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पवित्र शास्त्र का नयी दुनिया अनुवाद (अध्ययन बाइबल)

सारांश

  • 1

    • सेना के लिए नाम-लिखाई (1-46)

    • लेवियों को सेना से छूट (47-51)

    • छावनी डालने का कायदा (52-54)

  • 2

    • तीन-तीन गोत्रों के दल (1-34)

      • यहूदा का दल पूरब की तरफ (3-9)

      • रूबेन का दल दक्षिण की तरफ (10-16)

      • लेवी की छावनी बीच में (17)

      • एप्रैम का दल पश्‍चिम की तरफ (18-24)

      • दान का दल उत्तर की तरफ (25-31)

      • आदमियों की कुल गिनती (32-34)

  • 3

    • हारून के बेटे (1-4)

    • लेवी सेवा के लिए चुने गए (5-39)

    • पहलौठों को छुड़ाना (40-51)

  • 4

    • कहातियों की सेवा (1-20)

    • गेरशोनियों की सेवा (21-28)

    • मरारियों की सेवा (29-33)

    • नाम-लिखाई का निचोड़ (34-49)

  • 5

    • अशुद्ध लोग छावनी से बाहर (1-4)

    • पाप कबूल करना और मुआवज़ा (5-10)

    • व्यभिचार के शक पर पानी से परखना (11-31)

  • 6

    • नाज़ीर बनने की मन्‍नत (1-21)

    • याजकों का आशीर्वाद (22-27)

  • 7

    • पवित्र डेरे के उद्‌घाटन पर चढ़ावे (1-89)

  • 8

    • हारून ने सात दीए जलाए (1-4)

    • लेवी शुद्ध किए गए; उनकी सेवा शुरू (5-22)

    • लेवियों की सेवा के लिए तय उम्र (23-26)

  • 9

    • देर से फसह मनाने का इंतज़ाम (1-14)

    • डेरे के ऊपर बादल और आग (15-23)

  • 10

    • चाँदी की तुरहियाँ (1-10)

    • सीनै से रवाना हुए (11-13)

    • पड़ाव उठाने का कायदा (14-28)

    • होबाब से रास्ता दिखाने की गुज़ारिश (29-34)

    • पड़ाव उठाते समय मूसा की प्रार्थना (35, 36)

  • 11

    • शिकायतों की वजह से आग बरसी (1-3)

    • लोग गोश्‍त के लिए रोए (4-9)

    • मूसा ने नाकाबिल महसूस किया (10-15)

    • 70 मुखियाओं को पवित्र शक्‍ति मिली (16-25)

    • एलदाद और मेदाद; यहोशू को मूसा के लिए जलन (26-30)

    • बटेर भेजे गए; लालच की सज़ा (31-35)

  • 12

    • मिरयम और हारून ने विरोध किया (1-3)

      • मूसा, सबसे दीन स्वभाव का (3)

    • यहोवा ने मूसा की पैरवी की (4-8)

    • मिरयम को कोढ़ (9-16)

  • 13

    • 12 जासूस कनान भेजे गए (1-24)

    • 10 जासूसों ने गलत खबर दी (25-33)

  • 14

    • लोगों ने मिस्र लौटना चाहा (1-10)

      • यहोशू और कालेब ने अच्छी खबर दी (6-9)

    • यहोवा भड़का; मूसा ने बीच-बचाव किया (11-19)

    • सज़ा: 40 साल वीराने में (20-38)

    • इसराएल को अमालेकियों ने हराया (39-45)

  • 15

    • चढ़ावे के बारे में कानून (1-21)

      • इसराएलियों और परदेसियों के लिए एक ही कानून (15, 16)

    • अनजाने में किए पापों के लिए चढ़ावे (22-29)

    • जानबूझकर किए पापों की सज़ा (30, 31)

    • सब्त का नियम तोड़नेवाले को मार डाला गया (32-36)

    • पोशाक के नीचे के घेरे में झालर (37-41)

  • 16

    • कोरह, दातान और अबीराम की बगावत (1-19)

    • बागियों को सज़ा दी गयी (20-50)

  • 17

    • हारून की छड़ी में कलियाँ (1-13)

  • 18

    • याजकों और लेवियों की ज़िम्मेदारियाँ (1-7)

    • याजकों को मिलनेवाला हिस्सा (8-19)

      • नमक का करार (19)

    • लेवी दसवाँ हिस्सा पाएँगे और देंगे (20-32)

  • 19

    • लाल गाय; शुद्ध करनेवाला पानी (1-22)

  • 20

    • कादेश में मिरयम की मौत (1)

    • मूसा का पाप (2-13)

    • एदोम ने अपने यहाँ से इसराएल को नहीं जाने दिया (14-21)

    • हारून की मौत (22-29)

  • 21

    • अराद के राजा की हार (1-3)

    • ताँबे का साँप (4-9)

    • इसराएल ने मोआब के किनारे-किनारे सफर किया (10-20)

    • एमोरी राजा सीहोन की हार (21-30)

    • एमोरी राजा ओग की हार (31-35)

  • 22

    • बिलाम किराए पर बुलाया गया (1-21)

    • बिलाम की गधी बोली (22-41)

  • 23

    • बिलाम का पहला संदेश (1-12)

    • बिलाम का दूसरा संदेश (13-30)

  • 24

    • बिलाम का तीसरा संदेश (1-11)

    • बिलाम का चौथा संदेश (12-25)

  • 25

    • मोआबी औरतों के साथ पाप (1-5)

    • फिनेहास ने कदम उठाया (6-18)

  • 26

    • इसराएल के गोत्रों की दूसरी बार गिनती (1-65)

  • 27

    • सलोफाद की बेटियाँ (1-11)

    • यहोशू, मूसा के बाद अगुवा ठहराया गया (12-23)

  • 28

    • चढ़ावे अर्पित करने के तरीके (1-31)

      • रोज़ के चढ़ावे (1-8)

      • सब्त के चढ़ावे (9, 10)

      • हर महीने के चढ़ावे (11-15)

      • फसह के चढ़ावे (16-25)

      • कटाई के त्योहार के चढ़ावे (26-31)

  • 29

    • चढ़ावे अर्पित करने के तरीके (1-40)

      • तुरही फूँकने के दिन के चढ़ावे (1-6)

      • प्रायश्‍चित के दिन के चढ़ावे (7-11)

      • छप्परों के त्योहार के चढ़ावे (12-38)

  • 30

    • आदमियों की मन्‍नतें (1, 2)

    • औरतों और बेटियों की मन्‍नतें (3-16)

  • 31

    • मिद्यान से बदला लिया गया (1-12)

      • बिलाम मार डाला गया (8)

    • युद्ध से मिली लूट (13-54)

  • 32

    • यरदन के पूरब में बस्तियाँ (1-42)

  • 33

    • वीराने में इसराएल के पड़ाव (1-49)

    • कनान जीतने के बारे में हिदायतें (50-56)

  • 34

    • कनान की सरहदें (1-15)

    • ज़मीन बाँटने के लिए आदमी ठहराए गए (16-29)

  • 35

    • लेवियों के लिए शहर (1-8)

    • शरण नगर (9-34)

  • 36

    • जो लड़कियाँ वारिस बनती हैं उनकी शादी के बारे में नियम (1-13)