इस जानकारी को छोड़ दें

विषय-सूची को छोड़ दें

अध्ययन लेख 14

उत्तर से हमला!

उत्तर से हमला!

“मेरे देश पर एक ताकतवर राष्ट्र ने हमला कर दिया है।”—योए. 1:6.

गीत 95 बढ़ती है रौशनी सच्चाई की

लेख की एक झलक *

1. (क) भाई सी.टी.रसल और उसके साथी किस तरीके से बाइबल का अध्ययन करते थे? (ख) यह क्यों एक अच्छा तरीका था?

सौ साल पहले भाई सी.टी.रसल और उसके कुछ साथी एक-साथ इकट्ठा होकर बाइबल का अध्ययन करने लगे। वे जानना चाहते थे कि बाइबल में यहोवा परमेश्‍वर, यीशु मसीह, मरे हुओं की दशा और फिरौती के बारे में असल में क्या बताया गया है। उन बाइबल विद्यार्थियों का अध्ययन करने का तरीका बहुत सरल था। उनमें से कोई एक जन एक विषय पर सवाल करता और फिर सब लोग उस सवाल से जुड़ी हर आयत पर खोजबीन करते। खोजबीन से जो भी जानकारी मिलती थी, उसे वे लिखकर रखते थे। यहोवा की मदद से उन्होंने बाइबल की कई सच्चाइयों को सही-सही समझ लिया। उन्होंने जिन सच्चाइयों का पता लगाया, उन्हें आज भी हम मानते हैं।

2. भविष्यवाणियों को सही-सही समझने के लिए हमें क्या करना चाहिए?

2 कुछ समय बाद उन बाइबल विद्यार्थियों ने पाया कि बाइबल की शिक्षाओं को समझना तो आसान है, मगर बाइबल में भविष्य के बारे में जो लिखा है उसे समझना यानी भविष्यवाणियों को समझना आसान नहीं है। ऐसा क्यों है? एक वजह यह है कि भविष्यवाणियाँ तब अच्छी तरह समझ आती हैं जब वे पूरी हो रही होती हैं या फिर पूरी हो चुकी होती हैं। एक और वजह यह है कि हमें एक भविष्यवाणी को सही-सही समझने के लिए कुछ ही आयतों पर नहीं बल्कि पूरी भविष्यवाणी पर ध्यान देना चाहिए। अगर हम कुछ ही आयतों पर ध्यान देंगे, तो हम भविष्यवाणी का गलत मतलब निकाल बैठेंगे। ऐसा मालूम पड़ता है कि बीते समय में हमने योएल की एक भविष्यवाणी की सारी आयतों पर ध्यान नहीं दिया था। इसलिए उसके बारे में हम आज तक जो मानते आए हैं, उसे अब बदलने की ज़रूरत है। आइए इस बारे में चर्चा करें और देखें कि बदलाव की ज़रूरत क्यों है।

3-4. अब तक हम योएल 2:7-9 का क्या मतलब समझते थे?

3 योएल 2:7-9 पढ़िए। योएल ने भविष्यवाणी की थी कि टिड्डियों का एक बड़ा झुंड इसराएल देश पर हमला करेगा और पूरे देश को तबाह कर देगा। योएल ने देखा कि इन टिड्डियों के दाँत और जबड़े शेर के जैसे हैं। उनके सामने जो भी दिखता है उसे वे चट कर जाती हैं। (योए. 1:4, 6) सालों से हम मानते आए हैं कि इस भविष्यवाणी में बतायी गयी टिड्डियाँ यहोवा के लोगों को दर्शाती हैं। वे प्रचार काम में पूरी तेज़ी से आगे बढ़ेंगे और उन्हें रोकना उतना ही मुश्‍किल होगा जितना कि टिड्डियों के झुंड को। हम मानते थे कि योएल 1:6 में बताया गया “देश” वे लोग हैं जो धर्म-गुरुओं के चंगुल में हैं। * और उस “देश” के तबाह होने का मतलब यह है कि हमारा प्रचार काम उन लोगों को हिलाकर रख देगा।

4 अगर हम सिर्फ योएल 2:7-9 पढ़ें, तो लग सकता है कि यह भविष्यवाणी हमारे प्रचार काम के बारे में है। लेकिन अगर हम इस पूरी भविष्यवाणी को ध्यान से पढ़ें, तो हम पाएँगे कि इसका मतलब कुछ और है। ऐसा कहने की चार वजह हैं।

बदलाव की चार वजह

5-6. इन आयतों पर ध्यान देने से क्या सवाल उठता है: (क) योएल 2:20 (ख) योएल 2:25.

5 पहली वजह, ध्यान दीजिए कि यहोवा ने टिड्डियों के कहर के बारे में कहा था, “मैं उत्तर से आनेवाले को  [यानी टिड्डियों को] तुमसे दूर भगा दूँगा।”  (योए. 2:20) अगर टिड्डियाँ यहोवा के साक्षियों को दर्शाती हैं, तो यहोवा उन्हें क्यों भगाएगा? वे तो यीशु की आज्ञा मानकर प्रचार करते हैं और चेला बनाने का काम करते हैं। (यहे. 33:7-9; मत्ती 28:19, 20) बेशक यहोवा अपने वफादार लोगों को नहीं बल्कि ऐसे लोगों को भगाएगा जो उसके लोगों को सताते हैं।

6 दूसरी वजह जानने के लिए योएल 2:25 पर ध्यान दीजिए। वहाँ यहोवा कहता है, “जितने साल मेरी भेजी हुई विशाल सेना ने, दलवाली टिड्डी, बिन पंखोंवाली टिड्डी, भूखी टिड्डी और कुतरनेवाली टिड्डी ने नुकसान किया, उसकी मैं भरपाई कर दूँगा।”  ध्यान दीजिए, यहोवा कहता है कि टिड्डियों ने जो नुकसान किया है, उसकी वह “भरपाई” कर देगा। अगर टिड्डियाँ राज के प्रचारकों को दर्शाती हैं, तो इसका यह मतलब होगा कि उनके प्रचार करने से लोगों का नुकसान होता है। मगर यह सच नहीं है। हमारा संदेश तो लोगों को फायदा पहुँचाता है। यहाँ तक कि अगर दुष्ट लोग भी हमारे संदेश को स्वीकार करेंगे, तो वे पश्‍चाताप करेंगे और उनका भला होगा। उनकी जान बच जाएगी।​—यहे. 33:8, 19.

7. ‘इसके बाद  मैं अपनी पवित्र शक्‍ति उँडेलूँगा,’ इन शब्दों से क्या पता चलता है?

7 योएल 2:28, 29 पढ़िए। तीसरी वजह जानने के लिए ध्यान दीजिए कि भविष्यवाणी के मुताबिक घटनाएँ किस क्रम में घटेंगी। यहोवा कहता है, ‘इसके बाद  मैं अपनी पवित्र शक्‍ति उँडेलूँगा।’ इसका मतलब है कि टिड्डियाँ अपना काम पूरा कर लेंगी और उसके बाद यहोवा अपनी पवित्र शक्‍ति उँडेलेगा। इससे पता चलता है कि यहाँ बतायी गयी टिड्डियाँ यहोवा के लोगों को नहीं दर्शातीं। अगर वे यहोवा के लोगों को दर्शातीं, तो उनका प्रचार काम पूरा होने के बाद  यहोवा क्यों उन्हें पवित्र शक्‍ति देता? वे तो उसकी शक्‍ति के बिना यह काम कर ही नहीं सकते। यहोवा की पवित्र शक्‍ति की मदद से ही वे बरसों से यह काम कर रहे हैं, इसके बावजूद कि उनका काफी विरोध किया गया है और कई बार उन पर रोक भी लगा दी गयी।

भाई जे. एफ. रदरफर्ड और दूसरे अभिषिक्‍त मसीहियों ने बड़ी हिम्मत से इस दुष्ट संसार को परमेश्‍वर के न्याय का संदेश सुनाया (पैराग्राफ 8 पढ़ें)

8. प्रकाशितवाक्य 9:1-11 में बतायी टिड्डियाँ किन्हें दर्शाती हैं? (बाहर दी तसवीर देखें।)

8 प्रकाशितवाक्य 9:1-11 पढ़िए। अब चौथी वजह पर ध्यान दीजिए। प्रकाशितवाक्य किताब में भी टिड्डियों के कहर के बारे में एक भविष्यवाणी दी गयी है, जो कि प्रचार काम को दर्शाती है। इसलिए हम मानते थे कि योएल की भविष्यवाणी का भी वही मतलब होगा। प्रकाशितवाक्य में लिखा है कि टिड्डियों के चेहरे इंसानों के चेहरों जैसे थे और उनके “सिर पर सोने के ताज जैसा कुछ था।” (प्रका. 9:7) वे टिड्डियाँ उन लोगों को यानी परमेश्‍वर के दुश्‍मनों को तड़पाती हैं “जिनके माथे पर परमेश्‍वर की मुहर नहीं है।” (प्रका. 9:4, 5) वे पाँच महीने तक ऐसा करती हैं जो कि एक टिड्डी का जीवन-काल होता है। ऐसा मालूम पड़ता है कि प्रकाशितवाक्य की भविष्यवाणी में बतायी टिड्डियाँ यहोवा के अभिषिक्‍त सेवकों को दर्शाती हैं। वे निडर होकर इस दुष्ट संसार को यहोवा के न्याय का संदेश सुनाते हैं, इसलिए दुनिया के लोगों को उनका संदेश चुभता है।

9. योएल और प्रकाशितवाक्य की भविष्यवाणी में बतायी टिड्डियों में क्या फर्क है?

9 यह सच है कि प्रकाशितवाक्य और योएल में दी गयी भविष्यवाणी की कुछ बातें मिलती-जुलती हैं। मगर इनमें कुछ बातें एक-दूसरे से बिलकुल अलग हैं। एक फर्क यह है कि योएल की भविष्यवाणी में कहा गया है कि टिड्डियाँ पेड़-पौधों को चट कर जाएँगी। (योए. 1:4, 6, 7) लेकिन प्रकाशितवाक्य की भविष्यवाणी में टिड्डियों को बताया जाता है कि वे ‘पेड़-पौधों को नुकसान न पहुँचाएँ।’ (प्रका. 9:4) योएल ने दर्शन में देखा कि टिड्डियाँ उत्तर दिशा से आएँगी। (योए. 2:20) लेकिन प्रकाशितवाक्य में बतायी टिड्डियाँ अथाह-कुंड से ऊपर आ रही थीं। (प्रका. 9:2, 3) योएल की भविष्यवाणी में कहा गया था कि टिड्डियों को भगा दिया जाएगा। लेकिन प्रकाशितवाक्य की भविष्यवाणी में बताया गया है कि यहोवा टिड्डियों को भगाता नहीं बल्कि उन्हें अपना काम पूरा करने देता है। ये टिड्डियाँ ऐसे लोगों को दर्शाती हैं जिनके काम से यहोवा खुश है। बाइबल में ऐसा कोई सुराग नहीं मिलता कि यहोवा उनसे नाखुश है।​—“ टिड्डियों के बारे में भविष्यवाणियाँ​—एक-जैसी मगर अलग-अलग” नाम का बक्स पढ़ें।

10. बाइबल से मिसाल देकर समझाइए कि एक ही चीज़ कैसे दो अलग बातों को दर्शा सकती है।

10 तो जैसा हमने देखा, योएल और प्रकाशितवाक्य की भविष्यवाणी में बहुत बड़ा फर्क है। योएल जिन टिड्डियों की बात कर रहा था और प्रकाशितवाक्य में जिन टिड्डियों की बात की गयी है, वे दोनों अलग बातों को दर्शाती हैं। मगर आप शायद सोचें कि ऐसा कैसे हो सकता है। जब दोनों ही भविष्यवाणियों में टिड्डियों की बात की गयी है, तो वे दो अलग बातों को कैसे दर्शा सकती हैं? जवाब के लिए गौर कीजिए कि बाइबल में कुछ पशु-पक्षी अलग-अलग आयतों में अलग-अलग बातों को दर्शाते हैं। मिसाल के लिए, प्रकाशितवाक्य 5:5 में यीशु को ‘यहूदा गोत्र का शेर’ कहा गया है। वहीं दूसरी तरफ 1 पतरस 5:8 में शैतान को भी ‘गरजता हुआ शेर’ कहा गया है। हमने ऐसी चार वजह देखीं जिससे पता चलता है कि योएल की भविष्यवाणी के बारे में हम अब तक जो मानते थे, वह सही नहीं है। अब सवाल उठता है कि इसका सही मतलब क्या होगा?

भविष्यवाणी का मतलब

11. (क) योएल की भविष्यवाणी में बतायी टिड्डियों का क्या मतलब है? (ख) योएल 1:6 और 2:1, 8, 11 से कैसे इस बात का सबूत मिलता है?

11 योएल की पूरी भविष्यवाणी का ध्यान से अध्ययन करने से पता चलता है कि योएल एक सेना के हमले की बात कर रहा था। योएल 1:6 और 2:1, 8, 11 से पता चलता है कि टिड्डियों का मतलब बैबिलोन की “विशाल सेना” है जो बगावती इसराएलियों को सज़ा देने के लिए उन पर हमला करेगी। (योए. 2:25) ऐसा कहने की एक वजह यह है कि योएल ने बताया कि यह सेना ‘उत्तर से आनेवाली’ है। (योए. 2:20) बैबिलोन की सेना वाकई उत्तर दिशा से ही इसराएल पर हमला करती। एक और वजह यह है कि उस सेना का हमला टिड्डियों के हमले जैसा होगा। वह इसलिए क्योंकि टिड्डियों का दल एक व्यवस्थित तरीके से हमला करता है। योएल ने बताया कि ‘हर कोई [यानी हर सैनिक] अपनी राह पर सीधे आगे बढ़ेगा। वे शहर में तेज़ी से घुस जाएँगे, शहरपनाह पर दौड़ेंगे, घरों पर चढ़ जाएँगे और चोर की तरह खिड़कियों से घुस जाएँगे।’ (योए. 2:8, 9) क्या आप कल्पना कर सकते हैं कि बैबिलोन की सेना का हमला कैसा रहा होगा? जहाँ देखो वहाँ सैनिक ही सैनिक हैं। छिपने की कोई जगह नहीं। उनकी तलवार से कोई नहीं बच सकता!

12. टिड्डियों के बारे में योएल की भविष्यवाणी कैसे पूरी हुई?

12 ईसा पूर्व 607 में बैबिलोन के लोगों ने वाकई टिड्डियों की तरह यरूशलेम पर हमला किया। बाइबल बताती है, ‘कसदियों [यानी बैबिलोन] के राजा ने जवानों को तलवार से मार डाला। उसने लड़कों, लड़कियों, बूढ़ों, बीमारों सबको मार डाला, किसी पर भी तरस नहीं खाया। परमेश्‍वर ने सबकुछ उस राजा के हाथ में कर दिया। उसने सच्चे परमेश्‍वर के भवन को जला दिया, यरूशलेम की शहरपनाह तोड़ डाली, उसकी सारी किलेबंद मीनारें जला दीं और वहाँ की एक-एक कीमती चीज़ नाश कर दी।’  (2 इति. 36:17, 19) जब बैबिलोन के लोगों ने इसराएल देश को तबाह कर दिया, तो उसका हाल देखकर लोग कहते थे, “यह ऐसा वीरान हो गया है कि यहाँ न इंसान हैं न जानवर और यह कसदियों के हवाले कर दिया गया है।”​—यिर्म. 32:43.

13. यिर्मयाह 16:16, 18 का मतलब क्या है?

13 योएल के भविष्यवाणी करने के 200 साल बाद यहोवा ने बैबिलोन के हमले के बारे में यिर्मयाह से भी एक भविष्यवाणी करवायी। इस भविष्यवाणी में उस हमले के बारे में कुछ और बातें बतायी गयीं। यहोवा ने बताया कि दुश्‍मन आकर ऐसे हर इसराएली को ढूँढ़ निकालेंगे जो दुष्ट काम करते थे। भविष्यवाणी में बताया गया था: ‘यहोवा ऐलान करता है, “देखो, मैं बहुत-से मछुवारों को बुलवाऊँगा और वे उनकी मछुवाई करेंगे। इसके बाद मैं बहुत-से शिकारियों को बुलवाऊँगा और वे हर पहाड़ और हर पहाड़ी पर और चट्टानों की दरारों में उनका शिकार करेंगे। मैं उनके गुनाह और उनके पाप का उनसे पूरा बदला चुकाऊँगा।”’ इन आयतों का यह मतलब है कि इसराएली अपनी जान बचाने के लिए चाहे समुंदर में जाते या जंगल में, वे दुश्‍मन के हाथ से बच नहीं पाते। बैबिलोन के लोग मछुवारों और शिकारियों की तरह उन्हें पकड़ लेते।​—यिर्म. 16:16, 18.

सबकुछ पहले जैसा

14. योएल 2:28, 29 में बतायी भविष्यवाणी कब पूरी हुई?

14 यरूशलेम के नाश के बारे में बताने के बाद योएल एक अच्छी खबर सुनाता है। वह बताता है कि इसराएल देश की ज़मीन फिर से उपजाऊ हो जाएगी और खाने-पीने की भरमार होगी। (योए. 2:23-26) फिर एक लंबे अरसे बाद भविष्य में सच्चाई की खुराक भी बहुतायत में मिलेगी। यहोवा ने भविष्यवाणी की, “मैं हर तरह के इंसान पर अपनी पवित्र शक्‍ति उँडेलूँगा और तुम्हारे बेटे-बेटियाँ भविष्यवाणी करेंगे, . . . उन दिनों मैं अपने दास-दासियों पर भी अपनी पवित्र शक्‍ति उँडेलूँगा।” (योए. 2:28, 29) यह भविष्यवाणी इसराएलियों के अपने देश लौटने के तुरंत बाद नहीं बल्कि करीब 600 साल बाद ईसवी सन्‌ 33 में पूरी हुई। उस साल पिन्तेकुस्त के दिन यहोवा ने अपने लोगों पर पवित्र शक्‍ति उँडेली। यह हम कैसे जानते हैं कि वह भविष्यवाणी उसी समय पूरी हुई?

15. (क) प्रेषितों 2:16, 17 में पतरस ने योएल 2:28, 29 का हवाला देते समय कौन-से अलग शब्द कहे? (ख) इससे क्या पता चलता है?

15 ईसवी सन्‌ 33 के पिन्तेकुस्त के दिन सुबह के करीब नौ बजे एक अनोखी घटना घटी। जब परमेश्‍वर ने अपने कुछ लोगों पर पवित्र शक्‍ति उँडेली, तो एक चमत्कार हो गया। वे अलग-अलग भाषाओं में “परमेश्‍वर के शानदार कामों के बारे में” बोलने लगे। (प्रेषि. 2:11) तब पतरस ने योएल 2:28, 29 की भविष्यवाणी का हवाला देकर कहा कि इस घटना से वह भविष्यवाणी पूरी हुई है। मगर उसने उस भविष्यवाणी का हवाला देते समय कुछ ऐसे शब्द कहे जो योएल के शब्दों से अलग थे। पतरस ने शुरूआत में कहा, “आखिरी दिनों में”  (प्रेषितों 2:16, 17 पढ़िए।) जबकि योएल ने शुरूआत में कहा था, “इसके बाद।”  योएल के शब्द “इसके बाद” का मतलब है, इसराएलियों के अपने देश लौटने के सदियों बाद पवित्र शक्‍ति उँडेली जाती। और पतरस के शब्द “आखिरी दिनों में” का मतलब है यरूशलेम और उसके मंदिर के आखिरी दिनों में ऐसा हुआ। जी हाँ, इसराएलियों के देश लौटने के सदियों बाद ईसवी सन्‌ 33 में चेलों पर पवित्र शक्‍ति उँडेली गयी जब यरूशलेम और उसके मंदिर के आखिरी दिन चल रहे थे।

16. (क) पहली सदी में जब पवित्र शक्‍ति उँडेली गयी, तो उसके बाद खुशखबरी कहाँ तक फैली? (ख) आज कितनी दूर तक फैल गयी है?

16 पहली सदी में जब पिन्तेकुस्त के दिन परमेश्‍वर ने मसीहियों पर पवित्र शक्‍ति उँडेली, तो उस दिन से प्रचार काम तेज़ी से बढ़ने लगा। ईसवी सन्‌ 61 के आते-आते तकरीबन पूरी दुनिया में खुशखबरी फैल गयी। यही वजह है कि उस साल के आस-पास पौलुस ने कुलुस्सियों के नाम खत में लिखा कि खुशखबरी का प्रचार “पूरी दुनिया में किया जा चुका है।” (कुलु. 1:23) पौलुस ने जब “पूरी दुनिया” कहा तो उसका मतलब था दुनिया के वे सभी इलाके जहाँ पौलुस और दूसरे मसीही जा सकते थे। हमारे दिनों में पवित्र शक्‍ति की मदद से खुशखबरी और भी दूर-दूर तक यानी “पृथ्वी के छोर तक” फैल गयी है।​—प्रेषि. 13:47; “ मैं अपने सेवकों पर ‘पवित्र शक्‍ति उँडेलूँगा’” नाम का बक्स पढ़ें।

क्या बदला है?

17. टिड्डियों के बारे में योएल की भविष्यवाणी का अब हमने क्या मतलब समझा है?

17 टिड्डियों के बारे में योएल 2:7-9 की भविष्यवाणी को अब हमने सही-सही समझा है। हमने देखा कि इन आयतों में हमारे प्रचार काम की बात नहीं की जा रही है। इसके बजाय, इस भविष्यवाणी का मतलब यह है कि बैबिलोन की सेना यरूशलेम पर हमला करेगी। यह भविष्यवाणी ईसा पूर्व 607 में पूरी हुई थी।

18. क्या प्रचार के मामले में कुछ बदलाव हुआ है?

18 लेकिन जहाँ तक हमारे प्रचार काम की बात है, उसमें कोई बदलाव नहीं हुआ है। हम हमेशा की तरह हर जगह और हर तरीका आज़माकर लोगों को खुशखबरी सुना रहे हैं। (मत्ती 24:14) चाहे कोई सरकार हम पर पाबंदी लगा दे, फिर भी हम यह काम नहीं रोकनेवाले। यहोवा की मदद से हम पहले से ज़्यादा जोश और हिम्मत से प्रचार कर रहे हैं। रही बात बाइबल की भविष्यवाणियों की, हमें यहोवा पर भरोसा है कि हमेशा की तरह वह सही समय पर इन्हें ठीक-ठीक समझने में हमारी मदद करेगा और “सच्चाई की पूरी समझ” देगा।​—यूह. 16:13.

गीत 97 ज़िंदगी याह के वचनों पे है टिकी

^ पैरा. 5 योएल अध्याय 1 और 2 में दी गयी भविष्यवाणी के बारे में हम सालों से यही मानते आए हैं कि यह भविष्यवाणी प्रचार काम के बारे में है और हमारे समय में पूरी हो रही है। लेकिन ऐसा मालूम पड़ता है कि इस भविष्यवाणी के बारे में हम जो मानते थे, अब उसे बदलने की ज़रूरत है। ऐसा कहने के चार कारण इस लेख में बताए जाएँगे।

^ पैरा. 3 मिसाल के लिए, 15 अप्रैल 2009 की प्रहरीदुर्ग  के इस लेख के पैराग्राफ 14-16 पढ़िए: “सृष्टि यहोवा की बुद्धि का बखान करती है।