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मरकुस के मुताबिक खुशखबरी

अध्याय

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सारांश

  • 1

    • यूहन्‍ना बपतिस्मा देनेवाले का प्रचार काम (1-8)

    • यीशु का बपतिस्मा (9-11)

    • शैतान ने यीशु को फुसलाने की कोशिश की (12, 13)

    • यीशु ने गलील में प्रचार शुरू किया (14, 15)

    • शुरूआती चेले चुने गए (16-20)

    • दुष्ट स्वर्गदूत निकाला गया (21-28)

    • यीशु कफरनहूम में कई बीमारों को ठीक करता है (29-34)

    • एकांत जगह में प्रार्थना करता है (35-39)

    • एक कोढ़ी को ठीक करता है (40-45)

  • 2

    • यीशु, लकवे के मारे हुए को ठीक करता है (1-12)

    • लेवी को बुलाता है (13-17)

    • उपवास के बारे में सवाल (18-22)

    • यीशु ‘सब्त के दिन का प्रभु’ (23-28)

  • 3

    • सूखे हाथवाला आदमी ठीक होता है (1-6)

    • झील के किनारे एक बड़ी भीड़ (7-12)

    • 12 प्रेषित (13-19)

    • पवित्र शक्‍ति के खिलाफ निंदा की बातें (20-30)

    • यीशु की माँ और उसके भाई (31-35)

  • 4

    • राज के बारे में मिसालें (1-34)

      • बीज बोनेवाला (1-9)

      • यीशु ने मिसालें क्यों दीं (10-12)

      • बीज बोनेवाले की मिसाल समझायी (13-20)

      • दीपक टोकरी के नीचे नहीं रखा जाता (21-23)

      • जिस नाप से तुम नापते हो (24, 25)

      • बीज बोनेवाला सोता है (26-29)

      • राई का दाना (30-32)

      • मिसालें देता था (33, 34)

    • यीशु आँधी को शांत करता है (35-41)

  • 5

    • यीशु दुष्ट स्वर्गदूतों को सूअरों में भेजता है (1-20)

    • याइर की बेटी; एक औरत यीशु का कपड़ा छूती है (21-43)

  • 6

    • यीशु अपने नगर में ठुकराया गया (1-6)

    • 12 चेलों को प्रचार की हिदायतें (7-13)

    • यूहन्‍ना बपतिस्मा देनेवाले की मौत (14-29)

    • यीशु ने 5,000 को खिलाया (30-44)

    • यीशु पानी पर चलता है (45-52)

    • गन्‍नेसरत में बीमारों को ठीक करता है (53-56)

  • 7

    • इंसानी परंपराओं का परदाफाश (1-13)

    • दिल से निकलनेवाली बातें ही दूषित करती हैं (14-23)

    • सीरिया के फीनीके की रहनेवाली औरत का विश्‍वास (24-30)

    • बहरा आदमी ठीक किया गया (31-37)

  • 8

    • यीशु ने 4,000 को खिलाया (1-9)

    • चिन्ह दिखाने के लिए कहा (10-13)

    • फरीसियों और हेरोदेस का खमीर (14-21)

    • बैतसैदा में अंधा आदमी ठीक किया जाता है (22-26)

    • पतरस बताता है कि यीशु ही मसीह है (27-30)

    • यीशु की मौत की भविष्यवाणी (31-33)

    • सच्चा चेला कौन है (34-38)

  • 9

    • यीशु का रूप बदला (1-13)

    • दुष्ट स्वर्गदूत के कब्ज़े में पड़ा लड़का ठीक हुआ (14-29)

      • जिसमें विश्‍वास है उसके लिए सबकुछ मुमकिन है (23)

    • यीशु एक बार फिर अपनी मौत की भविष्यवाणी करता है (30-32)

    • चेले बहस करते हैं कि कौन बड़ा है (33-37)

    • जो हमारे खिलाफ नहीं, वह हमारे साथ है (38-41)

    • ठोकर खिलाना (42-48)

    • “खुद में नमक जैसा स्वाद रखो” (49, 50)

  • 10

    • शादी और तलाक (1-12)

    • यीशु बच्चों को आशीर्वाद देता है (13-16)

    • एक अमीर आदमी का सवाल (17-25)

    • राज की खातिर त्याग (26-31)

    • यीशु एक बार फिर अपनी मौत की भविष्यवाणी करता है (32-34)

    • याकूब और यूहन्‍ना की गुज़ारिश (35-45)

      • यीशु बहुतों के लिए फिरौती (45)

    • बरतिमाई नाम का अंधा आदमी ठीक किया गया (46-52)

  • 11

    • यीशु राजा की हैसियत से दाखिल होता है (1-11)

    • अंजीर के पेड़ को शाप दिया गया (12-14)

    • यीशु मंदिर को शुद्ध करता है (15-18)

    • सूखे अंजीर के पेड़ से सबक (19-26)

    • यीशु के अधिकार पर सवाल उठाया गया (27-33)

  • 12

    • खून करनेवाले बागबानों की मिसाल (1-12)

    • परमेश्‍वर और सम्राट (13-17)

    • मरे हुओं के ज़िंदा होने के बारे में सवाल (18-27)

    • दो सबसे बड़ी आज्ञाएँ (28-34)

    • मसीह, दाविद का सिर्फ एक वंशज? (35-37क)

    • शास्त्रियों के बारे में चेतावनी (37ख-40)

    • गरीब विधवा के दो पैसे (41-44)

  • 13

    • दुनिया की व्यवस्था का आखिरी वक्‍त (1-37)

      • युद्ध, भूकंप, अकाल (8)

      • खुशखबरी का प्रचार किया जाएगा (10)

      • महा-संकट (19)

      • इंसान के बेटे का आना (26)

      • अंजीर के पेड़ की मिसाल (28-31)

      • जागते रहो (32-37)

  • 14

    • याजक, यीशु को मार डालने की साज़िश करते हैं (1, 2)

    • यीशु पर खुशबूदार तेल उँडेला गया (3-9)

    • यहूदा, यीशु को धोखा देता है (10, 11)

    • आखिरी फसह (12-21)

    • प्रभु के संध्या-भोज की शुरूआत (22-26)

    • भविष्यवाणी कि पतरस इनकार कर देगा (27-31)

    • यीशु गतसमनी में प्रार्थना करता है (32-42)

    • यीशु की गिरफ्तारी (43-52)

    • महासभा के सामने मुकदमा (53-65)

    • पतरस, यीशु को जानने से इनकार कर देता है (66-72)

  • 15

    • यीशु, पीलातुस के सामने (1-15)

    • सरेआम मज़ाक उड़ाया गया (16-20)

    • गुलगुता में काठ पर ठोंक दिया गया (21-32)

    • यीशु की मौत (33-41)

    • यीशु को दफनाया गया (42-47)

  • 16

    • यीशु ज़िंदा हो गया (1-8)