न्याय का दिन और उसके पश्‍चात्‌ का समय

न्याय का दिन और उसके पश्‍चात्‌ का समय

अध्याय २१

न्याय का दिन और उसके पश्‍चात्‌ का समय

१. न्याय के दिन के विषय में सामान्य दृष्टिकोण क्या है?

न्याय का दिन आपके मन में क्या चित्र उत्पन्‍न करता है? कुछ लोग एक बड़े सिंहासन की कल्पना करते हैं जिसके सामने उन व्यक्‍तियों की जो मृतकों में से जी उठाये गये हैं, एक लंबी कतार है। प्रत्येक व्यक्‍ति जो उस सिंहासन के सामने से गुजरता है उसका उसके उन पिछले कार्यों के आधार पर न्याय होता है जो सब न्यायाधीश की पुस्तक में लिखे हुए हैं। उन कार्यों के आधार पर जो उसने किये हैं वह व्यक्‍ति स्वर्ग को या एक अग्निमय नरक में भेज दिया जाता है।

२. (क) किसने न्याय के दिन का प्रबन्ध किया है? (ख) किसको उसने न्यायाधीश के रूप में नियुक्‍त किया है?

तथापि बाइबल न्याय के दिन का एक अति भिन्‍न चित्र देती है। यह वह दिन नहीं है जिससे भयभीत हुआ जाये या डरा जाये। ग़ौर कीजिये कि बाइबल परमेश्‍वर के विषय में क्या कहती है: “उसने एक दिन ठहराया है जिसमें वह उस मनुष्य के द्वारा जिसे उसने नियुक्‍त किया है, धार्मिकता में सारी बसी हुई पृथ्वी का न्याय करेगा।” (प्ररितों के काम १७:३१) परमेश्‍वर द्वारा नियुक्‍त यह न्यायाधीश निःसन्देह यीशु मसीह है।

३. (क) हम क्यों निश्‍चित हो सकते हैं कि मसीह अपने न्याय में निष्पक्ष होगा? (ख) किस आधार पर लोगों का न्याय होगा?

हम इस विषय में निश्‍चित हो सकते हैं कि मसीह अपने न्याय में निष्पक्ष और यथोचित होगा। यशायाह ११:३, ४ में उसके संबंध में दी गयी भविष्यवाणी हमें इस विषय में आश्‍वासन देती है। इसलिये सामान्य राय के विपरीत, वह व्यक्‍तियों का न्याय उनके पिछले पापों के आधार पर नहीं करेगा जिनसे अनेक पाप अनजाने में हो गये थे। बाइबल व्याख्या करती है कि मृत्यु पर एक व्यक्‍ति प्रत्येक प्रकार के पाप से जो उसने किये हैं, स्वतंत्र हो जाता है या छुटकारा प्राप्त कर लेता है। वह यह कहती है: “वह जो मर गया, अपने पाप से मुक्‍त हो गया।” (रोमियों ६:७) इसका यह अर्थ है कि जब एक व्यक्‍ति जी उठाया जाता है तो उसका न्याय उन कार्यों के आधार पर होगा जो वह न्याय के दिन के दौरान करता है, न कि उन कार्यों के आधार पर जो उसने मरने से पहले किये थे।

४. (क) न्याय का दिन कितना लंबा होगा? (ख) कौन मसीह के संगी न्यायाधीश होंगे?

न्याय का दिन, इसलिये, आक्षरिक २४ घंटों का दिन नहीं है। बाइबल इस बात को स्पष्ट करती है जब वह उन लोगों के विषय में कहती है जो न्याय का कार्य करने में यीशु मसीह के सहभागी होंगे। (१ कुरिन्थियों ६:१-३) बाइबल लेखक कहता है: “फिर मैंने सिंहासन देखे और वहाँ वे लोग थे जो उन पर बैठ गये और उनको न्याय करने का अधिकार दिया गया।” ये न्यायाधीश मसीह के वफ़ादार अभिषिक्‍त अनुयायी हैं जैसा कि बाइबल आगे यह कहती है: “वे जीवित हो गये और राजा बनकर मसीह के साथ एक हज़ार वर्ष तक शासन करते रहे।” अतः न्याय का दिन १००० वर्ष लंबा समय होगा। यह वही १,००० वर्षों की अवधि है, जिसके दौरान मसीह और उसके १४४,००० वफ़ादार अभिषिक्‍त अनुयायी “नये आकाश” बनकर “नयी पृथ्वी” के ऊपर शासन करेंगे।—प्रकाशितवाक्य २०:४, ६; २ पतरस ३:१३.

५, ६. (क) बाइबल भजनों के लेखक ने न्याय के दिन का वर्णन कैसे किया है? (ख) न्याय के दिन के दौरान पृथ्वी पर किस प्रकार का जीवन होगा?

इन पृष्ठों पर दृष्टि डालिये। वे इस बात का कुछ आभास देते हैं कि न्याय का दिन मानवजाति के लिये कितना अत्युत्तम समय होगा। बाइबल की पुस्तक भजनसंहिता के लेखक ने उस शानदार समय के विषय में लिखा है: “मैदान और जो कुछ उस में है वह प्रफुल्लित हो। उसी समय वन के सारे वृक्ष यहोवा के सम्मुख जयजयकार करें। क्योंकि वह आ गया है वह पृथ्वी का न्याय करने आया है। वह धार्मिकता से उपजाऊ भूमि का और वफ़ादारी से सब लोगों का न्याय करेगा।”—भजन संहिता ९६:१२, १३.

न्याय के दिन के दौरान वे जो आरमागेदोन से बच निकलते हैं, पृथ्वी को परादीस बनाने का कार्य करेंगे। इस परादीस में मरे हुओं का पुनः स्वागत होगा। (लूका २३:४३) उस समय कितनी खुशी होगी जब वे परिवार जो मृत्यु के कारण अर्से से एक दूसरे से अलग थे, फिर एक दूसरे से मिल जायेंगे! हाँ, शांति में रहना, अच्छे स्वास्थ्य का आनन्द उठाना और परमेश्‍वर के उद्देश्‍यों के संबंध में शिक्षा प्राप्त करना कितना सुखदायक होगा! बाइबल कहती है: “जब तेरी ओर से पृथ्वी के लिये न्याय के कार्य प्रकट होते हैं तो उपजाऊ भूमि के निवासी अवश्‍य धार्मिकता सीखेंगे।” (यशायाह २६:९) न्याय के दिन सब लोग यहोवा के विषय में शिक्षा प्राप्त करेंगे। और उनको उसकी आज्ञाओं का पालन करने और उसकी सेवा करने का प्रत्येक अवसर दिया जायेगा।

७. न्याय के दिन के दौरान उन लोगों का क्या होगा जो परमेश्‍वर की सेवा करना पसन्द करते हैं और उन लोगों का क्या होगा जो ऐसा करने से इन्कार करते हैं?

इस प्रकार की परादीस संबंधी परिस्थितियों के अधीन यीशु मसीह और उसके १४४,००० संगी राजा मानवजाति का न्याय करेंगे। वे लोग जो यहोवा की सेवा करने को चुनते हैं, वे अनन्त जीवन प्राप्त करने की स्थिति में होंगे। परन्तु, इन अत्युत्तम परिस्थितियों के अधीन भी कुछ लोग ऐसे होंगे जो परमेश्‍वर की सेवा करने से इन्कार करेंगे। जैसा कि पवित्र शास्त्र कहते हैं: “यद्यपि दुष्ट पर दया भी की जाय तो भी वह धार्मिकता को नहीं सीखेगा। सच्चाई के देश में वह कुटिलता के कार्य करेगा।” (यशायाह २६:१०) अतः इस प्रकार के दुष्टों को अपने तरीके बदलने और धार्मिकता सीखने के पूर्ण अवसर देने के बाद नष्ट किया जायेगा। इनमें कुछ व्यक्‍तियों के न्याय के दिन की समाप्ति से पहले मृत्यु होगी। (यशायाह ६५:२०) उनको परादीस रूपी पृथ्वी का भ्रष्ट अथवा बरबाद करने के लिये रहने की अनुमति नहीं दी जायेगी।

८. सदोम नगर के पुरुषों की नैतिक दशा क्या थी?

यहोवा के महान न्यायदिन के दौरान पृथ्वी पर पुनरुत्थान प्राप्त करना वास्तव में एक उच्च विशेषाधिकार होगा। तथापि, बाइबल यह सूचित करती है कि यह ऐसा विशेषाधिकार होगा जो सबको प्राप्त नहीं होगा। उदाहरणतया, प्राचीन सदोम नगर के निवासियों पर विचार कीजिए। बाइबल कहती है कि सदोम नगर के पुरुष “उन पुरुषों के साथ” यौन सम्बन्ध रखने के इच्छुक थे, जो लूत के अतिथि थे। उनका अनैतिक व्यवहार चरमसीमा पर पहुँच गया था कि जब वे आश्‍चर्यजनक रीति से अंधे कर दिए गए, तब भी वे लूत के अतिथियों के साथ मैथुन करने के लिए इतने इच्छुक थे कि वे उस घर के “द्वार को ढूंढ़ते रहे और थक गए।”—उत्पत्ति १९:४-११.

९, १०. सदोम नगर के दुष्ट व्यक्‍तियों के पुनरुत्थान की प्रत्याशा के विषय में पवित्र शास्त्र क्या सूचित करता है?

क्या इस प्रकार के अति दुष्ट व्यक्‍तियों को परमेश्‍वर के न्यायदिन के दौरान पुनरुत्थान प्राप्त होगा? पवित्रशास्त्र से यह सूचित होता है कि स्पष्टतया इस प्रकार के व्यक्‍तियों को पुनरुत्थान प्राप्त नहीं होगा। उदाहरणतया यीशु के यहूदा नामक शिष्य ने, जो पवित्र आत्मा द्वारा प्रेरित था, पहले उन स्वर्गदूतों के विषय में लिखा जिन्होंने मनुष्य की पुत्रियों से मैथुन करने के लिए स्वर्ग में अपने निवासस्थान को छोड़ दिया। इसके पश्‍चात्‌ उसने लिखा: “कि जिस रीति से सदोम और अमोरा और उनके आसपास के नगर जो उनकी तरह हद से ज्यादा व्यभिचारी हो गए थे और अप्राकृतिक प्रयोग के लिए पराये शरीर के पीछे लग गए थे, हमारे सम्मुख चेतावनी के रूप में, अनन्त अग्नि के न्यायिक दण्ड में पड़कर दृष्टान्त ठहरे हैं।” (यहूदा ६, ७; उत्पत्ति ६:१, २) हाँ अपनी अति अनैतिकता के कारण सदोम और उसके आसपास नगरों के निवासियों का ऐसा पूर्ण विनाश हुआ कि उनका पुनरुत्थान स्पष्टतया कभी न होगा।—२ पतरस २:४-६, ९, १०अ.

१० यीशु ने भी यही सूचित किया कि सदोम नगर के निवासियों का पुनरुत्थान सम्भव न हो। जब उसने कफ़रनहूम नगर का ज़िक्र किया जो उन नगरों में एक था जहाँ उसने चमत्कार किए थे, तो उसने कहा: “जो सामर्थ्यपूर्ण कार्य तुझमें [कफ़रनहूम] किए गए हैं, यदि वे सदोम में किए जाते, तो वह आज तक बना रहता। परिणामितः मैं तुम लोगों से कहता हूँ, कि न्याय के दिन तुम्हारी दशा की अपेक्षा सदोम के देश की दशा ज्यादा सहनयोग्य होगी।” (मत्ती ११:२२-२४) यीशु यहाँ कफ़रनहूम के लोगों की निन्दनीय दशा की गम्भीरता पर ज़ोर दे रहा था, जब उसने यह कहा कि प्राचीन सदोम नगर के निवासियों की दशा ज्यादा सहनयोग्य होगी, क्योंकि इस्राएली श्रोतागण पूर्ण रूप से उनको न्याय के दिन पुनरुत्थान प्राप्त करने के योग्य नहीं समझते थे।

११. न्याय के दिन “अधर्मियों” में किसी भी व्यक्‍ति की अपेक्षा “धर्मियों” की स्थिति ज्यादा आसान क्यों होगी?

११ निश्‍चय रूप से, हमें अपने जीवन में ऐसे कार्य करने का पूर्ण प्रयत्न करना चाहिए जिससे हम पुनरुत्थान प्राप्त करने के योग्य ठहरें। परन्तु यह प्रश्‍न फिर भी पूछा जा सकता है: क्या मरे हुओं में से कुछ व्यक्‍तियों के लिए, जो पुनरुत्थान प्राप्त करेंगे, अन्य पुनरुत्थान प्राप्त व्यक्‍तियों की अपेक्षा धार्मिकता सीखना और उसे व्यवहार में लाना अधिक कठिन सिद्ध होगा? इस बात पर गौर कीजिए: अपनी मृत्यु से पहले इब्राहीम, अयूब, दबोरा, रूत और दानिय्येल नामक जैसे धर्मी व्यक्‍ति, सब मसीहा के आने की राह देखते थे। न्याय के दिन इस विषय में जानकारी प्राप्त करके उन्हें कितनी खुशी होगी कि मसीह स्वर्ग में राज्य कर रहा है! इसलिए उस समय “अधर्मियों” की अपेक्षा जो पुनरुत्थान प्राप्त करेंगे इन “धर्मी” व्यक्‍तियों के लिए धार्मिकता को व्यवहार में लाना ज्यादा आसान होगा।—प्रेरितों के काम २४:१५.

“जीवन” का और “न्याय” का पुनरुत्थान

१२. यूहन्‍ना ५:२८-३० के अनुसार कौन “जीवन का पुनरुत्थान” और “न्याय का पुनरुत्थान” प्राप्त करते हैं?

१२ न्याय के दिन जो परिस्थिति होगी उसका वर्णन करते हुए यीशु ने कहा: “वे जो स्मारक कब्रों में हैं उसकी आवाज़ सुनेंगे और बाहर निकल आयेंगे, वे जिन्होंने अच्छे कार्य किये जीवन के पुनरुत्थान के लिये जी उठेंगे, वे जिन्होंने बुरे कार्य किये न्याय के पुनरुत्थान के लिये जी उठेंगे . . . जैसे मैं सुनता हूँ वैसा मैं न्याय करता हूँ; मेरा जो न्याय है वह धार्मिक है क्योंकि मैं अपनी इच्छा नहीं बल्कि अपने भेजने वाले की इच्छा चाहता हूँ।” (यूहन्‍ना ५:२८-३०) यह “जीवन का पुनरुत्थान” क्या है, और “न्याय का पुनरुत्थान” क्या है? और कौन हैं जो उनको प्राप्त करते हैं?

१३. एक व्यक्‍ति का “जीवन का पुनरुत्थान” प्राप्त करने का अभिप्राय क्या है?

१३ हम स्पष्ट रूप से देख चुके हैं कि जब मरे हुए कब्रों से बाहर निकलते हैं तो उनका न्याय उनके पिछले कर्मों के आधार पर नहीं होता है। इसकी अपेक्षा, उनका न्याय उन कार्यों के आधार पर होता है जो वे न्याय के दिन के दौरान करते हैं। अतः जब यीशु ने उन लोगों का ज़िक्र किया था “जिन्होंने अच्छे कार्य किये थे” और “जिन्होंने बुरे कार्य किये थे” तो वह उन अच्छे कामों और बुरे कामों की ओर इशारा कर रहा था जो वह न्याय के दिन के दौरान करेंगे। उन अच्छे कामों के कारण जो वे करते हैं जी उठाये गये व्यक्‍तियों में अनेक १००० वर्ष लंबे न्याय के दिन की समाप्ति तक पूर्णता की ओर उन्‍नति करते जायेंगे। इस प्रकार मरे हुओं में से उनकी वापसी उनके लिये “जीवन का पुनरुत्थान” सिद्ध होगी क्योंकि वे पाप किये बिना सिद्ध जीवन प्राप्त कर लेंगे।

१४. एक व्यक्‍ति का “न्याय का पुनरुत्थान” प्राप्त करने का अभिप्राय क्या है?

१४ दूसरी ओर उन व्यक्‍तियों का क्या होगा जिन्होंने न्याय के दिन के दौरान ‘दुष्ट अथवा बुरे कार्य’ किये थे? मरे हुओं में से उनकी वापसी उनके लिये “न्याय का पुनरुत्थान” सिद्ध होगी। इसका क्या अर्थ है? इसका यह अर्थ है कि उनके हक़ में जो न्याय होता है वह मृत्यु की दंडाज्ञा है। अतः ये व्यक्‍ति न्याय के दिन के दौरान या उसकी समाप्ति पर नष्ट किये जायेंगे। कारण यह है कि वे बुरे काम करते हैं; वे हठपूर्वक धार्मिकता सीखने और उसे कार्यान्वित करने से इन्कार करते हैं।

न्याय का दिन कब प्रारम्भ होता है

१५. न्याय के दिन के प्रारंभ से तुरन्त पहले क्या घटित होता है?

१५ प्रेरित यूहन्‍ना ने दर्शन में देखा था कि न्याय के दिन से तुरन्त पहले क्या घटित होता है। उसने लिखा: “फिर मैंने एक बड़ा श्‍वेत सिंहासन और उसको जो उसपर बैठा हुआ है, देखा। उसके सामने से पृथ्वी और आकाश भाग गये . . . फिर मैंने छोटे-बड़े सब मरे हुओं को सिंहासन के सामने खड़े हुए देखा . . . और उनके कामों के अनुसार उनका न्याय किया गया।” (प्रकाशितवाक्य २०:११, १२) अतः जब न्याय के दिन का प्रारंभ होता है तो उससे पहले यह वर्तमान रीति-व्यवहार जो “पृथ्वी और आकाश” से बना है, जाता रहेगा। केवल वही व्यक्‍ति जो परमेश्‍वर की सेवा करते हैं आरमागेदोन से बच निकलेंगे जबकि सब दुष्ट लोग नष्ट हो जायेंगे।—१ यूहन्‍ना २:१७.

१६. (क) मृतकों के अतिरिक्‍त वे कौन हैं जिनका न्याय के दिन न्याय किया जायेगा? (ख) किसके अनुसार उनका न्याय किया जायेगा?

१६ इस प्रकार न्याय के दिन के दौरान केवल जी उठाये गये “मरे हुओं” का न्याय नहीं होगा। “जीवित लोगों” का जो आरमागेदोन से बच निकलते हैं और उनके बच्चों का भी जो शायद उनके हों, न्याय होगा। (२ तीमुथियुस ४:१) अपने दर्शन में यूहन्‍ना ने देखा कि उनका न्याय कैसे होगा। उसने लिखा: “और दस्तावेज़ खोले गये।” “और जैसा उन दस्तावेज़ों में लिखा हुआ था उसके आधार पर मरे हुओं का उनके कामों के अनुसार न्याय किया गया। और समुद्र ने उन मरे हुओं को जो उसमें थे, दे दिया और मृत्यु और हेडीस ने उन मरे हुओं को जो उनमें थे, दे दिया और उनमें से हरेक के कामों के अनुसार उनका न्याय किया गया।”—प्रकाशितवाक्य २०:१२, १३.

१७. वे “दस्तावेज” क्या हैं जिनके आधार पर “जीवित लागों का” और “मरे हुओं” का न्याय किया जायेगा?

१७ वे “दस्तावेज़” क्या हैं जो खोले गये जिनके आधार पर “मरे हुओं” का और “जीवित लोगों” का भी न्याय किया गया? प्रत्यक्षतः वे हमारी वर्तमान पवित्र बाइबल के अतिरिक्‍त दस्तावेज़ होंगे। ये वे उत्प्रेरित लेख और पुस्तकें हैं जिनमें यहोवा के नियम और आदेश दिये हुए हैं। इनको पढ़कर पृथ्वी पर सब लोगों को परमेश्‍वर की इच्छा का ज्ञान हो जायेगा। तब इन “दस्तावेज़ों” में दिये गये नियमों और आदेशों के आधार पर पृथ्वी पर प्रत्येक व्यक्‍ति का न्याय किया जायेगा। वे जो इनमें लिखी हुई बातों का पालन करते हैं मसीह के छुड़ौती बलिदान का लाभ प्राप्त करेंगे और वे शनैः शनैः मानव पूर्णता की ओर बढ़ते जायेंगे।

१८. (क) न्याय के दिन की समाप्ति पर क्या परिस्थिति होगी? (ख) १००० वर्ष की समाप्ति पर किस अर्थ में “मरे हुए” जीवित किये जाते हैं?

१८ एक हज़ार वर्ष लंबे न्याय के दिन की समाप्ति पर पृथ्वी पर कोई भी आदम के पाप के कारण मृत अवस्था में नहीं रहेगा। वास्तविक रूप से, पूर्णतम अर्थ में प्रत्येक व्यक्‍ति जीवित हो चुका होगा। इसी अवस्था की ओर बाइबल संकेत करती है जब वह यह कहती है: “जब तक हज़ार वर्ष पूरे न हुए तब तक शेष मरे हुए [१४४,००० व्यक्‍ति जो स्वर्ग जाते हैं, उनके अतिरिक्‍त] व्यक्‍ति नहीं जीवित किए गए।” (प्रकाशितवाक्य २०:५) “शेष मरे हुए” व्यक्‍तियों का जो संदर्भ यहाँ दिया गया है उसका यह अर्थ नहीं है कि ये अन्य व्यक्‍ति १००० वर्ष लंबे न्याय के दिन की समाप्ति पर जी उठाये जाते हैं। इसकी अपेक्षा, इसका यह अर्थ है कि सब व्यक्‍ति इस अर्थ में जीवित होते हैं कि वे अन्ततः मानव पूर्णता को प्राप्त कर लेते हैं। जैसे आदम और हव्वा अदन के उद्यान में सिद्ध अवस्था में थे, वे भी उसी प्रकार की सिद्ध अवस्था में होंगे। तब क्या होगा?

न्याय के दिन के पश्‍चात्‌

१९. न्याय के दिन की समाप्ति पर मसीही क्या करता है?

१९ यीशु मसीह जब वह सब कुछ कर चुका होगा जो परमेश्‍वर ने उसे करने के लिये दिया था तब वह अपने “परमेश्‍वर और पिता को राज्य सुपुर्द करता है।” वह यह १००० वर्ष लंबे न्याय के दिन की समाप्ति पर करेगा। तब तक सब शत्रु रास्ते से हटा दिये जायेंगे। इनमें अन्तिम शत्रु जो हटाया जायेगा वह आदम से विरासत में पायी गयी मृत्यु है। वह नष्ट की जायेगी! तब राज्य यहोवा परमेश्‍वर की संपत्ति होगी। तब वह राजा बनकर सीधे रूप से शासन करेगा।—१ कुरिन्थियों १५:२४-२८.

२०. (क) यह निर्णय करने के लिए कि किन व्यक्‍तियों के नाम “जीवन की पुस्तक” में लिखे जायें, यहोवा क्या करेगा? (ख) मानवजाति के लिए एक अंतिम परीक्षा क्यों उपयुक्‍त है?

२० यहोवा कैसे इस बात का निर्णय करेगा कि किन व्यक्‍तियों के नाम “जीवन के दस्तावेज़” अथवा “जीवन की पुस्तक” में लिखे जायें? (प्रकाशितवाक्य २०:१२, १५) यह निर्णय मानवजाति की परीक्षा द्वारा होगा। याद कीजिए कि आदम और हव्वा इसी प्रकार की परीक्षा में असफल रहे थे और अय्यूब ने जब उसकी परीक्षा हुई अपनी अखंडता को कायम रखा। परन्तु अधिकतर मनुष्यों के विश्‍वास की जो १००० वर्षों के अन्त तक जीवित रहते हैं, कभी परीक्षा नहीं ली गयी थी। अपने जी उठने से पहले वे यहोवा के उद्देश्‍यों के प्रति अनजान थे। वे शैतान के दुष्ट रीति-व्यवहार का भाग थे; वे “अधर्मी” थे। तब उनके जी उठने के पश्‍चात्‌ उनके लिये यहोवा की सेवा करना इसलिये आसान था क्योंकि वे परादीस में इबलीस की ओर से किसी प्रकार के विरोध का अनुभव किये बिना रहते थे। परन्तु क्या ये अरबों की तादाद में मनुष्य जो उस समय सिद्ध अवस्था में होंगे, यहोवा की सेवा करेंगे यदि शैतान को उन्हें ऐसा करने से रोकने का प्रयत्न का अवसर दिया जाये? क्या शैतान उनके साथ वही कर सकता है जो उसने सिद्ध आदम और हव्वा के साथ किया था?

२१. (क) यहोवा मनुष्यों की परीक्षा कैसे लेगा? (ख) जब परीक्षा पूरी हो जाती है तो उन सबका क्या होगा जो इसमें अन्तर्ग्रस्त थे?

२१ इन प्रश्‍नों का फैसला करने के लिये यहोवा शैतान और उसके पिशाचों को उस अथाह गड्ढे से निकलने की अनुमति देता है जहाँ वे १००० वर्ष के लिये बंद थे। इसका परिणाम क्या होता है? बाइबल प्रदर्शित करती है कि शैतान कुछ व्यक्‍तियों को परमेश्‍वर की सेवा करने से विमुख करने में सफल होता है। ये व्यक्‍ति “समुद्र के किनारे की रेत” के समान होंगे जिसका अर्थ यह है कि उनकी संख्या अनिर्णीत है। जब यह परीक्षा कार्यान्वित हो जाती है तो उसके पश्‍चात्‌ शैतान और उसके पिशाच और वे व्यक्‍ति भी जो इस परीक्षा में सफल नहीं होते हैं लाक्षणिक “आग की झील” में फेंके जाते हैं जिसका अर्थ दूसरी (अनन्त) मृत्यु है। (प्रकाशितवाक्य २०:७-१०, १५) परन्तु वे व्यक्‍ति जिनके नाम “जीवन की पुस्तक” में लिखे पाये गये, महिमावान पार्थिव परादीस में जीवित रहेंगे। “जीवन की पुस्तक” में उनके नाम लिखे जाने का यह अर्थ है कि यहोवा उनको हृदय, मन और शरीर में पूर्ण रूप से धर्मी ठहराता है और इस प्रकार वे पृथ्वी पर परादीस में सर्वदा जीवित रहने के योग्य हैं।

वर्तमान न्याय का दिन

२२. न्याय का दिन और मानवजाति पर अंतिम परीक्षा देखने हेतु जीवित रहने के लिए हमें अब किससे बच निकलना आवश्‍यक है?

२२ अतः बाइबल भविष्य में १००० वर्ष से अधिक समय की घटनाओं के विषय में सूचना देती है। और वह यह प्रदर्शित करती है कि जो भविष्य हमारे सामने है उससे डरने का कोई कारण नहीं। परन्तु प्रश्‍न यह है: क्या आप वहाँ उन अच्छी वस्तुओं का आनन्द लेने के लिये मौजूद होंगे जो यहोवा परमेश्‍वर ने आपके लिये सुरक्षित रखी है? यह इस बात पर निर्भर होगा कि क्या आप इससे पहले के न्याय के दिन से अर्थात्‌ वर्तमान “न्याय के दिन और भक्‍तिहीन मनुष्यों के विनाश” से बच निकलते हैं।—२ पतरस ३:७.

२३. (क) किन दो वर्गों में लोग अलग किए जा रहे हैं? (ख) प्रत्येक वर्ग का क्या होगा और क्यों?

२३ हाँ, जबसे मसीह की वापसी हुई और वह स्वर्गीय सिंहासन पर विराजमान है सारी मानवजाति न्याय के अधीन है। यह वर्तमान “न्याय का दिन”, १००० वर्ष लंबे न्याय के दिन के प्रारंभ होने से पहले आता है। वर्तमान न्याय के समय के दौरान लोग मसीह के बायें हाथ “बकरियों” के रूप में या उसके दायें हाथ “भेड़” के रूप में अलग किये जा रहे हैं। “बकरियाँ” रूपी व्यक्‍ति इसलिये नष्ट किये जायेंगे क्योंकि वे मसीह के अभिषिक्‍त “भाइयों” की परमेश्‍वर के प्रति उनकी सेवा में सहायता देने में असफल रहते हैं। समय आने पर ये बकरी रूपी व्यक्‍ति अपने आपको पश्‍चाताप न करनेवाले पापी और दुष्ट व्यक्‍ति प्रदर्शित करते हैं जो अधार्मिकता के कार्य करते रहने से कठोर हो गये हैं। और दूसरी ओर “भेड़” रूपी व्यक्‍तियों को राजकीय शासन के अधीन जीवन की आशीष मिलेगी क्योंकि वे मसीह के “भाइयों” को हर तरह से समर्थन करते हैं।—मत्ती २५:३१-४६.

[अध्ययन के लिए सवाल]

[पेज १७८ पर तसवीरें]

यीशु ने क्यों कहा था कि न्याय के दिन सदोम नगर के निवासियों की स्थिति ज्यादा सहनयोग्य होगी?