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गीत 43

धन्यवाद की प्रार्थना

धन्यवाद की प्रार्थना

(भजन 95:2)

  1. 1. करते हैं शुक्रिया दिल से, यहोवा!

    सुनता दुआएँ, तू करता परवाह!

    देता साथ हरदम, है तुझ पे भरोसा,

    तन-मन से तेरी करेंगे सेवा।

    पर हैं कमज़ोर, होतीं हमसे खताएँ,

    होके दुखी तुझसे माफी माँगें।

    देके फिरौती छुड़ाया जो तूने,

    तेरा एहसान ये कैसे हम भूलें!

  2. 2. अपने करीब याह, हमें तू ले आया,

    शुक्रिया तेरा, रहमदिल पिता!

    जीवन-भर तुझसे वफा हम निभाएँ,

    सिखला तेरी राह पे कैसे चलें।

    बेखौफ गवाही आज दे पाते हैं जो,

    याह तेरी शक्‌-ति के दम पे ही तो।

    नम्र रहकर रोज़ करें तेरी सेवा,

    हम पे सदा रहे तेरी कृपा!

(भज. 65:2, 4, 11; फिलि. 4:6 भी देखें।)