पानी भरा और अपने चेलों के पैर धोने लगा और कमर पर बँधे* तौलिये से पोंछने लगा।  जब वह शमौन पतरस के पास आया, तो पतरस ने उससे कहा, “प्रभु, क्या तू मेरे पैर धोएगा?”  यीशु ने उससे कहा, “मैं जो कर रहा हूँ उसे तू अभी नहीं समझ रहा, मगर बाद में समझेगा।”  पतरस ने उससे कहा, “नहीं, तू मेरे पैर नहीं धोएगा।” यीशु ने उससे कहा, “अगर मैं तुझे न धोऊँ,+ तो मेरे साथ तेरी कोई साझेदारी नहीं।”  शमौन पतरस ने उससे कहा, “तो प्रभु, मेरे पैर ही नहीं, बल्कि मेरे हाथ और मेरा सिर भी धो दे।” 10  यीशु ने उससे कहा, “जो नहा चुका है उसे पैर के सिवा और कुछ धोने की ज़रूरत नहीं, वह पूरी तरह शुद्ध है। तुम लोग शुद्ध हो, पर तुममें से सब नहीं।” 11  वह जानता था कि वह कौन है जो उसके साथ विश्‍वासघात करनेवाला है।+ इसीलिए उसने कहा, “तुममें से सब शुद्ध नहीं हैं।” 12  जब वह उनके पैर धो चुका और अपना चोगा पहनकर एक बार फिर मेज़ से टेक लगाकर बैठ गया, तो उसने उनसे कहा, “क्या तुम समझे कि मैंने तुम्हारे साथ क्या किया है? 13  तुम मुझे ‘गुरु’ और ‘प्रभु’ बुलाते हो और तुम ठीक कहते हो क्योंकि मैं वही हूँ।+ 14  इसलिए जब मैंने प्रभु और गुरु होते हुए भी तुम्हारे पैर धोए,+ तो तुम्हें भी एक-दूसरे के पैर धोने चाहिए।*+ 15  इसलिए कि मैंने तुम्हारे लिए नमूना छोड़ा है कि जैसा मैंने तुम्हारे साथ किया, तुम्हें भी वैसा ही करना चाहिए।+ 16  मैं तुमसे सच-सच कहता हूँ, दास अपने मालिक से बड़ा नहीं होता, न ही भेजा हुआ अपने भेजनेवाले से बड़ा होता है। 17  तुमने ये बातें जान ली हैं, लेकिन अगर तुम ऐसा करो तो सुखी होगे।+ 18  मैं तुम सबके बारे में बात नहीं कर रहा। जिन्हें मैंने चुना है उन्हें मैं जानता हूँ, मगर शास्त्र की इस बात का पूरा होना ज़रूरी है,+ ‘जो मेरी रोटी खाया करता था वही मेरे खिलाफ हो गया है।’*+ 19  जो होनेवाला है वह मैं तुम्हें अभी से बता रहा हूँ ताकि जब मेरे साथ वैसा हो, तो तुम यकीन करो कि शास्त्र में यह बात मेरे बारे में कही गयी थी।+ 20  मैं तुमसे सच-सच कहता हूँ, जिसे मैं भेजता हूँ उसे अगर एक इंसान स्वीकार करता है तो वह मुझे भी स्वीकार करता है।+ और जो मुझे स्वीकार करता है, वह उसे भी स्वीकार करता है जिसने मुझे भेजा है।”+ 21  ये बातें कहने के बाद यीशु मन-ही-मन परेशान हो उठा और उसने खुलकर कह दिया, “मैं तुमसे सच-सच कहता हूँ, तुममें से एक मेरे साथ विश्‍वासघात करके मुझे पकड़वा देगा।”+ 22  यह सुनकर चेले एक-दूसरे का मुँह ताकने लगे क्योंकि वे नहीं समझ पा रहे थे कि वह किसके बारे में बात कर रहा है।+ 23  यीशु का एक चेला, जिससे वह बहुत प्यार करता था,+ उसके सीने के पास टेक लगाए बैठा था। 24  इसलिए शमौन पतरस ने सिर हिलाते हुए उस चेले से कहा, “हमें बता, वह किसके बारे में कह रहा है?” 25  तब उस चेले ने पीछे की तरफ यीशु के सीने पर झुककर पूछा, “प्रभु, वह कौन है?”+ 26  यीशु ने जवाब दिया, “जिसे मैं रोटी का टुकड़ा डुबोकर दूँगा, वही है।”+ फिर उसने रोटी का टुकड़ा डुबोया और शमौन इस्करियोती के बेटे यहूदा को दिया। 27  यहूदा ने टुकड़ा लिया और इसके बाद शैतान उसमें समा गया।+ इसलिए यीशु ने उससे कहा, “जो तू कर रहा है, उसे फौरन कर।” 28  मगर जो खाने की मेज़ पर बैठे थे उनमें से कोई नहीं जानता था कि यीशु ने यहूदा से ऐसा क्यों कहा। 29  यहूदा के पास पैसों का बक्सा रहता था,+ इसलिए कुछ चेलों ने सोचा कि यीशु उससे कह रहा है, “त्योहार के लिए हमें जिन चीज़ों की ज़रूरत है वे खरीद ले,” या उसे गरीबों को कुछ देना चाहिए। 30  इसलिए रोटी का टुकड़ा लेने के बाद यहूदा फौरन वहाँ से चला गया। यह रात का वक्‍त था।+ 31  उसके निकल जाने के बाद यीशु ने कहा, “अब इंसान के बेटे की महिमा हुई है+ और उसके ज़रिए परमेश्‍वर की महिमा हुई है। 32  परमेश्‍वर खुद उसकी महिमा करेगा+ और बहुत जल्द ऐसा करेगा। 33  प्यारे बच्चो, मैं बस थोड़ी देर और तुम्हारे साथ हूँ। तुम मुझे ढूँढ़ोगे। और जो बात मैंने यहूदियों से कही थी, वह अब तुमसे भी कह रहा हूँ, ‘जहाँ मैं जा रहा हूँ वहाँ तुम नहीं आ सकते।’+ 34  मैं तुम्हें एक नयी आज्ञा देता हूँ कि तुम एक-दूसरे से प्यार करो। ठीक जैसे मैंने तुमसे प्यार किया है,+ वैसे ही तुम भी एक-दूसरे से प्यार करो।+ 35  अगर तुम्हारे बीच प्यार होगा, तो इसी से सब जानेंगे कि तुम मेरे चेले हो।”+ 36  शमौन पतरस ने उससे कहा, “प्रभु, तू कहाँ जा रहा है?” यीशु ने जवाब दिया, “जहाँ मैं जा रहा हूँ वहाँ तू अभी मेरे पीछे नहीं आ सकता, मगर बाद में तू आएगा।” 37  पतरस ने उससे कहा, “प्रभु, मैं अभी तेरे पीछे क्यों नहीं आ सकता? मैं तेरी खातिर अपनी जान भी दे दूँगा।”+ 38  यीशु ने जवाब दिया, “क्या तू मेरी खातिर अपनी जान देगा? मैं तुझसे सच-सच कहता हूँ, जब तक तू मुझे जानने से तीन बार इनकार न करेगा, मुर्गा बाँग न देगा।”+

कई फुटनोट

यानी यीशु के।
या “कमर कसी।”
या “कसे।”
या “यह तुम्हारा फर्ज़ है।”
शा., “मेरे खिलाफ एड़ी उठाए है।”

अध्ययन नोट

तसवीर और ऑडियो-वीडियो