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स्तन कैंसर कल से न डरना बस लड़ते ही रहना

स्तन कैंसर कल से न डरना बस लड़ते ही रहना

स्तन कैंसर कल से न डरना बस लड़ते ही रहना

कविता 40 साल की महिला है। * उसमें ऐसा कोई लक्षण नहीं था जिससे लगे कि उसे कैंसर हो सकता है। वह बिलकुल तंदुरुस्त थी और उसके परिवार में भी किसी को स्तन कैंसर नहीं था। हमेशा की तरह उसने अपना मैमोग्राम (स्तन की खास एक्स-रे जाँच) करवाया था और रिपोर्ट में सबकुछ ठीक था। मगर एक दिन नहाते वक्‍त जब उसने अपने स्तनों की जाँच की, तो उसे एक गाँठ-सी महसूस हुई। डॉक्टर के पास जाने पर पता चला कि उसे कैंसर है। यह खबर सुनकर वह और उसका पति सुन्‍न पड़ गए, यहाँ तक कि जब डॉक्टर इलाज के अलग-अलग तरीके समझा रहा था तो उनके मुँह से एक शब्द नहीं निकला।

बीते समय में अगर किसी महिला को स्तन कैंसर होता, तो डॉक्टर इसका सिर्फ एक ही इलाज बताते थे, मास्टेकटॉमी। यानी ऑपरेशन करके पूरे स्तन को, छाती और बगल की लसिका-ग्रंथियों (लिम्फ नोड्‌स) और छाती की माँसपेशियों को निकालना। लेकिन इससे न सिर्फ एक महिला का रूप बिगड़ जाता बल्कि कोई गारंटी भी नहीं होती कि वह कैंसर से मुक्‍त हो जाएगी। उसका यह दर्दनाक सफर यहीं खत्म नहीं होता बल्कि उसे कीमोथेरेपी (कैंसर-विनाशक दवाइयाँ) या रेडिएशन थेरेपी भी करवानी पड़ती। इसलिए इसमें कोई ताज्जुब नहीं कि उस वक्‍त बहुत-से मरीज़ बीमारी से ज़्यादा “इलाज” से डरते थे।

स्तन कैंसर के खिलाफ यह लड़ाई बहुत समय से चली आ रही है। जहाँ एक तरफ इस हत्यारे को जल्द-से-जल्द रोकने की कोशिश की जा रही है, वहीं दूसरी तरफ ऐसा इलाज ढूँढ़ा जा रहा है जिससे मरीज़ का स्तन बेवजह काटा न जाए और उसे दर्दनाक साइड इफेक्ट्‌स न हों। कविता की तरह आज स्तन कैंसर के मरीज़ों के सामने इलाज के अलग-अलग तरीके मौजूद हैं। * और-तो-और, चिकित्सा क्षेत्र में हो रहे लगातार अध्ययन और अखबार और टीवी में आनेवाली खबरों से एक उम्मीद जागी है कि बहुत जल्द इलाज के नए तरीके सामने आएँगे, ऐसी जाँच मुमकिन होंगी जो पहले से बता पाए कि एक इंसान को आगे चलकर कैंसर हो सकता है या नहीं और ऐसा खान-पान उपलब्ध होगा जो लोगों को कैंसर से बचाए। कइयों का मानना है कि इन उपलब्धियों के आगे कैंसर अपने घुटने टेक देगा।

चिकित्सा क्षेत्र में हो रही तरक्की के बावजूद स्तन कैंसर आज भी महिलाओं में होनेवाली मौत की एक सबसे बड़ी वजह है। * उत्तर अमरीका और पश्‍चिमी यूरोप जैसे अमीर देशों में कैंसर बहुत आम है। एक वक्‍त पर एशिया और अफ्रीका में बहुत कम लोगों में कैंसर पाया जाता था मगर अब वहाँ भी कई औरतों को स्तन कैंसर हो रहा है। इतना ही नहीं, वहाँ कैंसर से होनेवाली मौत की दर अमीर देशों से ज़्यादा है। क्यों? अफ्रीका में एक डॉक्टर समझाती है: “कैंसर का जल्द-से-जल्द पता नहीं लगाया जाता। और जब तक मरीज़ हमारे पास आते हैं, तब तक उनका कैंसर बहुत फैल चुका होता है।”

कैंसर का खतरा उम्र के साथ-साथ बढ़ता है। जिन महिलाओं को कैंसर है, उनमें से 80 प्रतिशत की उम्र 50 से ऊपर है। लेकिन खुशखबरी यह है कि बाकी सभी कैंसर के मुकाबले, इस कैंसर का पूरी तरह इलाज किया जा सकता है। दरअसल जिन महिलाओं में इस कैंसर का जल्दी पता लगाया गया और उसे फैलने से रोका गया है, उनमें से 97 प्रतिशत अपनी बीमारी के पाँच साल बाद भी ज़िंदा हैं। उनमें से एक है कविता जिसने हाल ही में पाँच साल पूरे किए हैं।

स्तन कैंसर के बारे में कुछ खास बातें

जैसे कविता के मामले में सच था, अकसर स्तन कैंसर का पहला लक्षण स्तन में गाँठ बनना है। लेकिन खुशी की बात यह है कि 80 प्रतिशत गाँठों में कैंसर नहीं होता, कइयों में सिर्फ द्रव भरा रहता है जिसे सिस्ट कहते हैं।

स्तन कैंसर की शुरूआत एक कोशिका से होती है जो स्वस्थ कोशिकाओं की तरह काम करना बंद कर देती है। वह अंधाधुंध विभाजित होती है और देखते-ही-देखते एक ट्यूमर बन जाती है। ट्यूमर तब जानलेवा हो जाता है जब उसकी कोशिकाएँ दूसरे ऊतकों पर धावा बोलती हैं। कुछ ट्यूमर बहुत जल्दी बढ़ते हैं जबकि कुछ को बढ़ने में और उनका पता चलने में दस साल लग सकते हैं।

कविता को कैंसर है या नहीं, यह पता करने के लिए उसके डॉक्टर ने उसकी गाँठ में एक पतली सुई डालकर ऊतक का एक छोटा-सा नमूना निकाला। जाँच करने पर पता चला कि उसमें कैंसर की कोशिकाएँ हैं। इसलिए कविता को ट्यूमर और स्तन के आस-पास के ऊतकों को निकालने के लिए सर्जरी करवानी पड़ी। यह भी पता किया गया कि ट्यूमर किस स्टेज पर है (यानी वह कितना बढ़ गया है, किस किस्म का है और दूसरे अंगों में फैला है या नहीं) और वह किस तेज़ी से बढ़ रहा है।

सर्जरी के बाद बहुत-से मरीज़ कुछ और इलाज भी करवाते हैं जिससे कैंसर न फैले या दोबारा न हो। कैंसर की कोशिकाएँ, ट्यूमर से अलग होकर खून की नलियों या लसिका तंत्र से होती हुई शरीर के दूसरे अंगों में फैल सकती हैं। मस्तिष्क, जिगर, अस्थि-मज्जा और फेफड़े जैसे ज़रूरी अंगों और ऊतकों में कैंसर के इस फैलाव को मेटास्टेसिस कहते हैं। इस मुकाम पर यह बीमारी जानलेवा साबित हो जाती है।

सर्जरी के बाद कविता ने रेडिएशन थेरेपी और कीमोथेरेपी दोनों करवायी ताकि उसके स्तन के आस-पास और शरीर के बाकी हिस्सों में रही-सही कैंसर कोशिकाओं का खात्मा किया जा सके। उसका कैंसर शरीर में बननेवाले स्त्री-यौन हार्मोन ईस्ट्रोजेन से बढ़ रहा था, इसलिए इस हार्मोन को बनने से रोकने के लिए उसने एंटीहार्मोनल थेरेपी करवायी ताकि उसे दोबारा कैंसर न हो।

स्तन कैंसर के इलाज में इतनी तरक्की हुई है कि आज मरीज़ की उम्र, उसकी सेहत, उसके परिवार में किसी को इस तरह का कैंसर हुआ था या नहीं और मरीज़ के कैंसर के हिसाब से, इलाज के अलग-अलग तरीके उसके सामने रखे जाते हैं। मिसाल के लिए, जब आरलेट ने अपनी जाँच करवायी तो पता चला कि उसका कैंसर दूधवाली नलियों तक नहीं फैला था। इसलिए उसने लम्पेकटॉमी करवायी जिसमें उसके स्तन को हटाने के बजाय उसमें पड़ी गाँठ को हटाया गया। एलिस के मामले में, उसे पहले कीमोथेरेपी दी गयी जिससे उसका ट्यूमर सिकुड़ गया और फिर उसे ऑपरेशन करके निकाल दिया गया। जेनिस के सर्जन ने उसका ट्यूमर निकाला और ट्यूमर का द्रव बगल की जिस पहली ग्रंथि में बहता था, वह ग्रंथि भी निकाली। उस ग्रंथि में कैंसर कोशिकाएँ नहीं पायी गयीं, इसलिए बाकी ग्रंथियों को निकालने की ज़रूरत नहीं पड़ी। इससे जेनिस को लिम्फडेमा का खतरा नहीं हुआ। लिम्फडेमा उसे कहते हैं जब कई ग्रंथियों को एक-साथ निकाला जाता है, जिससे बाज़ुओं में सूजन और दर्द होता है।

स्तन कैंसर कैसे बढ़ता है, इस बारे में तो काफी कुछ पता किया गया है। मगर फिर भी यह सवाल बार-बार उठता है, आखिर स्तन कैंसर कैसे और क्यों होता है?

इसकी क्या वजह हैं?

स्तन कैंसर क्यों होता है, यह आज भी एक पहेली है। आलोचकों का कहना है कि कैंसर की वजह ढूँढ़ने और उसकी रोकथाम पर ज़्यादा ध्यान नहीं दिया जाता, जबकि उसका पता करने और उसके इलाज में ज़्यादा खोजबीन की जाती है क्योंकि उसमें ज़्यादा मुनाफा है। फिर भी वैज्ञानिकों ने इस बीमारी के बारे में कुछ अहम सुराग ढूँढ़ निकाले हैं। कुछ का मानना है कि कैंसर बहुत पेचीदा तरीके से और कई चरणों में बढ़ता है। वे कहते हैं कि इंसान में एक खराब जीन होता है जिस वजह से कोशिकाएँ अजीब हरकतें करने लगती हैं, वे अंधाधुंध विभाजित होने लगती हैं, दूसरे ऊतकों पर धावा बोलने लगती हैं, शरीर की प्रतिरक्षा तंत्र को चकमा देती हैं और शरीर के अहम अंगों पर दबे पाँव हमला करती हैं।

ये खराब जीन कहाँ से आते हैं? पाँच से दस प्रतिशत महिलाओं में ये जीन पैदाइश से होते हैं, जिससे उन्हें स्तन कैंसर होने का खतरा ज़्यादा होता है। मगर ऐसा मालूम होता है कि कई मामलों में, बाहरी असर से अच्छे जीन में विकार आ जाता है। माना जा रहा है कि खास तौर से रेडिएशन और रसायनों की वजह से ऐसा होता है। मगर इस बात में कितनी सच्चाई है, यह तो भविष्य में किए जानेवाले अध्ययनों से ही पता चलेगा।

एक और वजह है ईस्ट्रोजेन हार्मोन, जिससे शायद कुछ तरह के स्तन कैंसर का खतरा हो। इसलिए उन महिलाओं को स्तन कैंसर का ज़्यादा खतरा होता है जिनका मासिक-धर्म बहुत कम उम्र में शुरू हुआ था या बहुत देर से खत्म हुआ (मेनोपॉज़), जो देर से पहली बार माँ बनीं या जिनके बच्चे ही नहीं हुए, या जिन्होंने हार्मोन रिप्लेस्मेंट थेरेपी करायी हो। जब महिलाओं में मासिक-धर्म रुक जाता है तो उनके अंडाशय, हार्मोन पैदा करना बंद कर देते हैं। ऐसे में शरीर की चर्बीवाली कोशिकाएँ ईस्ट्रोजेन हार्मोन पैदा करती हैं, इसलिए इन औरतों में मोटापे की वजह से कैंसर का खतरा बढ़ सकता है। शरीर में इन्सुलिन हार्मोन का हद-से-ज़्यादा बढ़ना और नींद दिलानेवाले मेलाटोनिन हार्मोन का घटना भी कैंसर का खतरा पैदा कर सकता है। इन हार्मोनों का घटना-बढ़ना अकसर उन महिलाओं में देखा जा सकता है जो नाइट शिफ्ट में काम करती हैं।

क्या आगे चलकर स्तन कैंसर के लिए कोई ऐसा इलाज ढूँढ़ा जाएगा जो ज़्यादा असरदार हो और जिसे करवाने में मरीज़ को कम डर लगे? खोजकर्ता ऐसे तरीके ईजाद करने में लगे हैं जिनमें शरीर का प्रतिरक्षा तंत्र ही बीमारी को खत्म कर सके और ऐसी दवाइयाँ बना रहे हैं जो उस जीन के नेटवर्क को खत्म कर सकें जिससे कैंसर हो सकता है। फिलहाल, शरीर की अंदरूनी जाँच करने की बेहतरीन तकनीक की मदद से डॉक्टर सही और असरदार तरीके से रेडिएशन दे रहे हैं।

वैज्ञानिक दूसरे तरीकों से भी कैंसर का डटकर मुकाबला करने की कोशिश कर रहे हैं। जैसे, कैंसर किस तरह दूसरे अंगों में फैलता है इसकी गुत्थी सुलझाना, उन कैंसर कोशिकाओं को फैलने से रोकना जिन पर कीमोथेरेपी का कोई असर नहीं हुआ, उन सिग्नल को खत्म करना जो कैंसर कोशिकाओं को बढ़ने का निर्देश देते हैं और अलग-अलग ट्यूमर का अलग-अलग तरीके से इलाज करना।

लेकिन तरक्की की इन बुलंदियों को छूने के बाद भी, इंसान दुनिया से बीमारी को नहीं मिटा पाएगा और लोग मरते ही रहेंगे। (रोमियों 5:12) सिर्फ हमारा सिरजनहार इन हालात को बदल सकता है। लेकिन क्या वह ऐसा करेगा? बिलकुल करेगा। बाइबल कहती है कि एक समय आएगा जब “कोई निवासी न कहेगा कि मैं रोगी हूं।” * (यशायाह 33:24) ज़रा सोचिए, उस वक्‍त हम क्या ही राहत महसूस करेंगे जब हर तरह की बीमारी का नामो-निशान मिट जाएगा! (g11-E 08)

[फुटनोट]

^ कुछ नाम बदल दिए गए हैं।

^ सजग होइए! इलाज के किसी खास तरीके का बढ़ावा नहीं देती।

^ महिलाओं के मुकाबले आदमियों में स्तन कैंसर बहुत कम पाया जाता है।

^ बाइबल के इस वादे के बारे में किताब, बाइबल असल में क्या सिखाती है? में खुलकर चर्चा की गयी है। इसे यहोवा के साक्षियों ने प्रकाशित किया है।

[पेज 26, 27 पर बक्स/तसवीर]

किन बातों का ध्यान रखें

कैंसर का शुरू में ही पता लगाना बहुत ज़रूरी है। मगर कुछ अध्ययन खबरदार करते हैं कि जवान लड़कियों में स्तनों की जाँच और मैमोग्राम शायद कैंसर होने की गलत रिपोर्ट दें। इस वजह से उन्हें इलाज के लिए खाहमखाह अस्पताल के चक्कर काटने पड़ सकते हैं और जो चिंता होगी, वह अलग। लेकिन विशेषज्ञ इस बात पर ज़ोर देते हैं कि महिलाएँ अपने स्तन और लसिका-ग्रंथियों में किसी भी तरह के बदलाव का ध्यान रखें। महिलाओं को इन बातों का ध्यान रखना चाहिए:

● बगल या स्तन में गाँठ पड़ना या उसका सख्त हो जाना

● निपल से दूध के अलावा स्राव आना

● स्तन की त्वचा का रंग बदलना या उस पर झुर्रियाँ पड़ना

● निपल का भीतर धँस जाना और छूने पर दर्द होना

[पेज 27 पर बक्स]

अगर पता चले कि आपको स्तन कैंसर है

● इस बात के लिए तैयार रहिए कि अगले एक-दो सालों तक आपका ज़्यादातर समय इलाज कराने और अपनी बीमारी से ठीक होने में निकल जाएगा।

● हो सके तो ऐसे डॉक्टर चुनिए जो आपकी ज़रूरतों को समझें और आपके विश्‍वास की कदर करें।

● अपने परिवार के साथ मिलकर तय कीजिए कि आप कब और किन लोगों को अपनी बीमारी के बारे में बताएँगे। इससे आपके दोस्तों को आपके लिए अपना प्यार दिखाने का मौका मिलेगा, साथ ही वे आपके साथ और आपके लिए प्रार्थना कर पाएँगे।—1 यूहन्‍ना 3:18.

● अपनी भावनाओं से जूझने के लिए बाइबल पढ़िए, प्रार्थना कीजिए और उन बातों पर मनन कीजिए जिनसे आपको हिम्मत मिले।—रोमियों 15:4; फिलिप्पियों 4:6, 7.

● उन लोगों से बात कीजिए जिन्हें स्तन कैंसर हुआ था और जो अपनी बातों से आपका हौसला बढ़ा सकें।—2 कुरिंथियों 1:7.

● कल की चिंता करने के बजाय आज के बारे में सोचिए। यीशु ने कहा था: “अगले दिन की चिंता कभी न करना, क्योंकि अगले दिन की अपनी ही चिंताएँ होंगी।”—मत्ती 6:34.

● आपको भरपूर आराम की ज़रूरत है, इसलिए खुद को ज़रूरत-से-ज़्यादा मत थकाइए।

[पेज 28 पर बक्स/तसवीर]

अपने डॉक्टर से बात करना

● स्तन कैंसर से जुड़े कुछ बुनियादी मेडिकल शब्दों के बारे में जानिए।

● डॉक्टर को मिलने से पहले अपने सवालों की एक सूची तैयार कीजिए। अपने पति या किसी दोस्त को साथ आने के लिए कहिए ताकि वह जवाबों को लिख सके।

● अगर डॉक्टर कुछ ऐसा कहता है जो आपकी समझ में नहीं आता तो उसे दोबारा समझाने के लिए कहिए।

● अपने डॉक्टर से पूछिए कि उसने ऐसे कितने मरीज़ों का इलाज किया है जिन्हें आपके जैसा कैंसर था।

● हो सके तो किसी दूसरे डॉक्टर की भी राय लें।

● अगर दोनों डॉक्टरों की राय अलग-अलग है, तो देखिए कि उन दोनों को इस तरह के कैंसर का इलाज करने का कितना तजुरबा है। फिर उनसे कहिए कि वे आपस में सलाह-मशविरा करें।

[पेज 29 पर बक्स/तसवीरें]

साइड इफेक्ट्‌स का सामना करना

कैंसर के इलाज के कुछ तरीकों से ये साइड इफेक्ट्‌स हो सकते हैं: मितली आना, बालों का झड़ना, हमेशा थकान महसूस करना, दर्द, हाथ-पैर सुन्‍न हो जाना या उनमें झुनझुनी मचना और त्वचा खराब हो जाना। नीचे कुछ आसान तरीके दिए गए हैं जिन्हें आज़माने से शायद ये साइड इफेक्ट्‌स कम हो जाएँ:

● अच्छे से खाइए ताकि आपके शरीर में बीमारी से लड़ने की ताकत बढ़े।

● नोट कीजिए कि कब आप चुस्त-दुरुस्त महसूस करते हैं और कब आप थकावट महसूस करते हैं। यह भी लिखिए कि क्या खाने से आपकी तबियत बिगड़ जाती है।

● देखिए कि दवाइयों, एक्यूपंक्चर या मालिश से आपकी मितली और दर्द कुछ कम होता है या नहीं।

● अपना दमखम बढ़ाने के लिए हलकी कसरत कीजिए, अपने वज़न को काबू में रखिए और शरीर में बीमारियों से लड़ने की ताकत बढ़ाइए। *

● जितना हो सके आराम कीजिए। मगर यह भी ध्यान रखिए कि बिस्तर पर पड़े रहने से थकान और भी बढ़ जाती है।

● अपनी त्वचा को नम रखिए। ढीले कपड़े पहनिए। हलके गरम पानी से नहाइए।

[फुटनोट]

^ कैंसर के मरीज़ों को किसी भी तरह की कसरत शुरू करने से पहले डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए।

[पेज 30 पर बक्स]

अगर आपके किसी अज़ीज़ को कैंसर है

अगर आपके किसी अज़ीज़ को कैंसर है, तो आप उसे कैसे सहारा दे सकते हैं? बाइबल के इस सिद्धांत को अमल में लाइए: “खुशी मनानेवालों के साथ खुशी मनाओ, रोनेवालों के साथ रोओ।” (रोमियों 12:15) आप कई तरीकों से अपने अज़ीज़ के लिए प्यार और परवाह दिखा सकते हैं जैसे, उसे टेलिफोन करना, खत लिखना, कार्ड और ई-मेल भेजना और थोड़ी देर के लिए उससे मिलने जाना। उसके साथ प्रार्थना कीजिए और बाइबल से दिलासा देनेवाले वचन पढ़िए। बेरिल कहती है: “अपने अज़ीज़ के सामने उन लोगों का ज़िक्र मत कीजिए जिनकी कैंसर से मौत हो गयी, बल्कि उनका ज़िक्र कीजिए जो इलाज से ठीक हो गए।” जेनिस जो खुद एक वक्‍त कैंसर की शिकार थी यह सुझाव देती है: “अपनी दोस्त को प्यार से गले लगाइए। अगर वह अपनी बीमारी के बारे में बात करना चाहती है, तो वह ज़रूर करेगी।” ऐसे हालात में खासकर एक पति को चाहिए कि वह अपनी पत्नी को भरोसा दिलाए कि वह अब भी उससे उतना ही प्यार करता है।

जेफ याद करता है: “मेरी पत्नी ने ठान लिया था कि हम सोते-जागते उसकी सेहत को लेकर परेशान नहीं रहेंगे। इसलिए हमने तय किया कि हम समय-समय पर एक ऐसा दिन रखेंगे जब हम कैंसर के बारे में कोई बात नहीं करेंगे। इसके बजाय हम उन अच्छी बातों पर ध्यान लगाएँगे जिनसे हमें खुशी मिलती है। ऐसा करके हमें बहुत राहत मिली, मानो उस एक दिन के लिए हमें कैंसर से छुट्टी मिल गयी हो।”

[पेज 30 पर बक्स]

उनका क्या कहना है

जब पता चला कि उन्हें कैंसर है

शैरन: एक पल में मेरी दुनिया इधर की उधर हो गयी। मुझे लगा, “अब मैं नहीं बचूँगी।”

अपनी सबसे मुश्‍किल घड़ी के बारे में

सैंड्रा: मेरे लिए इलाज को बरदाश्‍त करना इतना मुश्‍किल नहीं था जितना कि अपने मन की पीड़ाओं और चिंताओं को सहना।

मारगरेट: इलाज के लिए दूसरी बार अस्पताल जाकर ही आप इतना उकता जाएँगे कि आप खुद से कहेंगे, “मुझे नहीं करवाना कोई इलाज-विलाज।” लेकिन फिर भी आप इलाज करवाना बंद नहीं करते।

दोस्तों के बारे में

आरलेट: हमने अपने दोस्तों को बीमारी के बारे में बताया ताकि वे हमारे लिए प्रार्थना कर सकें।

जैनी: मेरे दोस्तों की छोटी-से-छोटी बात मेरे दिल को छू गयी फिर चाहे वह उनका मुस्कुराना हो, मुझे देखकर हैलो कहना या सिर हिलाना हो।

हर कदम पर साथ निभानेवाले पतियों के बारे में

बार्बरा: मैंने तय किया कि इससे पहले कि मेरे सारे बाल झड़ जाएँ, मैं अपना सिर मुँडा लूँगी। जब कॉलिन ने मेरा नया रूप देखा तो उन्होंने कहा: “तुम बिना बाल के और भी खूबसूरत दिखती हो।” उनकी यह बात सुनकर मैं हँस पड़ी और अंदर-ही-अंदर अच्छा महसूस करने लगी।

सैंड्रा: हमने साथ-साथ आईना देखा। और जब मैंने अपने पति का चेहरा देखा तो मुझे एहसास हो गया कि वे अब भी मुझसे उतना ही प्यार करते हैं।

सना: कुणाल सबसे कहते, “हमें कैंसर है।”

जैनी: मेरे लिए जेफ का प्यार कम नहीं हुआ और वे जिस तरह लगातार परमेश्‍वर पर भरोसा दिखाते रहे, उससे मुझे हौसला मिला और मेरी चिंताएँ काफी हद तक कम हुईं।

[पेज 29 पर रेखाचित्र/तसवीर]

(भाग को असल रूप में देखने के लिए प्रकाशन देखिए)

कैंसर की कोशिकाएँ सामान्य रूप से बढ़ने का निर्देश ठुकराकर अंधाधुंध बढ़ने लगती हैं और दूसरे ऊतकों पर धावा बोलती हैं

[रेखाचित्र]

दूधवाली नली जिसमें सामान्य कोशिकाएँ होती हैं

कैंसर जो सिर्फ नली तक सीमित है

कैंसर जो दूसरे अंगों में फैल रहा है

[पेज 30 पर तसवीर]

कैंसर के मरीज़ों को इलाज के साथ-साथ अपने परिवार और दोस्तों का प्यार और सहारा चाहिए