इस जानकारी को छोड़ दें

विषय-सूची को छोड़ दें

अपने हृदय की रक्षा करने के ज़रिए पवित्रता बनाए रखें

अपने हृदय की रक्षा करने के ज़रिए पवित्रता बनाए रखें

अपने हृदय की रक्षा करने के ज़रिए पवित्रता बनाए रखें

“सबसे अधिक अपने हृदय की रक्षा कर; क्योंकि जीवन के स्रोत उससे ही फूटते हैं।”—नीतिवचन 4:23, नयी हिन्दी बाइबिल।

1-3. (क) अकसर लोग कैसे यह दिखाते हैं कि उन्हें अपने चरित्र की पवित्रता की कदर नहीं? समझाइए। (ख) पवित्रता की अहमियत को समझना ज़रूरी क्यों है?

 वह पेंटिंग देखने में पुराने ज़माने की लग रही थी। घर की बाकी सजावट के साथ बिलकुल भी मेल नहीं खा रही थी। ऊपर से घर के मालिक के लिए वह किसी काम की नहीं थी। आखिरकार उस पेंटिंग को दान कर दिया गया और पुराने सामान के साथ बेचने के लिए नुमाइश में रखा गया। उसकी कीमत महज़ 1,400 रुपए लगायी गयी। लेकिन कुछ साल बाद यह पता चला कि उस पेंटिंग की असल कीमत 4.7 करोड़ रुपए है! जी हाँ, वह एक बेजोड़ कलाकृति थी। ज़रा कल्पना कीजिए कि यह जानकर उसके पुराने मालिक का क्या हाल हुआ होगा जिसने इतनी कीमती चीज़ की कदर नहीं जानी!

2 ऐसा ही अकसर एक इंसान की पवित्रता, उसके चरित्र की शुद्धता या खराई के साथ भी होता है। ज़्यादातर लोग अपनी पवित्रता का मोल नहीं समझते। कुछ लोगों के हिसाब से आचरण में पवित्रता बनाए रखना दकियानूसी ख्यालात हैं जो आज के ज़माने से मेल नहीं खाते। इसलिए वे बहुत कम कीमत पर अपनी पवित्रता बेच देते हैं। कुछ लोग पल भर की अपनी लैंगिक इच्छाएँ पूरी करने के लिए अपनी पवित्रता का सौदा कर लेते हैं। तो कुछ लोग अपने दोस्तों या विपरीत लिंग के लोगों की नज़रों में छाने के लिए इसे कुरबान कर देते हैं।—नीतिवचन 13:20.

3 जब तक लोगों को इस बात का एहसास होता है कि उनकी पवित्रता की क्या अहमियत थी, तब तक बहुत देर हो चुकी होती है। उन्हें इसकी भारी कीमत चुकानी पड़ती है। जैसे कि बाइबल बताती है अनैतिकता का अंजाम “नागदौना सा कड़ुवा” या ज़हरीला हो सकता है। (नीतिवचन 5:3, 4) तो फिर इस गिरे हुए नैतिक माहौल में आप अपने चरित्र की पवित्रता की कदर कैसे कर सकते और उसे कैसे बरकरार रख सकते हैं? हम ऐसी तीन बातों पर गौर करेंगे जिन पर हम अमल कर सकते हैं और जो एक-दूसरे से जुड़ी हैं।

अपने हृदय की रक्षा कर

4. लाक्षणिक हृदय क्या है, और हमें क्यों इसकी रक्षा करनी चाहिए?

4 पवित्रता बनाए रखने का राज़ है, अपने हृदय की रक्षा करना। बाइबल कहती है: “सबसे अधिक अपने हृदय की रक्षा कर; क्योंकि जीवन के स्रोत उससे ही फूटते हैं।” (नीतिवचन 4:23, नयी हिन्दी बाइबिल) यहाँ जिसे ‘अपना हृदय’ कहा गया है, वह क्या है? यह सचमुच का दिल नहीं जो हमारे अंदर धड़कता है। यह एक लाक्षणिक हृदय है। यह आपके अंदर छिपे इंसान, यानी आपके विचारों, भावनाओं और इरादों को दर्शाता है। बाइबल कहती है: “तू अपने परमेश्‍वर यहोवा से अपने सारे मन [“हृदय,” NW] और सारे जीव, और सारी शक्‍ति के साथ प्रेम रखना।” (तिरछे टाइप हमारे; व्यवस्थाविवरण 6:5) यीशु ने बताया था कि यह सबसे बड़ी आज्ञा है। (मरकुस 12:29, 30) तो यह साफ है कि हमारा यह हृदय बहुत अनमोल है, इतना कि इसकी रक्षा की जानी चाहिए।

5. हमारा हृदय अनमोल होने के साथ-साथ जानलेवा कैसे हो सकता है?

5 लेकिन बाइबल यह भी कहती है कि “मन तो सब वस्तुओं से अधिक धोखा देनेवाला होता है, उस में असाध्य रोग लगा है।” (यिर्मयाह 17:9) हमारा हृदय धोखेबाज़ या हमारे लिए एक खतरा कैसे हो सकता है? यह समझने के लिए एक कार की मिसाल लीजिए। इसके बहुत-से फायदे हैं, यहाँ तक कि इसके ज़रिए मुसीबत की घड़ी में किसी की जान भी बचायी जा सकती है। लेकिन अगर उसका ड्राइवर गाड़ी को सँभाल न पाए और उसके स्टियरिंग व्हील को अपने काबू में न रखे, तो यही गाड़ी दूसरों की जान लेने का ज़रिया बन सकती है। इसी तरह अगर आप अपने हृदय की रक्षा न करें तो आप अपने अंदर छिपी हर इच्छा और भावना के गुलाम बन जाएँगे और आपकी ज़िंदगी विनाश की खाई में जा गिरेगी। परमेश्‍वर का वचन कहता है: “जो अपने ऊपर [“दिल पर,” किताब-ए-मुकद्दस] भरोसा रखता है, वह मूर्ख है; और जो बुद्धि से चलता है, वह बचता है।” (नीतिवचन 28:26) जी हाँ, जैसे आप कोई सफर शुरू करने से पहले नक्शा देखते हैं, उसी तरह ज़िंदगी की राह पर बुद्धिमानी से चलने के लिए परमेश्‍वर के वचन की मदद लेकर आप किसी भी खतरे से बच सकते हैं।—भजन 119:105.

6, 7. (क) पवित्रता क्या है, और यहोवा के सेवकों के लिए यह क्यों ज़रूरी है? (ख) हम कैसे जानते हैं कि असिद्ध इंसान, यहोवा की तरह पवित्रता ज़ाहिर कर सकते हैं?

6 हमारा हृदय खुद-ब-खुद पवित्रता के रास्ते पर नहीं जाता। इसे उसकी तरफ मोड़ना पड़ता है। इसका एक तरीका है, पवित्रता की असल कीमत जानना। इस गुण का पावनता से गहरा नाता है जिसका मतलब होता है, स्वच्छ, खरा और हर तरह के पाप से दूर। पावनता या पवित्रता यहोवा परमेश्‍वर के स्वभाव में है। बाइबल की सैकड़ों आयतें यहोवा को इस गुण के साथ जोड़ती हैं। दरअसल बाइबल कहती है: “पवित्रता यहोवा की है।” (निर्गमन 28:36, NW) लेकिन हम असिद्ध इंसानों से इस ऊँचे और श्रेष्ठ गुण का क्या संबंध?

7 यहोवा अपने वचन में हमें बताता है: “पवित्र बनो, क्योंकि मैं पवित्र हूं।” (1 पतरस 1:16) जी हाँ, हम यहोवा की तरह पवित्र हो सकते हैं; हम उसके सामने शुद्ध ठहर सकते हैं और अपनी पवित्रता बनाए रख सकते हैं। जब हम अशुद्ध, मलिन करनेवाले कामों से दूर रहते हैं तो हम परमप्रधान परमेश्‍वर के सुंदर गुणों को ज़ाहिर करने की कोशिश कर रहे होते हैं जो एक महान सम्मान है! (इफिसियों 5:11) हमें यह नहीं समझना चाहिए कि हमारे लिए उस दर्जे तक पहुँचना नामुमकिन है, क्योंकि यहोवा परमेश्‍वर ऐसा बुद्धिमान और कोमल स्वामी है जो हमसे कभी वह काम करने की माँग नहीं करेगा जिसे हम कर ही न सकें। (भजन 103:13, 14; याकूब 3:17) यह सच है कि आध्यात्मिक और नैतिक पवित्रता बनाए रखने में कड़ी मेहनत करने की ज़रूरत होती है। लेकिन प्रेरित पौलुस ने कहा: “एकनिष्ठ भक्‍ति और पवित्रता . . . मसीह के प्रति रखनी चाहिये।” (तिरछे टाइप हमारे; 2 कुरिन्थियों 11:3, ईज़ी-टू-रीड वर्शन) क्या मसीह और उसके पिता की तरफ हमारा यह फर्ज़ नहीं बनता कि हम नैतिक रूप से पवित्र बने रहने के लिए हर संभव कोशिश करें? बिलकुल बनता है, क्योंकि उन्होंने हमारे लिए जितना प्यार दिखाया है उसका बदला हम कभी-भी नहीं चुका सकते। (यूहन्‍ना 3:16; 15:13) शुद्ध, नैतिक जीवन जीकर उनके लिए अपनी एहसानमंदी दिखाना हमारे लिए सम्मान की बात है। अगर हम अपनी पवित्रता को इस नज़र से देखेंगे और इसकी अहमियत समझेंगे, तो हम उसे अनमोल जानेंगे और अपने हृदय की रक्षा करेंगे।

8. (क) हम अपने लाक्षणिक हृदय को कैसे मज़बूत कर सकते हैं? (ख) हमारी बातचीत हमारे बारे में क्या ज़ाहिर कर सकती है?

8 हम जैसा भोजन लेते हैं, उसके ज़रिए भी हम अपने हृदय की रक्षा कर सकते हैं। हमें अपने दिल और दिमाग को लगातार अच्छे आध्यात्मिक भोजन से मज़बूत करना है और अपना ध्यान परमेश्‍वर के राज्य की खुशखबरी पर लगाना है। (कुलुस्सियों 3:2) यहाँ तक कि हमारी बातचीत से भी यह ज़ाहिर होना चाहिए। अगर हम दुनियावी, अनैतिक बातें करने के लिए जाने जाते हैं, तो इससे हमारे दिल की हालत का पता चलता है। (लूका 6:45) इसके बजाय, आइए लोग ये जानें कि हम आध्यात्मिक बातों पर चर्चा करनेवालों में से हैं जिनकी बातचीत से दूसरों की तरक्की होती और उन्हें हिम्मत मिलती है। (इफिसियों 5:3) अपने हृदय की रक्षा करने के लिए ऐसे गंभीर खतरे हैं जिनसे हमें दूर रहना चाहिए। आइए उनमें से दो पर चर्चा करें।

व्यभिचार से भागो

9-11. (क) जो लोग 1 कुरिन्थियों 6:18 में दी गयी सलाह को ठुकरा देते हैं, उनके अनैतिकता में फँसने की गुंजाइश ज़्यादा क्यों होती है? समझाइए। (ख) अगर हम व्यभिचार से भाग रहे हैं, तो हमें किससे दूर रहना होगा? (ग) वफादार अय्यूब ने हमारे लिए कैसी बेहतरीन मिसाल कायम की?

9 यहोवा ने प्रेरित पौलुस को कुछ ऐसी सलाह लिखने की प्रेरणा दी जिनसे बहुतों को अपने हृदय की रक्षा करने और अपनी पवित्रता बनाए रखने में मदद मिली। पौलुस ने कहा: “व्यभिचार से भागो।” (1 कुरिन्थियों 6:18, NHT) ध्यान दीजिए कि उसने सिर्फ यह नहीं कहा कि “व्यभिचार से बचे रहो।” इसका मतलब है कि मसीहियों से इससे भी ज़्यादा करने की उम्मीद की जाती है। उन्हें अनैतिक कामों से ऐसे दूर भागना चाहिए जैसे हम किसी खतरे से अपनी जान बचाकर भागते हैं। अगर हम इस सलाह को नज़रअंदाज़ करेंगे, तो इस बात की गुंजाइश बढ़ जाएगी कि हम गंभीर अनैतिक कामों में फँस जाएँगे और परमेश्‍वर की आशीष खो बैठेंगे।

10 समझने के लिए ज़रा इस मिसाल पर गौर कीजिए: एक माँ ने अपने बेटे को नहला-धुलाकर एक खास मौके के लिए तैयार किया है। बेटा माँ से पूछता है कि जब तक बाकी लोग तैयार हों क्या वह बाहर जाकर खेल सकता है? माँ जाने के लिए हाँ कह देती है लेकिन एक शर्त पर। वह कहती है: “उस कीचड़ से भरे गड्ढे के पास मत जाना। अगर तुम कीचड़ में सने हुए आए तो तुम्हें सज़ा मिलेगी।” लेकिन थोड़ी देर बाद ही वह क्या देखती है कि उसका मुन्‍ना कीचड़ से भरे गड्ढे के बिलकुल किनारे पर एड़ियाँ उचकाए पंजों के बल चल रहा है। अभी तक तो उसके कपड़े कीचड़ में सने नहीं हैं। लेकिन फिर भी उसने अपनी माँ की इस चेतावनी को ठुकरा दिया है कि कीचड़ के पास मत जाना और अब वह किसी भी पल कीचड़ में गिर सकता है। (नीतिवचन 22:15) इसी तरह कई नौजवान और बड़े भी जानते-बूझते ऐसी ही गलती करते हैं। वह कैसे?

11 इस दौर में जब बहुत-से लोग “नीच कामनाओं के वश में” आ चुके हैं, नाजायज़ लैंगिक संबंधों को बढ़ावा देने के लिए एक पूरी-की-पूरी इंडस्ट्री खड़ी हो चुकी है। (रोमियों 1:26, 27) पोर्नोग्राफी एक महामारी की तरह पत्रिकाओं, किताबों, वीडियो और इंटरनॆट पर फैलती जा रही है। जो लोग ऐसी तसवीरों को देखते हैं, वे बेशक व्यभिचार से भाग नहीं रहे बल्कि वे उसके साथ खेल रहे हैं, उसके किनारे पर मँडरा रहे हैं। ऐसा करके उन्होंने बाइबल की चेतावनी को ताक पर रख दिया है। अपने हृदय की रक्षा करने के बजाय, वे इन तसवीरों को मन में जगह देकर इसे ज़हर से भर रहे हैं। इन तसवीरों को अपने मन से निकालने में बरसों लग जाते हैं। (नीतिवचन 6:27) आइए हम वफादार अय्यूब से सीखें जिसने अपनी आँखों के साथ वाचा बाँधी थी यानी एक करारनामा किया था कि वह ऐसी किसी भी चीज़ की तरफ उन्हें नहीं लगाएगा जिन्हें देखने से सिर्फ गंदे ख्याल ही मन में आते हों। (अय्यूब 31:1) हमें वाकई अय्यूब जैसा बनना चाहिए!

12. शादी से पहले की मुलाकातों के दौरान एक मसीही जोड़ा कैसे ‘व्यभिचार से भाग’ सकता है?

12 शादी से पहले की मुलाकातों में ‘व्यभिचार से भागने’ की अहमियत और भी बढ़ जाती है। यह वक्‍त खुशियों, अरमानों और उम्मीदों से भरा होना चाहिए। लेकिन कई नौजवान लैंगिक कामों में शामिल होकर इसे बिगाड़ देते हैं। ऐसा करनेवाले एक-दूसरे से एक कामयाब शादी की उम्दा शुरूआत ही छीन लेते हैं यानी एक ऐसा रिश्‍ता जो निःस्वार्थ प्यार, आत्म-संयम और यहोवा परमेश्‍वर की आज्ञा मानने पर कायम होता है। एक मसीही जोड़ा शादी से पहले की मुलाकातों में बदचलनी में पड़ गया था। शादी के बाद पत्नी ने यह कबूल किया कि उसका ज़मीर हमेशा उसे कचोटता रहा, यहाँ तक कि शादी के दिन जो ज़िंदगी का एक बहुत ही खुशी का दिन होता है, वह खुश न रह सकी। वह बताती है: “मैंने कई बार यहोवा से माफी माँगी लेकिन हमारी शादी के सात साल गुज़रने के बाद भी, आज तक मेरा ज़मीर मुझे कोसता है।” जो लोग ऐसे पाप में फँस जाते हैं, उनके लिए प्राचीनों से मदद लेना बेहद ज़रूरी है। (याकूब 5:14, 15) लेकिन कई मसीही जोड़े बुद्धिमानी से काम लेते हुए शादी से पहले की मुलाकातों में ऐसे खतरे से पूरी तरह दूर रहते हैं। (नीतिवचन 22:3) वे एक-दूसरे के लिए अपना प्यार ज़ाहिर करने पर सीमाएँ रखते हैं। हमेशा किसी तीसरे शख्स को साथ रखते हैं और जब आप दोनों अकेले हों तो किसी एकांत जगह नहीं जाते।

13. जो यहोवा से प्यार नहीं करते, उनके साथ एक मसीही को शादी के इरादे से मुलाकातें क्यों नहीं करनी चाहिए?

13 जो मसीही ऐसे इंसान के साथ शादी के इरादे से मुलाकात करता है जो यहोवा का सेवक नहीं है, वह और भी बड़ी समस्या में पड़ सकता है। मिसाल के लिए, आप ऐसे इंसान के साथ रिश्‍ता जोड़ने की सोच भी कैसे सकते हैं जो यहोवा परमेश्‍वर से प्यार नहीं करता? यह निहायत ज़रूरी है कि मसीही सिर्फ उसी के साथ शादी करें जो यहोवा से प्यार करता हो और पवित्रता बनाए रखने के उसके स्तरों का आदर करता हो। परमेश्‍वर का वचन हमसे कहता है: “अविश्‍वासियों के साथ असमान जूए में न जुतो, क्योंकि धार्मिकता और अधर्म का क्या मेल जोल? या ज्योति और अन्धकार की क्या संगति?”—2 कुरिन्थियों 6:14.

14, 15. (क) “व्यभिचार” के मतलब के बारे में कई लोगों ने क्या गलत धारणा बना रखी है? (ख) “व्यभिचार” में कौन-कौन से काम शामिल हैं, और एक मसीही कैसे ‘व्यभिचार से भाग’ सकता है?

14 सही ज्ञान रखना भी बहुत अहमियत रखता है। अगर हम यह नहीं जानते कि व्यभिचार क्या होता है, तो हम उससे पूरी तरह दूर नहीं भाग सकेंगे। “व्यभिचार” क्या है, आज की दुनिया में कुछ लोगों ने इस बारे में गलत धारणा बना रखी है। वे सोचते हैं कि वे शारीरिक संबंध रखे बगैर अपनी लैंगिक इच्छाओं को पूरा कर सकते हैं। यहाँ तक कि कुछ नामी स्वास्थ्य संस्थाएँ जो किशोरियों में अनचाहे गर्भधारण के मामलों को कम करना चाहती हैं, वे नौजवानों को इस तरह के विकृत लैंगिक काम करने का बढ़ावा देती हैं जिनमें गर्भधारण करने का खतरा न हो। और दुःख की बात है कि ऐसी नसीहत सरासर गलत है। बगैर शादी के गर्भधारण करने से बचे रहना और पवित्रता कायम रखना, दोनों एक ही बात नहीं है और “व्यभिचार” की परिभाषा सिर्फ गर्भधारण करने तक सीमित नहीं।

15 जिस यूनानी शब्द पोरनिया का अनुवाद “व्यभिचार” किया गया है, उसके अर्थ में कई बातें शामिल हैं। इसका मतलब है, ऐसे दो लोगों के बीच लैंगिक संबंध जो पति-पत्नी नहीं हैं, और लैंगिक अंगों का दुरुपयोग। पोरनिया में ऐसे कई काम शामिल हैं जैसे मुख मैथुन, गुदा मैथुन और दूसरे व्यक्‍ति का हस्तमैथुन। जो लोग सोचते हैं कि ऐसे काम “व्यभिचार” में शामिल नहीं हैं, वे अपने आपको धोखा दे रहे हैं और शैतान के बिछाए एक फँदे में फँस चुके हैं। (2 तीमुथियुस 2:26) इसके अलावा, पवित्रता बनाए रखने में इससे भी कहीं ज़्यादा शामिल है कि एक इंसान व्यभिचार के दर्जे में आनेवाले कामों से दूर रहे। ‘व्यभिचार से भागने’ का मतलब है कि हम हर तरह की लैंगिक अशुद्धता और लुचपन से दूर रहें जो पोरनिया जैसे गंभीर पाप की तरफ ले जा सकते हैं। (इफिसियों 4:19) इस तरह हम पवित्रता बनाए रख सकेंगे।

इश्‍कबाज़ी के खतरों से दूर रहिए

16. रोमानी होना कहाँ तक सही है, और यह बाइबल में दिए गए किस उदाहरण से समझाया जा सकता है?

16 अगर हम अपनी पवित्रता बनाए रखना चाहते हैं, तो हमें एक और खतरे से खबरदार रहने की ज़रूरत है और वह है इश्‍कबाज़ी। कुछ लोग दावा करते हैं कि आशिक-मिज़ाज होना गलत नहीं, यह एक स्त्री-पुरुष के बीच की मज़ेदार नोक-झोंक है जिससे किसी को नुकसान नहीं होता। यह माना कि रोमानी होने का एक वक्‍त और जगह होती है। इसहाक और रिबका को “प्रेमालाप” करते देखा गया जिससे देखनेवालों को यह मालूम हो गया कि उनके बीच का रिश्‍ता सिर्फ भाई-बहन का नहीं है। (उत्पत्ति 26:7-9, NHT) मगर यह मत भूलिए कि वे पति-पत्नी थे। उनके लिए एक-दूसरे से प्यार का इज़हार करना सही था। लेकिन इश्‍कबाज़ी इस दायरे में नहीं आती।

17. इश्‍कबाज़ी क्या है, और इस समस्या पर कैसे काबू पाया जा सकता है?

17 इश्‍कबाज़ी की इस तरह परिभाषा दी जा सकती है: किसी से यूँ ही प्यार जताना जबकि उससे शादी करने का कोई इरादा न हो। इंसानी फितरत कोई नहीं समझ सकता इसलिए इसमें अचंभे की बात नहीं कि इश्‍कबाज़ी के तरीके भी ढेरों हैं और इनमें से कइयों को तो पहचानना भी मुश्‍किल है। (नीतिवचन 30:18, 19) इसलिए सीधे-सीधे नियम बना देने से समस्या का हल नहीं हो सकता। इसके लिए ऊँचे सिद्धांतों की ज़रूरत है यानी ईमानदारी से अपने-अपने दिलों की जाँच करना और फिर पूरे यत्न के साथ परमेश्‍वर के वचन में दिए गए उसूलों पर चलना।

18. क्या बातें कुछ लोगों को इश्‍कबाज़ी करने के लिए उकसाती हैं, और यह नुकसानदेह क्यों है?

18 अगर हम पूरी ईमानदारी से अपनी जाँच करें तो हमें यह मानना होगा कि जब विपरीत लिंग का कोई इंसान हम पर फिदा होने लगता है, तो हम फूले नहीं समाते। यह स्वाभाविक है। लेकिन क्या हम खुद इश्‍कबाज़ी की शुरूआत करते हैं ताकि दिखा सकें कि हम भी आकर्षक हैं या दूसरे का ध्यान अपनी तरफ खींच सकते हैं? अगर ऐसा है तो क्या हमने उस दुःख के बारे में सोचा है जो हमारे इस काम से दूसरे को होगा? उदाहरण के लिए, नीतिवचन 13:12 (NHT) कहता है: “आशा में विलम्ब, हृदय को उदास करता है।” अगर हम जानबूझकर किसी के साथ इश्‍कबाज़ी करते हैं, तो सामनेवाला इसे किस तरह से ले रहा है हमें पता नहीं होता। हो सकता है कि वह इसे शादी करने के इरादे से की जानेवाली मुलाकात समझे या फिर आपसे शादी करने के ख्वाब ही देखने लगे। और जब उसे पता चलेगा कि आपने महज़ उसकी भावनाओं के साथ खिलवाड़ किया है, तो वह पूरी तरह टूट सकता है। (नीतिवचन 18:14) जानबूझकर किसी की भावनाओं से खेलना क्रूरता है।

19. इश्‍कबाज़ी मसीहियों की शादी-शुदा ज़िंदगी के लिए कैसे खतरा है?

19 खासकर शादी-शुदा लोगों के साथ इश्‍कबाज़ी करने से खबरदार रहने की ज़रूरत है। किसी ऐसे इंसान पर डोरे डालना जो शादी-शुदा है या फिर एक शादी-शुदा के लिए किसी और में दिलचस्पी लेना सरासर गलत है। लेकिन दुःख की बात है कि कुछ मसीही भी इस भ्रष्ट सोच-विचार के शिकार हो गए हैं कि विपरीत लिंग के व्यक्‍ति के साथ रोमानी होने में कोई बुराई नहीं। ऐसे लोग अपने इस “दोस्त” को अपने दिल की सारी बातें बताते हैं यहाँ तक कि वे बातें भी जो उन्होंने अपने पति या पत्नी को नहीं बतायीं। ये रोमानी भावनाएँ बढ़कर ऐसे रिश्‍ते में तबदील हो जाती हैं जब इंसान भावनात्मक मदद के लिए पूरी तरह दूसरे पर निर्भर होने लगता है और ये शादी-शुदा ज़िंदगी को बरबाद कर देती हैं। शादी-शुदा जोड़े को परस्त्रीगमन के बारे में यीशु की इस चेतावनी को हमेशा याद रखना चाहिए—इसकी शुरूआत दिल से होती है। (मत्ती 5:28) इसलिए आइए हम अपने हृदय की रक्षा करें और ऐसे हालात से दूर रहें जो हमें तबाही की राह पर ले जा सकते हैं।

20. हमें अपनी पवित्रता किस तरह समझने का दृढ़-संकल्प करना चाहिए?

20 माना कि आज की इस बदचलन दुनिया में पवित्र बने रहना आसान नहीं है। लेकिन यह हमेशा याद रखिए, अपनी पवित्रता को कायम रखना आसान है लेकिन उसे एक बार खो देने पर उसे दोबारा पाना नामुमकिन है। यह सही है कि यहोवा “पूरी रीति से क्षमा” कर सकता है और सच्चा पश्‍चाताप दिखानेवाले पापियों को शुद्ध भी कर सकता है। (यशायाह 55:7) लेकिन यहोवा इश्‍कबाज़ों को उनकी अनैतिकता के बुरे अंजामों से नहीं बचाता। ऐसी अनैतिकता के अंजाम उन्हें बरसों यहाँ तक कि सारी ज़िंदगी भुगतने पड़ सकते हैं। (2 शमूएल 12:9-12) इसलिए जी-जान से अपने हृदय की रक्षा करते हुए अपनी पवित्रता बनाए रखिए। यहोवा की नज़रों में अपनी शुद्धता और पवित्रता को एक अनमोल दौलत समझिए और कभी-भी इसे मत गँवाइए!

आप क्या जवाब देंगे?

• पवित्रता क्या है, और यह क्यों इतनी अहमियत रखती है?

• हमें अपने हृदय की रक्षा कैसे कर सकते हैं?

• व्यभिचार से दूर भागने में क्या-क्या शामिल है?

• हमें इश्‍कबाज़ी से क्यों दूर रहना चाहिए?

[अध्ययन के लिए सवाल]

[पेज 11 पर तसवीर]

अगर एक कार को सही तरह न चलाया जाए, तो यह एक खतरनाक ज़रिया बन सकती है

[पेज 12 पर तसवीर]

अगर हम चेतावनियों को नज़रअंदाज़ करें, तो क्या हो सकता है?

[पेज 13 पर तसवीर]

शादी से पहले की मुलाकातों में पवित्रता बनाए रखने से खुशियाँ मिलती हैं और इससे यहोवा का आदर होता है