सुकून जैसे इक शांत बहती नदी
1. उम्मीदों की अब लौ है बुझ रही,
ना मिलता सुकून दो पल का कहीं।
तूफाँ से लड़ती कश्ती मेरी,
साहिल मेरा यहोवा तू ही।
(कोरस)
मिले सुकून मुझे ऐसा,
सावन की इक फुहार सा।
वफा करेगा याह,
सुनेगा वो मेरी दुआ,
देगा साथ सदा।
मिलेगा सुकून, हो जैसे
इक शांत बहती नदी।
2. यहोवा से करता रह दुआ,
रखेगा महफूज़ वो हर लम्हा।
तेरे लिए उसका अटल है प्यार,
बस उस पर करना ऐतबार।
(कोरस)
मिले सुकून मुझे ऐसा,
सावन की इक फुहार सा।
वफा करेगा याह,
सुनेगा वो मेरी दुआ,
देगा साथ सदा।
मिलेगा सुकून, हो जैसे
इक शांत बहती नदी।
(कोरस)
मिले सुकून मुझे ऐसा,
सावन की इक फुहार सा।
वफा करेगा याह,
सुनेगा वो मेरी दुआ,
देगा साथ सदा।
मिलेगा सुकून, हो जैसे
इक शांत बहती नदी।