प्रहरीदुर्ग—अध्ययन संस्करण जुलाई 2014
इस अंक में 1-28 सितंबर, 2014 के अध्ययन लेख दिए गए हैं।
उन्होंने खुशी-खुशी खुद को पेश किया—माइक्रोनेशिया में
जो दूसरे देशों से आकर इन प्रशांत महासागर के द्वीपों पर सेवा करते हैं, वे अकसर तीन आम चुनौतियों का सामना करते हैं। राज के ये प्रचारक इन चुनौतियों का सामना कैसे करते हैं?
“यहोवा उन्हें जानता है जो उसके अपने हैं”
2 तीमुथियुस 2:19 में बतायी “नींव” और “मुहर” हमें यहोवा के अपने लोगों की पहचान करने में कैसे मदद देती है?
यहोवा के लोग “बुराई को त्याग” देते हैं
‘बुराई को त्यागने’ की बात मूसा के दिनों में हुई घटनाओं से कैसे जुड़ी है? हम उन घटनाओं से क्या सीख सकते हैं?
जीवन कहानी
मैंने एक पिता को खोया—और एक पिता को पाया
शासी निकाय के सदस्य, भाई गैरिट लोश की जीवन कहानी पढ़िए।
“तुम मेरे साक्षी हो”
हमारा यहोवा के साक्षी कहलाने का क्या मतलब है?
‘तुम मेरे बारे में गवाही दोगे’
यीशु ने ऐसा क्यों कहा कि ‘तुम मेरे बारे में गवाही दोगे,’ न कि यहोवा के बारे में? गवाही देने के काम में हम अपना जोश बरकरार कैसे रख सकते हैं?