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निजी अध्ययन को बनाइए असरदार और मज़ेदार!

निजी अध्ययन को बनाइए असरदार और मज़ेदार!

निजी अध्ययन को बनाइए असरदार और मज़ेदार!

हम निजी बाइबल अध्ययन को और मज़ेदार कैसे बना सकते हैं? हम जो वक्‍त अध्ययन के लिए बिताते हैं उससे ज़्यादा फायदा कैसे पा सकते हैं? आइए देखें कि ऐसा करने के तीन तरीके क्या हैं।

1 प्रार्थना कीजिए: पहला कदम है प्रार्थना करना। (भज. 42:8) यह ज़रूरी क्यों है? परमेश्‍वर के वचन का अध्ययन करना हमारी उपासना का हिस्सा है। इसलिए हमें यहोवा से प्रार्थना में दरखास्त करनी चाहिए कि वह सीखी हुई बातों को समझने और अमल में लाने के लिए हमारा दिलो-दिमाग खोल दे और हमें अपनी पवित्र शक्‍ति दे। (लूका 11:13) लंबे अरसे से मिशनरी रही बारब्रा कहती है: “बाइबल पढ़ने या अध्ययन करने से पहले मैं हमेशा प्रार्थना करती हूँ। उसके बाद मैं महसूस करती हूँ कि यहोवा मेरे साथ है और जो मैं कर रही हूँ उससे खुश है।” अगर हम अध्ययन करने से पहले प्रार्थना करें तो हमारा मन उस आध्यात्मिक भोजन को लेने के लिए पूरी तरह तैयार हो जाएगा जो यहोवा हमें भरपूर मात्रा में देता है।

2 मनन कीजिए: कुछ लोग बाइबल को बस जल्दी-जल्दी पढ़ लेते हैं क्योंकि उनके पास वक्‍त कम होता है। लेकिन अगर वे बाइबल का अच्छी तरह अध्ययन करें तो उन्हें और ज़्यादा फायदा हो सकता है। पचास से भी ज़्यादा सालों से परमेश्‍वर की सेवा कर रहे कार्लोस ने मनन करने के लिए वक्‍त निकालने की अहमियत को पहचाना है। वह कहता है: “अब मैं हर दिन बाइबल के ज़्यादा नहीं, बस दो ही पन्‍ने पढ़ता हूँ। ऐसा करने से मुझे मनन करने के लिए ज्यादा वक्‍त मिलता है ताकि मैं जो पढ़ रहा हूँ उससे सबक सीख सकूँ।” (भज. 77:12) अगर हम मनन करने के लिए समय निकालें तो हम परमेश्‍वर की मरज़ी को बेहतर तरीके से समझ पाएँगे।—कुलु. 1:9-11.

3 अमल कीजिए: जब हम यह समझ जाते हैं कि हम जो पढ़ रहे हैं, उसे रोज़मर्रा की ज़िंदगी में कैसे लागू किया जा सकता है तो हमें उससे ज़्यादा फायदा होता है। गाब्रिएल एक जवान मसीही भाई है, जिसकी नियमित तौर पर बाइबल अध्ययन करने की अच्छी आदत है। वह कहता है: “अध्ययन करने से मैं अपनी ज़िंदगी में उठनेवाली मुश्‍किलों का सामना कर पाता हूँ और दूसरों की भी मदद कर पाता हूँ।” वह आगे कहता है: “मैं जो कुछ सीखता हूँ उसे अपनी जिंदगी में लागू करने की कोशिश करता हूँ।” (व्यव. 11:18; यहो. 1:8) जी हाँ, ऐसी बहुत-सी बातें हैं जो हम परमेश्‍वर से सीखकर अपने जीवन में अमल कर सकते हैं।—नीति. 2:1-5.

फिर एक नज़र: यहोवा बुद्धि का सोता है। उसके ज्ञान की गहरी समझ हासिल करना वाकई बड़े सम्मान की बात है! (रोमि. 11:33) इसलिए जब अगली बार आप अध्ययन करने बैठें तो पहले यहोवा से प्रार्थना कीजिए और उससे बिनती कीजिए कि वह आपको एक सही मन और अपनी पवित्र शक्‍ति दे। जो कुछ आप पढ़ रहे हैं, उस पर बीच-बीच में रुककर मनन कीजिए। इसके अलावा, आपने अध्ययन से जो बातें सीखी हैं, उन्हें याद रखिए और अपनी जिंदगी में अमल कीजिए। अगर आप ये ज़रूरी कदम उठाएँ तो आपका निजी अध्ययन ज़रूर असरदार होगा और मज़ेदार भी!