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माता-पिता क्या कर सकते हैं?

माता-पिता क्या कर सकते हैं?

माता-पिता क्या कर सकते हैं?

अमरीका में एक शिक्षा संस्थान हाई स्कूल के विद्यार्थियों को इस तरह चुनौती देता है: “दिखाइए कि आप हद-से-ज़्यादा कर गुज़रने के लिए तैयार हैं।” अपने लक्ष्य तक पहुँचने की तमन्‍ना रखनेवाले कई नौजवानों ने अपने आपको हद-से-ज़्यादा खपाया है। मेडलन लवाइन जिनका ज़िक्र पिछले लेख में किया गया है लिखती हैं: “कुछ बच्चे कम समय में अपना कोर्स पूरा करने के लिए कोचिंग क्लास जाते हैं, साथ ही स्कूल के दूसरे कार्यक्रमों में हिस्सा लेते हैं और हाई स्कूल या कॉलेज की पढ़ाई की तैयारी में पहले से ही जुट जाते हैं। ऐसी खास क्लासों में शिक्षक, विद्यार्थियों से इतनी मेहनत करवाते हैं कि उन्हें साँस लेने तक की फुरसत नहीं मिलती।” ऐसे विद्यार्थियों को शारीरिक और मानसिक तौर पर काफी नुकसान उठाना पड़ सकता है।

अगर आपको लगता है कि आपके बच्चे पर स्कूल से काफी दबाव आ रहा है तो खुद स्कूल जाकर टीचरों, सलाहकारों और प्रबंधकों से बात कीजिए। आपने अपने बच्चे में जो गौर किया है उन्हें बताइए। ऐसा करना आपका हक बनता है।

बाइबल माता-पिताओं को बढ़ावा देती है कि वे अपने बच्चों के विकास पर पूरा-पूरा ध्यान दें। परमेश्‍वर के एक सेवक मूसा ने परमेश्‍वर के नियमों के बारे में इसराएल जाति के माता-पिताओं से कहा: “[तुम] इन्हें अपने बालबच्चों को समझाकर सिखाया करना, और घर में बैठे, मार्ग पर चलते, लेटते, उठते, इनकी चर्चा किया करना।”—व्यवस्थाविवरण 6:7.

अपने बच्चे की पढ़ाई-लिखाई में गहरी दिलचस्पी लेने का मतलब यह नहीं कि आप उसमें दखलअंदाज़ी कर रहे हैं। दरअसल इससे ज़ाहिर होगा कि आपके बच्चे को आपका पूरा साथ मिल रहा है। इससे आपके बच्चे को स्कूल से मिलनेवाला तनाव कम करने में काफी हद तक कामयाबी मिलेगी। (g 4/09)

[पेज ८, ९ पर तसवीर]

अगर आपके बच्चे पर काफी दबाव आ रहा है, तो उसके टीचरों और सलाहकारों से बात कीजिए