प्रहरीदुर्ग—अध्ययन संस्करण मार्च 2014

इस अंक में सीखिए कि हम त्याग की भावना के साथ-साथ खुद के बारे में सही नज़रिया कैसे बनाए रख सकते हैं। हम मंडली के बुज़ुर्ग मसीहियों और अपने बुज़ुर्ग रिश्‍तेदारों की देखभाल कैसे कर सकते हैं?

अविश्‍वासी रिश्‍तेदारों के दिल तक पहुँचना

यीशु अपने रिश्‍तेदारों के साथ जिस तरह पेश आया, उससे हम क्या सीख सकते हैं? हम अपना विश्‍वास परिवार के अविश्‍वासी सदस्यों के साथ कैसे बाँट सकते हैं?

त्याग की भावना कैसे बनाए रखें

एक दुश्‍मन है जो धीरे-धीरे हमारी त्याग की भावना को कमज़ोर कर सकता है। इस लेख में उस दुश्‍मन की पहचान की गयी है और यह लेख दिखाता है कि कैसे हम बाइबल का इस्तेमाल करके उससे लड़ सकते हैं।

खुद के बारे में सही नज़रिया कैसे बनाए रखें

कुछ लोग क्यों अपने बारे में बुरा सोचते हैं? इस लेख में हम देखेंगे कि कैसे हम बाइबल की मदद से खुद के बारे में सही नज़रिया बनाए रख सकते हैं।

पारिवारिक उपासना—क्या आप इसे और भी मज़ेदार बना सकते हैं?

देखिए कि अलग-अलग देशों के परिवार यह कैसे करते हैं। हो सकता है आपको भी कुछ मदद मिले।

अपने बीच बुज़ुर्गों का आदर कीजिए

बुज़ुर्गों के बारे में यहोवा का नज़रिया जानिए। बच्चों की बुज़ुर्ग माता-पिता की तरफ क्या ज़िम्मेदारियाँ हैं? मंडलियाँ कैसे बुज़ुर्गों का आदर कर सकती हैं?

बुज़ुर्ग माता-पिता की देखभाल करना

“विपत्ति के दिन” आने से पहले माता-पिता और बच्चे मिलकर तैयारी कर सकते हैं और कुछ फैसले ले सकते हैं। वे इनमें से कुछ चुनौतियों का सामना कैसे कर सकते हैं?

क्या आपकी बातों में ‘हाँ का मतलब न’ होता है?

मसीहियों को अपना वादा हर हाल में पूरा करना चाहिए। उनकी ‘हाँ का मतलब न’ नहीं होना चाहिए। तब क्या अगर हमें किसी योजना को रद्द करना पड़े? प्रेषित पौलुस के उदाहरण से सीखिए।