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अगर मैं शरीर से लाचार हूँ, तो मैं क्या करूँ?

अगर मैं शरीर से लाचार हूँ, तो मैं क्या करूँ?

युवा लोग पूछते हैं

अगर मैं शरीर से लाचार हूँ, तो मैं क्या करूँ?

नीतिवचन 20:29 कहता है: “जवानों का गौरव उनका बल है।” अगर आपको कोई गंभीर बीमारी है या आप विकलांग हैं, तो आपको शायद लगे कि यह आयत मुझ पर कभी लागू नहीं हो सकती। मगर हिम्मत रखिए, यह आयत आप पर भी लागू हो सकती है! दरअसल, आपके जैसे बहुत-से जवान हैं, जिन्होंने सेहत से जुड़ी पहाड़ जैसी मुश्‍किलों का सामना किया है। सजग होइए! ने ऐसे ही चार जवानों का इंटरव्यू लिया।

जापान के रहनेवाले हीरोकी को जन्म से ही सेरिब्रल पैल्सी (दिमाग को नुकसान पहुँचने की वजह से होनेवाली अपंगता) है। वह कहता है: “मेरी गर्दन की पेशियाँ इतनी कमज़ोर हैं कि मैं अपना सिर सीधा नहीं कर पाता। यहाँ तक कि अपने हाथों पर भी मेरा कोई काबू नहीं। दूसरों की मदद के बगैर मैं कुछ भी नहीं कर सकता।”

दक्षिण अफ्रीका की रहनेवाली नैटली, साथ ही उसके छोटे भाई, जेम्स को जन्म से ही एक ऐसे किस्म का बौनापन है, जो बहुत ही कम लोगों में पाया जाता है। नैटली को स्कोलियोसिस (रीढ़ का एक ओर का टेढ़ापन) भी है। वह कहती है: “मेरी रीढ़ का चार बार ऑपरेशन हो चुका है। यही नहीं, मेरी रीढ़ की हड्डी मुड़ी होने की वजह से मेरे फेफड़े भी कमज़ोर हैं।”

ब्रिटेन का रहनेवाला तिमथी जब 17 साल का था, तब डॉक्टरी जाँच से उसे पता चला कि उसे क्रोनिक फटीग सिन्ड्रोम नाम की बीमारी है। (इस बीमारी के शिकार लोगों को लंबे समय तक थकान और मायूसी महसूस होती है; उनकी माँस-पेशियाँ कमज़ोर हो जाती हैं और उन्हें ठीक से नींद नहीं आती।) तिमथी कहता है: “मैं पहले एकदम हट्टा-कट्टा था और सबकुछ करता था। मगर दो महीनों के अंदर, मैं इतना कमज़ोर हो गया कि मैं अपने पैरों के बल खड़ा भी नहीं हो पा रहा था।”

ऑस्ट्रेलिया की रहनेवाली डेन्येल 19 साल की उम्र में ही डायबिटीज़ की शिकार हो गयी थी। वह कहती है: “डायबिटीज़ एक ऐसी बीमारी है, जिसके लक्षण साफ नज़र नहीं आते। इसलिए कुछ लोगों को लगता है कि यह कोई खतरनाक बीमारी नहीं है। मगर सच पूछिए तो यह है बड़ी खतरनाक। डायबिटीज़ की वजह से मेरी जान जा सकती है।”

अगर आपको भी कोई गंभीर बीमारी है या आप विकलांग हैं, तो इसमें कोई शक नहीं कि हीरोकी, नैटली, तिमथी और डेन्येल की कही बातों से आपको काफी हौसला मिलेगा। दूसरी तरफ, अगर आपकी सेहत अच्छी है, तो इन चारों की बातों की मदद से आप विकलांग या बीमार लोगों से और भी ज़्यादा हमदर्दी जता पाएँगे।

सजग होइए!: आपके लिए सबसे बड़ी चुनौती क्या है?

नैटली: मुझे देखकर लोग जिस तरह पेश आते हैं, उसका सामना करना मेरे लिए सबसे बड़ी चुनौती है। मुझे हर पल बेचैनी महसूस होती है। और जब लोग मुझे नहीं भी देख रहे होते हैं, तब भी मुझे लगता है कि वे मुझे ही घूर रहे हैं।

डेन्येल: मेरे लिए सबसे बड़ी परेशानी है यह जानना कि क्या खाऊँ, क्या न खाऊँ और कितना खाऊँ। क्योंकि अगर मैं खाने-पीने के मामले में अपना ख्याल न रखूँ, तो मुझे हाइपोग्लाइसीमिया (खून में शक्कर की कमी) हो सकता है। इससे मैं कोमा में जा सकती हूँ।

हीरोकी: मेरे पास एक खास व्हील चेयर है, जो मेरे डील-डौल के हिसाब से बनायी गयी है। उस पर मुझे हर रोज़ जैसे बिठाया जाता है, वैसे ही मैं करीब 15 घंटे बैठा रहता हूँ। मैं ठीक से सो भी नहीं पाता हूँ। ज़रा-सी आहट से मेरी नींद टूट जाती है।

तिमथी: शुरू-शुरू में तो मुझे यकीन ही नहीं हो रहा था कि मैं बीमार हूँ। मुझे अपनी हालत पर शर्मिंदगी भी महसूस होती थी।

सजग होइए!: आप और किन-किन तकलीफों से गुज़रते हैं?

डेन्येल: डायबिटीज़ की वजह से मैं बहुत थक जाती हूँ। मेरी उम्र के जवानों के मुकाबले, मुझे ज़्यादा सोने की ज़रूरत पड़ती है। इसके अलावा, डायबिटीज़ एक लाइलाज बीमारी है।

नैटली: बेशक, छोटा कद होने की वजह से मुझे काफी दिक्कतें उठानी पड़ती हैं। मैं मामूली-सा काम भी बड़ी मुश्‍किल से कर पाती हूँ, जैसे बड़ी-बड़ी दुकानों में ऊँचाई पर रखे सामान लेना वगैरह। इसलिए अकेले में खरीदारी करना, मेरे लिए काफी मेहनत का काम है।

तिमथी: मैं लगातार दर्द से कराहता रहता हूँ। साथ ही, मैं अकसर मायूसी के सागर में डूब जाता हूँ। बीमार पड़ने से पहले मैं सबकुछ किया करता था। मैं नौकरी करता था, गाड़ी चलाता था, साथ ही फुटबॉल और स्क्वॉश जैसे कई खेलों में भी हिस्सा लेता था। पर अब मेरा यह हाल हो गया है कि मैं व्हील चेयर के बगैर कहीं आ-जा नहीं सकता।

हीरोकी: अपनी अपंगता की वजह से मैं ठीक से बोल नहीं पाता हूँ। इसलिए मैं बड़ा मायूस हो जाता हूँ और बातचीत शुरू करने से झिझकता हूँ। यहाँ तक कि कभी-कभी जब मेरा हाथ किसी को तड़ाक से लग जाता है, तो मैं अपने बोलने की समस्या की वजह से माफी भी नहीं माँग पाता।

सजग होइए!: अपने हालात से निपटने के लिए आपको किस बात से मदद मिलती है?

डेन्येल: मैं अपनी ज़िंदगी की अच्छी बातों पर ध्यान देने की कोशिश करती हूँ। जैसे, मेरे परिवार के लोग, जो बहुत ही अच्छे हैं और मुझे दिलो-जान से प्यार करते हैं; मसीही कलीसिया के दोस्त, जो मुझे बहुत चाहते हैं; और इन सबसे बढ़कर यहोवा परमेश्‍वर, जो मेरी मदद करने के लिए हरदम तैयार रहता है। इसके अलावा, मैं डायबिटीज़ को बढ़ने से रोकने के बारे में ताज़ा जानकारी रखने की कोशिश करती हूँ। अपनी सेहत का ध्यान रखने की ज़िम्मेदारी मैं खुद उठाती हूँ। इसलिए मैं अपना पूरा-पूरा ख्याल रखती हूँ।

नैटली: प्रार्थना से मुझे बहुत ताकत मिलती है। मैं एक वक्‍त पर एक ही समस्या से निपटने की कोशिश करती हूँ। मैं खुद को व्यस्त रखती हूँ, ताकि मेरे मन में बुरे खयाल कभी न आएँ। मेरे मम्मी-पापा भी इतने अच्छे हैं कि मैं उनसे बेझिझक अपने दिल की बात कह सकती हूँ।

तिमथी: मैं हर दिन कोई-न-कोई आध्यात्मिक काम करता हूँ, फिर चाहे यह थोड़े समय के लिए ही क्यों न हो। जैसे, मैं हर दिन सुबह रोज़ाना वचन पढ़कर उस पर मनन करता हूँ। निजी बाइबल अध्ययन और प्रार्थना मेरे लिए बहुत अहमियत रखते हैं, खासकर ऐसे वक्‍त पर जब मैं बहुत निराश होता हूँ।

हीरोकी: जो काम मैं नहीं कर सकता, उनके बारे में मैं बेवजह फिक्र नहीं करता। क्योंकि ऐसा करना, वक्‍त की बरबादी है। दूसरी तरफ, मैं खुद को आध्यात्मिक तौर पर मज़बूत करने के लिए अपना भरसक करता हूँ। मैं अपनी बीमारी का बहाना बनाकर कभी-भी बाइबल अध्ययन में नागा नहीं करता। जब मुझे नींद नहीं आती, तो मैं उस मौके का फायदा उठाकर प्रार्थना करता हूँ।—रोमियों 12:12 देखिए।

सजग होइए!: दूसरों ने आपकी हौसला-अफज़ाई कैसे की है?

हीरोकी: मैं जो भी थोड़ा-बहुत करता हूँ, उसके लिए प्राचीन मेरी तारीफ करते हैं। कलीसिया के दूसरे भाई-बहन भी मुझे अपने साथ वापसी भेंटों और बाइबल अध्ययनों पर ले जाते हैं।—रोमियों 12:10 देखिए।

डेन्येल: जो बात मेरे दिल को सबसे ज़्यादा छू जाती है, वह यह है कि कलीसिया के भाई-बहन मुझे दिल से शाबाशी देते हैं। इससे मुझे लगता है कि कलीसिया को मेरी कदर है। साथ ही, मुझे परमेश्‍वर की सेवा में लगे रहने का हौसला भी मिलता है।

तिमथी: मेरी कलीसिया में एक बुज़ुर्ग बहन है, जो सभाओं में हमेशा मुझसे बात करने की खास कोशिश करती है। प्राचीनों और उनकी पत्नियों ने भी मेरी हिम्मत बँधायी है और मुझे कई कारगर सुझाव दिए हैं। एक 84 साल के बुज़ुर्ग प्राचीन ने मुझे ऐसे लक्ष्य रखने में मदद दी है, जिन्हें हासिल करना मेरे लिए मुमकिन है। एक बार एक सहायक सेवक ने मुझे अपने साथ प्रचार करने के लिए बुलाया। और उसने मेरी खातिर ऐसे सपाट इलाके में प्रचार करने का इंतज़ाम किया, जहाँ मेरी व्हील चेयर आसानी से जा सकती थी।—भजन 55:22 देखिए।

नैटली: जैसे ही मैं राज्य घर में दाखिल होती हूँ, मेरे आध्यात्मिक भाई-बहन खुशी-खुशी मेरा स्वागत करते हैं। बुज़ुर्ग भाई-बहन हमेशा मुझे कोई-न-कोई हौसला बढ़ानेवाली बात बताते हैं, इसके बावजूद कि उनकी खुद की ज़िंदगी समस्याओं से घिरी है।—2 कुरिन्थियों 4:16, 17 देखिए।

सजग होइए!: क्या बात आपको सही नज़रिया बनाए रखने में मदद देती है?

हीरोकी: यहोवा का एक साक्षी होने के नाते मैं एक ऐसे संगठन से जुड़ा हूँ, जिसके लोगों के पास एक सुनहरी आशा है। यही बात मुझे सही नज़रिया बनाए रखने में मदद देती है।—2 इतिहास 15:17 देखिए।

डेन्येल: परमेश्‍वर के मकसद को समझने का मुझे जो सम्मान मिला है, उसके बारे में मैं सोचती रहती हूँ। दुनिया में ऐसे कितने ही लोग हैं जो सेहतमंद तो हैं, मगर वे अपनी ज़िंदगी से उतने खुश नहीं हैं, जितना कि मैं हूँ।—नीतिवचन 15:15 देखिए।

नैटली: मैं हमेशा ऐसे लोगों के साथ संगति करती हूँ, जो सही नज़रिया रखते हैं। मुझे ऐसे लोगों की जीवनी पढ़कर भी हौसला मिलता है, जो आज़माइशों के बावजूद यहोवा की सेवा कर रहे हैं। और जब भी मैं राज्य घर जाती हूँ, तो मुझे मालूम रहता है कि वहाँ मुझे ताकत मिलेगी। साथ ही, मुझे याद दिलाया जाएगा कि यहोवा की एक साक्षी होना क्या ही बड़े सम्मान की बात है।—इब्रानियों 10:24, 25 देखिए।

तिमथी: 1 कुरिन्थियों 10:13 के मुताबिक, यहोवा हमें ऐसी परीक्षा में कभी पड़ने नहीं देगा, जो हमारे सहने से बाहर है। इसलिए मैं मानता हूँ कि जब मेरे सिरजनहार को मुझ पर भरोसा है कि मैं इस आज़माइश को झेल सकता हूँ, तो फिर मैं कौन होता हूँ यह सोचनेवाला कि मैं इसे झेल नहीं सकता? (g 2/08)

“युवा लोग पूछते हैं” के और भी लेख, वेब साइट www.watchtower.org/ype पर उपलब्ध हैं

इस बारे में सोचिए

◼ हीरोकी और तिमथी दोनों व्हील चेयर का इस्तेमाल करते हैं। अगर आपका भी यही हाल है, तो उनकी बातों से आपको सही नज़रिया बनाए रखने में कैसे मदद मिल सकती है?

◼ डेन्येल कहती है: “डायबिटीज़ एक ऐसी बीमारी है, जिसके लक्षण साफ नज़र नहीं आते। इसलिए कुछ लोगों को लगता है कि यह कोई खतरनाक बीमारी नहीं।” क्या आप भी ऐसी किसी बीमारी के शिकार हैं, “जिसके लक्षण साफ नज़र नहीं आते”? अगर हाँ, तो डेन्येल की बातों से आप क्या सबक सीख सकते हैं?

◼ नैटली कहती है कि लोग उसे देखकर जिस तरह पेश आते हैं, उसका सामना करना उसके लिए सबसे बड़ी चुनौती है। आप नैटली जैसे लोगों की बेचैनी दूर करने के लिए क्या कर सकते हैं? अगर आप किसी बीमारी या अपंगता की वजह से नैटली की तरह बेचैनी महसूस करते हैं, तो आप उसके जैसा सही नज़रिया कैसे बनाए रख सकते हैं?

◼ नीचे उन विकलांग या गंभीर बीमारी के शिकार लोगों के नाम लिखिए, जिन्हें आप जानते हैं।

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◼ इनमें से हरेक का हौसला बढ़ाने के लिए आप क्या कर सकते हैं?

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[पेज 23 पर बक्स]

बाइबल से दिलासा

यीशु को बीमार लोगों के लिए सच्ची करुणा है। —मरकुस 1:14.

यीशु ने ‘हर प्रकार की बीमारी और दुर्बलता को दूर करके’ दिखाया कि परमेश्‍वर के राज्य में चंगाई के कैसे-कैसे काम किए जाएँगे।—मत्ती 4:23.

परमेश्‍वर की नयी दुनिया में “कोई निवासी न कहेगा कि मैं रोगी हूं” और हर तरह के दर्द का नामो-निशान मिटा दिया जाएगा।—यशायाह 33:24; प्रकाशितवाक्य 21:1-4.

यहाँ तक कि “अन्तिम बैरी” मौत को भी “नाश किया जाएगा।”—1 कुरिन्थियों 15:25, 26.

[पेज 22 पर तसवीर]

23 साल का हीरोकी, जापान

[पेज 22 पर तसवीर]

20 साल की नैटली, दक्षिण अफ्रीका

[पेज 22 पर तसवीर]

20 साल का तिमथी, ब्रिटेन

[पेज 22 पर तसवीर]

24 साल की डेन्येल, ऑस्ट्रेलिया