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आप किस बुनियाद पर अपनी ज़िंदगी खड़ी कर रहे हैं?

आप किस बुनियाद पर अपनी ज़िंदगी खड़ी कर रहे हैं?

आप किस बुनियाद पर अपनी ज़िंदगी खड़ी कर रहे हैं?

एक इमारत कब तक टिकी रहेगी, यह काफी हद तक इस बात पर निर्भर करता है कि उसकी बुनियाद कितनी मज़बूत है। बाइबल में कुछ अहम मुद्दों को समझाने के लिए इसी सिद्धांत का इस्तेमाल किया गया है।

मिसाल के लिए, यशायाह नबी ने कहा कि यहोवा परमेश्‍वर ने ‘पृथ्वी की नेव डाली’ है। (यशायाह 51:13) इस नींव का मतलब है, परमेश्‍वर के वे अटल नियम जिनकी वजह से पृथ्वी अपनी परिक्रमा करती रहती है और अपनी धुरी पर बनी रहती है। (भजन 104:5) परमेश्‍वर के वचन, बाइबल में उन ‘नेवों’ के बारे में भी बताया गया है, जिन पर इंसानी समाज टिका है। ये हैं: न्याय, कानून और व्यवस्था। जब ये “ढा दी” जाती हैं, यानी अन्याय, भ्रष्टाचार और हिंसा की वजह से बुनियाद कमज़ोर हो जाती है, तो समाज टूटकर बिखर जाता है।—भजन 11:2-6; नीतिवचन 29:4.

यह सिद्धांत हर इंसान की ज़िंदगी पर भी लागू होता है। यीशु मसीह ने अपने मशहूर पहाड़ी उपदेश के आखिर में कहा: “जो कोई मेरी ये बातें सुनकर उन्हें मानता है वह उस बुद्धिमान मनुष्य की नाईं ठहरेगा जिस ने अपना घर चटान पर बनाया। और मेंह बरसा और बाढ़ें आईं, और आन्धियां चलीं, और उस घर पर टक्करें लगीं, परन्तु वह नहीं गिरा, क्योंकि उस की नेव चटान पर डाली गई थी। परन्तु जो कोई मेरी ये बातें सुनता है और उन पर नहीं चलता वह उस निर्बुद्धि मनुष्य की नाईं ठहरेगा जिस ने अपना घर बालू पर बनाया। और मेंह बरसा, और बाढ़ें आईं, और आन्धियां चलीं, और उस घर पर टक्करें लगीं और वह गिरकर सत्यानाश हो गया।”—मत्ती 7:24-27.

आप अपनी ज़िंदगी किस बुनियाद पर खड़ी कर रहे हैं? भक्‍तिहीन इंसान के फलसफों पर, जो बालू के समान अस्थिर हैं और इस वजह से आपकी ज़िंदगी को तबाह कर सकते हैं? या यीशु मसीह की शिक्षाएँ मानते हुए मज़बूत चट्टान पर, ताकि मुसीबत की आँधियाँ भी आपका कुछ बिगाड़ न सकें?