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आप अपनी आध्यात्मिक ज़रूरतें कैसे पूरी कर सकते हैं

आप अपनी आध्यात्मिक ज़रूरतें कैसे पूरी कर सकते हैं

आप अपनी आध्यात्मिक ज़रूरतें कैसे पूरी कर सकते हैं

“नौकरी की जगह पर आध्यात्मिकता की क्या अहमियत है, इस बारे में पिछले दस सालों में 300 से ज़्यादा किताबें लिखी गयीं, जैसे जीसस सी.ई.ओ. और द ताऊ ऑफ लीडरशिप। दुकानों में ऐसी किताबों की भरमार है।” यह खबर यू.एस.न्यूज़ एण्ड वर्ल्ड रिपोर्ट पत्रिका में छपी। आध्यात्मिक बातों में यह दिलचस्पी, इस बात की सिर्फ एक झलक है कि आज बहुत-से अमीर देशों में, ज़्यादा-से-ज़्यादा लोग अपनी ज़िंदगी में आध्यात्मिक मार्गदर्शन के लिए तरस रहे हैं। इस बारे में बिज़नेस पत्रिका, तालीम और विकास (अँग्रेज़ी) कहती है: “आज के इस दौर में जहाँ हमारी पूरी ज़िंदगी टैक्नोलॉजी के इशारे पर चल रही है, वहीं हम ज़िंदगी का असली मतलब और मकसद ढूँढ़ रहे हैं और सच्चा संतोष पाने की कोशिश कर रहे हैं।”

लेकिन आप सच्चा आध्यात्मिक मार्गदर्शन कहाँ से पा सकते हैं? बीते समय में ज़िंदगी का “असली मतलब” और “मकसद” जानने के लिए लोग बड़े-बड़े धर्मों पर आस लगाते थे। मगर आज बहुत-से लोगों ने इन धर्मों से मुँह फेर लिया है। ऊँचा ओहदा रखनेवाले 90 मैनेजरों और अधिकारियों का सर्वे लेने पर पता चला कि “लोग अब यह मानने लगे हैं कि धर्म और आध्यात्मिकता में बहुत बड़ा फर्क है।” यह बात तालीम और विकास पत्रिका ने कही। सर्वे में जिनसे सवाल पूछे गए, उन्होंने कहा कि धर्म “भेदभाव, नफरत और फूट पैदा करता है” जबकि आध्यात्मिकता “सारी दुनिया के साथ सहनशील होना और सबको एक-समान समझना” सिखाती है।

ऑस्ट्रेलिया, न्यू ज़ीलैंड, युनाइटेड किंगडम और यूरोप जैसे समाज में जहाँ ज़्यादातर लोग धार्मिक नहीं हैं, वहाँ के जवानों ने भी पाया है कि धर्म और आध्यात्मिकता में बहुत बड़ा अंतर है। प्रोफेसर रूथ वेबर ने यूथ स्ट्‌डीज़ ऑस्ट्रेलिया पत्रिका में लिखा: “ज़्यादातर नौजवान, परमेश्‍वर पर या किसी अलौकिक शक्‍ति में विश्‍वास रखते हैं, मगर वे मानते हैं कि अपनी आध्यात्मिकता को ज़ाहिर करने के लिए चर्च की न तो ज़रूरत है और ना ही इससे कोई मदद मिल सकती है।”

सच्चा धर्म आध्यात्मिकता को बढ़ावा देता है

धर्म पर से लोगों का इस तरह भरोसा उठना हैरानी की बात नहीं। बहुत से धर्म-संगठन राजनीतिक दाँव-पेच खेलने में लगे हैं, पवित्रता का ढोंग करके चोरी-छिपे बदचलनी करते और धर्म के नाम पर हुए बेहिसाब युद्धों में मासूमों का खून बहा रहे हैं। लेकिन कुछ लोगों ने ऐसे पाखंडी धर्म-संगठनों को ठुकराने के साथ-साथ बाइबल को भी ठुकराने की गलती की है क्योंकि वे सोचते हैं कि बाइबल ऐसे कामों को सही ठहराती है।

असल में बाइबल कपट और अधर्म का खंडन करती है। यीशु ने अपने दिनों के धर्म-गुरुओं से कहा: “हे कपटी शास्त्रियो, और फरीसियो, तुम पर हाय; तुम चूना फिरी हुई कब्रों के समान हो जो ऊपर से तो सुन्दर दिखाई देती हैं, परन्तु भीतर मुर्दों की हड्डियों और सब प्रकार की मलिनता से भरी हैं। इसी रीति से तुम भी ऊपर से मनुष्यों को धर्मी दिखाई देते हो, परन्तु भीतर कपट और अधर्म से भरे हुए हो।”—मत्ती 23:27, 28.

इसके अलावा, बाइबल मसीहियों से कहती है कि वे हर तरह के राजनीतिक मामले में निष्पक्ष रहें। यह मसीहियों को आपस में मार-काट करने के लिए नहीं बल्कि एक-दूसरे की खातिर अपनी जान तक कुर्बान करने को उकसाती है। (यूहन्‍ना 15:12, 13; 18:36; 1 यूहन्‍ना 3:10-12) बाइबल पर आधारित सच्चा धर्म ‘भेदभाव, नफरत और फूट पैदा करने’ के बजाय, “सबको एक-समान समझना” सिखाता है। प्रेरित पतरस ने कहा: “परमेश्‍वर किसी का पक्ष नहीं करता, बरन हर जाति में जो उस से डरता और धर्म के काम करता है, वह उसे भाता है।”—प्रेरितों 10:35.

आध्यात्मिक सेहत के लिए भरोसेमंद सलाह देनेवाली किताब—बाइबल

बाइबल हमें बताती है कि इंसानों को परमेश्‍वर के स्वरूप में बनाया गया था। (उत्पत्ति 1:26, 27) इसका यह मतलब नहीं कि इंसानों का रंग-रूप परमेश्‍वर के जैसा है, बल्कि यह है कि इंसानों में, परमेश्‍वर के जैसे गुण दिखाने की काबिलीयत है, जिसमें आध्यात्मिक बातों की समझ रखना भी शामिल है।

तो फिर यह मानना सही होगा कि परमेश्‍वर हमें अपनी आध्यात्मिक ज़रूरतें पूरी करने के लिए कुछ मदद भी देगा। साथ ही, हमें सही राह दिखाएगा जिससे हम जान सकें कि कौन-सी बातें हमारी आध्यात्मिकता के लिए फायदेमंद हैं और कौन-सी नुकसानदेह। जैसे परमेश्‍वर ने हमारे शरीर में लाजवाब रोग-प्रतिरक्षा तंत्र बनाया है ताकि यह बीमारियों से लड़े और हमें सेहतमंद रखे, उसी तरह उसने हमारी आध्यात्मिक हिफाज़त के लिए एक विवेक दिया है। यह विवेक या मन की आवाज़, हमें सही फैसले करने में मदद देती है और ऐसे कामों के खिलाफ चिताती है जो हमें शारीरिक और आध्यात्मिक मायने में नुकसान पहुँचा सकते हैं। (रोमियों 2:14, 15) हम जानते हैं कि हमारे रोग-प्रतिरक्षा तंत्र के सही तरह से काम करने के लिए पौष्टिक आहार लेना ज़रूरी है। उसी तरह हमारे विवेक के सही तरह से काम करने के लिए भी हमें अच्छी आध्यात्मिक खुराक लेने की ज़रूरत है।

यीशु ने साफ-साफ बताया कि किस तरह का आहार हमारी आध्यात्मिक सेहत के लिए अच्छा है। उसने कहा: “मनुष्य केवल रोटी ही से नहीं, परन्तु हर एक वचन से जो परमेश्‍वर के मुख से निकलता है जीवित रहेगा।” (मत्ती 4:4) यहोवा के मुख से निकले वचनों को बाइबल में दर्ज़ किया गया है और ये ‘उपदेश देने, समझाने, और सुधारने के लिये लाभदायक हैं।’ (2 तीमुथियुस 3:16) इसलिए हमारा फर्ज़ बनता है कि हम इस पौष्टिक आध्यात्मिक आहार को लेने के लिए मेहनत करें। हम बाइबल को जितनी अच्छी तरह जानेंगे और इसके उसूलों पर चलने की जितनी कोशिश करेंगे, हमें आध्यात्मिक और शारीरिक तरीके से उतने ही फायदे मिलेंगे।—यशायाह 48:17, 18.

क्या इस मेहनत का कोई फायदा है?

माना कि बाइबल का अध्ययन करके अपनी आध्यात्मिक सेहत को सुधारने में वक्‍त लगता है, और जहाँ तक वक्‍त की बात है, बहुत-से लोगों को लगता है कि उनके पास साँस लेने की भी फुरसत नहीं है। लेकिन वक्‍त निकालने की कोशिश करने से बहुत-से फायदे होंगे! कुछ पेशेवर लोगों ने बताया कि वे क्यों व्यस्त रहने के बावजूद अपनी आध्यात्मिक सेहत के लिए समय निकालते हैं। ध्यान दीजिए कि वे क्या कहते हैं।

मारीना जो एक डॉक्टर है कहती है: “अपनी आध्यात्मिकता के बारे में मैंने गंभीरता से तब सोचा जब मैंने एक अस्पताल में काम करना शुरू किया और दूसरों की तकलीफें देखकर मुझे दर्द महसूस होने लगा। मुझे एहसास हुआ कि मेरे लिए ज़रूरी है कि मैं अपनी आध्यात्मिक ज़रूरत को समझूँ और उसे पूरा करूँ, तभी मैं सच्चा संतोष और मन का सुकून पा सकूँगी। वरना मेरा पेशा ऐसा है कि रोज़ाना की दौड़-धूप और लोगों की देखभाल करने की भारी ज़िम्मेदारी पूरी करते-करते खुद मैं हिम्मत हार बैठूँगी।

“अब मैं यहोवा के साक्षियों के साथ बाइबल का अध्ययन कर रही हूँ। इस अध्ययन से मुझे अपने कामों और इरादों की सही तरह से जाँच करने और निराश करनेवाली बातों के बजाय अच्छी बातों पर मन लगाने में मदद मिलती है। इसलिए आज मैं ज़िंदगी में एक संतुलन रख पा रही हूँ। मुझे अपनी नौकरी से गहरा संतोष मिलता है। मगर सबसे ज़्यादा बाइबल अध्ययन की बदौलत ही मैंने अपनी भावनाओं को काबू में रखना सीखा, मैं निराश करनेवाली भावनाओं को मन से निकाल पायी हूँ और तनाव कम कर सकी हूँ और अब मैं लोगों के साथ पहले से ज़्यादा धीरज और हमदर्दी के साथ पेश आती हूँ। बाइबल के उसूलों पर चलने से मेरी शादी का बंधन भी मज़बूत हुआ है। और सबसे बढ़िया नतीजा यह है कि मैं यहोवा को जान पायी हूँ और एक छोटे पैमाने पर ही सही, मगर मैंने देखा है कि यहोवा ने दिल खोलकर मुझे अपनी पवित्र आत्मा दी है। इसलिए आज मेरी ज़िंदगी में एक मकसद है।”

आर्किटेक्चरल डिज़ाइनर निकोलस कहता है: “यहोवा के साक्षियों के साथ बाइबल अध्ययन करने से पहले, मुझे आध्यात्मिक बातों में कोई दिलचस्पी नहीं थी। मेरा बस एक ही मकसद था, अपने पेशे में कामयाब होना। लेकिन बाइबल का अध्ययन करने पर मैंने जाना कि ज़िंदगी में काम ही सब कुछ नहीं होता और यह भी कि सच्ची और हमेशा की खुशी, यहोवा की मरज़ी पूरी करने से मिलती है।

“आज भी मुझे अपने करियर से संतोष मिलता है, मगर यह बात मैंने बाइबल से ही सीखी कि आध्यात्मिक बातों के लिए ज़्यादा समय देकर सादगी भरा जीवन जीना कितना ज़रूरी है। ऐसा करने की वजह से मैं और मेरी पत्नी ऐसे तनाव से बच पाए हैं जो ऐशो-आराम के पीछे भागने से होता है। अब हमारा उठना-बैठना ऐसे लोगों के साथ है जो हमारी तरह आध्यात्मिक नज़रिया रखते हैं इसलिए हमें बहुत-से सच्चे दोस्त मिले हैं।”

एक वकील, विन्सेंट कहता है: “इसमें शक नहीं कि एक अच्छा करियर हो तो कुछ हद तक संतोष ज़रूर मिलता है। लेकिन मैंने देखा है कि खुशी और संतोष पाने के लिए अच्छा करियर होना ही काफी नहीं। मुझे याद है कि सच्ची खुशी और संतोष के बारे में बाइबल की शिक्षा जानने से पहले, मुझे एहसास होने लगा था कि ज़िंदगी कितनी बेमानी है—पैदा हो, बड़े हो, शादी करो, बाल-बच्चों को पालने के लिए नौकरी करो, फिर उन्हें ठीक अपनी जैसी ज़िंदगी जीना सिखाओ और आखिर में बूढ़े होकर मर जाओ।

“यहोवा के साक्षियों के साथ बाइबल का अध्ययन करने पर ही मुझे ज़िंदगी के मकसद के बारे में अपने सवालों के सही-सही जवाब मिले। बाइबल का अध्ययन करने से मैं यहोवा की शख्सियत के बारे में जान सका और उसके लिए गहरा प्यार बढ़ा सका। इसलिए आज मैं एक अच्छा आध्यात्मिक नज़रिया बनाए रखता हूँ और मैंने यहोवा के मकसद के बारे में जो सीखा है, उसके मुताबिक ज़िंदगी बिताने की कोशिश कर रहा हूँ। अब मुझे और मेरी पत्नी को इस बात से संतोष मिलता है कि हम अपनी ज़िंदगी सबसे बेहतरीन तरीके से जी रहे हैं।”

आप भी बाइबल का अध्ययन करके अपनी ज़िंदगी में मकसद पा सकते हैं। यहोवा के साक्षियों को आपकी मदद करने में बड़ी खुशी होगी। मारीना, निकोलस और विन्सेंट की तरह आपको भी ज़िंदगी में संतोष मिल सकता है, बशर्ते आप यहोवा को जानें और सीखें कि पूरी दुनिया के लिए और आपके लिए उसका मकसद क्या है। ऐसा करने से आप न सिर्फ आज अपनी आध्यात्मिक ज़रूरतें पूरी करके खुशी पाएँगे, बल्कि आपको भविष्य में हमेशा की ज़िंदगी पाने और शारीरिक रूप से पूरी तरह सेहतमंद रहने की आशा मिलेगी। यह आशा सिर्फ ऐसे लोगों के लिए है जो “अपनी आध्यात्मिक ज़रूरत के प्रति सचेत हैं।”—मत्ती 5:3, NW.

अपनी आध्यात्मिकता को बढ़ाने का एक तरीका है प्रार्थना करना। यीशु ने समय निकालकर अपने चेलों को प्रार्थना करना सिखाया। उसने प्रार्थना का एक नमूना दिया जिसे आम तौर पर प्रभु की प्रार्थना कहा जाता है। वह प्रार्थना आज आपके लिए क्या मायने रखती है? उससे आपको क्या फायदा हो सकता है? इन सवालों के जवाब आपको अगले दो लेखों में मिलेंगे।

[पेज 6 पर तसवीरें]

मारीना

[पेज 7 पर तसवीरें]

निकोलस

[पेज 7 पर तसवीरें]

विन्सेंट