योना 2:1-10

2  फिर योना ने मछली के पेट में अपने परमेश्‍वर यहोवा से प्रार्थना की।+  उसने कहा, “मुसीबत में मैंने यहोवा से फरियाद की और उसने मुझे जवाब दिया।+ कब्र* की गहराइयों से मैंने मदद के लिए तुझे पुकारा+और तूने मेरी आवाज़ सुन ली।   जब तूने मुझे गहरे पानी में, खुले समुंदर की गहराइयों में फेंका,तब पानी की तरंगों ने मुझे घेर लिया,+ तेरी ऊँची-ऊँची लहरें मुझे डुबाने लगीं।+   मैंने कहा, ‘तूने मुझे अपनी नज़रों से दूर कर दिया है, अब मैं फिर कभी तेरे पवित्र मंदिर को नहीं देख सकूँगा।’   पानी ने मुझे घेर लिया और मेरी जान पर बन आयी,+मैं गहरे सागर में उतरता चला गया, समुद्री पौधों में मेरा सिर उलझ गया।   मैं पहाड़ों की जड़ तक पहुँच गया,मेरे लिए पृथ्वी के फाटक हमेशा के लिए बंद हो गए। लेकिन हे मेरे परमेश्‍वर यहोवा, तूने मुझे उस गड्‌ढे से ज़िंदा बाहर निकाला।+   जब मेरा दम निकलने पर था, तब मैंने यहोवा को याद किया।+ मेरी प्रार्थना तेरे पास तेरे पवित्र मंदिर में पहुँची।+   जो निकम्मी मूरतों को पूजते हैं, वे उस हस्ती को ठुकरा देते हैं, जो उनसे अटल प्यार करता है।*   लेकिन मैं तेरा धन्यवाद करूँगा और तुझे बलिदान चढ़ाऊँगा,जो मन्‍नत मैंने मानी है उसे पूरा करूँगा।+ हे यहोवा, उद्धार करनेवाला तू ही है।”+ 10  फिर यहोवा ने मछली को हुक्म दिया और उसने योना को सूखी ज़मीन पर उगल दिया।

कई फुटनोट

या “शीओल।” शब्दावली देखें।
या शायद, “वे अपनी वफादारी से मुकर जाते हैं।”

अध्ययन नोट

तसवीर और ऑडियो-वीडियो