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फोन कैसे बिगाड़ सकता है हमारे दिमाग को?

फोन कैसे बिगाड़ सकता है हमारे दिमाग को?

हम सबको हमेशा नयी-नयी बातें सीखनी पड़ती हैं, फिर चाहे वह स्कूल के लिए हो, ऑफिस के लिए या घर के किसी काम के लिए। इसके लिए आजकल हमें कहीं दूर नहीं जाना पड़ता, घर बैठे ही हम फोन से बहुत कुछ सीख सकते हैं।

मगर अकसर देखा गया है कि जो फोन का बहुत ज़्यादा इस्तेमाल करते हैं, वे . . .

  • ध्यान लगाकर पढ़ नहीं पाते।

  • किसी एक काम पर ध्यान नहीं लगा पाते।

  • अकेले होते हैं, तो बहुत जल्दी बोर हो जाते हैं।

क्या आप जानते हैं?

पढ़ना

जो लोग फोन या कंप्यूटर का ज़्यादा इस्तेमाल करते हैं, वे अकसर इत्मीनान से कोई लेख या किताब नहीं पढ़ पाते। वे बस जल्दी से उस पर एक नज़र डाल लेते हैं ताकि उन्हें पता चल जाए कि वह किस बारे में है।

कई बार सरसरी नज़र डालने से हमें तुरंत अपने सवाल का जवाब मिल जाता है। लेकिन अगर हम किसी विषय के बारे में अच्छी तरह जानना चाहते हैं, तो सरसरी नज़र डालना काफी नहीं, हमें ध्यान लगाकर पढ़ना होगा।

ज़रा सोचिए: अगर कोई लेख बहुत बड़ा हो, तो क्या आप उसे आराम से पढ़ते हैं या हड़बड़ी में? क्या आपको लगता है कि ध्यान से पढ़ने से आप नयी-नयी बातें सीख पाएँगे?​—नीतिवचन 18:15.

ध्यान लगाना

कुछ लोगों को लगता है कि अगर उनके हाथ में फोन हो, तो वे एक-साथ दो काम कर सकते हैं। जैसे कुछ लोग पढ़ने के साथ-साथ अपने दोस्तों को मैसेज भी करते हैं। लेकिन अगर उनका ध्यान भटका हुआ हो, तो शायद वे एक भी काम ठीक से न कर पाएँ, खासकर जब कोई ऐसा काम हो जिस पर पूरा ध्यान लगाना हो।

एक वक्‍त पर एक ही काम पर ध्यान लगाना आसान नहीं होता। लेकिन ऐसा करने के कई फायदे हैं। ग्रेस नाम की एक लड़की कहती है, “मैं कोशिश करती हूँ कि एक वक्‍त पर एक ही काम करूँ, एक-साथ बहुत सारी चीज़ें करने की कोशिश न करूँ। इस तरह गलतियाँ भी कम होती हैं और ज़्यादा चिंता भी नहीं होती।”

ज़रा सोचिए: जब आप पढ़ने के साथ-साथ दूसरे काम भी करते हैं, तो आप जो पढ़ रहे हैं, उसे समझना और याद रखना क्या आपको मुश्‍किल लगता है?​—नीतिवचन 17:24.

अकेले रहना

कुछ लोगों को अकेले रहना अच्छा नहीं लगता। इसलिए जब भी वे अकेले होते हैं, तो फोन चलाने लग जाते हैं। ओलिविया का कहना है, “मुझसे तो 15 मिनट भी अकेले नहीं रहा जाता। मैं तुरंत अपना फोन या टैबलेट देखने लगती हूँ या फिर टीवी चला लेती हूँ।”

मगर सच तो यह है कि जब हम अकेले होते हैं, तो जो बातें हमने पढ़ी थीं, उनके बारे में गहराई से सोच पाते हैं और उन्हें अच्छी तरह समझ पाते हैं। यह बात न सिर्फ नौजवानों में, बल्कि बड़ों में भी देखी गयी है।

ज़रा सोचिए: जब आप अकेले होते हैं, तो क्या आप उन बातों के बारे में सोचते हैं जो आपने पढ़ी थीं?​—1 तीमुथियुस 4:15.

इसे आज़माइए

सोचिए कि आप फोन का कैसे इस्तेमाल करते हैं

आप फोन की मदद से नयी बातें कैसे सीख सकते हैं? जब आप पढ़ रहे हों, तो फोन की वजह से आपका ध्यान कैसे भटक सकता है?

पवित्र शास्त्र की सलाह: “जो बुद्धि तुझे फायदा पहुँचाती है उसे सँभालकर रखना और अपनी सोचने-परखने की शक्‍ति गँवा न देना।”​—नीतिवचन 3:21.