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यहोवा के न्याय करने का दिन निकट है!

यहोवा के न्याय करने का दिन निकट है!

यहोवा के न्याय करने का दिन निकट है!

“यहोवा का भयानक दिन निकट है, वह बहुत वेग से समीप चला आता है।”—सपन्याह 1:14.

1. परमेश्‍वर ने सपन्याह के ज़रिए कौन-सी चेतावनी दी?

 परमेश्‍वर यहोवा दुष्टों के खिलाफ कार्यवाही करने के लिए बस खड़ा होने ही वाला है। ध्यान से उसकी चेतावनी को सुनिए! वह कहता है: “मैं मनुष्य . . . का अन्त कर दूंगा; . . . मैं मनुष्य जाति को भी धरती पर से नाश कर डालूंगा।” (सपन्याह 1:3) सर्वशक्‍तिमान परमेश्‍वर यहोवा ने यह चेतावनी अपने भविष्यवक्‍ता सपन्याह के ज़रिए दी थी। सपन्याह शायद वफादार राजा हिजकिय्याह के परपोते का बेटा था। और जब सपन्याह ने यह चेतावनी दी, उस वक्‍त यहूदा देश पर एक भला राजा योशिय्याह राज कर रहा था। यह चेतावनी यहूदा में रहनेवाले दुष्ट लोगों के लिए एक बहुत बुरी खबर थी।

2. योशिय्याह के कदम उठाने के बावजूद यहोवा के न्याय का दिन क्यों आनेवाला था?

2 इसमें कोई शक नहीं कि सपन्याह की भविष्यवाणी का जवान योशिय्याह पर ज़बरदस्त असर हुआ था, क्योंकि उसने यहूदा से झूठी उपासना को पूरी तरह मिटाने के लिए फौरन कदम उठाया था। ऐसा करने से झूठी उपासना तो मिट गयी, मगर लोगों में फैली बुराई पूरी तरह खत्म नहीं हुई, और न ही उन पापों का प्रायश्‍चित हुआ जो योशिय्याह के दादा मनश्‍शे ने किए थे। राजा मनश्‍शे ने तो पूरे “यरूशलेम को निर्दोषों के खून से भर दिया था।” (2 राजा 24:3, 4; 2 इतिहास 34:3) इसलिए यहूदा पर यहोवा के न्याय का दिन ज़रूर आना निश्‍चित था।

3. हम कैसे निश्‍चित हो सकते हैं कि ‘यहोवा के क्रोध के दिन’ में बचना संभव है?

3 यहोवा के उस भयानक दिन में कुछ लोग बच भी सकते थे। इसलिए यहोवा के भविष्यवक्‍ता ने लोगों से यह आग्रह किया: “इस से पहिले कि दण्ड की आज्ञा पूरी हो और बचाव का दिन भूसी की नाईं निकले, और यहोवा का भड़कता हुआ क्रोध तुम पर आ पड़े, और यहोवा के क्रोध का दिन तुम पर आए, तुम इकट्ठे हो। हे पृथ्वी के सब नम्र लोगो, हे यहोवा के नियम के माननेवालो, उसको ढूंढ़ते रहो; धर्म को ढूंढ़ो, नम्रता को ढूंढ़ो; सम्भव है तुम यहोवा के क्रोध के दिन में शरण पाओ।” (सपन्याह 2:2, 3) आइए हम यहोवा के आनेवाले न्याय के दिन में बचने की आशा को ध्यान में रखते हुए, सपन्याह की किताब पर चर्चा करें। यह किताब सा.यु.पू. 648 से पहले यहूदा में लिखी गई थी। और यह किताब परमेश्‍वर के ‘भविष्यद्वक्‍ताओं के वचन’ का हिस्सा है इसलिए इसमें लिखी बातों पर हमें मन लगाकर ध्यान देना चाहिए।—2 पतरस 1:19.

यहोवा हाथ उठाता है

4, 5. किस तरह सपन्याह 1:1-3 की पूर्ति यहूदा में रहनेवाले दुष्टों पर हुई?

4 जैसा कि शुरू में ज़िक्र किया गया है, सपन्याह को दिया गया ‘यहोवा का वचन’ एक चेतावनी से शुरू होता है। परमेश्‍वर की वह चेतावनी है: “मैं धरती के ऊपर से सब का अन्त कर दूंगा, यहोवा की यही वाणी है। मैं मनुष्य और पशु दोनों का अन्त कर दूंगा; मैं आकाश के पक्षियों और समुद्र की मछलियों का, और दुष्टों समेत उनकी रखी हुई ठोकरों के कारण का भी अन्त कर दूंगा; मैं मनुष्य जाति को भी धरती पर से नाश कर डालूंगा, यहोवा की यही वाणी है।”—सपन्याह 1:1-3.

5 जी हाँ, यहोवा यहूदा में हो रही घोर दुष्टता मिटाने जा रहा था। वह “धरती के ऊपर से सब का अन्त” करनेवाला था। मगर यह अन्त वह किसके ज़रिए करवाता? सा.यु.पू. 659 में राजा योशिय्याह ने राज्य करना शुरू किया था। और उसके राज्य के शुरूआती सालों में सपन्याह ने भविष्यवाणी की थी। उसकी भविष्यवाणी के मुताबिक यहूदा और उसकी राजधानी यरूशलेम का विनाश बाबुल के हाथों सा.यु.पू. 607 में हुआ। उस समय यहूदा में सब दुष्टों को “नाश” कर दिया गया था। इसलिए हम कह सकते हैं कि यहोवा ने यहूदा और यरूशलेम को नाश करने के लिए बाबुल देश को इस्तेमाल किया।

6-8. सपन्याह 1:4-6 में, क्या भविष्यवाणी की गई थी और किस तरह वह प्राचीन यहूदा पर पूरी हुई?

6 झूठे उपासकों के खिलाफ परमेश्‍वर जो कार्यवाही करनेवाला था उसके बारे में सपन्याह 1:4-6 में इस तरह लिखा है: “मैं यहूदा पर और यरूशलेम के सब रहनेवालों पर हाथ उठाऊंगा, और इस स्थान में बाल के बचे हुओं को और याजकों समेत देवताओं के पुजारियों के नाम को नाश कर दूंगा। जो लोग अपने-अपने घर की छत पर आकाश के गण को दण्डवत्‌ करते हैं, और जो लोग दण्डवत्‌ करते हुए यहोवा की सेवा करने की शपथ खाते और अपने मोलक की भी शपथ खाते हैं; और जो यहोवा के पीछे चलने से लौट गए हैं, और जिन्हों ने न तो यहोवा को ढूंढा, और न उसकी खोज में लगे, उनको भी मैं सत्यानाश कर डालूंगा।”

7 यहोवा का हाथ यहूदा और यरूशलेम के लोगों पर उठनेवाला था। उसने यह ठान लिया था कि वह कनानियों के उत्पादन के देवता बाल के सभी उपासकों को मौत के घाट उतार देगा। बहुत-से दूसरे देवताओं को भी बाल कहा जाता था क्योंकि लोगों का मानना था कि अलग-अलग इलाके पर अलग-अलग देवता का अधिकार होता है, वे अपने इलाके के देवता को ही बाल देवता कहकर उसकी पूजा करते थे। मिसाल के तौर पर, मोआबी और मिद्यानी पोर पर्वत पर जिस देवता की उपासना करते थे उसे बालपोर देवता कहा जाता था। (गिनती 25:1, 3, 6) यहोवा पूरे यहूदा देश में बाल के सभी पुरोहितों और साथ ही उन लेवी याजकों को भी नाश करनेवाला था जो बाल के पुरोहितों के साथ संगति करके परमेश्‍वर के नियमों को तोड़ रहे थे।—निर्गमन 20:2, 3.

8 परमेश्‍वर उन लोगों का भी सफाया करनेवाला था जो ‘आकाश की सेना को दण्डवत’ करते थे यानी ज्योतिष-विद्या और सूर्य की उपासना करने में लगे हुए थे। (2 राजा 23:11; यिर्मयाह 19:13; 32:29) परमेश्‍वर का प्रकोप उन पर भी भड़कनेवाला था जो ‘यहोवा की शपथ खाने के साथ-साथ मोलक की भी शपथ खाते थे’ और इस तरह सच्ची उपासना में झूठी उपासना मिलाने की कोशिश कर रहे थे। मोलक शायद अम्मोनियों के सबसे बड़े देवता, मिल्कोम का दूसरा नाम था। मोलक की उपासना में बच्चों की बलि चढ़ाई जाती थी।—1 राजा 11:5; यिर्मयाह 32:35.

ईसाईजगत का विनाश बहुत करीब है!

9. (क) ईसाईजगत किस बात का दोषी है? (ख) यहूदा के दगाबाज़ों के विपरीत हमें क्या करने का दृढ़ संकल्प करना चाहिए?

9 यहूदा के लोगों की तरह आज ईसाईजगत भी झूठी उपासना और ज्योतिष-विद्या में पूरी तरह डूबा हुआ है। इस धर्म के पादरियों ने न जाने कितने ही युद्धों को बढ़ावा देकर करोड़ों लोगों को युद्ध की वेदी पर बलि चढ़ा दिया है। उनका यह काम सचमुच कितना घिनौना है! लेकिन हम यहूदा के उन दगाबाज़ों की तरह कभी ना हों, जिन्होंने ‘यहोवा के पीछे’ चलना यानी उसकी खोज करना और उससे मार्गदर्शन लेना छोड़ दिया था। इसके बजाय, आइए हम हमेशा वफादारी से यहोवा की सेवा करते रहें।

10. सपन्याह 1:7 की भविष्यवाणी का मतलब समझाइए।

10 सपन्याह ने जो आगे कहा, वह प्राचीन यहूदा और हमारे समय के दुष्ट लोगों पर एकदम सही बैठता है। सपन्याह 1:7 (NHT) कहता है: “परमेश्‍वर यहोवा के सम्मुख चुप रहो! क्योंकि यहोवा का दिन निकट है; क्योंकि यहोवा ने बलि तैयार की है, और उसने अपने अतिथियों को पवित्र किया है।” यहाँ जिन “अतिथियों” का ज़िक्र है वे यहूदा के दुश्‍मन यानी कसदी या बाबुल देश था। और “बलि” यहूदा और उसकी राजधानी यरूशलेम था। इस तरह सपन्याह ने यह ऐलान किया कि परमेश्‍वर ने यरूशलेम को नाश करने की ठान ली है। वह भविष्यवाणी आज ईसाईजगत के विनाश पर भी लागू होती है। दरअसल परमेश्‍वर के न्याय का दिन आज इतना करीब है कि पूरी दुनिया को “परमेश्‍वर यहोवा के सम्मुख चुप” रहना चाहिए, और यीशु के अभिषिक्‍त चेलों के “छोटे झुण्ड” और उनके साथी ‘अन्य भेड़ों’ के ज़रिए यहोवा जो कुछ कहता है उसे सुनना चाहिए। (लूका 12:32; यूहन्‍ना 10:16, NW) अगर कोई ना सुने और परमेश्‍वर के राज्य के खिलाफ चले, तो उसका विनाश निश्‍चित है।—भजन 2:1, 2.

हाय, हाय करने का दिन—अब करीब है!

11. सपन्याह 1:8-11 का सार बताइए।

11 यहोवा के दिन के बारे में सपन्याह 1:8-11 आगे कहता है: “यहोवा के यज्ञ के दिन, मैं हाकिमों और राजकुमारों को और जितने परदेश के वस्त्र पहिना करते हैं, उनको भी दण्ड दूंगा। उस दिन मैं उन सभों को दण्ड दूंगा जो डेवढ़ी को लांघते, और अपने स्वामी के घर को उपद्रव और छल से भर देते हैं। यहोवा की यह वाणी है, कि उस दिन मछली फाटक के पास चिल्लाहट का, और नये टोले मिश्‍नाह में हाहाकार का, और टीलों पर बड़े धमाके का शब्द होगा। हे मक्‍तेश के रहनेवालो, हाय, हाय, करो! क्योंकि सब ब्योपारी मिट गए; जितने चान्दी से लदे थे, उन सब का नाश हो गया है।”

12. किस तरह कुछ लोग “परदेश के वस्त्र” पहने हुए दिखाई देते हैं?

12 राजा योशिय्याह के बाद यहोआहाज, यहोयाकीम और यहोयाकीन, राजा बनते। उनके बाद सिदकिय्याह का शासन शुरू होता और उसके राज के दौरान ही यरूशलेम का नाश हो जाता। तो हालाँकि लोगों पर ऐसे संकट के काले बादल मँडरा रहे थे मगर फिर भी कुछ लोग पड़ोसी जातियों को खुश करने के लिए “परदेश के वस्त्र” पहनते थे। उसी तरह आज भी बहुत-से लोग कई तरीकों से यह ज़ाहिर करते हैं कि वे यहोवा के संगठन के भाग नहीं हैं। वे भी मानो विदेशी वस्त्र पहने हुए हैं जिससे साबित होता है कि वे शैतान के संगठन का हिस्सा हैं। इस वजह से उन्हें ज़रूर दण्ड दिया जाएगा।

13. सपन्याह की भविष्यवाणी के मुताबिक बाबुल जब यरूशलेम पर धावा बोलता तब क्या होता?

13 यहूदा से लेखा लेने का ‘वह दिन’ यहोवा के न्याय का दिन होता, जब वह अपने दुश्‍मनों का न्याय करता, दुष्टता को खत्म करता और अपने परम-अधिकार का सबूत देता। उस दिन जब बाबुल की सेना यरूशलेम पर हमला करती तो मछली फाटक से एक चिल्लाहट का शब्द सुनाई पड़ता। इस फाटक का नाम मछली फाटक शायद इसलिए पड़ा क्योंकि इस फाटक के पास एक मछली बाज़ार था। (नहेमायाह 13:16) बाबुल की सेना उस बस्ती में घुस आती जो नये टोले नाम से जानी जाती थी। और “टीलों पर बड़े धमाके” की आवाज़ शहर की ओर आगे बढ़ती कसदी सेना की होती। मक्‍तेश (शायद ऊपरी टाइरोपियन घाटी) के निवासी भी “हाय, हाय” करते। मगर क्यों? क्योंकि उनका व्यापार ठप्प हो जाता, यहाँ तक कि “चान्दी से लदे” सब कारोबार बंद हो जाते।

14. यहोवा के उपासक होने का दावा करनेवालों की यहोवा किस हद तक जाँच-पड़ताल करनेवाला था?

14 यहोवा के उपासक होने का दावा करनेवालों की यहोवा किस हद तक जाँच-पड़ताल करता? भविष्यवाणी आगे बताती है: “उस समय मैं दीपक लिए हुए यरूशलेम में ढूंढ़-ढांढ़ करूंगा, और जो लोग दाखमधु के तलछट तथा मैल के समान बैठे हुए मन में कहते हैं कि यहोवा न तो भला करेगा और न बुरा, उनको मैं दण्ड दूंगा। तब उनकी धन सम्पत्ति लूटी जाएगी, और उनके घर उजाड़ होंगे; वे घर तो बनाएंगे, परन्तु उन में रहने न पाएंगे; और वे दाख की बारियां लगाएंगे, परन्तु उन से दाखमधु न पीने पाएंगे।”—सपन्याह 1:12, 13.

15. (क) यरूशलेम के धर्मत्यागी याजकों का क्या अंजाम होनेवाला था? (ख) आज जो लोग झूठे धर्मों को मानते हैं उनका क्या होगा?

15 यरूशलेम के धर्मत्यागी याजक, यहोवा की उपासना में झूठी उपासना को मिला रहे थे। और वे इस आध्यात्मिक अंधकार में खुद को बहुत सुरक्षित महसूस कर रहे थे। मगर यहोवा, मानो तेज़ रोशनी देते दीपकों के ज़रिए उन्हें अंधकार से ढूँढ़ निकालता। तब उनमें से कोई भी परमेश्‍वर के न्यायदंड से नहीं बच पाता। जिस तरह मदिरा में तलछट या मैल बैठा रहता है, उसी तरह वे धर्मत्यागी बिलकुल बेखबर थे। वे इस संदेश को सुनने के लिए हरगिज़ तैयार नहीं थे कि परमेश्‍वर इंसान के संबंध में कार्यवाही करनेवाला है। मगर जब परमेश्‍वर उनका न्याय करता तब वे धर्मत्यागी याजक किसी भी हाल में बच नहीं सकते थे। उसी तरह आज झूठे धर्मों को माननेवाले सर्वनाश से नहीं बच सकते जिनमें ईसाईजगत के सदस्य और यहोवा की उपासना छोड़कर धर्मत्यागी बननेवाले लोग भी शामिल हैं। ये लोग यह मानने से इनकार करते हैं कि हम ‘अन्तिम दिनों’ में जी रहे हैं। इस तरह वे अपने-अपने मन में कहते हैं कि “यहोवा न तो भला करेगा और न बुरा।” मगर उनका ऐसा सोचना कितना गलत है!—2 तीमुथियुस 3:1-5; 2 पतरस 3:3, 4, 10.

16. यहूदा पर जब परमेश्‍वर का कहर टूटता तब क्या होता, और इस जानकारी से हम क्या सबक सीख सकते हैं?

16 यहूदा के धर्मत्यागियों को खबरदार किया गया था कि बाबुल की सेना उनका धन लूट लेगी, उनके घरों को खाक में मिला देगी, और उनकी दाख की बारियों की पैदावार छीन लेगी। परमेश्‍वर का कहर जब यहूदा पर टूटता तब उनकी धन-दौलत किसी काम नहीं आती। उसी तरह हमारे समय में भी जब इस दुनिया पर यहोवा के न्याय का दिन आएगा तो धन-दौलत किसी काम की नहीं होगी। इसलिए आइए हम आध्यात्मिक बातों पर ध्यान दें, और अपनी ज़िंदगी में यहोवा की सेवा को पहला स्थान देकर ‘स्वर्ग में धन इकट्ठा करें’!—मत्ती 6:19-21, 33.

“यहोवा का भयानक दिन निकट है”

17. सपन्याह 1:14-16 के मुताबिक यहोवा के न्याय का दिन कितना करीब है?

17 यहोवा के न्याय का दिन कितना करीब है? सपन्याह 1:14-16 में परमेश्‍वर हमें यकीन दिलाता है: “यहोवा का भयानक दिन निकट है, वह बहुत वेग से समीप चला आता है; यहोवा के दिन का शब्द सुन पड़ता है, वहां वीर दु:ख के मारे चिल्लाता है। वह रोष का दिन होगा, वह संकट और सकेती का दिन, वह उजाड़ और उधेड़ का दिन, वह अन्धेर और घोर अन्धकार का दिन, वह बादल और काली घटा का दिन होगा। वह गढ़वाले नगरों और ऊंचे गुम्मटों के विरुद्ध नरसिंगा फूंकने और ललकारने का दिन होगा।”

18. हमें यह क्यों नहीं सोचना चाहिए कि यहोवा के न्याय का दिन आने में अभी बहुत समय बाकी है?

18 यहूदा के भ्रष्ट याजकों, राजकुमारों और लोगों को चेतावनी दी गई थी कि “यहोवा का भयानक दिन निकट है।” यहूदा के लिए ‘यहोवा का दिन बहुत वेग से चला आ रहा’ था। उसी तरह आज, हमारे समय में भी दुष्टों पर यहोवा के न्याय का दिन ‘वेग’ से चला आ रहा है। इसलिए हममें से किसी को भी यह नहीं सोचना चाहिए कि न्याय करने के लिए, यहोवा का दिन आने में अभी बहुत समय बाकी है। (प्रकाशितवाक्य 16:14, 16) जो लोग आज यहोवा के साक्षियों द्वारा दी जा रही चेतावनी पर ध्यान नहीं देते और सच्ची उपासना नहीं करते, उनके लिए वह दिन वाकई कड़वाहट का दिन होगा!

19, 20. (क) परमेश्‍वर ने जब यहूदा और यरूशलेम को नाश किया तब कैसी घटनाएँ घटी थीं? (ख) जल्द ही यहोवा जहाँ चाहे वहाँ नाश करनेवाला है, तो इस बारे में कौन-से सवाल उठ खड़े होते हैं?

19 जिस दिन यहूदा और यरूशलेम पर परमेश्‍वर ने अपनी जलजलाहट प्रकट की थी वह दिन उनके लिए “संकट और सकेती का दिन” साबित हुआ था। बाबुल की सेना ने यहूदा के लोगों को इतना तड़पाया कि वे अपनी मौत और सर्वनाश को पास आता देखकर पागल-से हो गए थे। ‘उजाड़ और उधेड़ का वह दिन,’ अंधकार, बादल और काली घटा का दिन था। ऐसा सिर्फ लाक्षणिक तौर पर ही नहीं बल्कि सचमुच में भी हुआ था क्योंकि धुएँ और लोथों से सारा इलाका भर गया था। वह “नरसिंगा फूंकने और ललकारने का दिन” था। लोगों को चेतावनियाँ देने के बावजूद उनके कानों पर जूँ तक नहीं रेंगी थी।

20 जब बाबुल की सेना आकर दीवार तोड़नेवाले यंत्रों से “ऊंचे गुम्मटों” को ढाने लगी तो यरूशलेम के पहुरुए देखते ही रह गए। उसी तरह इस दुष्ट संसार के गढ़वाले किले भी यहोवा के स्वर्गीय हथियारों के सामने बेकार साबित होंगे। यहोवा अपने हथियारों के ज़रिए बहुत जल्द जहाँ चाहे वहाँ विनाश करेगा। क्या आप उस विनाश से बचना चाहते हैं? क्या आपने यहोवा के पक्ष में दृढ़ खड़े रहने का फैसला कर लिया है जो “अपने सब प्रेमियों की तो रक्षा करता, परन्तु सब दुष्टों को सत्यानाश करता है”?—भजन 145:20.

21, 22. किस तरह सपन्याह 1:17, 18 की पूर्ति हमारे दिनों में होगी?

21 सपन्याह 1:17, 18 में बताया गया न्याय का दिन क्या ही दिल दहलानेवाला है! यहोवा परमेश्‍वर कहता है: “मैं मनुष्यों को संकट में डालूंगा, और वे अन्धों की नाईं चलेंगे, क्योंकि उन्हों ने यहोवा के विरुद्ध पाप किया है; उनका लोहू धूलि के समान, और उनका मांस विष्ठा की नाईं फेंक दिया जाएगा। यहोवा के रोष के दिन में, न तो चान्दी से उनका बचाव होगा, और न सोने से; क्योंकि उसके जलन की आग से सारी पृथ्वी भस्म हो जाएगी; वह पृथ्वी के सारे रहनेवालों को घबराकर उनका अन्त कर डालेगा।”

22 सपन्याह के दिनों की तरह आज भी यहोवा “पृथ्वी के सारे रहनेवालों” पर यानी उन सभी लोगों पर जो उसकी चेतावनी को सुनने से इनकार करते हैं, संकट ले आएगा। परमेश्‍वर के खिलाफ पाप करने की वजह से वे अन्धों की तरह यहाँ-वहाँ भागेंगे मगर उनके लिए बचने का कोई रास्ता नहीं होगा। यहोवा के न्याय के दिन उनका खून ‘धूलि के समान फेंक दिया जाएगा’ मानो उसकी कोई कीमत न हो। उन दुष्टों का अंत वाकई बहुत शर्मनाक होगा क्योंकि परमेश्‍वर उनकी लाशों को—यहाँ तक कि उनकी अंतड़ियों को भी “विष्ठा की नाई फेंक” देगा।

23. हालाँकि दुष्ट जन “यहोवा के रोष के दिन” से बच नहीं सकेंगे, मगर हमें सपन्याह की भविष्यवाणी से क्या आशा मिलती है?

23 यहोवा और उसके लोगों का जो लोग विरोध करते हैं, उन्हें नाश से कोई नहीं बचा सकेगा। जब यहूदा में रहनेवाले दुष्टों का नाश होनेवाला था तो उनके चान्दी और सोने से उनका बचाव नहीं हो सका था। उसी तरह ईसाईजगत और इस दुष्ट संसार के बाकी सभी लोगों को उनकी लूट की दौलत या रिश्‍वत की कमाई “यहोवा के रोष के दिन” से बचा नहीं सकेगी। यहोवा के फैसला सुनाने के उस दिन में, उसकी जलन की आग से ‘सारी पृथ्वी भस्म हो जाएगी’ और दुष्टों का नामों-निशान मिट जाएगा। हम परमेश्‍वर की भविष्यवाणी के वचन पर पूरा विश्‍वास करते हैं, इसलिए हमें पूरा यकीन है कि हम “अन्त समय” की बिलकुल आखिरी घड़ी में आ पहुँचे हैं। (दानिय्येल 12:4) यहोवा के न्याय करने का दिन बहुत निकट है और जल्द ही वह अपने दुश्‍मनों से बदला लेनेवाला है। मगर हमें सपन्याह की भविष्यवाणी में उस विनाश से बचने की एक आशा भी दी गई है। इसलिए अगर हम यहोवा के उस क्रोध के दिन में शरण पाना चाहते हैं तो हमें क्या करने की ज़रूरत है?

आप क्या जवाब देंगे?

• यहूदा और यरूशलेम पर सपन्याह की भविष्यवाणी कैसे पूरी हुई?

• हमारे दिनों के ईसाईजगत और सभी दुष्टों का क्या अंजाम होनेवाला है?

• हमें ऐसा क्यों नहीं सोचना चाहिए कि यहोवा के न्याय का दिन आने में काफी समय है?

[अध्ययन के लिए सवाल]

[पेज 13 पर तसवीर]

सपन्याह ने पूरी हिम्मत के साथ ऐलान किया कि यहोवा के न्याय का दिन करीब है

[चित्र का श्रेय]

From the Self-Pronouncing Edition of the Holy Bible, containing the King James and the Revised versions

[पेज 15 पर तसवीर]

यहूदा और यरूशलेम पर यहोवा के न्याय का दिन बाबुल के ज़रिए सा.यु.पू. 607 में आया

[पेज 16 पर तसवीर]

यहोवा जब दुष्टों को नाश करेगा तब क्या आप बचना चाहेंगे?