पहला शमूएल 24:1-22

24  जैसे ही शाऊल पलिश्‍तियों का पीछा करके लौटा, उसे लोगों ने बताया कि दाविद एनगदी वीराने में है।+  इसलिए शाऊल ने पूरे इसराएल में से चुने हुए 3,000 आदमियों को लिया और दाविद और उसके आदमियों को ढूँढ़ने निकल पड़ा। वह उन सबको लेकर उन पथरीली चट्टानों की तरफ जाने लगा जहाँ पहाड़ी बकरियाँ घूमा करती हैं।  रास्ते में उन्हें पत्थरों से बनी भेड़शालाएँ मिलीं और वहीं एक गुफा थी। शाऊल गुफा के अंदर हलका होने* गया। उसी गुफा के बिलकुल कोने में दाविद और उसके आदमी छिपे बैठे थे।+  तब दाविद के आदमियों ने उससे कहा, “आज यहोवा तुझसे कह रहा है, ‘देख! मैंने तेरे दुश्‍मन को तेरे हाथ में कर दिया है।+ तुझे जो सही लगे वह कर।’” तब दाविद उठा और चुपके से शाऊल के पास गया और उसके बिन आस्तीन के बागे का छोर काट लिया।  मगर फिर दाविद का मन* उसे कचोटने लगा+ क्योंकि उसने शाऊल के बागे का छोर काट लिया था।  उसने अपने आदमियों से कहा, “मैं अपने मालिक पर हाथ उठाने की सोच भी नहीं सकता, वह यहोवा का अभिषिक्‍त जन है। यहोवा की नज़र में यह बिलकुल गलत होगा कि मैं यहोवा के अभिषिक्‍त जन पर हाथ उठाऊँ।”+  यह कहकर दाविद ने अपने आदमियों को रोक दिया* और उन्हें शाऊल पर हमला करने नहीं दिया। फिर शाऊल उठकर गुफा से निकल गया और अपने रास्ते चला गया।  फिर दाविद उठकर गुफा से बाहर आया और उसने ज़ोर से शाऊल को आवाज़ दी, “हे मेरे मालिक, हे राजा!”+ शाऊल ने पीछे मुड़कर देखा और दाविद ने मुँह के बल ज़मीन पर गिरकर प्रणाम किया।  उसने शाऊल से कहा, “तू क्यों ऐसे आदमियों की बातें सुनता है जो कहते हैं कि दाविद तेरा बुरा करना चाहता है?+ 10  आज तूने खुद अपनी आँखों से देखा कि जब तू गुफा में था तो यहोवा ने तुझे मेरे हाथ में कर दिया था। और किसी ने मुझसे कहा भी था कि मैं तुझे मार डालूँ+ मगर मैंने तुझ पर तरस खाया। मैंने कहा, ‘मैं अपने मालिक पर हाथ नहीं उठाऊँगा क्योंकि वह यहोवा का अभिषिक्‍त जन है।’+ 11  मेरे पिता, यह देख, तेरे बागे के छोर का एक टुकड़ा मेरे हाथ में है। जब मैंने यह छोर काटा तब मैं तुझे जान से मार भी सकता था। मगर मैंने ऐसा नहीं किया। इससे तू समझ सकता है कि तेरा बुरा करने या तुझसे बगावत करने का मेरा कोई इरादा नहीं। मैंने तेरे खिलाफ कोई पाप नहीं किया,+ फिर भी तू मेरी जान लेने पर तुला हुआ है।+ 12  अब यहोवा ही हम दोनों का न्याय करे+ और यहोवा ही तुझसे मेरा बदला ले,+ मगर मैं अपना हाथ तुझ पर नहीं उठाऊँगा।+ 13  एक पुरानी कहावत है, ‘दुष्ट ही दुष्टता के काम करता है।’ इसलिए मैं तुझ पर हाथ नहीं उठाऊँगा। 14  हे इसराएल के राजा, तू किसका पीछा कर रहा है? किसे पकड़ने की कोशिश कर रहा है? मुझ मरे हुए कुत्ते को? एक पिस्सू को?+ 15  यहोवा न्यायी बनकर हम दोनों का फैसला करे। वही इस मुकदमे की जाँच करेगा, मेरी तरफ से पैरवी करेगा+ और मेरा न्याय करेगा और मुझे तेरे हाथ से बचाएगा।” 16  जब दाविद ये सारी बातें कह चुका तो शाऊल ने पूछा, “मेरे बेटे दाविद, क्या यह तेरी आवाज़ है?”+ फिर शाऊल फूट-फूटकर रोने लगा। 17  उसने दाविद से कहा, “तू मुझसे ज़्यादा नेक है। तूने हमेशा मेरे साथ भलाई की है और बदले में मैंने तेरा बुरा ही किया है।+ 18  और जैसे तूने मुझे बताया, आज जब यहोवा ने मुझे तेरे हाथ में कर दिया तब मेरी जान बख्शकर तूने मेरा भला किया।+ 19  कौन ऐसा होगा जो मौका मिलने पर अपने दुश्‍मन को यूँ ही छोड़ दे? आज तूने मेरी जान न लेकर जो भलाई की है, उसके लिए यहोवा तुझे इनाम देगा।+ 20  मैं जानता हूँ कि तू ज़रूर राजा बनेगा+ और इसराएल पर तेरा राज सदा कायम रहेगा। 21  अब तू यहोवा की शपथ खाकर कह+ कि तू मेरी मौत के बाद मेरे वंशजों का नाश नहीं करेगा और मेरे पिता के घराने से मेरा नाम नहीं मिटाएगा।”+ 22  तब दाविद ने शपथ खाकर शाऊल से ऐसा ही कहा, जिसके बाद शाऊल अपने घर लौट गया।+ मगर दाविद और उसके आदमी ऊपर महफूज़ जगह चले गए।+

कई फुटनोट

यानी शौच करने।
या “ज़मीर।”
या शायद, “इधर-उधर भेज दिया।”

अध्ययन नोट

तसवीर और ऑडियो-वीडियो