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परमेश्‍वर के वचन का इस्तेमाल कीजिए—यह जीवित है!

परमेश्‍वर के वचन का इस्तेमाल कीजिए—यह जीवित है!

“परमेश्‍वर का वचन जीवित है और ज़बरदस्त ताकत रखता है।”—इब्रा. 4:12.

1, 2. (क) यहोवा ने मूसा से क्या करने के लिए कहा? (ख) यहोवा ने उससे क्या वादा किया?

 कल्पना कीजिए कि आपको परमेश्‍वर के लोगों की तरफ से इस दुनिया के सबसे ताकतवर राजा से बात करने के लिए चुना जाता है। ऐसे में आपको कैसा महसूस होगा? शायद आप घबरा जाएँ और सोचें कि आपसे यह नहीं होगा। आप उससे बात करने के लिए कैसे तैयारी करेंगे? क्या आप परमेश्‍वर की तरफ से भेजे गए जन के तौर पर अधिकार के साथ बात कर पाएँगे?

2 मूसा ने ठीक ऐसे ही हालात का सामना किया था। वह “पृथ्वी भर के रहने वाले सब मनुष्यों से बहुत अधिक नम्र स्वभाव का था।” (गिन. 12:3) लेकिन यहोवा ने उसे फिरौन से बात करने के लिए भेजा था, जो एक बहुत ही कठोर और मगरूर इंसान था। यहोवा ने मूसा से कहा कि वह जाकर फिरौन को यह आदेश दे कि वह परमेश्‍वर के लाखों लोगों को गुलामी की बेड़ियों से आज़ाद कर दे। (निर्ग. 5:1, 2) हम समझ सकते हैं कि मूसा ने यहोवा से क्यों पूछा होगा: “मैं कौन हूं जो फ़िरौन के पास जाऊं, और इस्राएलियों को मिस्र से निकाल ले आऊं?” मूसा को शायद लगा होगा कि वह फिरौन से बात नहीं कर पाएगा। लेकिन यहोवा ने मूसा से वादा किया कि वह अकेला नहीं है। यहोवा ने कहा: “निश्‍चय मैं तेरे संग रहूंगा।”—निर्ग. 3:9-12.

3, 4. (क) मूसा को किस बात का डर था? (ख) मूसा की तरह, शायद आप भी कभी-कभी कैसा महसूस करते हैं?

3 मूसा को किस बात का डर था? उसे डर था कि फिरौन यहोवा परमेश्‍वर की तरफ से भेजे गए जन की बात नहीं सुनेगा। मूसा को इस बात का भी डर था कि इसराएली उस पर शक करेंगे कि उन्हें मिस्र से आज़ाद कराने के लिए क्या परमेश्‍वर ने वाकई उसे चुना है। उसने यहोवा से कहा: “वे मेरी प्रतीति न करेंगे और न मेरी सुनेंगे, वरन कहेंगे, कि यहोवा ने तुझ को दर्शन नहीं दिया।”—निर्ग. 3:15-18; 4:1.

4 आपके बारे में क्या? शायद आपको कभी किसी बड़े सरकारी अफसर से बात न करनी पड़े। लेकिन क्या आपको कभी-कभी अपने इलाके के आम लोगों को भी यहोवा और उसके राज के बारे में बताना मुश्‍किल लगता है? अगर हाँ, तो यहोवा ने मूसा को जो आज्ञा दी थी और उसके बाद जो हुआ, उससे हम एक बहुत ही ज़रूरी सबक सीख सकते हैं।

“तेरे हाथ में वह क्या है?”

5. (क) यहोवा ने मूसा को क्या करने की ताकत दी? (ख) इससे मूसा को कैसे मदद मिलती? (लेख की शुरूआत में दी तसवीर देखिए।)

5 जब मूसा ने यहोवा से कहा कि उसे डर था कि लोग उसका विश्‍वास नहीं करेंगे, तो परमेश्‍वर ने मूसा को इस चुनौती का सामना करने के लिए तैयार किया। बाइबल कहती है: “यहोवा ने [मूसा] से कहा, तेरे हाथ में वह क्या है? वह बोला, लाठी। उस ने कहा, उसे भूमि पर डाल दे; जब उस ने उसे भूमि पर डाला तब वह सर्प बन गई, और मूसा उसके साम्हने से भागा। तब यहोवा ने मूसा से कहा, हाथ बढ़ाकर उसकी पूंछ पकड़ ले कि वे लोग प्रतीति करें कि . . . यहोवा ने तुझ को दर्शन दिया है। जब उस ने हाथ बढ़ाकर उसको पकड़ा तब वह उसके हाथ में फिर लाठी बन गई।” (निर्ग. 4:2-5) मूसा के हाथ में जो लाठी थी, वह परमेश्‍वर की ताकत से साँप बन गयी! इस चमत्कार से यह साबित हो जाता कि मूसा को वाकई परमेश्‍वर ने भेजा था और उसे परमेश्‍वर की तरफ से ही अधिकार मिला था। यहोवा ने उससे कहा: “तू इस लाठी को हाथ में लिए जा, और इसी से इन चिन्हों को दिखाना।” (निर्ग. 4:17) इस सबूत से मूसा को फिरौन और परमेश्‍वर के लोगों से यकीन के साथ बात करने की हिम्मत मिलती।—निर्ग. 4:29-31; 7:8-13.

6. (क) जब हम प्रचार करते हैं, तब हमारे पास क्या होना चाहिए? और क्यों? (ख) समझाइए कि कैसे “परमेश्‍वर का वचन जीवित है” और “ज़बरदस्त ताकत रखता है।”

6 जब हम परमेश्‍वर का संदेश दूसरों के साथ बाँटते हैं, तब हमारे हाथ में क्या होता है? हमारे पास बाइबल होती है और हम उसका इस्तेमाल करने के लिए बेताब होते हैं। a कुछ लोग सोचते हैं कि बाइबल महज़ एक अच्छी किताब है। लेकिन बाइबल इससे भी कहीं बढ़कर है। इसमें हमारे लिए परमेश्‍वर का संदेश दर्ज़ है। (2 पत. 1:21) इसमें परमेश्‍वर के वादे दर्ज़ हैं और यह बताती है कि उसका राज क्या करेगा। पौलुस ने लिखा: “परमेश्‍वर का वचन जीवित है और ज़बरदस्त ताकत रखता है।” (इब्रानियों 4:12 पढ़िए।) परमेश्‍वर का वचन कैसे जीवित है? यहोवा के सारे वादे धीरे-धीरे पूरे हो रहे हैं और जल्द ही वे सब-के-सब पूरे हो जाएँगे। (यशा. 46:10; 55:11) जब एक इंसान परमेश्‍वर के वचन की इन सच्चाइयों को समझ लेता है, तो वह बाइबल में जो पढ़ता है, उसका उसकी ज़िंदगी पर बहुत गहरा असर हो सकता है।

7. हम “सच्चाई के वचन को सही तरह से इस्तेमाल” कैसे कर सकते हैं?

7 यहोवा ने हमें अपना जीवित वचन, बाइबल दिया है। इसकी मदद से हम साबित कर सकते हैं कि हमारा संदेश परमेश्‍वर की तरफ से है और उस पर भरोसा किया जा सकता है। यही वजह है कि जब पौलुस तीमुथियुस को तालीम दे रहा था, तब उसने उसे बढ़ावा दिया कि वह ‘सच्चाई के वचन को सही तरह से इस्तेमाल करने में अपना भरसक करे।’ (2 तीमु. 2:15) आज हम पौलुस की सलाह को कैसे लागू कर सकते हैं? ध्यान से उन आयतों को चुनकर, जिन्हें हम दूसरों को पढ़कर सुनाएँगे। हमारा लक्ष्य है, सुननेवालों के दिलों तक पहुँचना। सन्‌ 2013 में हमें जो ट्रैक्ट मिले थे, वे इसी मकसद से तैयार किए गए थे।

ध्यान से चुनी गयी आयत पढ़िए!

8. एक सेवा निगरान ने नए ट्रैक्ट के बारे में क्या कहा?

8 सारे नए ट्रैक्ट की बनावट एक जैसी है। इसलिए जब हम एक ट्रैक्ट का इस्तेमाल करना सीख जाएँगे, तो बाकी सभी ट्रैक्ट का इस्तेमाल करना भी हमारे लिए आसान हो जाएगा। अमरीका के हवाई राज्य के एक सेवा निगरान ने लिखा: “हमें इस बात का ज़रा भी अंदाज़ा नहीं था कि ये नए औज़ार घर-घर के प्रचार में और सरेआम गवाही देने में कितने असरदार साबित होंगे।” इस भाई ने पाया है कि इन सभी ट्रैक्ट को इस तरह तैयार किया गया है कि इससे लोगों को बातचीत में शामिल करना आसान हो जाता है और इससे अकसर दिलचस्प चर्चाएँ छिड़ जाती हैं। इन सभी ट्रैक्ट के पहले पन्‍नों पर जिस तरह से सवाल और उनके अलग-अलग जवाब दिए हैं, उसकी वजह से लोगों को यह चिंता नहीं होती कि वे गलत जवाब दे देंगे, और वे अपने मन की बात बताने में ज़रा भी नहीं हिचकिचाते।

9, 10. (क) ट्रैक्ट हमें बाइबल का इस्तेमाल करने में मदद देने के लिए कैसे तैयार किए गए हैं? (ख) आपको सबसे ज़्यादा कौन-कौन-से ट्रैक्ट का इस्तेमाल करने में कामयाबी मिली है, और क्यों?

9 हर ट्रैक्ट में ध्यान से चुनी गयी एक आयत है, जो हम घर-मालिक को पढ़कर सुना सकते हैं। मिसाल के लिए, क्या दुख-तकलीफें कभी खत्म होंगी? ट्रैक्ट को ही लीजिए। घर-मालिक से ट्रैक्ट के पहले पेज पर दिया सवाल पूछिए। वह “हाँ,” “नहीं” या “पता नहीं” में से कोई एक जवाब चुन सकता है। उसका जवाब चाहे जो भी हो, पेज पलटिए और सिर्फ इतना कहिए, “देखिए बाइबल क्या कहती है।” फिर प्रकाशितवाक्य 21:3, 4 पढ़िए।

10 जब आप बाइबल के बारे में आपकी क्या राय है? ट्रैक्ट का इस्तेमाल करते हैं, तो इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि घर-मालिक तीन जवाबों में से कौन-सा जवाब चुनता है। बस ट्रैक्ट खोलिए और कहिए “बाइबल कहती है कि ‘पूरा शास्त्र परमेश्‍वर की प्रेरणा से लिखा गया है।’” इसके बाद आप चाहें, तो कह सकते हैं: “दरअसल, बाइबल में इस आयत में और इसके बाद की आयत में कुछ और भी बताया गया है।” फिर अपनी बाइबल खोलिए और 2 तीमुथियुस 3:16, 17 पढ़िए।

11, 12. (क) अपने प्रचार काम को और भी मज़ेदार बनाने के लिए आप ट्रैक्ट का इस्तेमाल कैसे कर सकते हैं? (ख) वापसी भेंट की तैयारी करने में ट्रैक्ट कैसे आपकी मदद कर सकते हैं?

11 आप शायद ट्रैक्ट से और भी पढ़ने और चर्चा करने का फैसला करें। यह इस बात पर निर्भर करेगा कि घर-मालिक कैसा रवैया दिखाता है। लेकिन लोग चाहे कैसा भी रवैया दिखाएँ, उन्हें ट्रैक्ट से संदेश मिल ही जाएगा और आप उन्हें परमेश्‍वर के वचन से कुछ-न-कुछ पढ़कर सुना चुके होंगे। अगर आप पहली मुलाकात में उन्हें सिर्फ एक या दो आयतें ही पढ़कर सुना पाते हैं, तो आप दोबारा उनके पास जा सकते हैं और बातचीत जारी रख सकते हैं।

12 हर ट्रैक्ट के पीछे एक उपशीर्षक दिया गया है: “ज़रा इस बारे में सोचिए।” इस उपशीर्षक के तहत, एक सवाल और कुछ आयतें दी गयी हैं, जिन पर वापसी भेंट के दौरान चर्चा की जा सकती है। भविष्य के बारे में आपकी क्या राय है? ट्रैक्ट के पीछे सवाल है, “परमेश्‍वर दुनिया के हालात कैसे बेहतर बनाएगा?” इस सवाल के नीचे दानिय्येल 2:44 और नीतिवचन 2:21, 22 का हवाला दिया गया है। क्या मरे हुओं को दोबारा जीवन मिलेगा? ट्रैक्ट के पीछे सवाल है, “हम क्यों बूढ़े होते हैं और मर जाते हैं?” इस सवाल के नीचे उत्पत्ति 3:17-19 और रोमियों 5:12 का हवाला दिया गया है।

13. समझाइए कि ट्रैक्ट की मदद से बाइबल अध्ययन कैसे शुरू किए जा सकते हैं।

13 ये ट्रैक्ट बाइबल अध्ययन शुरू करने के मकसद से तैयार किए गए हैं। हर व्यक्‍ति ट्रैक्ट के पीछे दिए QR कोड b को स्कैन कर सकता है, जो उसे सीधे हमारी वेब साइट पर ले जाएगा, जहाँ वह “बाइबल का अध्ययन क्यों करें?” वीडियो क्लिप देख सकता है। यह वीडियो लोगों को बाइबल अध्ययन करने का न्यौता देता है। ये ट्रैक्ट परमेश्‍वर की तरफ से खुशखबरी! ब्रोशर के बारे में भी बताते हैं। हर ट्रैक्ट में इस ब्रोशर के एक अध्याय का ज़िक्र किया गया है। मिसाल के लिए, यह दुनिया असल में किसके कब्ज़े में है? ट्रैक्ट में इस ब्रोशर के अध्याय 5 को पढ़ने का बढ़ावा दिया गया है। सुखी परिवार का राज़ क्या है? ट्रैक्ट इस ब्रोशर का अध्याय 9 पढ़ने का बढ़ावा देता है। ये ट्रैक्ट इस तरह तैयार किए गए हैं कि हम पहली मुलाकात और वापसी भेंट के दौरान बाइबल का इस्तेमाल कर सकें। इस तरह, हम और भी बाइबल अध्ययन शुरू कर सकते हैं। परमेश्‍वर के वचन का असरदार तरीके से इस्तेमाल करने के लिए आप और क्या कर सकते हैं?

ऐसे विषय पर बात कीजिए जिस बारे में लोग सोच रहे हों

14, 15. आप अपने प्रचार काम में पौलुस की मिसाल पर कैसे चल सकते हैं?

14 पौलुस की दिली तमन्‍ना थी कि वह प्रचार में “ज़्यादा-से-ज़्यादा लोगों” की सोच को समझ पाए। (1 कुरिंथियों 9:19-23 पढ़िए।) क्यों? क्योंकि वह “सब किस्म के लोगों” को, यानी यहूदियों और दूसरों को सच्चाई के बारे में सिखाना चाहता था, ताकि उनकी जान बच सके। (प्रेषि. 20:21) प्रचार के लिए तैयारी करते वक्‍त और “सब किस्म के लोगों” को गवाही देते वक्‍त हम पौलुस की मिसाल पर कैसे चल सकते हैं?—1 तीमु. 2:3, 4.

15 हर महीने हमारी राज-सेवा में कुछ सुझाव दिए जाते हैं कि कैसे हम लोगों को अपना संदेश सुना सकते हैं। उन सुझावों को आज़माकर देखिए। लेकिन तब क्या जब आपके इलाके में लोग किसी और विषय के बारे में सोच रहे हों? उनके साथ किसी ऐसे विषय पर बात करने के लिए तैयारी कीजिए, जिनमें उन्हें दिलचस्पी हो। आपके आस-पड़ोस के लोग किस बात को लेकर परेशान हैं? उस विषय से जुड़ी एक आयत चुनिए। एक सर्किट निगरान और उसकी पत्नी बताते हैं कि वे किस तरह प्रचार में बाइबल को ज़्यादा इस्तेमाल कर पाते हैं: “ज़्यादातर घर-मालिक हमें एक आयत पढ़ने की इजाज़त देते हैं, बशर्ते हम कम शब्दों में और घुमा-फिराकर नहीं, बल्कि सीधे-सीधे बात करें। दुआ-सलाम करने के बाद, हम अपनी बाइबल से एक आयत पढ़ते हैं, जो हम पहले से निकालकर रखते हैं।” अगले कुछ पैराग्राफों में कुछ विषयों, आयतों और सवालों पर चर्चा की जाएगी, जो प्रचार में असरदार साबित हुए हैं। आप चाहें तो इनमें से कुछ अपने प्रचार के इलाके में आज़माकर देख सकते हैं।

क्या आप प्रचार में बाइबल और ट्रैक्ट का असरदार तरीके से इस्तेमाल कर रहे हैं? (पैराग्राफ 8-13 देखिए)

16. समझाइए कि प्रचार में यशायाह 14:7 कैसे इस्तेमाल किया जा सकता है।

16 अगर आप ऐसे इलाके में रहते हैं, जहाँ हिंसा और अपराध बहुत आम हैं, तो आप शायद एक व्यक्‍ति से पूछ सकते हैं: “क्या आप कल्पना कर सकते हैं कि कभी अखबार के पहले पन्‍ने पर यह खबर छपी होगी, ‘सभी लोग चैन से जी रहे हैं, लोग खुशी से गा रहे हैं।’ यह बात यहाँ बाइबल में यशायाह 14:7 में बतायी गयी है। दरअसल बाइबल में परमेश्‍वर के ऐसे कई वादे दिए गए हैं, जो बताते हैं कि बहुत जल्द धरती पर शांति-भरा समय आनेवाला है।” फिर घर-मालिक से कहिए कि आप उसे इनमें से एक वादा बाइबल से पढ़कर सुनाना चाहेंगे।

17. हम बातचीत करते वक्‍त मत्ती 5:3 का कैसे इस्तेमाल कर सकते हैं?

17 क्या आपके इलाके में लोग बहुत मुश्‍किल से अपने परिवार का गुज़ारा चलाते हैं? अगर हाँ, तो आप शायद यह पूछकर बातचीत शुरू कर सकते हैं: “क्या आपको लगता है कि सिर्फ पैसा एक इंसान को खुशी दे सकता है?” घर-मालिक के जवाब देने के बाद, आप शायद कह सकते हैं: “बहुत-से लोग ऐसे हैं जिनके पास खूब पैसा है, लेकिन फिर भी वे संतुष्ट नहीं हैं। तो आपकी राय में एक इंसान को खुश रहने के लिए असल में किस चीज़ की ज़रूरत है?” फिर मत्ती 5:3 पढ़िए और बाइबल अध्ययन की पेशकश कीजिए।

18. दूसरों को दिलासा देने के लिए आप प्रकाशितवाक्य 21:4 का कैसे इस्तेमाल कर सकते हैं?

18 क्या आपके इलाके में लोग हाल ही में हुए किसी हादसे की वजह से तकलीफ में हैं? आप चाहें तो उनसे इस तरह बातचीत शुरू कर सकते हैं: “मैं आपको दिलासा देनेवाली कुछ बात बताने आया हूँ। (प्रकाशितवाक्य 21:4 पढ़िए।) क्या आपने गौर किया कि परमेश्‍वर कौन-कौन-सी चीज़ें मिटा देगा? ‘आँसू,’ ‘मौत,’ ‘मातम,’ ‘रोना-बिलखना’ और ‘दर्द।’ क्या यह जानकर हमें अच्छा नहीं लगता कि परमेश्‍वर चाहता है कि हम खुशी से रहें? मगर यह कैसे मुमकिन है?” फिर खुशखबरी ब्रोशर में विषय से जुड़ा लेख दिखाइए।

19. समझाइए कि हम ईसाइयों से बात करते वक्‍त प्रकाशितवाक्य 14:6, 7 का कैसे इस्तेमाल कर सकते हैं।

19 क्या आप एक ऐसे इलाके में रहते हैं, जहाँ कई लोग ईसाई हैं? अगर हाँ, तो शायद आप बातचीत शुरू करने के लिए यह सवाल पूछ सकते हैं: “अगर एक स्वर्गदूत आकर आपसे बात करता, तो क्या आप ध्यान देते की वह क्या कहना चाहता है? (प्रकाशितवाक्य 14:6, 7 पढ़िए।) यह स्वर्गदूत कहता है ‘परमेश्‍वर से डरो।’ आपको क्या लगता है, ‘जिसने यह आकाश और यह धरती बनायी,’ उस परमेश्‍वर का नाम क्या है?” फिर भजन 124:8 पढ़िए, जहाँ लिखा है: “यहोवा जो आकाश और पृथ्वी का कर्त्ता है, हमारी सहायता उसी के नाम से होती है।” फिर घर-मालिक से कहिए कि आपको यहोवा परमेश्‍वर के बारे में और बताने में खुशी होगी।

20. (क) नीतिवचन 30:4 का इस्तेमाल करके हम घर-मालिक को परमेश्‍वर का नाम कैसे बता सकते हैं? (ख) प्रचार में कौन-सी आयत दिखाने से आपको अच्छे नतीजे मिले हैं?

20 आप एक नौजवान के साथ इस तरह बातचीत शुरू कर सकते हैं: “मैं आपके लिए एक आयत पढ़ना चाहता हूँ, जिससे एक बहुत ही अहम सवाल उठता है। (नीतिवचन 30:4 पढ़िए।) यह सब करना किसी इंसान के बस की बात नहीं, तो बेशक यह आयत हमारे सृष्टिकर्ता के बारे में बात कर रही है। c हम उसका नाम कैसे पता लगा सकते हैं? मुझे आपको बाइबल से उसका नाम दिखाने में खुशी होगी।”

प्रचार में परमेश्‍वर के वचन की ताकत का इस्तेमाल कीजिए

21, 22. (क) ध्यान से चुनी हुई आयत कैसे एक इंसान की ज़िंदगी बदल सकती है? (ख) अपनी प्रचार सेवा में आपने क्या करने की ठानी है?

21 आप नहीं जानते कि ध्यान से चुनी हुई आयत पढ़ने से लोगों पर कैसा असर पड़ेगा। उदाहरण के लिए, ऑस्ट्रेलिया में दो साक्षियों ने एक जवान स्त्री का दरवाज़ा खटखटाया। उनमें से एक साक्षी ने स्त्री से पूछा: “क्या आपको परमेश्‍वर का नाम पता है?” और फिर भजन 83:18 पढ़कर सुनाया। वह स्त्री कहती है: “मैं हैरान रह गयी! उनके जाने के बाद, मैं गाड़ी से 56 किलोमीटर दूर एक किताब की दुकान पर गयी, ताकि दूसरे बाइबल अनुवाद देख सकूँ। फिर मैंने वह नाम एक शब्दकोश में देखा। जब मुझे यह यकीन हो गया कि परमेश्‍वर का नाम यहोवा ही है, तो मैं सोचने लगी कि मुझे और क्या-क्या बातें नहीं मालूम।” जल्द ही, यह स्त्री और उसका होनेवाला पति बाइबल का अध्ययन करने लगे और बाद में उन्होंने बपतिस्मा ले लिया।

22 परमेश्‍वर के वचन में लोगों की ज़िंदगी बदलने की ताकत है। बाइबल पढ़ने से एक इंसान का परमेश्‍वर के वादों पर विश्‍वास मज़बूत हो सकता है। यह विश्‍वास उसे सीखी हुई बातों को अपनी ज़िंदगी में लागू करने के लिए उकसाएगा। (1 थिस्सलुनीकियों 2:13 पढ़िए।) लोगों के दिलों तक पहुँचने के लिए हम चाहे कुछ भी कह लें, लेकिन जब हम बाइबल से कोई आयत पढ़कर सुनाते हैं, तो इसका उन पर ज़्यादा असर होता है। इसलिए आइए हम ठान लें कि हम प्रचार में परमेश्‍वर के वचन का ज़्यादा-से-ज़्यादा इस्तेमाल करेंगे, क्योंकि परमेश्‍वर का वचन जीवित है!

a हमारे इलाके के हालात को ध्यान में रखते हुए, इस लेख में दिए सुझावों का इस्तेमाल करते वक्‍त सूझ-बूझ से काम लीजिए।

b QR Code डेन्सो वेव इनकॉरपोरेटेड का एक पंजीकृत ट्रेडमार्क है।

c 15 मई, 2002 की प्रहरीदुर्ग का पेज 5 देखिए।