भजन 28:1-9
दाविद की रचना।
28 हे यहोवा, मेरी चट्टान, मैं तुझे ही पुकारता रहता हूँ,+मेरी प्रार्थना अनसुनी न कर।
अगर तू चुप रहेगा,तो मेरी हालत गड्ढे* में जानेवालों की तरह हो जाएगी+
2 जब मैं मदद के लिए पुकारूँ,तेरे पवित्र-स्थान के भीतरी कमरे की तरफ अपने हाथ उठाऊँ,+तो तू मेरी दुहाई सुनना।
3 तू दुष्टों के साथ मुझे घसीट न ले जाना,जो नुकसान पहुँचानेवाले काम करते हैं,+अपने संगी से शांति की बातें करते हैं, मगर उनके दिल में मैल भरा होता है।+
4 उन्हें उनकी करनी का फल दे,+उनके बुरे कामों का सिला दे।
उनके किए की सज़ा उन्हें दे,उन्होंने जो किया है उसका बदला उन्हें दे।+
5 क्योंकि वे न यहोवा के कामों पर,न ही उसके हाथ के कामों पर ध्यान देते हैं।+
वह उन्हें ढा देगा और दोबारा खड़ा नहीं करेगा।
6 यहोवा की तारीफ हो,क्योंकि उसने मेरी मदद की पुकार सुनी है।
7 यहोवा मेरी ताकत+ और मेरी ढाल है।+
मेरा दिल उसी पर भरोसा करता है।+
मुझे उससे मदद मिली है और मेरा दिल मगन है,इसलिए मैं अपने गीत में उसकी तारीफ करूँगा।
8 यहोवा अपने लोगों की ताकत है,वह एक मज़बूत गढ़ है, अपने अभिषिक्त जन को शानदार तरीके से बचाता है।+
9 अपने लोगों को बचा ले, अपनी विरासत को आशीष दे।+
उनका चरवाहा बन जा और सदा उन्हें अपनी गोद में लिए रह।+
कई फुटनोट
^ या “कब्र।”