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इंटरनेट पर धोखाधड़ी—कहीं आप इसके शिकार तो नहीं?

इंटरनेट पर धोखाधड़ी—कहीं आप इसके शिकार तो नहीं?

इंटरनेट पर धोखाधड़ी—कहीं आप इसके शिकार तो नहीं?

विलियम अमरीका के फ्लॉरिडा शहर में रहनेवाला एक टीचर है, जो रिटायर हो चुका है। एक दिन उसे एक ई-मेल आया जो उसे लगा कि इंटरनेट सेवा देनेवाली कंपनी से है। उसमें लिखा था कि कंपनी के डाटाबेस से उसके इंटरनेट के बिल के साथ-साथ उसकी निजी जानकारी डिलीट हो गयी है। उस ई-मेल के साथ एक फॉर्म भी आया था, जिसमें विलियम ने अपनी सारी जानकारी दोबारा भरकर भेज दी। वह इस बात से बेखबर था कि उसकी निजी जानकारी किसी इंटरनेट कंपनी के पास नहीं, बल्कि न्यू यॉर्क के क्वीन्स शहर में शिवा नाम के एक अपराधी के पास गयी। अगले ही दिन, शिवा ने विलियम के क्रेडिट कार्ड नंबर से इंटरनेट पर एक प्रिंटर खरीदा ताकि उससे फर्ज़ी कागज़ात छापकर और भी लोगों को लूट सके। शिवा ने यही ई-मेल एक लाख लोगों को भेजा था और विलियम उनमें से एक था। तहकीकात करने पर पता चला कि करीब सौ लोग शिवा के झाँसे में आ गए।

ऑस्ट्रेलिया के क्वीन्सलैंड शहर में 56 साल की एक औरत को इंटरनेट पर एक आदमी से प्यार हो गया। उसे लगा कि वह ब्रिटेन का एक इंजीनियर है, मगर असल में वह नाइजीरिया में रहनेवाला 27 साल का एक फरेबी था। और जब तक इस बात का खुलासा हुआ तब तक वह आदमी उससे 47,000 डॉलर (करीब 25 लाख रुपए) ऐंठ चुका था। *

दुख की बात है कि इंटरनेट पर धोखाधड़ी बहुत आम हो गयी है। उपभोक्‍ता रिपोर्ट (अँग्रेज़ी) अपने लेख “सन्‌ 2010 का सूरते-हाल” में बताती है: “इंटरनेट पर खतरे तेज़ी से बढ़ रहे हैं और इंटरनेट इस्तेमाल करनेवालों को अरबों का नुकसान हो रहा है। पिछले साल के मुकाबले इस साल, कंप्यूटर में वायरस के हमले कई गुना बढ़ गए हैं और अमरीका के 40 प्रतिशत घरों के कंप्यूटर इससे प्रभावित हुए हैं। कुछ लोगों ने शिकायत की है कि उनके कंप्यूटर पर एक-से-ज़्यादा बार वायरस का हमला हुआ है।” आइए देखें कि आप इस धोखाधड़ी से खुद को कैसे बचा सकते हैं। मगर उससे पहले हम जानेंगे कि अपराधी ठगने के लिए कौन-कौन-से तरीके अपनाते हैं।

वे कैसे धोखा देते हैं?

इंटरनेट पर लोगों को अकसर ई-मेल के ज़रिए बेवकूफ बनाया जाता है। विलियम को जो ई-मेल मिला था उसे फिशिंग (Phishing) ई-मेल कहते हैं। जिस तरह मछली को फँसाने की कोशिश की जाती है, उसी तरह फिशिंग ई-मेल भी लोगों को फँसाने की कोशिश करता है और उन्हें ऐसी वेब साइट पर ले जाता है जो दिखने में असली लगती है मगर होती नकली है। और वहाँ उनसे उनका पासवर्ड, क्रेडिट कार्ड नंबर या बैंक खाते की जानकारी निकलवाता है। लेकिन जालसाज़ों को आपका ई-मेल पता कहाँ से मिलता है? ई-मेल एक्सट्रैक्टर नाम के एक कंप्यूटर प्रोग्राम की मदद से वे आपका ई-मेल पता ढूँढ़ निकालते हैं।

कुछ फिशिंग ई-मेल ऐसे होते हैं कि अगर आप अपनी निजी जानकारी न भी दें, तो भी वे अपने मकसद में कामयाब हो जाते हैं। वह कैसे? फिशिंग ई-मेल खोलते ही स्पाइ सॉफ्टवेयर आपके कंप्यूटर में घुस जाता है। यह प्रोग्राम एक जासूस की तरह कंप्यूटर पर आपके कामों पर नज़र रखता है। कुछ स्पाइ प्रोग्राम यह याद रखते हैं कि आप कीबोर्ड पर कौन-सा बटन दबा रहे हैं ताकि आपका पासवर्ड और निजी जानकारी चुराई जा सके। कुछ और प्रोग्राम तो आपको असली साइट के बदले नकली साइट पर ले जाते हैं। आप खुद को इन सबसे कैसे बचा सकते हैं?

आप क्या कर सकते हैं

ऐसे ई-मेल से सावधान रहिए जिसमें दिए लिंक पर आपको शक हो। कभी-कभी ऐसे लिंक पर क्लिक करने से ट्रॉजन हॉर्स या ट्रॉजन नाम का प्रोग्राम आपके कंप्यूटर में घुस जाता है और आपको पता भी नहीं चलता। इस प्रोग्राम की मदद से धोखाधड़ी करनेवाले, आपकी निजी जानकारी पर हाथ साफ कर सकते हैं। फोरम, अश्‍लील वेब साइट, सोशल नेटवर्किंग साइट और सॉफ्टवेयर का इश्‍तहार देनेवाली साइट जो जानी-मानी नहीं होतीं, इन सब जगहों से भी जालसाज़ आपके बारे में जानकारी निकाल सकते हैं या स्पाइ प्रोग्राम लगाकर आपकी जानकारी चुरा सकते हैं। साथ ही, अगर आपको ऐसे ई-मेल आते हैं जिनमें बहुत बड़े मुनाफे का वादा किया गया है, तो उनका जवाब कभी मत दीजिए।

शायद इंटरनेट पर आपको ऐसे मेसेज मिले हों: “आपके कंप्यूटर को खतरा है! अपने कंप्यूटर को सुरक्षित रखने के लिए यहाँ क्लिक करें!” या “मुफ्त स्क्रीनसेवर के लिए यहाँ क्लिक करें।” अगर आप क्लिक करेंगे, तो स्पाइ सॉफ्टवेयर आपके कंप्यूटर में घुस जाएगा।

अगर आप इंटरनेट पर नौकरी ढूँढ़ रहे हैं तो खबरदार रहिए। ऐसी कई नकली साइट मौजूद हैं जहाँ बेईमान लोग नौकरी दिलाने के झूठे वादे करके आपसे “पंजीकरण शुल्क,” यहाँ तक कि आपके बैंक खाते से जुड़ी जानकारी भी निकलवा लेते हैं।

आजकल इंटरनेट चोर इतने शातिर हो गए हैं कि वे दूर बैठे ही कंपनियों या वित्तीय संस्थाओं के डाटाबेस से जानकारी चुरा लेते हैं। जनवरी 2007 में कुछ अपराधियों ने अमरीका के एक डिपार्टमेंटल स्टोर के कंप्यूटर सिस्टम को हैक किया और उसकी अलग-अलग शाखाओं के लाखों ग्राहकों की जानकारी इकट्ठी की, यहाँ तक कि उनके क्रेडिट कार्ड की जानकारी भी। नाइजीरिया में तो अपराधियों ने कई बैंकों के डाटाबेस से 15 लाख लोगों का आइडी नंबर चुराया और एटीएम से पैसे निकाले। अब इंटरनेट पर अच्छी-खासी काला-बाज़ारी शुरू हो गयी है जहाँ कंपनी के बेईमान कर्मचारी और हैकर, क्रेडिट कार्ड की जानकारी या लोगों की तमाम निजी जानकारी चुराकर दूसरों को बेच देते हैं। (g12-E 01)

[फुटनोट]

^ सजग होइए! में ऐसे लेख आ चुके हैं जिनमें इंटरनेट पर डेटिंग करने के खतरों के बारे में बताया गया है। अँग्रेज़ी में सजग होइए! के 22 अप्रैल, 2005 के पेज 16-18 और 22 मई, 2005 के पेज 12-14 पर दिए लेख देखिए।

[पेज 11 पर बक्स]

फिशिंग ई-मेल: यह ई-मेल लोगों को फँसाने की कोशिश करता है और उन्हें ऐसी वेब साइट पर ले जाता है जो दिखने में असली लगती है मगर होती नकली है। और वहाँ उनसे उनका पासवर्ड, क्रेडिट कार्ड नंबर या बैंक खाते की जानकारी निकलवाता है

स्पाइ सॉफ्टवेयर: यह प्रोग्राम एक जासूस की तरह कंप्यूटर पर आपके कामों पर नज़र रखता है

ट्रॉजन हॉर्स: ऐसा प्रोग्राम जो कंप्यूटर की सुरक्षा प्रणाली को भेदकर उसे नुकसान पहुँचाता है, जबकि आपको लगता है कि वह कोई गड़बड़ी नहीं कर रहा

[पेज 12, 13 पर बक्स/तसवीरें]

उनके झाँसे में मत आइए

धोखाधड़ी से बचने के लिए ये कदम उठाइए:

1 ध्यान रखिए कि आपका कंप्यूटर फायरवॉल हमेशा ऑन हो। इस बात का भी खयाल रखिए कि आपके कंप्यूटर का ऑपरेटिंग सिस्टम, सारे प्रोग्राम और एंटी-वायरस सॉफ्टवेयर समय-समय पर अपडेट किए गए हों।

2 नियमित तौर पर अपनी फाइलों का बैकअप लीजिए और उन कॉपियों को सँभालकर रखिए।

3 अपनी अक्ल का इस्तेमाल कीजिए। इंटरनेट पर जो भी जानकारी दी जाती है, उस पर आँख मूँदकर विश्‍वास मत कीजिए। नीतिवचन 14:15 कहता है, “भोला तो हर एक बात को सच मानता है, परन्तु चतुर मनुष्य समझ बूझकर चलता है।”

4 लालच मत कीजिए। (लूका 12:15) “मुफ्त” ऑफर या ऐसी वेब साइटों से बचकर रहिए जो बहुत कम दामों में चीज़ें बेचने का दावा करती हैं। यह शायद आपको फँसाने के लिए एक जाल हो।

5 अनचाहे ई-मेल से खबरदार रहिए, साथ ही इंस्टेंट मेसेज से भी, खासकर अगर इनमें कोई लिंक दिया हो या आपसे कुछ निजी जानकारी माँगी जा रही हो, जैसे अपने पासवर्ड को पुख्ता करने के लिए उसे दोबारा टाइप करना।—नीतिवचन 11:15.

6 ऐसे पासवर्ड चुनिए जो दूसरों के लिए अंदाज़ा लगाना मुश्‍किल हो। समय-समय पर अपना इंटरनेट पासवर्ड बदलते रहिए और अलग-अलग खाते के लिए एक ही पासवर्ड मत इस्तेमाल कीजिए।

7 सिर्फ जानी-मानी और ऐसी वेब साइटों को अपने क्रेडिट कार्ड या बैंक खाते की जानकारी दीजिए जो उसे कोड भाषा में बदल दें ताकि भेजते वक्‍त कोई दूसरा उसे पढ़ न सके।

8 वेब पते को सही-सही टाइप कीजिए, खासकर जब आप किसी वित्तीय संस्था का पता टाइप कर रहे हों। अगर एक अक्षर भी इधर-उधर हो जाए, तो सही वेब साइट के बदले कोई ठगी वेब साइट खुल सकती है।

9 गोपनीय जानकारी भेजते वक्‍त ऐसा तरीका अपनाइए जिससे वह जानकारी कोड में बदल जाए, जैसे क्रेडिट कार्ड की जानकारी देते वक्‍त। जानकारी भेजने के बाद उस वेब साइट से लॉग-ऑफ कर लीजिए।

10 अपने क्रेडिट कार्ड के खर्चों और बैंक स्टेटमेंट को नियमित तौर पर और ध्यान से चेक करते रहिए। अगर आप देखते हैं कि आपके अकाउंट से पैसा निकाला गया है जिसके बारे में आपको खबर नहीं, तो तुरंत क्रेडिट कार्ड कंपनी या बैंक को इत्तला कीजिए।

11 ऐसे वायरलेस (वाई-फाई) कनेक्शन को इस्तेमाल करते वक्‍त सावधान रहिए जिसमें जानकारी को कोड भाषा में बदलने की सुविधा नहीं होती। क्योंकि चोर, जानकारी चुरा सकते हैं और आपको धोखे से नकली वेब साइट पर ले जा सकते हैं।

12 इस सवाल पर सही का निशान मत लगाइए, “क्या इस पासवर्ड को याद रखना है?” क्योंकि जितने भी स्टोर किए गए पासवर्ड हैं, ट्रॉजन प्रोग्राम उसका पता लगाता है।