भजन 144:1-15

दाविद की रचना। 144  मेरी चट्टान+ यहोवा की तारीफ हो,जो मेरे हाथों को युद्ध का कौशल सिखाता है,मेरी उँगलियों को लड़ने की तालीम देता है।+   वह मुझसे प्यार* करता है,वह मेरा मज़बूत गढ़ है,मेरा ऊँचा गढ़ और मेरा छुड़ानेवाला है,वह मेरी ढाल है और उसी में मैंने आसरा लिया है,+वही है जो देश-देश के लोगों को मेरे अधीन कर देता है।+   हे यहोवा, इंसान क्या है कि तू उस पर गौर करे?नश्‍वर इंसान क्या है कि तू उस पर ध्यान दे?+   इंसान की ज़िंदगी बस एक साँस है,+उसके दिन ढलती छाया के समान हैं।+   हे यहोवा, तू अपने आसमान को नीचा करके* उतर आ,+पहाड़ों को छू ताकि उनसे धुआँ निकले।+   बिजली चमकाकर दुश्‍मनों को तितर-बितर कर दे,+अपने तीर चलाकर उनमें खलबली मचा दे।+   ऊपर से अपने हाथ बढ़ा,मुझे उफनते पानी से निकाल ले,परदेसियों के हाथ* से मुझे छुड़ा ले,+   जो अपने मुँह से झूठ बोलते हैं,अपना दायाँ हाथ उठाकर झूठी शपथ खाते हैं।*   हे परमेश्‍वर, मैं तेरे लिए एक नया गीत गाऊँगा।+ दस तारोंवाले बाजे की धुन पर तेरी तारीफ में गीत गाऊँगा,* 10  क्योंकि तू राजाओं को जीत दिलाता है,*+अपने सेवक दाविद को तलवार की मार से बचाता है।+ 11  मुझे परदेसियों के हाथ से छुड़ाकर बचा ले,जो अपने मुँह से झूठ बोलते हैं,अपना दायाँ हाथ उठाकर झूठी शपथ खाते हैं। 12  तब हमारे बेटे उन छोटे पौधों की तरह होंगे जो जल्दी बढ़ते हैं,हमारी बेटियाँ महल के कोने में खड़े नक्काशीदार खंभों की तरह होंगी। 13  हमारे भंडार हर तरह की उपज से भरे रहेंगे,हमारे मैदानों में हमारे जानवरों के झुंड हज़ार गुना बढ़ते जाएँगे,हज़ारों-लाखों गुना बढ़ते जाएँगे। 14  हमारी गाभिन गायों के साथ कुछ बुरा नहीं होगा,उनका गर्भ नहीं गिरेगा,हमारे चौक में किसी तरह का रोना-पीटना नहीं होगा। 15  सुखी हैं वे लोग जो इस तरह खुशहाल होंगे! सुखी हैं वे लोग जिनका परमेश्‍वर यहोवा है!+

कई फुटनोट

या “अटल प्यार।”
या “झुकाकर।”
या “चंगुल।”
शा., “उनका दायाँ हाथ झूठ का दायाँ हाथ है।”
या “संगीत बजाऊँगा।”
या “का उद्धार करता है।”

अध्ययन नोट

तसवीर और ऑडियो-वीडियो