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साओ तोमी और प्रिंसीपी में सुसमाचार के अच्छे नतीजे मिल रहे हैं

साओ तोमी और प्रिंसीपी में सुसमाचार के अच्छे नतीजे मिल रहे हैं

साओ तोमी और प्रिंसीपी में सुसमाचार के अच्छे नतीजे मिल रहे हैं

ज़्यादातर लोगों ने शायद साओ तोमी और प्रिंसीपी का नाम कभी नहीं सुना होगा क्योंकि सैर-सपाटे की जगहों की विज्ञापन-पत्रिकाओं में इनका ज़िक्र बहुत कम मिलता है। अगर दुनिया के नक्शे पर देखें तो अफ्रीका के पश्‍चिमी तट पर गिनी खाड़ी में, ये बिंदु की तरह दिखायी देते हैं। साओ तोमी बिलकुल भूमध्य रेखा के पास है और उससे कुछ दूरी पर, उत्तर-पूर्व की ओर प्रिंसीपी बसा है। यहाँ हवा में नमी और भारी वर्षा की वजह से वर्षा-प्रचुर वन बड़े पैमाने पर फैले हैं, जो 2,000 से ज़्यादा मीटर ऊँचे पहाड़ों की चोटियों को पूरी तरह ढके रहते हैं।

ये गर्म द्वीप समुद्र के नीले पानी से घिरे हुए हैं और इनके तट खजूर के पेड़ों से भरे हैं। यहाँ के रहवासी बहुत स्नेही और मिलनसार हैं। इनके बाप-दादे अफ्रीकी और यूरोपीय थे, इस वजह से यहाँ मिली-जुली संस्कृति का बढ़िया मेल देखने को मिलता है। यहाँ की आबादी 1,70,000 है और इनका मुख्य काम कोको का निर्यात करना है, साथ ही ये खेतीबाड़ी और मछुआई भी करते हैं। हाल के सालों में यहाँ एक दिन के खाने का जुगाड़ करना भी चुनौती बन गया है।

बीसवीं सदी के आखिरी सालों में यहाँ एक ऐसी घटना घटी, जिसका इन द्वीपों के ज़्यादा-से-ज़्यादा लोगों की ज़िंदगी पर ज़बरदस्त असर हुआ। जून 1993 में साओ तोमी और प्रिंसीपी की सरकार ने यहोवा के साक्षियों को कानूनी मान्यता दे दी। इस तरह लंबे अरसे से यहोवा के साक्षी जिन मुश्‍किलों का सामना कर रहे थे, उनका अंत हुआ।

मुश्‍किलों के दौर में बीज बोए

लगता है कि इस देश में पहला साक्षी, 1950 के शुरूआती सालों में आया, जब इन द्वीपों पर अफ्रीका के दूसरे पुर्तगाली उपनिवेशों से कइयों को बंदी बनाकर लेबर कैंप में काम करवाने लाया गया था। यह साक्षी अफ्रीका से था और पायनियर था यानी पूरे समय का सेवक। उसे परमेश्‍वर के राज्य का सुसमाचार प्रचार करने के जुर्म में मोज़म्बिक से देशनिकाला देकर यहाँ लाया गया था। अकेले होने पर भी वह अपने काम में लगा रहा और छः महीने के अंदर उसके साथ और 13 लोग सुसमाचार फैलाने में जुट गए। बाद में, अंगोला से दूसरे साक्षी इसी कारण कैदी बनाकर लाए गए। अपने कारावास के दौरान उन्होंने हर मौके का फायदा उठाकर यहाँ के लोगों को सुसमाचार सुनाया।

सन्‌ 1966 तक, साओ तोमी लेबर कैंप में काम करनेवाले सभी भाई वापस अफ्रीका लौट गए। तब इन द्वीपों पर राज्य के प्रचारकों का छोटा समूह रह गया, फिर भी वे सभी हिम्मत के साथ प्रचार काम करते रहे। क्योंकि वे बाइबल अध्ययन के लिए एक-साथ मिलते थे इसलिए उन्हें खूब यातनाएँ दी गयीं, मारा गया और कैद किया गया। उस दौरान उनसे मिलनेवाला या उनकी हिम्मत बढ़ानेवाला कोई नहीं था। सन्‌ 1975 में इस देश को पुर्तगालियों से आज़ादी मिली। तब कहीं जाकर धीरे-धीरे ही सही, मगर राज्य की सच्चाई का बीज फलने लगा।

बढ़ोतरी और निर्माण-काम

सन्‌ 1993 में, जिस महीने साक्षियों का कानूनी तौर पर रजिस्ट्रेशन हुआ, उस महीने 100 राज्य प्रचारकों ने रिपोर्ट दी, जो तब तक की सबसे बड़ी संख्या थी। उसी साल पुर्तगाल से एक स्पेशल पायनियर जोड़ा आया। वे पुर्तगाली क्रिओल भाषा सीखने की पुरज़ोर कोशिश करने लगे जिसे देखकर लोगों के दिल में उनके लिए कदर और बढ़ गयी। फिर किंगडम हॉल के लिए जगह ढूँढ़ना सबसे ज़रूरी हो गया था। जब इस ज़रूरत के बारे में मारीया नाम की एक बहन ने सुना तो उसने अपनी ज़मीन का आधा हिस्सा दे दिया, जहाँ उसका एक छोटा-सा घर था। एक बड़ा किंगडम हॉल बनाने के लिए यह अच्छी-खासी ज़मीन थी। लेकिन मारीया को इस बात की भनक नहीं थी कि उसकी इस ज़मीन पर लालची बिज़नेसमैनों की नज़र है क्योंकि मारीया का इस दुनिया में कोई नहीं था। एक दिन एक बड़ा बिज़नेसमैन उससे बात करने आया।

उसने मारीया से कहा: “क्या तुम जानती हो कि तुमने जो फैसला किया है, उससे तुम्हें कितना बड़ा नुकसान हुआ है। मैंने सुना, तुमने अपनी ज़मीन दान कर दी। क्या तुम्हें अंदाज़ा है, उसकी कीमत कितनी होगी क्योंकि वह ठीक शहर के बीच में है?”

मारीया ने उससे पूछा: “अगर मैं आपको यह ज़मीन दूँ तो आप मुझे इसकी क्या कीमत देंगे?” उस आदमी ने इसका कोई जवाब नहीं दिया तो मारीया ने कहा: “इस संसार की सारी दौलत भी अगर आप मुझे लाकर दें तो भी वह मेरे लिए कम होगी, क्योंकि पैसे से ज़िंदगी नहीं खरीदी जा सकती।”

तब उस आदमी ने पूछा: “तुम्हारी तो कोई औलाद नहीं, है ना?”

मारीया इस बातचीत को खत्म करना चाहती थी, इसलिए उसने कहा: “इस ज़मीन का मालिक यहोवा है और इतने सालों तक उसने मुझे यहाँ रहने का मौका दिया, अब मैं उसकी ज़मीन उसे लौटा रही हूँ। मैं हमेशा की ज़िंदगी जीने की आशा रखती हूँ।” फिर मारीया ने पूछा: “क्या आप मुझे अनंत काल की ज़िंदगी दे सकते हैं?” इसके बाद वह बिना कुछ कहे, चुपचाप वहाँ से चल दिया।

अब वहाँ एक बहुत ही सुंदर, दो मंज़िला इमारत खड़ी है, जिसे पुर्तगाल के काबिल भाइयों की मदद से बनाया गया। इमारत के नीचे एक बड़ी बेसमेंट, एक बड़ा किंगडम हॉल, साथ ही रहने के लिए कुछ कमरे भी हैं। इसमें प्राचीनों, सहायक सेवकों और पायनियरों के स्कूल के लिए क्लासरूम भी बनाए गए हैं। अब यहाँ दो कलीसियाओं की सभाएँ होती हैं। इस तरह यह हॉल पूरी राजधानी में शुद्ध उपासना की बढ़िया शिक्षा देने की खास जगह बन गया है।

मेसॉशी में 60 जोशीले प्रचारकों की एक कलीसिया थी। केले के बाग में उनका एक कामचलाऊ किंगडम हॉल था, इसलिए उन्हें एक अच्छे किंगडम हॉल की ज़रूरत थी। जब इसके बारे में वहाँ के अधिकारियों को बताया गया तो उन्होंने उनकी ज़रूरत समझी और मुख्य सड़क के पास एक बढ़िया ज़मीन दे दी। पुर्तगाल के भाइयों की मदद से, जल्द-निर्माण काम तरीका अपनाकर दो महीने के अंदर एक बढ़िया किंगडम हॉल खड़ा किया गया। वहाँ के रहनेवालों को अपनी आँखों पर विश्‍वास नहीं हो रहा था। उस शहर में स्वीडेन का इंजीनियर जो किसी और निर्माण-काम में शामिल था, वह भी भाई-बहनों का काम देखकर दंग रह गया! उसने कहा: “मुझे तो यकीन ही नहीं हो रहा! यहोवा के साक्षी, मेसॉशी में जल्द-निर्माण काम तरीका अपना रहे हैं। हमें भी अपने निर्माण-काम की योजना इसी तरह बनानी चाहिए।” सन्‌ 1999, जून 12 को इस किंगडम हॉल का समर्पण कार्यक्रम रखा गया, जिसमें 232 लोग हाज़िर हुए। यह हॉल मेसॉशी शहर में पर्यटकों के देखने के लिए खास जगह बन गया है।

यादगार अधिवेशन

साओ तोमी और प्रिंसीपी में, जनवरी 1994 को तीन दिन का “ईश्‍वरीय शिक्षा” ज़िला अधिवेशन हुआ जो वहाँ के यहोवा के साक्षियों के लिए एक यादगार घटना थी क्योंकि यहाँ पहली बार अधिवेशन रखा गया था। अधिवेशन, शहर के सबसे बढ़िया एयर-कंडिशन हॉल में रखा गया। क्या आप उस समय उन 116 राज्य प्रचारकों की खुशी की कल्पना कर सकते हैं, जब उन्होंने 405 लोगों की हाज़िरी देखी, पहली बार बाइबल ड्रामे देखे और अधिवेशन के नए रिलीज़ पाए? वहाँ के समुद्र-तट पर 20 समर्पित लोगों को बपतिस्मा दिया गया।

अधिवेशन में आए लोगों के अनोखे बैज कार्ड ने वहाँ के लोगों का खास ध्यान खींच लिया था क्योंकि यह उनके लिए बिलकुल नयी चीज़ थी। इसके अलावा, पुर्तगाल और अंगोला से आए 25 मेहमानों की वजह से लग रहा था, मानो वहाँ अंतर्राष्ट्रीय अधिवेशन हो। चंद दिनों में ही इन मेहमानों को द्वीप के भाई-बहनों के साथ इतना गहरा लगाव हो गया कि जब आखिरी दिन इन्हें एक-दूसरे को अलविदा कहना पड़ा तो कइयों की आँखों से आँसू बह निकले।—यूहन्‍ना 13:35.

‘नैशनल रेडियो’ के पत्रकारों ने अधिवेशन के ओवरसियर का इंटरव्यू लिया और कई भाषणों के कुछ भाग भी रेडियो पर प्रसारित किए। इसमें शक नहीं कि यह वाकई एक यादगार अधिवेशन था। इससे उन वफादार साक्षियों को यहोवा के संगठन के और करीब आने का मौका मिला, जिनका लंबे अरसे से संगठन के साथ कोई संपर्क नहीं था।

ऐसे फल जिससे यहोवा की स्तुति होती है

जब एक व्यक्‍ति राज्य संदेश को सुनकर उसके मुताबिक काम करता है तो इससे उसके चालचलन पर बढ़िया असर होता है, साथ ही यहोवा की महिमा और स्तुति होती है। (तीतुस 2:10) एक किशोर लड़की हर हफ्ते बाइबल अध्ययन से जो कुछ सीख रही थी, उसे वह बहुत अच्छा लगता था। लेकिन उसके पिता ने उसे कलीसिया की सभाओं में जाने से मना कर दिया। तब उसने अपने पिता को बड़े आदर से मसीही सभाओं की अहमियत के बारे में समझाया और वहाँ जाने की इच्छा ज़ाहिर की। इस पर उसके पिता ने तुरंत उसे घर से बेदखल कर दिया। उसके पिता को शायद लगा कि अब वह भी दूसरे जवानों की तरह जल्द ही किसी ऐसे लड़के के साथ बिना शादी किए रहने लगेगी जो हर तरह से उसे सहारा देगा। लेकिन जब उसने जाना कि उसकी बेटी एक मसीही के तौर पर साफ-सुथरी ज़िंदगी जी रही है, तब उसने खुद ही दोबारा उसे घर बुला लिया और यहोवा की सेवा करने की पूरी छूट दे दी।

दूसरा उदाहरण संगीत समूह के एक लीडर का है। वह एक अनैतिक ज़िंदगी जी रहा था, लेकिन बाद में अपनी ऐसी ज़िंदगी से वह पूरी तरह मायूस हो गया और जीने का असल मकसद तलाशने लगा। तभी उसकी मुलाकात साक्षियों से हुई। जब वह बाइबल के नैतिक सिद्धांतों के मुताबिक ज़िंदगी बिताने लगा, तो वह लोगों में चर्चा का विषय बन गया। जल्द ही उसने यह महसूस किया कि उसे हर तरह की बुरी संगति से नाता तोड़ना होगा। (1 कुरिन्थियों 15:33) इसके बाद उसने यहोवा को अपना जीवन समर्पित करके बपतिस्मा लेने का अहम कदम उठाया।

कुछ नौजवान सच्चे धर्म की तलाश में थे। उनकी इस खोज की वजह से उन्होंने कई बार गिरजों के पास्टरों से बातचीत भी की। लेकिन नतीजा यह हुआ कि वे और उलझन में पड़ गए और निराश हो गए। इसलिए वे मार-धाड़ और आवारागर्दी करने लगे और धर्म की हर बात का मज़ाक उड़ाने लगे।

एक दिन यहोवा का एक साक्षी जो मिशनरी था, बाइबल अध्ययन कराने कहीं जा रहा था और वह उसी रास्ते से गुज़रा जहाँ ये नौजवान थे। ये नौजवान उस मिशनरी से अपने कुछ सवालों का जवाब पाना चाहते थे, इसलिए वे उसे पिछवाड़े ले गए और वहाँ उन्होंने एक छोटे-से स्टूल पर उसे बैठने के लिए कहा। इसके बाद आत्मा, नरकाग्नि, स्वर्ग में जीवन और इस संसार के अंत जैसे विषयों पर उन्होंने सवालों का ताँता लगा दिया। उस गैंग का लीडर जो भी सवाल पूछ रहा था, उस साक्षी ने उन सबके जवाब उसी बाइबल से दिए जो उसने भाई को दी थी। एक घंटे बाद लॉ नाम के उस गैंग लीडर ने मिशनरी से कहा: “दरअसल जब हमने आपको हमारे सवालों का जवाब देने के लिए बुलाया तो हमारा इरादा आपका मज़ाक उड़ाना था, जैसे हमने पहले भी कई धर्मों के लोगों के साथ किया था। हमें लगा कि कोई भी हमारे सवालों का जवाब नहीं दे सकता। लेकिन आपने तो सिर्फ बाइबल से ही हमारे सारे सवालों का जवाब दे दिया! बताइए कि मैं कैसे बाइबल के बारे में और ज़्यादा जान सकता हूँ?” लॉ के साथ बाइबल अध्ययन शुरू हुआ और जल्द ही वह सभाओं में जाने लगा। कुछ समय बाद उसने उस गैंग को छोड़ दिया, साथ ही आवारागर्दी और मार-धाड़ भी छोड़ दी। एक साल के अंदर उसने यहोवा को अपनी ज़िंदगी समर्पित करके बपतिस्मा ले लिया। अब वह सहायक सेवक के तौर पर सेवा कर रहा है।

इन द्वीपों पर एक रिवाज़ बहुत आम है कि अपनी शादी रजिस्टर कराए बिना लड़का-लड़की साथ रहते हैं। बहुत-से लोग, सालों से साथ रहे हैं और उनके बच्चे भी हुए हैं। उन्हें इस मामले पर परमेश्‍वर जो कहता उसे मानना बहुत मुश्‍किल लगता है। लेकिन एक व्यक्‍ति पर परमेश्‍वर के वचन का ऐसा असर हुआ कि उसने इस बाधा को पार कर लिया, और उसकी कहानी वाकई हमारे दिल को छू जाती है।—2 कुरिन्थियों 10:4-6; इब्रानियों 4:12.

जब आनटॉन्यू ने समझा कि उसे अपनी शादी रजिस्टर करवानी चाहिए तो उसने योजना बनायी कि वह ऐसा मक्के की कटनी के बाद करेगा ताकि वह शादी की दावत के लिए कुछ पैसा जमा कर सके। लेकिन कटनी के पहले, एक रात उसकी फसल चोरी हो गयी। तब उसने अगले साल की फसल तक इंतज़ार करने का फैसला किया, लेकिन एक बार फिर उसकी फसल चोरी हो गयी। जब आनटॉन्यू एक बार और अपनी शादी के लिए पैसा जुटाने में नाकाम रहा, तो वह समझ गया कि उसका असल दुश्‍मन कौन है। उसने कहा: “अब शैतान मेरे साथ और चालें नहीं चल सकता। हम एक-डेढ़ महीने के अंदर ही शादी कर लेंगे, फिर चाहे दावत दे पाएँ या नहीं!” और वही हुआ, उन्होंने शादी कर ली और यह देखकर वे दंग रह गए कि शादी की दावत के लिए उनके दोस्तों ने मुर्गियों, बत्तखों और बकरियों का इंतज़ाम किया। शादी रजिस्टर करवाने के बाद आनटॉन्यू और उसकी पत्नी ने अपने छः बच्चों के साथ यहोवा को किया अपना समर्पण ज़ाहिर करने के लिए बपतिस्मा लिया।

अब प्रिंसीपी द्वीप पर गौर करें

हाल के सालों में, साओ तोमी के पायनियर और सर्किट ओवरसियर समय-समय पर प्रिंसीपी के 6,000 रहवासियों से भेंट करते रहे हैं। यहाँ के लोग बहुत मेहमान-नवाज़ हैं। वे साक्षियों की बात सुनने के लिए हमेशा तैयार रहते हैं। एक बार एक आदमी को ट्रेक्ट दिया गया तो उसे पढ़ने के बाद उसने दूसरे दिन उन पायनियरों को ढूँढ़ निकाला और कहा कि वह इन्हें बाँटने में उनकी मदद करना चाहता है। पायनियरों ने समझाया कि ये काम उन्हें खुद ही करना है लेकिन उस आदमी ने ज़ोर देकर कहा कि उसे भी उनके साथ घर-घर जाना चाहिए ताकि घर-मालिकों से वह उनकी पहचान करा सके और उनकी बात ध्यान से सुनने की सलाह दे सके। बहुत समझाने के बाद आखिरकार वह चला गया लेकिन जाने से पहले उसने पायनियरों की तारीफ की कि वे बहुत बढ़िया काम कर रहे हैं।

सन्‌ 1998 में दो पायनियर, साओ तोमी से प्रिंसीपी आ बसे और जल्द ही 17 बाइबल अध्ययन चलाने लगे। काम तेज़ी से बढ़ने लगा और देखते-ही-देखते कलीसिया के पुस्तक अध्ययन में औसतन 16 लोग हाज़िर होने लगे और जन भाषण के लिए 30 से भी ज़्यादा लोग आने लगे। अब सभाओं के लिए जगह की ज़रूरत पड़ गयी। सो वहाँ के अधिकारियों को इसके बारे में बताया गया और खुशी की बात है कि उन्होंने ज़मीन दे दी। फिर उस पर एक छोटा-सा किंगडम हॉल बनाने के लिए साओ तोमी से कुछ भाई मदद के लिए खुद आगे आए। उसमें दो स्पेश्‍यल पायनियरों के रहने के लिए एक कमरा भी बनाया गया।

इसमें शक नहीं कि दूर-दराज़ के इन द्वीपों पर सुसमाचार बड़े पैमाने पर फल ला रहा है और खूब बढ़ोतरी हो रही है। (कुलुस्सियों 1:5, 6) जनवरी 1990 में साओ तोमी और प्रिंसीपी में 46 प्रचारक थे। लेकिन 2002 सेवा साल के दौरान राज्य प्रचारकों की संख्या 388 के शिखर तक पहुँच गयी! बीस प्रतिशत से ज़्यादा प्रचारक पूरे समय की सेवा कर रहे हैं और करीब 1,400 बाइबल अध्ययन चलाए जा रहे हैं। सन्‌ 2001 में, स्मारक की हाज़िरी 1,907 थी जो तब तक की सबसे ज़्यादा हाज़िरी थी। जी हाँ, इन गर्म द्वीपों पर यहोवा का वचन तेज़ी से फैल रहा है और उसकी महिमा हो रही है।—2 थिस्सलुनीकियों 3:1.

[पेज 12 पर बक्स/तसवीर]

मशहूर रेडियो प्रसारण

एक किताब, जिसकी इन द्वीपों पर सबसे ज़्यादा कदर की गयी, वह है, युवाओं के प्रश्‍न—व्यावहारिक उत्तर। * इस नाम का एक 15 मिनट का कार्यक्रम हर दो हफ्ते बाद ‘नैशनल रेडियो’ पर प्रसारित किया जाता है। यह सुनकर हमारे दिल में खुशी की कैसी लहर दौड़ उठती है, जब प्रसारक पूछता है, “जवानो, आप कैसे पहचानेंगे कि आपका प्यार सच्चा है या सिर्फ दीवानगी है?” और फिर उस किताब के एक भाग को पढ़ता है! (अध्याय 31 देखिए।) इसी तरह पारिवारिक सुख का रहस्य किताब से भी चुनिंदा भाग रेडियो पर प्रसारित किए जाते हैं। *

[फुटनोट]

^ पैरा. 33 यहोवा के साक्षियों ने प्रकाशित किया है।

^ पैरा. 33 यहोवा के साक्षियों ने प्रकाशित किया है।

[पेज 9 पर तसवीर]

सन्‌ 1994 में, साओ तोमी में बनाया गया पहला किंगडम हॉल

[पेज 10 पर तसवीरें]

1. मेसॉशी में जल्द-निर्माण तरीके से बनाया गया किंगडम हॉल

2. एक यादगार ज़िला अधिवेशन इसी हॉल में हुआ था

3. अधिवेशन में बेहद खुश नज़र आ रहे बपतिस्मा लेनेवाले भाई-बहन

[पेज 8 पर चित्र का श्रेय]

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