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“बाबुल गिर पड़ा!”

“बाबुल गिर पड़ा!”

सत्रहवाँ अध्याय

“बाबुल गिर पड़ा!”

यशायाह 21:1-17

1, 2. (क) पूरी बाइबल का कौन-सा खास विषय है, मगर कौन-से छोटे और महत्त्वपूर्ण विषय की चर्चा यशायाह ने की है? (ख) बाबुल के गिरने के विषय के बारे में बाइबल में कैसे बताया गया है?

बाइबल एक ऐसी उम्दा संगीत-रचना की तरह है जो एक खास धुन पर बनी होती है, मगर उसके बीच में और भी कई छोटी-छोटी धुनें होती हैं जो पूरी रचना में चार चाँद लगाकर उसे अनूठा बना देती हैं। पूरी बाइबल का भी एक खास विषय है और वह है, मसीहाई राज्य के ज़रिए साबित करना कि यहोवा ही सारे जहान का महाराजा और मालिक है। इस खास विषय के अलावा, बाइबल में दूसरे कई छोटे महत्त्वपूर्ण विषयों का भी बार-बार ज़िक्र किया गया है। और इन्हीं में से एक है बाबुल का गिरना।

2 बाबुल के गिरने के बारे में पहली बार यशायाह के 13वें और 14वें अध्याय में बताया है। फिर इसके बाद अध्याय 21 और अध्याय 44 और 45 में इसे फिर से दोहराया गया है। इसके सौ साल बाद यिर्मयाह ने इसी विषय पर और ज़्यादा जानकारी दी और प्रकाशितवाक्य की किताब में इसका ज़बरदस्त अंजाम बताकर इसे समाप्त किया गया है। (यिर्मयाह 51:60-64; प्रकाशितवाक्य 18:1–19:4) बाइबल का गहराई से अध्ययन करनेवाले हर इंसान को, परमेश्‍वर के वचन के इस छोटे मगर ज़रूरी विषय पर ध्यान देना चाहिए। इस मामले में, यशायाह का 21वाँ अध्याय हमारी मदद करता है क्योंकि इसमें उस महान विश्‍वशक्‍ति यानी बाबुल के गिरने के बारे में हैरतअंगेज़ जानकारी दी गयी है। बाद में, हम देखेंगे कि यशायाह के 21वें अध्याय में बाइबल के एक और ज़रूरी विषय पर ज़ोर दिया गया है। इस विषय की मदद से हम यह जाँच कर पाएँगे कि क्या हम मसीही होने के नाते आज सतर्क हैं।

‘कष्ट की बातों का दर्शन’

3. बाबुल को ‘समुद्री तट का निर्जन प्रदेश’ क्यों कहा गया है, और यह नाम उसके किस डरावने भविष्य की ओर इशारा करता है?

3यशायाह का 21वाँ अध्याय एक डरावने संदेश से शुरू होता है: “समुद्री तट के निर्जन प्रदेश के विषय नबूवत [“भारी वचन,” हिन्दी, ओ.वी.]। जैसे मरुभूमि की प्रचण्ड आन्धी चली आती है, वैसे ही यह निर्जन प्रदेश अर्थात्‌ डरावने देश से चली आती है।” (यशायाह 21:1, NHT) बाबुल नगर, फरात नदी की दोनों तरफ बसा हुआ है और इसका पूर्वी भाग, दो बड़ी नदियों के बीच के इलाके में है और ये दो नदियाँ हैं फरात और टिग्रिस। यह इलाका समुद्र से थोड़ी दूरी पर है। तो फिर, इसे ‘समुद्री तट का निर्जन प्रदेश’ क्यों कहा गया है? क्योंकि बाबुल के इलाके में हर साल बाढ़ आया करती थी, इसलिए वहाँ चारों तरफ की ज़मीन दलदल जैसी बन जाती थी मानो कीचड़ का ‘समुद्र’ हो। लेकिन बाबुल के लोगों ने पानी से भरे इस निर्जन देश पर काबू पाने के लिए बाँध, बाढ़ द्वार और नहरों का एक जाल बिछा दिया है। उन्होंने बड़ी अक्लमंदी से काम करते हुए इस पानी को नगर की रक्षा करनेवाले एक बड़े नाले की तरह इस्तेमाल किया है। मगर, इंसान की कोई भी युक्‍ति बाबुल को परमेश्‍वर के न्याय से नहीं बचा पाएगी। वह एक निर्जन देश था और फिर से वैसा ही निर्जन देश बन जाएगा। विनाश की हवाएँ उसकी तरफ बढ़ती चली आ रही हैं। ये उन भयंकर तूफानों की तरह उमड़ रही हैं जो कभी-कभी दक्षिण दिशा के वीराने से उठकर इस्राएल देश में आया करते थे।—जकर्याह 9:14 से तुलना कीजिए।

4. ‘बड़े बाबुल’ के बारे में प्रकाशितवाक्य के दर्शन में, “जल” और “निर्जन प्रदेश” का ज़िक्र कैसे किया गया है और “जल” का क्या मतलब है?

4 इस किताब के 14वें अध्याय में हमने सीखा था कि प्राचीन बाबुल जैसा एक संगठन आज भी मौजूद है। यह संगठन, सारी दुनिया में फैला झूठे धर्म का साम्राज्य यानी “बड़ा बाबुल” है। प्रकाशितवाक्य में, बड़े बाबुल के बारे में बताते वक्‍त भी “जल” और “निर्जन प्रदेश” का ज़िक्र किया गया है। बड़ा बाबुल दिखाने के लिए प्रेरित यूहन्‍ना को एक जंगल में ले जाया जाता है। यूहन्‍ना से कहा जाता है कि यह वेश्‍या “बहुत-से जल पर बैठी है,” और इस जल का मतलब है “लोग, भीड़, जातियां, और भाषाएं।” (प्रकाशितवाक्य 17:1-3,5,15, NHT) आम लोगों के समर्थन की वजह से ही झूठा धर्म आज तक कायम है, मगर अंत में यह “जल” भी उसे बचा नहीं पाएगा। प्राचीन बाबुल की तरह, आज का बाबुल भी खाली हो जाएगा, कोई उसे पूछेगा तक नहीं और आखिरकार वह पूरी तरह उजड़ जाएगा।

5. बाबुल कैसे एक “विश्‍वासघाती” और “नाशक” होने का नाम कमाता है?

5 यशायाह के दिनों में, अभी बाबुल विश्‍वशक्‍ति नहीं बना है, मगर यहोवा पहले से जानता है कि जब उसका वक्‍त आएगा तब वह अपनी ताकत का नाजायज़ फायदा उठाएगा। यशायाह कहता है: “कष्ट की बातों का मुझे दर्शन दिखाया गया है; विश्‍वासघाती विश्‍वासघात करता है, और नाशक नाश करता है।” (यशायाह 21:2क) जी हाँ, बाबुल जिन देशों पर जीत हासिल करेगा, उन्हें वह वाकई नाश करेगा और उनके साथ विश्‍वासघात करेगा। इन देशों में यहूदा देश भी शामिल है। बाबुल के लोग यरूशलेम को उजाड़ देंगे, उसके मंदिर को लूट लेंगे और उसके लोगों को बंधुआ बनाकर ले जाएँगे। वहाँ, इन लाचार कैदियों के साथ छल किया जाएगा, उनके धर्म का मज़ाक उड़ाया जाएगा और उन्हें यह एहसास दिलाया जाएगा कि अब वे कभी-भी अपने वतन लौट नहीं पाएँगे।—2 इतिहास 36:17-21; भजन 137:1-4.

6. (क) यहोवा किस कराहने को बंद करवाएगा? (ख) भविष्यवाणी के मुताबिक बाबुल पर कौन-से देश हमला करेंगे, और यह कैसे पूरा हुआ?

6 जी हाँ, बाबुल ‘कष्ट की बातों के दर्शन’ के ही लायक है। इसका मतलब यह है कि उसे खुद ये सारे कष्ट सहने पड़ेंगे। यशायाह आगे कहता है: “हे एलाम, चढ़ाई कर, हे मादै, घेर ले; उसका सब कराहना मैं बन्द करता हूं।” (यशायाह 21:2ख) इस विश्‍वासघाती साम्राज्य ने जिन-जिन लोगों पर ज़ुल्म ढाए हैं, उन्हें चैन मिलेगा। आखिरकार उनका कराहना बंद होगा! (भजन 79:11,12) मगर यह राहत किसके ज़रिए मिलेगी? यशायाह दो देशों के नाम बताता है जो बाबुल पर हमला करेंगे: एलाम और मादै। दो सदियों बाद, सा.यु.पू. 539 में फारस का राजा कुस्रू, मादियों और फारसियों की सेना को लेकर बाबुल पर चढ़ाई करेगा। और एलाम के बारे में क्या कहा जा सकता है? फारस के सम्राट, सा.यु.पू. 539 से पहले ही एलाम के कुछ इलाकों को अपने राज्य में मिला चुके होंगे। * इस तरह फारसियों की सेना में एलामी भी शामिल होंगे।

7. यशायाह के दर्शन का खुद उस पर क्या असर हुआ, और इसके ज़रिए क्या भविष्यवाणी की गयी?

7 ध्यान दीजिए कि इस दर्शन का खुद यशायाह पर कैसा असर हुआ। वह बताता है: “इस कारण मेरी कटि में कठिन पीड़ा है; मुझ को मानो ज़च्चा पीड़ें हो रही हैं; मैं ऐसे संकट में पड़ गया हूं कि कुछ सुनाई नहीं देता, मैं ऐसा घबरा गया हूं कि कुछ दिखाई नहीं देता। मेरा हृदय धड़कता है, मैं अत्यन्त भयभीत हूं; जिस सांझ की मैं बाट जोहता था उसे उस ने मेरी थरथराहट का कारण कर दिया है।” (यशायाह 21:3,4) ऐसा लगता है कि यशायाह को सांझ का वक्‍त बहुत पसंद था, क्योंकि इस वक्‍त उसे शांति से बैठकर चिंतन करने का अच्छा मौका मिलता था। मगर अब सांझ भी उसे अच्छी नहीं लगती, क्योंकि यह अब अपने साथ डर, पीड़ा और घबराहट ही लाती है। उसे दर्द की ऐसी मरोड़ उठ रही हैं जैसे बच्चा जनने के वक्‍त किसी जच्चा को उठती हैं और उसका “हृदय धड़कता” है। एक विद्वान ने इन शब्दों का अनुवाद यूँ किया, “मेरा हृदय धौंकनी की तरह चलता है” जो बताता है कि “उसकी नाड़ी इस कदर तेज़ और रुक-रुककर चल रही है जैसी तेज़ बुखार में चलती है।” मगर यशायाह को इतनी पीड़ा क्यों हुई? ज़ाहिर है कि यशायाह की ये भावनाएँ भी भविष्यवाणी का एक हिस्सा हैं। ये दिखाती हैं कि सा.यु.पू. 539, अक्टूबर 5/6 की रात को, बाबुल के लोग भी ऐसी ही दहशत महसूस करेंगे।

8. हालाँकि बाबुल के दुश्‍मन नगर की शहरपनाह के बाहर डेरा डाले हुए हैं, फिर भी जैसी भविष्यवाणी की गयी थी बाबुल के लोग क्या कर रहे हैं?

8 जब उस अनहोनी रात का अंधेरा छाना शुरू हुआ, तो बाबुल के लोगों के दिमाग में दहशत की भावना का दूर-दूर तक कोई नामो-निशान नहीं था। यशायाह ने लगभग दो सौ साल पहले भविष्यवाणी की: “भोजन की तैयारी हो रही है, पहरुए बैठाए जा रहे हैं, खाना-पीना हो रहा है।” (यशायाह 21:5क) जी हाँ, घमंडी राजा बेलशस्सर ने एक दावत दी है। उसके एक हज़ार खास-खास अफसरों के लिए बैठने की जगह सजायी गयी है और उनके साथ उनकी कई पत्नियाँ और रखैलियाँ भी वहाँ मौजूद हैं। (दानिय्येल 5:1,2) ये ऐयाश लोग जानते हैं कि बाबुल की शहरपनाह के बाहर एक फौज डेरा डाले हुए है, मगर उनका मानना है कि उनके नगर में कोई घुस ही नहीं सकता। नगर की बड़ी-बड़ी शहरपनाहें और बाहर गहरी खाई की वजह से उस पर कब्ज़ा करना नामुमकिन लगता है; और बाबुल के इतने देवताओं के होते हुए तो यह ज़रा भी मुमकिन नहीं है। इसलिए “खाना-पीना हो रहा है”! बेलशस्सर पीकर धुत्त हो जाता है और बाकी लोग भी मतवाले हो रहे हैं। वे इस कदर नशे में चूर हैं कि उन्हें होश में लाने की ज़रूरत है, जैसा कि यशायाह की भविष्यवाणी के अगले शब्दों से पता चलता है।

9. ‘ढाल में तेल मलना’ क्यों ज़रूरी हो जाता है?

9“हे हाकिमो, उठो, ढाल में तेल मलो!” (यशायाह 21:5ख) अचानक ही जश्‍न रुक जाता है। हाकिमों को अब खुद को होश में लाना पड़ता है! बुज़ुर्ग भविष्यवक्‍ता दानिय्येल को वहाँ बुलाया जाता है और वह देखता है कि कैसे यहोवा ने, बाबुल के राजा बेलशस्सर के दिल में वैसी ही दहशत पैदा कर दी है जैसी यशायाह ने बतायी थी। जब मादियों, फारसियों और एलामियों की सेना बाबुल की मोर्चाबन्दी को तोड़कर अंदर घुस आती है तो राजा के अफसरों में खलबली मच जाती है। बाबुल पलक झपकते ही गिर जाता है! लेकिन, ‘ढाल में तेल मलने’ का क्या मतलब है? बाइबल में कई बार देश के राजा को ही ढाल कहा गया है, क्योंकि वह देश की हिफाज़त करनेवाला उसका रक्षक है। * (भजन 89:18) तो फिर, यशायाह की यह आयत शायद एक नए राजा की ज़रूरत पड़ने की भविष्यवाणी कर रही है। क्यों? क्योंकि बेलशस्सर को “उसी रात” मार डाला जाता है। इसलिए ‘ढाल में तेल मलने’ या एक नए राजा का तेल से अभिषेक करने की ज़रूरत आन पड़ी है।—दानिय्येल 5:1-9,30.

10. विश्‍वासघाती के बारे में यशायाह की भविष्यवाणी के पूरा होने से, यहोवा के उपासक क्या दिलासा पा सकते हैं?

10 सच्ची उपासना से प्यार करनेवाले सभी इस घटना से बहुत तसल्ली पाते हैं। आज का बाबुल, यानी बड़ा बाबुल भी पुराने ज़माने के बाबुल की तरह विश्‍वासघाती और नाशक है। आज भी धर्मगुरू, यहोवा के साक्षियों के खिलाफ साज़िश रचते हैं, उन पर पाबंदियाँ लगाकर उन्हें सताते हैं या फिर उन पर जुर्माना लगाते हैं। मगर यह भविष्यवाणी हमें याद दिलाती है कि यहोवा इस धूर्तता को, इन सारे ज़ुल्मों को देखता है और वह एक-एक ज़ुल्म का हिसाब ज़रूर लेगा। वह उन सभी धर्मों का खात्मा कर देगा जो उसे बदनाम करते हैं और उसके लोगों को सताते हैं। (प्रकाशितवाक्य 18:8) क्या सचमुच ऐसा होगा? इसके पूरा होने पर अपने विश्‍वास को मज़बूत करने के लिए, हमें सिर्फ यह देखने की ज़रूरत है कि यहोवा ने प्राचीन बाबुल और आज के बाबुल के गिरने के बारे में जो कुछ कहा था, वह सब कैसे पूरा हो चुका है।

“बाबुल गिर पड़ा”!

11. (क) एक पहरुए की क्या ज़िम्मेदारी है, और हमारे ज़माने में पहरुए की तरह चौकस कौन रहा है? (ख) युद्ध में गधों और ऊँटों के रथ किसे दर्शाते हैं?

11 यहोवा अब भविष्यवक्‍ता से बात करता है। यशायाह बताता है: “प्रभु ने मुझ से यों कहा है, जाकर एक पहरुआ खड़ा कर दे, और वह जो कुछ देखे उसे बताए।” (यशायाह 21:6) इन शब्दों से इस अध्याय के एक और खास विषय की शुरूआत होती है, वह है एक पहरुए या प्रहरी के बारे में। इस विषय में सभी सच्चे मसीहियों को दिलचस्पी है क्योंकि यीशु ने अपने चेलों को एक पहरुए की तरह ‘जागते रहने’ के लिए उकसाया था। हमारे ज़माने में, एक पहरुए की तरह “विश्‍वासयोग्य और बुद्धिमान दास” ने यहोवा के न्याय के दिन के करीब आने और इस भ्रष्ट दुनिया के खतरों के बारे में जो कुछ देखा है, उसे बताना नहीं छोड़ा है। (मत्ती 24:42,45-47) यशायाह के दर्शन का पहरुआ क्या देखता है? “उसने एक युद्ध-रथ देखा जिसमें एक जोड़ी जंगी घोड़े लगे थे, गधों का एक युद्ध-रथ, और ऊँटों का एक युद्ध-रथ देखा। वह उन पर नज़र गड़ाए हुए था और चौकस होकर ध्यान दे रहा था।” (यशायाह 21:7, NW) आगे आनेवाले इन तीन रथों के पीछे शायद रथों की एक लंबी कतार, यानी पूरी फौज है जो दल बाँधकर घोड़ों की रफ्तार से बढ़ती चली आ रही है। युद्ध में गधे और ऊँटों के रथ खास तौर पर दो शक्‍तियों यानी मादियों और फारसियों को दर्शाते हैं, क्योंकि वे धावा बोलने के लिए साथ मिल जाएँगे। इसके अलावा, इतिहास भी इस बात की गवाही देता है कि फारस की सेना युद्ध में गधे और ऊँट दोनों का इस्तेमाल करती थी।

12. यशायाह के दर्शन का पहरुआ कौन-से गुण ज़ाहिर करता है, और आज इन गुणों की ज़रूरत किन लोगों को है?

12 अब, पहरुआ एक खबर सुनाने के लिए मजबूर हो जाता है। “तब पहरेदार सिंह के समान दहाड़ा, ‘हे प्रभु, मैं प्रतिदिन लगातार बुर्ज पर खड़ा रहा, और प्रति रात्रि पहरे पर तैनात रहा। अब देख, यहां सवारों का दल अर्थात्‌ दो दो की पंक्‍ति में घुड़सवारों का दल आ रहा है।’” (यशायाह 21:8,9क, NHT) यशायाह के दर्शन का पहरुआ निडर होकर, एक “सिंह के समान” दहाड़कर पुकार लगाता है। बाबुल जैसे ज़बरदस्त और शक्‍तिशाली देश को न्यायदंड सुनाने के लिए वाकई हिम्मत की ज़रूरत है। लेकिन हिम्मत के अलावा पहरुए के लिए एक और गुण ज़रूरी है, वह है सहन-शक्‍ति। पहरुआ दिन-रात अपने पहरे पर खड़ा रहता है और पल-भर के लिए भी अपनी पलकें झपकने नहीं देता। उसी तरह, इन अंतिम दिनों में पहरुए वर्ग के लोगों को हिम्मत और सहन-शक्‍ति जैसे गुणों की ज़रूरत पड़ी है। (प्रकाशितवाक्य 14:12) दरअसल, सभी सच्चे मसीहियों को इन गुणों की ज़रूरत है।

13, 14. (क) प्राचीन बाबुल का क्या हुआ, और किस अर्थ में उसकी मूरतों को चकनाचूर किया गया? (ख) प्राचीन बाबुल की तरह ही कब और कैसे बड़ा बाबुल गिर पड़ा?

13 यशायाह के दर्शन का पहरुआ, एक युद्ध-रथ को पास आते देखता है। रथ के सवार क्या खबर लाए हैं? “वह बोल उठा, गिर पड़ा, बाबुल गिर पड़ा; और उसके देवताओं के सब खुदी हुई मूरतें भूमि पर चकनाचूर कर डाली गई हैं।” (यशायाह 21:9ख) यह कितनी सनसनीखेज़ खबर है! परमेश्‍वर के लोगों के साथ विश्‍वासघात करनेवाला और उन्हें नाश करनेवाला आखिरकार गिर ही पड़ा! * लेकिन, बाबुल की मूरतों को किस तरह चकनाचूर किया गया है? क्या मादी-फारस के सैनिक बाबुल के मंदिरों में घुसकर उनकी अनगिनत मूरतों के टुकड़े-टुकड़े कर डालेंगे? जी नहीं, ऐसा कुछ भी करने की ज़रूरत नहीं है। बाबुल की मूरतें चकनाचूर हो जाएँगी, यानी उनका भंडाफोड़ हो जाएगा कि बाबुल को बचाने की उनमें ज़रा भी ताकत नहीं है। और बाबुल के गिरने का मतलब है कि वह इसके बाद परमेश्‍वर के लोगों को अपने कब्ज़े में रखकर उन पर और ज़ुल्म नहीं कर पाएगा।

14 मगर बड़े बाबुल के बारे में क्या कहा जा सकता है? पहले विश्‍वयुद्ध के दौरान, परमेश्‍वर के लोगों को सताने की साज़िश रचकर, वह उनको कुछ वक्‍त तक अपने कब्ज़े में रखने में कामयाब रहा। उनका प्रचार काम लगभग ठप्प पड़ने की नौबत आ गयी थी। वॉच टावर सोसाइटी के अध्यक्ष और दूसरे खास अफसरों पर झूठे इलज़ाम लगाकर उन्हें कैद कर दिया गया। मगर सन्‌ 1919 में ऐसा पासा पलटा कि सब देखते रह गए। संस्था के अफसरों को जेल से रिहा किया गया, उनका मुख्यालय फिर से खोला गया और प्रचार काम एक बार फिर ज़ोरों से शुरू हो गया। इस तरह, बड़ा बाबुल गिर पड़ा जिसका मतलब था कि अब परमेश्‍वर के लोगों पर उसका कोई बस नहीं चल सकता था। * इस बाबुल के गिरने का एक स्वर्गदूत ने प्रकाशितवाक्य में दो बार ऐलान किया जिसमें उसने यशायाह 21:9 के शब्द इस्तेमाल किए।—प्रकाशितवाक्य 14:8,18:2.

15, 16. किस अर्थ में यशायाह के लोग “दांई हुई प्रजा” हैं, और उनकी तरफ यशायाह के रवैये से हम क्या सीख सकते हैं?

15 यशायाह इस भविष्यवाणी को खत्म करते वक्‍त अपने ही लोगों के लिए करुणा से भरकर यह कहता है: “हे मेरी दांई हुई प्रजा, और खलिहान में कुचले हुए मेरे लोगो, जो कुछ मैंने सेनाओं के यहोवा, इस्राएल के परमेश्‍वर से सुना है, वह मैंने तुम्हें बता दिया है।” (यशायाह 21:10, NHT) बाइबल में, खलिहान में अनाज को दाँने या रौंदने की मिसाल, अकसर परमेश्‍वर के लोगों के सुधारे जाने और शुद्ध किए जाने को दर्शाने के लिए दी गयी है। परमेश्‍वर के ये चुने हुए लोग जल्द ही ‘खलिहान में कुचले हुए लोगों’ की तरह हो जाएँगे, जहाँ गेहूँ को कूट-कूटकर भूसे से अलग किया जाता है और नतीजा यह होता है कि साफ और अच्छे दाने अलग हो जाते हैं। यशायाह यह देखकर अपनी आँखें सेंकना नहीं चाहता कि अच्छा हुआ इन लोगों को ताड़ना मिलेगी। इसके बजाय, उसे उन लोगों पर तरस आ रहा है जो आगे चलकर ‘खलिहान में कुचले हुए लोगों’ जैसे होंगे और उनमें से कुछ लोगों को सारी ज़िंदगी पराए देश में बंधुआ बनकर रहना पड़ेगा।

16 इससे हम सभी एक अच्छा सबक सीख सकते हैं। आज मसीही कलीसिया में हो सकता है कि कुछ लोगों के मन में, पाप करनेवालों के लिए तरस की भावना बिलकुल न रहे। दूसरी तरफ ऐसा भी हो सकता है कि जिन्हें ताड़ना दी जा रही है वे इसे पसंद न करें। लेकिन, अगर हम यह याद रखें कि यहोवा अपने लोगों को शुद्ध करने के लिए ताड़ना देता है, तो हम कभी-भी यहोवा की ताड़ना को तुच्छ नहीं समझेंगे। न ही हम उन लोगों को नीची नज़र से देखेंगे जिन्हें ताड़ना दी जाती है, और न ही हम खुद ताड़ना मिलने पर इसका विरोध करेंगे। आइए हम यह मानकर चलें कि परमेश्‍वर से मिलनेवाली ताड़ना, उसके प्यार का ही एक सबूत है।—इब्रानियों 12:6.

पहरुए से पूछना

17. एदोम को “दूमा” कहा जाना सही क्यों है?

17यशायाह के 21वें अध्याय में, यशायाह दूसरा संदेश देता है जिसमें पहरुए का किरदार उभरकर सामने आता है। संदेश यूँ शुरू होता है: “दूमा के विषय भारी वचन। सेईर में से कोई मुझे पुकार रहा है, हे पहरुए, रात का क्या समाचार है? हे पहरुए, रात की क्या खबर है?” (यशायाह 21:11) यह दूमा कहाँ है? बाइबल के ज़माने में इस नाम के कई नगर हुआ करते थे, मगर यहाँ इनमें से किसी का भी ज़िक्र नहीं किया गया है। दूमा नाम का कोई नगर, सेईर में नहीं है जो कि एदोम का दूसरा नाम है। लेकिन, “दूमा” का मतलब है “खामोशी।” इसलिए ऐसा लगता है कि जैसे बाबुल के विषय भारी वचन में उसे “समुद्री तट का निर्जन प्रदेश” नाम दिया गया जो उसके भविष्य की हालत को दिखाता था, वैसे ही यह नाम भी है। एदोम, जो परमेश्‍वर के लोगों का बरसों पुराना दुश्‍मन है और उनसे खार खाता है, वह जल्द ही खामोशी में अपना दम तोड़ देगा। मगर, ऐसा होने से पहले कुछ लोग चिंतित होकर भविष्य के बारे में पूछताछ करेंगे।

18. प्राचीन एदोम पर यह भारी वचन कैसे पूरा हुआ कि “भोर होती है और रात भी”?

18 यशायाह किताब के लिखे जाने के वक्‍त, एदोम, ताकतवर अश्‍शूरी सेना के रास्ते में पड़ता है। एदोम के कुछ लोग जानने के लिए बेचैन हैं कि अश्‍शूरियों के ज़ुल्म की यह काली अंधियारी रात कब खत्म होगी। जवाब क्या था? “पहरुए ने कहा, भोर होती है और रात भी।” (यशायाह 21:12क) एदोम के लिए यह अच्छी खबर नहीं है। भोर की हल्की-सी रोशनी क्षितिज में दिखायी तो देगी, मगर यह एक धोखे की तरह कुछ ही पल में गायब हो जाएगी। ऐसी हल्की भोर की झलक मिलने के फौरन बाद, ज़ुल्म की एक और अंधेरी रात शुरु हो जाएगी। एदोम का भविष्य कैसा होगा यह दिखाने के लिए क्या ही सही तसवीर पेश की गयी है! एदोम से जब अश्‍शूर का ज़ुल्म खत्म होगा, तब विश्‍वशक्‍ति बाबुल इस पर कब्ज़ा कर लेगा और वह भी एदोम का काफी हद तक नाश करेगा। (यिर्मयाह 25:17,21; 27:2-8) और यह सिलसिला चलता रहेगा। बाबुल के बाद फारस आएगा और फिर यूनान, एदोम पर ज़ुल्म ढाएगा। उसके बाद, रोमी साम्राज्य में कुछ वक्‍त के लिए “भोर” होती दिखायी देगी जब एदोम जाति के हेरोद, यरूशलेम पर राज करेंगे। मगर यह “भोर” ज़्यादा देर तक नहीं रहेगी। आखिरकार, एदोम सदा के लिए खामोश हो जाएगा और इतिहास के पन्‍नों से उसका नामो-निशान मिट जाएगा। तब दूमा नाम उस पर एकदम सही बैठेगा।

19. पहरुए के यह कहने का क्या मतलब हो सकता है कि “यदि तुम पूछना चाहते हो तो पूछो; फिर लौटकर आना”?

19 पहरुआ अपने इस छोटे-से संदेश को इन शब्दों से खत्म करता है: “यदि तुम पूछना चाहते हो तो पूछो; फिर लौटकर आना।” (यशायाह 21:12ख) “फिर लौटकर आना,” ये शब्द शायद उन अनगिनत ‘रातों’ का ज़िक्र कर रहे हैं जो एदोम पर आनेवाली हैं। या ‘लौटकर आने’ से यशायाह शायद यह कह रहा है कि एदोम पर आनेवाली विपत्ति से जो कोई एदोमी बचना चाहता है, उसे पश्‍चाताप करना चाहिए और यहोवा के पास “लौटकर आना” चाहिए। मतलब चाहे जो भी हो, पहरुआ और भी पूछताछ करने के लिए कहता है।

20. यशायाह 21:11,12 में लिखा गया भारी वचन, आज यहोवा के लोगों के लिए क्यों बहुत मायने रखता है?

20 यह छोटी-सी भविष्यवाणी, आज यहोवा के लोगों के लिए बहुत मायने रखती है। * हमें मालूम है कि मानवजाति आध्यात्मिक अंधकार की काली रात में भटक रही है और परमेश्‍वर से दूर जा चुकी है। आखिरकार इसका नतीजा यही होगा कि इस संसार को मिटा दिया जाएगा। (रोमियों 13:12; 2 कुरिन्थियों 4:4) इस अंधियारी रात में, यह उम्मीद लगाना कि किसी-न-किसी तरह इंसान शांति और सुरक्षा ले ही आएगा, भोर का भ्रम देनेवाली उस हल्की-सी रोशनी की तरह है जिसके बाद और गहरा अंधकार छा जाता है। मगर सचमुच की भोर बस आने ही वाली है, यह भोर इस ज़मीन पर मसीह के एक हज़ार साल के राज की शुरूआत से होगी। मगर जब तक रात का अंधियारा कायम रहता है, तब तक हमें पहरुए वर्ग द्वारा दी जा रही हिदायतों का पालन करते रहना चाहिए। हमें आध्यात्मिक रूप से सतर्क रहना चाहिए और हिम्मत के साथ इस भ्रष्ट दुनिया के अंत के पास आने की घोषणा करनी चाहिए।—1 थिस्सलुनीकियों 5:6.

रेगिस्तान पर रात का अंधेरा छा जाता है

21. (क) “अरब के विरुद्ध भारी वचन” में शायद किस तरह शब्दों के खेल से भविष्यवाणी की गयी है? (ख) ददान के लोगों के कारवाँ क्या हैं?

21यशायाह के 21वें अध्याय की आखिरी भविष्यवाणी “अरब” देश के खिलाफ सुनायी गयी है। इसकी शुरूआत यूँ होती है: “अरब के विरुद्ध भारी वचन। हे ददानी बटोहियो, तुम को अरब के जंगल में रात बितानी पड़ेगी।” (यशायाह 21:13) यहाँ यह भारी वचन अरब के अनेक कबीलों के खिलाफ सुनाया गया है। “अरब” के लिए इब्रानी शब्द का शाब्दिक अर्थ है “रेगिस्तान।” और रेगिस्तान के लिए इस्तेमाल होनेवाले शब्द का अनुवाद कभी-कभी “सांझ” भी किया जाता है। इन दोनों शब्दों के लिए इस्तेमाल होनेवाले इब्रानी शब्द करीब-करीब एक जैसे हैं। कुछ लोग कहते हैं कि यह शब्दों का खेल है जिसके ज़रिए बताया गया है कि जल्द ही इस इलाके पर सांझ का अंधियारा या मुसीबत का वक्‍त आनेवाला है। इस भारी वचन की शुरूआत में दिखाया गया है कि अरब के एक खास कबीले, ददान के बटोही या कारवाँ रात के अंधेरे में बैठे हैं। इस तरह के कारवाँ रेगिस्तान के एक मरुद्यान से दूसरे मरुद्यान तक, मसाले, मोती और दूसरी बेशकीमती चीज़ें लेकर व्यापार के जाने-पहचाने रास्तों पर सफर करते हैं। लेकिन यहाँ हम देखते हैं कि वे अपने रास्ते को छोड़कर, रात बिताने के लिए जंगल के वीराने में छिपे बैठे हैं। मगर क्यों?

22, 23. (क) अरब के कबीलों को क्या बोझ उठाना पड़ेगा, और इसका उन पर कैसा असर होगा? (ख) यह मुसीबत कितनी जल्दी आएगी और किसके हाथों?

22 यशायाह समझाता है: “वे प्यासे के पास जल लाए, तेमा देश के रहनेवाले रोटी लेकर भागनेवाले से मिलने के लिये निकले आ रहे हैं। क्योंकि वे तलवारों के साम्हने से वरन नंगी तलवार से और ताने हुए धनुष से और घोर युद्ध से भागे हैं।” (यशायाह 21:14,15) जी हाँ, अरब के इन कबीलों को घमासान युद्ध का बोझ उठाना पड़ेगा। तेमा देश को, जो ऐसे इलाके में है जहाँ पानी की कोई कमी नहीं है, युद्ध से भागे और थके-हारे बेसहारा लोगों के लिए पानी और रोटी जुटाने के लिए मजबूर होना पड़ेगा। यह संकट की घड़ी कब आएगी?

23 यशायाह आगे कहता है: “प्रभु ने मुझ से यों कहा है, मज़दूर के वर्षों के अनुसार एक वर्ष में केदार का सारा विभव मिटाया जाएगा; और केदार के धनुर्धारी शूरवीरों में से थोड़े ही रह जाएंगे; क्योंकि इस्राएल के परमेश्‍वर यहोवा ने ऐसा कहा है।” (यशायाह 21:16,17) अरब में केदार का कबीला सबसे प्रधान है इसीलिए कभी-कभी सारे अरब को ही केदार कहकर पुकारा जाता है। यहोवा ने यह ठान लिया है कि इस कबीले के धनुर्धारी शूरवीर इतने कम हो जाएँगे कि वे मुट्ठी भर ही रह जाएँगे। कब? “एक वर्ष” के अंदर ही, वैसे ही जैसे एक मज़दूर उतने ही वक्‍त के लिए काम करता है जितने के लिए उसे मज़दूरी दी जाती है। यह सब कैसे पूरा हुआ यह हम ठीक-ठीक नहीं जानते। अश्‍शूर के दो राजा, सर्गोन II और सन्हेरीब ने अरब को अपने अधीन करने का दावा किया है। तो शायद जैसा भविष्यवाणी में कहा गया है, इन्हीं दोनों में से किसी एक ने अरब के इन घमंडी कबीलों का नाश किया होगा।

24. हम क्यों यह यकीन रख सकते हैं कि अरब के खिलाफ यशायाह की भविष्यवाणी पूरी हुई थी?

24 मगर हम इस बात का यकीन रख सकते हैं कि इस भविष्यवाणी का एक-एक शब्द पूरा हुआ। इस भारी वचन के आखिर में जो कहा गया है, वही इसके पूरा होने की सबसे बड़ी गारंटी है: “इस्राएल के परमेश्‍वर यहोवा ने ऐसा कहा है।” यशायाह के ज़माने के लोग शायद ही यह यकीन कर सकते थे कि बाबुल, अश्‍शूर से ज़्यादा ताकतवर होकर विश्‍वशक्‍ति बन जाएगा और फिर रंगरलियों से भरी एक ही शाम को उसका भी तख्ता पलट दिया जाएगा। वैसे ही उन्हें शायद इस बात पर भी यकीन ना हुआ हो कि ताकतवर एदोम एक दिन मौत की आगोश में समाकर हमेशा-हमेशा के लिए खामोश हो जाएगा या फिर अरब के धनवान कबीलों को कष्ट और तंगी की रात काटनी पड़ेगी। मगर जब यहोवा कहता है कि ऐसा होगा तो यह होकर ही रहेगा। आज, यहोवा हमसे कह रहा है कि दुनिया भर में फैले झूठे धर्म के साम्राज्य को मिटा दिया जाएगा। यह सिर्फ एक अनुमान नहीं है बल्कि ऐसा होकर रहेगा। यहोवा ने खुद कहा है तो यह ज़रूर होगा!

25. हम पहरुए वर्ग की मिसाल पर कैसे चल सकते हैं?

25 आइए हम उस पहरुए की तरह हों। आइए हम चौकस रहें, मानो हमें एक ऊँचे बुर्ज पर ठहराया गया है, इसलिए हम आनेवाले किसी भी खतरे की झलक पाने के लिए क्षितिज पर नज़र लगाए रहें। आइए हम वफादार पहरुए वर्ग, यानी पृथ्वी पर बचे हुए अभिषिक्‍त मसीहियों के साथ कंधे-से-कंधा मिलाकर काम करें। आइए हम उनके साथ मिलकर हिम्मत से वह सबकुछ बताएँ जो हमें दिखायी पड़ता है—इस बात का ज़बरदस्त सबूत दें कि मसीह स्वर्ग में शासन कर रहा है; कि वह जल्द ही उस लंबी, काली रात को खत्म करेगा जिसमें इंसान परमेश्‍वर से अलग हो गए हैं; और उसके बाद वह सही मायनों में असली भोर की शुरूआत करेगा, यानी वह एक खूबसूरत फिरदौस जैसी धरती पर हज़ार साल तक राज करेगा!

[फुटनोट]

^ पैरा. 6 फारस के राजा कुस्रू को कभी-कभी “अनशान का राजा” कहकर पुकारा जाता था। अनशान, एलाम के एक इलाके या नगर का नाम है। जब यशायाह ने सा.यु.पू. आठवीं सदी में इस्राएलियों को यह भविष्यवाणी सुनायी तब वे शायद फारस से वाकिफ न थे, मगर वे एलाम के बारे में ज़रूर जानते होंगे। इसलिए हम समझ सकते हैं कि क्यों यशायाह ने यहाँ फारस की जगह एलाम का नाम इस्तेमाल किया है।

^ पैरा. 9 बाइबल की व्याख्या करनेवाले कई विद्वान मानते हैं कि “ढाल में तेल मलो” ये शब्द, पुराने ज़माने की सेनाओं के एक रिवाज़ की ओर इशारा करते हैं। इस रिवाज़ के मुताबिक युद्ध में जाने से पहले सैनिक अपनी चमड़े की ढालों पर तेल मलते थे ताकि ज़्यादातर प्रहार उस पर लगकर फिसल जाएँ। हालाँकि इस आयत को इस तरह भी समझाया जा सकता है, फिर भी एक बात गौर करने लायक है। जिस रात बाबुल का नाश हुआ, उस रात युद्ध की तैयारी में अपनी ढालों पर तेल मलने की बात तो दूर रही, बाबुलियों को दुश्‍मन के सामने खड़े होने तक का वक्‍त नहीं मिला था!

^ पैरा. 13 बाबुल के गिरने के बारे में यशायाह की भविष्यवाणी का एक-एक शब्द इस कदर पूरा हुआ है कि बाइबल के कुछ आलोचकों का कहना है कि यह भविष्यवाणी ज़रूर घटना घटने के बाद लिखी गयी होगी। लेकिन, जैसे इब्रानी विद्वान एफ. डीलिश ने कहा कि ऐसी अटकलें लगाने की कोई ज़रूरत नहीं पड़ेगी अगर हम यह मान लें कि एक भविष्यवक्‍ता को परमेश्‍वर से प्रेरणा मिल सकती है और वह सदियों बाद होनेवाली घटनाओं की भविष्यवाणी पहले ही कर सकता है।

^ पैरा. 20 वॉचटावर पत्रिका की छपाई के पहले 59 सालों के दौरान, पहले पन्‍ने पर यशायाह 21:11 दिया जाता था। इसी आयत पर, वॉच टावर संस्था के पहले अध्यक्ष, चार्ल्स टी. रसल ने अपना आखिरी लिखित भाषण दिया था। (पिछले पन्‍ने पर चित्र देखिए।)

[अध्ययन के लिए सवाल]

[पेज 219 पर तसवीर]

“खाना-पीना हो रहा है”

[पेज 220 पर तसवीर]

पहरुआ “सिंह के समान दहाड़ा”

[पेज 222 पर तसवीर]

“मैं प्रतिदिन लगातार . . . खड़ा रहा, और प्रति रात्रि . . . तैनात रहा”