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बस चार कदम आगे

बस चार कदम आगे
  1. 1. चिड़ियों का चहचहाना,

    मीठे गाने जैसा।

    मौसम भी है सुहाना,

    मधम-मधम चलती हवा।

    जिनको था तुमने खोया,

    उनका करना स्वागत।

    फिरदौस में ज़िंदगी,

    थी बस चार कदम आगे।

  2. 2. देखो वादी में इक घर है,

    छोटा-सा आशियाँ।

    पास ही में इक नदी भी,

    कल-कल बहती रहती सदा।

    फसलें भी लहलहाती,

    कटनी का है समाँ।

    ये सुनहरे दिन और रात,

    थे बस चार कदम आगे।

    (खास पंक्‍तियाँ)

    थी जो भी आस, है अब वो पास

    अरमाँ पूरे हुए सभी।

    आँसू न दर्द होते यहाँ,

    लौट आयी है जवानी भी।

  3. 3. खुशियों का है नज़ारा,

    खुशबू फिज़ाओं में।

    जो पुकारो दोस्तों को,

    चले आएँगे बस पल भर में।

    हैं यहोवा के करम ये,

    उसकी मेहरबानी।

    हाँ ये आशीषें सारी,

    थीं बस चार कदम आगे।

    (खास पंक्‍तियाँ)

    जो देखूँ मैं सूरत तेरी,

    याद आए बीते दिन मेरे।

    सपना मेरा बस था यही

    कि बाँहों में हो तू मेरी।

  4. 4. बस चार कदम आगे,

    है इक नयी दुनिया।

    ये यहोवा का है वादा,

    हर हाल में होगा ये पूरा।

    मन की आँखों से ये देखूँ,

    होता मुझको यकीं।

    था जिस दिन का इंतज़ार,

    है बस चार कदम आगे।