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जी हाँ, यह अध्ययन संस्करण ही है!

जी हाँ, यह अध्ययन संस्करण ही है!

जी हाँ, यह अध्ययन संस्करण ही है!

हमने अध्ययन संस्करण को एक नया, आकर्षक रूप दिया है ताकि आप यहोवा के अनमोल वचन का बेहतर तरीके से अध्ययन कर पाएँ।—भज. 1:2; 119:97.

चार साल पहले प्रहरीदुर्ग के दो अलग-अलग संस्करणों की छपाई शुरू की गयी थी। एक आम जनता के लिए और दूसरा हम यहोवा के साक्षियों और तरक्की करनेवाले हमारे बाइबल विद्यार्थियों के लिए।

लंबे अरसे से यहोवा की सेवा कर रहे एक भाई ने अध्ययन संस्करण के बारे में लिखा: “जब मैंने पहली बार प्रहरीदुर्ग का अध्ययन संस्करण पढ़ा तो मैंने कहा वाह! कितना शानदार और दिल की गहराइयों तक पहुँचनेवाला है ये! इसमें गहरी सच्चाइयों को इतने बढ़िया तरीके से पेश किया गया है कि वे सीधे मेरे दिल को छू गयीं। इस बेहतरीन नए इंतज़ाम के लिए आपका बहुत-बहुत शुक्रिया।” एक और भाई ने लिखा: “मैं अपनी बाइबल और अध्ययन संस्करण का इस्तेमाल करके अध्ययन में काफी वक्‍त बिताने की आरज़ू रखता हूँ।” हमें यकीन है कि आप भी ऐसा ही महसूस करते हैं।

जैसा कि आप जानते हैं, प्रहरीदुर्ग 1879 से लगातार छापी जा रही है। परमेश्‍वर की पवित्र शक्‍ति और उसकी आशीष की बदौलत ही यह मुमकिन हो पाया है। (जक. 4:6) इन 133 सालों के दौरान इसके मुख्य पृष्ठ में कई बदलाव किए गए हैं। इस साल अध्ययन संस्करण के हर अंक के मुख्य पृष्ठ पर एक रंगीन चित्रकारी होगी जिसमें प्रचार का एक दृश्‍य दिखाया जाएगा। यह हमें परमेश्‍वर के राज के बारे में अच्छी तरह गवाही देने की ज़िम्मेदारी का एहसास दिलाएगा। (प्रेषि. 28:23) पेज 2 पर आपको वह तसवीर मिलेगी जिसके आधार पर यह चित्र बनाया गया है। वहाँ यह भी लिखा होगा कि तसवीर में क्या दिखाया गया है और वह कहाँ खींची गयी थी। सन्‌ 2012 के दौरान ये तसवीरें हमें याद दिलाएँगी कि यहोवा के लोग “सारे जगत में प्रचार” कर रहे हैं।—मत्ती 24:14.

पत्रिका में और क्या बदलाव किए गए हैं? दोबारा विचार के लिए सवाल, अब आपको हर अध्ययन लेख की शुरुआत में मिलेंगे। इससे आप जान पाएँगे कि लेख को पढ़ते वक्‍त आपको किन मुद्दों पर खास ध्यान देना है। बेशक प्रहरीदुर्ग अध्ययन संचालक, सीखी हुई बातों को दोहराने के लिए इन सवालों का इस्तेमाल अध्ययन के आखिर में करेंगे। आप यह भी पाएँगे कि हाशिये में ज़्यादा जगह छोड़ी गयी है और पेज और पैराग्राफ के नंबर अब और साफ दिखायी देते हैं।

यहोवा के साक्षियों के आधुनिक इतिहास की अहम घटनाओं को समझाने के लिए एक नयी श्रंखला भी शुरू की जा रही है, जिसका नाम है, “अतीत के झरोखे से।” इस अंक में इसके बारे में ज़्यादा जानकारी दी गयी है। इसके अलावा, कभी-कभार एक और लेख आएगा जिसका नाम होगा, “उन्होंने खुशी-खुशी खुद को पेश किया।” इसमें उन भाई-बहनों के आनंद, संतोष और खुशी का बयान किया जाएगा जिन्होंने ऐसे इलाकों में जाकर सेवा की जहाँ प्रचारकों की ज़्यादा ज़रूरत थी।

हमें यकीन है कि आपको इस पत्रिका की मदद से परमेश्‍वर के वचन का अध्ययन करने में और भी मज़ा आएगा।

प्रकाशक

[पेज 3 पर तसवीर]

1879

[पेज 3 पर तसवीर]

1895

[पेज 3 पर तसवीर]

1931

[पेज 3 पर तसवीर]

1950

[पेज 3 पर तसवीर]

1974

[पेज 3 पर तसवीर]

2008