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चार बातें जो आपको तलाक के बारे में मालूम होनी चाहिए

चार बातें जो आपको तलाक के बारे में मालूम होनी चाहिए

चार बातें जो आपको तलाक के बारे में मालूम होनी चाहिए

मकान को कितना नुकसान पहुँचा है, इसका जायज़ा लेने के बाद मकान मालिकों के पास दो चुनाव हैं, या तो वे मकान को गिरा सकते हैं या फिर उसकी मरम्मत करा सकते हैं।

क्या आपकी शादी भी ऐसे किसी दोराहे पर खड़ी है? शायद आपके जीवन-साथी ने आपके भरोसे को तोड़ा हो या फिर बार-बार होनेवाले झगड़ों की वजह से आपके रिश्‍ते में पहले जैसी मिठास नहीं रही। अगर ऐसा है तो शायद आप खुद से कहते होंगे, ‘हमारे बीच अब प्यार नहीं रहा,’ या ‘हम एक-दूसरे के लिए बने ही नहीं थे’ या ‘शादी के वक्‍त हमें पता ही नहीं था कि इसमें क्या-क्या शामिल है।’ आपके मन में यह भी खयाल आता होगा, ‘शायद हमें तलाक ले लेना चाहिए।’

तलाक का फैसला जल्दबाज़ी में नहीं करना चाहिए। पहले इस बारे में अच्छी तरह सोच-विचार कर लीजिए। यह ज़रूरी नहीं कि तलाक लेने से आपकी ज़िंदगी में छाए परेशानी के काले बादल छँट जाएँगे। इसके उलट अकसर यह देखा गया है कि तलाक से एक समस्या तो हल हो जाती है, लेकिन उसकी जगह एक नयी समस्या खड़ी हो जाती है। डॉ. ब्रैड साक्स ने अपनी किताब द गुड इनफ टीन में चेतावनी दी: “जो पति-पत्नी तलाक का फैसला करते हैं वे इस कदर अपने ख्वाबों-खयालों में खो जाते हैं कि वे सोचने लगते हैं कि इससे एकदम से सारी समस्याओं का हल हो जाएगा, रोज़-रोज़ की किट-किट से हमेशा की छुट्टी मिल जाएगी, उनके रिश्‍ते से खटास चली जाएगी और ज़िंदगी में चैन-सुकून आ जाएगा। लेकिन यह उतना ही नामुमकिन है जितना नामुमकिन एक ऐसी शादीशुदा ज़िंदगी जीना जिसमें खुशियाँ ही खुशियाँ हो।” इसलिए यह जानना ज़रूरी है कि तलाक लेने के क्या-क्या नतीजे हो सकते हैं और उन्हें ध्यान में रखकर फैसला लेना।

बाइबल और तलाक

बाइबल तलाक लेने के फैसले को मामूली बात नहीं समझती। बाइबल कहती है कि जब एक व्यक्‍ति छोटी-छोटी बातों की बिनाह पर अपने जीवन-साथी को तलाक दे देता है जैसे किसी और से शादी करने के लिए, तो यहोवा परमेश्‍वर इससे बहुत घृणा करता है और अपने जीवन-साथी को धोखा देना समझता है। (मलाकी 2:13-16) शादी का बंधन हमेशा-हमेशा का बंधन होता है। (मत्ती 19:6) बहुत-सी शादियाँ जो छोटी-मोटी वजहों से टूट गयीं उन्हें बचाया जा सकता था अगर दोनों साथियों ने एक-दूसरे को माफ किया होता।—मत्ती 18:21, 22.

लेकिन बाइबल में तलाक का और दोबारा शादी करने का एक ही आधार दिया गया है, वह है अगर पति-पत्नी में से कोई एक अपने जीवन-साथी को छोड़ किसी और के साथ यौन संबंध रखता है। (मत्ती 19:9) इसलिए अगर आपको पता चलता है कि आपका जीवन-साथी आपके साथ वफादार नहीं है तो आप अपनी शादी तोड़ सकते हैं। दूसरों को आप पर अपनी राय थोपनी नहीं चाहिए और न ही इस लेख का मकसद यह बताना है कि आपको क्या कदम उठाना चाहिए। क्योंकि फैसले के अंजामों का सामना आपको ही करना होगा, इसलिए फैसला आपका अपना होना चाहिए।—गलातियों 6:5.

बाइबल कहती है: “चतुर मनुष्य समझ बूझकर चलता है।” (नीतिवचन 14:15) इसलिए भले ही बाइबल के आधार पर आपके पास तलाक लेने का वाजिब कारण क्यों न हो, बेहतर होगा कि आप इस बात पर गहराई से सोचें कि आप जो फैसला करने जा रहे हैं उसके क्या नतीजे निकलेंगे। (1 कुरिंथियों 6:12) डेविड, * जो ब्रिटेन में रहता है कहता है, “कुछ लोग शायद सोचें कि तलाक का फैसला लेने में देर बिलकुल नहीं की जानी चाहिए। लेकिन मैं तलाकशुदा हूँ और मैं अपने अनुभव से यह कह सकता हूँ कि तलाक लेने से पहले ज़रूरी है कि आप समय निकालकर उसके अंजामों के बारे में अच्छी तरह सोचें।”

आइए हम उन चार ज़रूरी मुद्दों पर ध्यान दें जिनके बारे में आपको सोचना चाहिए। इन पर गौर करते वक्‍त यह ध्यान रखिए कि जिन लोगों ने इस लेख में अपनी आप-बीती बतायी है उनमें से एक ने भी यह नहीं कहा कि तलाक लेकर उन्होंने गलत फैसला किया। लेकिन उनकी बातों से उन कुछ मुश्‍किलों के बारे में पता चलता है, जिनका सामना उन्हें तलाक लेने के महीनों बाद, यहाँ तक कि सालों बाद भी करना पड़ा।

1 पैसे की समस्या

डेनियेला, जो इटली में रहती है, उसे अपनी शादी के बारह साल बाद पता चला की उसके पति का ऑफिस में साथ काम करनेवाली किसी औरत के साथ नाजायज़ संबंध है। वह कहती है, “जब तक मुझे यह बात पता चली उस औरत को छ: माह का गर्भ था।”

कुछ समय अपने पति से अलग रहने के बाद, डेनियेला ने आखिरकार तलाक लेने का फैसला किया। वह कहती है, “मैंने अपनी शादी को बनाए रखने की बहुत कोशिश की, पर मेरा पति मुझे बार-बार धोखा देता रहा।” डेनियेला को लगता है कि तलाक लेकर उसने बिलकुल ठीक किया। फिर भी वह कहती है “जैसे ही हम एक-दूसरे से अलग हुए, मेरी आर्थिक स्थिति बहुत खराब हो गयी। कभी-कभी मुझे रात का खाना भी नहीं मिलता था, मैं बस एक गिलास दूध पीकर सो जाती थी।”

स्पेन में रहनेवाली मारिया को भी इसी तरह के हालात से गुज़रना पड़ा। वह कहती है “मेरा पूर्व पति आर्थिक तौर पर हमारी ज़रा-सी भी मदद नहीं करता है। उसने जो कर्ज़ लिए थे, उन्हें चुकाने के लिए मुझे कड़ी मेहनत करनी पड़ती है। इसके अलावा, मुझे अपने आरामदायक घर से निकलकर एक छोटे-से अपार्टमेंट में रहना पड़ा, जो कि एक असुरक्षित इलाके में है।”

ये अनुभव दिखाते हैं कि शादी टूटने पर अकसर पत्नी को भयंकर आर्थिक समस्या से जूझना पड़ता है। यही बात एक अध्ययन में भी सामने आयी जो यूरोप में सात साल तक किया गया। उस अध्ययन में पता चला कि तलाक के बाद जहाँ पुरुषों की आमदनी में 11 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई, वहीं स्त्रियों की आमदनी 17 प्रतिशत घट गयी। मीके यानसेन जो इस अध्ययन का अध्यक्ष था, कहता है: “कुछ स्त्रियों के लिए यह वाकई मुश्‍किल होता है, क्योंकि उन्हें बच्चों की देखभाल करनी होती है, नौकरी ढूँढ़नी होती है, साथ ही तलाक की वजह से मानसिक तनाव से भी गुज़रना होता है।” लंदन के डेली टेलीग्राफ अखबार ने बताया कि कुछ वकीलों के मुताबिक इन कारणों से “लोग तलाक लेने से पहले हज़ार बार सोचते हैं।”

क्या हो सकता है: तलाक लेने पर आपकी आमदनी घट सकती है। आपको शायद रहने के लिए दूसरा मकान तलाशना पड़े। अगर बच्चे आपके साथ रहते हैं, तो उनकी ज़रूरतें पूरी करने के साथ-साथ अपनी देखभाल करने में शायद आपको मुश्‍किल हो।—1 तीमुथियुस 5:8.

2 माता–पिता की ज़िम्मेदारी

ब्रिटेन में रहनेवाली जेन कहती है, “जब मुझे पता चला कि मेरे पति का किसी और के साथ संबंध है, तो मुझे बहुत बड़ा सदमा लगा। और जब वे हमें छोड़कर चले गए तब तो मैं पूरी तरह टूट गयी।” जेन ने अपने पति को तलाक दे दिया। वह यह नहीं कहती कि उसने गलत फैसला लिया, मगर वह कबूल करती है, “अपने बच्चों के लिए माँ-बाप दोनों की भूमिका निभाना मेरे लिए सबसे बड़ी मुश्‍किल थी। मुझे अकेले ही सारे फैसले लेने पड़ते थे।”

स्पेन में रहनेवाली ग्रेसियेला जो तलाकशुदा है, उसे भी कुछ ऐसे ही हालात से रूबरू होना पड़ा। वह कहती है, “कोर्ट ने मुझे अपने 16 साल के बेटे को अपने साथ रखने की इजाज़त दी। मगर जब एक बच्चा जवानी की दहलीज़ पर कदम रखता है तो वह बड़ा मुश्‍किल समय होता है और मेरे लिए अकेले अपने बेटे की परवरिश करना बहुत मुश्‍किल था। मैंने कई दिन-रात रोते-रोते गुज़ारे हैं। मुझे लगता था कि मैं एक अच्छी माँ नहीं बन पायी।”

जो तलाकशुदा माता-पिता अलग-अलग रहते हैं, लेकिन बारी-बारी से अपने बच्चों की परवरिश करते हैं, उन्हें एक और समस्या का सामना करना पड़ता है। उन्हें अपने पूर्व पति या पत्नी के साथ मिलकर कुछ नाज़ुक मामलों पर फैसला करना होता है, जैसे कि बच्चों से कब और कितनी देर के लिए मिला जा सकता है, उनकी देखभाल कैसे की जाएगी और उन्हें अनुशासन कैसे दिया जाएगा। अमरीका में रहनेवाली एक तलाकशुदा माँ क्रिस्टीन कहती है, “अपने पूर्व पति के साथ एक अच्छा रिश्‍ता बनाए रखना आसान नहीं होता। इसमें बहुत सारी भावनाएँ शामिल होती हैं और अगर आप खबरदार नहीं रहे तो आप अपने बच्चों को अपने फायदे के लिए हथियार के तौर पर इस्तेमाल करने लग सकते हैं।”

क्या हो सकता है: बच्चा किसके पास रहेगा, कितने समय तक रहेगा इस बारे में कोर्ट ने जो फैसला किया है वह शायद आपके मन-मुताबिक न हो। अगर आप बारी-बारी से अपने बच्चों की परवरिश करते हैं तो ऊपर दिए मामले, जैसे कि मिलने के इंतज़ाम और आर्थिक मदद, इनमें शायद आपका पूर्व पति या पत्नी आपकी बात मानने के लिए राज़ी न हो।

3 तलाक—इसका असर आप पर

ब्रिटेन में रहनेवाले मार्क की पत्नी ने एक से ज़्यादा बार किसी और के साथ संबंध रखे। मार्क कहता है, “दूसरी बार जब उसने ऐसा किया तो यह मेरे लिए बर्दाश्‍त करना मुश्‍किल था कि वह ऐसा फिर से दोहरा सकती है।” मार्क ने अपनी पत्नी को तलाक तो दे दिया, मगर वह अपने दिल से उसके लिए प्यार मिटा नहीं पाया। वह कहता है, “जब लोग उसके बारे में उल्टी-सीधी बातें करते हैं तो उन्हें लगता है कि इससे मेरे दिल को सुकून मिलेगा। पर ऐसा बिलकुल नहीं होता। प्यार इतनी जल्दी नहीं मिटता।”

डेविड जिसका ज़िक्र पहले भी किया गया है, जब उसे पता चला कि उसकी पत्नी का चक्कर किसी दूसरे आदमी के साथ चल रहा है, तो उसे भी ऐसा लगा मानो उसकी दुनिया उजड़ गयी हो। वह कहता है, “पहले-पहल तो मुझे इस बात पर बिलकुल यकीन नहीं हुआ। मैं वाकई अपनी ज़िंदगी का हर दिन अपनी पत्नी और बच्चों के साथ बिताना चाहता था।” डेविड ने तलाक लेने का फैसला किया, मगर पत्नी की बेवफाई की वजह से वह ऐसी उलझन में पड़ गया कि अब वह भविष्य के बारे में कुछ भी नहीं सोच पा रहा। वह कहता है, “मैं सोचता हूँ कि क्या कोई मुझे सच्चा प्यार कर सकता है। कहीं दोबारा शादी करने पर भी ऐसा हुआ तो मैं क्या करूँगा। लोगों पर से मेरा विश्‍वास उठ गया है।”

तलाक के बाद एक इंसान कई तरह की भावनाओं से गुज़रता है। अगर आपका तलाक हो चुका है, तो आप भी ज़रूर इस दौर से गुज़रे होंगे। एक तरफ आप अपने पूर्व साथी से अभी भी प्यार करते होंगे, क्योंकि बीते वक्‍त में आप दोनों एक तन थे। (उत्पत्ति 2:24) वहीं दूसरी तरफ आपको उस पर गुस्सा भी आता होगा। ग्रेसियेला जिसका ज़िक्र पहले किया गया था कहती है, “सालों बाद भी आप खुद को उलझन में, अपमानित और बेसहारा महसूस करते हैं। जो हसीन पल आपने साथ बिताए थे वे आपको रह-रहकर याद आते हैं और आप सोचते हैं: ‘वह मुझसे कहता था कि वह मेरे बगैर नहीं जी सकता। क्या वह मुझसे हमेशा झूठ बोलता था? आखिर यह सब क्यों हुआ?’”

क्या हो सकता है: आपके साथी ने जिस तरह आपके साथ बुरा व्यवहार किया है उस वजह से शायद आप अपने दिल से उसके लिए गुस्सा और खीज निकाल नहीं पाते होंगे। कभी-कभी अकेलापन शायद आपको काट खाने दौड़ता होगा।—नीतिवचन 14:29; 18:1.

4 तलाक—इसका असर बच्चों पर

स्पेन में रहनेवाला एक तलाकशुदा पिता होसे कहता है, “जिस घड़ी मुझे पता चला कि मेरी पत्नी का संबंध जिसके साथ है वह कोई और नहीं मेरी बहन का पति है, तो मेरे पैरों तले ज़मीन खिसक गयी। मैं बस मरना चाहता था।” होसे ने देखा कि उसके दोनों लड़कें जिनकी उम्र दो और चार साल की थी, उन पर भी उनकी माँ की इस हरकत का असर हो रहा था। वह कहता है, “वे कुछ समझ नहीं पा रहे थे और न ही वे इस हालात का सामना कर पा रहे थे। वे समझ नहीं पा रहे थे कि उनकी माँ आखिर क्यों उनके फूफा के साथ रह रही है और मैं क्यों उन्हें लेकर अपनी माँ और बहन के साथ रहने लगा था। अगर मुझे कहीं बाहर जाना होता तो वे मुझसे पूछते, ‘आप कब तक वापस आओगे?’ या फिर वे कहते, ‘पापा, हमें छोड़कर मत जाओ!’”

लोग तलाक तो ले लेते हैं, पर अकसर यह नहीं सोचते कि इसका बच्चों पर क्या असर होगा। मगर तब क्या अगर माता-पिता की आपस में बिलकुल नहीं बनती? ऐसे हालात में, क्या तलाक लेना वाकई “बच्चों की बेहतरी” के लिए होगा? हाल के कुछ सालों में लोगों ने इस विचार पर सवाल उठाए हैं, खासकर तब जब छोटी-छोटी बातों पर तलाक लिया जाता है। तलाक पर लिखी एक किताब द अनएक्सपेकटेड लिगसी ऑफ डाईवोर्स कहती है: “जिन लोगों की शादीशुदा ज़िंदगी खुशहाल नहीं है, उन्हें यह जानकर ताज्जुब होगा कि बच्चों को इससे कोई फर्क नहीं पड़ता, वे अपने में खुश रहते हैं। जब तक परिवार एक-जुट रहता है, उन्हें इस बात से कोई मतलब नहीं होता कि मम्मी-पापा अलग-अलग सो रहे हैं।”

यह बात सच है कि अकसर बच्चों को पता होता है कि उनके मम्मी-पापा के बीच झगड़ा चल रहा है और इसका बच्चों के कोमल दिल और दिमाग पर बुरा असर हो सकता है। मगर यह सोचना की तलाक लेना बच्चों के लिए अच्छा रहेगा बिलकुल गलत है। लिंडा जे. वाइट और मैगी गालेगेर ने अपनी किताब द केस फॉर मैरिज में लिखा: “शादी जो ढाँचा प्रदान करती है, उससे माता-पिता को मदद मिलती है कि वे अपने बच्चों को लगातार और ठीक-ठाक अनुशासन दे सकें। ऐसे में अगर शादीशुदा ज़िंदगी खुशहाल नहीं भी है, तब भी बच्चे माता-पिता के अनुशासन को कबूल करते हैं।”

क्या हो सकता है: तलाक का आपके बच्चों पर बहुत ही बुरा असर हो सकता है, खासकर तब जब आप उन्हें आपके पूर्व साथी के साथ अच्छा रिश्‍ता बनाए रखने के लिए बढ़ावा नहीं देते।—बक्स “मझधार में फँसी” देखिए।

अगर आप तलाक लेने की सोच रहे हैं, तो इस लेख में दिए चार मुद्दों पर आपको ज़रूर गौर करना चाहिए। जैसे कि पहले भी बताया जा चुका है, अगर आपके साथी ने शादी के बाहर किसी के साथ संबंध रखा है, तो फैसला आप ही को करना है। चाहे आप कोई भी रास्ता अपनाएँ, आपको उसके अंजामों के बारे में पता होना चाहिए। आपको यह भी पता होना चाहिए कि कौन-सी परेशानियाँ खड़ी हो सकती हैं और उनका सामना करने के लिए तैयार रहिए।

इस मामले पर अच्छी तरह सोचने के बाद शायद आपको लगे कि इससे बेहतर होगा आप अपनी शादीशुदा ज़िंदगी को सुधारें। मगर क्या यह वाकई मुमकिन है? (g10-E 02)

[फुटनोट]

^ पैरा. 8 इस लेख में नाम बदल दिए गए हैं।

[पेज 6 पर बक्स]

“हर बच्चे का जन्मसिद्ध अधिकार”

“जब मैं पाँच साल की थी, तब मेरे पापा का कुछ समय के लिए उनकी सेक्रेटरी के साथ अवैध संबंध था। इस वजह से मम्मी-पापा ने तलाक ले लिया। जहाँ तक मेरी देखभाल की बात थी, उन्हें जो ‘सही’ लगा उन्होंने वह सबकुछ किया। वे मुझे बार-बार भरोसा दिलाते थे कि भले ही वे एक-दूसरे से प्यार नहीं करते, मगर वे मुझसे बहुत प्यार करते हैं। उसके बाद पापा शहर के दूसरे हिस्से में एक अपार्टमेंट लेकर अकेले रहने लगे, लेकिन मम्मी-पापा दोनों मेरी ज़रूरतों का खयाल रखते थे।

दो साल बाद मेरी माँ ने दूसरी शादी कर ली और उसके बाद हम दूसरे देश जाकर बस गए। फिर तो पापा से मेरी मुलाकात दो-तीन साल में एक बार ही हो पाती थी। पिछले नौ साल में मैं उनसे बस एक बार ही मिली हूँ। उन्होंने मेरा बचपन नहीं देखा और वे मेरे तीन बच्चों से, अपने नातियों से भी नहीं मिले हैं। पापा ने बस उनकी तसवीरें देखी हैं और उतना ही जानते हैं जितना मैंने उनके बारे में अपने खत में बताया है। बच्चे भी अपने नाना को अच्छी तरह नहीं जानते।

मम्मी-पापा के तलाक की वजह से मेरे दिल पर गहरे ज़ख्म लगे और ये ज़ख्म उम्र के साथ भरे नहीं। मैं गहरी निराशा का शिकार हो जाती थी और असुरक्षा की भावना मुझे सताती रहती थी। मेरे अंदर गुस्से का सैलाब उमड़ता रहता था। और मैं जानती भी नहीं थी कि यह सब मेरे साथ क्यों हो रहा है। मैं पुरुषों पर रत्ती-भर भी भरोसा नहीं करती थी। तीस साल की उम्र तक मैं इन भावनाओं से लड़ती रही। फिर मेरी एक समझदार दोस्त ने मुझे अपनी नफरत की जड़ पहचानने में मदद की और उसके बाद मैं इस पर काबू कर पायी।

हर बच्चे का जन्मसिद्ध अधिकार होता है, अपने माँ-बाप के साये में सुरक्षित रहना और यह महसूस करना कि कोई आपको नुकसान नहीं पहुँचा सकता। लेकिन मम्मी-पापा के तलाक ने मुझसे यह अधिकार छीन लिया। यह दुनिया बहुत डरावनी और कठोर है, मगर मुझे लगता है परिवार का इंतज़ाम हमारे लिए एक सुरक्षा घेरे के समान है, जिसके अंदर रहने पर बच्चे को किसी चीज़ की चिंता नहीं रहती और उसे यह एहसास रहता है कि उसकी देखभाल के लिए लोग हैं। अगर परिवार बिखर जाता है तो यह सुरक्षा घेरा भी टूट जाता है।”—डियान।

[पेज 7 पर बक्स]

“मझधार में फँसी”

“जब मैं 12 साल की थी तब मेरे मम्मी-पापा का तलाक हो गया। एक तरह से मुझे लगा कि अच्छा ही हुआ। पहले घर में मम्मी-पापा के बीच खूब झगड़ा होता था, लेकिन जब से वे अलग हुए सब कुछ शांत था। फिर भी मुझे अपने अंदर उठनेवाली अलग-अलग तरह की भावनाओं से जूझना पड़ता था।

तलाक के बाद मैं अपने मम्मी-पापा दोनों के साथ अच्छा रिश्‍ता बनाए रखना चाहती थी। मैं बहुत कोशिश करती थी कि मैं किसी की भी तरफदारी न करूँ। लेकिन चाहे मैं कुछ भी करती मुझे हमेशा लगता कि मैं बीच मझधार में फँसी हूँ। पापा कहते थे कि उन्हें चिंता है कि मम्मी मुझे उनके खिलाफ कर देंगी। इसलिए मुझे उन्हें बार-बार भरोसा दिलाना पड़ता था कि मम्मी मेरे मन में ज़हर नहीं घोल रही है। वहीं दूसरी तरफ मम्मी भी असुरक्षित महसूस करती थीं। वे कहती थीं कि उन्हें डर है कि पापा उनकी जो बुराई करते हैं उस पर मैं कुछ ज़्यादा ही ध्यान दे रही हूँ। बात यहाँ तक बढ़ गयी कि मैं जो महसूस करती हूँ उसके बारे में मैं मम्मी-पापा किसी को नहीं बता सकती थी, क्योंकि मैं उन्हें तकलीफ नहीं पहुँचाना चाहती थी। देखा जाए तो बारह साल की उम्र से ही मैंने मम्मी-पापा के तलाक के बारे में अपने खयाल अपने अंदर दबाकर रख दिए।”—सैंड्रा।