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अध्याय 3

“परमेश्‍वर की तरफ से मुझे दर्शन मिले”

“परमेश्‍वर की तरफ से मुझे दर्शन मिले”

यहेजकेल 1:1

अध्याय किस बारे में है: यहोवा के रथ की एक झलक

1-3. (क) यहेजकेल क्या देखता और सुनता है? (शुरूआती तसवीर देखें।) (ख) वह शक्‍ति क्या है जिससे यहेजकेल यह दर्शन देखता है? (ग) दर्शन का उस पर क्या असर होता है?

 यहेजकेल के सामने दूर-दूर तक फैला एक रेतीला मैदान है और उसे मैदान के उस पार कुछ दिखायी दे रहा है। यहेजकेल बड़ी मुश्‍किल से देखने की कोशिश कर रहा है, क्योंकि उसे कुछ धुँधला-धुँधला नज़र आ रहा है। मगर जैसे-जैसे वह मंज़र उसके सामने आने लगता है, उसे अपनी आँखों पर विश्‍वास नहीं होता। वह बस देखता ही रह जाता है। आसमान पर काली घटा छा रही है और एक तूफान आनेवाला है। लेकिन यह कोई मामूली तूफान नहीं है। उत्तर से एक भयानक आँधी चलने लगती है और यहेजकेल की तरफ बढ़ने लगती है। उसके बालों और कपड़ों पर हवा का तेज़ झोंका लगता है। फिर वह ऐसा बड़ा और विशाल बादल देखता है जैसा उसने ज़िंदगी में पहले कभी नहीं देखा था। बादल में से आग की लपटें निकल रही हैं। उसकी चमक देखकर यहेजकेल को ऐसा लगता है मानो सोने-चाँदी जैसी कोई चीज़ चमचमा रही है। बादल यहेजकेल की तरफ तेज़ी से बढ़ने लगता है और उसके बढ़ने के साथ-साथ एक भयानक शोर होता है, जैसे कोई बड़ी सेना शोर मचाती हुई आगे बढ़ रही हो।—यहे. 1:4, 24.

2 इस वक्‍त यहेजकेल करीब 30 साल का है और उसके साथ ऐसी अनोखी घटनाओं का सिलसिला बस अभी शुरू ही हुआ है। आगे उसे एक-से-एक दर्शन दिखाए जाएँगे। यह पहला दर्शन देखते वक्‍त वह महसूस करता है कि “यहोवा का हाथ उस पर” है यानी वह उसकी ज़बरदस्त पवित्र शक्‍ति महसूस करता है। उस शक्‍ति से अब वह दर्शन में ऐसे हैरतअंगेज़ दृश्‍य देखेगा और ऐसी अनोखी आवाज़ें सुनेगा कि उस दर्शन के सामने आज की स्पैशल इफैक्ट्‌स वाली आधुनिक फिल्में कुछ भी नहीं। दर्शन का यहेजकेल पर ऐसा असर होता है कि उससे कुछ बोलते नहीं बनता। वह मुँह के बल नीचे गिर जाता है।—यहे. 1:3, 28.

3 यहोवा यहेजकेल को यह दर्शन क्यों दिखाता है? सिर्फ इसलिए नहीं कि यहेजकेल उसे देखकर विस्मय से भर जाए। यहेजकेल का यह पहला दर्शन और वे सारे दर्शन जिनका ब्यौरा उसने अपनी रोमांचक किताब में दर्ज़ किया है, गहरा मतलब रखते हैं। यहेजकेल के लिए वे दर्शन बहुत मायने रखते थे और आज यहोवा के सेवकों के लिए भी वे बहुत मायने रखते हैं। तो आइए ज़रा नज़दीक से देखें कि इस पहले दर्शन में यहेजकेल को क्या-क्या दिखायी देता है और क्या-क्या सुनायी पड़ता है।

उसने दर्शन कब और कहाँ देखा

4, 5. जब यहेजकेल ने यह दर्शन देखा, तब हालात कैसे थे?

4 यहेजकेल 1:1-3 पढ़िए। आइए पहले देखें कि यहेजकेल यह दर्शन कब और कहाँ देखता है। यह ईसा पूर्व 613 की बात है। जैसे पिछले अध्याय में बताया गया था, यहेजकेल बैबिलोन में है। वह कबार नदी के पास एक बस्ती में दूसरे यहूदियों के साथ बँधुआई में जी रहा है। शायद कबार एक नहर का नाम है। यह फरात नदी से कटकर बहती और फिर बाद में उसी में मिल जाती थी।

यहेजकेल कुछ लोगों के साथ बँधुआई में कबार नदी के पास रहता था (पैराग्राफ 4 देखें)

5 यहूदियों का शहर यरूशलेम यहाँ से करीब 800 किलोमीटर दूर है। * वहाँ के मंदिर में एक समय पर यहेजकेल का पिता याजक हुआ करता था। मगर अब वहाँ झूठी उपासना और मूर्तिपूजा हो रही है। जहाँ एक ज़माने में दाविद और सुलैमान बड़ी शान से राज करते थे, अब वह राज डूबने पर है। दुष्ट राजा यहोयाकीन दूसरे यहूदियों के साथ बैबिलोन में बंदी है। उसकी जगह जिस सिदकियाह को राजा बनाया गया है, वह भी बहुत दुष्ट है और राजा नबूकदनेस्सर के हाथों बस एक कठपुतली बनकर रह गया है।—2 राजा 24:8-12, 17, 19.

6, 7. यहेजकेल क्यों दुखी हो गया होगा?

6 इन बुरे हालात की वजह से यहेजकेल और उसके जैसे वफादार लोग दुखी हो गए होंगे। वे शायद सोच रहे होंगे, क्या यहोवा ने हमेशा के लिए हमारा साथ छोड़ दिया है? क्या बैबिलोन की बुरी हुकूमत और उसके अनगिनत झूठे देवता शुद्ध उपासना का नामो-निशान मिटा देंगे और धरती से यहोवा का राज खत्म कर देंगे?

7 इन्हीं हालात को मन में रखते हुए, क्यों न आप अपनी बाइबल में यहेजकेल का पहला दर्शन पढ़ें? इसमें वह खुलकर बताता है कि उसने क्या-क्या देखा और सुना। (यहे. 1:4-28) इसे पढ़ते समय खुद को यहेजकेल की जगह रखिए। उसने जो देखा, उसे अपने मन की आँखों से देखिए और उसने जो सुना, उसे सुनने की कोशिश कीजिए।

कर्कमीश के पासवाले इलाके में फरात नदी (पैराग्राफ 5-7 देखें)

एक अनोखा वाहन

8. (क) यहेजकेल दर्शन में क्या देखता है? (ख) उसे जो दिखायी देता है, वह किसे दर्शाता है?

8 चंद शब्दों में कहें तो यहेजकेल कुछ ऐसा देखता है जो बहुत ही विशाल और ऊँचे वाहन जैसा लगता है, इतना विशाल कि देखनेवाले की धड़कन रुक जाए। दर्शन में इस वाहन को रथ बताया गया है। उसके चार बड़े-बड़े पहिए हैं और उनके साथ चार अदृश्‍य प्राणी हैं, जिन्हें बाद में करूब कहा गया है। (यहे. 10:1) करूबों के ऊपर फलक जैसा कुछ है जो दूर-दूर तक फैला है। फलक बर्फ जैसा उज्ज्वल है और उसके ऊपर परमेश्‍वर की शानदार राजगद्दी है। उस पर यहोवा विराजमान है! वह रथ किसे दर्शाता है? बेशक, यहोवा के विश्‍वव्यापी संगठन के उस हिस्से को जो स्वर्ग में है। यह हम कैसे कह सकते हैं? आइए तीन कारण देखें।

9. रथ के वर्णन से कैसे पता चलता है कि यहोवा स्वर्गदूतों पर राज करता है?

9 यहोवा स्वर्गदूतों पर राज करता है।  ध्यान दीजिए कि दर्शन में यहोवा का सिंहासन करूबों के ऊपर है। बाइबल की कुछ और आयतों में भी यहोवा का वर्णन इसी तरह किया गया है कि वह करूबों के ऊपर या उनके बीच विराजमान है। (2 राजा 19:15 पढ़िए; निर्ग. 25:22; भज. 80:1) इसका यह मतलब नहीं कि यहोवा सचमुच करूबों के ऊपर बैठता है, मानो उसे उन शक्‍तिशाली प्राणियों का सहारा चाहिए, न ही वह सचमुच के किसी रथ पर सवार है। करूब उसके राज करने के अधिकार का समर्थन करते हैं और यहोवा उन्हें इस पूरे विश्‍व में कहीं पर भी भेज सकता है ताकि वे उसकी मरज़ी पूरी करें। यहोवा के दूसरे पवित्र स्वर्गदूतों की तरह वे भी उसके सेवक हैं और यहोवा जो फैसला सुनाता है उसे लागू करते हैं। (भज. 104:4) इसी मायने में यहोवा सब स्वर्गदूतों पर सवार है। मानो वे सब मिलकर एक विशाल रथ जैसे हैं और यहोवा एक राजा के नाते उन्हें आदेश देता है कि उन्हें कब क्या करना चाहिए।

10. हम कैसे कह सकते हैं कि रथ या संगठन सिर्फ चार करूबों से नहीं बना है?

10 रथ या संगठन में सिर्फ चार करूब नहीं हैं।  दर्शन में यहेजकेल सिर्फ चार करूबों को देखता है। बाइबल में संख्या चार किसी बात की पूर्णता को दर्शाती है। इससे पता चलता है कि दर्शन के वे चार करूब यहोवा के सभी  वफादार स्वर्गदूतों को दर्शाते हैं। यह भी ध्यान दीजिए कि पहियों और करूबों में आँखें-ही-आँखें हैं। आँखें होने का मतलब है सतर्क होना। सिर्फ चार करूब ही नहीं बल्कि यहोवा के सभी स्वर्गदूत सतर्क रहते हैं। इसके अलावा दर्शन में वाहन को इतना विशाल दिखाया गया है कि उसके सामने बड़े-बड़े करूब भी छोटे नज़र आते हैं। (यहे. 1:18, 22; 10:12) इसका मतलब, यहोवा के संगठन का जो हिस्सा स्वर्ग में है, वह बहुत विशाल है। उसमें बस चार करूब नहीं बल्कि बहुत-से स्वर्गदूत हैं।

दर्शन में यहोवा का रथ देखकर यहेजकेल पर डर-सा छा गया (पैराग्राफ 8-10 देखें)

11. दानियेल ने भी कैसा दर्शन देखा था और इसलिए क्या कहना सही होगा?

11 दानियेल ने भी ऐसा ही दर्शन देखा था।  भविष्यवक्‍ता दानियेल बैबिलोन शहर में एक लंबे अरसे तक जीया था और उसे भी स्वर्ग का एक दर्शन दिया गया था। दिलचस्पी की बात है कि उस दर्शन में भी यही दिखाया गया कि यहोवा के सिंहासन के पहिए हैं। दानियेल ने दर्शन में खासकर यह देखा कि यहोवा के स्वर्गदूतों से बना परिवार कितना बड़ा है। उसने देखा कि यहोवा के सामने “लाखों-लाख” स्वर्गदूत खड़े हैं। वे सभी मानो एक अदालत का हिस्सा थे और उनमें से हरेक की शायद एक तय जगह थी। (दानि. 7:9, 10, 13-18) तो क्या यह कहना सही नहीं होगा कि यहेजकेल ने दर्शन में जो रथ देखा, वह भी लाखों-लाख स्वर्गदूतों को ही दर्शाता है?

12. बाइबल में लिखे दर्शनों का अध्ययन करने से कैसे हमारे मन की रक्षा होती है?

12 यहोवा जानता है कि अगर हम इंसान “अनदेखी चीज़ों” पर ध्यान लगाएँ, तो इससे हमारे मन की रक्षा होगी। हमारा ध्यान बेकार की बातों पर नहीं जाएगा। वह कैसे? हाड़-माँस के इंसान होने की वजह से हमारा ध्यान अकसर “दिखायी देनेवाली चीज़ों पर” होता है, यानी अपनी ज़िंदगी की चिंताओं पर, जबकि यह बस कुछ समय के लिए ही हैं। (2 कुरिंथियों 4:18 पढ़िए।) शैतान हमारी इस कमज़ोरी का फायदा उठाता है और हमें सिर्फ इस ज़िंदगी की चिंताओं के बारे में सोचने के लिए उकसाता है। इसलिए यहोवा ने हमारी भलाई के लिए बाइबल में कई वाकए दर्ज़ कराए हैं जिनका अध्ययन करने से हम शैतान के बहकावे में नहीं आएँगे। इनमें से एक है, यहेजकेल का यह दर्शन। इस दर्शन से हमारा ध्यान इस बात पर जाता है कि स्वर्गदूतों से बना यहोवा का परिवार कितना महान है, कितना भव्य है!

“घूमनेवाले पहियो!”

13, 14. (क) यहेजकेल रथ के पहियों का कैसे वर्णन करता है? (ख) यहोवा की राजगद्दी में पहिए क्यों लगे हैं?

13 शुरू में यहेजकेल सिर्फ चार करूबों पर ध्यान देता है। अगले अध्याय में हम देखेंगे कि उन करूबों से और उनके अनोखे रूप से हम यहोवा के बारे में क्या जान सकते हैं। करूबों को देखने के बाद यहेजकेल चार पहिए देखता है जो करूबों के ही साथ हैं। पहिए शायद चार कोनों पर हैं, जिससे एक बहुत बड़ा चौकोर बना हुआ है। (यहेजकेल 1:16-18 पढ़िए।) ऐसा जान पड़ता है कि पहिए करकेटक से बने हैं। करकेटक एक बेशकीमती रत्न है जो पीले या पीले-हरे रंग का होता है और पारदर्शी हो सकता है। इस खूबसूरत रत्न से बनने की वजह से पहियों की चमक देखते बनती है।

14 यहेजकेल के दर्शन में रथ के पहियों के बारे में काफी कुछ बताया गया है। यहेजकेल जो राजगद्दी देखता है वह कितनी अलग-सी है। उसमें पहिए लगे हुए हैं। जहाँ तक दुनिया के राजाओं की बात है, उनकी राजगद्दी एक ही जगह पर टिकी होती है, उसमें पहिए नहीं होते कि उसे जहाँ चाहे ले जा सकें। वे एक सीमित इलाके तक ही अधिकार चला सकते हैं। मगर यहोवा की हुकूमत ऐसी नहीं है। जैसे यहेजकेल अब देखने जा रहा है, उसकी हुकूमत की कोई सीमा नहीं है। (नहे. 9:6) यहोवा पूरे विश्‍व का सम्राट है, इसलिए वह जहाँ चाहे वहाँ अपना अधिकार चला सकता है!

15. पहियों की बनावट और उनका आकार कैसा है?

15 पहिए इतने ऊँचे और विशाल हैं कि यहेजकेल का मुँह खुला-का-खुला रह जाता है। वह कहता है, “हर पहिए का घेरा इतना ऊँचा था कि देखनेवाले की साँसें थम जाएँ।” ज़रा कल्पना कीजिए, यहेजकेल कैसे सिर ऊपर करके फटी आँखों से उन चमकते हुए घेरों को देखता रह गया होगा, जो आकाश की ऊँचाइयों को छू रहे थे। पहियों के बारे में वह एक दिलचस्प बात बताता है, “हर पहिए के पूरे घेरे में आँखें-ही-आँखें थीं।” मगर सबसे हैरान करनेवाली बात थी, पहियों की अनोखी बनावट। वह कहता है, “उनका रूप और उनकी बनावट दिखने में ऐसी थी मानो हर पहिए के अंदर एक और पहिया लगा हो।” इसका क्या मतलब है?

16, 17. (क) हर पहिए के अंदर एक और पहिया कैसे लगा है? (ख) पहियों की बनावट की वजह से यहोवा का रथ कैसे घूम सकता है?

16 ऐसा मालूम पड़ता है कि यहेजकेल ने जो पहिए देखे, वे एक ही आकार के दो-दो पहिए थे। वे समकोण में इस तरह रखे गए थे कि उनकी धुरी ऊपर और नीचे एक ही सीध में थी। यही वजह है कि पहिए जिस तरह घूमते हैं, वह बिलकुल नामुमकिन-सा लगता है। यहेजकेल बताता है, “जब पहिए आगे बढ़ते तो वे चार दिशाओं में से किसी भी दिशा में बिना मुड़े जा सकते थे।” इन पहियों से हमें उस रथ के बारे में क्या पता चलता है जो यहेजकेल ने देखा था?

17 ऐसे ऊँचे-ऊँचे पहिए अगर बस एक बार भी घूमें, तो वे बहुत दूर तक पहुँच सकते हैं। दर्शन में यह भी दिखाया गया कि रथ बिजली की रफ्तार से घूम रहा है! (यहे. 1:14) इसलिए हम अंदाज़ा भी नहीं लगा सकते कि पहिए कुछ ही पल में कितनी दूरी तय करते होंगे। इस तरह चार दिशाओं में घूमनेवाले पहिए बनाने के बारे में इंसान सिर्फ सपने में ही सोच सकता है। दर्शन में रथ बिना रफ्तार कम किए, यहाँ तक कि बिना मुड़े किसी भी दिशा में घूम सकता है! लेकिन इसका यह मतलब नहीं कि यह अंधाधुंध घूम रहा है। पहियों के पूरे घेरे में आँखें-ही-आँखें हैं जिसका मतलब यह है कि इस वाहन को अच्छी तरह पता है कि उसके चारों तरफ, हर दिशा में क्या हो रहा है।

पहिए बहुत बड़े और ऊँचे थे और बिजली की रफ्तार से आगे बढ़ रहे थे (पैराग्राफ 17 देखें)

18. पहियों की ऊँचाई और उन पर लगी आँखों से क्या पता चलता है?

18 यह दर्शन दिखाकर यहोवा यहेजकेल को और अपने सभी वफादार सेवकों को क्या सिखाना चाह रहा है? उसके संगठन का जो हिस्सा स्वर्ग में है, उसके बारे में वह कुछ अहम बातें सिखा रहा है। पहियों का आकार और उनकी तेज़ चमक दिखाती है कि उसके संगठन का वह हिस्सा महिमा से भरपूर है और विस्मयकारी है।  पहियों के पूरे घेरे में जो आँखें-ही-आँखें हैं, उनसे पता चलता है कि संगठन के इस हिस्से को सब बातों की जानकारी है।  एक तो यहोवा सबकुछ देख सकता है। (नीति. 15:3; यिर्म. 23:24) और उसके पास जो लाखों-करोड़ों स्वर्गदूत हैं, उन्हें वह विश्‍व के किसी भी कोने में भेज सकता है। स्वर्गदूतों की भी पारखी नज़र है, जिससे वे हर बात की ठीक-ठीक जाँच करके अपने मालिक यहोवा को खबर दे सकते हैं।—इब्रानियों 1:13, 14 पढ़िए।

पहियों की बनावट ऐसी थी कि वे किसी भी दिशा में घूम सकते थे (पैराग्राफ 17, 19 देखें)

19. हमें रथ की रफ्तार और किसी भी दिशा में मुड़ने की क्षमता से यहोवा और उसके संगठन के बारे में क्या पता चलता है?

19 इसके अलावा हमने देखा कि रथ बिजली की रफ्तार से आगे बढ़ता है और उसे किसी भी दिशा में मोड़ा जा सकता है।  ज़रा सोचिए, परमेश्‍वर के संगठन के इस हिस्से में और इंसानी संगठनों और सरकारों में कितना फर्क है। इंसानी संगठन या सरकारें समस्याओं का हल नहीं कर पातीं और हालात के मुताबिक फेरबदल नहीं कर पातीं, इसलिए वे नाकाम हो जाती हैं। आगे चलकर उनका नाश कर दिया जाएगा। लेकिन यहोवा का संगठन हालात के मुताबिक फेरबदल करता है और लिहाज़ करता है, ठीक जैसे यहोवा भी करता है। आखिर इस रथ को चलानेवाला यहोवा जो है! जैसे यहोवा के नाम से भी ज़ाहिर होता है, वह अपना मकसद पूरा करने के लिए जो चाहे बन सकता है। (निर्ग. 3:13, 14) मिसाल के लिए, वह एक वीर योद्धा बनकर अपने लोगों की खातिर लड़ सकता है और अगले ही पल एक दयालु पिता बनकर उन लोगों की गलतियाँ माफ कर सकता है, जो सच्चे दिल से पश्‍चाताप करते हैं। वह टूटे मनवालों के घाव भर सकता है और उन्हें दिलासा दे सकता है।—भज. 30:5; यशा. 66:13.

20. यहोवा के रथ के लिए हमारे दिल में गहरा आदर क्यों होना चाहिए?

20 यहेजकेल के दर्शन के बारे में हमने अब तक जो सीखा, उसे ध्यान में रखते हुए हमें खुद से पूछना चाहिए, ‘क्या यहोवा के रथ के लिए मेरे दिल में गहरा आदर है?’ हमें याद रखना चाहिए कि यह रथ यहोवा के संगठन को दर्शाता है, जो आज तेज़ी से आगे बढ़ रहा है। अगर हम किसी समस्या की वजह से निराश हैं, तो हमें ऐसा कभी नहीं सोचना चाहिए कि यहोवा, उसका बेटा और स्वर्गदूत हमारी समस्या को देख नहीं रहे हैं। न ही हमें यह सोचकर चिंता करनी चाहिए कि हमारी समस्याओं का हल करने में परमेश्‍वर देरी करेगा या दुनिया में अचानक होनेवाले बदलावों की वजह से अगर कोई नयी समस्या उठे, तो यहोवा का संगठन उसका सामना नहीं कर पाएगा। हमें याद रखना चाहिए कि यहोवा का संगठन बड़े जोश से काम कर रहा है और तेज़ी से आगे बढ़ रहा है। यहेजकेल भी यही बात दर्शन में देखता है क्योंकि वह स्वर्ग से किसी को यह कहते सुनता है, “घूमनेवाले पहियो!” (यहे. 10:13) शायद वह आवाज़ पहियों को आगे बढ़ने का आदेश दे रही है। इस बारे में सोचने से हमारा दिल विस्मय से भर जाता है कि यहोवा अपने संगठन को कितने अद्‌भुत तरीके से आगे बढ़ा रहा है। इससे यहोवा के लिए हमारे दिल में श्रद्धा और भी बढ़ जाती है।

संगठन को चलानेवाला

21, 22. पहिए जब एक-दूसरे से जुड़े नहीं हैं, तो वे कैसे साथ-साथ आगे बढ़ते हैं?

21 यहेजकेल का ध्यान अब पहियों से हटकर उनके ऊपर की तरफ जाता है “जहाँ फलक जैसा कुछ था जो बर्फ की तरह इतना उज्ज्वल था और ऐसा चमचमा रहा था कि बयान नहीं किया जा सकता।” (यहे. 1:22) करूबों के बहुत ऊपर यह पारदर्शी फलक दूर-दूर तक फैला है और तेज़ चमक रहा है। शायद कुछ लोगों के मन में ये सवाल उठें, ‘यह फलक पहियों के ऊपर किसके सहारे टिका है? जब पहिए एक-दूसरे से जुड़े नहीं हैं, तो वे साथ-साथ आगे कैसे बढ़ रहे हैं?’ मगर याद रखिए कि यह सचमुच का कोई वाहन नहीं है बल्कि एक लाक्षणिक वाहन है। यह बस संगठन के उस हिस्से का प्रतीक है जो स्वर्ग में है। यह भी याद रखिए कि “जो शक्‍ति जीवित प्राणियों पर काम कर रही थी, वही शक्‍ति पहियों में भी थी।” (यहे. 1:20, 21) वह शक्‍ति क्या थी जो करूबों पर और पहियों में काम कर रही थी?

22 इसमें कोई शक नहीं कि वह यहोवा की पवित्र शक्‍ति थी, जो दुनिया की सबसे ताकतवर शक्‍ति है। यही ज़ोरदार शक्‍ति उस वाहन के सभी हिस्सों को साथ जोड़े हुए है, उसे आगे बढ़ा रही है और उसे पूरे तालमेल के साथ काम करने के लिए उभार रही है। इस बात को ध्यान में रखते हुए आइए अब हम यहेजकेल के साथ मिलकर दर्शन में उस परमेश्‍वर पर ध्यान दें, जो रथ को चला रहा है।

यहेजकेल ने दर्शन में ऐसी बातें देखीं कि उनका वर्णन करने के लिए उसे शब्द नहीं मिल रहे थे

23. यहोवा के बारे में वर्णन करते वक्‍त यहेजकेल किस तरह के शब्द इस्तेमाल करता है? क्यों?

23 यहेजकेल 1:26-28 पढ़िए। इस पूरे दर्शन में यहेजकेल जो देखता है उसका वर्णन करते वक्‍त वह “जैसा था,” “जैसा कुछ,” “जैसा लग रहा था,” और “जैसा दिख रहा था” जैसे शब्द इस्तेमाल करता है। मगर यहेजकेल 1:26-28 में वह इस तरह के शब्द और भी ज़्यादा इस्तेमाल करता है। दर्शन इतना शानदार है कि उसका वर्णन करने के लिए मानो उसे शब्द ही नहीं मिल रहे हैं। उसे कुछ ऐसा दिखायी दिया जो “नीलम का बना हुआ लग रहा था और राजगद्दी जैसा दिख रहा था।” क्या आप एक ऐसी राजगद्दी की कल्पना कर सकते हैं जो गहरे नीले रंग के एक ही विशाल नीलम पत्थर को गढ़कर बनायी गयी हो? उस राजगद्दी पर एक महान हस्ती विराजमान है और ‘उसका रूप इंसान जैसा’ है।

24, 25. (क) राजगद्दी के चारों तरफ दिखनेवाला मेघ-धनुष हमें क्या याद दिलाता है? (ख) इस तरह के दर्शनों का कुछ वफादार लोगों पर कैसा असर हुआ था?

24 उस महान शख्स यहोवा का रूप साफ-साफ नज़र नहीं आ रहा है, बस एक धुँधली-सी छवि नज़र आ रही है, क्योंकि उसकी कमर से नीचे और ऊपर के हिस्से से ऐसा तेज निकल रहा है जो आग की लपटों जैसा लग रहा है। हम कल्पना कर सकते हैं कि भविष्यवक्‍ता यहेजकेल उस वैभवशाली रूप को देखते वक्‍त बार-बार कैसे अपनी आँखें मीचता होगा और हाथों से अपना चेहरा ढक लेता होगा। फिर आखिर में यहेजकेल कुछ ऐसी बात बताता है जिससे हमें पता चलता है कि वह दर्शन कितना भव्य था। वह कहता है, ‘उसके चारों तरफ फैली चकाचौंध रौशनी दिखने में ऐसी लग रही थी जैसे बरसात के दिन बादल में निकलनेवाले मेघ-धनुष में होती है।’ क्या आप कभी मेघ-धनुष को देखकर रोमांचित हुए हैं? मेघ-धनुष हमारे सृष्टिकर्ता के प्रताप की क्या ही एक खूबसूरत झलक है! मेघ-धनुष के रूप में जो रंगीन मेहराब आसमान पर छा जाता है, वह हमें शांति के उस करार की भी याद दिलाता है जो यहोवा ने जलप्रलय के बाद किया था। (उत्प. 9:11-16) यहोवा महाशक्‍तिशाली होने के साथ-साथ शांति का भी परमेश्‍वर है। (इब्रा. 13:20) उसके दिल में शांति वास करती है और उन लोगों को भी शांति मिलती है, जो वफादारी से उसकी उपासना करते हैं।

यहोवा की राजगद्दी के चारों तरफ खूबसूरत मेघ-धनुष का होना हमें याद दिलाता है कि हम शांति के परमेश्‍वर की सेवा करते हैं (पैराग्राफ 24 देखें)

25 यहोवा के प्रताप की एक छवि देखने के बाद यहेजकेल पर क्या असर हुआ? वह बताता है, ‘जब मैंने यह देखा तो मैं मुँह के बल नीचे गिर पड़ा।’ वह इतना दंग रह जाता है और उसके अंदर परमेश्‍वर का ऐसा डर समा जाता है कि वह ज़मीन पर गिर पड़ता है। दर्शन पाने पर कुछ और भविष्यवक्‍ताओं पर भी ऐसा ही असर हुआ था। उन्होंने खुद को बहुत छोटा महसूस किया होगा, यहाँ तक कि वे डर गए होंगे। (यशा. 6:1-5; दानि. 10:8, 9; प्रका. 1:12-17) मगर यहोवा ने उन्हें दर्शन में जो दिखाया था, उससे उन्हें कुछ समय बाद काफी हिम्मत मिली। यहेजकेल को भी हिम्मत मिली। आज जब हम बाइबल में ये दर्शन पढ़ते हैं, तो हमें भी हिम्मत मिल सकती है।

26. इस दर्शन से यहेजकेल को कैसे हिम्मत मिली होगी?

26 अगर यहेजकेल सोचता होगा कि बैबिलोन में यहोवा के लोगों का क्या होगा, तो इस दर्शन से उसका शक दूर हो गया होगा और उसे काफी हिम्मत मिली होगी। यह बात कोई मायने नहीं रखती थी कि परमेश्‍वर के लोग यरूशलेम में थे या बैबिलोन में या कहीं और। वे यहोवा की पहुँच से दूर नहीं थे। जब भी उन्हें ज़रूरत पड़ती, यहोवा का रथ उनकी मदद कर सकता था। जो परमेश्‍वर स्वर्ग के उस महिमावान रथ को चला रहा है, उसे क्या कोई भी शैतानी ताकत या हुकूमत अपनी मरज़ी पूरी करने से रोक सकती है? (भजन 118:6 पढ़िए।) यहेजकेल ने यह भी देखा कि स्वर्ग का वह रथ इंसानों से बहुत दूर नहीं है। रथ के पहिए ज़मीन को छू रहे थे! (यहे. 1:19) इसका यह मतलब था कि यहोवा बँधुआई में रहनेवाले वफादार लोगों का बहुत खयाल रखता था। वे जब चाहे अपने पिता यहोवा से मदद माँग सकते थे!

रथ आपके लिए क्या मायने रखता है?

27. यहेजकेल के दर्शन से आज हम क्या सीख सकते हैं?

27 क्या यहेजकेल के दर्शन से आज हम कुछ सीख सकते हैं? ज़रूर सीख सकते हैं! आज शैतान शुद्ध उपासना को मिटाने के लिए पहले से कहीं ज़्यादा कोशिशें कर रहा है। वह हमें भी यही एहसास दिलाना चाहता है कि हम अकेले और बेसहारा हैं, अपने पिता यहोवा और उसके संगठन की पहुँच से बहुत दूर हैं। मगर आप इन झूठी बातों पर यकीन मत कीजिए। (भज. 139:7-12) यह दर्शन हमारे अंदर भी विस्मय पैदा करता है। शायद हम यहेजकेल की तरह ज़मीन पर न गिर पड़ें। फिर भी क्या यह देखकर हमारे दिल में विस्मय नहीं पैदा होना चाहिए कि संगठन का जो हिस्सा स्वर्ग में है, उसमें कितनी शक्‍ति है, उसकी रफ्तार कितनी तेज़ है, वह कैसे हालात के मुताबिक अपनी दिशा बदलता और बदलाव करता है और कितना प्रतापमय है?

28, 29. कौन-सी बातें दिखाती हैं कि पिछले सौ सालों से यहोवा का रथ तेज़ी से आगे बढ़ रहा है?

28 याद रखिए कि यहोवा के संगठन का एक हिस्सा धरती पर भी है। उसका यह हिस्सा अपरिपूर्ण इंसानों से बना है। फिर भी यहोवा ने उन्हें पूरी दुनिया में ऐसे-ऐसे लाजवाब काम करने के लिए उभारा है, जो वे अपनी ताकत से कभी नहीं कर सकते थे। (यूह. 14:12) परमेश्‍वर का राज हुकूमत कर रहा है!  किताब पर अगर हम एक सरसरी नज़र भी डालें, तो हम देख सकते हैं कि पिछले सौ सालों में प्रचार काम कितने बड़े पैमाने पर हुआ है। हम यह भी देख सकते हैं कि यहोवा के संगठन ने सच्चे मसीहियों को राज की शिक्षा देने में, कानूनी जीत हासिल करने में, यहाँ तक कि नयी-नयी टेक्नॉलजी इस्तेमाल करके परमेश्‍वर की मरज़ी पूरी करने में क्या-क्या मुकाम हासिल किया है।

29 जब हम इस बारे में सोचते हैं कि यहोवा ने इस दुष्ट दुनिया के आखिरी दिनों में शुद्ध उपासना बहाल करने के लिए कितना कुछ किया है, तो हम साफ देख सकते हैं कि यहोवा का रथ तेज़ी से आगे बढ़ रहा है। हमारे लिए यह कितनी खुशी की बात है कि हम भी इस संगठन का एक भाग हैं और हमें यहोवा जैसे महान राजा की सेवा करने का बढ़िया मौका मिला है!—भज. 84:10.

यहोवा के संगठन का जो हिस्सा धरती पर है, वह तेज़ी से आगे बढ़ रहा है (पैराग्राफ 28, 29 देखें)

30. अगले अध्याय में हम क्या जानेंगे?

30 यहेजकेल के दर्शन से हम और भी बहुत-सी बातें सीख सकते हैं। अगले अध्याय में हम उन चार “जीवित प्राणियों” या करूबों को नज़दीक से देखेंगे और जानेंगे कि उनसे हम अपने महिमावान परमेश्‍वर और महाराजा यहोवा के बारे में क्या सीख सकते हैं।

^ पैरा. 5 यह शायद सीधा रास्ता था, मगर यहूदी शायद दूसरे रास्ते से बैबिलोन गए जो करीब 1,600 किलोमीटर लंबा था।